रविवार, 31 मई 2020

भारत सहित विश्व भर में विश्व शांति व कल्याण हेतु गायत्री हवन हुए।


* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 31 मई 2020.
विश्व में शांति और कल्याण के लिए आज भारत सहित विश्व भर में करीब 100 देशों में श्रद्धालुओं ने अपने घरों में सपरिवार हवन किए। गायत्री मंत्रोच्चार के साथ आहुतियां डाली गई। गायत्री मंत्र चौबीस बार उच्चारित किया गया। गायत्री मंत्र अनेक विशेषताओं के साथ प्रभावशाली मंत्र है।
अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज
हरिद्वार के आह्वान पर विश्व शुद्धि के लिए विश्व में लगभग 100 देशों के 10 लाख परिवारों ने अपने घरों में गायत्री हवन यज्ञ का आयोजन किया। 
गायत्री यज्ञ 31 मई रविवार के दिन प्रातः 9:00 से 12:00 बजे के मध्य किया गया।
गृहे गृहे गायत्री यज्ञ की श्रृंखला गत वर्ष से पूरे विश्व में चलाई गई है जिसका वातावरण शुद्धि व सकारात्मक तथा स्वास्थ्यवर्धक और वातानुकूलित प्रभाव पड़ता है ।
शांतिकुंज हरिद्वार के निर्देश थे कि इस दिन सभी साधक या जनसामान्य अपने-अपने घरों में ही गायत्री या किसी निराकार सृष्टि की संचालक सत्ता का ध्यान करते हुए 24 गायत्री मंत्र की आहुतियां तथा विश्व शांति व कोरोना विषाणु दुष्प्रभाव से मुक्ति के लिए पांच महामृत्युंजय मंत्र से आहुतियां समर्पित करें।
*
सूरतगढ़ में विजयश्री करणी भवन में पत्रकार करणीदानसिंह राजपूत पत्नी विनीता सूर्यवंशी,बड़े पुत्र योगेंद्र प्रताप सिंह और पोती अनायासिंह ने मंत्रोच्चार से हवन किया। अनायासिंह के सूर्यवंशी सी.सै.स्कूल में बच्चों को गायत्री मंत्रोच्चार कराया जाता है और सभी बच्चों को याद है।*
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शनिवार, 30 मई 2020

रेत में जन्मा नया नेता राकेश बिश्रोई




* करणीदान सिंह राजपूत *


इंदिरा गांधी नहर में से ऐटा-सिंगरासर माइनर निकाले जाने की मांग अब पूरे जोश में है तथा इसे इतनी ऊंचाई तक पहुंचाने वाले व्यक्ति राकेश बिश्रोई के नेतृत्व में अन्य छोटे-बड़े नेताओं को एक कतार में लगा दिया है। रेत के समंदर में शक्तिशाली शूर पैदा हो गया है जिसे सरकारी डंडे-गोली से रोका नहीं जा सकता।

राकेश बिश्रोई का झंडा सबसे ऊंचा हो गया है। अपनी मौत का संदेश देते हुए अभी तक इलाके का अन्य नेता आगे नहीं आया था। राकेश बिश्रोई ने ऐटा-सिंगरासर माइनर की मांग को जोर-शोर से उठाकर इलाके की राजनीति को गरमा दिया है।
राकेश बिश्रोई ने इस मांग को उठाया तो राजनीतिक दलों के नेता भी जुटे और कानौर हैड पर भाषण देने पहुंचने लगे। अभी तक सभी चुप्पी साधे बैठे सोये थे, अगर राकेश बिश्रोई इसे शुरू नहीं करता तो नेताओं की चुप्पी आगे के चुनाव पर जाकर टूटती।
इस मांग को और अधिक शक्तिशाली बनाने में बाकी नेताओं को लगे रहना होगा। अब भी वे खिसकने में रहे तो जनता से कटे हुए हैं तथा और दूर हो जाएंगे।
नेताओं के खतरा भांप कर खिसक जाने की प्रवृत्ति अच्छी नहीं है। कानौर हैड पर पहले नेताओं ने जोश भरे वक्तव्य दिए और पुलिस की कार्यवाही में केवल निर्दोष ग्रामीण किसान ही शिकार हुए। बड़े नेता वहां नहीं थे। पुलिस लाठी गोली बरसा रही थी तब नेता नहीं थे। अगर नेता वहां होते तो एक आध लाठी गोली उनके भी लगती।
मान लेते हैं कि पुलिस ने उन पर लाठी नहीं चलाई। यह भी मान लेते हैं कि लाठी गोली ही समझदार हो गई और स्वयं नियंत्रित हो गई और बड़े नेताओं की तरफ नहीं घूमी। लेकिन ये नेता इस घटना को अपने मोबाइल कैमरों में शूट तो कर लेते ताकि इसे कहीं भी उपयोग में लाया जा सकता। अखबारी प्रकाशन में भी ये तस्वीरें प्रकाशित हो पाती। दो दिन से अखबारों व चैनलों पर कहीं भी पुलिस लाठीचार्ज का फोटो नहीं है इसे क्या कहा जाए?
यह प्रमाणित करता है कि लाठीचार्ज के वक्त नेता वहां पर नहीं थे।नेता होते तो फोटो होता हरेक नेता के पास में शक्तिशाली मोबाइल फोन है और उनमें कैमरे भी। इन मोबाइलों के बिना बड़े छोटे नेता एक मिनट भी नहीं रह सकते। नेता वहां नहीं थे और जनता की पिटाई हुई। पहली लाठीचार्ज और गोली के बाद प्रशासन से वार्ता हुई जिसमें कौन-कौन नेता थे जो नेता दोपहर
में भाषण देने में आगे थे वे कहां चले गए थे?
नेताओं की सूझबूझ रही कि लाठीचार्ज व गोली के शुरू होने से पहले वे खिसक गए थे जिसे यह भी कह सकते हैं कि उनको अपने-अपने काम याद आ गए थे और वे भाषण देकर चले गए थे।
नेताओं कार्यकर्ताओं की करीब बीस गाडिय़ों को
लाठियां मार-मार कर क्षतिग्रस्त किया। ये गाडिय़ां काफी दूरी पर खड़ी थी। गाडिय़ों के ये मालिक टूटी गाडिय़ों को वहां से ले गए।
ये टूटी गाडिय़ां वहां रहनी चाहिए थी कि पुलिस व प्रशासन का रूप लोग देखते और इनके फोटो दूर के लोग देखते तो एक पक्का 

सबूत था। जहां जान की बाजी लगाकर राकेश बिश्रोई जमा था वहां पर उसकी कीमत के आगे गाडिय़ों की क्या कीमत थी?
प्रशासन ने पत्रकारों के कैमरे छीन लिए या दबाव से पत्रकारों ने सौंप दिए लेकिन मोबाइल फोन के कैमरों से पुलिस की लाठीचार्ज
का शूट तो किया जा सकता था और वे घिनौने कहे जाने वाले दृश्य आमजन के सामने आने चाहिए थे। कहीं न कहीं कमजोरी रही। अनेक बार अधिकारियों के साथ समझे जाने वाले दोस्ताना रिश्तों के कारण ये भूलें और गलतियां होती है और बड़े महत्वपूर्ण तथ्य छूट जाते हैं। एक पुरानी कहावत है कि सरकारी मशीनरी और
पुलिस किसी की भी नहीं होती। चाहे फिर किसी भी श्रेणी का पत्रकार व फोटो पत्रकार हो। बार-बार इसके उदाहरण
आंदोलनों में मिलते रहे हैं। पत्रकार फोटो पत्र7कारों के
पास साल के 365 दिन होते हैं और अधिकारियों के पास इस प्रकार के आंदोलनों, संघर्षों के चंद दिन। बस। बात इतनी सी है
कि पत्रकारों ने अपने-अपने संबंधों को मानते हुए जिस स्थान परस्वयं को स्थापित कर रखा है वहां से दूर हटकर अधिकारियों को बताते। चाहे कोई भी अधिकारी हो। पत्रकार देखें कि अधिकारियों ने जो व्यवहार किया उसकी रिपोर्ट व समाचार दबे-दबे क्यों छापे गए?
नेताओं कार्यकर्ताओं, ग्रामीणों, किसानों को भी अपनी पीड़ाएं याद रखनी चाहिए। अधिकारी चाहे जिस विभाग का हो वक्त आने पर जब भी कार्यवाही की जरूरत हो तो उसे सबक सिखलाने में देरी न हो।
ऐटा-सिंगरासर माइनर का यह आंदोलन प्रशासन व पुलिस कार्यवाही से दबाया नहीं जा सकता। इसका लाभ जनता को मिलेगा इसी सोच से सभी दलों को लगना पड़ेगा।


14-3-2016.
अपडेट 8-2-2018
अपडेट 30 मई 2020.
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सोमवार, 25 मई 2020

सूरतगढ़ में कौन तुड़वा रहा है लोकडाउन?कौन उड़वा रहा है कानून की धज्जियां?




* करणीदानसिंह राजपूत*


कोरोना वायरस संक्रमण रोकने और बचाव करने के लॉकडाउन कार्यकाल में केंद्र सरकार और राजस्थान सरकार की गाइडलाइन घोषित है और समझा जाना चाहिए कि हर व्यक्ति इसका जानकार है।

 सूरतगढ़ में गाइडलाइन का उल्लंघन कौन करवा रहा है?कौन तुड़वा रहा है और किसके इशारे पर कानून तोड़े जा रहे हैं? या यह समझा जाए कि कानून के पालन करवाने वाले लापरवाही में अनदेखी कर रहे हैं जिससे यह सब हो रहा है।

लॉकडाउन गाइड लाइन में 6:00 बजे बाजार बंद का नियम बनाया हुआ है। गाइडलाइन में स्पष्ट है कि शाम के 7:00 बजे से सुबह 7:00 बजे तक कोई भी अपने घरों से बाहर नहीं निकलेगा। ऐसी स्थिति में सूरतगढ़ में इसका पालन क्यों नहीं हो रहा है? नागरिक प्रशासन और पुलिस दोनों पर गाइडलाइन पालन कराने का दायित्व है। 

शाम 7:00 बजे के बाद बैंकों के एटीएम पर लोग पैसे निकलवाने के लिए पहुंचते हैं। यह लोग पहले क्यों नहीं पहुंच सकते?

इन कानून तोड़ने वालों के कारण एक और बखेड़ा हो रहा है। राठी स्कूल के पास और एसबीआई बैंक (पुराने बस अड्डे के पास ) शाम को 6:00 बजे के बाद फल सब्जी के बाजार सजने लगे हैं। इन दोनों स्थानों पर एटीएम है और आश्चर्य यह है कि रात के 8-9 बजे तक वहां फलों सब्जियों की रेहड़ियों की भरमार रहने लगी है।

जो वीआईपी लोग रात को कानून तोड़कर बाहर निकलते हैं एटीएम पर पहुंचते हैं उनके लिए यह बाजार सजते हैं। कोई रोक-टोक नहीं है। कई दिनों से यह देखा जा रहा है।इसके अलावा जब यह नियम बन चुका है कि रात को कोई शाम के 7:00 बजे बाद नहीं निकलेगा तो अनेक लोगों को सड़कों पर घूमने दौड़ लगाने की अनुमति कौन दे रहा है? क्यों नहीं रोका जा रहा ?ये वीआईपी लोग जानबूझकर नियमों को तोड़ रहे हैं और पालन करवाने वाले जांच के लिए निरीक्षण के लिए 6:00 बजे के बाद 7:00 बजे से लेकर 9:00 बजे तक बाजारों में भ्रमण करके देखें की क्या की क्या देखें की क्या की क्या स्थिति है?

मोहल्लों में 6:00 बजे के बाद भी 8:00 बजे तक सब्जियों फलों की रैलियां कैसे घूम रही है? क्यों नहीं रोका जा रहा? 7:00 बजे के बाद जब घरों से बाहर निकलना बंद है तब अनेक मोहल्लों में सड़कों के किनारों पर 5 से अधिक लोग बतियाते हुए बिना मास्क के दिखाई देते हैं। इनको अपनी परवाह नहीं है मगर शहर में दूसरे लोग जो नियमों का पालन कर रहे हैं उन पर भी अनहोनी घटित हो सकती है। 

गाइडलाइन में 10 वर्ष तक के बच्चों का घरों से बाहर निकलना,बाजार में निकलना बंद है, मगर मोहल्लों से निकलकर छोटे बच्चे भयानक दोपहरी में बाहर घूमते दिखाई देते हैं या फिर शाम के 6:07 बजे बाजारों में भी घूमते दिखाई देते हैं। इनके लिए कोई रोक-टोक क्यों नहीं है?यह बच्चे मोहल्लों से निकलकर बाजार तक पहुंचते हैं। इन्हें मोहल्लों में ही रोका जाना चाहिए लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। जिन घरों से यह बच्चे निकलते हैं उनके आसपास के समझदार लोग भी मोहल्लों के अंदर इनके मां-बाप को को इसलिए नहीं समझाना चाहते कि अनावश्यक विवाद हो जाएगा। सभी जानते हैं कि अड़ोस पड़ोस के लोगों से समझाइश नहीं हो सकती। 

कुछ हद तक कानून का डंडा ही समझा सकता है।ऐसी स्थिति में पुलिस का बाजारों में गलियों में गश्त करना जरूरी है और केवल गस्त ही नहीं कार्यवाही भी की जानी चाहिए। बिना कार्यवाही के लोग मानने वाले नहीं हैं। पुलिस के बीट कांस्टेबल को भी मोहल्लों में भेजा जाना चाहिए ताकि किन-किन स्थानों पर लोग बाहर निकलते हैं बिना मास्क के  निकलते हैं,शाम के 7:00 बजे से सुबह 7:00 बजे के बीच में निकलते हैं,यह मालूम करके और वहां पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

कुछ लोगों की सुख सुविधा के लिए पूरे शहर के जनता के लिए नियमों का पालन करवाया जाना जरूरी है। जो लोग अपने को बड़ा समझते हैं,कानून तोड़ते हैं,कानून को मजाक समझते हैं, उनको सही स्थान यानी कानून के पास पहुंचाया जाना बहुत जरूरी है।** करणी दान सिंह राजपूत,

स्वतंत्र पत्रकार,( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़।

( ब्लॉस्ट की आवाज दि 25 मई 2020.कापी नहीं करें। ( ब्लॉस्ट की आवाज नेट पर भी उपलब्ध है)




रविवार, 24 मई 2020

पुलिस अनुसंधान में कितने कैसे होते हैं अधिकारियों के दबाव-विष्णुदत्त बिश्नोई की दबाव से आत्महत्या।


* करणीदानसिंह राजपूत *


+अभी तक और जो सुसाइड नोटों से पहली नजर में आता है कि अपराधों के इन्वेन्स्टिगेशन अनुसंधान में विष्णु दत्त पर दबाव रहे।
1-अपराधों के अनुसंधान पर निर्देशन डिप्टी( उप अधीक्षक पुलिस) का चलता है। डिप्टी के पास ही समीक्षा होती है और अदालत में पेश करने की चार्ज शीट भी डिप्टी ही मंजूरी देता है।
सारे इन्वेन्स्टिगेशन पर डिप्टी का पूरा नियंत्रण रहता है। डिप्टी के दिशा निर्देश को ही मानते हुए अनुसंधान अधिकारी को चलना होता है। वह डिप्टी के निर्देश जो की मौखिक ही होते हैं,के विपरीत चल नहीं सकता। यह दबाव होता है।
2-पेंडिंग व कई प्रकार के और अनुसंधान पर एसपी का निर्देश चलता है। एसपी के यहां क्राइम मीटिंग (समीक्षा) होती है,कमसे कम माह में एक समीक्षा बैठक तो होती ही है। एसपी का निर्देश आदेश पालन करते हुए अनुसंधान करना होता है। एसपी के निर्देश के विपरीत अनुसंधान अधिकारी जा नहीं सकता। यह दबाव रहता है।
3-डिप्टी और एसपी दोनों को हर केस का मालूम होता है।
4- सत्ता, पैसा,राजनीति आदि के शक्तिशाली ऊंचे पदों पर संपर्क करते हैं और वहां से दबाव अनुसंधान अधिकारी पर डलवाते हैं।
5- सरकार,प्रतिपक्ष, पुलिस का कांस्टेबल से लेकर महानिदेशक तक, वकीलगण,और न्यायप्रक्रिया के हर संबंधित लोग इस प्रकार के दबाव को जानते हैं।कोई भी अनजान अनभिज्ञ नहीं है। कोई अनुशासन के दबाव में नहीं बोलता तो कोई अपने रोजगार के नाम पर नहीं बोलते।
6-विष्णु दत्त के विभिन्न अनुसंधान जो हो गए और जो थाने में पेंडिंग हैं पर भी डिप्टी और एसपी दोनों को मालूम होगा कि कौनसे मामलों में थानाधिकारी पर इतना क्रूर दबाव था? नहीं मालूम वाली स्थिति हो ही नहीं सकती।
7- जांच में दबाव का खुलासा हो सकेगा। यह उम्मीद की जा सकती है।
लेकिन क्या राजस्थान का पुलिस विभाग बिना दबाव के सही जांच कर पाएगा? सही जांच के लिए हाल के अधिकारियों को वहां से हटाना भी संभव है ताकि वे जांच को प्रभावित नहीं कर सकें।
8-न्यायिक जांच और सीबीआई जांच में भी क्या अंतर है यह जानना चाहिए। दोनों ही जांचे सरकार ही करवाती है। केन्द्र सरकार इस मामले को सीधे ही सीबीआई को नहीं सौंपती। राज्य सरकार केन्द्र सरकार से सीबीआई जांच की मांग करती है। सीबीआई जांच में संबंधित अपराधियों को गिरफ्तार करने का अधिकार होता है। संपूर्ण जांच के बाद गिरफ्तारी या पहले भी हो सकती है तथा गिरफ्तारी के बाद आगे का अनुसंधान चलता है।
न्यायिक जांच पूर्ण होने पर राज्य सरकार को सौंपी जाती है। सरकार उस पर निर्णय करती है या नहीं भी करती। सरकार चाहे तो जांच रिपोर्ट सार्वजनिक भी नहीं की जाती। कार्यवाही करना तो दूर की कौड़ी होती है।
अनेक सालों में मामलों में जो होता रहा है।उसी की जो जानकारी मुझे है,उसी को यहां लिखा है। कहीं मामूली अंतर हो सकता है।
मैं चाहता हूं कि पुलिस,वकील, राजनीतिक लोग,सभी पढें।
राजगढ़ अपराध और राजनीति का 50 सालों से भी अधिक समय से गढ रहा है।
विष्णुदत्त बिश्नोई पर दबाव रहे और डीएसपी एसपी को मालूम नहीं हो,यह बात जंचती नहीं है। अनेक मामलों में पुलिस महानिदेशक, गृहमंत्री तक का दबाव रहता है। इन दबावों से अपराधियों को बचाने के लिए मुकदमों का रूप ही बदलवा दिया जाता है। अनुसंधान अधिकारी कितने दबाव में कितने तनाव में यह करने को मजबूर होता है? विष्णुदत्त बिश्नोई की आत्महत्या से बड़ा कोई प्रमाण नहीं हो सकता।
अभी गृहमंत्रालय मुख्यमंत्री आशोक गहलोत के पास ही है। मुख्यमंत्री को बिना विलंब के यह जांच सीबीआई से करवाने का निर्णय ले लेना चाहिए।
दि. 24 मई 2020.+

* करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

सूरतगढ़

9414381356.

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शनिवार, 23 मई 2020

ईमानदार पुलिस अधिकारी विष्णु बिश्नोई ने आत्महत्या क्यों की?सुलगते सवालों पर पुलिस के बयान का इंतजार



*सीएम अशोक गहलोत के बयान का इंतजार। गृहमंत्रालय है अशोक गहलौत के पास*
*क्राइम ब्रांच को दी गई मामले की जांच*
*रायसिंहनगर के लूणेवाला गांव के रहने वाले थे। गांव में माता पिता और एक भाई रहते हैं। आत्महत्या नोट मिला है जिसमें पिता से माफी मांगी है। इस बारे में कोई विस्तृत खबर नहीं है।*
SP क्राइम विकास शर्मा जांच के लिए जयपुर से हुए रवाना ADG BL सोनी कर रहे मामले की मॉनिटरिंग
राजगढ़ एसएचओ विष्णुदत्त बिश्नोई का शव उनके सरकारी क्वाटर में पंखे से बंधे फंदे में लटकता हुआ मिला।
पुलिस अधिकारी के निधन पर पूरे राजगढ़ में शोक की लहर, व्यापारी सहित आमलोग सड़कों  पर उतरे।
डीजीपी भूपेन्द्रसिंह ने तत्काल ADG राजीव शर्मा को को चुरू जाने के दिए निर्देश, पूर्व विधायक मनोज न्यांगली के नेतृत्व में धरना शुरू हुआ।
बीकानेर संभाग से पुलिस मुख्यालय तक दुखद घटना पर शोक की लहर, पुलिस विभाग के उच्चधिकारी मौके पर पहुंचे, पूर्व विधायक न्यांगली ने सीबीआई जांच कराने की मांग की है। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, हनुमान बेनीवाल ने भी सीबीआई जांच की मांग की है।
सड़को पर उतरे व्यापारियों ने सीआई विष्णुदत्त बिश्नोई को बताया राजगढ़ का भगवान, वाकई ऐसे काबिल अधिकारी द्वारा आत्महत्या करने का कदम उठाना बड़ी साजिश से नहीं कम की चर्चाएं तेज।
वरिष्ठ अधिवक्ता गोरधनसिंह ने सोशल मीडिया पर स्क्रीन शॉट किए सीआई विष्णुदत्त बिश्नोई से चेटिंग के वायरल, आखिर क्या है पूरा रहस्य?
पुलिस विभाग में उनकी योग्य व साफ सुथरी छवि थी।
पुलिस विभाग की कार्यशैली पर उठने लगे सवाल, DGP खुल पूरे  मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
एक दबंग पुलिस अधिकारी का फंदे पर लटक जाना, कई सवाल खड़े कर रहा है।
राजस्थान के चुरू जिले के राजगढ़ थानाधिकारी विष्णुदत्त बिश्रोई का शव शनिवार को उनके सरकारी आवास पर फांसी के फंदे पर लटका मिला है। जिससे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। हालांकि यह मामला संदिग्ध दिखता नजर आ रहा हैं, क्योंकि एक दबंग पुलिस अधिकारी का फंदे पर इस तरह लटकना पुलिस विभाग ओर राजस्थान में गृह विभाग संभाले सीएम अशोक गहलौत पर सवाल खड़े करता है।
थानाधिकारी विष्णुदत्त बिश्रोई पिछले कुछ समय से तनाव में चल रहे थे। आत्महत्या के क्या कारण थे इसकी भी जांच का इंतजार है। इस मामले की सूचना मिलते ही बीकानेर संभाग के आईजी जोस मोहन भी राजगढ़ के लिये रवाना हो गये।
*विधायक कृष्णा पूनियां के खिलाफ नारेबाजी*
थानाधिकारी विष्णुदत्त बिश्रोई की आत्महत्या की खबर फैलते ही राजगढ़ के व्यापारी, सामाजिक कार्यकर्ता थाने के बाहर पहुंचे ओर विधायक कृष्णा पूनियां के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जिससे साफ जाहिर होता कुछ न कुछ राजनीतिक कनेक्शन तो रहा होगा, इस सबके पीछे। तो वहीं दूसरी ओर पूर्व विधायक मनोज न्यांगली भी थाने पहुंचे ओर सीबीआई जांच की मांग की।
*- सादूलपुर में पोस्टिंग को लिया चैलेंज के रूप में*
पोस्टिंग के समय एक रिपोर्टर द्वारा लिये गये साक्षात्कार में थानाधिकारी विष्णुदत्त बिश्रोई ने बताया था कि राजगढ़ में अपराध का ग्राफ चरम सीमा पर हैं ओर यह एरिया बदनाम होता जा रहा है। इसलिये पुलिस विभाग के उच्चधिकारियों ने मुझेवं यहां लगाया हैं, इसलिये मैं प्रयास करूगां कि इस क्षेत्र से बदनामी के नाम का धब्बा लगा हैं वह हटे। इसके लिये प्रयास करूगा।
*- सांसद हनुमान बेनीवाल ने घेरा गहलोत को*
राजगढ़ थानाधिकारी विष्णुदत्त बिश्रोई के सरकारी आवास पर फांसी के फंदे पर लटकने के मामले को लेकर सांसद हनुमान बेनीवाल ने राजस्थान की गहलोत सरकार को घेरा है। सांसद हनुमान बेनीवाल ने अपने फेसबुक पेज पर गहलोत सरकार के बारे में लिखा हैं कि आपके पुलिस विभाग के एक थानाधिकारी ने आत्महत्या कर ली हैं ओर यह सिस्टम पर बहुत बड़ा सवालिया निशान है। जांच सीबीआई को देकर मामले में आप स्वयं वक्तव्य जारी करें, क्योंकि गृह विभाग भी आपके पास है। उन्होंने मुख्यमंत्री गहलोत को लिखा है कि गृह विभाग का मोह त्याग कर यह जिम्मा किसी काबिल जनप्रतिनिधि को दे देना चाहिये।
*- संभाग के कई थानों में रहे, अपराधियों में था भय*
राजगढ़ के थानाधिकारी विष्णुदत्त बिश्रोई बीकानेर संभाग के कई जिलों में कार्यरत्त रहे, वे बीकानेर, संगरिया से लेकर जयपुर तक में कार्यरत रहे थे।अपराधी उनके नाम से कांपते थे। हनुमानगढ़ के संगरिया में उन्होंने अपराधियों के अवैध धंधे तक बंद करा दिये थे।थानाधिकारी विष्णुदत्त बिश्रोई ने 3 नवंबर 1997 को पुलिस सेवा ज्वाईन की, जिसमें उनकी पोस्टिंग जयपुर, बीकानेर सहित कई थानों में रही। उनकी सेवाकाल को करीब 23 साल हो गये थे। गौरतलब हैं कि उनके दो बच्चे है, एक बेटा ओर एक बेटी।
*- केन्द्रीय मंत्री से लेकर कई सांसदों ने जताया शोक*
थानाधिकारी विष्णुदत्त बिश्रोई के दबंगई ओर ईमानदारी के चर्चे पूरे संभाग मे चर्चित थे ओर वे हर किसी के चहेते थे। लेकिन जब उनकी मौत की खबर फैली तो चहुंओर से शोक जताने के लिये हर कोई आगे आया। इसी क्रम में केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, सांसद हनुमान बेनीवाल, पूर्व विधायक मनोज न्यांगली सहित कई नेताओं ने चुरू जिले के ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी ओर राजगढ़ एसएचओ श्री विष्णुदत्त
बिश्रोई के निधन पर शोक जताया है।००

रविवार, 10 मई 2020

पीने पिलाने वाले सरकारी खाते में रोटी मांगने वाले समाजसेवियों के खाते में- करणीदानसिंह राजपूत. सामयिक व्यंग्य लेख -



सरकार ने पीने पिलाने वालों को अपने खाते में जोड़ लिया है और भूखे ,रोटी मांगने वाले,जरूरतमंदों, सामान्य लोगों को धर्म प्रेमियों समाजसेवियों संगठनों के खाते में डाल दिया है।
सरकार की सोच बहुत बड़ी है। जो लोग मांगते रहते हैं उनको धर्म प्रेमियों समाजसेवियों के खाते में डाला है ताकि सरकार का खर्च कुछ नहीं लगे और धर्म प्रेमी समाजसेवी भी खुश होते रहें।
अब बात रही पीने पिलाने वालों की। ये पीने वाले लोग सरकार से कभी मांगते नहीं और नहीं पीने वालों की मांगें खत्म होती नहीं।  इतना अंतर है पीने वालों में और न पीने वालों में। नहीं पीने वाले मांगते हैं और पीने वाले सरकार को देना चाहते हैं। वे सरकार के खजाने को भरना चाहते हैं।
ऐसी स्थिति में आप हम सभी सोचें कि सरकार कहां गलत कर रही है?
वे सरकार को देना चाहते हैं। उनको सरकार क्यों खोए और क्यों छोड़े?
फिर मामूली सौ दो सौ वाली बात भी नहीं है। करोड़ों रूपये का खेल है।
न पीने वाले सरकार से लेते रह कर भी उसकी आलोचना करते हैं,गालियां तक भी निकाल देते हैं।  पीने पिलाने वाले सरकार का खजाना भी भरते हैं और कभी भी सरकार को कोसते नहीं गाली नहीं निकालते।
वे तो हर समय कहते हैं कि सरकार उनका पैसा लेती रहे। उनका तो सरकार को सुझाव है कहना है कि समय की भी पाबंदी क्यों है? सुबह 10 बजे खोलो रात के 8:00 बजे बंद करो। इसके अलावा सूखा दिवस ! यह क्या चक्कर डाल रखा है? अरे!सरकार 24 घंटे चाहे तो वे तो सरकार को 24 घंटे देना चाहते हैं। वे शहर में भी देना चाहते हैं गांव में भी देना चाहते हैं। नेशनल हाईवे पर भी सरकार का खजाना भरना चाहते हैं। सरकार ने नेशनल हाईवे पर दुकान स्टोर ठेके दूर दूर कर दिए।वे जो पीने पिलाने वाले भाई बंधु ट्रैक्टर चलाने वाले और भी अनेक लोग हैं जो नेशनल हाईवे पर भी दिन रात सरकार का खजाना भरना चाहते हैं, उनकी सुनवाई होनी चाहिए।
सरकार को काम धाम चलाने के लिए जो करोड़ों रुपए चाहिए। करोड़ों रुपए कौन देता है? ये पीने पिलाने वाले देते हैं। सरकार की आबकारी नीति में इनके सुझाव शामिल हों बल्कि इनका प्रतिनिधित्व होना चाहिए। इनका दावा है की पीने वालों का प्रतिनिधित्व रहेगा तो सरकार पर कभी भी आर्थिक संकट नहीं आ सकता बल्कि खजाने में करोड़ों रूपये फालतू से पड़े रहेंगे।
सरकार से जो आटा दाल मांगने वाले हैं वे तो एक पैसा भी देते नहीं और सरकार से लेते हैं तो लेते ही भूल जाते हैं। कभी भी साक्षात्कार लेलो एक ही आवाज मिलती है की सरकार ने कुछ नहीं किया। जनप्रतिनिधि तो इलाके में चुने जाने के बाद आया ही नहीं। टीवी चैनलों के साक्षात्कार यों लगते हैं मानो सभी को एक जैसा ही जवाब देने की ट्रेनिंग दी गई हो। ये साक्षात्कार ऐसे बनाए जाते हैं या रोते बिलखते से होते हैं कि देखने वाले को सच्च में लगने लगता है कि इनसे सचमुच अन्याय हो रहा है।
सबसे बड़ी बात छूट न जाए।
कोरोना वायरस के लोकडाउन चक्कर में इतने दिन से बंदी के कारण कुछ करोड़ लोगों का तो दिमाग चलना ही बंद हो गया। जिन लोगों के दिमाग के कपाट पीने से ही खुलते हैं और तेज भी चलते हैं उनके लिए भी सरकार की पोजीटिव सोच की सराहना की जाए वह भी कम ही होगी। सरकार द्वारा उनकी चिंता करना भी गलत नहीं है। इतने लोग पगला जाएं तो बुद्धि का अकाल पड़ जाए।
कई दिनों के बंद के बाद शराब की दुकानें खुली तो एक ही दिन में करोड़ों रूपये का बढाया हुआ कर सरकारों के खाते में जमा हो गया। ऐसी दुकानदारी और कोई नहीं है।
अब बताओ सरकार की गलती कहां है? संविधान ने सबको बराबर का दर्जा दिया है। सरकार को तो हर व्यक्ति के लिए सोचना होता है इसलिए तो लोकतांत्रिक सरकारें कहलाती हैं।00
सामयिक लेख-

करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार,( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ जिला श्रीगंगानगर( राजस्थान)
संपर्क- 94143 81356.
E mail.  karnidansinghrajput@gmail.com
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बुधवार, 6 मई 2020

लोकडाउन में बाजारों में कैसे घूमती है आठ दस साल की बच्चियां.पुलिस गश्त नहीं होने का परिणाम


* करणीदानसिंह राजपूत*

सूरतगढ़ 6 मई 2020.

सूरतगढ़ में लोकडाउन है, तो बाजारों में और रेलवे प्लेटफार्म पर आठ दस साल उम्र की ये बच्चियां कैसे घूम रही हैं। आज 6 म ई 2020 की शाम के ये फोटो हैं जो मैंने लिए।

प्रशासन और पुलिस किसकी जिम्मेदारी बनती है? 

यदि कोई अनहोनी हो जाएगी तब किसकी जिम्मेदारी बताने की चर्चा करेंगे। मां बाप परिवार वालों की जिम्मेदारी तो है, मगर बाजारों में किसकी पहरेदारी है? किसकी गश्त होती है? मोहल्लों में गश्त नहीं होने का यह परिणाम है कि बच्चे बच्चियां घरों से निकल कर टोलियों में बाजार तक पहुंच जाते हैं।

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

सूरतगढ़।

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सोमवार, 4 मई 2020

पाकिस्तान अवैध कब्जा किए भारत के गिलगित बालिस्तान क्षेत्र को तुरंत खाली करे-भारत सरकार.


नई दिल्ली 4 मई 2020.

*गिलगित-बाल्टिस्तान पर भारत का पाकिस्तान को कड़ा जवाब- फौरन खाली करो अवैध कब्जे वाले क्षेत्र

भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों की "स्थिति में बदलाव" लाने के प्रयासों के लिए पाकिस्तान के समक्ष विरोध दर्ज कराया और उससे उन्हें खाली करने को कहा है।*


भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान में आम चुनाव कराने के पाकिस्तान उच्चतम न्यायालय के आदेश पर इस्लामाबाद के समक्ष कड़ी आपत्ति जताई है।

पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने हाल के अपने आदेश में, 2018 के “गवर्नमेंट ऑफ गिलगित बाल्टिस्तान ऑर्डर” में संशोधन की इजाजत दे दी थी, ताकि क्षेत्र में आम चुनाव कराए जा सकें। 

विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को बता दिया गया है कि गिलगित- बाल्टिस्तान सहित पूरा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं और पाकिस्तान को अपने अवैध कब्जे से इन क्षेत्रों को तुरंत मुक्त कर देना चाहिए।

पाकिस्तान को एक डिमार्श (लिखित बयान) जारी किया गया है, जिसमें गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के कथित आदेश को लेकर विरोध जताया गया है।

भारत ने पाक से कहा है कि पूरा जम्मू और कश्मीर व लद्दाख भारत का अभिन्न हिसा है, जिसमें गिलगित और बाल्टिस्तान जैसे क्षेत्र भी आते हैं। विदेश मंत्रालय ने आगे चेताते हुए कहा- पाकिस्तान फौरन इन अवैध कब्जे वाले इलाकों को खाली कर दे।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार या उसकी न्यायपालिका को उन क्षेत्रों पर हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं हैं जो उसने “अवैध तरीके से और जबरन कब्जाए” हुए हैं। भारत इस तरह के कदमों को पूरी तरह से खारिज करता है और भारतीय जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों की स्थिति में बदलाव लाने के जारी प्रयासों पर आपत्ति जताता है।

मंत्रालय के मुताबिक पिछले सात दशकों से इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के “मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया, शोषण किया गया और उन्हें स्वतंत्रता से वंचित” रखा गया।*


शनिवार, 2 मई 2020

👌भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आपको संभाल रहे हैं।सुख दुःख हारी बीमारी सब में लगातार पूछ रहे हैं।


👌भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आपको संभाल रहे हैं।सुख दुःख हारी बीमारी सब में लगातार पूछ रहे हैं।
 ऐसे में विधायक,सांसद नहीं पूछे तो दिल में न लें।यह भी हो सकता है कि वे खुद किसी हारीबीमारी में पड़े हों।*
*कोरोना का संकट है दूरी बनाए रखने में ही आपका,परिवार का बचाव है। कोई संभालने नहीं आ रहा।बात नहीं सुन रहा है तो परेशान नहीं हो। कोरोना से बचे हुए हो यही बहुत है और इसके लिए जिस सर्वशक्तिमान की पूजा अर्चना करते हो,बस उसे याद करते रहो।
विधायक सांसद मंत्री और कोई पदाधिकारी न आएं तो भगवान का धन्यवाद करें।रोगों से बचे रहेंगे। इनसे मिलने वाले नजदीक रहने वाले भी दुखी ही रहते हैं और वे रो भी नहीं पाते. अपना दुखड़ा किसी को सुना भी नहीं सकते। रोगों से परेशानी से बचे रहें।
आपका शुभ चाहने वाला,

करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
सूरतगढ़. राजस्थान.
94143 71356.

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