सोमवार, 31 अगस्त 2020
शनिवार, 29 अगस्त 2020
राजस्थान में रेप और महिला अत्याचार बढे -भाजपा सांसद ने ट्वीट किए-अशोक गहलोत सरकार फेल बताई
* करणीदानसिंह राजपूत *
अशोक गहलोत और सचिन पायलट का विवाद थम गया है और हाल ही में विश्वास मत से सरकार जीतकर बच भी गई है लेकिन अनेक आरोपों में तीर चल रहे हैं।
राजस्थान के दौसा से भाजपा सांसद जसकौर मीणा ने राज्य के मुख्य मंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ जमकर हमला बोला है।
सांसद जसकौर मीणा ने राज्य के मुख्य मंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ 83 ट्वीट किए। मीणा ने गहलोत पर हमला करते हुए 15 मिनट में अपने आधिकारिक ट्विटर अकॉउंट से 83 ट्वीट किए हैं जो शनिवार 29 अगस्त को चर्चाए आम बन गए हैं।
सांसद जसकौर मीणा ने लगभग सभी ट्वीट्स में हैश टैग ‘गहलोत सरकार होश में आओ’ का उपयोग किया।
मीणा के ज़्यादातर ट्वीट्स महिला अत्याचारों से जुड़े हुए रहे। इसके अलावा पानी-बिजली-रोज़गार सहित अन्य कई मुद्दों पर उन्होंने सरकार पर निशाना साधा।
उन्होने गहलोत सरकार पर हमला करते हुए लिखा “अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता।” इसके अलावा सांसद ने प्रदेश में बढ़ते महिला अपराधों पर चिंता जताते हुए कई ट्वीट्स किये। उन्होंने लिखा, ‘प्रदेश में बढ़ रही बलात्कार की घटनाएं और अपराध सरकार के लिए बनी भारी चुनौती प्रदेश में कांग्रेस सरकार हुई फेल!!”
एक ट्वीट में राहुल और प्रियंका गांधी पर भी निशाना साधा गया। मीणा ने लिखा “UP के दलित दलित हैं लेकिन कांग्रेस शासित राजस्थान में दलितों पर अत्याचार चरम पर है बलात्कार रेप हत्याएं हो रही हैं। लेकिन वह राजस्थान में दलितों पर हो रहे अत्याचारों पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी चुप क्यों है? क्या राजस्थान के दलित नहीं है?
राजस्थान में बिजली बिलों पर भी सांसद ने निशाना साधा है।
उन्होने लिखा “राज्य में बिजली के बिल करंट मार रहें है , सरचार्ज में बढ़ोतरी से राज्य की जनता प्रताड़ित है, अतिरिक्त फ्यूल चार्ज से जनता परेशान है और सरकार अपनी तानाशाही में मस्त है। बिजली के बिल माफ करो, जनता के साथ इंसाफ करो।”
सांसद ने कहा सरकार ना केवल आम व्यक्ति को बोझ दे रही है बल्कि प्रदेश के औद्योगिक कारखानो को बंद करने के कगार पर ला रही है। उन्होंने सरकार को हर मोर्चे पर विफल करार दिया। मीणा ने लिखा “देश का सबसे महंगा डीजल राजस्थान में .. हर जरूरी वस्तुओं के टैक्स बढ़ाकर जनता को लूटने में नंबर 1 राजस्थान सरकार .. राजस्थान त्रस्त है दुखदायक जी।”
उन्होने कहा कि सरकार की नीतियों के खिलाफ भाजपा के कार्यकर्ता आवाज़ उठाएंगे। मीणा ने ट्वीट कर लिखा “राजस्थान सरकार के खिलाफ जनहित के मुद्दों को लेकर प्रदेश सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ 28 अगस्त 2020 से 4 सिंतबर 2020 तक भाजपा के कार्यकर्ता उठाएंगे जनता की आवाज।”
राजस्थान की सरकार के रवैये से परेशान जनता को सांसद मीणा द्वारा की गई खिंचाई से खुशी मिली है वहीं जनता भी इन मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगने को आगे आ सकती है। सांसद के आरोपों से सरकार कंडम साबित हो रही है।००
मंगलवार, 25 अगस्त 2020
सूरतगढ़ पालिका करोड़ों की घोटाला योजना-व्यावसायिक भूमि को आवासीय भूमि रूप में नीलाम करेगी.
* करणीदानसिंह राजपूत *
नगर पालिका सूरतगढ़ बाजार के बीच में शहरकी मुख्य सड़क से सटी हुई चारों तरफ बाजार से दुकानों से घिरी हुई भूमि को आवासीय रूप में नीलामी करके बहुत बड़ा घोटाला करने को उतावली हो रही है।
बाजार के बीच यह भूमि 15 आवासीय प्लाटों के रूप में नीलाम की जाएगी। इस जमीन की व्यावसायिक कीमत करीब 10 से 15 करोड़ रुपए की लगभग बनती है, जो आवासीय के रूप में करीब एक - दो करोड़ में ही बेचने का बहुत बड़ा सोचा समझा घोटाला है।
बीकानेर रोड पर जहां पहले पीडब्ल्यूडी का श्रमिक विश्राम गृह था। वह स्थान जो सब रजिस्ट्रार कार्यालय के सामने है। पूर्व विधायक हरचंद सिंह सिद्धू की कोठी के सामने हैं। यह अत्यंत महत्वपूर्ण व्यवसायिक क्षेत्र है इसे आवासीय रूप में आज के समय बेचा जाना योजना बनाना सरकारी कोष को बहुत बड़ी चोट पहुंचाना है।
इस 10 -15 करोड़ रुपए की जमीन को अब सोचते समझते आवासीय रूप में नीलाम करने की योजना साधारण बुद्धि से नहीं बनाई गई है।
नगर पालिका में इस समय कांग्रेस पार्टी का बोर्ड है और मास्टर ओमप्रकाश कालवा अध्यक्ष हैं। जो दावा करते रहे हैं कि ईमानदारी से कार्य करेंगे, हर कार्य ईमानदारी से होगा, पारदर्शिता से होगा, लेकिन यहां पर उनके कथन और कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।
नगर पालिका पर पूर्व विधायक गंगाजल मील और पिछले चुनाव 2018 के प्रत्याशी हनुमान मील जो गंगाजल मील के भतीजे हैं का दबदबा है और उनके कथन या इशारे पर कार्य होते हैं। गंगाजल मील और हनुमान मील को इस पर तत्काल ही ध्यान देना चाहिए।
नगर पालिका मैं इस समय मिल्खराज चुघ अधिशासी अधिकारी हैं और सरकार के प्रतिनिधि हैं। इस ईओ ने यह नीलामी कैसे निकाल दी?
अध्यक्ष और ईओ को नीलामी का यह फैसला तुरंत निरस्त कर देना चाहिए ताकि ईमानदारी की छाप या संकल्प कायम रह सके।
बाजार में स्थित यह जमीन आवासीय रूप में 15 भूखंडों में नीलामी का विज्ञापन राजस्थान पत्रिका श्रीगंगानगर संस्करण में 25 अगस्त 2020 को पृष्ठ 6 पर प्रकाशित हुआ है।
इसमें भूखंडों का विवरण है और आश्चर्यजनक रूप से साइज में अनुमानित शब्द लिखा हुआ है। नगर पालिका में इंजीनियर बैठते हैं उन्होंने माप लिया होगा हर प्लॉट का साइज लिखा हुआ होते हुए भी उसमें अनुमानित लिखा जाना भी गोलमाल है। यह विज्ञापन 20 अगस्त को जारी हुआ है। नीलामी 14 सितंबर 2020 से 17 सितंबर को घोषित है।
नगर पालिका ने कुछ माह पूर्व राष्ट्रीय उच्च मार्ग 62 पर डेयरी के सामने आवासीय और व्यावसायिक भूखंडों की नीलामी निकाली थी जो भारी विरोध के बाद हो नहीं पाई थी। जिला कलेक्टर और राज्य सरकार तक वह मामला पहुंचा था। उस समय पूर्व पालिका अध्यक्ष बनवारी लाल मेघवाल और पूर्व विधायक हरचंद सिंह सिद्धू सहित कई लोगों ने जबरदस्त विरोध किया था।
वह भी बहुत बड़ा गोलमाल काआरोप लगाया गया था। वह नीलामी भी सिरे नहीं चढ़ पाई थी।
अब यह बाजार के बीच में फिर बहुत बड़ा घोटाला है। नगरपालिका को अपनी आय करनी है तो इस जगह को व्यावसायिक रूप में नीलामी निकाले।००
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शुक्रवार, 21 अगस्त 2020
नगरपालिका ने भादू कटले की सील हटाई- आठ माह तक सील रहा।
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 21 अगस्त 2020.
नगर पालिका सूरतगढ़ की ओर से आज दोपहर को पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भादू और उनके दो भाइयों देवेंद्र और रविंद्र के कटले की सील मोहर हटा दी गई। नगरपालिका कर्मचारी कालूराम सेन व अन्य ने दोपहर में सील हटाई।
नगरपालिका ने 13 दिसंबर 2019 को निर्माण स्वीकृति अनुसार नहीं होने का नोटिस देते हुए 6 माह के लिए सील लगा दी थी।
अधिशासी अधिकारी लालचंद सांखला के नेतृत्व में नगरपालिका अधिकारियों व कर्मचारियों ने 13 दिसंबर 2019 को कटला सील किया था। नगरपालिका ने कार्यवाही कर फाईल क्षेत्रीय उप निदेशक स्वायत शासन विभाग बीकानेर को सौंपी थी।
क्षेत्रीय उप निदेशक के समक्ष नगरपालिका की कार्यवाही के नापजोख को सही नहीं बताते हुए अन्य एजेंसी से रिपोर्ट करवाने की मांग की गई। इसके बाद नगरपरिषद श्रीगंगानगर के स्टाफ ने जांच की और रिपोर्ट सौंपी। उस रिपोर्ट के जो बाद निर्णय हुआ और कटले की सील हटाई गई। निर्णय होने की चर्चा कुछ माह पहले शुरू हो चुकी थी। निर्णय की विस्तृत रिपोर्ट मिलेगी तब लगाने का प्रयास होगा। कांग्रेस का बोर्ड आने के बाद नगरपालिका ने यह एक ही कटला सीज किया था जबकि आसपास कई निर्माण सही नहीं हुए।ओमप्रकाश कालवा अध्यक्ष ने 2 दिसंबर 2019 को कार्यग्रहण किया था और कुछ दिन बाद ही नोटिस जारी हुए और फिर कटला सीज कर सील लगादी गई थी। सभी निर्माण में 50 से अधिक दुकानें हैं।००
क्षेत्रीय उप निदेशक के समक्ष नगरपालिका की कार्यवाही के नापजोख को सही नहीं बताते हुए अन्य एजेंसी से रिपोर्ट करवाने की मांग की गई। इसके बाद नगरपरिषद श्रीगंगानगर के स्टाफ ने जांच की और रिपोर्ट सौंपी। उस रिपोर्ट के जो बाद निर्णय हुआ और कटले की सील हटाई गई। निर्णय होने की चर्चा कुछ माह पहले शुरू हो चुकी थी। निर्णय की विस्तृत रिपोर्ट मिलेगी तब लगाने का प्रयास होगा। कांग्रेस का बोर्ड आने के बाद नगरपालिका ने यह एक ही कटला सीज किया था जबकि आसपास कई निर्माण सही नहीं हुए।ओमप्रकाश कालवा अध्यक्ष ने 2 दिसंबर 2019 को कार्यग्रहण किया था और कुछ दिन बाद ही नोटिस जारी हुए और फिर कटला सीज कर सील लगादी गई थी। सभी निर्माण में 50 से अधिक दुकानें हैं।००
बुधवार, 19 अगस्त 2020
मोबाइल बिगाड़ रहा है अपराध बढा रहा है. * करणीदानसिंह राजपूत *
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अपराध बढ रहे हैं और उसके पीछे अब साधन बन गया है स्मार्ट मोबाइल फोन। जी हां यही सच्च है। अपनी संतानों को स्मार्ट फोन देना दिलाना फैशन हो गया है। अपराध बढ रहे हैं मगर संतानों का किन किन से संपर्क हो रहा है? यह चिंता किसी को नहीं। समय नहीं।
अपने संतान और खास का मोबाइल में क्या है? किसका फोन आया किसको फोन गया? वे कौन हैं? फोन कब कब हुआ? कितने समय तक हुआ?
आपके घर आने जाने वाले,आसपास रहने वालों के नंबर मोबाइल में क्यों हैं? इनसे भी क्या बात हुई? किस किस को फोटो मैसेज विडिओ क्लिप भेजी गई या आई?किस से चैटिंग हुई?
अपराध रोकने गलत बातें संपर्क रोकने के लिए जरूरी है कि घर आने जाने वालों,आसपास के रहने वाले पुरुषों,लड़कों के नं केवल परिवार के पुरुषों के ही मोबाइल में हों।
अनावश्यक नं और अज्ञात नं किसी भी नाम से हो आप जानते नहीं हो तो परिवार के अन्य फोनों से नंबर हटाने में ही भलाई है। किसी नाम से नंबर सेव भी है तो मालूम तो करें कि यह कौन है?
इससे अनावश्यक बातचीत नहीं हो पाएगी। अपराधों के बढने का कारण भी है।
संतान के विवाह से पहले कोई भी गलत बात होती है तब मां बाप छिपाते हैं। विवाह के बाद सास ससुर भी छिपाते हैं ताकि पति पत्नी में कलह न हो। संतान अविवाहित हो चाहे विवाहित हो उस पर ध्यान तो होना ही चाहिए क्योंकि जमाना खराब है।
बातें छुपाने का खेल तनाव पैदा करता है और अपराध को फलने फूलने का मौका देता रहता है।
आजकल लड़कियों और महिलाओं के साथ अपराध बढ रहे हैं। लड़कियों और महिलाओं को फुसलाने, बहकाने और अपहरण के अपराध पुलिस में बहुत दर्ज हो रहे हैं तथा अखबारों तथा टीवी चैनलों में प्रकाशित प्रसारित हो रहे हैं। ये घटनाएं चिंता में डालती हैं।
स्मार्ट फोन के जरिए आने जाने वाले संदेश,बातचीत,चैटिंग,वीडियो चैटिंग सभी रिकॉर्ड किए जा सकते हैं और बाद में ब्लेकमेल के लिए इस्तेमाल हो सकते हैं। आज जो खास है वही कल ब्लेकमेल कर सकता है।
परिवार में भी मोबाइल चैक करके देखने में यदि हिचक है तो उसे खत्म करें और बढते अपराधों में सावधानी के लिए कदम उठाएं।
००
आपको अच्छा लगा हो तो अन्य को भेजें। अखबार में भी प्रकाशित कर सकते हैं -
लेखक करणीदानसिंह राजपूत, पत्रकार, सूरतगढ़। 94143 81356.
मंगलवार, 11 अगस्त 2020
👌 सास और बहू * काव्य- करणीदानसिंह राजपूत.
बहू ने ससुराल को सराहा
सास ने बहु को भला और
बहु ने सास को भला बताया।
बहु अपनी मां को भूली
सास अपनी बेटी को भूली
पीहर भी खुश ससुराल भी खुश।
बहु पीहर जाए तो
सास की आंखें भर आए
सास को हो सर दर्द तब
बहु का चैन खो जाए।
हमारी सोच के विपरीत हैं
ये मधुर संबंध
हमने वर्षों से टकराव ही सोचा
अब जुड़ाव है तो कैसे सुहाए
सास बहू का मां बेटी सा यह संबंध।
अड़ोस पड़ोस में हलचल हुई
कुछ बहुएं कुछ सासूएं
अलग खोजने लगी।
पूरे मोहल्ले में सास बहू
एक दूजे को विष पिलाए तो
एक घर में प्रेमकी
वर्षा क्यों सुहाय?
अड़ोस पड़ोस में झूठ
फैलाई जाने लगी
सास ने बहू को पाबंद कर रखा है
बहू ने सास को तंग कर रखा है।
अफवाहें किसी का
भला नहीं कर सकती
न इस घर का
न उस घर का।
सासुओं ने मिल कर
उस सास को पटाया
बहु पर कुछ नियंत्रण लगवाया।
बहुओं ने मिल कर
उस बहु को सिखाया
बहु ने सास को डायन बताया।
सास बहू के बीच होने लगी तकरार
कभी दिन में कभी रात में
कभी कमरे में कभी बाहर
अड़ोस पड़ोस में
दूर तक आने लगी आवाजें।
मोहल्ले की सांसुएं खुश
मोहल्ले की बहुएं भी खुश
सभी ने अपना अपना
मोर्चा फतह किया।
नया बगीचा सींचना था मीठे जल से
उसमें खारा कड़वा पानी उड़ेल दिया
खारे पानी से फूल नहीं मुस्काते
खारे पानी से तो सूखते हैं बगीचे।
सास बहू पास बैठ भोजन करती थी
अड़ोस पड़ोस ने उनको दुश्मन बना डाला।
सास बहु के बीच झगडे़ का
क्या खेल रचा डाला।
एक दिन भड़काऊ खेल खत्म हुआ
अड़ोस पड़ोस की बहुओं और
सासुओं में एकता भंग हो गई।
उनमें तू तू मैं मैं शुरू हो गई
तब भेद खुला
सास बहु में झगड़ा किसने करवाया?
सास ने बहू को और बहू ने सास को निहारा
बहू ने पुकारा मां मेरी प्यारी मां
सास ने पुकारा बेटी मेरी प्यारी बेटी।
सास बहु दोनों की आंखें नम हो गई
दोनों एक दूसरे के गले मिल गई
बहू ने फिर सास को सराहा
सास ने फिर बहू को गुणवान बताया।
हमारी सोच के विपरीत सास बहु में प्रेम संबंध फिर कायम हो गए
टकराव खत्म हुआ
दोनों में मजबूत जुड़ाव हो गया।
****
यह कविता करीब सन 2000-5 के बीच में लिखी गई थी। यह आकाशवाणी के सूरतगढ़ केन्द्र से प्रसारित हुई थी।**
करणीदानसिंह राजपूत
स्वतंत्र पत्रकार,
सूरतगढ़।
94143 81356.
*******
सास ने बहु को भला और
बहु ने सास को भला बताया।
सास अपनी बेटी को भूली
पीहर भी खुश ससुराल भी खुश।
सास की आंखें भर आए
सास को हो सर दर्द तब
बहु का चैन खो जाए।
ये मधुर संबंध
हमने वर्षों से टकराव ही सोचा
अब जुड़ाव है तो कैसे सुहाए
सास बहू का मां बेटी सा यह संबंध।
कुछ बहुएं कुछ सासूएं
अलग खोजने लगी।
एक दूजे को विष पिलाए तो
एक घर में प्रेमकी
वर्षा क्यों सुहाय?
सास ने बहू को पाबंद कर रखा है
बहू ने सास को तंग कर रखा है।
न इस घर का
उस सास को पटाया
बहु पर कुछ नियंत्रण लगवाया।
बहुओं ने मिल कर
उस बहु को सिखाया
बहु ने सास को डायन बताया।
कभी दिन में कभी रात में
कभी कमरे में कभी बाहर
अड़ोस पड़ोस में
दूर तक आने लगी आवाजें।
मोहल्ले की बहुएं भी खुश
सभी ने अपना अपना
मोर्चा फतह किया।
नया बगीचा सींचना था मीठे जल से
उसमें खारा कड़वा पानी उड़ेल दिया
खारे पानी से फूल नहीं मुस्काते
खारे पानी से तो सूखते हैं बगीचे।
अड़ोस पड़ोस ने उनको दुश्मन बना डाला।
सास बहु के बीच झगडे़ का
क्या खेल रचा डाला।
अड़ोस पड़ोस की बहुओं और
सासुओं में एकता भंग हो गई।
उनमें तू तू मैं मैं शुरू हो गई
तब भेद खुला
सास बहु में झगड़ा किसने करवाया?
बहू ने पुकारा मां मेरी प्यारी मां
सास ने पुकारा बेटी मेरी प्यारी बेटी।
दोनों एक दूसरे के गले मिल गई
बहू ने फिर सास को सराहा
सास ने फिर बहू को गुणवान बताया।
टकराव खत्म हुआ
दोनों में मजबूत जुड़ाव हो गया।
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करणीदानसिंह राजपूत
स्वतंत्र पत्रकार,
सूरतगढ़।
94143 81356.
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सोमवार, 10 अगस्त 2020
एक बूंद सबको हर्षा गई - काव्य :करणीदानसिंह राजपूत
एक बूंद
आकाश से टपकी
धूल में जा मिली
पल भर का जीवन था
सबको हर्षा गई।
एक बूंद
स्वाति नक्षत्र में टपकी
सीप में जा समाई
पल भर में जीवन बदला
सच्चा मोती बन गई।
एक बूंद शीशी से टपकी
नाड़ी में समा गई
पल में जीवन को संभाला
सांसे दिला गई।
एक बूंद
दवात से टपकी
पेन में समा गई
पल में उतरे शब्द
चेतना जगा गई।
एक एक से नदियां बनती
एक एक से बनता जीवन
एक एक से बनती शक्ति
एक एक से दुनिया रचती।
****
* यह कविता 1987 -88 के करीब लिखी गई थी। आकाशवाणी के सूरतगढ़ केन्द्र से प्रसारित हुई थी।
*******
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
सूरतगढ़.
94143 81356.
*********
आकाश से टपकी
धूल में जा मिली
पल भर का जीवन था
सबको हर्षा गई।
स्वाति नक्षत्र में टपकी
सीप में जा समाई
पल भर में जीवन बदला
सच्चा मोती बन गई।
नाड़ी में समा गई
पल में जीवन को संभाला
सांसे दिला गई।
दवात से टपकी
पेन में समा गई
पल में उतरे शब्द
चेतना जगा गई।
एक एक से बनता जीवन
एक एक से बनती शक्ति
एक एक से दुनिया रचती।
****
* यह कविता 1987 -88 के करीब लिखी गई थी। आकाशवाणी के सूरतगढ़ केन्द्र से प्रसारित हुई थी।
*******
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
सूरतगढ़.
94143 81356.
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भाजपा राजस्थान प्रदेश मंत्री विजेन्द्र पूनिया में सूरतगढ़ का राजनैतिक भविष्य देखती जनता **
* करणीदानसिंह राजपूत *
भाजपा की राजस्थान प्रदेश कार्यकारिणी में श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ क्षेत्र के ग्रामीण अंचल से विजेन्द्र पूनिया को मंत्री पद पर पहुंचाना बहुत महत्ता रखता है। सूरतगढ़ से इतने शिखर पर पहले कोई नहीं पहुंचा था या इसे यूं कहें कि भाजपा ने इस पद का कार्य करने का दायित्व नहीं सौंपा था।
प्रदेश मंत्री बनने को अहम माना जाने के कारण राजनीति में गंभीर सोच रखने वाले लोग विजेन्द्र पूनिया में सूरतगढ़ का राजनैतिक भविष्य देख रहे हैं।
राजनीति में भविष्य वाणी या दावा करना भी अहम होता है। लोग साफ सुथरी छवि वाले विजेन्द्र पूनिया में सूरतगढ़ का राजनैतिक भविष्य देखते हैं तो पूनिया को भी इसे गंभीरता से लेते हुए आगे के तीन साल में बहुत कुछ करना होगा। प्रदेश मंत्री पद काम करने कराने के लिए बहुत मजबूत आधार स्तंभ है और भाजपा की देश में मजबूत स्थिति है।
विजेन्द्र पूनिया को संघ में और भाजपा संगठन में कार्य की पद्धति को उत्तम मानते हुए यह पद सौंपा गया है। कार्यकारिणी के गठन में अन्य नेताओं कार्यकर्ताओं पर भी निश्चित रूप से चर्चा हुई है।
विजेन्द्र पूनिया के संघ में यानि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा संगठन में कार्य करने के काल पर दृष्टि डालें तो समझ में आ सकता है कि इस पद पर चयन कैसे हुआ और लोग राजनैतिक भविष्य भी क्यों मान रहे हैं?
सूरतगढ़ तहसील के संघर गांव में साधारण किसान परिवार में जन्मे विजेन्द्र पूनियां ने स्वयं की मेहनत एवं कार्य के दम पर भारतीय जनता पार्टी राजस्थान की टीम में प्रदेश मंत्री जैसा महत्त्वपूर्ण दायित्व प्राप्त किया है।
विजेन्द्र पूनियां की दसवीं तक स्कूली शिक्षा गांव में ही हुई।
नौंवी कक्षा में पढाई के दौरान ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने। संघ के प्रशिक्षण वर्ग कर सन् 2000 में पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रुप में प्रचारक बने। बाङमेर एवं नागौर जिले में संघ के प्रचारक रहे। 2008 तक नागौर जिला प्रचारक रहे। जुलाई 2008 में प्रचारक जीवन से छुट्टी लेकर अपने गांव संघर आ गये ।
राजनीति में स्वच्छ छवि के कारण प्रवेश हुआ। पंचायती राज के चुनावों में 2010 में जिला परिषद के जोन नम्बर 13 से सदस्य निर्वाचित हुए। यहां प्रभावशाली ग्रुप से टक्कर हुई जिसमें जीत हुई।
इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए मार्च 2018 में भाजपा की विस्तारक योजना में बीकानेर संभाग के प्रभारी नियुक्त हुए।
पार्टी के प्रति समर्पण, लग्न, कार्यकुशलता को देखते हुए प्रदेश नेतृत्व ने साधारण ग्रामीण परिवेश के कार्यकर्ता को प्रदेश मंत्री जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी।
पूनिया की पारीवारिक स्थिति पर भी दृष्टि डालें।
किसान बद्रीराम जी और सावित्री देवी के यहां 14 नवम्बर 1980 को संघर में जन्में विजेन्द्र पूनियां ने MBA तक पढाई की है। इनका विवाह श्रीमती कौशल्या से हुआ। ससुराल धौलीपाल जिला हनुमानगढ में है।
संतान में दो बेटियां लक्षिता और किट्टू हैं। माता पिता दोनों अभी परिवार और खेती की सार संभाल में पूरा समय देते हैं जिससे विजेन्द्र पूनिया को राजनैतिक और सामाजिक कार्यों के लिए बहुत समय मिल जाता है।
पूनिया की कार्यकुशलता, व्यवहारिकता, पार्टी में अच्छी छवि पहुंच के चलते सूरतगढ़ विधानसभा की जनता इनमें राजनीतिक भविष्य देखती है।oo
रविवार, 9 अगस्त 2020
राजस्थान में भ्रष्टाचार की चुप्पी पर बढती रिश्वतखोरी * सरकार और विपक्ष दोनों ही सख्त नहीं-
** जरूरत मंद पर दबाव डाल कर ली जाती है रिश्वत**
* करणीदानसिंह राजपूत *
राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाईयां बड़े बड़े अधिकारियों की गिरफ्तारियां होने के समाचार आए दिन समाचार पत्रों में और टीवी चैनलों में सचित्र प्रकाशित प्रसारित हो रहे हैं।
आश्चर्य यह है कि इतना कुछ होने के बावजूद कोई रोक-टोक नहीं। कोई जागृति नहीं। रिश्वत का लेना और देना निरंतर जारी है।
बड़े बड़े अधिकारी जिनका वेतन प्रतिमाह लाखों रुपए में है वे भी रिश्वत लेने में अपनी मान मर्यादा का ध्यान नहीं रख रहे।
राजस्थान में रोजाना ही कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई होती है, गिरफ्तारियां होती है लेकिन मुख्यमंत्री अन्य मंत्री गण बड़े अधिकारी और जिले के अंदर जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक के मुंह से भ्रष्टाचार करने वालों के विरुद्ध एक शब्द भी सुनने को नहीं मिलता।
यह भी आश्चर्य है कि जब जब गिरफ्तारियां होती है तब तब मंत्रियों अधिकारियों की छोड़ें अन्य राजनीतिक दलों के पदाधिकारी गण बुद्धिजीवियों की तरफ से भी कोई वक्तव्य देखने को पढ़ने को नहीं मिलता।
भ्रष्टाचार में रिश्वत लेना और देना सामान्य भोजन जैसा मान लिया गया है।यह शिथिलता जरूरतमंद लोगों के लिए अभिशाप बनी हुई है। अधिकारीगण काम नहीं करते इसलिए जरूरतमंद व्यक्ति को मजबूरी में और दबाव में रिश्वत के पैसे जुटाने और देने पड़ रहे हैं।
चाहे सामान्य प्रशासन हो शिक्षा विभाग हो पुलिस विभाग हो और अन्य विभागों में भी मॉनिटरिंग होती है अधिकारी होते हैं लेकिन इन अधिकारियों की नजरों में फाईलें नहीं आती। फाईलें पूर्ण होने के बाद भी हस्तक्षरों के लिए पड़ी रहती हैं।
यह भी होता है कि संबंधित बाबू काम पूरा कर लेता है लेकिन इसके बावजूद अधिकारी फाइल पेश करने के लिए आदेश नहीं देता। अधिकारी रिश्वत का दबाव देता है। यदि बाबू फाइल पेश कर देता है तो भी अधिकारी कहता है कि कागजात मांगे जाने पर ही पेश करें और अपनी मनमर्जी से फाइल पेश कैसे कर दी। इस तरीके से यह फाइल संबंधित बाबुओं के ही पास पड़ी रहती है।
एक सुझाव काफी समय से चलता रहा है कि हर संबंधित बाबू और अधिकारी इंजीनियर का
हस्ताक्षर पूरा हो उसके नीचे उसकी मोहर हो और तारीख और समय हो। ऐसी हालत में फाइल जहां रुकेगी वह जिम्मेदार होगा लेकिन भ्रष्टाचार के चकाचौंध में यह सुझाव सिरे नहीं चढ़ पाय। इस सुझाव में हस्ताक्षर की घुग्गी मार कर बचने वाले भी जांच आदि में बच नहीं सकते।
इस सुझाव में कोई कमी नहीं है लेकिन इस पर सरकार के दिग्गज मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी भी जानबूझकर कार्य करना नहीं चाहते। सरकार ऐसे निर्देश के सर्कुलर जारी नहीं करना चाहती।
अधिकारियों के निरीक्षण के समय सभी प्रकार के निर्देश समाचार पत्रों में छपते हैं लेकिन किसी भी अधिकारी का यह निर्देश नहीं छपता कि उसने रिश्वत नहीं लेने का निर्देश दिया है।
उसने कठोरता से कहा है कि भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जाएगा।
*राजस्थान के हर जिले के लिए प्रभारी मंत्री और प्रभारी सचिव है। ये भी जिलों में एक दो दिन के लिए साल भर में पांच छह बार पहुंचते हैं,मगर इनके मुख और कार्वाई से भ्रष्टाचार रिश्वतखोरी पर रोक लगाने जैसा समाचार नहीं मिलता।*
मंत्रियों,अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं और अन्य बुद्धिमानों की यह शिथिलता भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।००
9 अगस्त 2020.
लेख-
करणीदानसिंह राजपूत
स्वतंत्र पत्रकार( सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़
94143 81356.
*********
** जरूरत मंद पर दबाव डाल कर ली जाती है रिश्वत**
आश्चर्य यह है कि इतना कुछ होने के बावजूद कोई रोक-टोक नहीं। कोई जागृति नहीं। रिश्वत का लेना और देना निरंतर जारी है।
बड़े बड़े अधिकारी जिनका वेतन प्रतिमाह लाखों रुपए में है वे भी रिश्वत लेने में अपनी मान मर्यादा का ध्यान नहीं रख रहे।
राजस्थान में रोजाना ही कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई होती है, गिरफ्तारियां होती है लेकिन मुख्यमंत्री अन्य मंत्री गण बड़े अधिकारी और जिले के अंदर जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक के मुंह से भ्रष्टाचार करने वालों के विरुद्ध एक शब्द भी सुनने को नहीं मिलता।
भ्रष्टाचार में रिश्वत लेना और देना सामान्य भोजन जैसा मान लिया गया है।यह शिथिलता जरूरतमंद लोगों के लिए अभिशाप बनी हुई है। अधिकारीगण काम नहीं करते इसलिए जरूरतमंद व्यक्ति को मजबूरी में और दबाव में रिश्वत के पैसे जुटाने और देने पड़ रहे हैं।
चाहे सामान्य प्रशासन हो शिक्षा विभाग हो पुलिस विभाग हो और अन्य विभागों में भी मॉनिटरिंग होती है अधिकारी होते हैं लेकिन इन अधिकारियों की नजरों में फाईलें नहीं आती। फाईलें पूर्ण होने के बाद भी हस्तक्षरों के लिए पड़ी रहती हैं।
हस्ताक्षर पूरा हो उसके नीचे उसकी मोहर हो और तारीख और समय हो। ऐसी हालत में फाइल जहां रुकेगी वह जिम्मेदार होगा लेकिन भ्रष्टाचार के चकाचौंध में यह सुझाव सिरे नहीं चढ़ पाय। इस सुझाव में हस्ताक्षर की घुग्गी मार कर बचने वाले भी जांच आदि में बच नहीं सकते।
इस सुझाव में कोई कमी नहीं है लेकिन इस पर सरकार के दिग्गज मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी भी जानबूझकर कार्य करना नहीं चाहते। सरकार ऐसे निर्देश के सर्कुलर जारी नहीं करना चाहती।
अधिकारियों के निरीक्षण के समय सभी प्रकार के निर्देश समाचार पत्रों में छपते हैं लेकिन किसी भी अधिकारी का यह निर्देश नहीं छपता कि उसने रिश्वत नहीं लेने का निर्देश दिया है।
उसने कठोरता से कहा है कि भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जाएगा।
मंत्रियों,अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं और अन्य बुद्धिमानों की यह शिथिलता भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।००
9 अगस्त 2020.
लेख-
करणीदानसिंह राजपूत
स्वतंत्र पत्रकार( सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़
94143 81356.
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