रविवार, 31 जुलाई 2022
शनिवार, 30 जुलाई 2022
पालिकाध्यक्ष ओमप्रकाश,ईओ विजयप्रताप सिंह पर मुकदमा:डेढ करोड़ घोटाले का आरोप
* करणीदानसिंह राजपूत *
गंगाजल मील के विधायक काल में खास रहे पूर्व पालिकाध्यक्ष बनवारी ने मील के वर्तमान सत्ता विहीन काल में खास पालिकाध्यक्ष मास्टर ओमप्रकाश कालवा पर सीवरेज घोटाले का मुकदमा कर दिया। मामला है सीवरेज कं को 1 करोड़ 48 लाख रूपये भुगतान करने का। इसमें फर्जी दस्तावेज बनाने और गलत भुगतान कर पालिका को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। यह मामला लगातार चर्चा में रहा। परसराम भाटिया और बनवारीलाल ने भुगतान से संबंधित दस्तावेजों और माप पुस्तिका की प्रमाणित नकलें मांगी जो धरने प्रदर्शन करने के बाद में दी गई। ओमप्रकाश कालवा ने एक प्रेस कान्फ्रेंस भी की जिसमें यह भी कह दिया था कि परसराम भाटिया ब्लॉक अध्यक्ष का पद इस्तेमाल कर रहा है, इसे तो हटाया जा चुका है।
यह कागजी युद्ध काफी समय तक चलते हुए मुकदमा होने की स्टेज तक पहुंच गया। इस मुकदमें में अधिशासी अधिकारी विजयप्रताप सिंह और एकाउंटेंट भी लपेटे गए हैं। अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा सीवरेज कं को यह भुगतान दिलाने में इंटरेस्टेड रहा हो तो भी सरकार के प्रतिनिधि अधिशासी अधिकारी विजयप्रताप सिंह को तो रोकना था।
इस मुकदमें की पुलिस जांच कुछ दिनों में शुरू हो जाएगी। कानून के जानकार मानते हैं कि पुलिस अनुसंधान को कभी भी कमतर नहीं मानना चाहिए। यह एक पंक्ति मुसीबतों का पहाड़ है।
ओमप्रकाश कालवा और बनवारीलाल मेघवाल में काफी समय से नाराजगी चल रही थी। ओमप्रकाश कालवा के नाराजगी की तरफ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष परसराम भाटिया भी खड़े हैं। मील ने भाटिया को भी नहीं रोका।
कागजी युद्ध चलते के बीच में ही कुछ महीने पहले बनवारीलाल मेघवाल को कांग्रेस में पुनः प्रवेश गंगाजल मील ने कराया था। लेकिन बनवारी लाल को ओमप्रकाश कालवा के विरुद्ध शिकायतें करने से नहीं रोका। बनवारीलाल को मुकदमा करने से भी नहीं रोका। यह बहुत विचारणीय बिंदु है।
मील रोकते तो ओमप्रकाश कालवा पर मुसीबत नहीं आती। वर्तमान में ओमप्रकाश कालवा मील के खासमखास हैं और नगरपालिका के हर काम में उनको बुलाते रहे हैं। अभी अभियान में पट्टे उनके हाथों से बंटवाने का कार्य भी कराया। मील नगरपालिका सदन के सदस्य और जनप्रतिनिधि भी नहीं।
ऐसा तो नहीं है कि कांग्रेस में बाहर जो चलता दीख रहा है वह अंदर नहीं हो अंदर कुछ और चल रहा है। ओमप्रकाश कालवा ने ठेकों के भुगतान में पट्टे आदि देने में भी खास समझे जा रहे लोगों को चक्कर कटवाए वे राजी नहीं हैं।
ओमप्रकाश कालवा की स्थिति मुकदमेंं से कमजोर और अध्यक्ष वाली कुर्सी डगमग होने के संकेत हैं।०0०
शुक्रवार, 29 जुलाई 2022
सफाई व्यवस्था में फर्जी हाजिरी.सफाई पर पार्षद व लोग जागें.
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 29 जुलाई 2022.
नगरपालिकाओं की सफाई व्यवस्था पर आवाजें उठती रही है और गंदगी कचरे के ढेरों की तस्वीरें छपती रही हैं।सोशल मीडिया पर सवाल उठते रहे हैं।
अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी दो चार बार वार्डों का निरीक्षण करते हैं और अस्थायी सी सस्पेंशन की कार्यवाही करके एवं निर्देश देकर ठंडे है जाते हैं। निरीक्षण और कार्यवाही कुछ दिन बाद हवा हो जाते हैं।
* सफाई कर्मचारी कई बार तो पांच सात दिन नहीं आते और जमादार भी नहीं आए तब किसको कहा जाए? वार्ड पार्षद को कहा जाता है तो कोई ठोस जवाब नहीं मिलता बल्कि वह भी निराशा वाला जवाब देता है।
* स्थानीय निकाय के निदेशालय जयपुर से स्पष्ट आदेश है कि सफाई कर्मचारी की हाजिरी वहीं लगेगी जहां उसकी फील्ड में ड्युटी होगी। यदि ऐसा नहीं होगा तो वेतन नहीं मिलेगा। एकदम स्पष्ट आदेश है। लेकिन इनका पालन भ्रष्टाचार और अनियमितता की भेंट चढा दिया जाता है।
** कुछ सफाईकर्मी की हाजिरी तो फील्ड में लगती है और वे सुबह नगरपालिका कार्यालय खुलने के समय भीतर आते हैं और शाम को कार्यालय बंद होने पर बाहर निकलते हैं। नगरपालिका कार्यालय के सीसीटीवी कैमरे इसके गवाह होंगे। वैसे यह अन्य कई प्रकार से भी प्रमाणित हो सकता है। जब एक सफाई कर्मचारी सुबह से शाम तक नगरपालिका कार्यालय में रहता है और सदा रहता है तो यह तो स्पष्ट है कि सरकारी आदेश के अनुसार वह फील्ड में ड्युटी पर हाजिर नहीं है। उसकी हाजिरी फर्जी लगाई जा रही है और वेतन भी गलत दिया जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी किनकी है जो बिना काम के वेतन देते हैं।
हाजिरी प्रमाणित करने वाला फील्ड में हाजिर दिखाने वाला सफाईनिरीक्षक और जमादार। इसके अलावा अधिशासी अधिकारी जो सरकार के आदेशों का पालन नहीं कर रहा। अधिशासी अधिकारी को मालुम होता है कि सफाई कर्मचारी सुबह से शाम तक और सदा नगरपालिका कार्यालय में मौजूद है। अधिशासी अधिकारी उसे कार्यालय में मौजूद क्यों रख रहा है? अधिशासी अधिकारी को यह मालुम है कि फील्ड में कार्यस्थल पर हाजिरी फर्जी लग रही है तो वेतन दिए जाने के लिए हाजिरी के दस्तावेज फर्जी तैयार होते हैं। इस फर्जकारी का जिम्मेदार और सरकारी कोष को नुकसान पहुंचाने वाले सभी दोषी होते हैं। अधिशासी अधिकारी सफाई निरीक्षक जमादार तीन तो स्पष्ट रूप में दोषी।
**** अब एक और सवाल कि कर्मचारी की जगह दूसरा व्यक्ति काम करे। सफाई कर्मचारी अपने परिवार के सदस्य को भेजे जिसको जानकारी नहीं और वह कुछ देर बाद लौट जाए। सफाई कर्मचारी अपने वेतन में से आधे या और कम पर किसी को लगाए। वह भी कुछ समय फील्ड में रहे और लौट जाए। मतलब वहां सफाई नहीं हो रही। अधिशासी अधिकारी के समक्ष यह बातें रखी जाती है तो वह टालमटोल करते हैं।
इसका एक हल है कि सख्ती से कार्यवाही हो। उसकी बड़ी जिम्मेदारी स्वास्थ्य निरीक्षक की है कि वह फर्जी हाजिरी नहीं लगाए। फील्ड में ड्युटी पर हो उसी की हाजिरी लगाए। नगरपालिका में नियुक्त कर्मचारी ही ड्युटी पर काम करे। असली कर्मचारी के अलावा किसी अन्य को काम पर नहीं लगाए।
जमादारों के पास एक डायरी हो जिसमें वे अपने प्रतिदिन का निरीक्षण लिखें।
* गलियों व सड़कों पर कचरा फेंकने वालों पर,गोबर सड़कों के किनारे ढेर लगाने वालों पर कार्यवाही लिखित में हो और जुर्माने का प्रावधान हो।
* नालों पर अतिक्रमण व पक्के निर्माण से दुकानदारी,घरों के आगे नालों पर सड़कों के ऊपर तक बनाए रैंप से सफाई नहीं होती। स्वास्थ्य निरीक्षक एक एक सड़क और गली,बाजार की रिपोर्ट सफाई कर्मचारी व जमादार से तैयार करवाए और वह हर गली सड़क बाजार की अलग अलग फाईनल करके कार्यवाही के लिए अधिशासी अधिकारी को दे। अधिशासी अधिकारी इस पर कार्यवाही नहीं करेगा तो वह किसी भी प्रकार के नुकसान और दुर्घटना का पूरी तरह से जिम्मेदार होगा।
* इतना होने पर ही शहर की सफाई व्यवस्था में सुधार हो सकता है।
**पार्षदों और शहर की संस्थाओं और जागरूक लोगों को नगरपालिका प्रशासन को यह सब या और भी अपनी ओर से लिखित में देना चाहिए और तुरंत देना चाहिए।०0०
गुरुवार, 28 जुलाई 2022
सुशील कुमार स्वास्थ्य निरीक्षक वापस नगर पालिका सूरतगढ़ में स्थानांतरित:किसकी चली
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 28 जुलाई 2022.
नगर पालिका सूरतगढ़ से मार्च में स्वास्थ्य निरीक्षक सुशील कुमार का स्थानांतरण किया गया था वह आदेश निरस्त कर दिया गया है।
सुशील कुमार श्रीबिजयनगर नगर पालिका में थे जहां से आज ही 28 जुलाई को दोपहर में कार्यमुक्त किया गया है। उन्हें तुरंत प्रभाव से सूरतगढ़ में ड्यूटी ज्वाइन करने का निर्देश है।
* सूरतगढ़ में सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है ।कर्मचारियों व जमादारों की ड्यूटी पर नियंत्रण नहीं होने से शहर सड़ांध मार रहा है। इस बुरे हालात से मुक्ति की संभावना है।०0०
मंगलवार, 26 जुलाई 2022
सूरतगढ़:60 अतिक्रमण तोड़े:किन किन बड़े लोगों ने फोन किये?पावर धूल में मिली।
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 26 जुलाई 2022.
करगिल विजय दिवस की शुभकानावों और श्रावणी शिवरात्रि की बधाइयां चल रही थी। जिला कलेक्टर ने सरकारी छुट्टी घोषित कर रखी थी। लोगों की व्यस्तताओं के बीच अचानक सोशल मीडिया पर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के समाचार आने लगे।
नगरपालिका के अधिकारी कर्मचारी जब अतिक्रमण हटा रहे थे उसी दौरान पावरफुल बड़े लोगों लोगों के फोन पर फोन आते रहे। इस कार्यवाही की भनक तक नहीं लगी।
पालिका के अतिक्रमण दस्ते द्वारा वार्ड नम्बर 14, 15 एवं 16 में नन्दीशाला एवं पालिका भूमि के रेतीले टीलों को काटकर बालू मिट्टी से अन्यत्र जगह पर भर्ती करने के साथ-साथ रेतीले टीलों को समतल करके उन पर अवैध निर्माण किया जा रहा था।
अतिक्रमणों को चिन्हित करते हुये लगभग 55 से 60 निर्माणों को ध्वस्त किया गया ।
अतिक्रमणों को ध्वस्त करने में लगे अधिकारियों के पास प्रभावशाली लोगों द्वारा अतिक्रमण नहीं हटाने के फोन पर फोन आते रहे। पावरफुल लोगों की पावर धूल धूल हो गई।
पालिका द्वारा अतिक्रमणों को हटाकर बेसकिमती भूमि एवं प्राकृतिक बालू के टिब्बों की धरोहर को रसूखदार भू-माफियाओं के अतिक्रमण से मुक्त करवाया गया।
इस कार्यवाही में सहायक अभियन्ता सोहनलाल झॉ, कनिष्ठ अभियन्ता (निविदा) सन्दीप, स्वच्छता निरीक्षक जे.पी लिंगरी, सहायक स्वच्छता निरीक्षक मोहनलाल अठवाल, अतिक्रमण दस्ते के प्रभारी कालूराम सेन सहायक राजस्व निरीक्षक, जमादार मनिन्द्र सारसर, जगदीश बुर्ट,महेन्द्र बुर्ट सहित अनेक सफाई कर्मचारियों ने भाग लिया।
नगरपालिका की सूचना में अधिशासी अधिकारी और नगरपालिका अध्यक्ष के बयान जारी हुए हैं।
* अधिशाषी अधिकारी विजय प्रताप सिंह द्वारा भविष्य में भी ऐसी कार्यवाहियां जारी रखने के निर्देश दिये हैं।
** पालिका अध्यक्ष मास्टर ओमप्रकाश कालवा ने अतिक्रमण नहीं करने की अपील की है। लोगों से कहा गया है कि भविष्य में आमजन किसी प्रकार के लोक-लुभावने प्रलोभन में ना आवें तथा भू-माफियाओं से सतर्क रहें।
***अधिशासी अधिकारी के आज के बयान के अनुसार अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही जारी रहेगी। इस बयान के आधार पर आवासन मंडल कॉलोनी के अतिक्रमण भी हटाए जाने की कार्यवाही शुरू हो सकती है। दैनिक भास्कर में
कुछ दिन पूर्व बहुत बड़ी रिपोर्ट नगरपालिका प्रशासन के बयानों सहित छपी थी कि आवासन मंडल कॉलोनी के अतिक्रमण हटाए जाएंगे। भास्कर ने करीब 200 आवासों के आगे अतिक्रमण बताए थे।०0०
०0०
सूरतगढ़:पूर्व पालिकाध्यक्ष को पट्टा क्यों नहीं दिया:ईओ ने बताया कारण
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 26 जुलाई 2022.
पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष को वर्तमान अध्यक्ष द्वारा अभियान होते हुए भी पट्टा नहीं दिये जाने से अनेक प्रश्न पैदा हो गए हैं कि आखिर क्या कारण हैं जो पट्टा बनाने में बाधा है। नगरपालिका प्रशासन पर पट्टे नहीं देने के आरोप हैं। ऐसी स्थिति में पूर्व पालिकाध्यक्ष को पट्टा नहीं दिया जाने का मामला भी जुड़ा है। आवेदक सन् 1974 में पालिकाध्यक्ष रहे जब केवल 12 सदस्य होते थे। यह मामला इसलिए अधिक चर्चित हो गया कि वार्ड के पार्षद ने भी उक्त पट्टा दिए जाने की मांग नगरपालिका अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी से की तथा जिला कलेक्टर तक को इससे अवगत कराया।
नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा और अधिशासी अधिकारी विजयप्रताप सिंह पर पट्टे नहीं देने के आरोप कुछ पार्षद लगा रहे हैं। पीपा बजाकर बोला गया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बार बार निर्देश दिए हैं। अनेक नियमों को साधारण भी बना दिया। उपखंड अधिकारी सूरतगढ़ को नोडल अधिकारी भी बनाया ताकि अधिक कार्य हो सके।
नगरपालिका प्रशासन से 22 जुलाई 2022 को पूर्व अध्यक्ष को पट्टा नहीं दिए जाने का कारण पूछा गया।
अधिशासी अधिकारी विजयप्रताप सिंह से यह कारण पूछा गया। उस समय वार्ड पार्षद मदन ओझा भी उपस्थित थे।
प्रश्न बहुत साधारण ही था।
अधिशासी अधिकारी ने बताया कि पूर्व अध्यक्ष आवासीय पट्टा नहीं मांग रहे, वे व्यावसायिक पट्टा मांग रहे हैं। वे पुराने बाजार स्थित व्यावसायिक भूखंड का पट्टा मांग रहे हैं। उन्होंने जो दस्तावेज लगाए हैं जिनसे भूखंड पर उनका मालिकाना हक साबित नहीं होता। उनके दस्तावेज किराये लेनदेन वाले हैं जिनसे मालिक होना साबित नहीं होता।
एक प्रश्न और किया गया कि यदि शपथपत्र दिया जाए तब पट्टा बनाया जा सकता है? अधिशासी अधिकारी ने उत्तर दिया कि शपथपत्र से भूखंड का मालिक नहीं माना जा सकता। भूखंड का मालिक कौन है और यह स्थिति या सही सही जानकारी पूर्व अध्यक्ष ही दे सकते हैं। पूर्व अध्यक्ष अपनी बात दस्तावेज आदि प्रेसकान्फ्रेंस आयोजित करके खुलासा कर सकते हैं कि नगरपालिका पट्टा क्यों नहीं दे रही? पालिका प्रशासन ने जो कारण बताए हैं कि मालिकाना अधिकार साबित नहीं हो रहा है, उस पर भी सही जानकारी दे सकते हैं। अभी प्रशासन शहरों की ओर चल रहा है इसलिए अभियान के दौरान शीघ्र ही सही स्थिति का खुलासा हो तो पट्टे के मामले में नगरपालिका को सक्रिय होना पड़ेगा।०0०
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
रविवार, 24 जुलाई 2022
हर घर तिरंगा:हमारे पास घर क्यों नहीं है मां! बच्चे के प्रश्न का कौन देगा उत्तर!
* करणीदानसिंह राजपूत *
आजादी के अमृत महोत्सव पर ' हर घर तिरंगा' आह्वान पर राजस्थान पत्रिका ने आज दिनांक 24 जुलाई 2022 के रविवार के अंक में नियमित झरोखा स्तंभ में कार्टूनिस्ट अभिषेक का कार्टून छापा है।
एक बच्चा अपनी मां से पूछ रहा है कि हमारे पास घर क्यों नहीं है अम्मा? इसमें 75 साल का भी हवाला दिया है।
इस कार्टून में जो गंभीरता है उसे अनेक दृष्टिकोण से समझाया गया है। बेघर लोग सरकार मां से पूछ रहे हैं कि हमारे पास घर क्यों नहीं है? देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जाए और इसी देश में बहुत यानि करोड़ों लोगों के पास रहने को एक कमरा भी न हो।
इसे सीधा सरकार पर सवाल कि लोगों को राशन मुफ्त में या बहुत कम दरों पर देते रहे फिर मकान क्यों नहीं दे पाए?
आजादी का अमृत महोत्सव शुरू किया गया तब ऐसी योजना बनाई जाती और शुरू कर दी जाती तो अब तक लोगों को मकान मिल भी जाते।
* करोड़ों लोगों के पास 75 साल में भी मकान नहीं है? यह सवाल सभी के मस्तिष्क में गूंज रहा था कि आजादी के अमृत महोत्सव पर हर परिवार के पास में घर क्यों नहीं है?
सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करते हैं तो वे तोड़ दिए जाते हैं। नगरपालिकाओं नगरपरिषदों आदि में गरीबों के मकान तोड़ने के लिए दस्ते बने हुए हैं और जेसीबी मशीनें भी मकानों को तोड़ने के लिए खरीदी हुई हैं। नगरपालिकाएं एवं नगरपरिषदें मकान तोड़ने के समाचार छपवाती है और यह शान समझती है। अखबारों चैनलों के संवाददाता भी ऐसे समाचार भेजकर इतराते हैं वहीं अखबार चैनल भी ऐसे समाचार और उनके विजुअल चला कर दिखाते हैं कि किस तरह से मकान तोड़ा और कैसे गरीब अपने सामान के साथ खुले आकाश के नीचे पड़ा है। निर्दयता भी वीभत्स। बरसात में या भयानक सर्दी में तोड़ते हैं। गर्भावस्था में जब आठवां नवमा महीना चल रहा हो तब भी औरतों को बेघर कर दिये जाने के समाचार भी छपते रहे हैं। आजादी में ऐसी क्रूरता हो तो शासन प्रशासन को देश के शिखरी नेताओं के लिए क्या कहा जाना चाहिए? देव या दानव ? जिनके पास नौकरी है अपना घर है वे किसी दूसरे का घर तोड़ सकते हैं। अपने मकानों का तोड़ने का विरोध करना स्वाभाविक होता है जिसने पैसा पैसा जोड़कर एक कमरा खड़ा किया हो वह परिवार औरतें विरोध करें तो पुलिस के डंडे धक्के और सरकारी अमले पर हमला करने चोटें पहुंचाने एवं सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप में मुकदमे और गिरफ्तारियां तक कराना। ऐसे में भी देव यानि देने वाला कैसे माने?
जो लोग बार बार घर तोड़े जाने पर भी किसी तरह बस जाते हैं उन्हें नगर पालिका नगर परिषद आदि अभियान चलाकर पट्टे भी देती है। हर साल राज्य सरकारें अभियान चला कर पट्टे देती है हालांकि पट्टे के लिए जो नहीं करना होता है वह करना पड़ता है। मकान तुड़वाती रहने वाली सरकारें अपनी बड़ाई करवाती हैं कि इतनी संख्या में पट्टे दिए गए। ऐसे अभियान में नेताओं के और शासकीय अधिकारियों के पट्टे बांटने के फोटो भी छपवाए जाते हैं। मकानों को तोड़ने और पट्टे बांटने के समाचार छापने वाला पत्रकारों का एक वर्ग भी हर जगह बन गया है।
सरकारी जमीन खाली है तो खुद सरकार वहां उचित निर्माण कर कॉलोनिया काट कर के बहुत सस्ते दरों पर उन गरीबों को दे सकती है जो फुटपाथों पर या सरकारी जमीन गंदगी के आसपास प्लास्टिक के त्रिपाल लगाकर कहीं सिरकी घासफूस पत्ते लगा कर के अपना ठिकाना बना पाते हैं। लेकिन ये हो नहीं रहा। जो योजनाएं प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की बनाई जाती है वे ऊंट के मुंह में जीरे जितनी और उनके लिए भी आवेदन प्रपत्र ऐसे नियम वाले कि कोई भर न सके। राजनेता अपने जीहजूरियों को ये लाभ देते रहते हैं। गरीब तो ऐसी योजना का लाभ ले नहीं पाता।
हर घर तिरंगा फहराना आह्वान किया गया है।तो ये तिरंगे भी भारत सरकार को ही घर घर बांटने चाहिए। इसमें लोगों से भी तिरंगे बांटने का आह्वान किया गया है। आह्वान करने और उसे पूरा करने कराने में बहुत अंतर होता है। संपूर्ण राष्ट्र में सभी घरों पर तिरंगा फहराते देखना ऐतिहासिक होगा।
देश में जो लोग आज तक अपने घर पर तिरंगा नहीं फहरा पाए वे भी इस राष्ट्र के सम्मानित नागरिक रहे हैं और हर तरीके से देशभक्त रहे हैं। अभी भी अनेक लाखों लोग जिनके संख्या करोड़ों में पहुंचेगी तिरंगा नहीं फहरा पाएंगे फिर भी वे इस देश के सम्मानित नागरिक और देशभक्त रहेंगे।
लेख के समापन करते हुए यह आशा की जानी चाहिए कि संपूर्ण भारत के गरीब देशभक्तों को मकान देने के लिए भारत सरकार देशव्यापी योजना जरूर बनाए। किसी का मकान न तोड़ा जाए और किसी नारी को गर्भावस्था में धक्के न खाने पड़ें और आकाश के नीचे प्रसव करने की मजबूरी न हो।०0०
दि. 24 जुलाई 2022.
करणीदानसिंह राजपूत
स्वतंत्र पत्रकार,
( 57 साल से पत्रकारिता एवं लेखन का अनुभव । पत्रकारिता में अनेक पुरस्कार सम्मान)
(राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान)
94143 81356.
---------
सार्वजनिक। जो प्रकाशित करना चाहे,शेयर करना चाहें, कर सकते हैं। लेखक।
************
गुरुवार, 21 जुलाई 2022
द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति निर्वाचित:भाजपा राजस्थान में अगला मुख्यमंत्री महिला को बनाए
* करणीदानसिंह राजपूत *
राष्ट्रपति पद पर द्रौपदी मुर्मू के निर्वाचित होने पर
भारतीय जनता पार्टी इसके जबरदस्त खुशियां मना रही है।
बड़ा अच्छा होगा कि राजस्थान के अगले चुनाव सन् 2023 में भारतीय जनता पार्टी महिला को मुख्यमंत्री पद पर सुशोभित करे। महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम होगा।
भारतीय जनता पार्टी को राजस्थान विधानसभा की 200 सीटों में से कम से कम आधी सीटों यानी कि 100 सीटों पर महिला नेताओं कार्यकर्ताओं को टिकटें देकर चुनाव में खड़ा किया जाए।
यदि इसमें कोई संकट हो तो कम से कम 33% यानि कि 66 महिलाओं को टिकटें जरूर दी जाए। राजस्थान का नाम महिला सशक्तिकरण के अंदर बहुत आगे होगा और संसार भर में यह एक संदेश जाएगा। भारतीय जनता पार्टी को अभी से इस पर विचार करना चाहिए कि राजस्थान का मुख्यमंत्री कोई महिला हो।
पूरे राजस्थान में महिलाओं का सशक्तिकरण होगा और भारत भर में महिलाओं में जागरूकता आएगी। राजस्थान में बड़े जोरशोर से कहा जा रहा है की राजस्थान में अगला चुनाव भाजपा प्रचंड बहुमत से जीतेगी और सरकार बनाएगी।
यह कहा जा रहा है कि भाजपा जिसको भी टिकट देगी उसकी जीत पक्की होगी। इस दावे में दम है तो महिलाएं भी जीत सकती हैं और उनके चुनाव पर किसी भी प्रकार की किंतु परन्तु नहीं होना चाहिए।
👍 महिलाओं को भी अपने दावों के लिए अभी से ही तैयारी शुरु कर देनी चाहिए। पुरुषों को टिकट मिलने पर महिलाएं प्रचार के लिए वोट मांगने के लिए निकलती रही हैं तो महिलाओं के लिए पुरूष भी सभी कार्य करेंगे।०0०
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
(राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
********
*********
सोमवार, 18 जुलाई 2022
सूरतगढ़ में न्यायालय के लिए अतिरिक्त भूमि दिए जाने बाबत क्या हुआ?
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 18 जुलाई 2022.
बार संघ न्यायिक ने अदालत के लिए बीकानेर रोड से चिपते हुए अतिरिक्त भूमि की मांग को लेकर अदालत भवन का तालाबंद संघर्ष शुरू कर रखा था। आज सरकारी काम ठप्प करने तक की चेतावनी दी हुई थी। वकील मांग को लेकर आक्रोश में थे। वकील संघ का कहना था कि नगरपालिका जानबूझ आनाकानी कर रही है।
आज उपखंड कार्यालय में वार्ता हुई।
नगर पालिका ने आज की विज्ञप्ति में निम्न सूचना जारी की है।
मा० ओमप्रकाश कालवा अध्यक्ष नगरपालिका सूरतगढ़ द्वारा बताया गया कि माननीय न्यायालय को भूमि आवंटन बाबत बार एसोसिएशन सूरतगढ़ द्वारा भूमि की मुख्य सड़क की ओर मांग की जा रही है। जिस बाबत् आज दिनांक 18.07.2022 को श्रीमान् उपखण्ड अधिकारी महोदय सूरतगढ़ के कार्यालय में न्यायालय को भूमि आवंटन के संबंध में श्रीमान् उप जिला कलक्टर महोदय सूरतगढ़ की अध्यक्षता में बैठक की गई।
बैठक में नायब तहसीलदार सूरतगढ़, मा० ओमप्रकाश कालवा अध्यक्ष नगरपालिका सूरतगढ़ व बार एसोसिएशन सूरतगढ़ के अध्यक्ष व पदाधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक में कहा गया कि बार एसोसिएशन सूरतगढ़ द्वारा माननीय न्यायालय को आवंटित भूमि के मुख्य सड़क की ओर अतिरिक्त भूमि आवंटन में राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय, जो कि अस्थाई रूप से पशुपालन विभाग परिसर में चल रहा है, उससे अड़चने आ रही है। इस बाबत् मौके पर राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय के संचालन हेतु वार्ड नम्बर 23 सामुदायिक भवन में स्थान उपलब्ध कराने हेतु संबंधित पार्षद से सहमति लेकर अस्थाई रूप से दिये जाने पर सहमति बनी।
चूंकि पालिका द्वारा पूर्व में दिनांक 21.02.2022 को निःशुल्क 500 वर्गमीटर भूमि का आवंटन आयुर्वेदिक औषधालय को किया जा चुका है तथा उसका भवन बनने में समय लग सकता है।
अतः राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय वार्ड नम्बर 23 सामुदायिक भवन में अस्थाई रूप से संचालित कर सकते हैं, जिससे माननीय न्यायालय हेतु भूमि आवंटन की कार्यवाही की जा सके।
(प्रेम प्रकाश अरोड़ा)
सहायक प्रशासनिक अधिकारी
नगरपालिका सूरतगढ़
*********
सदस्यता लें
संदेश (Atom)