138 की सूची में से 103 नाम हटा दिए गए: अब 34 लोगों के नाम से 7 दिन का नोटिस जारी किया गया:
सूरतगढ़ में से गुजरता हुआ राष्ट्रीय उच्च मार्ग नं 15 प्रभावशाली पैसे वालों व राजनीतिज्ञों के लिए हीरों की खान साबित हुआ है तथा यहां पर बहुत बड़े बड़े व्यावसायिक कॉम्पलेक्स बना लिए गए। प्रत्येक कॉम्लेक्स की कीमत एक दो करोड़ से चार पांच करोड़ तक हैं। यहां पालिका की नीलामी में छोटे से छोटी दुकानों के भूखंड बीस से पचीस लाख तक हैं। उच्च मार्ग पर एक भूखंड करीब अस्सी लाख से एक करोड़ तक का है। अतिक्रमण कारियों ने दुगने तिगुने से लेकर दस पन्द्रह गुना तक बड़े बड़े भूखंडों पर शापिंग कॉम्पलेक्स बना रखे हैं। चार दीवारियां बना रखी हैं। इंदिरा सर्किैल से मानकसर तक उच्च मार्ग पर कुल 138 अतिक्रमणों की सूची बनी थी। लोकायुक्त को पत्रकार कृष्ण सोनी आजाद की शिकायत के बाद यह सूची बनाई गई थी। राजस्व तहसीलदार की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी जिसने यह सूची तैयार करके नगरपालिका को सौंपी थी। संभागीय आयुक्त को निर्देश था कि अतिक्रमण हटाने के बाद लोकायुक्त को सुचित किया जाए। इस सूची पर नगरपालिका ने सभी को नोटिस दिया था कि आप संबंधित भूखंड पर किस अधिकार से काबिज हैं। उसका जवाब सात आठ ने दिया और दो तीन ने दस्तावेजी सबूत दिए। इसके बाद अतिक्रमण हटाने के बजाय पत्रावली ठंडे बस्ते में डाल दी गई। मनीराम सुथार ईओ के समय मैंने इस फाईल को देखा था। उस समय ईओ ने कहा था कि वह अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही शुरू कर कोई आफत नहीं लेना चाहता। सेवानिवृति होने वाली है। इसके बाद वे सेवानिवृति पर चले गए।
आश्चर्य अब सामने आता है कि उस समय की सूची जिस पर जिला कलक्टर को स्वायत शासन निदेशालय से भी अतिक्रमण हटा कर पालना रिपोर्ट भिजवाने का आदेश था, रोक दी गई। मतलब की उसकी पालना ही नहीं हुई। अचानक अब सामने आया कि केवल 35 लोगों कूे अतिक्रमण हटाए जाऐंगे। उनमें से भी एक का पट्टा अवैध बना दिया गया है जिसको नोटिस तक नहीं दिया गया है। इस सूची में से 103 लोगों के नाम किसने हटाए, कब हटाए, किसके आदेश से हटाए? सब गोल माल हो गया है। सूरतगढ़ ही नहीं राजस्थान के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला। इसमें साफ है कि सत्ताधरियों का खुला खेल हुआ है।
इतने बड़े घोटाले में कांग्रेस के विधायक तक का नाम सूची में था जो गायब है। इसके अलावा अनेक कांग्रेस वालों के नाम भी थे। भाजपा इसलिए नहीं बोल रही है कि उसके बड़े बड़े लोगों के नाम भी शामिल हैं।
पूरी सूची में हुए घोटाले के कारण हो सकता है कि मामला कोई नया रंग लाए। सूरतगढ़ से केवल 27 किलोमीटर दूरी पर पीलीबंगा कस्बा हे जहां मास्टर प्लान को नष्ट कर हुए अतिक्रमणों पर जेसीबी चलाई गई अतिक्रमणों को साफ कर दिया गया लेकिन यहां पर अतिक्रमण हटाने के बजाए सूची में से नाम हटा दिए गए।
हालांकि यह घोटाला दबने वाला नहीं है। हमने एक लेख में पहले लिखा था कि सन 2012 सूरतगढ़ के लिए करड़ा होगा तब लोगों ने इसे नहीं समझा। लेकिन इस घोटोले में सूची से हटाए गए भी आगे बच नहीं पाऐंगे।
करणीदानसिंह राजपूत
राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार,
मोबा. 94143 81356
दिनांक- 1 मार्च 2012.
--------------------------------
आश्चर्य अब सामने आता है कि उस समय की सूची जिस पर जिला कलक्टर को स्वायत शासन निदेशालय से भी अतिक्रमण हटा कर पालना रिपोर्ट भिजवाने का आदेश था, रोक दी गई। मतलब की उसकी पालना ही नहीं हुई। अचानक अब सामने आया कि केवल 35 लोगों कूे अतिक्रमण हटाए जाऐंगे। उनमें से भी एक का पट्टा अवैध बना दिया गया है जिसको नोटिस तक नहीं दिया गया है। इस सूची में से 103 लोगों के नाम किसने हटाए, कब हटाए, किसके आदेश से हटाए? सब गोल माल हो गया है। सूरतगढ़ ही नहीं राजस्थान के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला। इसमें साफ है कि सत्ताधरियों का खुला खेल हुआ है।
इतने बड़े घोटाले में कांग्रेस के विधायक तक का नाम सूची में था जो गायब है। इसके अलावा अनेक कांग्रेस वालों के नाम भी थे। भाजपा इसलिए नहीं बोल रही है कि उसके बड़े बड़े लोगों के नाम भी शामिल हैं।
पूरी सूची में हुए घोटाले के कारण हो सकता है कि मामला कोई नया रंग लाए। सूरतगढ़ से केवल 27 किलोमीटर दूरी पर पीलीबंगा कस्बा हे जहां मास्टर प्लान को नष्ट कर हुए अतिक्रमणों पर जेसीबी चलाई गई अतिक्रमणों को साफ कर दिया गया लेकिन यहां पर अतिक्रमण हटाने के बजाए सूची में से नाम हटा दिए गए।
हालांकि यह घोटाला दबने वाला नहीं है। हमने एक लेख में पहले लिखा था कि सन 2012 सूरतगढ़ के लिए करड़ा होगा तब लोगों ने इसे नहीं समझा। लेकिन इस घोटोले में सूची से हटाए गए भी आगे बच नहीं पाऐंगे।
करणीदानसिंह राजपूत
राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार,
मोबा. 94143 81356
दिनांक- 1 मार्च 2012.
--------------------------------