मंगलवार, 31 जनवरी 2017
मिड-डे-मील 99 स्कूलों को नोटिस जारी~प्रतिदिन एसएमएस नहीं करते
मिड-डे-मील से संबंधित जिला स्तरीय बैठक में बोले जिला कलक्टर
स्कूलों में खाली पड़े शिक्षकों के पदों के बारे में जानकारी देने का भी दिया निर्देश
खाली पड़ी सरकारी बिल्डिंगों के बारे में भी जानकारी देने के दिए निर्देश
मिड-डे-मिल को लेकर एसएमएस नहीं करने वाले 99 स्कूलों को दिए जा चुके हैं नोटिस
श्रीगंगानगर,
31 जनवरी। सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों से संबंधित सरकार की जो भी
योजनाएं चल रही हैं शिक्षक प्रो-एक्टिव होकर उनका फायदा बच्चों को
दिलवाएं।
साथ ही बीईओ अपने क्षेत्रा से संबंधित स्कूलों का पूरा
डेटा दें कि कहां कितनी पोस्ट शिक्षकों की खाली पड़ी है। ताकि सरकार के
स्तर पर इस रिपोर्ट को भिजवाकर जहां शिक्षकों की कमी है वहां पर्याप्त
संख्या में शिक्षकों को लगाया जा सके। जिला कलक्टर श्री ज्ञानाराम ने ये
निर्देश मिड-डे-मील को लेकर हुई जिला स्तरीय बैठक में दिए। कलेक्ट्रेट
सभागार में हुई बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिला कलक्टर ने ये भी कहा कि
पालनहार योजना का लाभ कई जगह इसलिए नहीं मिल पा रहा है कि वहां बच्चों को
स्कूल जाने का सर्टिफिकेट नहीं मिल पा रहा। जिला कलक्टर ने कहा कि स्कूल
सर्टिफिकेट बीईओ ऑफिस में जमा करवा दें ताकि किसी भी विद्यार्थी को इसको
लेकर दिक्कत ना आए। साथ ही कहा कि समायोजन के दौरान जितनी भी बिल्डिंग खाली
हुई हैं उनकी रिपोर्ट भी दें ताकि उन बिल्डिंगों का दूसरे कार्यों के लिए
उपयोग लिया जा सके।
जिला
शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक श्री मांगेलाल बुडानिया ने बताया कि मिड-डे-मील
को लेकर प्रतिदिन जिले की सभी संबंधित सरकारी स्कूलों को प्रतिदिन टॉल फ्री
नंबर पर एसएमएस करके इसकी जानकारी देनी होती है, लेकिन जिले की 110 ऐसी
स्कूल हैं जो प्रतिदिन एसएमएस नहीं करते। इनमें से 99 स्कूलों को इसको लेकर
नोटिस जारी किया जा चुका है। जिला कलक्टर ने सभी स्कूलों प्रधानों को
मिड-डे-मिल को लेकर एसएमएस करने के निर्देश दिए।
बैठक में जिला कलक्टर ने ब्लॉक की सभी स्कूलों में गैस
कनेक्शन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इस पर डीईओ ने बताया कि अभी कुल
1960 स्कूलों में से 68 स्कूल ऐसे हैं जहां गैस कनेक्शन दो है। एक गैस
कनेक्शन संबंधित एजेंसी को जमा करवाकर राशि जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक
के नाम चौक या डीडी भिजवाए जाने के निर्देश दिए जा चुके हैं। साथ ही बताया
कि वित्तीय वर्ष 2016-17 के चतुर्थ त्रौमास( 1 जनवरी से 31 मार्च तक) का
आवंटन किया जा चुका है। आवंटित खाद्यान्न का उठाव 25 मार्च 2017 तक किया
जाना है। उक्त खाद्यान्न का शत-प्रतिशत उठाव कर खाद्यान्न का वितरण समस्त
विद्यालयों में आवश्यकतानुसार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जा चुके हैं,
बीईओ को ये भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए कि खाद्यान्न के अभाव में
कही मिड-डे-मील कार्यक्रम प्रभावित ना हो।
बैठक में जिला कलक्टर श्री ज्ञानाराम के अलावा जिला शिक्षा
अधिकारी प्रारंभिक श्री मांगे लाल बुडानिया, मिड-डे-मील इंचार्ज श्री राजेश
स्वामी, एडीपीसी श्री राजेश अरोड़ा समेत जिले के सभी बीईओ, मनोनीत सदस्यों
समेत कई अन्य अधिकारी शामिल थे।
बेटी काश तेरा घर बस जाता: मार्मिक कहानी-
,,,,,,,,
मां, वह आ गया। मैं जाऊं?
बेटी,तेरा घर तो बस जाएगा? मुझे बहुत चिंता हो रही है।
मां, चिंता न कर।
बेटी, चिंता हो जाती है। परिवार में किसी को ही मालूम नहीं है कि तूं रवाना हो रही है। मैं तेरी मां हूं। गाजे बाजे के साथ तुझे रवाना करते। रीति रिवाज कोड करते। नाच गाने होते। मैं तेरे दुल्हे का तिलक कर स्वागत करती। चंवरी मंडती। दुल्हे संग फेरे होते।
तू अकेली जा रही है।किसी को मालूम नहीं।
रविवार, 29 जनवरी 2017
शुक्रवार, 27 जनवरी 2017
हाथ जोड़े वे नजर आ रहे हैं
कविता चुनाव काल:
नित नए नए पोज में
नए नए परिधान में
वे नजर आ रहे हैं।
गौर करके देखें
वे खास वार्ड को अपना नमस्कार
दिखला रहे हैं।
वार्ड नं पर ध्यान दें
वहां से पालिका चुनाव का
मानस बना रहे हैं।
फेस बुक पर मुस्कुराता मुखड़ा,
गली में मिले तो कर लेते हैं किनारा
चुनाव का खर्च तो
सरकारी खाते से करने का
बंदोबस्त तो बहुत पहले से
कर चुके हैं।
नगरपालिका का भूखंड
करोड़ों का इनके कब्जे में है।
गौर करेंगे तो अनेक पाएंगे।
आपकी हमारी नजरों में
ये अतिक्रमण हैं
मगर उनकी नजरों में
यह बिना लागत
बिना किसी छीजत का
व्यवसाय है।
घाटा तो कभी हुआ नहीं
खरीदा लाख दो लाख में
बेचा आठ दस लाख में।
समाजसेवी भी पक्के
स्कूल चला रहे हैं तो
कहीं समाजसेवी संस्था
चला रहे हैं।
चरित्र एकदम साफ सुथरा
बेदाग उज्जवल
बगुले के पंख सरीखा।
पार्षद बन कर करेंगे
सेवा।
खुद जीमेंगे और आपको भी
जिमाऐंगे होशियार हुए तो।
हाथ जोड़े वे नजर आ रहे हैं।
गौर करें
पुरूष भी हैं
स्त्री भी हैं
तीसरा लिंग भी है।
वोट आपका है
उसका कोई लिंग नहीं
किसी को भी दिया जा सकता है।
चाहे हाथ जोड़े चरित्रवान को
चाहे उस दूर खड़े नजर आ रहे को
जो धूर्त चालाकियों में नजर नहीं आता
हो सकता है,
उसके पास आपको हमको जाना पड़े।
घर से खींच कर लाना भी पड़े।
लेकिन क्या आप और हम
ऐसा कर पाऐंगे।
इतनी मेहनत कौन करे?
जो हाथ जोड़े मुस्कुरा रहे हैं।
हम सब उन पर ही गुलाल उछालेंगे
उनको ही मालाएं पहनाऐंगे।
यही तो वर्षों से करते रहे हैं।
पहले चरित्रवान को चुनेंगे
और बाद में वे अपना चरित्र दिखलाऐंगे
तब हम पीड़ाओं के हरने की
अर्जी लगाऐंगे।
-करणीदानसिंह राजपूत

स्वतंत्र पत्रकार,
राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत,
सूरतगढ़। 94143 81356
..............................
17-10-2014.
Up date 27-1-2017.
गुरुवार, 26 जनवरी 2017
तेज सतर्क दिमाग..तेज सतर्क दृष्टि..तेज सतर्क काया..
काव्य शब्द व छायाचित्र- करणीदानसिंह राजपूत:
तेज सतर्क दिमाग हो तो सुगंध मिल जाती है।
तेज सतर्क दृष्टि हो तो जानकारी मिल जाती है।
तेज सतर्क काया हो तो शिखर तक पहुंच हो जाती है।
चींटी पहाड़ पर चढ़ जाती है।
मकड़ी दीवार पर चढ़ जाती है।
चूहा दो पैरों पर खड़ा हो सब कुछ पा जाता है।
बस,
जीव जन्तु पक्षी,
जलचर नभचर थलचर,
कोई भी आलसी नहीं होते।
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::
गणतंत्र दिवस 27 जनवरी 2017 को दोपहर बाद करीब 4 बजे चीकू यह संसार छोड़ गया। परिवार का सदस्य चला गया- करणीदानसिंह राजपूत
up date 26-1-2017.
मंगलवार, 24 जनवरी 2017
गांधीजी की सेक्स लाइफ
हरगोविंद विश्वकर्मा ने 'गांधीजी की सेक्स लाइफ' शीर्षक से एक आर्टकिल 26 अप्रैल 2010 को लिखा था, जो नीचे दिया जा रहा है..
क्या महात्मा गांधी को सचमुच सेक्स की बुरी लत थी?
राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की कथित
सेक्स लाइफ़ पर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है.
गांधी द्वारा महिलाओं के साथ किये गए सेक्स प्रयोग घृणास्पद और निंदनीय : अमिताभ ठाकुर
श्री एम के गाँधी की महानता पर कोई
टिप्पणी किये बगैर मैं उनके
गांधी का ब्रह्मचर्य और अन्य औरतों से संपर्क गलत: पत्नी बहुत सहनशील थीः
राजस्थान की राजधानी जयपुर में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में महात्मा गांधी का ब्रह्मचर्य और दूसरी महिलाओं से संपर्क का प्रसंग इस तरह से बयान हुआ जिसमें कहा गया कि नैतिक दृष्टि से गांधी सही नहीं थे।
राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी पर नेताओं के बयान और किसी ने किसी कार्य पर विवाद चलता रहता है।
गांधी का ब्रह्मचर्य व्रत अनेक लेखकों ने अच्छा नहीं बताया। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में लेखिका निलीमा डालमिया ने महात्मा गांधी के द्वारा ब्रह्मचर्य को परखने के तरीके को नैतिक दृष्टि से गलत बताया। निलीमा ने कहा कि गांधी ने अपनी पत्नी कस्तूरबा से तो दूरी बना ली लेकिन वे अन्य महिलाओं से घिरे रहते थे।
निलीमा ने इतना तक कहा कि गांधी जी नसअच्छे पिता थे और न अच्छे पति थे। निलीमा डालमिया सीक्रेट लाइफ ऑफ कस्तूरबा पुस्तक की लेखिका हैं। उनका भाषण फेस्टिवल के सेशन बिटवीन दे साइलेंसेज के दौरान दिया गया था। निलीमा ने कहा कि अहिंसा का संदेश देने वाले गांधी जी ने अपनी पत्नी और बच्चों पर ईमोशनल अत्याचार किया, इससे बड़ी हिंसा और नहीं हो सकती।
निलीमा ने कहा कि कस्तूरबा को लेकर इतिहासकारों ने भेदभाव किया। महात्मा गांधी खुद तो विदेश में कानून की पढ़ाई के लिए गए लेकिन अपने बच्चों को स्कूल नहीं जाने देते थे।
कस्तूरबा ने बहुत सहनशीलता दिखाई। कस्तूरबा की जगह यदि आज की कोई महिला होती तो वह गांधी के प्रति विद्रोह कर देती।
निलीमा ने यह तो कहा की आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी महिलाओं को घर की चौखट से बाहर लेकर आए जोकि उस समय का बहुत बड़ा सामाजिक बदलाव था, क्योंकि उस समय औरतें अकेले घर से बाहर नहीं निकलती थी। निलिमा ने कहा कि बापू को महात्मा बनाने में कस्तूरबा का योगदान बहुत बड़ा है।
डालमिया परिवार के आर के डालमिया गांधी जी के बहुत नजदीक थे। निलीमा डालमिया के इस बयान से कस्तूरबा पर लिखी गई पुस्तक को पढने की उत्सुकता अधिक रहेगी।
सोमवार, 23 जनवरी 2017
पूर्व पालिकाध्यक्ष बनवारी लाल ईओ राकेश मेहंदीरत्ता जेइएन तरसेम अरोड़ा पर मुकदमाः जांच शुरूः
सूरतगढ़ 21 जनवरी 2017: सामाजिक कार्यकर्ता बाबू बाबू सिंह खींची ने इन पर 2012 में नियम विरुद्ध एक प्लॉट बेचकर नगर पालिका को 5 लाख रू़ से अधिक का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था।
बाबू सिंह खिंची की शिकायत पर पहले प्राइमरी जांच हुई जिसमें प्रथम दृष्टया आरोप सही प्रतीत होने पर मुकदमा दर्ज हुआ।
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राकेश मेंहदीरत्ता |
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तरसेम अरोड़ा |
भ्रष्टाचार निरोधक विभाग की हनुमानगढ़ चौकी के एडिशनल sp ने 21 जनवरी को नगर पालिका सूरतगढ़ के कार्यालय तमें परिवादी बाबू सिंह खींची,जेईएन तरसेम लाल अरोड़ा और एक कर्मचारी कालूराम के बयान दर्ज किए हैं। अन्य लोगों के बयान शीघ्र ही लिए जाएंगे।
शिकायत में आरोप है कि प्लानिंग क्षेत्र में किसी भी कब्जे को नियमित करके पट्टा नहीं दिया जा सकता ।
आरोप है कि इन्होंने प्लानिंग क्षेत्र में भी 277 वर्ग गज का नियमन कर पट्टा बना दिया। उसकी कीमत 51,9 21 रूपये जमा करवाई। जबकि वहां की दर के हिसाब से 5,39,042 रूपए बनते थे।यह पट्टा 9 जनवरी 2012 को जारी किया गया। उस समय उस स्थान को योजना से बाहर नहीं किया गया था। आरोप लगाया गया है कि पट्टा देने में वास्तविक स्थिति को छिपाकर नियमन किया गया। कनिष्ठ अभियंता तरसेम अरोड़ा ने मौके की रिपोर्ट गलत की। सर्वे रिपोर्ट में केवल राम पुत्र मिश्रीलाल का कब्जा 138 वर्ग गज का दर्शाया गया था लेकिन कनिष्ठ अभियंता ने नक्शा गलत दर्शाया।
विदित रहे कि बनवारी लाल मेघवाल का कार्यकाल सन 2013 में खत्म हो गया। राकेश मेहंदीरत्ता वर्तमान में हनुमानगढ़ जंक्शन में असेसर की पोस्ट पर नियुक्त है। तरसेम लाल अरोड़ा सूरतगढ़ नगर पालिका में ही कार्यरत है।
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बाबूसिंह खीची |
वित्तमंत्री अरूण जेतली के भाषण को बीच में छोड़ गए
अमृतसर।
पंजाब विधानसभा और अमृतसर लोकसभा उप-चुनाव के चलते भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करने के लिए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 21 जनवरी शाम को सिटी सेंटर में पहली रैली को संबोधित किया। भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार राजिंदर मोहन छीना और हलका पूर्वी के उम्मीदवार राजेश हनी के लिए प्रचार करने पहुंचे जेटली ने जैसे ही अपना भाषण शुरू किया तो कुर्सियां पर बैठे लोग उठकर वापस जाने लगें।
300कुर्सियां लगाई गई थीं, अधिकांश खाली ही रहीं आखिर क्या कारण रहे हैं ? क्या 300 प्रमुख लोगों के लिए लगाई गई कुर्सियां खाली रहना मामूली बात है। सच्च यह है कि पंजाब में नोट बंदी से उद्योग धंधे तबाह हो गए। लोग खासकर उद्योग धंधे में बर्बाद हुए मालिक भाजपा और अकाली नेताओं की शक्ल तक नहीं देखना चाहते।
उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के भाषण के दौरान भी कुछ वर्कर लोगों को बैठे रहने की अपील करते रहे।
रैली में पहुंचे लोगों अौर वर्करों में चुनावी गर्मजोशी दिखाई नहीं दी।
जेटली ने सिद्धू पर चुटकी लेते हुए कहा कि हमारा पुराना एक साथी उस कांग्रेस की स्टेज पर बैठकर भ्रष्टाचार खत्म करने की बात कर रहा, जो देश में भ्रष्टाचारी पार्टी के नाम से जानी जाती है। स्विस बैंकों में खाते रखने वाले और मामलों में शामिल एक नेता के पैर छूकर भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करना विचित्र राजनीति है। पहले चुनाव दो पार्टियों के बीच आमने-सामने होता था, लेकिन आज भाजपा के विरोधी कांग्रेसी आपस में ही बंटे हुए हैं। पंजाब में बादल सरकार अमन-शांति सद्भावना के साथ साथ विकास के एजेंडे पर काम कर रही है। पूरी दुनिया में केवल अमृतसर है जिसका रूप पांच सालों में बदल गया है।
सुखबीर बादल ने भी सिद्धू पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस इंसान ने उसे राजनीति के मुकाम तक पहुंचाया, उसी की पीठ में छुरा घोपा। इससे घटिया इंसान कोई नहीं हो सकता। सिद्धू सही मायने में बिकाऊ हैं, पहले आप से सौदेबाजी की और बाद में कांग्रेस से ज्यादा पैसे मिलने पर उनके साथ चला गया। सांसद रहते हुए सिद्धू ने अमृतसर में एक भी काम नहीं करवाया और उनकी धर्मपत्नी की ओर से भी हलके में एक भी विकास कार्य की निशानी नहीं हैं।
शनिवार दोपहर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछने पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली बोले, मुझे लगता है कि नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में जवाब देना मेरे लिए जरूरी नहीं। अमृतसर का दुर्भाग्य था कि उसे साढ़े बारह सालों से एक गैरहाजिर सांसद मिला था। सिद्धू और कैप्टन दोनों ही संसद के साथ साथ हलके से भी गायब रहे। उप-चुनाव में पार्टी प्रत्याशी राजिंदर मोहन सिंह छीना की साफ छवि और 365 दिन हलके में मौजूदगी पार्टी को जीत दिलाएगी।
गौर करना चाहिए कि भाजपा में पापी भी आए तो पवित्र बेदाग कहाता है और मालाओं से स्वागत किया जाता है। कोई पार्टी छोड़ कर दूसरी में चला जाए तो बेकार बुरा गंदा बन जाता है।
अगर सिद्धु अपने इलाके में नहीं गए थे तो क्या वह भाजपा की गलती नहीं थी? भाजपा को तो दंड मिलना चाहिए।
पंजाब विधानसभा और अमृतसर लोकसभा उप-चुनाव के चलते भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करने के लिए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 21 जनवरी शाम को सिटी सेंटर में पहली रैली को संबोधित किया। भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार राजिंदर मोहन छीना और हलका पूर्वी के उम्मीदवार राजेश हनी के लिए प्रचार करने पहुंचे जेटली ने जैसे ही अपना भाषण शुरू किया तो कुर्सियां पर बैठे लोग उठकर वापस जाने लगें।
300कुर्सियां लगाई गई थीं, अधिकांश खाली ही रहीं आखिर क्या कारण रहे हैं ? क्या 300 प्रमुख लोगों के लिए लगाई गई कुर्सियां खाली रहना मामूली बात है। सच्च यह है कि पंजाब में नोट बंदी से उद्योग धंधे तबाह हो गए। लोग खासकर उद्योग धंधे में बर्बाद हुए मालिक भाजपा और अकाली नेताओं की शक्ल तक नहीं देखना चाहते।
उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के भाषण के दौरान भी कुछ वर्कर लोगों को बैठे रहने की अपील करते रहे।
रैली में पहुंचे लोगों अौर वर्करों में चुनावी गर्मजोशी दिखाई नहीं दी।
जेटली ने सिद्धू पर चुटकी लेते हुए कहा कि हमारा पुराना एक साथी उस कांग्रेस की स्टेज पर बैठकर भ्रष्टाचार खत्म करने की बात कर रहा, जो देश में भ्रष्टाचारी पार्टी के नाम से जानी जाती है। स्विस बैंकों में खाते रखने वाले और मामलों में शामिल एक नेता के पैर छूकर भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करना विचित्र राजनीति है। पहले चुनाव दो पार्टियों के बीच आमने-सामने होता था, लेकिन आज भाजपा के विरोधी कांग्रेसी आपस में ही बंटे हुए हैं। पंजाब में बादल सरकार अमन-शांति सद्भावना के साथ साथ विकास के एजेंडे पर काम कर रही है। पूरी दुनिया में केवल अमृतसर है जिसका रूप पांच सालों में बदल गया है।
सुखबीर बादल ने भी सिद्धू पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस इंसान ने उसे राजनीति के मुकाम तक पहुंचाया, उसी की पीठ में छुरा घोपा। इससे घटिया इंसान कोई नहीं हो सकता। सिद्धू सही मायने में बिकाऊ हैं, पहले आप से सौदेबाजी की और बाद में कांग्रेस से ज्यादा पैसे मिलने पर उनके साथ चला गया। सांसद रहते हुए सिद्धू ने अमृतसर में एक भी काम नहीं करवाया और उनकी धर्मपत्नी की ओर से भी हलके में एक भी विकास कार्य की निशानी नहीं हैं।
शनिवार दोपहर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछने पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली बोले, मुझे लगता है कि नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में जवाब देना मेरे लिए जरूरी नहीं। अमृतसर का दुर्भाग्य था कि उसे साढ़े बारह सालों से एक गैरहाजिर सांसद मिला था। सिद्धू और कैप्टन दोनों ही संसद के साथ साथ हलके से भी गायब रहे। उप-चुनाव में पार्टी प्रत्याशी राजिंदर मोहन सिंह छीना की साफ छवि और 365 दिन हलके में मौजूदगी पार्टी को जीत दिलाएगी।
गौर करना चाहिए कि भाजपा में पापी भी आए तो पवित्र बेदाग कहाता है और मालाओं से स्वागत किया जाता है। कोई पार्टी छोड़ कर दूसरी में चला जाए तो बेकार बुरा गंदा बन जाता है।
अगर सिद्धु अपने इलाके में नहीं गए थे तो क्या वह भाजपा की गलती नहीं थी? भाजपा को तो दंड मिलना चाहिए।
एटा सिंगरासर माइनर या विधायक दोनुंआ मांय एक चुण लो।
- करणीदानसिंह राजपूत -
विधायक जी फूटरा/फूठरा लागै तो फेरूं एटा सिंगरासर माइनर रो मुद्दो उठावणो खुद नै धोखो देवणो है। अर ओ काम अब ताईं करण लाग रया हो। हण तक मालम कोनी पड्यो कै। म्हारै खनै जे अकल दाढ होवती तो हूं बिना कीं टका लिये लगा देवतो।
एक बात बताओ। ओ डाग्दर राम परताप खुद नै कास्तकार बतावै है,इनै मालम कोनी कै। कीं सोचो। जिती अकल है बीं मांय ही सोचो। चालती नहरां मांय भी जकौ पाणी नीं देवै जकौ थानै नहर बणा रै पाणी देवेगो। पाणी वास्तै कास्तकार रोजीना आंदोलना मांय लाग रैया है।
अब ईं विधायक नै भी देख लो। सरकार अर सिंचाई विभाग कीं कोनी कर् यो।
लारलै मईना मांय विधायक कीं कोनी कर् यो। सोच अर बताओ। थै चुप होया अर विधायक बी चुप। काम तो विधायक नै करावणो हो। सात आठ मईंना मांय कीं नीं कर् यो।
काळजो करडो़ कर एक चुण ल्यो।
विधायक या माइनर।
कणै ताईं खुद नै धोखो देवता रैवेगा अर खुद री जामीं औलादां नै धोखो देवता रैवोला।
विधायक जी फूटरा/फूठरा लागै तो फेरूं एटा सिंगरासर माइनर रो मुद्दो उठावणो खुद नै धोखो देवणो है। अर ओ काम अब ताईं करण लाग रया हो। हण तक मालम कोनी पड्यो कै। म्हारै खनै जे अकल दाढ होवती तो हूं बिना कीं टका लिये लगा देवतो।
एक बात बताओ। ओ डाग्दर राम परताप खुद नै कास्तकार बतावै है,इनै मालम कोनी कै। कीं सोचो। जिती अकल है बीं मांय ही सोचो। चालती नहरां मांय भी जकौ पाणी नीं देवै जकौ थानै नहर बणा रै पाणी देवेगो। पाणी वास्तै कास्तकार रोजीना आंदोलना मांय लाग रैया है।
अब ईं विधायक नै भी देख लो। सरकार अर सिंचाई विभाग कीं कोनी कर् यो।
लारलै मईना मांय विधायक कीं कोनी कर् यो। सोच अर बताओ। थै चुप होया अर विधायक बी चुप। काम तो विधायक नै करावणो हो। सात आठ मईंना मांय कीं नीं कर् यो।
काळजो करडो़ कर एक चुण ल्यो।
विधायक या माइनर।
कणै ताईं खुद नै धोखो देवता रैवेगा अर खुद री जामीं औलादां नै धोखो देवता रैवोला।
शनिवार, 21 जनवरी 2017
जेसलमेर में हिंदु आक्रोष सभा: जेसलमेर बंद रहा:
20 जनवरी 2017.
जैसलमेर जिले के कई मुद्दों को लेकर हिंदू संगठनों में आक्रोश व्याप्त हो गया था। इसी के चलते संगठनों ने शुक्रवार को विशाल आक्रोश रैली जैसलमेर बंद का आह्वान किया। आह्वान के चलते शुक्रवार को पूरा जैसलमेर शहर बंद रहा। एक भी दुकान नहीं खुली। हिंदू आक्रोश रैली को लेकर जिले भर में उत्साह देखने को मिला। जिले भर से लोग सुबह से ही माहेश्वरी बेरा बगेची में पहुंचने शुरू हो गए। माहेश्वरी बेरा बगेची में सभी को एकत्र किया गया गया। एक अनुमान के मुताबिक रैली में 7 से 8 हजार लोग एकत्र हुए।
सांसद सोनाराम और सीएम राजे पर भी कटाक्ष:सुरजनदास महाराज ने शुरुआत में ही सांसद सोनाराम पर भी कटाक्ष किए। इसके बाद उन्होंने वसुंधरा सरकार द्वारा गायों के अनुदान को बंद कर देने तथा हिंगोलिया में गायों की मौत का मामला उठाया।
हिंदुओंकी कमजोरी जातिवाद:महाराजने कहा कि हिन्दुओं की कमजोरी जातिवाद है। हम मरने के बाद भी अलग है,सभी जातियों के अलग अलग श्मशान हैं। उन्होंने आह्वान किया कि हिंदुओं के लिए एक ही श्मशान होना चाहिए।
समयदेना होगा,संगठित होना पड़ेगा:सुरजनदास महाराज ने कहा कि पूरा विश्व अशांत है। ऐसे में अब जरूरत है तो हिंदुओं के एकजुट होने की। उन्होंने उपस्थित हजारों लोगों से अाह्वान किया कि वे समय देते हुए संगठित रहें और विहिप,बजरंग दल आरएसएस के साथ जुड़े। उन्होंने युवाओं को शपथ दिलवाई कि नशा नहीं करेंगे। यदि हम संगठित हो गए तो हवा का रुख बदल सकते हैं।
पुलिस ने की चप्पे चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था,एसटीएफ भी की तैनात
हिंदूसंगठनों के आह्वान पर एकत्र हुए हजारों हिंदुओं आक्रोश रैली को देखते हुए पुलिस प्रशासन के भी हाथ पांव फूल गए। चप्पे चप्पे पर पुलिस जाब्ता तैनात किया गया। कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त जाब्ता भी तैनात किया गया। शहर पुलिस के साथ पूरे जिले के पुलिसकर्मी और एसटीएफ के जवान जगह जगह तैनात थे।
एकजुट रहोगे तो कोई आंख तक नहीं उठा पाएगा
विहिपके प्रदेश संगठन मंत्री ईश्वरलाल ने कहा कि यदि एकजुट रहोगे तो हिन्दुओं के सामने कोई आंख नहीं उठा पाएगा। हम किसी को छेड़ेंगे नहीं,यदि हमें कोई छेड़ेगा तो हम उसे छोड़ेंगे नहीं।
हमारा रवैया नहीं बदला तो कश्मीर घाटी जैसे हालात होंगे
बजरंगदल के क्षेत्रीय संयोजक इंदरजीतसिंह ने कहा कि पिछले दिनों पुलिस ने एक बजरंगी का पुलिस रिमांड मांग लिया गया,उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन कुछ नेता चाहते हैं कि जैसलमेर पाकिस्तान में चला जाए। यहां एसपी पंकज चौधरी जैसों की जरूरत है। उन्होंने कार्रवाई की तो हटा दिया गया। हमारी सोच रवैया बदलना होगा नहीं तो जैसलमेर में कश्मीर घाटी जैसे हालात हो जाएंगे।
{आरएसएस के भगवतदान ने कहा कि जैसलमेर में लगातार हिन्दू की उपेक्षा की जा रही है।
{उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 2016 लाठी में कुछ ताकतों ने पाक जिंदाबाद के नारे लगाए,उनका कुछ नहीं हुआ,जब उन्हें राष्ट्रभक्त रोकते हैं तो प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई करता है।
{पोकरण के डॉ.याकूब पर कोई कार्रवाई नहीं हुई,जो आईटी एक्ट लागू होता है वह लागू नहीं हुआ।
{ओरण गोचर पर विशेष वर्ग कब्जा कर रहे हैं।
{बांधा से लेकर सम तक किसी भी हिंदू का मुरबा नहीं है। हजारों बीघा नहरी भूमि पर विशेष वर्ग के लोग अवैध काश्त कर रहे हैं,उन्हें रोका नहीं जा रहा है।
{खसरा नं.507 पर हाईकोर्ट का फैसला गया और दो माह तक प्रशासन सोता रहा,ताकि उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाने का समय देना था।
{बॉर्डर पर मांधला गांव सीमा से 8 किमी अंदर है,वहां 4 करोड़ से अवैध मस्जिद का निर्माण हो गया।
{गायों की हत्या के मामले तीन साल में बहुत हुए,पुलिस ने पशु क्रूरता अधिनियम लगाया लेकिन गौ रक्षा अधिनियम नहीं लगाया।
हिंदू आक्रोश रैली में शामिल हजारों हिंदुओं की टोली माहेश्वरी बेरा बगेची से रवाना होकर हनुमान चौराहा पहुंची। शहर के मुख्य मार्गो पर रैली को देखने के लिए सैकड़ों लोग खड़े थे। रैली में चल रहे डीजे पर जयकारों की गूंज के साथ वंदे मातरम के नारे पूरे शहर में गूंजने लगे।
जैसलमेर|मुझेसमझ नहीं आता कि यह देश धर्मनिरपेक्ष कैसे है। यह विचार करने की जरूरत है। हमारे नेता अजमेर दरगाह चादर चढ़ाने तो जाते हैं लेकिन उन्हें रास्ते में पुष्कर की याद नहीं आती,क्या इसे धर्मनिरपेक्षता कहते हैं। यह बात हिंदू आक्रोश रैली को संबोधित करते हुए पाली से आए सुरजन दास महाराज ने कही। हिंदू आक्रोश रैली के बाद हनुमान चौराहा पर विशाल सभा का आयोजन किया गया। यहां कई संतों ने लोगों को को संबोधित किया। हिंदू संगठनों के परिषद पदाधिकारियों संतों ने राजनेताओं पर जमकर कटाक्ष किए। हिंदुओं की एकता संगठित रहने की बात को कहते हुए पुलिस,प्रशासन राजनेताओं को चेताया कि हिंदू अगर एकजुट हो गया तो कोई भी ताकत उसे नुकसान नहीं पहुंचा सकती है। उन्होंने कहा कि पुलिस किसी तस्कर से 50 रुपए में बिक जाती है। पुलिस द्वारा हिंदुओं का तिरस्कार किया जा रहा है इस अवसर पर पाली से आए संत सुरजन दास महाराज,शिवसुखनाथ महाराज,बाल भारती महाराज,दीपक साहेब,ईश्वरलाल,कन्हैयालाल,इंदरजीतसिंह,अनोपसिंह,विभाग संघ चालक दाऊलाल शर्मा उपस्थित थे।
विभाग प्रचार श्यामसिंह ने कहा कि धरती पर जब संकट आता है तो हमें एक होना पड़ता है। समय गया है एकजुट होने का। उन्होंने सैकड़ों साल पहले हिंदुओं के हुए धर्म परिवर्तन के बारे में कहते हुए कहा कि हमारे पूर्वज मजबूत थे उसी वजह से आज तक हम हिंदू है। उन्होंने गुरु गोविंदसिंह के बच्चों का उदाहरण देकर अपने समाज,देश धर्म के लिए अडिग रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गत 20 वर्षों में देश में 17 प्रतिशत आबादी बढ़ी है,लेकिन जैसलमेर में यह आंकड़ा 39 प्रतिशत है।
बुधवार, 11 जनवरी 2017
जवानों की खाद्य सामग्री की प्रयोगशाला जाँच अनिवार्य हो: सेवा निवृत जवानों से पूछें:
दाल पानी वाली और जली रोटी के विडीयो ने देश भर में तूफान मचा दिया है। इस पर चैनलों में बहस चल रही है। बहस में सेना के बड़े अधिकारी, सेना से सेवानिवृत अधिकारी व रक्षा विशेषज्ञ अपने अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। चैनलों पर चल रही बहस में कई यह कह रहे हैं कि अच्छा भोजन मिलता है। असल में यह सच्च नहीं है। बहस में भाग लेने वाले अधिकारी रहे हैं इसलिए उनका भोजन तो निश्चित रूप से अच्छा ही रहा होगा। अधिकारी का भोजन घटिया बनाए या अधपका बनाए यह किसी की भी हिम्मत नहीं हो सकती।
जवानों के भोजन में और अधिकारियों के भोजन में बनाने से लेकर परोसने तक में भारी अंतर रहता है। जवानों को अनुशासन के नाम पर घटिया सामग्री के बनाए भोजन को खाना पड़ता है। सच्चाई यह भी है कि भोजन अधपका ही होता है और इसलिए अनेक जवान दाल चावल ही खाना अधिक पसंद करते हैं।
भोजन की सामग्री तय मानक के अनुसार गुणवत्ता वाली नहीं होती जिसका बड़ा कारण है कि सामग्री की सप्लाई ठेकेदारों द्वारा होती है जिसमें व्यापक भ्रष्टाचार होता रहा है।
शिविरों में जहां अधिकारी अपने स्तर पर स्थानीय बाजारों से मसाले आदि खरीदते हैं वे घटिया से घटिया खरीदने के प्रयास में होते हैं लेकिन खरीद का बिल अधिक ही बनवाते हैं। इसकी व्यापक जाँच शायद नहीं हो पाती। इस प्रकार से स्थानीय स्तर पर मसाले खरीदने की प्रयोगशाला जाँच भी नहीं हो पाती।
खाद्य सामग्री की प्रयोगशाला जाँच हर हालत में हो व पकाए जाने की भी जाँच हो तब जवानों को सही पौष्टिक भोजन मिल पाएगा।
हमारे देश में आंगनबाड़ी में भोजन को परखने चखने के निर्देश हैं मगर सुरक्षा बलों में कोई उचित व्यवस्था नहीं है।
माँसाहारी भोजन की भी जाँच कैसी होती है? सप्लायर बूचरी में जैसे भेड़ बकरियां देता है वे ही काटी जाती है। नियम के अनुसार तो बूढ़ी बीमार भेड़ बकरियां नहीं काटी जा सकती लेकिन काटे जाने से पहले कौन जाँच करता है? अगर सही प्रक्रिया की जाँच हो तो मालूम पड़ेगा कि सप्लाई में कितना भ्रष्टाचार है?
जो लोग बताना चाहे तो वे सेना अनुशासन के नाम पर प्रताडि़त किए जाते हैं। मानसिक हालत खराब बतलाते भी देर नहीं की जाती। इसलिए कोई एक आवाज उठाता है। बाकियों को दबा दिया जाता है। कारण यक ही होता है कि जवानों में लगभग सभी गरीब घरों से सामान्य घरों से होते हैं वे अधिकारी के विरूद्ध मुंह नहीं खोल पाते।
सेना व अद्र्ध सैनिक बलों में जो भोजन सामग्री आती है उसका पहले रासायनिक जाँच अनिवार्य हो तथा भोजन बनने के बाद भी सैम्पल सुरक्षित रखे जाने की प्रक्रिया हो।
अब वह सवाल कि जवान ने सोशल मिडीया में क्यों दिया तो वह कहां देता? अधिकारी सुनते नहीं और अखबार छापते नहीं। अभी कई अखबारों में इसे अनुशासनहीनता बतलाया गया। कई यह भी कहते रहे हैं कि इससे अधिकारियों का मनोबल टूटेगा। जवान और अधिकारी आमने सामने होंगे। अनेक अखबार वालों को जमीनी हकीकत का मालूम नहीं है लेकिन उन्होंने लेख लिख डाले व टिप्पणियां तक लिख डाली। उनकी बुद्धि पर तरस आता है। इन हालातों में सेना में कौन भरती होगा?
अनुशासन के नाम पर कब तक जवान को बिना गुणवत्ता वाला भोजन खिलाते रहेंगे? सेवा वालों पर तो अनुशासन की लगाम रख कर डराया जा सकता है लेकिन जो सेवा निवृत हो चुके हें उन जवानों से पूछ लें कि जवानों को कैसा भोजन मिलता है?
मंगलवार, 10 जनवरी 2017
सूरतगढ़ में साधुओं और युवकों को कौन बेच रहा है नशे की गोलियां
सूरतगढ़ 10 जनवरी।
सूरतगढ़ में साधुओं साधु वेशधारियों और युवा लोगों को नशे की गोलियां आदि कौन बेच रहा है। बहुत ही गंभीर मामला है कि यहां साधु वेश धारियों का जमावड़ा इसलिए अधिक है कि उनको नशे की गोलियां आदि यहां आसानी से उपलब्ध हो रही है। दूसरे स्थानों के साधु वेशधारी अपराधी प्रवृत्ति के लोग भी यहां नशे की खरीद के लिए पहुंचते हैं। उनका जमावड़ा रेलवे स्टेशन के आसपास बस स्टैंड के आसपास पर कुछ अन्य स्थानों पर मौजूद देखा जा सकता है। इनके अलावा सूरतगढ़ में युवाओं को नशे की गोलियां कौन उपलब्ध करा रहा है? किस किस मोहल्ले में कौन-कौन व्यक्ति किस अपराधिक कार्य में लगा हुआ है?
पुलिस के लिए बहुत ही गंभीर चिंतन का विषय है। देखना यह है कि पुलिस इस प्रकार के आपराधिक कार्यों में लगे लोगों पर कब कार्यवाही कर कानून के हवाले करती है। बीट सिपाही से यह छुपा हुआ नहीं है और ना पुलिस से छुपा हुआ है। इस पर तत्काल कार्यवाही की जा सकती है।
साधु वेशधारी कब क्या अपराध कर जाएं?इसका कोई अनुमान नहीं लगाया सकता। अभी 3 वर्षीय एक बालिका को साधु वेशधारी उठा ले गया। गनीमत यह रही कि अन्य थाना इलाके में वह बालिका बरामद हो गई। पुलिस को यह जानना जरूरी है कि वह साधु वेशधारी कब से सूरतगढ़ आ रहा था और क्यों आ रहा था? यह इसलिए जरूरी है कि नशे के विरुद्ध पुलिस श्री गंगानगर जिले में अभियान चला रही है। जिला पुलिस अधीक्षक राहुल कोटोकी के निर्देशन में जगह जगह नशे के विरुद्ध अभियान में जनता को जागरूक किया जा रहा है। नशा पीड़ित लोगों को बचाने के लिए उभारने के लिए कार्यशाला भी आयोजित की जा रही है।
ऐसी स्थिति में अगर नशे का व्यापार करने वाले खुले रहें। युवा पीढ़ी को तबाह करने का राष्ट्रद्रोही कार्य करें तो यह दशा आम जनता में अच्छा संदेश नहीं देगी। सूरतगढ़ में 9 जनवरी को प्रशासन को एक ज्ञापन दिया गया जिसमें शहर में बढ़ रहे नशे पर रोक लगाने की मांग थी। कांग्रेस के जिलाउपाध्यक्ष बलराम वर्मा जिला सचिव द्वारका पेड़ीवाल की अगुवाई में
ज्ञापन को देने वालों में सेवादल के ब्लॉक अध्यक्ष धन्नाराम स्वामी नगर अध्यक्ष सतनाम वर्मा व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष आकाशदीप बंसल राजस्थान जिला श्रीगंगानगर मेघवाल समाज के अध्यक्ष परसराम भाटिया वरिष्ठ वकील साहब राम स्वामी वकील प्रमोद सहाय आदि थे। सभी ने सूरतगढ़ में नशे के बढ़ रहे व्यापार पर चिंता प्रकट की। इससे पूर्व शहर के मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से भी एक ज्ञापन दिया गया था जिसमें नशे की गोलियां बेचने वालों पर कार्यवाही की मांग की गई थी। मेडिकल स्टोर वालों ने स्पष्ट रूप से कहा कि मेडिकल स्टोरों पर नशा नहीं बिक रहा। यह दोनों ज्ञापन बहुत महत्व रखते हैं। कांग्रेस को इससे आगे बढ़कर लगातार ध्यान देना होगा कि पुलिस की कार्यवाही हो रही है या ज्ञापन को प्रशासन ने किसी फाइल में बंद कर दिया। सूरतगढ़ के थाना अधिकारी और पुलिस उपाधीक्षक की यह पहली ड्यूटी बनाती है कि जब पुलिस नशे के विरुद्ध अभियान चला रही है तब सूरतगढ़ में नशे का व्यापार क्यों बढ़ रहा है? कौन लोग हैं जो अपराध बढ़ा रहे हैं और पुलिस के लिए चुनौती बने हुए हैं? ऐसे अपराधी तत्वों को कौन लोग बढ़ावा दे रहे हैं और किन लोगों का संरक्षण नशा बेचने वालों को मिल रहा है ?
यह पुलिस का बहुत बड़ा दायित्व बनता है। जिला पुलिस अधीक्षक राहुल कोटोकी को भी यह चिंतन और जांच करनी होगीकि सूरतगढ़ में साधुओं और साधु वेश धारियों को शहरी युवाओं को नशा कौन उपलब्ध करवा रहा है? यह नशे की खेप गली-मोहल्लों में बेचने वालों तक कौन पहुंचा रहा है और वह लोग कहां से नशे की गोलियां ले कर के आ रहे हैं?
सूरतगढ़ में साधुओं साधु वेशधारियों और युवा लोगों को नशे की गोलियां आदि कौन बेच रहा है। बहुत ही गंभीर मामला है कि यहां साधु वेश धारियों का जमावड़ा इसलिए अधिक है कि उनको नशे की गोलियां आदि यहां आसानी से उपलब्ध हो रही है। दूसरे स्थानों के साधु वेशधारी अपराधी प्रवृत्ति के लोग भी यहां नशे की खरीद के लिए पहुंचते हैं। उनका जमावड़ा रेलवे स्टेशन के आसपास बस स्टैंड के आसपास पर कुछ अन्य स्थानों पर मौजूद देखा जा सकता है। इनके अलावा सूरतगढ़ में युवाओं को नशे की गोलियां कौन उपलब्ध करा रहा है? किस किस मोहल्ले में कौन-कौन व्यक्ति किस अपराधिक कार्य में लगा हुआ है?
पुलिस के लिए बहुत ही गंभीर चिंतन का विषय है। देखना यह है कि पुलिस इस प्रकार के आपराधिक कार्यों में लगे लोगों पर कब कार्यवाही कर कानून के हवाले करती है। बीट सिपाही से यह छुपा हुआ नहीं है और ना पुलिस से छुपा हुआ है। इस पर तत्काल कार्यवाही की जा सकती है।
साधु वेशधारी कब क्या अपराध कर जाएं?इसका कोई अनुमान नहीं लगाया सकता। अभी 3 वर्षीय एक बालिका को साधु वेशधारी उठा ले गया। गनीमत यह रही कि अन्य थाना इलाके में वह बालिका बरामद हो गई। पुलिस को यह जानना जरूरी है कि वह साधु वेशधारी कब से सूरतगढ़ आ रहा था और क्यों आ रहा था? यह इसलिए जरूरी है कि नशे के विरुद्ध पुलिस श्री गंगानगर जिले में अभियान चला रही है। जिला पुलिस अधीक्षक राहुल कोटोकी के निर्देशन में जगह जगह नशे के विरुद्ध अभियान में जनता को जागरूक किया जा रहा है। नशा पीड़ित लोगों को बचाने के लिए उभारने के लिए कार्यशाला भी आयोजित की जा रही है।
ऐसी स्थिति में अगर नशे का व्यापार करने वाले खुले रहें। युवा पीढ़ी को तबाह करने का राष्ट्रद्रोही कार्य करें तो यह दशा आम जनता में अच्छा संदेश नहीं देगी। सूरतगढ़ में 9 जनवरी को प्रशासन को एक ज्ञापन दिया गया जिसमें शहर में बढ़ रहे नशे पर रोक लगाने की मांग थी। कांग्रेस के जिलाउपाध्यक्ष बलराम वर्मा जिला सचिव द्वारका पेड़ीवाल की अगुवाई में
ज्ञापन को देने वालों में सेवादल के ब्लॉक अध्यक्ष धन्नाराम स्वामी नगर अध्यक्ष सतनाम वर्मा व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष आकाशदीप बंसल राजस्थान जिला श्रीगंगानगर मेघवाल समाज के अध्यक्ष परसराम भाटिया वरिष्ठ वकील साहब राम स्वामी वकील प्रमोद सहाय आदि थे। सभी ने सूरतगढ़ में नशे के बढ़ रहे व्यापार पर चिंता प्रकट की। इससे पूर्व शहर के मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से भी एक ज्ञापन दिया गया था जिसमें नशे की गोलियां बेचने वालों पर कार्यवाही की मांग की गई थी। मेडिकल स्टोर वालों ने स्पष्ट रूप से कहा कि मेडिकल स्टोरों पर नशा नहीं बिक रहा। यह दोनों ज्ञापन बहुत महत्व रखते हैं। कांग्रेस को इससे आगे बढ़कर लगातार ध्यान देना होगा कि पुलिस की कार्यवाही हो रही है या ज्ञापन को प्रशासन ने किसी फाइल में बंद कर दिया। सूरतगढ़ के थाना अधिकारी और पुलिस उपाधीक्षक की यह पहली ड्यूटी बनाती है कि जब पुलिस नशे के विरुद्ध अभियान चला रही है तब सूरतगढ़ में नशे का व्यापार क्यों बढ़ रहा है? कौन लोग हैं जो अपराध बढ़ा रहे हैं और पुलिस के लिए चुनौती बने हुए हैं? ऐसे अपराधी तत्वों को कौन लोग बढ़ावा दे रहे हैं और किन लोगों का संरक्षण नशा बेचने वालों को मिल रहा है ?
यह पुलिस का बहुत बड़ा दायित्व बनता है। जिला पुलिस अधीक्षक राहुल कोटोकी को भी यह चिंतन और जांच करनी होगीकि सूरतगढ़ में साधुओं और साधु वेश धारियों को शहरी युवाओं को नशा कौन उपलब्ध करवा रहा है? यह नशे की खेप गली-मोहल्लों में बेचने वालों तक कौन पहुंचा रहा है और वह लोग कहां से नशे की गोलियां ले कर के आ रहे हैं?
ख्यालीवाला नशा मुक्ति कार्यशाला एवं निशुल्क नशा मुक्ति परामर्श शिविर
श्रीगंगानगर, 10 जनवरी। जिला पुलिस अधीक्षक श्री राहूल कोटोकी के
निर्देशानुसार पुलिस थाना गजसिहपुर की ओर से पाकिस्तानी बोर्डर पर स्थित
ख्यालीवाला गांव के अटल सेवा केन्द्र मे नशा मुक्ति जनजाग्ति कार्यशाला एवं
निशुल्क नशा मुक्ति परामर्श शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में
विधार्थियो ,शिक्षकों और नशा छोडने के इच्छूक अनेको लोगो ने कार्यशाला में
भाग लिया ।
कार्याशाला में मुख्य अतिथि के रूप मे
पुलिस उप अधीक्षक श्रीकरणपुर श्री सुनील के पवांर ने सम्बोन्धित करते हुए
कहा कि नशा
शुक्रवार, 6 जनवरी 2017
डॉ.जिया की किताब मारवाड़ में उर्दू का विमोचन हुआः
पुन्नू बीकानेरी
बीकानेर _ 5 जनवरी 2017.
डॉ जिया की बहुप्रतीक्षित पुस्तक "मारवाड़ में उर्दू" का विमोचन दिनांक 5 जनवरी 2017 को श्रीमती कमला कोचर के सानिध्य में दोपहर 12 बजे बीकानेर एवम् राजस्थान भर से तशरीफ़ फ़रमा उर्दू सख्सियतों एवम् हिंदी राजस्थानी के साहित्यकारो की उपस्थिति में हुआ ।
मैं कार्यक्रम पर बात करूँ उससे पहले डॉ जिया और उनकी किताब पर कुछ चर्चा करना जरुरी समझता हूँ ।
डॉ जिया उल हसन कादरी का जन्म बीकानेर के मोहल्ला चुनगरान में हाजी मोहम्मद अली कादरी एवम् सलमा बेगम के घर 29 जनवरी 1974 को हुआ ।
शिक्षक पिता की सन्तान के सभी अच्छे गुण और संस्कार आपमें प्रत्यक्ष देखे जा सकते है और ये भी काबिले गौर है कि आप भी शिक्षा विभाग में प्राध्यापक उर्दू के पद पर जामसर बीकानेर में अपनी सेवाएं दे रहे है ।
डॉ जिया बचपन से ही बहुमुखी प्रतीभा के धनी थे । साहित्य में आपका रुझान और जुड़ाव बचपन से ही रहा है । आप जब कक्षा 9वीं के विद्यार्थी तब हिंदी की एक हस्तलिखित पत्रिका "तख्ते ताऊस" का सम्पादन करने लगे थे । कविता और शायरी स्कुल के समय ही आपके जीवन रच-बस चुकी थी तो कॉलेज तक आते-आते हिंदी और उर्दू अदब की तमाम विधाओ में आप लेखन करने लगे । अब आपका साहित्यिक क्षेत्र विस्तार कर चुका था और आप ग़ज़ल, कहानियां, लघुकथाएँ भी लिखने लगे ।
आप एम.ए (उर्दू) में अजमेर विश्वविद्यालय में मेरिट में दूसरा (2nd) स्थान प्राप्त किया।
इसके साथ ही आपने हिंदी साहित्य में भी एम.ए किया है ।
तो "मारवाड़ में उर्दू शेरो अदब" विषय पर शोध कार्य करते हुए महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय अजमेर से Ph.d की मानद उपाधि भी वर्ष 2015 में प्राप्त की ।
"मारवाड़ में उर्दू" पुस्तक पर बात करूँ तो इसकी महता इस बात से स्पष्ट हो जाती है कि ये पुस्तक उस प्रत्येक उर्दू शोधार्थी और उर्दू के साहित्यकारों और उर्दू अदब की जानकारी रखने/चाहने वालों के लिए आवश्यक सन्दर्भ रूप में अनिवार्य एवम् संकलन योग्य पुस्तक है । और ऐसा इसलिए है क्योंकि इस पुस्तक से पूर्व उर्दू गद्य में मारवाड़ अंचल के उर्दू की इतनी पुख्तगी के साथ तहकीकात नहीं की थी ।
इस पुस्तक में डॉ जिया ने मारवाड़ में उर्दू के आरम्भिक बीज से लेकर वर्तमान तक का क्रमबद्ध रूप से इतिहास प्रस्तुत किया है । बीकानेर नागौर बाड़मेर जोधपुर पाली सिरोही आदि जिलो में उर्दू की शायरी कहानिया नज़्म तनकीद आदि पर गहन तहकीकात इस पुस्तक में हुई है ।
इस पुस्तक से पहले आपकी दो महत्वपूर्ण पुस्तकें "स्वतंत्रता संग्राम के अनाम पुरोधा शौकत उस्मानी" और "हज़ार हवेलियों का शहर बीकानेर" स्व. उपध्यानचन्द्र कोचर साहब के साथ क्रमश: 2001 और 2006 में प्रकाशित हो चुकी है जिनका विमोचन क्रमशः तात्कालिक राज्यपाल अंशुमान सिंह और उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने किया था ।
एक पुस्तक "राज-ए-कर्बला" उर्दू से हिंदी तर्जुमे की भी आ चुकी है । इसके आलावा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओ में राजस्थानी से उर्दू कहिनियों के तजुर्मे आप करते रहे है ।
आपकी पहचान एक दीगर तनकीद निगार के रूप में भी है ।
जिस आँगन में अशफाक कादरी जैसे बोधि वृक्ष की छाँव हो तो उस आँगन का अहले अदब होना तय है ।
प्रसिद्ध लघुकथाकार अशफाक जी आपके बड़े भाई है जिनकी सोहबत मोहब्बत और सरपरस्ती सदा आपके साथ रही है ।
अब आज के कार्यक्रम पर मुख़्तसर सी टिप्पणी करता चलूँ ।
आदरणीय विधायक गोपाल जोशी की अध्यक्षता में शुरू हुए इस कार्यक्रम का आगाज ठीक 12 बजे अब्दुल वाहिद अशरफी के स्वागत भाषण के साथ हुआ जिसे आगे बढ़ाते हुए असद अली असद के संचालन में मेहमानो की गुलपोशी का दौर के बाद "रस्मे-इजरा" हुआ जिसके बीकानेर के तमाम मीडियाकर्मी और शहर के अदबी लोग साक्षी रहे ।
मौका ए रस्मे इजरा के बाद पुस्तक पर चार पर्चे पढ़े गए जो क्रमशः शायर जाकीर अदीब, सीमा भाटी, डॉ सईद अहमद सिद्दीकी एवम् शाहना ने पढ़े ।
जिसमे अदीब साहब ने जिया उर रहम्सन सिद्दीकी अलीगढ़ का, सीमा भाटी ने प्रो मोहम्मद नौमान खां भोपाल की भूमिका, डॉ अबुल फैज उस्मानी का पत्र सईद अहमद कादरी एवम् डॉ सादिक अली टोंक लिखा पत्र युवा रचनाकार शाहनां ने पढ़ा ।।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विधायक गोपाल जोशी साहिब ने पुस्तक के कुछ अनछुए पहलुओ की ओर इशारा करते हुए डॉ जिया के इस पुस्तक के काम की सराहना के साथ ही कहा कि ये पुस्तक शोधार्थियों के लिए डाइजेस्ट का काम करेगी ।
मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध शायर अब्दुल मुग़नी रहबर ने पुस्तक पर अपनी टिप्पणी में कहा कि ये पुस्तक आने वाली नस्लो के लिए विरासत है जो हमेशा समृद्ध होती रहेगी ।
टोंक से पधारे उर्दू साहित्यकार एवम् अंजुमन तरक्की ऐ उर्दू (हिन्द) शाख राजस्थान ने अपने पात्र वाचन में पुस्तक पर विस्तृत जायजा लिया विभिन्न दृष्टान्त देते हुए किताब की पुख्तगी को पेश किया और कहा कि अब तक मारवाड़ में उर्दू गद्य पर कोई पुस्तक नही लिखी गई थी डॉ जिया ने पहली बार मारवाड़ के उर्दू गद्य पर किताब लिखी है इसकी वजह से राजस्थान के उर्दू शेरो अदब का इतिहास मुकम्मल हो सकेगा ।
किताब पर पाठकीय टिप्पणी करते हुए राजकीय डूंगर महाविधालय की प्रोफेसर असमा मसऊद ने कहा कि डॉ जिया ने इस किताब के माध्यम में मारवाड़ में उर्दू के उन गुमनाम शायरो और लेखको से परिचित करवाया है । ये कार्य ठीक उतना ही जटिल रहा है जितना मरुस्थल के पाताल से पानी निकालना । इन्होंने अपनी मेहनत से मारवाड़ में मौजूद उर्दू के सरमाये को मंजरे आम पर लाने का अहम कार्य किया है ।
स्वयं लेखक डॉ जिया ने अपनी बात रखते हुए इस पुस्तक के लेखन से जुड़े तमाम पहलुओ और किस्सों पर चर्चा करते हुए इस पुस्तक के लेखन से जुडी कठिनाइयों का भी जिक्र किया तो उन सब का आभार भी व्यक्त किया जिन्होंने इस काम को अंजाम तक पंहुचाने में सहयोग किया ।
डॉ जिया ने आपनी बात में कहा कि यहां 900 वर्ष ही उर्दू के निशान नज़र आने लगे थे । 1857 की क्रांति के बाद मारवाड़ की रियासतो में उर्दू का तेजी से विकास होने लगा । उन्होंने शौकत उस्मानी साहिब की अदबी खिदमात का भी जिक्र किया जो आज तक गुमनाम अँधेरे में ही रहे और मजरे आम तक न हो पाये । इसी तरह 1927 में सिरोही से प्रकाशित होने वाली उर्दू पत्रिकाओ की खोज कर उसे सामने लाने का कार्य भी हुआ है ।।
संचालन करते हुए शायर असद अली असद ने भी इस पुस्तक से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की और पूना के वरिष्ठ शाइर और आलोचक नजीर फतेहपुरी के भेजे सन्देश का भी वाचन किया तो नज़ीर साहब के शेर से श्रोताओ से दाद भी हासिल की ।
इस अवसर पर शब्द श्री संस्थान की तरफ से मोनिका गौड़ सीमा भाटी मनीषा आर्य सोनी रचना शेखावत सन्जु श्रीमाली ने डॉ जिया को सम्मानित भी किया ।
आजतक न्यूज़ के चीफ स्टोरी डायरेक्टर यजत भारद्वाज ने गुलदस्ता भेंट कर डॉ जिया का सम्मान किया ।
कार्यक्रम के आखिर में उर्दू सख्सियतो शमीम बीकानेरी, इरशाद अजीज, जाकीर अदीब, अब्दुल मुग़नी रहबर, असद अली असद, असमा मसऊद आदि को डॉ जिया ने अपनी पुस्तक भेंट की ।
अंत में वरिष्ठ साहित्यकार इंजी. निर्मल वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सब मेहमानो को चाय-नास्ते की दावत के साथ कार्यक्रम को विराम दिया ।
इस अवसर बीकानेर की साहित्यिक सख्सियतो के साथ गैर अदबी हजरात और डॉ जिया के घर के सदस्य भी उपस्थित रहे ।
अब्दुल जब्बार बिकाणवी,राजाराम स्वर्णकार, अजीनुद्दीन सवाई माधोपुर, डॉ जे डी बाहरठ, मुरली मनोहर माथुर, डॉ अजय जोशी, नदीम अहमद, वली गौरी, अनुप गोस्वामी, डॉ मन्जू कच्छावा, डॉ अख़लाक़, शाहना, नेमचंद जी, अहमद सिद्दीकी, अशफाक कादरी समी कादरी, नरपत सांखला, हरीश बी शर्मा, अकबर अली, प्रो नरसिंह बिनांनी, सुनील गज्जाणी,राजेन्द्र जोशी, डॉ सुलक्षणा दत्ता, इसरार कादरी,रफीक बेजिगर एवम् सोनू & पुन्नू एवम् अन्य की सादर उपस्थिति रही ।
बीकानेर _ 5 जनवरी 2017.
डॉ जिया की बहुप्रतीक्षित पुस्तक "मारवाड़ में उर्दू" का विमोचन दिनांक 5 जनवरी 2017 को श्रीमती कमला कोचर के सानिध्य में दोपहर 12 बजे बीकानेर एवम् राजस्थान भर से तशरीफ़ फ़रमा उर्दू सख्सियतों एवम् हिंदी राजस्थानी के साहित्यकारो की उपस्थिति में हुआ ।
मैं कार्यक्रम पर बात करूँ उससे पहले डॉ जिया और उनकी किताब पर कुछ चर्चा करना जरुरी समझता हूँ ।
डॉ जिया उल हसन कादरी का जन्म बीकानेर के मोहल्ला चुनगरान में हाजी मोहम्मद अली कादरी एवम् सलमा बेगम के घर 29 जनवरी 1974 को हुआ ।
शिक्षक पिता की सन्तान के सभी अच्छे गुण और संस्कार आपमें प्रत्यक्ष देखे जा सकते है और ये भी काबिले गौर है कि आप भी शिक्षा विभाग में प्राध्यापक उर्दू के पद पर जामसर बीकानेर में अपनी सेवाएं दे रहे है ।
डॉ जिया बचपन से ही बहुमुखी प्रतीभा के धनी थे । साहित्य में आपका रुझान और जुड़ाव बचपन से ही रहा है । आप जब कक्षा 9वीं के विद्यार्थी तब हिंदी की एक हस्तलिखित पत्रिका "तख्ते ताऊस" का सम्पादन करने लगे थे । कविता और शायरी स्कुल के समय ही आपके जीवन रच-बस चुकी थी तो कॉलेज तक आते-आते हिंदी और उर्दू अदब की तमाम विधाओ में आप लेखन करने लगे । अब आपका साहित्यिक क्षेत्र विस्तार कर चुका था और आप ग़ज़ल, कहानियां, लघुकथाएँ भी लिखने लगे ।
आप एम.ए (उर्दू) में अजमेर विश्वविद्यालय में मेरिट में दूसरा (2nd) स्थान प्राप्त किया।
इसके साथ ही आपने हिंदी साहित्य में भी एम.ए किया है ।
तो "मारवाड़ में उर्दू शेरो अदब" विषय पर शोध कार्य करते हुए महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय अजमेर से Ph.d की मानद उपाधि भी वर्ष 2015 में प्राप्त की ।
"मारवाड़ में उर्दू" पुस्तक पर बात करूँ तो इसकी महता इस बात से स्पष्ट हो जाती है कि ये पुस्तक उस प्रत्येक उर्दू शोधार्थी और उर्दू के साहित्यकारों और उर्दू अदब की जानकारी रखने/चाहने वालों के लिए आवश्यक सन्दर्भ रूप में अनिवार्य एवम् संकलन योग्य पुस्तक है । और ऐसा इसलिए है क्योंकि इस पुस्तक से पूर्व उर्दू गद्य में मारवाड़ अंचल के उर्दू की इतनी पुख्तगी के साथ तहकीकात नहीं की थी ।
इस पुस्तक में डॉ जिया ने मारवाड़ में उर्दू के आरम्भिक बीज से लेकर वर्तमान तक का क्रमबद्ध रूप से इतिहास प्रस्तुत किया है । बीकानेर नागौर बाड़मेर जोधपुर पाली सिरोही आदि जिलो में उर्दू की शायरी कहानिया नज़्म तनकीद आदि पर गहन तहकीकात इस पुस्तक में हुई है ।
इस पुस्तक से पहले आपकी दो महत्वपूर्ण पुस्तकें "स्वतंत्रता संग्राम के अनाम पुरोधा शौकत उस्मानी" और "हज़ार हवेलियों का शहर बीकानेर" स्व. उपध्यानचन्द्र कोचर साहब के साथ क्रमश: 2001 और 2006 में प्रकाशित हो चुकी है जिनका विमोचन क्रमशः तात्कालिक राज्यपाल अंशुमान सिंह और उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने किया था ।
एक पुस्तक "राज-ए-कर्बला" उर्दू से हिंदी तर्जुमे की भी आ चुकी है । इसके आलावा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओ में राजस्थानी से उर्दू कहिनियों के तजुर्मे आप करते रहे है ।
आपकी पहचान एक दीगर तनकीद निगार के रूप में भी है ।
जिस आँगन में अशफाक कादरी जैसे बोधि वृक्ष की छाँव हो तो उस आँगन का अहले अदब होना तय है ।
प्रसिद्ध लघुकथाकार अशफाक जी आपके बड़े भाई है जिनकी सोहबत मोहब्बत और सरपरस्ती सदा आपके साथ रही है ।
अब आज के कार्यक्रम पर मुख़्तसर सी टिप्पणी करता चलूँ ।
आदरणीय विधायक गोपाल जोशी की अध्यक्षता में शुरू हुए इस कार्यक्रम का आगाज ठीक 12 बजे अब्दुल वाहिद अशरफी के स्वागत भाषण के साथ हुआ जिसे आगे बढ़ाते हुए असद अली असद के संचालन में मेहमानो की गुलपोशी का दौर के बाद "रस्मे-इजरा" हुआ जिसके बीकानेर के तमाम मीडियाकर्मी और शहर के अदबी लोग साक्षी रहे ।
मौका ए रस्मे इजरा के बाद पुस्तक पर चार पर्चे पढ़े गए जो क्रमशः शायर जाकीर अदीब, सीमा भाटी, डॉ सईद अहमद सिद्दीकी एवम् शाहना ने पढ़े ।
जिसमे अदीब साहब ने जिया उर रहम्सन सिद्दीकी अलीगढ़ का, सीमा भाटी ने प्रो मोहम्मद नौमान खां भोपाल की भूमिका, डॉ अबुल फैज उस्मानी का पत्र सईद अहमद कादरी एवम् डॉ सादिक अली टोंक लिखा पत्र युवा रचनाकार शाहनां ने पढ़ा ।।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विधायक गोपाल जोशी साहिब ने पुस्तक के कुछ अनछुए पहलुओ की ओर इशारा करते हुए डॉ जिया के इस पुस्तक के काम की सराहना के साथ ही कहा कि ये पुस्तक शोधार्थियों के लिए डाइजेस्ट का काम करेगी ।
मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध शायर अब्दुल मुग़नी रहबर ने पुस्तक पर अपनी टिप्पणी में कहा कि ये पुस्तक आने वाली नस्लो के लिए विरासत है जो हमेशा समृद्ध होती रहेगी ।
टोंक से पधारे उर्दू साहित्यकार एवम् अंजुमन तरक्की ऐ उर्दू (हिन्द) शाख राजस्थान ने अपने पात्र वाचन में पुस्तक पर विस्तृत जायजा लिया विभिन्न दृष्टान्त देते हुए किताब की पुख्तगी को पेश किया और कहा कि अब तक मारवाड़ में उर्दू गद्य पर कोई पुस्तक नही लिखी गई थी डॉ जिया ने पहली बार मारवाड़ के उर्दू गद्य पर किताब लिखी है इसकी वजह से राजस्थान के उर्दू शेरो अदब का इतिहास मुकम्मल हो सकेगा ।
किताब पर पाठकीय टिप्पणी करते हुए राजकीय डूंगर महाविधालय की प्रोफेसर असमा मसऊद ने कहा कि डॉ जिया ने इस किताब के माध्यम में मारवाड़ में उर्दू के उन गुमनाम शायरो और लेखको से परिचित करवाया है । ये कार्य ठीक उतना ही जटिल रहा है जितना मरुस्थल के पाताल से पानी निकालना । इन्होंने अपनी मेहनत से मारवाड़ में मौजूद उर्दू के सरमाये को मंजरे आम पर लाने का अहम कार्य किया है ।
स्वयं लेखक डॉ जिया ने अपनी बात रखते हुए इस पुस्तक के लेखन से जुड़े तमाम पहलुओ और किस्सों पर चर्चा करते हुए इस पुस्तक के लेखन से जुडी कठिनाइयों का भी जिक्र किया तो उन सब का आभार भी व्यक्त किया जिन्होंने इस काम को अंजाम तक पंहुचाने में सहयोग किया ।
डॉ जिया ने आपनी बात में कहा कि यहां 900 वर्ष ही उर्दू के निशान नज़र आने लगे थे । 1857 की क्रांति के बाद मारवाड़ की रियासतो में उर्दू का तेजी से विकास होने लगा । उन्होंने शौकत उस्मानी साहिब की अदबी खिदमात का भी जिक्र किया जो आज तक गुमनाम अँधेरे में ही रहे और मजरे आम तक न हो पाये । इसी तरह 1927 में सिरोही से प्रकाशित होने वाली उर्दू पत्रिकाओ की खोज कर उसे सामने लाने का कार्य भी हुआ है ।।
संचालन करते हुए शायर असद अली असद ने भी इस पुस्तक से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की और पूना के वरिष्ठ शाइर और आलोचक नजीर फतेहपुरी के भेजे सन्देश का भी वाचन किया तो नज़ीर साहब के शेर से श्रोताओ से दाद भी हासिल की ।
इस अवसर पर शब्द श्री संस्थान की तरफ से मोनिका गौड़ सीमा भाटी मनीषा आर्य सोनी रचना शेखावत सन्जु श्रीमाली ने डॉ जिया को सम्मानित भी किया ।
आजतक न्यूज़ के चीफ स्टोरी डायरेक्टर यजत भारद्वाज ने गुलदस्ता भेंट कर डॉ जिया का सम्मान किया ।
कार्यक्रम के आखिर में उर्दू सख्सियतो शमीम बीकानेरी, इरशाद अजीज, जाकीर अदीब, अब्दुल मुग़नी रहबर, असद अली असद, असमा मसऊद आदि को डॉ जिया ने अपनी पुस्तक भेंट की ।
अंत में वरिष्ठ साहित्यकार इंजी. निर्मल वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सब मेहमानो को चाय-नास्ते की दावत के साथ कार्यक्रम को विराम दिया ।
इस अवसर बीकानेर की साहित्यिक सख्सियतो के साथ गैर अदबी हजरात और डॉ जिया के घर के सदस्य भी उपस्थित रहे ।
अब्दुल जब्बार बिकाणवी,राजाराम स्वर्णकार, अजीनुद्दीन सवाई माधोपुर, डॉ जे डी बाहरठ, मुरली मनोहर माथुर, डॉ अजय जोशी, नदीम अहमद, वली गौरी, अनुप गोस्वामी, डॉ मन्जू कच्छावा, डॉ अख़लाक़, शाहना, नेमचंद जी, अहमद सिद्दीकी, अशफाक कादरी समी कादरी, नरपत सांखला, हरीश बी शर्मा, अकबर अली, प्रो नरसिंह बिनांनी, सुनील गज्जाणी,राजेन्द्र जोशी, डॉ सुलक्षणा दत्ता, इसरार कादरी,रफीक बेजिगर एवम् सोनू & पुन्नू एवम् अन्य की सादर उपस्थिति रही ।
गुरुवार, 5 जनवरी 2017
मुखिया फांसी लटका व परिवार के 10 लहुलुहान मरे मिलेःसनसनी फैलीः
अमेठी। उत्तर प्रदेश में अमेठी के बाजार शुक्ल क्षेत्र में दिल दहला देने वाली घटना में एक व्यक्ति ने अपने परिवार के छह बच्चों समेत दस लोगों की हत्या करने के बाद फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह केवल अनुमान लगाया जा रहा है। मुखिया की घायल पत्नी व एक और सदस्य अस्पताल में भर्ती कराए गए हैं,उनके स्वस्थ होने पर सही घटना का मालूम पडे़गा।
पुलिस के अनुसार महोना गांव निवासी जमालुद्दीन ने कल रात अपने परिवार को नशीला पदार्थ खिला दिया। उनके सोते ही सबकी धारदार हथियार से काटकर हत्या कर दी । मृतकों में छह बच्चे भी शामिल हैं।
परिवार में मुखिया की पत्नी बची है जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मृतकों में परिवार के मुखिया के अलावा मरियम (09), सानिया (07), उजयाबानो (02),अाफरीन बानो (18), महक(07),हुसैना (32),तबस्सुम (35),कमरुद्दीन (19), राबीन बन्नो(16) और जमालू (40) शामिल हैं।
पुलिस के अनुसार, मरने वालों में से आठ बच्चे, दो महिलाएं व एक पुरुष शामिल हैं। जमालुद्दीन बैटरी का काम करता था। मरने वालों में दो बच्चे उसके भाई के हैं और बाकी जमालुद्दीन के हैं। परिवार की महिला को गंभीर हालत में जगदीशपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। उसके होश में आते ही इस घटना का कारण पता चलने की उम्मीद है। ग्रामीण इस बात की भी आशंका जता रहे हैं कि परिवार के मुखिया ने सभी को नशीला पदार्थ खिलाने के बाद उनका गला काट डाला और उसके बाद खुद फांसी लगाकर जान दे दी।
इस बीच उसकी पत्नी और बेटी को बेहोशी की हालत में जगदीशपुर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में उसकी बेटी ने बताया कि पिता ने रात में घर के सदस्यों को दवा पिलाई थी, जिसके बाद सब सो गए। इसके बाद किसी को कुछ पता नहीं चला। पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। जल्द ही सब स्पष्ट हो जाएगा। अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
पुलिस के अनुसार, मरने वालों में से आठ बच्चे, दो महिलाएं व एक पुरुष शामिल हैं। जमालुद्दीन बैटरी का काम करता था। मरने वालों में दो बच्चे उसके भाई के हैं और बाकी जमालुद्दीन के हैं। परिवार की महिला को गंभीर हालत में जगदीशपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। उसके होश में आते ही इस घटना का कारण पता चलने की उम्मीद है। ग्रामीण इस बात की भी आशंका जता रहे हैं कि परिवार के मुखिया ने सभी को नशीला पदार्थ खिलाने के बाद उनका गला काट डाला और उसके बाद खुद फांसी लगाकर जान दे दी।
इस बीच उसकी पत्नी और बेटी को बेहोशी की हालत में जगदीशपुर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में उसकी बेटी ने बताया कि पिता ने रात में घर के सदस्यों को दवा पिलाई थी, जिसके बाद सब सो गए। इसके बाद किसी को कुछ पता नहीं चला। पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। जल्द ही सब स्पष्ट हो जाएगा। अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
बुधवार, 4 जनवरी 2017
सोमवार, 2 जनवरी 2017
सीमा क्षेत्र में लोगों के पास सेना अधिकारियों के फर्जी आईडी कार्डः
जोधपुर ।
जोधपुर जिले में 1 जनवरी को आर्मी इंटेलीजेंस लाइसन यूनिट जोधपुर की टीम ने सेना और सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों के 15 फर्जी पहचान पत्र लोगों से जब्त किए। सैन्य अधिकारियों के फर्जी पहचान पत्रों से सैन्य क्षेत्रों में प्रवेश कर रैकी की आशंका जताई जा रही है।
जोधपुर जिले में 1 जनवरी को आर्मी इंटेलीजेंस लाइसन यूनिट जोधपुर की टीम ने सेना और सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों के 15 फर्जी पहचान पत्र लोगों से जब्त किए। सैन्य अधिकारियों के फर्जी पहचान पत्रों से सैन्य क्षेत्रों में प्रवेश कर रैकी की आशंका जताई जा रही है।
आर्मी इंटेलीजेंस लाइसन यूनिट की ओर से बीते 15 दिनों के दौरान तीन जगह कार्रवाई में अब तक ऐसे करीब 27 पहचान पत्र जब्त किए गए हैं। एजेंसी की ओर से इन सभी लोगों से गहन पूछताछ की जा रही है।
रविवार, 1 जनवरी 2017
यह वर्ष 2017 करणी प्रेस इंडिया का विस्तार और परिवर्तन का वर्ष: अधिकारों के प्रति संघर्ष करना सीखें:
- करणीदानसिंह राजपूत -
पाठकों को नव वर्ष 2017 की बधाईयां और शुभ कामनाएं देते हुए यह संदेश देते हैं कि करणी प्रेस इंडिया की सामग्री में काफी परिवर्तन करेंगे
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