वित्त मंत्री द्वारा बिना कोई नया कर लगाये देश कि जनता के लिए अनेक कल्याणकारी घोषणाएं की है। प्रस्तुत बजट गरीब कल्याण, युवा रोजगार, अन्नदाता एवं महिलाओं को समर्पित बजट है। युवाओं को दो लाख नये रोजगार, 5 वर्ष में 4 करोड़ रोजगार एवंएक लाख से कम वेतन वालों को तीन हजार नियोक्ता को दिया जायेगा। पहली बार रोजगार पाने वाले युवा को एक माह का अतिरिक्त वेतन दिया जायेगा। साथ ही 20 लाख युवाओं के लिये कौशल विकास प्रशिक्षण की व्यवस्था, युवाओं को शिक्षा हेतु ब्याज मुक्त ऋण, इस प्रकार युवाओं पर विषेष ध्यान केन्द्रित किया गया है। सरकार ने युवाओं की ताकत को पहचान कर उन पर बजट को केन्द्रित किया है। इसी प्रकार किसान कल्याण के लिये अनेक योजनाऐं बनाई गई हैं, इसका करोड़ों किसानों को फायदा मिलेगा। छः करोड़ किसानों की जमीन का ब्यौरा रजिस्ट्री में दर्ज होगा जिससे आये दिन होने वाले विवाद कम हो सकेगें।
प्रधानमंत्री अन्न योजना जिसके अन्तर्गत 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अन्न मिलता है। वह अगले पांच वर्ष जारी रहेगी। इसी प्रकार ग्रामीण विकास की अनेक योजनाओंके साथ-साथ सड़क विकास, ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था आदि की घोषणा निश्चित ही विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। सरकार का संकल्प इससे प्रमाणित होता है कि पिछले वर्ष जहां ग्रामीण विकास के लिए 1.77 लाख करोड़ खर्च किये गये थे, उसके बदले 265808 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है।
सरकार आधारभूत ढ़ांचे को मजबूत करने के प्रति पिछले तीन बजट में लगातार जोर दे रही है। पिछले वर्ष जहां 7.50 लाख करोड़ का प्रावधान किया था, इस बार उसे बढ़ाकर 11,11,111 करोड़ किया गया है जिससे सड़कों पुलों व अन्य आधारभूत आवश्यकता और अधिक मजबूत होगी।
सरकार ने इस बजट में चहुंमुखी विकास की बात कही है। सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के लिए मुद्रा योजना की सीमा 10 लाख से 20 लाख कर दी गई है। इससे नयेक्षस्टार्टअप योजना को फायदा मिलेगा। आज हमारी स्टार्टअप योजना विश्व में तीसरे नम्बर पर है। बजट में आंध्र प्रदेश, बिहार के साथ-साथ दोनों प्रदेशों को 15000 करोड़ व 11500 करोड़ का अनुदान व सड़कों की अनेक योजनाऐं दी है।
निजि आयकर में वेतनभोगी कर्म चारियों को कुछ लाभ होगा एवं नई पूंजीगत लाभ की गणना से भी आम आदमी पर कम भार पड़ेगा। यद्यपि केन्द्रीय बजट जब भी आता है, आम आदमी केवल उसकी जेब से क्या गया व उसको क्या फायदा हुआ, इसी पर बजट अच्छा या बुरा तय करता है। यह धारणा आज के युग व सरकार की कार्य शैली एवं वैश्विक चुनौतियों के समय उपयुक्त नहीं है। इस धारणा से देश व आम आदमी को बाहर आना होगा।
भारत के लिये आज सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। जहां चीन व पाकिस्तान सहित कई देश भारत की सुरक्षा के लिए खतरा है, वहीं कुछ छुपे हुये देश भारत से प्रत्यक्ष लडाई नहीं कर देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करते रहते हैं। परिणाम स्वरूप मणिपुर में हिंसा, बंगाल में अस्थिरता एवं कश्मीर का मुद्दा आदि हमारे लिये परेशानी का सबब बने हुये हैं। यद्यपि इन सब घरेलू मामलोंको निपटाने में एनडीए की मजबूत सरकार सक्षम है लेकिन फिर भी कनाडा खालिस्थान की मांग का समर्थन कर रहा है। अन्य प्रान्त इसी तरह की क्षेत्रीय मांगों को लेकर भारत सरकार के लिए मुश्किलें पैदा करते रहते है।
2014-15 में जब से एनडीए की सरकार बनी है तभी से देश की सुरक्षा पर विषेष ध्यान दिया गया है। इसी का परिणाम है कि सरकार की इच्छा शक्ति के बल पर सर्जिकल स्ट्राईक व ऐयर स्ट्राईक कर सके, जो पूर्ववर्ती सरकारों के सोच के दायरे
से परे था।
मोदी सरकार के आने के बाद सुरक्षा बजट में भी काफी इजाफा किया गया है, जहां 2014-15 में 3.27 लाख करोड़ रक्षा खर्चा था, वह अब बढ़ाकर 6.30 लाख करोड़ अर्थात् दुगुने से भी ज्यादा हो गया है। इसका परिणाम यह हुआ कि चीन एवं सीयाचिन की सीमा पर जहां पहुंचना ही सम्भव नहीं था, वहां अरूणाचल एवंलेह लद्दाख के दूरगामी इलाकों तक सड़क, पुलों का निर्माण, टनल आदि बनाये गये हैं ताकि आपात स्थिति में हमारी सेना तत्काल सीमा पर पहुंच सके व दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दे सके।
सरकार आज देश की सुरक्षा व आधारभूत ढ़ांचे को मजबूत करने पर पूरा ध्यान लगाये हुये है एवं कृषि उत्पादन, किसान किस तरह से समर्द्ध हो, यह सरकार की प्राथमिकता में शुमार है। इन मदों में क्या बढ़ोतरी हुई है, इस पर हमें ज्यादा ध्यान देना चाहिये, न कि व्यक्तिगत आयकर सीमा छूट तक सिमित रहना चाहिए।
आयकर की दृष्टि से सरकार पहले बचत करने वालों को कर में छूट प्रदान करती थी, जीवन बीमा, सावधि जमा, राष्ट्रीय बचत पत्र आदि अनेक प्रकार की छूट आम आदमी के लिये उपलब्ध थी, यह छूट अब भी उपलब्ध है। लेकिन नई और पुरानी आयकर व्यवस्था के चलते नई कर प्रणाली में यह छूट उपलब्ध नहीं है व नई कर प्रणाली में टैक्स भी कम है। इसका परिणाम यह हुआ है कि हमारी बचत पिछले तीन वर्षों में 9 लाख करोड़ कम हुई है। आयकर की बाध्यता के कारण आम आदमी जो बचत करता था, वह अब नहीं कर रहा है। भले ही बाध्यता के कारण बचत करता था लेकिन एक बार बचत के लिये निवेश करने पर वह स्थायी बचत व भविष्य की सुरक्षा हो जाती थीं।
परिणामस्वरूप वर्ष 2020-21 में जहां 23.29 लाख करोड़ की घरेलू बचत थी, वह 2022-23 में घटकर 14.16 लाख करोड़ रह गई है। कोरोना जैसी महामारी से अन्य कारणों के साथ-साथ घरेलू बचत के कारण भी आम आदमी का सहारा बनी, वे आम आदमी इस आपदा से लड़ सका अन्यथा आर्थिक दबाव बहुत अधिक होता, सरकार को इस और भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
यद्यपि बिना कोई कर लगाये अनेकों कल्याणकारी घोषणायें निश्चित ही केन्द सरकार की बड़ी सफलता है।
शंकरलाल अग्रवाल,
सीए एवंआर्थिक विशेषज्ञ,
जयपुर।०0०
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