शनिवार, 30 अप्रैल 2011

फोटो फीचर नीम

 नीम सुधारे तन, नीम सुधारे मन। 
नीम के फूलों को निहारें, नीम की छाया में बैठें।
नीम की हवा खाएं, नीम स्वस्थ बनाए। 
छवि एवम् शब्द : करणीदानसिंह राजपूत।

महावीर इंटरनेशनल की ओर सन 2012-13 सत्र में नीम के 2 लाख पौधे लगरए जाने का संकल्प है। इस संकल्प के अन्तर्गत कार्य प्रारंभ भी हो चुका है। पाठकों से यही आशा करते हैं कि वे जहां पर निवास करते हैं या कार्य करते हैं, उस स्थान पर इस अभियान में अपना यथासंभव सहयोग अवश्य ही प्रदान करें।
महावीर इंटरनेशल की पत्रिका में नीम पर एक लेख है जिसकी फोटो प्रति आपके पढऩे के लिए यहां पर दी जा रही है।
 





 

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

सूरतगढ़ में विशाल आवासीय क्षेत्र विकसित किए जाने की तैयारियां जोरों पर

सूरतगढ़ में भू माफियाओं और उनसे जुड़े लोगों पर आने वाला है संकट
सूरतगढ़ में विशाल आवासीय क्षेत्र विकसित किए जाने की तैयारियां जोरों पर
आवासन मंडल की एक कॉलोनी वास्ते भूमि आवाप्ति सूचना जारी
आवासन मंडल एक और बड़ी योजना की तैयारी में है
नगरपालिका योजना के लिए भूमि का आवेदन आजकल में ही होगा
करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 29 अप्रेल। राष्ट्रीय उच्च मार्ग नं 15 के आस पास और नजदीकी क्षेत्र में सरकारी जमीन और पालिका की जमीन पर अतिक्रमण करते रहने आगे बेचते रहने वालों और इन्हीं जमीनों को अवैध रूप से खरीदने वालों पर सरकारी शिकंजा कसा जाने वाला है जिसमें अतिक्रमणों का सफाया किया जाना भी प्राथमिकता में रहेगा। सरकार की ओर से हमारे सूत्रानुसार तीन विशाल नई कॉलोनियां विकसित करने की योजनाएं हैं। राजस्थान आवासन मंडल सूरतगढ़ में एक नई आवासीय कॉलोनी बनाने की शुरूआती कार्यवाही शुरू कर चुका है और इस योजना से भी बहुत बड़ी योजना की तैयारी चल रही है। इस आवासीय कॉलोनी में करीब 600 आवास बनाने संभावित हैं। नगरपालिका भी करीब 400 बीघा क्षेत्र में एक कॉलोनी की जगह का प्रस्ताव तैयार कर पालिका क्षेत्र की भूमि के लिए राजस्व विभाग से आवेदन की तैयारी पूरी करन चुकी है। इन कॉलोनियों में आने वाले अतिक्रमण और शहर से जोडऩे के लिए बनाई जाने वाली सडक़ों आदि में भी आने वाले अतिक्रमण हटा दिए जाऐंगे। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वाले माफिया और उनसे जुड़े लोग शीघ्र ही संकट और परेशानियों में घिरने वाले हैं।
भूमि जो शामिल की गई है
     नगरीय विकास विभाग ने राजपत्र में 8 मार्च 2011 को सूरतगढ़ में आवासीय कॉलोनी बनाने के लिए जमीन लेने के लिए अधिसूचना प्रकाशित करवा दी थी और अब उसका प्रकाशन अखबार में 28 अप्रेल को किया जा चुका है। इसमें आवाप्त होने वाली भूमि के नक्शे आदि एक माह तक की अवधि में देखे जा सकते हैं। इस आवासीय योजना के लिए 33.657 हैक्टेअर भूमि शामिल की है। यह भूमि जिस जगह चिन्हित की गई है। पूर्व में राष्ट्रीय उच्च मार्ग नं 15, पश्चिम में खसरा नं 326,342 व 345,उत्तर में खसरा नं 353 व 355,उत्तर में खसरा नं और दक्षिण में खसरा नं 355-6 है।
कोई निर्माण व परिवर्तन नहीं किया जाए
अधि सूचना में समस्त हितधारियों को सूचित किया गया है कि वे उक्त भूमि में किसी भी प्रकार का नया निर्माण नहीं करें तथा राजस्थान आवासन मंडल की लिखित अनुमति के बिना भूमि में किसी प्रकार का रद्दोबदल नहीं करें। इस योजना का विवरण राजस्थान आवासन मंडल के कार्यालय में उपलब्ध है, जिसको किसी भी कार्य दिवस में ज्योति नगर स्थित राजस्थान आवासन मंडल के मुख्यालय में भूमि आवाप्ति प्रकोष्ठ में अधिसूचना जारी होने के एक माह में देखा जा सकता है।
आवासन मंडल की एक और विशाल योजना
आवासन मंडल एक और विशाल आवासीय क्षेत्र विकसित करने वाला है जिसके लिए सूरतगढ़ मे करीब 1500 हैक्टेअर भूमि राष्ट्रीय उच्च मार्ग के पास में ही लेने की तैयारियां की जाने की खबर है। इस योजना में बहुत बड़ी सोच से विकास किया जाने वाला है। इसके लिए राजस्व विभाग से भूमि लिए जाने का आवेदन भी शीघ्र ही जारी होना संभावित है। इस भमि पर भी हुए अतिक्रमणों को ध्वस्त कर दिया जाएगा।
नगरपालिका की आवासीय योजना
नगरपालिका क्षेत्र में 400 बीघा क्षेत्र में आवासीय कॉलोनी बनाने की योजना प्रस्तावित है जिसके कागजात तैयार हो चुके हैं तथा नगरपालिका एक दो दिनों में ही भूमि के लिए राजस्व विभाग को आवेदन प्रस्तुत कर देगी। उप कारागृह के पीछे यह भूमि मांगी जाने वाली है। इस क्षेत्र में भी जिन लोगों के अतिक्रमण हैं वे साफ करवा दिए जाऐंगे।
सरकार को भू माफिया के विरूद्ध करोड़ों रूपयों की भूमि हड़पने की शिकायतें है
    नगरपालिका और नगरपालिका के वर्तमान क्षेत्र से चिपते 2 किलोमीटर परिधि जो वर्तमान में राजस्व विभाग के अधीन है में अतिक्रमण कर आगे बेचने खरीदने वालों की शिकायतें कई बार हुई है। इसमें प्रोपर्टी डीलरों के विरूद्ध भी अतिक्रमणों को अवैध रूप से बिकवाने खरीदवाने का आरोप है। इन पर भी कानूनी कार्यवाही की जाएगी। इसके लिए इनका सारा रिकार्ड व संपर्क आदि का ब्यौरा खंगाला जाएगा। यह भी पक्की सूचना है कि अतिक्रमणों को हटाने में शहर की सडक़ों को भी कार्यवाहियों में शामिल किया जाएगा। प्रशासन ये समस्त कार्यवाहियां शीघ्र ही शुरू करने वाला है।
उपखंड अधिकारी ने आवासीय क्षेत्र विकसित किए जाने की पुष्टि की
वर्तमान में उपखंड अधिकारी कालू राम ने 29 अप्रेल को आवासीय क्षेत्र विकसित करने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि आवासन मंडल विभाग की एक अधि सूचना अखबार में 28 अप्रेल को छप चुकी है। इसके अलावा एक बहुत बड़ी योजना के लिए भूमि का आवेदन भी शीघ्र ही किया जाने वाला है। इनके अलावा नगरपालिका भी एक आवासीय कॉलोनी बनाने की योजना बना चुकी है तथा उसके लिए भूमि का आवेदन किए जाने का मसौदा भी तैयार हो चुका है जो आजकल में ही प्रस्तुत कर दिया जाएगा।
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गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

सीबीआई जांच से ही खुलेंगे सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन के सुपर घोटाले-4

सीबीआई जांच से ही खुलेंगे सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन के सुपर घोटाले-4
छठी इकाई की बिल्डिंग घटिया निर्माण से कई जगह से धंस गई
अनेक स्थानों पर आ चुकी हैं दरारें
करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 28 अप्रेल। सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन की छठी इकाई के निर्माण में घटियापन और भारी भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए सूरतगढ़ विद्युत उत्पादन मजदूर युनियन इंटक की ओर से मुख्यमंत्री को आरोप पत्रों का पुलिंदा भेजा गया है। आरोप यह भी गंभीर है कि छठी इकाई का सिविल कार्य भी बहुत घटिया हुआ है जिसके कारण भवन कई स्थानों से धंस गया और दीवारों में दरारें आ चुकी हैं। छठी इकाई में अत्यधिक कंपन होने से बंद है और उन कंपनों से कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है।
    हमारे यहां दुखद स्थिति यह होती रही है कि पूर्व में किसी भी प्रकार की मांग पर ध्यान ही नहीं दिया जाता। दुर्घटना हो जाती है तब वे पुरानी फाईलें टटोली जाती है कि किसने कब ध्यान दिलाया था और उस समय कौन अधिकारी था। किसने जांच की मांग को दबाया। समाप्त
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बुधवार, 27 अप्रैल 2011

प्राचीन शिव और प्राचीन शनि मंदिरों के पीछे गिनाणी में हो रहे अतिक्रमण

गिनाणी में अवैध कब्जों के लिए बालू रेत की भर्ती मानो रेत का टिब्बा हो। फोटो संजय भाटी
खुले आम ट्रैक्टर ट्रॉली में बालू रेत लाकर गिनाणी में डाली जाती है। फोटो संजय भाटी
गिनाणी में मिट्टी डाल कर भर्ती करके मकानों की दीवारें आगे बढ़ाई जाती है। फोटो संजय भाटी
प्राचीन शिव और प्राचीन शनि मंदिरों के पीछे गिनाणी में हो रहे अतिक्रमण
पालिका का अतिक्रमण दस्ता वहां क्यों नहीं जाता?
करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 27 अप्रेल नगरपालिका प्रशासन की अनदेखी नहीं कही जा सकती बल्कि मिली भगती के कारण प्राचीन शिव मंदिर और प्राचीन शनि मंदिर के पीछे गिनाणी को भरती करके अवैध कब्जे करने वालों की बाढ़ सी आई हुई है। ये अतिक्रमण कुछ वर्ष पहले शुरू हुए और प्रभावशाली लोगों के अतिक्रमण एक बार तुड़वाए जाने के बाद पुन: हो गए। लेकिन अभी कुछ दिन पूर्व एक तरफ तो प्रशासन वार्ड नं 4 में अतिक्रमण तुड़वा रहा था और उसी समय गिनाणी में अतिक्रमण हो भी रहे थे। ये अतिक्रमण बाकायदा ट्रैक्टर ट्रॉली में बालू रेत लाकर गिनाणी में भर्ती कराई जा रही थी। नगर पालिका को इत्तला भी दी गई मगर अतिक्रमण तुड़वाने वाला दस्ता वहां नहीं गया। पालिका की इस तरह की मिली भगती से कुछ ही दिनों में यह गिनाणी समाप्त हो जाएगी।
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मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

सीबीआई जांच से ही खुलेंगे सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन के सुपर घोटाले-3

सीबीआई जांच से ही खुलेंगे सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन के सुपर घोटाले-3
सूरतगढ़,राजगढ़,रामगढ़, छबड़ा, गिरल की इकाईयों की जांच की मांग
4000 करोड़ से 10,000 करोड़ रूपए तक को चूना लगा दिया गया
नई दुर्घटना : सूरतगढ़ की पाचवीं इकाई में कोयला पावडर भट्टी तक पहुंचाने वाली पाईप में विस्फोट
करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 26 अप्रेल। राजस्थान के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए विकास के हर क्षेत्र में विद्युत की महत्ती आवश्यकता है, लेकिन राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम ने राजस्थान को विद्युत उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में निरंतर सफलता की ओर बढ़ते जाने की घोषणाएं तो बहुत की मगर इसके लिए उपलब्ध कराए गए अरबों रूपए की रकम को जिस तरह से अनियमितताओं में खर्च किया, उससे भ्रष्टाचार तो बढ़ा मगर निर्मित इकाईयों के संचालन में नित नई बाधाएं आती रही हैं। सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन की 250 मैगावाट क्षमता की छठी इकाई बार बार बंद होते हुए अब काफी समय से बंद पड़ी है और उसके सही होने व सही चलने की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती। इस इकाई के निर्माण पर सवालिया निशान लगे हैं और उसका जवाब किसी के पास में नहीं है।
छठी इकाई बंद पड़ी ही थी कि 26 अप्रेल 2011 को सुबह करीब दस ग्यारह बजे के बीच में पाचवीं इकाई में कोयला पावडर भट्टी तक पहुंचाने वाली पाईप में विस्फोट हो गया और वह फट गई। उसका एक उपकरण जो काफी वजनी होता है दूर जा गिरा। इस पाईप में प्रेशर बढ़ जाने से यह दुर्घटना हुई जिसके कारण यह इकाई बंद करनी पड़ी। इस इकाई के सुधारने में करीब तीन दिन लगने की संभावना है। सूरतगढ़ तापीय विद्युत परियोजना में सब कार्य देख रेख कम्प्यूटराईज्ड है, इसके बावजूद आए दिन किसी न किसी इकाई में बड़ी गड़बड़ खराबी होती रहती है।
सूरतगढ़ विद्युत उत्पादन मजदूर यूनियन इंटक के अध्यक्ष युसुफ खान और महामंत्री श्याम सुंदर शर्मा ने सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन की छठी इकाई सहित अन्य इकाईयों में हुए और अब भी हो रहे भ्रष्टाचार की जांच करानें की मांगे कई बार की है। अभी 21 अप्रेल को पुन: शिकायत की है जिसमें पिछले पांच सालों में हुए निर्माणों की जांच कराने की मांग है। मुख्यमंत्री से 10 दिन में कार्यवाही करने का आग्रह किया गया है। इसकी प्रतियां प्रधानमंत्री, सोनिया गांधी और राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक नई दिल्ली को भी भिजवाई गई है।
इस शिकायत में राजस्थान की सूरतगढ़,राजगढ़,रामगढ़, छबड़ा, गिरल की इकाईयों की जांच की मांग है जो संचालन में बाधाएं आ रही है। आरोप यह लगाया गया है कि इनके निर्माण में व्यापक भ्रष्टाचार हुआ है तथा 4000 करोड़ से 10,000 करोड़ रूपए तक को चूना लगा दिया गया है। यूनियन की ओर से लगाए गए आरोपों में एक आरोप बहुत गंभीर है कि अरबों रूपए की मशीनें उन अभियंताओं को सीधे सौंप दी जाती है जिनको पूर्व का कोई अनुभव ही नहीं होता। इस कार्य प्रणाली पर तो निगम तुरंत ही रोक लगा सकता है तथा कार्य प्रणाली में तुरंत बदलाव भी कर सकता है।

आंचल संस्थान द्वारा चलाये जा रहे वृद्वाश्रम पर लगे आरोप

आंचल संस्थान द्वारा चलाये जा रहे वृद्वाश्रम पर लगे आरोप
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को शिकायत 
सामुदायिक भवन वृद्वाश्रम
दोषियों पर कार्यवाही की मांग आन्दोलात्मक कदम की चेतावनी
करणीदान सिंह राजपूत
सूरतगढ़ 25 अप्रैल:- नागरिक अधिकार मंच के सचिव सुरैष कौल व सदस्य हरीष गिरी ने मुख्यमंत्री व एडीजी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों को ईमेल व डाक के जरिये सूरतगढ में चल रहें वृद्वाश्रम के लिए सामुदायिक भवन को नियम विरूद्व हस्तान्तरण करने के मामले में जांच की मांग की है। कौल व गिरी ने अपनी षिकायत में कहा कि एक अनुभवनहीन संस्था को बिना नियम व कायदे के लोगों के उपयोग में आने वाला सामुदायिक भवन हस्तान्तरित कर दिया है। उन्होंने अपने षिकायत पत्र मे उल्लेख किया है कि नगरपालिका अध्यक्ष बनवारी लाल मेघवाल ने स्वयं को व अपने परिचित एक स्थानीय दैनिक अखबार से जुडे लोगों को फायदा पहुचाने के लिए ईओ भॅंवरलाल सोनी के साथ मिलकर 22-9-2010 की नगरपालिका की बैठक में इस आषय का प्रस्ताव रखा कि वार्ड न0 2 माणकसर लिंक रोड पर नगरपालिका द्वारा निर्मित सामुदायिक भवन का वृद्धाश्रम के रूप में उपयोग किया जाये। उक्त प्रस्ताव पार्षदों द्वारा पारित किया गया जो मंडल की बैठक में रखा गया और अध्यक्ष व ईओ को इस बारे में कार्यवाही करने के सभी अधिकार दिये गये। बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद ईओ व चेयरमैन ने किसी अखबार में न तो विज्ञप्ति निकाली और न ही विज्ञापन निकाला कि नगरपालिका की ओर से वृद्धाश्रम का संचालन करने हेतु क्लब/एन.जी.ओ./संस्था आवेदन कर सकती है तथा किस दिनांक तक इस हेतु आवेदन लिये जायेगें तथा इस हेतु पात्रता क्या होगी। नगरपालिका के नोटिस बोर्ड आदि पर भी इस बाबत् कोई सूचना चस्पा नहीं की गई। बिना किसी सार्वजनिक सूचना के आष्चर्यजनक रूप से दिनांक 27 अक्टूबर 2010 को आंचल नामक सार्वजनिक प्रन्यास की ओर से हरिमोहन सारस्वत ने नगरपालिका सूरतगढ में वृद्धाश्रम संचालन हेतु आवेदन प्रस्तुत किया जिसकी कमेटी में चेयरमैन बनवारी लाल मेघवाल सहित, एक दैनिक अखबार से जुडे लोग, पार्षद, पार्षद पति शमिल थे। आंचल प्रन्यास की कमेटी में चेयरमैन नगरपालिका सूरतगढ स्वयं थे इसलिए बिना कोई जॉंच किये ईओ किषनाराम संगवा ने वार्ड न0 2 स्थित माणकसर लिंक रोड पर नगरपालिका द्वारा निर्मित सामुदायिक भवन जो कि गरीब, मजलूम व वार्ड के निवासियों के सार्वजनिक उपयोग के काम आता था आंचल प्रन्यास को हस्तांतरित कर दिया और यह सुविधा भी दे दी कि बिजली पानी के बिल का भुगतान भी नगरपालिका करेगी। जबकि बिजली पानी के बिल का भुगतान बाबत् नगरपालिका की बैठक में कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया था। दिनांक 22-9-2010 की नगरपालिका बोर्ड की बैठक में यह प्रस्ताव पास हुआ था कि कोई समाज सेवी संस्था अपने पंजीकरण दस्तावेजों सहित आवेदन करती है तो मंडल बैठक में प्रस्ताव रखा जा सकता हैं लेकिन आवेदन आने के बाद मंडल की बैठक में प्रस्ताव पास करवाये बगैर आंचल ट्रस्ट को सामुदायिक भवन हस्तांतरित कर दिया गया जबकि पहले इसे मंडल की बैठक में रखा जाना था इसके बाद निर्णय लिया जाना था कि किस संस्था को वृद्वाश्रम संचालन हेतु दिया जाना है। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं में कम से 3 वर्ष पुराने रजिस्टेषन वाली संस्था/ट्रस्ट/एन.जी.ओ. को योजनाओं में शमिल किया जाता है लेकिन ऑंचल सार्वजनिक प्रन्यास 20-5-2010 को रजिस्टर्ड हुआ था तथा ऑंचल सार्वजनिक प्रन्यास ने वृद्वाश्रम चलाने के लिए आवेदन करते समय ट्रस्ट के सदस्यों के संकल्प (कार्यवाही रजिस्टर की प्रति) की प्रति आवेदन के साथ संलग्न नहीं की थी। आंचल ट्रस्ट को पूर्व में समाजोत्थान के कार्यों को करने का अनुभव है इस बाबत् कोई दस्तावेज न तो अधिषाषी अधिकारी द्वारा मॉंगे गये और न ही ट्रस्ट द्वारा प्रस्तुत किये गये। ऑंचल सार्वजनिक प्रन्यास ने आवेदन के समय बेलेन्सषीट व 3 वर्षों की ऑडिट रिपोर्ट की प्रति भी पेष नहीं की जिससे ट्रस्ट की वृद्वाश्रम चला सकने की आर्थिक सक्षमता तय होती। आंचल सार्वजनिक प्रन्यास ने ट्रस्ट की डीड की प्रति जरूर संलग्न की जिससे मुताबिक 500-500 रूपये की प्रारम्भिक पूजी वाला ट्रस्ट सुनियोजित योजना वाले एक वर्ष के प्रोजेक्ट को कैसे चला सकता है। ऑंचल सार्वजनिक प्रन्यास किस तरह वृद्वाश्रम चलायेगा तथा कितना बजट, किस मद में तथा कितने स्वयंसेवको व कर्मचारियों की सहायता से योजना को पूर्ण रूप दिया जायेगा पूरी रूपरेखा प्रस्तुत नहीं। ऑंचल सार्वजनिक प्रन्यास में जब खुद नगरपालिका चेयरमेन बनवारीलाल मेघवाल एवं एकाउंटेट राकेष मेहन्दीरत्ता सदस्य है वे अपनी सदस्यता वाले ट्रस्ट को ही बिना नियमों व शर्तो के सार्वजनिक उपयोगार्थ बनाये गये सामुदायिक भवनों को देते है तो यह पद के दुरप्रयोग का स्पष्ट मामला है। आंचल ऐसा ट्रस्ट है जिसमें प्रारम्भिक पूजी तो 500-500 रूपये थी लेकिन ट्रस्ट से पैसा निकालने का अधिकार 5,000,00 रूपये हरिमोहन सारस्वत व आषा शर्मा सारवाल को था।
नगरपालिका सूरतगढ ने वृद्वाश्रम खोलने एवं चलाने बाबत् न तो  कोई नियम, उपनियम व शर्ते तय की और न ही उन्हें बोर्ड की बैठक में रखकर पास करवाया और न ही शहर की संस्थाओं से विज्ञप्ति प्रकाषित कर आवेदन मॉंगे, न ही कोई प्रक्रिया अपनाई गई तथा बिना किसी योजना व निदेर्षेंां के तहत वृद्वाश्रम के लिए सामुदायिक भवन एक अनुभवहीन संस्था को हस्तांतरित कर दिया गया। नगरपालिका की 22-9-2010 की मीटिंग में वृद्वाश्रम के प्रस्ताव में जानबूझकर लूप होल रखे गये ताकि स्वयं की सदस्यता वाली संस्था को अपने बनाये नियमों पर सामुदायिक केन्द्र हस्तान्तरित किया जा सके। वृद्वाश्रम का प्रस्ताव भी नपा अध्यक्ष बनवारी ने रखा तथा अधिकृत भी अध्यक्ष को किया तथा हस्तांन्तरण भी अध्यक्ष की सदस्यता वाले ट्रस्ट को किया गया। दिनांक 22-9-2010 की मीटिंग की कार्यवाही के अनुसार संस्थाओं के आवेदन के बाद बोर्ड की मीटिंग में प्रस्ताव रखा जाने का निर्णय हुआ था लेकिन ऑंचल सार्वजनिक प्रन्यास को सामुदायिक केन्द्र हस्तान्तरित करने के बाद 14-2-2011 की मीटिंग में रखा गया जो कि 22-9-2010 के प्रस्ताव का उल्लंघन था। इसके अलावा 14-2-2011 को रखे गये अनुमोदन प्रस्ताव में पार्षदों को पूर्ण जानकारी नहीं दी गई और विषिष्ट षीर्षक व सम्पूर्ण प्रस्ताव का विवरण नहीं दिया गया।
कौल व गिरी ने आरोप लगाया है कि इस मामले में नपा अध्यक्ष बनवारी लाल मेघवाल, ईओ भॅंवरलाल सोनी, ईओ किषनाराम सेंगवा, हरिमोहन सारस्वत, आषा शर्मा सारवाल व अन्य ने शडयन्त्र रचकर, पद का दुरप्रयोग करके सामुदायिक भवन की भूमि को स्वयं की सदस्यता वाले ट्रस्ट को हस्तान्तरित कर दिया तथा सामुदायिक भवन को सार्वजनिक उपयोग से होने वाली आय से वंचित कर आर्थिक नुकसान कारित किया।

उन्होने यह भी कहा कि यदि इस प्रकरण में दोषियों पर कार्यवाही नही की गई तो मुकदमा दर्ज करवाये जायेगे तथा आन्दोलात्मक कदम उठाया जायेगा।

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

सीबीआई जांच से ही खुलेंगे सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन के सुपर घोटाले-2

सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन जहां हो रहे हैं निर्माण घोटाले
सीबीआई जांच से ही खुलेंगे सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन के सुपर घोटाले-2
पांच इकाईयों के बाद छठी इकाई के निर्माण में क्या क्या बदलाव किया गया
क्या इन बदलावों के कारण छठी इकाई सुचारू रूप से चल नहीं रही और इसको छुपाया जा रहा है
करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 25 अप्रेल। सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन की पांच इकाईयां सफलता से चलाई जा रही है तथा उनका उत्पादन लक्ष्य से अधिक होने के कारण यह थर्मल राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार भी प्राप्त करता रहा है। पांचों इकाईयां प्रत्येक 250 मैगावाट क्षमता की ही है। इनके बाद 250 मैगावाट क्षमता की छठी इकाई के निर्माण में जो बदलाव हुए उनकी जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए तो इसका छुपा हुआ सारा रहस्य और सच्च सामने आ जाएगा। छठी इकाई से प्रतिदिन लाखों रूपए का बिजली उत्पादन होना चाहिए था जो इकाई के बंद पड़े होने के कारण ठप है। यह नुकसान राष्ट्रीय है और इसकी जांच इसी लिए सी बी आई से कराना जरूरी है। यह इसलिए भी जरूरी है कि सभी केवल बिजली उत्पादन नहीं हुआ उसका नुकसान मान रहे हैं जबकि उस बिजली से जो उत्पादन अनेक क्षेत्रों में होना था, जो नहीं हुआ उसका आंकलन किया जाना चाहिए। इस बदलाव के तार तो जयपुर दिल्ली तक जुड़े हुए होंगे क्योंकि यह किसी एक अधिकारी का नहीं समूह का दोष है, और जांच में सब की जिम्मेदारियां भी तय हो जाऐंगी।
    करोड़ों रूपये वेतन में लेने वाले अधिकारी किसी खिलौने का निर्माण करने का वेतन नहीं ले रहे थे बल्कि एक इकाई का निर्माण करने में लगे थे जिससे होने उत्पादन का लक्ष्य हमारी पंच वर्षीय योजना में और संपूर्ण भारत में विद्युत विस्तार क्षेत्र में शामिल किया हुआ था। इस बदले हुए निर्माण में चूंकि कई अधिकारी दोषी सिद्ध होंगे या प्रभावित होंगे तो उनसे तो यह आशा ही नहीं की जा सकती कि वो गड़बड़ी सामने लायेंगे। सब मिल कर हर गड़बड़ी को छिपाने की ही कार्यवाही करेंगे।
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शनिवार, 23 अप्रैल 2011

सीबीआई जांच से ही खुलेंगे सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन के सुपर घोटाले-1

सीबीआई जांच से ही खुलेंगे सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन के सुपर घोटाले-1
छठी इकाई मे महाघोटालों से त्रुटिपूर्ण निर्माण विस्फोट,अनियंत्रित कम्पन,बार बार बंद
फाऊंडेशन स्ट्रक्चर डिजायन बदलाव और निर्माण में घोटोलों के गंभीर आरोप
राजस्थान विद्युत निगम व ठेकेदार कंपनियों के अधिकारियों ठेकेदारों की संपतियों की हो व्यापक जांच
करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 23 अप्रेल। सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन की प्रत्येक 250 मैगावाट की 5 इकाईयां सफलता से विद्युत उत्पादन में उपयोगी साबित हो रही है वहीं 250 मैगावाट की छठी इकाई के निर्माण में भारी घोटाले और अनियमितताओं के कारण शुरू से ही विवादों में उलझती रही तथा चलाने के प्रयास ठप होते रहे, विस्फोट, अनियंत्रित कंपन आदि के कारण यह इकाई बंद पड़ी है। आरोप है कि इस इकाई के फाऊंडेशन स्ट्रक्चर में पांच इकाईयों के अनुरूप काम नहीं किया जाकर बदलाव किया गया जिससे ठेकेदार कंपनियों को भारी लाभ मिला। आरोप है कि इसके अन्य निर्माण में भी घोर अनियमितताएं हुई जिसके कारण इस इकाई से व्यावसायिक उत्पादन मिलना तो दूर अभी तो सही रूप में चलाना तक मुश्किल हो रहा है।
    इस इकाई का सही संचालन होता तो श्रीमती सोनिया गांधी को लोकार्पण के लिए आना तय था, लेकिन इन परिस्थितियों में सभी को भय हे कि एक तरफ लोकार्पण हो और उसके बाद यह इकाई बंद हो जाए या फिर लोकार्पण से पहले या उसी दिन ऐन वक्त पर बंद हो जाए तो क्या होगा? छठी इकाई के निर्माण में कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए जो अनियमितिताएं हुई और बदलाव किए गए उनकी जांच निगम के अधिकारी तो क्यों करेंगे? निगम के अधिकारी तो इसी थर्मल में काम कर चुके हैं वे खुद को ही दोषी कैसे बतायेंगे? इस इकाई के महा घोटालों की जांच और निगम तथा ठेकेदार कंपनियों के मालिक अधिकारी आदि की संपतियों की जांच भी सीबीआई से हो तो घोटालों का खुलासा हो सकता है तथा दोषी सामने आ सकते हैं।
    छठी इकाई में करीब 1200 करोड़ रूपए लगने का अनुमान है। इसका शिलान्यास 9 जनवरी 2007 को किया गया था तथा इससे व्यावसायिक उत्पादन 2 अगस्त 2009 में किए जाने की घोषणा थी मगर जब गड़बड़ी हुई तो बाहर से विशेषज्ञ बुलाए गए। बाद में बार बार कंपन से बाधा आती रही। कहने को 31 दिसम्बर 2009 को व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर दिया गया और 4 दिन बाद ही 3 जनवरी 2010 को गंभीर खराबी के कारण 8 महीने के लिए बंद कर दी गई। यह किसी तरह शुरू की गई कि 28 जनवरी 2010 को इसमें भयानक विस्फोट हुआ इसके बाद यह किसी जरह से चलाई गई मगर पुन: बंद हो गई।
    सूरतगढ़ विद्युत उत्पादन मजदूर यूनियन इंटक और भारतीय मजदूर संघ से संबंधित संगठन अनेक बार उच्चाधिकारियों का व राज्य सरकार का ध्यान दिलाते रहे हैं जिनमें गंभीर घोटालों की जांचों की मांगे भी दोहराई जाती रही हैं। लेकिन जांचें नहीं किए जाने का कारण वही रहा है कि अनेक अधिकारी तो इसी थर्मल में पूर्व में काम कर चुके हैं। इस थर्मल में और छठी इकाई में इतने घोटाले हो चुके हैं कि सबकी जांच और सही जांच  से सीबीआई ही घोटालों का खुलासा कर सकती है तथा दोषियों को सामने ला सकती है।
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सोमवार, 18 अप्रैल 2011

ईच्छापूर्ण बालाजी सरदारशहर और सालासर बालाजी का दर्शन

ईच्छापूर्ण बालाजी मंदिर
बालाजी के दर्शन से पहले विशाल घंटे को बजाने की उत्सुकता
ईच्छापूर्ण बालाजी
सालासर के बाला जी वहां पर जोत तैयार किए जाने वाले धूणे के दर्शन
भक्तशिरोमणि मीरा और स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमाएं
^ बालाजी जयंती चैत्र पूर्णिमा पर खास ^


०० ईच्छापूर्ण बालाजी सरदारशहर और सालासर बालाजी का दर्शन ००


* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़,18 अप्रेल। भगवान खुद जब दर्शन देना चाहते हैं तब कोई आधार बन जाता है। एक महत्वपूर्ण सामाजिक दायित्व का कार्य था जब दोनों मदिरों के दर्शन हुए और हम सामने बालाजी को पाकर गदगद हुए। अवसर था गर्भस्थ शिक्षु संरक्षण समिति राजस्थान का नागौर जिले के डीडवाना कस्बे में 27 और 28 फरवरी 2011 का अद्र्धवार्षिक सम्मेलन। सूरतगढ़ की इकाई के अध्यक्ष परसराम भाटिया,प्रचारमंत्री किशनलाल स्वामी, महावीर प्रसाद भोजक, इससे जुड़े हुए पत्रकार साथी मनोजकुमार स्वामी संवाददाता पंजाब केसरी,संजय चौधरी टीवी 99 के संवाददाता,मैं स्वयं करणीदानसिंह राजपूत स्वतंत्र पत्रकार और नेतृत्व था अशोक वशिष्ठ का जो इस समिति के प्रदेश समिति के सदस्य हैं।    सताईस फरवरी को दोपहर में सूरतगढ़ से रवाना होते ही बात हो गई कि सरदारशहर में नए बने हुए ईच्छापूर्ण बालाजी मंदिर में दर्शन करके आगे रवाना होंगे। भव्य मंदिर में प्रवेश ही अपने आप में दर्शन ही होता है। मंदिर कक्ष में बालाजी के दर्शन से पहले विशाल घंटे को बजाने की उत्सुकता को कोई भी रोक नहीं पाया। सभी ने उस घंटे को बजा कर बाला जी से विनती की कि हम दर्शन को आए हैं। बालाजी की भव्य प्रतिमा के दर्शन के बाद मन ही नहीं करता कि वहां से लौटा जाए। मंदिर विशाल क्षेत्र में फैला हुआ और सुंदर बगीचा। एक तरफ मन्नौतियों के चढ़ाये हुए नारियल हजारों की संख्या में लाल वस्त्र में लपेट कर रखे हुए। जलपान की व्यवस्था मंदिर के प्रांगण में ही है जहां पर सभी सुविधाएं भी है। जब हम लोग दर्शन को पहुंचे तब सैंकड़ों अन्य श्रद्धालु भी आए हुए थे। श्रद्धालु बाला जी   के दर्शन कर स्वयं को भाग्यवान मान रहे थे।    अठाईस फरवरी को सम्मेलन के बाद राय बनी कि वापसी में सालासर होते हुए चलेंगे। बाबा ने यह ईच्छा भी पूरी की। सालासर के बाला जी के दर्शन करते हुए अपने अपने दिल की बातें रखते हुए लोटे। वहां पर जोत तैयार किए जाने वाले धूणे के दर्शन भी किए। सालासर में मंदिर के पास ही स्वामी विवेकानन्द और भक्तशिरोमणि मीरा की प्रतिमाएं भी दर्शनीय हैं।

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सोमवार, 11 अप्रैल 2011

छात्रों का दल सूरतगढ़ भ्रमण पर

जयपुर के एमसीए छात्रों का दल सूरतगढ़ भ्रमण पर
 करणीदानसिंह राजपूत

प्रथम पंक्ति में बांये से सोमेश सोनी, विजय धूरिया, अतुल सोनी, भावेश भूतड़ा, दीपक छाबड़ा, अंकुश सिहाग, विपुल भार्गव, अमित हरजानी, विकास त्रिवेदी,पीछे की पंक्ति में आशीष दाधीच,रविप्रतापसिंह,अंकित औझा और गिरीश शर्मा हैं।
सूरतगढ़,11 अप्रेल। इंटरनेशनल स्कूल ऑफ इन्फोर्मेटिक्स एंड मेनेजमेंन्ट जयपुर के एमसीए द्वितीय वर्ष के छात्रों का एक दल रविवार को भ्रमण के लिए सूरतगढ़ पहुंचा। इस दल में राजस्थान के विभिन्न स्थानों के तेरह छात्र हैं। इस दल में  सोमेश सोनी, विजय धूरिया, अतुल सोनी, भावेश भूतड़ा, दीपक छाबड़ा, अंकुश सिहाग, विपुल भार्गव, अमित हरजानी, विकास त्रिवेदी, आशीष दाधीच,रविप्रतापसिंह,अंकित औझा और गिरीश शर्मा हैं।
    इस भ्रमण का सामान्य उद्देश्य है, नहरी क्षेत्र में बिश्रोई समाज की विवाह पद्धति को देखना समझना और इलाके के पर्यावरण को जानना।
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