गुरुवार, 31 अगस्त 2023

गंभीर आरोपों में घिरे पूर्व विधायक मील, पालिकाध्यक्ष परसराम,2पूर्व अध्यक्ष.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ 31 अगस्त 2023.

पूर्व विधायक गंगाजल मील पर पूर्व पालिकाध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा ने आज पत्रकार वार्ता में बहुत गंभीर आरोप लगाते हुए कटघरे में खड़ा किया वहींं वर्तमान पालिकाध्यक्ष परसराम भाटिया, उनकी पत्नी पूर्व पालिकाध्यक्ष कृष्णा भाटिया और पूर्व पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल पर भी आरोप लगाए।

* ओमप्रकाश कालवा ने कहा कि मील परिवार बड़ा है और उनके हेतराम मील ने मेरे को कहा कि गंद मत खाया करो। यह मत करो,वह मत करो। वे आरोप लगा सकते हैं बड़े लोग हैं। * 

लेकिन गंगाजल मील के आवास पर नगरपालिका के तीन कर्मचारी काम करते हैं। उनका वेतन नगरपालिका देती है। बड़े करोड़पति अरबपति धोलपोसिए बताएं कि यह सब क्या है? भ्रष्टाचार है या क्या है? गंगाजल मील पर ऐसा गंभीर आरोप पहली बार लगा है। * कालवा ने गंगाजल मील को पिता तुल्य आदरणीय भी बताया और कटघरे में भी खड़ा किया।


( आरोप के हिसाब से तीन कर्मचारी मतलब औसत 60 हजार रूपये हर माह और साल में 7 लाख 20 हजार रू बनते हैं। नगरपालिका में काम भी प्रभावित होता है) 

* कालवा ने कहा कि पिता तुल्य मील सा. ने कहा कि कालवा जैसा भ्रष्टाचारी पहली बार देखा   और जेल में जाएगा। कालवा ने कहा कि मील साहब के साथ हैं वे जेलों में कैसे गये और कैसे लोग हैं। 

* कालवा बहुत उत्तेजित आक्रोश भरे थे जब मील पर आरोप लगाए। वही उत्तेजना आगे लगातार रही।

* कालवा ने कहा कार्यकारी अध्यक्ष परसराम भाटिया जेल गये थे। वे किस आंदोलन में गये थे या भ्रष्टाचार में गये थे?

* कालवा ने आगे कहा इन श्रीमान भाटिया जी की पत्नी जो पालिकाध्यक्ष रही थी। वह भी जेल गयी। वह किसी महिला आंदोलन में जेल जाकर आई या किसी और कारण से।

* ( परसराम भाटिया और श्रीमती कृष्णा भाटिया दोनों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उन्हीं आरोपों में गिरफ्तारी के दौरान जेल हवालात जाकर आए थे)

* कालवा ने कहा पूर्व पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल जिसे मील सा.नजदीक बैठाते हैं। वह किस मामले में हाईकोर्ट गया और फिर सुप्रीम कोर्ट गया रिट लगाई जो खारिज हो गयी? 

* (बनवारीलाल मेघवाल व 2 अन्य पर एक अनुसूचित जाति की स्त्री सै रेप करने का गंभीर आरोप है। सूरतगढ अदालत में यह केस विचाराधीन है। बनवारी इसे रुकवाने के लिए हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट गया। सनः 2006 का आरोप 2010 में केस दर्ज हुआ था।)


 👍 ओमप्रकाश कालवा कांग्रेस में रहते हुए पालिकाध्यक्ष थे तब मील के अत्यंत खासमखास ,नाक के बाल समझे जाते थे। मील से विरोधाभास होने पर भाजपा में चले गये और विधायक रामप्रताप कासनिया के खास हो गये। कालवा सीवरेज घोटाले में सस्पेंड हैं और मील,भाटिया व बनवारी कालवा के विरुद्ध हैं।


* कालवा ने कहा कि मील सा.ने कहा कि कालवा ने उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी थी। 

👍कालवा ने कहा कि मैं गरीब मजदूरी करने वाले मेघवाल परिवार में पैदा हुआ और ये करोड़पति बड़े लोग। मैं इनकी आंखों पर पट्टी कैसे बांध देता? साढे तीन साल पट्टी बंधी रही। कालवा ने अब सवाल किया कि अब परसराम है पट्टी खुल गयी है या ज्यादा कस दी है?

* कालवा ने मील और परसराम बनवारी के पत्रकार वार्ता मे लगाए निर्माण कार्यों में भाजपा कांग्रेस के पार्षदों के वार्डो में भेदभाव के आरोप दस्तावेजों से लगाए। परसराम ने आरोपों का खंडन किया था लेकिन आज कालवा ने रिकार्ड दिया और मील परसराम को झूठा बता दिया।अनेक प्रमाण भी दिए। इनकी रिपोर्ट अलग से देंगे।वार्ता में कासनिया भी बोले थे जो अलग से ही  लगा पाएंगे। 



👍 दोनों तरफ से पत्रकार वार्ता होती है और मीडिया के सामने आरोप लगाते हैं। लिखित शिकायतें मुकदमें नहीं करते। मीडिया के माध्यम से लड़ी जा रही यह लड़ाई आगे कहां पहुंचेगी कि अभी कल्पना नहीं की जा सकती। विधानसभा चुनाव के इन तीन महीनों में न जाने अभी क्या क्या होगा।०0०

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ईओ जगमोहन हर्ष ने कार्यभार ग्रहण किया:विजन 2030 खास -कोई कागज दबा न रहे.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ 31 अगस्त 2023.

नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी जगमोहन हर्ष ने आज यहां कार्यभार ग्रहण किया। हर्ष ने कर्मचारियों का परिचय प्राप्त किया। उन्होंने कर्मचारियों को विजन 2030 के बारे में पहला विशेष निर्देश दिया कि इस पर खास ध्यान रखते कार्य करना है और कोई कागज दबा हुआ नहीं रहे।

मूलतः बीकानेर के रहने वाले जगमोहन हर्ष अपनी 35 साल की आयु में दस साल की सर्विस कर चुके हैं। विभिन्न स्थानों का कार्य अनुभव है। श्रीगंगानगर जिले में पहले पदमपुर में कार्य कर चुके हैं।


हर्ष के कार्यभार ग्रहण की सूचना मिलते ही पार्षद आदि मिलने पहुंचने लगे।०0०

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पूर्व पालिकाध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा की प्रेसवार्ता अचानक अभी.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ 31 अगस्त 2023.

नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा की अभी साढे दस बजे पत्रकार वार्ता है। समझा जाता है कि इसमें कालवा कार्यवाहक नगरपालिका अध्यक्ष परसराम भाटिया, पूर्व विधायक गंगाजल मील,पूर्व पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल की 29 अगस्त की प्रेस वार्ता का जवाब देंगे। पूर्व विधायक गंगाजल मील और बनवारीलाल मेघवाल उत्तेजना में ऐसे बोल गए जिनका कोई प्रमाण नहीं है। वे अवैधानिक आयोजित नगरपालिका मंडल की बैठक का गुणगान करते रहे। भाजपा पार्षद भी नहीं जानना चाहते कानून नियम।

कालवा की ओर से क्या महत्वपूर्ण होगा?

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बुधवार, 30 अगस्त 2023

भाजपा नये आने वालों को टिकट देगी तो चोट भी खाएगी.पुराने ही दमदार!

 




* करणीदानसिंह राजपूत *


 * पुराने निष्ठावान नेताओं कार्यकर्ताओं की राजनैतिक हत्या नहीं करे भाजपा*

* राजस्थान भर में परिवर्तन यात्राओं में यह आवाज उठ जाए कि नये आने वालों को जिताऊ समझ कर टिकट नहीं दी जाए।


भारतीय जनता पार्टी में कांग्रेस या  दूसरी पार्टियों से आए और सरकारी सेवानिवृत होकर आए अधिकारियों को चुनावी टिकट देती है तब 20 25 साल से पार्टी की सेवा करने वाले टिकट की आस लगाए निष्ठावानों का क्या होगा? 

पार्टी के लिए जान लगाने वाले, लाखों रुपए लगा चुके कार्यकर्ता अपनी बारी आने की प्रतीक्षा कर रहे कार्यकर्ताओं का नेताओं का क्या होगा? 

 जिन्होंने सब कुछ पार्टी के लिए दे दिया, वे नेता कार्यकर्ता बीसियों सालों से काम करते हुए पार्टी की रीढ की हड्डी कहलाए। पार्टी को मजबूत करने वाले कहलाए। 

क्या उनके साथ बड़े नेताओं की ओर से विश्वास घात नहीं होगा। पार्टी की सेवा करने वालों का इतना बड़ा तिरस्कार होता है तो फिर पार्टी को मजबूत कौन करेगा, कौन कुर्बानी देगा? 

* यह सवाल और इसका जवाब दोनों ही बड़े नेताओं को सोचना चाहिए और सार्वजनिक भी करना चाहिए। 

भारतीय जनता पार्टी में कांग्रेस से आए, वामपंथी विचारधारा से आए लोग पार्टी की कब्र खोदने रहे थे वे अब अचानक दल बदल करके पार्टी के वफादार सिपाही कैसे हो गए? 

सरकारी सेवा में चाहे कितने ही ऊंचे पद पर रहे हों, निश्चित है कि उनका नाम होता है लेकिन वे अचानक पार्टी में आते ही बिना कुछ जाने इतने बड़े कैसे हो गए की वफादार नेताओं कार्यकर्ताओं को ठोकर मारते हुए उनको सिरमौर बनाया जाए? उनको राजनीति का और पार्टी के नियमों का कखग मालुम नहीं, कार्यकर्ताओं को भी जानते नहीं उनकी यह चर्चा हो कि वे जीत सकते हैं।

अभी तो चर्चाएं हैं की भारतीय जनता पार्टी में फलां फलां को टिकट मिलेगा या वे इतने बड़े दिखाए जाने लगे हैं कि उनकी टिकट पक्की है।

यह सब प्रचार और लेख आदि लिखे जाने सोशल मीडिया पर प्रसारित करने का कार्य  नियोजित ढंग से संचालित होता है सो ऐसा हो रहा है।

* सवाल यही है कि जो लोग बाहर की पार्टी से आए या सरकारी सेवा से आए वे पांच सात साल पार्टी की सेवा करें और जनहित के सेवा कार्य करके दिखाएं और उसके बाद में पार्टी उनको चुनाव में उतारने की कोशिश करे। 

** राजस्थान में 2023 के चुनाव में केवल 3 महीने बाकी है और ऐसी स्थिति में बाहर से आए सरकारी सेवा से आए लोगों की नियोजित ढंग से चर्चा हो रही है।  उनके नाम को उछाला जा रहा है। बहुत बड़ा सेवक सिद्ध किया जा रहा है।


 लेकिन सच्चाई क्या है?  क्या 15-20 साल से पार्टी की सेवा करने वाले अपनी कुर्बानियां देने वाले संघर्षों में रहने वाले लायक नहीं थे।  तो फिर पार्टी को 15 20 सालों से चला कौन रहा था? वे कौन लोग थे जिन लोगों के कारण पार्टी की सदस्य संख्या बढी। यदि वे निकम्मे होते तो क्या पार्टी का नाम आगे बढ़ता? कार्यकर्ताओं की संख्या आगे बढ़ती? 

यह समय धरती से जुड़े छोटे बड़े हर कार्यकर्ता के बहुत कुछ सोचने का है और विभिन्न प्रकार से  एकदम नये आए टिकट के लिए  प्रचारित किए जा रहे लोगों के रास्ते रोकने का भी है।

 जो बड़े नेता टिकट बांटने वाली जगह पर हैं। उनके ध्यान में भी लाया जाना जरूरी है कि जो कुछ हो रहा है वह सब गलत है । 

पार्टी के पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं के सीने में छुरा घोंपने जैसा है। उनके साथ धोखा करने का कार्य हो रहा है। 

*जो लोग सरकारी सेवाओं से आए उनके नाम बड़े हो सकते हैं लेकिन पार्टी में राजनीतिक दृष्टि से कोई कार्य जब नहीं किया गया तो टिकट उनको देने का सोचा भी कैसे जा सकता है? 

👍 उच्च नेताओं को चेताया जाए। यदि इसके बावजूद भी सुनवाई नहीं हो और नये आने वालों को टिकट दी जाती है  तो पुराने निष्ठावान कार्यकर्ता  देशभक्ति के नाम पर आत्महत्या नहीं करें। वे संघर्ष करें बताएं कि धरती से जुड़े की पहचान और ताकत बहुत होती है तथा कृत्रिम नेता को हार पहना कर विदा करें या प्रदेश मुख्यालय सौंप कर आएं। 

* यदि आवाज अभी उठे पहले उठे ताकत बने,विरोध की गूंज हो जाए तो ऐसे नये आने वाले कृत्रिम सेवादारों को निश्चित ही टिकट नहीं मिलेगा।०0०

30 अगस्त 2023.

करणीदानसिंह राजपूत,

(पत्रकारिता के 59 वर्ष)

(राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ ( राजस्थान )

94143 81356.

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मंगलवार, 29 अगस्त 2023

नगरपालिका में नहीं मगर सड़क के बीच में भ्रष्टाचार है.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ 29 अगस्त 2023.

नगरपालिका अध्यक्ष परसराम भाटिया पूर्व विधायक गंगाजल मील पूर्व पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल ने आज पत्रकार वार्ता में दावा किया कि नगरपालिका कार्यालय में बिना भ्रष्टाचार के काम हो रहा है। कांग्रेस के पार्षद और कुछ पार्षदों के रिश्तेदार भी मौजूद थे। यह दावा भी सुन रहे थे।

कांग्रेस के पार्षदों से यह सवाल है वे अपनी आंखों से देखें और फिर अध्यक्ष जी से ईओ से पूछ लें। 

नगरपालिका में भ्रष्टाचार बंद है तो खुली सड़क पर क्यों हो रहा है? सड़क के ठीक बीच में सब्जियों की दुकानें लगाने की छूट नगरपालिका के किस भ्रष्टाचारी ने दे रखी है। सड़क बीच में दुकानें लगवाने का हजारों रूपये कौन ले रहा है? लिखित शिकायतों को नगरपालिका में कौन रोक रहा है और ये दुकानें हटवाई नहीं जा रही। यहां से निकलना मुश्किल होता है। महिलाओं का निकलना तो बहुत मुश्किल होता है।  केवल 8 फुट की रहती है। सैंकड़ों बार जाम भी लगता है।

* पार्षद अपनी आंखों से देखें और फिर बताएं कि भ्रष्टाचार रुका है या नहीं रुका। यह भ्रष्टाचार चालू रहेगा या इसे रोका जाएगा?

०0०







भाजपा पार्षदों के आरोप झूठे व कालवा भ्रष्ट: पत्रकार वार्ता में भाटिया मील जो बोले.

 





* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ 29 अगस्त 2023.

भाजपा पार्षदों के आरोप का नगरपालिका अध्यक्ष परसराम भाटिया, पूर्व विधायक गंगाजल मील एवं पूर्व पालिकाध्यक्ष बनवारी लाल मेघवाल ने जोरदार रूप से झूठा बताते हुए कहा कि नगर के सभी वार्डों में बिना भेदभाव के विभिन्न निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं। ओमप्रकाश कालवा के अध्यक्ष काल में हर काम रोका जा रहा था इसलिए अब कामों को होता हुआ देख कर भाजपा पार्षदों के पेट में दर्द हो रहा है।


नगर पालिका सभागार में बुलाई गई इस पत्रकार वार्ता में पूर्व विधायक गंगाजल मील,  पूर्व पालिका अध्यक्ष इंजीनिगरयर बनवारी मेघवाल, पालिका उपाध्यक्ष सलीम कुरैशी नगर महामंत्री धर्मदास सिंधी सहित कांग्रेस के सभी पार्षद उपस्थित थे ।

 इस अवसर पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए पालिका अध्यक्ष परसराम भाटिया ने जानकारी दी कि ओम कालवा शहर के विकास में पहले भी बाधक था और आज भी बाधक बना हुआ है ।

 भाटिया ने कहा कि उन्होंने अध्यक्ष का कार्यभार संभालते ही बिना किसी भेदभाव के सभी वार्डों के पूर्व में लगे 25-25 लाख के टेंडर के वर्क आर्डर जारी किये । इसके अलावा पार्षदों से नए कामों की भी डिमांड मांगी गई जिसमें कुछ बीजेपी पार्षदों ने डिमांड दे दी उनके टेंडर भी लग गए कुछ पार्षदों ने जिन्होंने डिमांड नहीं दी इसके लिए नगर पालिका बोर्ड की बैठक बुलाई गई ताकि उसमें विचार हो जाए। 

 ओम कालवा के इशारे पर भाजपा पार्षदों ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया। इस वजह से उन्हें उनके वार्डो की डिमांड का पता नहीं लगा, फिर भी नगर पालिका अधिकारियों से उन्होंने हर वार्ड में जरूरत के काम करवाने के लिए प्रत्येक वार्ड के लिए तीन-तीन लाख रुपए के टेंडर आमंत्रित कर लिए।

पूर्व विधायक गंगाजल मील ने कहा कि परसराम भाटिया को पालिकाध्यक्ष का चार्ज मिले एक महीना ही हुआ है। इतने दिनों में कामों की प्रोग्रेस वार्डों में देखी जा सकती है। मील ने कहा कि परसराम भाटिया दिल से काम करवाने में लगा है लेकिन ओमप्रकाश कालवा ( सीवरेज घोटाले में निलंबित अध्यक्ष) को सुहा नहीं रहा। वह बाधा डालना चाहता है।पूर्व विधायक गंगाजल मील ने खुला आरोप लगाया कि उन्होंने अपने जीवन में कालवा जैसा भ्रष्ट पालिका अध्यक्ष नहीं देखा। मील ने कालवा पर करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार करने के आरोप जड़े। सीवरेज घोटाले का उल्लेख भी किया। 

 मील ने कहा कि 770 पट्टे दिए जा चुके हैं और तैयार हो रहे हैं। सरकारी योजनाओं पर भी काम हो रहा है। 

पूर्व पालिका अध्यक्ष इंजीनियर बनवारी मेघवाल ने निलंबित अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा पर भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी का आरोप लगाया। 

 इन 20 करोड़ के कामों के होने से उसके पेट में दर्द हो रहा है और भाजपा के अन्य पार्षदों को शामिल कर अपना उल्लू सीधा करने में ही नहीं लगा बल्कि शहर का विनाश भी करने में जुटा हुआ है। 


गंगाजल मील,परसराम भाटिया और बनवारी लाल मेघवाल ने ओमप्रकाश कालवा की जमकर धुलाई की। 

* पत्रकार वार्ता नगरपालिका के सभाकक्ष में हुई जिसमें कांग्रेस के कुछ पार्षद और कुछ पार्षदों के रिश्तेदार मौजूद थे। 

( परसराम भाटिया और गंगाजल मील ने जो कहा वह पूरा विडिओ मेरे फेसबुक एकाउंट karni ramsingh rajput पर है। )०0०

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सच्चे लोकतंत्र के लिए: लेख-राजाराम बिश्नोई 1978.आज भी सार्थक. पढें.







* करणीदानसिंह राजपूत *

आपातकाल 1975-77 की क्रूरताओं को संघर्ष से हटाने संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए कुर्बानियों से मिली दूसरी आजादी में चुनाव हुए। जनता पार्टी का राज आया। राजस्थान में भी 1977 में जनता पार्टी का राज आया। सूरतगढ से गुरूशरण छाबड़ा जी विधायक चुने गये। छाबड़ा जी के और मेरे मित्र राजाराम बिश्नोई ( कड़वासरा) निवासी माणकसर ( सूरतगढ) जनता पार्टी के श्रीगंगानगर के जिलाध्यक्ष बने। उन्ही स्वर्गीय राजाराम बिश्नोई का लेख मेरे भारतजन में 13 जून 1978 को प्रकाशित हुआ था। आज 29 अगस्त 2023 को राजाराम जी की पुण्यतिथि पर उस लेख का फोटो यहां प्रकाशित किया जा रहा है। आज से 46 वर्ष पूर्व लिखे गए  लेख का एक एक शब्द अभी भी सार्थक हो रहा है।

राजाराम जी को नमन!

29 अगस्त 2023.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

सूरतगढ।

94143 81356.

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सूरतगढ सीट 2023.भाजपा ने पुराने चेहरे को उतारा तो जीत असंभव.जिताऊ नया चेहरा होगा.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ विधानसभा सीट पर भाजपा ने 2013 और 2018 में लगातार 2 बार कांग्रेस को पछाड़कर जीत प्राप्त की। दोनों बार जीत का कमाल जनता ने किया था न कि प्रत्याशी  अपने दम पर जीते। इस बार 2023 के चुनाव के लिए नये चेहरे के लिए आवाज उठी है और यह आवाज 1 साल से दमदार होती गई है। हर गांव और शहर में नये चेहरे की मांग है।

* भाजपा ने पुराने चेहरों में से किसी को थोपा या विधायक रिपीट किया तो तीसरी बार जीत की हैटट्रिक नहीं बना पाएगी बल्कि "हार" पहनेगी।

सबसे बड़ी बात है कि भाजपा जनता की वोटरों की मानेंगे या जयपुर दिल्ली की हाजिरी को मानेगी जो तिकड़म पुराने चेहरे धोक लगाने में लगे हैं। 

* वर्तमान विधायक रामप्रताप कासनिया से लोग बेहद नाराज हैं और मुखरित हैं। कासनिया से नाराजगी गांव गांव और शहर के हर वार्ड में खुले रूप में प्रगट होने लगी है। लोग कासनिया से खार खाए हुए हैं। कासनिया 16 अगस्त 1952 को जन्मे इस समय 72 वर्ष के होते हुए चुनाव में उतारे जाते हैं तो जनभावना के विपरीत भाजपा कैसे जीत हासिल कर पाएगी। जनता में कासनिया दो साल पहले से अप्रिय होने लगे थे। यदि एकदम सही माने तो कोरोना काल से ही जनता से दूर हो गये। ऐसी स्थिति में और 72 की उम्र में रिपीट करना असंभव है और बड़े नेता बड़े संबंध निभाते हैं तो गिनती में एक सीट घटा लेनी चाहिए।

👍कासनिया के कारण नगरपालिका व पंचायत समिति दोनों में कमल राज खत्म हो गया।*


 विधायक रामप्रताप कासनिया पर गंभीर आरोप है कि इनकी मनमानी और  फ्री हैंड से उतारे गये प्रत्याशी हारे और भाजपा की सत्ता से नगरपालिका और पंचायत समिति कांग्रेस छीन ले गई। दोनों संस्थाएं बहुत बड़ी होती हैं जहां कासनिया के कारण "कमल" पुनः खिलने से रह गया। 

* सन् 2013 में भाजपा टिकट पर जीत कर विधायक चुने गए राजेन्द्र सिंह भादू भी पुराने चेहरों में हैं। * 7 अगस्त 1953 को जन्में भादू भी  70 पार करते 71 वर्ष के हो रहे हैं। जनता वर्तमान विधायक कासनिया को नहीं चाहती और ठीक यही हालात भादू के हैं। 

👍 जनता नहीं चाहती कि पुराने चेहरों रामप्रताप कासनिया और राजेन्द्र सिंह भादू को भाजपा चुनाव में उतारे। 

* सूरतगढ नगर मंडल,सारे देहात मंडल, श्रीगंगानगर के भाजपा जिला अध्यक्ष स.शरणपालसिंह मान भी पुराने चेहरों की सिफारिश करदें तो भी जनता की आवाज को बंद नहीं कराया जा सकता। भाजपा के पास नये चेहरे नहीं हों तब तो पुराने को रिपीट करें लेकिन सूरतगढ सीट पर तो सक्रिय नये चेहरे हैं। लोगों की मांग नया चेहरा है। इस बार स्पष्ट है कि कोई भी पुराना चेहरा सीट नहीं निकाल सकता। अब पुराने चेहरे जिताऊ हालत में नहीं रहे। नया चेहरा ही सीट निकाल सकता है। भाजपा को चयन करना चाहिए नया चेहरा ताकि 2023 में भी जीत प्राप्त हो और हैट्रिक बन जाए। पुराने चेहरे अभी टिकट चाहते हैं लेकिन हालात को समझते उनको स्वयं ही पार्टी की जीत के लिए हट जाना चाहिए। कासनिया जी करीब 40 सालों से और भादू जी करीब 35 सालों सै चुनावी राजनीति कर रहे हैं। नये चेहरों को अब चुनावी राजनीति करने का मौका मिलना चाहिए और 2023 का विधानसभा चुनाव सही मौका है।

०0०

* 29 अगस्त 2023.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ ( राजस्थान )

94143 81356.

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सोमवार, 28 अगस्त 2023

चुनाव के इच्छुक नेताओं को आपराधिक मुकदमों से बचना चाहिए

 




 * करणीदानसिंह राजपूत *


चुनाव आयोग के नियम निर्देशिका के अनुसार राजनीति और सरकार को स्वच्छ रखने के लिए चुनाव लड़ने के लिए नियम बनाए गए हैं।

जिनमें आपराधिक मुकदमों  से संबंधित नियम भी है। चुनाव प्रपत्र में घोषणा करनी पड़ती है कि किन-किन मुकदमा में फंसे हुए हैं या बरी हो चुके हैं। मुकदमे चल रहे हैं।

* इससे मतदाता की मानसिकता पर असर पड़ता है के संबंधित व्यक्ति को चुने या नहीं चुने? मुकदमों से व्यक्ति पॉपुलर तो हो सकता है लेकिन जो भी मुकदमा होता है वह राजनीतिक दल नहीं लड़ते, साथी लोग नहीं लड़ते,उकसाने वाले लोग नहीं लड़ते, आंदोलन के आयोजन भी नहीं लड़ते। मुकदमा संबंधित व्यक्ति को खुद को लड़ना पड़ता है और यह लड़ाई बहुत लंबी चलती है, धीमी चलती है, वर्षों तक संबंधित व्यक्ति को ही भाग दौड़ करनी पड़ती है।जिसमें समय और पैसा भी लगता है। 

* हर मुकदमे में बचाव हो जाए।  बरी हो जाए ऐसा भी संभव नहीं होता। सजा भी हो सकती है। जुर्माना भी हो सकता है।इसलिए नेताओं को कार्य कर्ताओं को जब भी कोई आंदोलन हो संघर्ष हो उनमें चाहे जितना जोश हो उत्तेजना हो फिर भी आवेश में आकर ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जो बाद में दुखदाई हो। जिसमें आपराधिक मुकदमा दर्ज हो जाए इस प्रकार के मामलों में आंदोलन में जनता का सहयोग जरुर करें लेकिन अपने ऊपर मुकदमा बनवाने जैसा कार्य न करें। अनेक बार उत्तेजना में ऐसी घटनाएं हो जाती है जो बाद में बहुत दुखदाई होती है। सैकड़ो की भीड़, हजारों की भीड़ हो उसमें अपने आप को नेता सिद्ध करने के लिए प्रसिद्ध करने के लिए अकेला व्यक्ति या दो-तीन व्यक्ति ऐसा कार्य कर लेते हैं जो भारतीय दंड संहिता के या अन्य कानून में अपराधिक कार्य  होता है।


 आपराधिक मुकदमे जरूर नहीं है कि वे प्रसिद्धि ही दिलाए उनमें सजा भी मिल सकती है।

👍 चुनाव के मौके पर आंदोलन संघर्ष सत्ताधारी पार्टी के विरुद्ध बहुत होते हैं। ऐसे मौकों  पर उत्तेजना में मुकदमे भी बन जाते हैं। कानून को हाथ में भी ले लिया जाता है। मारपीट भी कर दी जाती है। किसी की हत्या या हत्या जैसी कोशिश भी हो जाती है। सरकारी संपत्ति का नुकसान भी हो जाता है। 

* हो सकता है व्यक्ति करना नहीं चाहे लेकिन उत्तेजना में हो जाता है। उत्तेजना में किए हुए अपराध में सजा में कोई छूट नहीं होती। सजा जुर्माना अदालत देती है करती है तो वह भोगना ही पड़ता है। 

👍 यहां विशेष बात ध्यान देने योग्य है कि संघर्षों में आंदोलन में चुनाव के मौके पर जो बड़े नेता हैं विधायक हैं पूर्व विधायक है सांसद हैं या पूर्व सांसद हैं वे सभी व्यक्ति बहुत ध्यान रखते हैं। वे कहीं भी मारपीट करने में सरकारी संपत्ति नष्ट करने में आगे नहीं आते।

 अब यहां सोचने की बात है कि जब वे बड़ी सावधानी रखते हैं, आगे नहीं आते तब सामान्य कार्यकर्ता को साधारण नेता को उत्तेजना में आकर आपराधिक कार्य करना उचित है या अनुचित है, यह सोचना चाहिए? 

👍बड़े नेता साधारण प्रदर्शन धरने आदि में रहते हैं।  कागजी कार्रवाई में रहते हैं लेकिन आपराधिक गतिविधियों में नहीं रहते। इस बात को सोचना और समझना चाहिए।

कोई समाज  संगठन या आयोजनकर्ता  कभी भी किसी को कहीं भी मारपीट करने के सरकारी संपत्ति नष्ट करने की इजाजत नहीं देता,न कहता है न बोलता है न लिख कर देता है। अपराध करने वाले व्यक्ति की स्वयं की जिम्मेदारी होती है।

* शुरुआत में जब मुकदमा दर्ज होता है पुलिस गिरफ्तार करती है उस समय तो संगी साथी नेता साथ देने के लिए हमेशा साथ रहने के लिए नारे लगाते हैं लेकिन दो-चार दिन बाद ही हर व्यक्ति दूर हटता जाता है। हर एक व्यक्ति के कार्य निकलने लगते हैं और व्यस्त बताने लगते हैं. जिस पर मुकदमा होता है वह अकेला लड़ता है। अकेले ही पैसा खर्च करता है। ना कोई सगी होता है ना कोई साथी होता है न राजनीतिक पार्टी उसका साथ देती है। ०0०

28 अगस्त 2023.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

(राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ ( राजस्थान )

94143 81356

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सूरतगढ: भाजपा टिकट पर मूल ओबीसी से श्रीभगवान भी शक्तिशाली दावेदार.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में सूरतगढ़ की पॉपुलर सीट पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से संघ से जुड़े मूल ओबीसी के सक्रिय कार्यकर्ता  श्रीभगवान सेवटा की टिकट दावेदारी से भारतीय जनता पार्टी सूरतगढ़ में हलचल मची है।

श्री भगवान सेवटा का 26 वर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक रूप में सक्रिय रहना बड़ी उपलब्धि है। इन्हें जो कार्य सौंपा जाता रहा है उन्हें हर समय पूरा करते रहे।

👍 सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र में गांव गांव में और सूरतगढ के शहर के वार्डों में फैले संघ के स्वयंसेवकों से अच्छा खास जुड़ाव है। 

* श्री भगवान सेवटा मूल रूप से सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र के बीरमाणा गांव के निवासी हैं और वर्तमान में सूरतगढ़ की किशनपुरा आबादी में बस गए हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं में और जनता में अच्छी जानकारी और जुड़ाव रखने के कारण लोग नजदीकी से जानते हैं। 

*भारतीय जनता पार्टी में सामाजिक शैक्षिक संगठनात्मक जुड़ाव जानकारियां 25 वर्षों से अच्छा अनुभव रखते हैं।

 श्री भगवान सेवता सन सन 2016 से जिला कार्य समिति भाजपा के सदस्य हैं। 

** सेवता का दावा है कि यह एक अच्छे राजनेता और जनता के हितैषी काम करने वाले व्यक्ति के रूप में भाजपा को और अधिक विकसित करने के लिए आगे भी काम करते रहेंगे। अगर उन्हें सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र से मूल ओबीसी कार्यकर्ता के रूप में टिकट दिया जाता है तो निश्चित रूप से यह सीट भारतीय जनता पार्टी की तीसरी बार लगातार  और बड़ी जीत हो सकती है। 

* सेवता की जीवनी में भारतीय जनता पार्टी के लिए काम करने की राजस्थान से बाहर भी काम करने की अनेक उपलब्धियां है। हरियाणा पंचायत चुनाव 2011 में ऐलनाबाद में चौटाला पंचायत में प्रभारी के रूप में कार्य करने और भाजपा को मजबूत करने में आगे रहे।    राजस्थान विधानसभा चुनाव 2013 में कांग्रेस

 कार्यकर्ताओं को भारतीय जनता पार्टी से जोड़ने का विशेष प्रयास श्रीगंगानगर जिला और जयपुर के झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के निर्देश के अनुसार किया।  दोनों स्थानों पर पार्टी को मजबूती मिली। फतेहपुर सिकरी विधानसभा के प्रभारी के रूप में विधानसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में प्रचार प्रसार करते हुए भाजपा उम्मीदवार को विजयश्री दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 


👍 10 नवंबर 1982 को जन्मे सेवटा स्नातक तक शिक्षित हैं और छात्र जीवन में भी बहुत सक्रिय रहे हैं। 

सेवटा कांग्रेस की नीति रीति से बहुत खफा है।  उनका दावा है कि वह राष्ट्र को समर्पित संघ के शिविर में स्वयं और 10 अन्य बाल सेवकों को लेकर गए थे। सन 2001 में उनके विरुद्ध कार्यवाही हुई। स्कूल से 11 बालकों का निष्कासन हुआ और उस पर सक्रिय विरोध किया तब संबंधित प्रधानाचार्य को क्षमा मांगनी पड़ी थी। 

* कॉलेज शिक्षा के समय भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को सक्रिय करने में विशेष योगदान दिया जिसमें सूरतगढ़ के राजकीय महाविद्यालय में किया हुआ कार्य भी प्रमुख रहा है।  

* सेवटा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी महत्वपूर्ण सहयोग दिया था।  

* श्री भगवान सेवटा वर्तमान में अखिल भारतीय प्रजापति ्( कुंभकार) संघ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष पद पर कार्यरत है जिसके तहत श्री गंगानगर की लगभग सभी विधानसभाओं में हजारों कार्यकर्ताओं को आजीवन सदस्य बनाया गया है और भारतीय जनता पार्टी से विशेष रूप से जोड़ा गया है। 

सेवता को कुम्हार समाज का प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मूल ओबीसी का समर्थन प्राप्त है। 

* सेवटा कहते हैं कि वह भारतीय जनता पार्टी के अनुशासित सिपाही है और भारतीय जनता पार्टी के राज्य और राष्ट्रीय स्तर के द्वारा सौंपे गए कार्यों में आगे रहे हैं बढचढ कर हिस्सा लिया है। पार्टी के प्रति विश्वास और उत्साह है।

👍 उनका दावा है कि सूरतगढ़ से उनको आगामी चुनाव 2023 में प्रत्याशी बनाया जाता है तो भाजपा बहुत अधिक मतों से जीत सकती है। भारतीय जनता पार्टी सूरतगढ़ से 2003 2013 2018 में जीती हुई है। 


* श्रीभगवान सेवटा और भारतीय जनता पार्टी 2023 में भी सूरतगढ़ सीट जीतने का दावा करते हैं। ०0०

28 अगस्त 2023.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ ( राजस्थान )

94143 81356.

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