सीबीआई जांच से ही खुलेंगे सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन के सुपर घोटाले-3
सूरतगढ़,राजगढ़,रामगढ़, छबड़ा, गिरल की इकाईयों की जांच की मांग
4000 करोड़ से 10,000 करोड़ रूपए तक को चूना लगा दिया गया
नई दुर्घटना : सूरतगढ़ की पाचवीं इकाई में कोयला पावडर भट्टी तक पहुंचाने वाली पाईप में विस्फोट
करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 26 अप्रेल। राजस्थान के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए विकास के हर क्षेत्र में विद्युत की महत्ती आवश्यकता है, लेकिन राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम ने राजस्थान को विद्युत उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में निरंतर सफलता की ओर बढ़ते जाने की घोषणाएं तो बहुत की मगर इसके लिए उपलब्ध कराए गए अरबों रूपए की रकम को जिस तरह से अनियमितताओं में खर्च किया, उससे भ्रष्टाचार तो बढ़ा मगर निर्मित इकाईयों के संचालन में नित नई बाधाएं आती रही हैं। सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन की 250 मैगावाट क्षमता की छठी इकाई बार बार बंद होते हुए अब काफी समय से बंद पड़ी है और उसके सही होने व सही चलने की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती। इस इकाई के निर्माण पर सवालिया निशान लगे हैं और उसका जवाब किसी के पास में नहीं है।
छठी इकाई बंद पड़ी ही थी कि 26 अप्रेल 2011 को सुबह करीब दस ग्यारह बजे के बीच में पाचवीं इकाई में कोयला पावडर भट्टी तक पहुंचाने वाली पाईप में विस्फोट हो गया और वह फट गई। उसका एक उपकरण जो काफी वजनी होता है दूर जा गिरा। इस पाईप में प्रेशर बढ़ जाने से यह दुर्घटना हुई जिसके कारण यह इकाई बंद करनी पड़ी। इस इकाई के सुधारने में करीब तीन दिन लगने की संभावना है। सूरतगढ़ तापीय विद्युत परियोजना में सब कार्य देख रेख कम्प्यूटराईज्ड है, इसके बावजूद आए दिन किसी न किसी इकाई में बड़ी गड़बड़ खराबी होती रहती है।
सूरतगढ़ विद्युत उत्पादन मजदूर यूनियन इंटक के अध्यक्ष युसुफ खान और महामंत्री श्याम सुंदर शर्मा ने सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन की छठी इकाई सहित अन्य इकाईयों में हुए और अब भी हो रहे भ्रष्टाचार की जांच करानें की मांगे कई बार की है। अभी 21 अप्रेल को पुन: शिकायत की है जिसमें पिछले पांच सालों में हुए निर्माणों की जांच कराने की मांग है। मुख्यमंत्री से 10 दिन में कार्यवाही करने का आग्रह किया गया है। इसकी प्रतियां प्रधानमंत्री, सोनिया गांधी और राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक नई दिल्ली को भी भिजवाई गई है।
इस शिकायत में राजस्थान की सूरतगढ़,राजगढ़,रामगढ़, छबड़ा, गिरल की इकाईयों की जांच की मांग है जो संचालन में बाधाएं आ रही है। आरोप यह लगाया गया है कि इनके निर्माण में व्यापक भ्रष्टाचार हुआ है तथा 4000 करोड़ से 10,000 करोड़ रूपए तक को चूना लगा दिया गया है। यूनियन की ओर से लगाए गए आरोपों में एक आरोप बहुत गंभीर है कि अरबों रूपए की मशीनें उन अभियंताओं को सीधे सौंप दी जाती है जिनको पूर्व का कोई अनुभव ही नहीं होता। इस कार्य प्रणाली पर तो निगम तुरंत ही रोक लगा सकता है तथा कार्य प्रणाली में तुरंत बदलाव भी कर सकता है।