शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

नेताजी सुभाष जयंती सूरतगढ:गीतों भाषणों ने गुंजाया जय हिन्द नारा:


देश मांग रहा कुर्बानी:आगे बढ़ो और देश पर न्यौछावर हो जाओ:
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस स्मारक समिति का समारोह:
विशेष रिपोर्ट व छायाचित्र- करणीदानसिंह राजपूत:
सूरतगढ़, 23 जनवरी 2015.नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की118 वीं  जयंती पर रेलवे स्टेशन के सामने सुभाष चौक पर नेताजी की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किए गए व पुष्प वर्षा की गई। नेताजी के ऐतिहासिक नारे तुम मुझे खून दो,मैं तुम्हें आजादी दूंगा के साथ भारत माता जिंदाबाद,इन्कलाब जिंदाबाद के नारों से आकाश को गुंजायमान बना दिया गया।
समिति के अध्यक्ष डा.टी.एल.अरोड़ा,सचिव ओम राज पुरोहित,किशनलाल पारीक,महावीर प्रसाद भोजक,पी.के.मिश्रा,भूपेन्द्र शर्मा,पत्रकार करणीदानसिंह राजपूत आदि ने नेताजी और देश भक्ति संबंधी वक्तव्य दिए।
 
स्कूली विद्यार्थियों की गीतों की प्रतियोगिता हुई तथा प्रथम द्वितीय व तृतीय को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। एकल गायन प्रतियोगिता में  आमीर खान प्रथम,मनीष द्वितीय व महेश तृतीय रहे। प्रतियोगिता के निर्णायक आकाशवाणी के वरिष्ठ उद्घोषक राजेश चड्ढा,व्याव्याता विशाल छाबड़ा व श्रीमती संध्या डे को समिति पदाधिकारियों ने सम्मानित किया। इनके अलावा अन्य नागरिकों ने भी देश भक्ति गीतों से समां बांधा।
पत्रकार हरिमोहन सारस्वत ने नेताजी की कई जानकारियां दीं। सुभाष गुप्ता ने कई जानकारियां पूछी और विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए।
पुरस्कार समिति सदस्य इंजीनियर रमेश चन्द्र माथुर के सौजन्य से तथा मिठाई प्रसाद इंजीनियर सुनील गुप्ता की ओर से भेंट किए गए।

समारोह में सीमांत रक्षक दैनिक के संपादक सत्यपाल मेघवाल धम्मदीप,राजस्थानी साहित्यकार व पत्रकार मनोज कुमार स्वामी,नगरपालिका मंडल के उपाध्यक्ष पवन औझा,साहित्यकार रामेश्वर दयाल तिवाड़ी,सामाजिक संस्था भारत विकास परिषद के घनश्याम शर्मा व एपेक्स क्लअ के अध्यक्ष के.के.खासपुरिया,राजस्थानी गायक सुभाष कटारिया,इंजीनियर अशोक आसेरी,ईंजीनियर कुंज बिहारी शर्मा,ईंजीनियर भूपेन्द्र शर्मा,अध्यापिका मधु मिढ़ा,प्रभुदयाल सिंधी,एल.डी.दईया आदि समारोह में शामिल हुए।
 
इस समारोह के बहुत से फोटो यहां प्रस्तुत हैं।

मंगलवार, 20 जनवरी 2015

शौच जाना है - घटना कथा


सूरतगढ़ का पुराना बस स्टेंड परिसर जहां कुछ खाली जगह है जहां पर लोग लघु शंका करते रहते हैं। झाड़ी और दुकानों की ओट में लोग शौच भी कर लेते हैं। वहीं प्राईवेट चलने वाली जीपों का जमावड़ा भी रहता है। यात्री स्त्री पुरूष चढ़ते उतरते रहते हैं। दिन भर यह पुराना बस अड्डा परिसर जीवित रहता है।
यहीं पत्रकारों का जमावड़ा भी रहता है। मनोज स्वामी राजस्थानी साहित्यकार और पत्रकारिता के सजग प्रहरी के यहां बहस पर बहस चलती रहती है। कई बार संसद में भी जो मुद्दे नहीं आते वैसे मुद्दों पर भी बहस हो जाती है। कई बार कह भी दिया जाता है कि जिसकी कोई नहीं सुन रहा हो तो वह अपनी पीड़ा अपनी बात मनोज के यहां सुना सकता है या चलती बहस में भागीदारी भी कर सकता है।
कई बार तो मुद्दे आ जाते हैं आम घरों में होने वाली कलह के या फिर बर्तन खड़कने के। ऐसे मुद्दों पर भी सांगोंपांग बहस चल निकलती है। कई बार बहस में यह भी लगने लगता है कि झगड़ा हो रहा है,लेकिन जो झगड़ा करने वाले से लगते हैं वे एक दिन भी दूर नहीं रह पाते।
इसी कुटिया रूपी संसद में ब्याह शादियों की बातें और लड़कियां लड़के देखने दिखलाने तक के मामले आ जाते हैं और लोगों की गाड़ी आगे निकल जाती है मतलब कि उनकी बात तक पक्की हो जाती है। ब्याह शादियों के लिए गाडिय़ां तय करने तक के मामले कहानी की तरह तय हो जाते हैं। बड़ा रस आता है ऐसी बातें सुनते और उनमें भाग लेते हुए।
पुराने बस स्टैंड परिसर में रोजाना ही कहानियां बनती रहती है। किसी न किसी के मिलने का स्थान भी बनता रहा है यह परिसर। यानि कि प्रेम कहानी का जन्म।
अनजान लोग भी दुखड़ा सुनाते हुए मनोज को घर का सदस्य सा मानते हुए रोते हुए देखे गए हैं और मनोज उनके आँसू पोंछता हुआ और चाय पिलाता हुआ भी दीख जाता है। रोटी खाते वक्त आवाज देता है आओ रोटी जीम लो।
वाह मनोज स्वामी लेखक पत्रकार कम और जनता के जीवन से जुड़ा भाई सग्गे से भी बढ़ कर।
मनोज के आगे एक वृद्ध और एक वृद्धा आकर खड़े हो जाते हैं।
वृद्ध अपने सिर पर से गठरी उतार कर पूछता है।
शौच जाना है। कोई जगह है?
मनोज समझ जाता है कि साथ वाली वृद्धा दूर खड़ी सिमटती सी परेशान हो रही है और उसे ही शौच जाना है।
बेचारी साठ सत्तर साल की वृद्धा के चेहरे पर परेशानी झलकती दिखाई पड़ती है। वह परेशानी से दोलड़ी सी होती झुकती जाती है।
मनोज कहता है। बाबाजी आप गठरी सामान यहां रख दो और पास की गली से सीधे स्टेशन मुसाफिर खाने में चले जाओ। वहां पर शौच स्थान बना हुआ है। कहने को तो मनोज झाड़ी के पीछे शौच करने का कह सकता था। लेकिन वृद्ध के पूछने से भी लग रहा था कि वे खुले में शौच नहीं करने वाले। ग्र्र्र्र्र्र्रामीण थे मगर सलीका था।
मनोज का उत्तर सुनते ही उन्होंने सामान रखा तथा स्टेशन की ओर चले गए।
मनोज से रहा नहीं गया। उसके गुस्से का उफान था।
नगरपालिका के बोर्ड पर और समाजसेवी संस्थाओं पर कि शहर में जरूरत वाले स्थानों पर एक भी शौच स्थान नहीं है।
यह एक घटना नहीं है। यह एक कहानी नहीं है।
ऐसी कहानियां रोजाना घटती हैं और यहां के निवासी, पार्षद और समाजसेवी बहरे हो जाते हैं या.....।

घटना कथा- करणीदानसिंह राजपूत,
वरिष्ठ पत्रकार,
सूरतगढ़।
94143 81356

सोमवार, 19 जनवरी 2015

मेघवाल समाज कन्याछात्रावास धर्मशाला श्रीगंगानगर

समाज के लोगों से व जन प्रतिनिधियों के कोटे से धनराशि
विशेष रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत
मेघवाल समाज में भी पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा प्रसार के साथ आ रही जागृति से समाजसेवा की ललक और जोश पैदा हुआ है।
इसी जोश से श्रीगंगागनगर जिला मुख्यालय पर समाज का एक कन्या छात्रावास और धर्मशाला का निर्माण सदभावना नगर में हो रहा है।
किसी भी काम की शुरूआत में अनेंक परेशानियां आती हैं लेकिन जब वह काम पूरा हो जाता है तो समाज की आने वाली पीढिय़ों के लिए नई दिशाएं प्रदान करता है।
राजस्थान मेघवाल समाज के जिलाध्यक्ष परसराम भाटिया सूरतगढ़ की देखरेख में यह निर्माण हो रहा है।
विशाल भूखंड पर अभी कन्या छात्रावास के लिए 12 कमरे बनाए जा चुके हैं। जिलाध्यक्ष ने बताया कि कुल 24 कमरों का निर्माण होगा।
इसके पास ही अभी खाली पड़े परिसर में अलग से धर्मशाला का निर्माण होगा।
भाटिया ने बताया कि समाज के लोगों से व जन प्रतिनिधियों के कोटे से धनराशि प्राप्त कर निर्माण को चलाया गया है।



जिलाध्यक्ष परसराम भाटिया





सोमवार, 12 जनवरी 2015

रेल पटरी को कोई नुकसान नहीं है मकानों को हटाना अनुचित


विशेष टिप्पणी- करणीदानसिंह राजपूत
बीकानेर संभाग में रेलवे द्वारा अपनी सीमा के पास सालों से बने हुए तथा आबाद मकानों को अपनी सीमा में बतलाते हुए हटाने के नोटिस और कार्यवाही की जा रही है। सूरतगढ़ में भी ऐसे नोटिस जारी हुए हैं। मेरा सीधा सा तर्क है कि इन मकानों से क्या रेल पटरियों पर कोई असर पड़ रहा है? रेलवे गाडिय़ों के आवागमन पर कोई बुरा असर पड़ रहा है? रेलें चलाई नहीं जा सकती या कोई बाधा बा रही है?
इन सभी सवालों का उत्तर है कि रेल गाडिय़ों के संचालन में कोई बाधा नहीं आ रही है और ना रेलवे पटरी को कोई नुकसान पहुंच रहा है। आने वाले सालो में भी रेल पटरी कों किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचने की सुभावना नहीं है।
जब कोई नुकसान रेल पटरी को नहीं है और न रेल संचालन में कोई बाधा है तो फिर इन मकानों को हटाने की कोशिश कर लोगों को बरबाद करने का निर्णय क्यों किया गया है?
एक सूरतगढ़ में ही नहीं अन्य स्थानों पर भी यही हालात हैं।
मकान एकदम से नहीं बने तथा तीस चालीस साल पहले बने। इतने सालों तक रेल अधिकारी अपनी भूमि संपत्ति की सुरक्षा क्यों नहीं कर पाए? इतना ही नहीं अनेक मकानों के तो नगरपालिका ने अपनी भूमि मानते हुए पट्टे तक जारी कर दिए थे।
अब इतने सालों बाद रेलवे को भूमि चाहिए तो वहां से रेल पटरी तो निकाली नहीं जा रही है,सो जरूरी नहीं कि वही भूमि ली जाए। रेलवे नगरपालिका से उतनी ही भूमि रेल सीमा के पास में अन्यत्र ले सकता है।

शुक्रवार, 9 जनवरी 2015

नगरपालिका सूरतगढ़:समितियां गठित करने की मांग


18 पार्षदों ने पालिका अधिनियम के तहत कार्य संचालन वास्ते समितियां गठित करने की मांग की है।
खबर- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 9 जनवरी।
नगरपालिका अध्यक्ष से कार्य संचालन समितियां गठित करने की मांग की गई है। पालिका के नियमानुसार बोर्ड के गठन के तीन माह यानि 90 दिनों में इनका गठन हो जाना चाहिए।
ये समितियां निम्र हैं।
वित्त समिति,स्वास्थ्य स्वच्छता समिति,भवन अनुशंसा समिति,कच्ची बस्ती सुधर समिति,नियम और उप नियम समिति,अपराधों का शमन समझौता समिति है। नगरपालिका बोर्ड चाहे तो चार से अधिक समितियां गठित कर सकता है।
समितियां गठित करने की मांग निम्र पार्षदों ने की है।



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