बुधवार, 22 जनवरी 2014

एलियंस दूसरे मानव चन्द्रमा पर बसे हैं?


दूसरी दुनिया के मानव यानि कि एलियंस के बारे में जानने की ईच्छा हर व्यक्ति की रही है और अभी भी है।
गूगल मैप की तस्वीरों के शोध पर ये बातें कही जाने लगी है।

एलियंस यानि कि दूसरी दुनिया के मानव पर जब भी कोई बात आती है तो उसके बारे में अधिक से अधिक जानने की जिज्ञासा जाग उठती है। यह मानव की स्वाभविक ईच्छा है चाहे वह धरती के किसी भी हिस्से में बसा हुआ हो। इस बार चर्चा आई है वह आश्चर्य पैदा करने वाली है। गूगल मैप की तसवीरों की मानें तो हमारी धरती के एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा पर एलियन्स का बसेरा है।
गूगल मैप केद्रवारा शोधकर्ताओं ने चन्द्रमा की सतह का अध्ययन किया है तथा वहां पर त्रिकोणीय स्पेशशिप होने की बात कही जा रही है। जो कि काफी हद तक एलियंस के यूएफओ जैसा है। गूगल मैप के माध्यम से इस यूअफओ की खींची गई तस्वीर को विडियो के रूप में यू ट्यूब पर सांझा किया गया है। इस विडियो में एक त्रिकोणीय आकृति दिखाई दे रही है। यू ट्यूब पर ये विडियो wowforreel         के नाम से पोस्ट किया गया है।
यू ट्यूब पर पोस्ट किए अपने वर्णन में शोधकर्ता ने कहा है कि एलियंस के सदर्भ में यह अब तक की सर्वश्रेष्ठ खोज है। हालांकि अभी तक इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं हो पाई है।
दिनांक 20 जनवरी 2014.

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दूसरी  दुनिया दूसरे ग्रहों के मानव एलियन्स के धरती पर आने  फोटो कल्पना   -    करणीदानसिंह राजपूत

 

दूसरी  दुनिया दूसरे ग्रहों के मानव एलियन्स के धरती पर आने और धरती के वर्तमान मानव के अतिविकसित रूप अतिमानव कि मिली जुली कल्पना के तहत यह फोटो 16 मार्च 2013 की रात्रि में लिए गए। 
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अतिमानव नामक एक महत्वपूर्ण पुस्तक


अतिमानव नामक एक महत्वपूर्ण पुस्तक है,जो आध्यात्म दर्शन विज्ञान और धर्म अनुभव पर रविदत्त मोहता की ओर लिखी गई है। असल में रविदत्त मोहता के स्वर उच्चारित हुए और उन्हें लिपिबद्ध किया गया।

 प्रसिद्ध दार्शनिक डा.छगन मोहता के पौत्र हैं रविदत्त मोहता। इस पुस्तक अतिमानव के बारे में जिज्ञासा है तो उसके बारे में अवश्य जानिए। हमारी इसी साईट पर पुस्तक चर्चा स्तंभ में।






रविवार, 19 जनवरी 2014

फार्म ने शॉपिंग काम्पलेक्स में नहीं बनाए पार्क पार्किंग और टायलेट


लोगों को ये सुविधाएं देने का बतलाकर दुकानें लीज पर दी गई थी

केन्द्रीय राज्यफार्म निगम के सूरतगढ़ स्थित फार्म मुख्यालय की जमीन पर मुख्यबाजार से सटी भूमि पर अपना विशाल मार्केट कॉम्लेक्स सैंकड़ों दुकानों वाला बनाया और उसकी दुकानों की नीलामी में करोड़ों रूपए कमाए। उस कॉम्लेक्स में जो सुविधाएं घोषित की थी उनमें से एक की भी पूर्ति नहीं की गई। इस कॉम्लेक्स में सडक़ें,नालियां,पार्क,पार्किंग,शौचालय मूत्रालय आदि नहीं है। कभी भी सफाई नहीं करवाई गई। दुकानदार परेशान है और नगर पालिका प्रशासन को सडक़ें आदि के निर्माण के ज्ञापन और चेतावनियां दे रहा है। नगरपालिका ने पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल के कार्यकाल में एक सडक़ का निर्माण नियम विरूद्ध करवा दिया था।
अब अगर फार्म प्रशासन कोई भी कार्य नहीं करवा रहा है तो दुकानदारों को फार्म प्रशासन को कानूनी नोटिस देना चाहिए।
फार्म प्रशासन की ओर से साफ सफाई का कार्य नहीं करवाया जा रहा है तो इस हालत में नगरपालिका को भी फार्म प्रशासन को नोटिसदेनाचाहिए और कानूनी रूप से बाध्य करना चाहिए।
यह रिपोर्ट 20 मई 2013 को प्रकाशित की गई थी जो दुबारा पढ़ी जा सकती है।
 

खास खबर- करणीदानसिंह राजपूत

सूरतगढ़, केन्द्रीय राज्य फार्म निगम के सूरतगढ़ फार्म के सूरतगढ़ स्थित मुख्य कार्यालय की जमीन शहर के मुख्य बाजार से सटी हुई है। फार्म ने अपनी बिगड़ी हुई माली हालत में 1982  में बाजार से चिपती हुई जमीन पर शॉपिंग कॉम्पलेक्स के लिए भूखंड लीज डीड पर दिए। उस समय लोगों को आकर्षित करने के लिए दुकानों के साथ में ही पार्किंग,पार्क और टायलेट बनाकर देने का वादा किया गया। यह सब उस समय नक्से में भी दर्शाया हुआ था। दुकानें एक साथ नहीं बनी इसलिए दुकानदार संगठित नहीं थे।  जो थोड़े दुकानदार थे उन्होंने कुछ साल तो फार्म प्रबंधन से कहा लेकिन बाद में जब कुछ भी नहीं हुआ तो चुप हो गए।

शहर में जब जब यातायात के अवरूद्ध की या परेशानी की बात आती है तब कहा जाता है कि फार्म की जमीन पर पार्किंग होनी चाहिए। फार्म वाले कई कई बार वाहनों को खड़ा करने पर रोक लगाते रहते हैं। पार्किंग के बारे में तीन चार बार पुलिस थाने में सीएलजी की बैठकों में विचार विमर्श हुआ। नगरपालिका प्रशासन ने फार्म से जब जब नक्सा मांगा तब फार्म ने 2005 को कोई नक्सा दिया। मैं भी इन बैठकों में था और प्रशासन को सुझाव दिया था कि फार्म से पुराना नक्सा मांगा जाए। लेकिन पालिका प्रशासन ने भी बाद में दबाव नहीं दिया। इतनी दुकानें बनी है,उनकी मंजूरी हुई है। नक्सा कहीं तो अभी भी होगा।

अब फार्म ने दुकानों को बाहर रखते हुए अपनी जमीन पर चारदीवारी बनानी शुरू कर रखी है,ताकि उसकी जमीन पर एक भी वाहन खड़ा नहीं किया जा सके। लेकिन उसके शॉपिंग काम्पलेक्स की दुकानों पर पहुंचने वाले वाहनों के लिए और लोगों के लिए पार्किंग तथा टॉयलेट की सुविधा देने को फार्म प्रशासन ही बाध्य है। इसके अलावा फार्म की जो दुकानें बीकानेर रोड पर निकाली हुई हैं,उनके आगे 8 फुट तक की चौकी नगरपालिका की जमीन पर है, जो अवैध है।

उपखंड अधिकारी और नगरपालिका प्रशासन को तुरंत ही फार्म की दीवार का निर्माण रूकवाना चाहिए तथा वहां पर पार्किंग,पार्क और टॉयलेट की सुविधाएं बनाकर देने को फार्म प्रबंधन को पाबंद करना चाहिए।


सोमवार, 6 जनवरी 2014

गुरू गोविन्दसिंह जी जयंती पर नगर कीर्तन:

सूरतगढ़ व हनुमानगढ़ टाऊन में निकाले गए नगर कीर्तन की चित्रावली:
रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 6 जनवरी 2014. सरवंशदानी गुरू गोविन्दसिंह जी के जन्मोत्सव पर सूरतगढ़ और हनुमानगढ़ टाऊन में निकाले गए नगर कीर्तन की चित्रावली यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत है।


सूरतगढ़ चित्र- रमेश स्वामी







 हनुमानगढ़ टाऊन चित्र- करणीदानसिंह राजपूत


 



 

रविवार, 5 जनवरी 2014

आपातकाल:कालकोठरी में गुरूशरण छाबड़ा और स.वकील हरचंदसिंह सिद्धु को डाल दिया गया था:


आपातकाल के बंदियों को पेंशन:वसुंधरा राज मंत्रीमंडल का निर्णय:सूरतगढ़ में आपातकाल:

 


विशेष रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत

सूरतगढ़,5 जनवरी 2014.
आपातकाल के मीशा और रासुका बंदियों को भाजपा के पिछले वसुंधरा राज में पेंशन के नियम बन गए थे लेकिन कांग्रेस की गहलोत सरकार ने रोक लगा दी थी,लेकिन भाजपा राज दुबारा आने पर वह पेंशन दुबारा लागू कर दी गई है जो कि कल्याणकारी राज की कार्यवाही का एक शुभ संकेत है। अभी इसमें शांति भंग में बंदी बनाए गए और नजरबंद किए गए लोगों को पेंशन सुविधा देना बाकी है।
    इंदिरा गांधी के राज में सब कुछ वह नहीं हुआ जो सराहा जाए। सन 1975 में 25 जून को आपातकाल लागू कर संपूर्ण देश को जेल बना दिया गया था उसकी आलोचना संपूर्ण संसार में हुई थी। बहुत दर्दनाक हालात में लोग गुजरे। हजारों लोग तबाह हो गए। अनेक लोग मौत के शिकार हुए अनेक के कारोबार ठप हुए तथा बाद में पनप ही नहीं सके।
    देश के कई लेखकों ने अपने लेखों में लिखा है कि आपातकाल के घावों को समय ने मरहम लगाई है। लेकिन यह सच नहीं है। केवल शब्दों में लिख देने मात्र से मरहम नहीं लग पाती। उन लेखकों को मालूम नहीं कि अनेक परिवार वे पीड़ाएं अभी भी भोग रहे हैं। जिनके रोजगार बंद हो गए, कारोबार उजड़ गए वापस पनपे ही नहीं,उनके मरहम कैसे लग गया? आपातकाल लागू करने की तिथि को 40 साल हो चुके हैं। आपातकाल को भोगने वाले लोग करीब 70 प्रतिशत तो अब इस संसार में नहीं है, जो हैं वे सब 50 साल से उपर की आयु में यानि कि वृद्धावस्था में है। जो जीवित हैं उनमें से अनेक वृद्धावस्था में भयानक अभावों व कष्टों में जीवन व्यतीत कर रहे हैं और जो संसार से विदा हो चुके हैं उनके परिवार कष्टों भरा जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
अनेक लोग जिनमें पत्रकार लेखक बुद्धिजीवी और राजनीतिज्ञ शामिल हैं वे इस पीड़ा को जानते बूझते भी समझ नही पा रहे।
    सूरतगढ़ के लोगों में में भी आपातकाल के शिकार अनेक लोग हुए। लेकिन यहां जांबाज जोशीले लोग भी हैं। आपातकाल के लगाए जाने के अगले ही दिन रेलवे स्टेशन के आगे विरोध में आम सभा करके सरकार को चुनौती तक दे दी गई थी। उस सभा में गुरूशरण छाबड़ा व हरचंदसिंह सिद्धु सहित कई जांबाजों ने संबोधित किया था।
गिरफ्तारी के बाद गुरूशरण छाबड़ा ने राजनैतिक बंदी का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर श्रीगंगानगर जेल में स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1975 से आमरण अनशन शुरू कर दिया था। अन्य कैदी सांकेतिक अनशप पर रहे थे। छाबड़ा को इसके लिए कालकेठरी में डाल दिया गयाप था जिनमें अमूमन मृत्युदंड फांसी पाए कैदियों को डाला जाता है। उनसे कोई मिल नहीं सकता था लेकिन किसी तरह मिल लिया जाता था। हरचंदसिंह सिद्धु ने भी तीन दिन बाद आमरण अनशन का नोटिस दे दिया था। इस पर उनको अन्यत्र स्थानान्तरित किया गया। सिद्धु को अजमेर जेल में काल कोठरी में डाल दिया गया था और आसपास कोई पूछता तो बताया जाता कि इसमें पागल है। सिद्धु को तो हथकड़ी व बेड़ी भी लगाई गई थी।
छाबड़ा के आमरण अनशन का यह असर हुआ कि सभी को राजनैतिक बंदी माना गया।
सूरतगढ़ के करीब 24 लोग जेलों में बंदी रहे। इनमें मीसा में भी रहे। वे लोग अब विभिन्न राजनैतिक दलों में हें। गुरूशरण छाबड़ा व हरचंद सिंह बाद में विधायक भी बन गए थे।
गुरूशरण छाबड़ा वर्तमान में जयपुर में रहते हैं तथा सन 2013 में राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे थे। कई बार प्रयास के बाद कुछ ङ्क्षबदुओं को मान कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अनशन समाप्त करवाया था।
सरदार हरचंदसिंह सिद्धु वर्तमान में सूरतगढ़ में रहते हैं तथा अभी भी सरकारी भ्रष्टाचार दुराचार के विरोध में संघर्षरत हैं।

सूरतगढ़ के बंदी लोगों के बारे में अलग से विवरण देंगे।


करणीदानसिंह राजपूत

 =लेखक राजस्थान सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकार है तथा आपातकाल में जेल में बंद था। लेखक का भाई गोपसिंह सूर्यवंशी मीसा में बंद रहा था।

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