गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

अरोड़वंश व सारस्वत ब्राह्मण धर्मशालाओं दुकानों का अवैध निर्माण:अवैध निर्माण तोडऩे की मांग:विशेष खबर - करणीदानसिंह राजपूत

अरोड़वंश की धर्मशाला का हो रहा गलत निर्माण

अरोड़वंश धर्मशाला आगे अतिक्रमण करके बनाई जा रही है। पास में मेढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार संघ की धर्मशाला की चारदीवारी से कितनी आगे है अरोड़वंश धर्मशाला।

सारस्वत ब्राह्मण धर्मशाला के आगे की ओर दुकानों का निर्माण

सारस्वत ब्राह्मण धर्मशाला की दुकानों का पिछे का बंद हिस्सा।
दोनों ही धर्मशालाओं पर अवैध निर्माण का आरोप:
कार्यवाहक अधिशाषी अधिकारी राकेश अरोड़ा पर शह देने के आरोप:
नगरपालिका बोर्ड की बैठक में पार्षदों ने घेरा व जवाब देना पड़ा:

सूरतगढ़, 22 दिसम्बर,2011. अरोड़ा व सारस्वत कुंडिया ब्राह्मण समाज की धर्मशालाओं के स्वीकृत और आवंटित भूखंडों पर गैर कानूनी रूप से सड़क की ओर दुकानों के निर्माण को लेकर नगरपालिका बोर्ड की बैठक में हंगामा हो गया। पार्षदों ने अधिशाषी अधिकारी राकेश अरोड़ा पर आरोप लगया कि उनकी शह और मिली भगती से ये अवैध निर्माण हो रहे हैं। नगरपालिका शहर में गरीबों के घरों को अतिक्रमण बतला कर तोड़ रही है, मगर धर्मशालाओं में बन रही दुकानों पर ना कोई रिपोर्ट है और ना कोई कार्यवाही है। पार्षदों राजाराम गोदारा,धर्मेन्द्र सोलंकी,परमजीतसिंह पम्मी,सत्यनारायण छींपा,नत्थूराम भाटिया ने आरोप लगाया कि धर्मशालाओं के नाम पर दुकानें बन रही है और अखबारों में समाचार छप रहे हैं। इतना कुछ होने के बावजूद नगरपालिका प्रशासन कोई कार्यवाही क्यों नहीं कर रहा है? गरीबों के मकानों को नगरपालिका अतिक्रमण बता कर तोड़ती रहती है और यहां पर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है?
    पार्षदों का यह भी कहना था कि बीकानेर रोड अत्यंत व्यस्त रोड है जिस पर धर्मशालाओं के आगे दुकानों के निर्माण से सड़क पर वाहनों आदि के खड़े होने से यातायात बाधित होगा व दुर्घटनाएं होंगी।
पार्षद इस बात को लेकर अड़ गए कि अधिशाषी अधिकारी साफ साफ जवाब दे और गुमराह करने की कोई बात नहीं कहे। पार्षदों के अड़ जाने पर और अधिशाषी अधिकारी से जवाब तलबी पर मेजों को थप थपाया गया और मांग कर रहे पार्षदों का समर्थन किया गया।
अधिशाषी अधिकारी राकेश अरोड़ा को इसका जवाब देना पड़ा।
अधिशाषी अधिकारी ने कहा कि निर्माण की स्वीकृति आवासीय और चेरिटेबल संस्थाओं को धर्मशाला निर्माण की स्वीकृति दी गई है और वहां पर गलत निर्माण हो रहा है तो उनके विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी। पार्षदों का कहना था कि गलत निर्माण आगे तुरंत बंद करवाया जाए व जो गलत हुआ है वह तुड़वाया जावे। इस बैठक की अध्यक्षता पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल कर रहे थे।
    शहर की अत्यंत व्यस्त प्रमुख बीकानेर रोड पर धर्मशालाओं में सड़क की ओर अवैध रूप में दुकानें बनाने का प्रकरण साप्ताहिक समाचार पत्र ब्लास्ट की आवाज ने 19 दिसम्बर के अंक में सचित्र प्रकाशित किया था जिसमें अधिशाषी अधिकारी पर आरोप लगाया गया था।
    नगरपालिका की बैठक के बाद शाम को भी इन धर्मशालाओं में दुकानों का निर्माण चल ही रहा था।
    अरोड़वंश धर्मशाला में दुकानों के निर्माण का आरोप तो लगा ही है। यह धर्मशाला सड़क की ओर सेटबैक खाली छोड़े जाने वाले स्थान पर अतिक्रमण करते हुए भी बनाई जा रही है। इससे सड़क के आगे की जगह और संकड़ी हो गई है। इसके पास में ही मेढ़ स्र्वणकारों की धर्मशाला के भूखंड की चारदीवारी बनी हुई है। उससे करीब दस फुट आगे तक लेते हुए अरोड़ वंश धर्मशाला का अवैध निर्माण चल रहा है। इस प्रकार से अरोड़वंश धर्मशाला में सड़क की तरफ की करीब आठ सौ वर्ग फुट भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। नगरपालिका की इस सड़क पर आगे हाल ही में हुई दुकानों की नीलामी की बोली के हिसाब से अतिक्रमण की जगह की कीमत ही करीब 8-10 करोड़ बनती है। आरोप है कि कार्यवाहक अधिशाषी अधिकारी राकेश अरोड़ा की शह पर ही यह हो रहा है।
    इस अतिक्रमण को रूकवाने और जानते हुए भी नगरपालिका को करोड़ों रूपयों का नुकसान पहुंचा रहे कार्यवाहक अधिशाषी अधिकारी को निलंबित कर जांच करने की मांग उठने लगी है। यह मांग इसलिए भी उठने लगी है कि पूर्व में नगरपालिका में भूमि घोटाले करने वाले अधिशाषी अधिकारी को भ्रष्टाचार निरोधक विभाग ने 21 दिसम्बर को गिरफ्तार न्यायालय में पेश किया जहां से उन्हे न्यायिक हिरासत में जेल भिजवाया गया है। इसके अलावा पूर्व में अधिशाषी अधिकारी रहे भंवरलाल सोनी पर भी भ्रष्टाचार के आरोप में प्रकरण दर्ज हैं। इसी तर्ज पर कार्यवाहक अधिशाषी अधिकारी राकेश अरोड़ा पर भी कार्यवाही की मांग उठने लग गई है।

रविवार, 11 दिसंबर 2011

कश्मीरी सेव जैसी सुंदरता का अहसास कराती नयनों को लुभाती लाल सुंदर बड़ बंटियां:



कश्मीरी सेव जैसी सुंदरता का अहसास कराती नयनों को लुभाती लाल  सुंदर बड़ बंटियां:
सूरतगढ़ में अनेक जगह ये शानदार बड़ बंटियां:
बड़ की छाया का, हवा का और इन बड़बंटियों को देखने का आनन्द लीजिए
करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 11 दिसम्बर 2011. कश्मीरी सेव जैसी सुंदरता अहसास कराती नयनों को लुभाती  लाल सुदर बड़ बंटियां सूरतगढ़ में अनेक स्थानों पर बड़ के पेड़ों पर लदी हुई हैं। उपखंड कार्यालय के आगे,कल्याण भूमि में व अन्य स्थानों पर बड़ के पेड़ों की दाया, हवा, और इन बंटियों को देखने का आनन्द लिया जा सकता है। बरगद, वट और बड़ के नाम से जाना जाने वाला यह पेड़ अनेक रोगों के ईलाज में काम आता है। इसके पास में बैठना भी बहुत लाभकारी है।
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मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

दारूडिय़ो -1

दारूडिय़ो
दारूडिय़ो कीं और ज्यादा भड़क ग्यौ-दारूडिय़ो तूं। दारूडिय़ो तेरो ईओ। दारूडिय़ो तेरो चेरमैन। दारूडिय़ो तेरो एमल्यो। साळौ सफेदपोस। आगै सूं मनै ना छेड़ी। बता दूंगा हां तेरी बणयौड़ी सीडी री बात। बलेकमेल करै।
बीचारो नेतो आपरो मूंडो ले र बेगो सो टप ग्यौ।
पतरकार बींरै खनै सूं दूर हटण लाग्यो जणा फेरूं बोल पड्यौ- अरे। पतरकार तूं कठै छापसी। तेरे खनै तो अखबार कठै है?


रेलवाई ठेसण रै सामी नेताजी री मूरती रै लारै पीरूं सिंझया रे बख्त री बात।
बठै जमावड़ो देख म्हूं भी जा र खड्यो हो ग्यौ। अेक जणो मूंधो पड्यौ कीं बड़ बड़ान लाग रयौ हो। बीं रै चारूं मेर खड्या लोग हँसी उडावता बातां करण लाग रया हा। अेक जणो बाईसीकल माथै अेक पग सड़क पर मेल्योड़ो खड्यो हो अर मोबाईल सूं फोटू लेवण लाग रयौ हो।
एक जणे सड़क माथै मूंधे पड्यै आदमी नै सीधो करयौ अर बोल्यो-देख तेरी फोटू उतारै है। मूंडो सावळ कर बैठ। तेरी फोटू छपसी।
बो अेक बार सामी झांक्यो अर बोल्यौ- अरे पतरकार। तूं म्हारी फोटू उतारै ह रै। थारै पतरकारां री फोटू छापसी म्हारै जिसा। छाप पतरकारां इैयो सागै सैटिंग करी।
बाईसिकल माथै खड्यो पतरकार बाईसिकल नै स्टैंड माथै खड़ी करी अर दारूडिय़े रै खनै जार कयौ-ओय दारूडिय़ा के बोले है रे। कुण लीया रै पीसा। कुण करी सैटिंग। थारै बाप करी कै।
दारूडिय़ो-पतरकार तूं है कै म्हूं हूं? अरे। तूं कींरो पतरकार। थनै सहर मांय री खबर भी पतौ नीं है। आच्छा आच्छा। आपरै बेली साथियां री फोटू कोनी छापै। तनै सरम आवै। नेड़े आजा बता दूं। मेरो नाम ना छाप दीजै।
पतरकार नेड़े ग्यौ।
दारूडिय़ै कयौ। कान लगा। अ लोग बाग सुण लैसी।
अेक जणे कहयौ- तेरो कै बिगडै है? नाम तो पतरकारां रा सामी आसी।
दारूडिय़ै- ना। मेरे चढ्योड़ी कोनी। सगळा रे सामी कोनी बताऊं।
दो चार जणा- सगळा रै सामी क्यूं नीं बतावै?
दारूडिय़ौ-ईज्जत है बींयारी ईज्जत है। इत्ती कोनी पीयोड़ी।
पतरकार दारूडिय़े रै मूंडै सारै कान लगायो।
दारूडिय़ो- बडा बडा अखबार। बडी बडी खबरां गा यब। समूची गा यब। ना फोटू ना खबर। करोड़ां रा महळ अर बाजार खड्या होवण लाग रैया है। गरीब री झोंपड़ी गिरावै जणा छापै कै करोड़ां रो कबजो छुडायौ। झौंपड़ी करोड़ां री अर महळ बाजार धेले रा। सुण पिछाण लै पतरकारां नै।
इतै म एक सफेद झक चोळे पाजामै आळो नेतो पूंच्यो अर पतरकार नै कयौ- पतरकार जी थै तो समझदार हो कठै दारूडिय़े सागै मगजमारी करण लाग रया हो।
दारूडिय़ो भडक ग्यौ-ओ। ओ। नेता। दारूडियौ कींया कयौ?
नेता- साळा चुप कर। दारूडियो और कहसूं दारूडिय़ो।
दारूडिय़ो कीं और ज्यादा भड़क ग्यौ-दारूडिय़ो तूं। दारूडिय़ो तेरो ईओ। दारूडिय़ो तेरो चेरमैन। दारूडिय़ो तेरो एमल्यो। साळौ सफेदपोस। आगै सूं मनै ना छेड़ी। बता दूंगा हां तेरी बणयौड़ी सीडी री बात। बलेकमेल करै।
बीचारो नेतो आपरो मूंडो ले र बेगो सो टप ग्यौ।
पतरकार बींरै खनै सूं दूर हटण लाग्यो जणा फेरूं बोल पड्यौ- अरे। पतरकार तूं कठै छापसी। तेरे खनै तो अखबार कठै है?
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दारूडिय़ा घणी बार इसी इसी बातां कह जावै जिका दूजा नीं कह सकै। दारूडिय़ा रै खनै ना जाणै कठै कठै सूं आ जावै अंदर की बातां। नुंई नुंई बातां। उडीक राखां हो क अगळी मुलाकात दारूडिय़े रै सागै कठै होवे? कीसे सहर मांय होवै।
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करणीदानसिंह राजपूत
राजस्थान सरकार सूं अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार
23, करनाणी धरमशाला,
सूरतगढ़। राजस्थान
पिन 335 804
मो- 94143 81356
दिनांक 6 दिसम्बर 2011.

रविवार, 4 दिसंबर 2011

पालिकाध्यक्ष बनवारी निर्दोष-सीडी तो सिपाही रोहिताश की है- विधायक गंगाजल मील

अनुसूचित जाति बाजीगर महिला से बलात्कार,यौन शोषण, गर्भपात का मामला:
नगरपालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल,पार्षद पति ओम साबनिया और सिपाही रोहिताश आरोपी है:

इस प्रकरण में सबसे कमजोर कड़ी सिपाही रोहिताश है:
करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 4 दिसम्बर 2011.विधायक गंगाजल मील ने कहा कि नगरपालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल तो निर्दोष है, लैब में भेजी गई सीडी तो सिपाही रोहिताश की है। विधायक मील ने तीन दिसम्बर को सुबह 11-28 बजे मोबाईल फोन पर यह महत्वपूर्ण जानकारी दी। मील ने स्वयं कॉल करके उक्त जानकारी देते हुए नगरपालिका अध्यक्ष बनवारीलाल को निर्दोष  बताया ।
विधायकजी से जब कहा गया कि बनवारीलाल निर्दोष है तो इस मामले का निस्तारण जल्दी से करवाएं। यह मामला रूका सा पड़ा है। बनवारीलाल निर्दोष है तो फिर पुलिस ने बनवारीलाल पर तलवार क्यों लटका रखी है? यह तलवार उसके सिर के ऊपर से जल्दी से जल्दी हटाई जानी चाहिए। जिला पुलिस अधीक्षक से कह कर जांच का परिणाम आऊट करवाएं।
मील साहेब ने कहा कि वे इस बाबत एसपी से बात करेंगे- आपके सामने बात कर लेंगे।
यह प्रकरण अदालत के आदेश पर सूरतगढ़ सिटी थाने में 7 अक्टूबर 2010 को दर्ज हुआ था और मील ने 12 अक्टूबर को प्रेस कान्फें्रस में बनवारीलाल मेघवाल को निर्दोष बता दिया था। मील ने कहा था कि बनवारीलाल को तो फंसाया गया है।
    विधायक मील ने मोबाईल पर बताया कि बलात्कार प्रकरण में जो सीडी है वह तो उस सिपाही रोहिताश की है। जिसको लैब में जांच के लिए भेजा हुआ है।
 इस बात से एक संभावना नजर आ रही है कि इस सारे प्रकरण में उक्त सिपाही ही सबसे कमजोर कड़ी है। पीडि़ता के इस्तगासे में भी सबसे अधिक आरोप सिपाही पर ही लगाये हुए हैं। हालांकि बनवारीलाल व ओम साबनिया को भी यौन शोषण में बराबर का भागीदार बताया गया है। इसमें बनवारीलाल मेघवाल और पार्षद पति ओम साबनिया दोनों राजनैतिक व्यक्ति है। बनवारीलाल के निर्दोष होने का मील कह ही रहे हैं और ओम साबनिया के कहने पर ही पीडि़ता ने यह प्रकरण दर्ज करवाया था। ओम साबनिया के कहने का उल्लेख पीडि़ता ने खुद ने ही अदालत में दायर किए अपने इस्तगासे में लिखा है। इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग बार बार दोहराई जाती रही है। भाजपा ने भी निष्पक्ष जांच करने और दोषी पर मुकद्दमा चलाने की मांग को लेकर आंदोलन किया था, और 3 जनवरी को धरना उठानेके बाद से उसके नेता चुप हैं।
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शनिवार, 3 दिसंबर 2011

करणी की बात:12- रेलें जनता के लिए है या जनता रेलों के लिए है?

रेलों को तानाशाही तरीके से बंद करने की घोषणाओं के बाद यह प्रश्र पैदा हुआ है?
ऐसा लगता है कि ये आदेश भारतीय रेल विभाग की ओर से जारी नहीं हुए बल्कि अंग्रेजी शासन के रेल विभाग ने भारतीयों के लिए जारी किए हैं।

करणीदानसिंह राजपूत

राजस्थान के सीमांत जिले श्रीगंगानगर से हरिद्वार और इंटरसिटी और दिल्ली आवागमन की आभा तूफान रेलों को धुंध के कारण बंद करने का रेलवे विभाग का आदेश इस वर्ष भी जारी हो गया है जिसका विरोध हो रहा है। जनता के विरोध को रेल विभाग हर साल अनसुना करता है, इसलिए इस बार भी वहीं करेगा। रेलों को तानाशाही तरीके से बंद करने की घोषणाओं के बाद यह प्रश्र पैदा हुआ है, कि रेलें जनता की सुख सविधा से यात्रा करने के लिए है या जनता रेल विभाग की सुख सुविधा के लिए है? यह प्रश्र मैं जनता के बीच में तथा राजनैतिक व सामाजिक संगठनों के बीच में इसलिए रख रहा हूं कि आजतक इस मूल महत्वपूर्ण प्रश्र पर मंथन नहीं हुआ और ऐसा सोचते हुए कोई कार्यवाही नहीं हुई। हर साल रेल विभाग बिना किसी से विचार विमर्श किए तानाशाही तरीके से आदेश जारी कर देता है। ये आदेश रेल विभाग के चंद अधिकारियों कील सोच पर आधारित होते हैं।
ऐसा लगता है कि ये आदेश भारतीय रेल विभाग की ओर से जारी नहीं हुए बल्कि अंग्रेजी शासन के रेल विभाग ने भारतीयों के लिए जारी किए हैं। इन आदेशों से रेलें बंद कर दिए जाने के बाद आम जनता किन साधनों से यात्रा करेगी और वह कितनी महंगी होगी? यह सोचना इन अग्रेजों  के लिए जरूरी नहीं है। हमारे प्रशासनिक अधिकारियों की सोच आज भी नहीं बदली। वे लोकतांत्रिक भारत के होते हुए नहीं सोचते। इन अधिकारियों की सोच बदलने की कार्यवाही हमारे चुने हुए जनप्रतिनिधि भी नहीं करते। जन प्रतिनिधियों की राय लेना तक रेल अधिकारी उचित नहीं मानते। इसलिए रेलवे के अधिकारियों को उस स्तर तक मजबूर किया जाना चाहिए कि वे जब भी कभी रेलों के बारे में निर्णय करें तो उससे पहले जन प्रतिनिधियों व उस इलाके की जनता और संगठनों से राय जरूर करे।
रेल विभाग के एक तरफा आदेश निरस्त होने चाहिए और इन रेलों का संचालन पूर्व की भांति शुरू होना चाहिए।
करणीदानसिंह राजपूत
राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार,
मोबा. 94143 81356
दिनांक- 3 दिसम्बर 2011.

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