रविवार, 24 जनवरी 2016

नेताजी गुरूशरण छाबड़ा के बिना मनाई गई नेताजी सुभाष की जयंती:


लोगों व समाजसेवी संस्थाओं के पास दान करने को एक कागज का टुकड़ा नहीं था
- करणीदानसिंह राजपूत -
गुरूशरण छाबड़ा शराबबंदी की माँग पर दृढ मरणव्रत पर थे और दानी महादानी मेरे शहर के लोगों व समाजसेवी संस्थाओं के पास दान करने को एक कागज का टुकड़ा नहीं था। करोड़पति लोगों को कागज पर शराबबंदी के लिए सरकार को लिख कर ही देना था कि छाबड़ा जी के अनमोल जीवन को बचाए व उनके साथ जो समझौता हुआ है वह लागू करे। छाबड़ा कोई राजनीति नहीं कर रहा था और न उसको चुनाव लडऩा था। केवल समाज को सुधारने का एक संकल्प जिससे वर्तमान समाज और आगे की पीढिय़ां बरबाद होने से बचने वाली थी। छाबड़ा मेरा मित्र और मैं उनके कई आँदोलनों में सहयोगी था और इलाके के अनेक लोग उनके साथी रहे थे। शराबबंदी के लिए छाबड़ा जी मरणव्रत पर जयपुर में बैठे थे। उनकी दशा की सूचनाएं पल पल की आती रहती थी। मैंने केवल समाचार के लिए कार्य नहीं किया था। मैं लोगों से लगातार अपील पर अपील कर रहा था कि लोग व संस्थाएं जल्दी से जल्दी लिख कर सरकार को सचेत करें ताकि जल्दी से कोई कदम उठाकर छाबड़ा जी के जीवन को बचाया जाए।
संरतगढ़ के नामी गिरामी लोगों की समाजसेवी कहलाने वाली संस्थाएं और उनके संचालकों व कार्यकर्ताओं को केवल पत्र लिख कर स्थानीय अधिकारियों एडीएम या एसडीएम को ही सौंपना था लेकिन किसी के पास कागज का एक टुकड़ा नहीं था। मैंने न जाने कितने समाचार रपटें सचित्र इन संस्थाओं की छपवाई और समय भी दिया लेकिन इन्होंने छाबड़ा के जीवन के लिए पल भर का समय नहीं निकाला। संस्थाएं तो सर्दी गर्मी से बचाने के लिए ही दान करने में लगी रहती है लेकिन छाबड़ा तो सारा जीवन बचाने को संकल्प पर थे। उनको कुछ भी मिलने वाला नहीं था। वे तो अपनी देह भी दान कर चुके थे। उनके जाने के बाद उन्हीं के विधायक कार्य काल में खुले राजकीय महाविद्यालय का नामकरण उनके नाम पर किए जाने की बात सरकार ने स्वीकारी थी। छाबड़ा का ही प्रयत्न था जिसके कारण यहां पर राजकीय महाविद्यालय खुल पाया था वरना  सरकारी क्षेत्र में महाविद्यालय खोलने को सरकार राजी ही नहीं थी।
गुरूशरण छाबड़ा का सूरतगढ़ से लगाव था और उन्हीं के विधायक काल में रेलवे स्टेशन के आगे नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की प्रतिमा स्थापित की गई थी और शहीद भगतसिंह की बहन ने प्रतिमा का लोकार्पण किया था। छाबड़ा जी जब भी जयपुर से सूरतगढ़ आते तब इस प्रतिमा को नमन करने के लिए जरूर पहुंचते। गुरूशरण छाबड़ा को भी उनके आदर्श एवं संघर्षशील व्यक्तित्व के कारण नेताजी पुकारा जाने लगा था।
महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के जीवन की गुप्त रखी गई पत्रावलियों को प्रधानमंत्री सार्वजनिक कर रहे थे लेकिन सुभाष की इस जयंती पर इलाके के नेताजी गुरूशरण छाबड़ा इस दुनिया में नहीं थे।

तुम्हें देखेंगे तुम्हारी तस्वीर से :कविता





तुम्हें देखेंगे तुम्हारी तस्वीर से
तुमसे बोलेंगे तुम्हारी तस्वीर से
तुमसे मिलेंगे तुम्हारी तस्वीर से।

तुम्हारी तस्वीर में खूबी है
मेरे हां कहने से हां कहेगी
मेरे ना कहने से ना।

तस्वीर का न दिन होगा न रात
हर दम हर समय होगी मेरे साथ
वह हंसेगी मुस्कुराएगी मेरे संग ।

मेरे लब मिलेंगे तस्वीर के लबों से
समय की कोई सीमा नहीं होगी
मेरे चाहने तक चिपटी रहेगी।

मेरे तुम्हारे मिलन पर पहरे संभव
तस्वीर से मिलन पर होंगे असंभव
अच्छा है जल्दी से तस्वीर भेज दो।

तुम्हारी तस्वीर मेरे सामने होगी
मेरी तस्वीर तुम्हारे सामने होगी
आगे तुम्हारी मेरी सोच होगी।

तस्वीरों के जरिए प्रेम कहानी
धीमे धीमे आगे बढेगी
यह तुम जानोगी मैं जानूंगा।


- करणीदानसिंह राजपूत,
विजयश्री करणी भवन,
सूर्यवंशी विद्यालय के पास,
मिनि मार्केट,सूर्याेदयनगरी,
सूरतगढ़।

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शनिवार, 23 जनवरी 2016

कांग्रेस के धनपति नेताओं के पास न समय है न संघर्ष का मादा :


अपने अपने व्यवसायों में लगे हुए हैं भाजपा के विरूद्ध मोर्चा कौन खोले?
जनता ही अन्न पैदा करे,पीसे,पकाए और कांग्रेसी नेताओं के मुह में डाले:
- करणीदानसिंह राजपूत -
राजस्थान में भाजपा की वसुंधरा राजे की मुख्यमंत्री वाली सरकार के 2 साल पूर्ण होने पर जयपुर में समारोह आयोजित होने पर कांग्रेस के जयपुर से लेकर ठेठ ग्राम तक के नेताओं ने खूब पेट कूटे तथा हाय तौबा मचाई। एक दो दिन तक पेट कूटा गया और उनके समाचार अखबारों में छपे व चेनलों पर आए। इस एक दो दिन के बाद कांगे्रस के नेताओं की कहीं आवाज तक सुनाई नहीं पड़ी। पेट कूटने में इतने थक गए कि अभी तक वह थकावट नहीं उतरी है।
असल तस्वीर यह भी है कि कांग्रेस के नताओं के पास में खूब धन दौलत है लेकिन उनके पास संघर्ष के लिए मादा यानि ताकत नहीं है जो वे लोग सड़कों पर उतर जाएं। इसकी चेतावनी जरूर समय समय पर देते रहते हैं लेकिन भाजपा उसे केवल भभकी मानती है। कांग्रेस के नेताओं के पास में समय भी नहीं है कि वे संघर्ष कर सकें। वे अपने समय का सदुपयोग जनता के लिए नहीं करते बल्कि अपने व्यवसायों को बढ़ाने में और अधिक धन कमाने में लगाते हैं।
अपने आसपास के कांग्रेसी नेताओं पर नजर डाल कर देखलें ओर ज्यादा ही प्रमाण चाहिए तो किसी को मुद्दों पर संघर्ष करने का कह कर देखलें कि क्या जवाब मिलता है?
कांग्रेस के छोटे नेताओं को भी देख लें जो कहीं पर पार्षद हैं या कहीं पर सरपंच पंच या पंचायत जिला परिषद के डायरेक्टर हैं। उनमे अधिकांश भाजपा के दुमछल्ले बने मिलेंगे। भाजपा जो चाहे वह इनसे लिखवा लेती है और ठेकेदारी में चुग्गा डाल कर अपना पिछलग्गू बना लेती है।
ऐसे में कांग्रेस के नेताओं के जो प्रेस वक्तव्य आते हैं वे एक दिन बाद रद्दी बन जाते हैं।

शुक्रवार, 22 जनवरी 2016

खेचळ अर खेचळ:राजस्थानी रे नामी रचनाकार मनोजकुमार स्वामी री आत्मकथा:


मनैं लागै है के इण जिसी आत्मकथा हिन्दी रे नामी लिखारां की भी नईं मिली।भगवान जाणै कित्ता दरद दरद दरद अर कित्ती कित्ती अबखाईयां आगे अर आगे मनोज सहन करतो रैसी। मनोज भी करड़कूं  मांय जिको लिख्यो है बो आपरै सांमी है।
मनोज आपरो दिल दिमाग खोल दिया अर म्हूं म्हारे जिसी दिल मांय लागी बिसा सबदां मांय परोस दी आ किताब लोगों रे सामीं।

 करणीदानसिंह राजपूत

मंगलवार, 19 जनवरी 2016

राजस्थान मीसा रासुका पेंशन स्टे टूटा:पेंशन मिलने लगेगी:


आपातकाल 1975 में जेलों में रहे थे:सूरतगढ़ के जूझारू भी थे:
-स्पेशल न्यूज-
सूरतगढ़,19 जनवरी 2016.
राजस्थान में आपातकाल के बंदियों को दी जा रही पेंशन पर एक रिट पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी जो आज हटा दी गई।
इस रिट पर 18 जनवरी को दोनों पक्षों की ओर से बहस हुई तथा अपनी अपनी दलीलें दी गई।
आज उच्च न्यायालय ने रोक हटा दी।
माकपा के लक्ष्मण शर्मा और कांग्रेस के बलराम वर्मा ने इस रोक के हटाए जाने पर प्रसन्नता प्रगट की है। दोनों नेता आपातकाल में जेल में बंद थे। इनके अलावा भी दस कार्यकर्ता रासुका में बंद थे। सूरतगढ़ से शांतिभंग के आरोप में भी आपातकाल में कई जने जेल में बंद रहे थे। उनकी मांग भी पेशन की सरकार के विचाराधीन है।

रविवार, 17 जनवरी 2016

प्रीत की दावत में तुम आओ :कविता





तुम्हारा एकाकी जीवन
खारे स्वाद का समंदर
मिलन से मीठा होता
समय आया था ऐसा।

दोनों थे आमने सामने
निकल रही थी पुरानी
बातें रसीली सुरीली
सालों साल पुरानी।

हर बात में चेहरों के
छुपे रूप दिख रहे थे
कौन कितना चतुर था
सामने आ रहा था।

एक रूप था सामने का
बड़े अच्छे रिश्तों का
दूसरा रूप था परदे का
उसका सच्च और था।

परदे का रूप लचीला
मिलन को उकसाता
उसका आकर्षण अजब
बस लिपटा ही जाता।

रिश्तों में नए रिश्ते
बनते देह मिलन के
अजब गजब कैसे कैसे
नित सामने आते।

उनके मोह लालसा
दूर रूकने नहीं देते
आपस में गडमड
कर देते मिलते ही।

पुराने रिश्तों का आदर्श
नई परिभाषा से दब जाता
नया मिलन और देह सुख
नया नाम दे जाता।

तुम्हें बता दिए रिश्ते
नए नाम नए आदर्श
प्रीत की दावत में तुम
आओ वह इंतजार है।

तुम्हारी तस्वीर से बातें
होंगी दिन हो या रात
तस्वीर को सुनाते रहेंगे
अपने दिल की कहानी।

- करणीदानसिंह राजपूत,
विजयश्री करणी भवन,
सूर्यवंशी विद्यालय के पास,
मिनि मार्केट,सूर्याेदयनगरी,
सूरतगढ़।
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गुरुवार, 14 जनवरी 2016

ईओ पृथ्वी जाखड़ व राजाराम गोदारा के विरूद्ध वकील सिद्धु के बयान दर्ज:



सूरतगढ़ नगरपालिका में करोड़ों के घोटालों के आरोप:परिवाद सं 314/15.
पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु ने नवम्बर 2015 में परिवाद पेश किया था:

स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़ 14 जनवरी 2016.
ईओ पृथ्वीराज जाखड़ और पूर्व पार्षद राजाराम गोदारा के विरूद्ध घोटाले व षडय़ंत्र कर फर्जी दस्तावेजों से नगरपालिका सूरतगढ़ को करोड़ों रूपए की हानि पहुंचाने के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में परिवादी स.हरचंदसिंह सिद्धु के बयान 14 जनवरी को दर्ज हुए हैं।
पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु ने नवम्बर 2015 में ब्यूरो के जयपुर कार्यालय में कई दस्तावेजी सबूतों के साथ परिवाद पेश किया था। ब्यूरो के अपर पुलिस अधीक्षक ने बयान दर्ज किए।
उक्त परिवाद में राजाराम गोदारा के परिवार के मकानों,बीकानेर रोड की संतोषी माता मंदिर के पास की दुकानों,कॉलोनी,पालिका में ठेकों आदि में घोटालों के आरोप लगाए हुए हैं। सिद्धु ने बयान में अपने आरोपों को दोहराया।
आरोप यह भी लगाया गया कि पृथ्वी राज जाखड़ व राजाराम गोदारा एक ही ग्राम रामसरा जाखड़ान के रहने वाले हैं तथा सूरतगढ़ में दोनों ने घोटाले किए हैं। पृथ्वीराज जाखड़ वर्तमान में रावतसर में नियुक्त है।

रविवार, 10 जनवरी 2016

तुम रूप की डली सांवली मनमोहिनी:कविता




तुम रूप की डली
सांवली मनमोहिनी देह
मद बिखरता यौवन
जब पहली बार देखा।
नजरें छुपा छुपा कर
दीदार किया करता
कोई देख न ले
बच कर भी रहता।
तुम्हारी पायल के घुंघरू
दिल में हलचल मचाते
जब निकलती आगे से
बस कुछ बाकी न रहता।
तुम मुस्कराती मंद मंद
चंदा तारों से खेलता
छू लूं देह कैसी है
दिल मचलता रहता।
तुम्हारे हुस्न के चर्चे
सुन सुन मैं खुश होता
हर चर्चा को चुपके से
दिल में संजो लेता।
तुम्हें अन्दाजा तो होगा
कोई हद से ज्यादा
तुमको चाहता है
ऐसी नजरें छुपती नहीं।
एक बात कहूं दिल से
तुम रूप की डली हो
कोई नहीं दूजी तुमसी।
समंदर का तूफान और
जवानी का उफान
इनसे बचना मुश्किल

जमाना यह कहता है।
यह सच्च मैं भोग रहा हूं
तुम्हारी मीठी बातों में
मैं चिपका हूं कब से
कितना रस है मधु जैसा।

 - करणीदानसिंह राजपूत,
विजयश्री करणी भवन,
मिनी मार्केट,
सूर्याेदय नगरी,सूरतगढ़।
94143 81356.
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बुधवार, 6 जनवरी 2016

पुस्तक मनुष्य का निर्माण करती है-साहित्यकार डा.कृष्ण आशू- पुस्तक प्रदर्शनी

 


सूरतगढ़ 6 जनवरी 2015- पुस्तक प्रदर्शनी एवं साहित्य समारोह के पांचवें समापन दिवस पर मुख्य अतिथि डा. कृष्ण कुमार आशू ने कहा कि पुस्तकें मनुष्य का निर्माण करती हैं संस्कार देती हंै। आप भले ही ही मंदिर या किसी भी धार्मिक स्थान पर नहीं गए हों लेकिन पुस्तकालय गए हों तो आपका जीवन सार्थक है।
डाक्टर मंगत बादल ने कहा कि लिखे हुए अक्षरों की कीमत सदैव रहती है। इसकी बराबरी व्हाटसअप या फैसबुक नहीं कर सकते।
वरिष्ठ कवि जनक राज पारीक ने गीत प्रस्तुत कर समाबांधा।
इस समारोह में मुख्य अतिथि भारत विकास परिषद के डा.के.एल बंसल थे। समारोह की अध्यक्षता व्यापार मण्डल सचिव दर्शन भगत परनामी ने की। संयोजन राजेश चड्ढा का था।


समापन समारोह से पहले टैगोर महिला बीएड कॉलेज की छात्राअध्यापिकाओं ने कार्यक्रम में भाग लिया।
इस मौके पर व्याख्याता महेन्द्र सिंह शेखावत, मनोजकुमार स्वामी ने अपने विचार रखे।

डा.भरत ओळा की 4 पोथियों का विमोचन:पुस्तक प्रदर्शनी सूरतगढ़:


- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़ 5 जनवरी 2016.
बोधि प्रकाशन की पुस्तक प्रर्दशनी में राजस्थानी हिन्दी के जानेमाने साहित्यकार डा.भरत ओळा की चार पोथियों घुळगांठ माथै घुळगांठ,कित्ती कहाणी खत्म,भरत ओळा की चुनिन्दा कहाणियां और गोगा गाथा का एक साथ विमोचन किया गया। इस कार्यक्रम में अध्यक्षता कृष्ण स्याग ने की एवं मुख्य अतिथि मालचंद तिवाड़ी व विशिष्ट अतिथि मोहनजी डेलू,पूर्ण शर्मा पूरण और रामेश्वर गोदारा थे।

 पत्र वाचन पूर्ण शर्मा पूर्ण नें किया।
 मुख्य अतिथी के रूप में मालचंद तिवाडी नें कहा कि कहानी लिखना किसी सच को परोसना नहीं है। पहले कहानीकार  घटना को अंगीकार करता है तब पाठको के सामने रखता है। ओळा अपने आस-पास के वातावरण के परिचित है। वे अपने आस पास मटियां मेंट हो चुके पात्रों में से कथानक उठाकर सृजन करते है। इनका सपना है राजस्थानी कहानी को विश्व स्तर पर स्थापित कर देना। 
 लेखक भरत ओळा नें अपनी रचना प्रक्रिया पर प्रकाश डाला।

सोमवार, 4 जनवरी 2016

ओम पुरोहित कागद राजस्थानी कवि:सूरतगढ़ पुस्तक प्रदर्शनी:


- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़ 4 जनवरी 2016.
पांच दिवसीय साहित्य समारोह के चौथे दिन रचनाकार से मिलिए कार्यक्रम के तहत राजस्थानी के सिरमौर कवि ओम पुरोहित कागद से भेंट करवाई गई। कागद ने अपने जीवन के हर पहलू और रचना यात्रा का विस्तृत वर्णन किया।
पुरोहित ने बहा कि पत्रकार और लेखक एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और दोनों रचनाधर्म निभाते हैं। ऐसे लोग भी हैं जो दोनों धर्म एक साथ भी निभाते हैं।
उन्होंने कहा कि लेखक व पत्रकार को पैसे के बल पर स्तुतिगान करते हुए चापलूसी का धर्म नहीं निभाना चाहिए। जो सच्च है उसी का लेखन करना चाहिए। लेकिन आज पैसे वालों व राजनैतिक लोगों के लिए लिखा जाने लगा है जो समाज के लिए और राष्ट्र के लिए घातक है।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सोहनलाल रांका ने की एवं मुख्य अतिथि लाजपतराय भाटिया थे। कार्यक्रम का संयोजन राजेश चड्ढा ने किया।
ओम पुरोहित की एक रचना 35 वर्ष पहले श्याम चुघ के अखबार शाश्वत सत्य श्रीगंगानगर में 15 दिसम्बर 1980 में छपी थी जो यहां फोटो पेश है। डाकघर की मुहर देखें जो 16 दिसम्बर की लगी हुई है। यह अखबार मेरे संग्रह में मौजूद था।




 

रविवार, 3 जनवरी 2016

राजस्थानी उपन्यास खिन्डता मोती का विमोचन


सूरतगढ़ 4 जनवरी- पांच दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी व साहित्यिक आयोजन की कड़ी में दूसरे दिन आकाशवाणी के वरिष्ठ उदघोषक बीरू राम चावरियां के राजस्थानी उपन्यास खिन्डता मोती का विमोचन कार्यक्रम हुआ।
 विमोचन समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार करणीदानसिंह राजपूत ने की एवं अध्यक्षीय उदबोधन में इस उपन्यास में ग्रामीण अंचल की सभ्यता व संस्कृति की बारीकियों के उल्लेख की सराहना की।
मुख्य अतिथी डाक्टर जितेन्द्र बोगिया ने कहा कि उहोंने पत्र वाचव को सुना है और इसमें बखान हुई विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए चाहेंगे कि इससे समाज में नई करवट आएगी।
इस कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि मनोजकुमार स्वामी व प्रहलादराय पारीक थे। उपन्यास पर पत्र वाचन मांगीलाल शर्मा ने किया। बलराम कुक्कडवाल ने कार्यक्रम  का  संचालन किया।
कार्यक्रम को सांस्कृतिक आयाम देते हुए हरीश स्वामी, इन्द्र सैन सिंह बैंस, रेणु स्वामी ने गीत प्रस्तुत किए।
मंचासिन अतिथियों के अलावा राजेश चावरियां व डूंगर राम गेधर ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए खिंडता मोती उपन्यास को राजस्थानी भाषा का सशक्त उपन्यास बताया।

शनिवार, 2 जनवरी 2016

सूरतगढ़ में 5 दिवसीय साहित्य समारोह:2016


बोधि प्रकाशन की ओर से पुस्तक प्रदर्शनी:

सूरतगढ़,2 जनवरी 2016.
राजस्थानी साहित्य पे्रमियों की ओर से यहां 5 दिन का साहित्य समारोह का आयोजन किया गया। चौपड़ा धर्मशाला में आयोजित इस समारोह में पहले दिन पहले कार्यक्रम में पुस्तक प्रदर्शनी का उदघाटन हुआ। प्रदर्शनी का उदघाटन समाजिक चिंतक दिलातम प्रकाश जैन,रोटेट के संस्थापक डा.सुशील जेतली और जेलर प्रभुसिंह चौहान ने किया। इस कार्यक्रम का संयोजन महेन्द्रसिंह शेखावत ने किया। 



......
दूसरे सत्र में मनोजकुमार स्वामी की आत्म कथा राजस्थानी पोथी का 


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