नेता जी की न्यूज कहानी :करणीदानसिंह राजपूत.
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उसके मालिक पर काफी समय करीब 12 महीने से कोई बड़ी को छोड़, छोटी सी न्यूज भी नहीं लगी तब उसका गुस्सा होना तिलमिलाना स्वाभाविक ही लग रहा था। सच तो यही था। उसे बुरा इसलिए भी लग रहा था कि उसने पत्रकार को ठंडा पिलाया था और दुबारा भी आग्रह किया था। बारह महीनों से न्यूज नहीं लगा पाना पत्रकार का दोष है। लेकिन पत्रकार न्यूज क्यों नहीं बना पाया? कोई काम मालिक कहीं कर देते या दो मिनट कहीं बोल भी देते तो न्यूज बन जाती। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। लेकिन फिर भी पत्रकार चाहता तो न्यूज लगा देता कहीं नामों में नाम ही अटका देता। कमसे कम नाम ही अटका देता कि फलां नेता भी कार्यक्रम में शामिल थे। कभी उनका भी नाम था। रोजाना फोटो छपते। समय आया और चला गया। अब न फोटो न न्यूज। नौकर को मलाल हो तो यह निश्चित ही है कि नेताजी को भी मलाल हो रहा था। नेताजी को मलाल यह भी हो रहा था कि आखिर गलती कहां हो रही है। आखिर पत्रकार की गलती निकाल ली। यह तो पत्रकार को देखना चाहिए। एक एक पर नजर दौड़ानी चाहिए। नेताजी खड़े हैं तो नाम और फोटो दोनों ही छपे। नाम न्यूज में था नहीं और फोटो ऐसे कोण से लिया हुआ छपा जिसमें आगे कोई खड़ा था और नेताजी की खोपड़ी के केश ही दिख रहे थे।
नेताजी का धैर्य एक दिन टूट ही गया। उन्होंने पत्रकार के साथी से कह दिया। वापस घूम कर बात नेताजी तक लौटी। अब कोई अवसर आया तो यह शिकायत नहीं रहेगी। फोटो भी छपेगी और न्यूज भी छपेगी। पंद्रह बीस दिन बीते महीना बीत गया। न फोटो न न्यूज। नेताजी ने एक दिन किसी के सामने कह दिया।
अगले दिन फोटो भी छपी और न्यूज भी। चुनाव का समय था। नेताजी विरोधी पार्टी के नेता के साथ मधुर भाव में वार्ता में मग्न। कैप्सन लिखा था "बारह घंटे पहले खास मिलन खास बातचीत" नेताजी ने सिर पीट लिया। पता नहीं लग रहा था कि गलती कहां हो रही है? और यह फोटो कब किसने खींच कर पत्रकार तक पहुंचाया?
नेताजी ने अपने खास चहेते सारे दिन साथ रहने वाले व्यवस्था संभालने वाले से ही पूछ लिया। उसने सारा सच्च बताया। कुछ ज्यादा चढ गई थी। पत्रकार जी ने प्यार से पूछा सो बता दिया और प्रूफ में मोबाइल से फोटो दिखाई जो उन्होंने मांगी सो उनके मोबाइल पर भेज दी।
नेताजी की परेशानी और बढी कि एक जेबी डायरी नहीं मिल रही थी।
नेताजी पत्रकार के साथी के पास पहुंचे और मिन्नते करते हुए कहा कि कुछ दे दा कर पत्रकार जी से डायरी दिलवादो।
दारू के नशे में वो बेवकूफ डायरी भी दे आया। नेताजी का दिन बेचैनी में बीता रात नींद गायब रही। सूरज उगते ही नेताजी ने पत्रकार को फोन किया।" आपसे मिलना है। बहुत दिन हो गये मिले नहीं।" उसके बाद नेताजी पत्रकार से जा मिले। नेताजी बोले,मुझे माफ करो."आप लिखते सच्च हो"।
* 17 अक्टूबर 2024.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
(राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356
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