जै संगीत नीं होवतो तो मर जांवता- मनोज स्वामी
* करणीदानसिंह राजपूत *
दुपारै मनोज स्वामी खनै गयौ। पुराणा गीतां मांय डुब्योड़ा मिल्या। एकेदूजे मनोज खनै जावणो होवै। ज्यादातर पुराणा गीत सुणता ही लाधै। गणतंत्र दिवस रै अगलै दिन री दुपारै रै बखत मनोज कुरसी पर अर सामीं मोबाइल सूं जुड्योड़ो नुंवों सपीकर। म्हूं सामी कुरसी माथै बैठतै हाल पूछ बैठ्यो। कांई हाल है।
हाल कींगा है। बस जूण पूरी करां। सारा ही करै। जै संगीत नीं होवतो तो मर जांवता। संगीत जीवता कर राख्या है। सारी दुनियां बस ईं लारै ही बच्योड़ी है। दरद सूं कीं घणों भर् योड़ो लाग्यो। मनोज बोल्यो तो साची साची ही हो। देखां जकौ ही दुखड़ा रोवतो ही मिल्यो। बस!साची आ है कै म्है पत्रकार जै दुख भर् योड़ा होवां जणा भी छुपावां हां कै किनै ई मालम ना पड़ जावै। झूठमूठ दिखावां कै म्है खुश। म्हारै सूं घणो कोई खुश कियां हो सकै। पुराणी फिलमां रा गीत। दरदां सूं भर् योड़ो। बस. मनोज सुणै अर म्हूं भी सागै सुणु। जै गीत संगीत नीं होंवता तो साची मर जांवता।०0०
27 जनवरी 2025.
करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार ( राजस्थान सरकार सूं मान्यता प्राप्त आजीवन)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356
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