सोमवार, 31 जनवरी 2022
रविवार, 30 जनवरी 2022
सूरतगढ़ में महाभ्रष्टाचार टीसी जमीनों की इकरारनामों से खरीद बेचान। कोलोनाईजर व सरकारी अमला लिप्त.
* करोड़ोँ की जमीनें बिक गई।कालोनियों का निर्माण*
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ नगर पालिका पेराफेरी क्षेत्र और तहसील क्षेत्र में हाईवे पर अस्थाई कास्त की जमीने कॉलोनाइजरों द्वारा इकरार नामों पर खरीदे जाने और कॉलोनियां बनाने के गैर कानूनी कार्य धड़ल्ले से चल रहे हैं। कॉलोनाइजरों की अवैध खरीद बेचान कार्य में सरकारी कर्मचारियों के लिप्त होने से यह कार्य पिछले 2 साल से बहुत बढ़ गया है। वैसे यह कार्य करीब 2015-16 से शुरू हो गया था।
अस्थाई कास्त के लिए दी जमीनें जो कि सरकार की ही होती है किसान उसे बेच नहीं सकता और खरीदार खरीद नहीं सकता लेकिन सूरतगढ़ तहसील में पिछले कुछ सालों से इकरार नामों पर ऐसी जमीन बेचने के इकरारनामे हुए हैं जिनकी संख्या बहुत बड़ी है। अगर कोई किसान जमीन इस तरह से बेचता है तो वह फिर से रकबा राज हो जाती है लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से वहां अवैधानिक ढंग से अनेक कमियां होते हुए भी कॉलोनियों का निर्माण हो रहा है। सूरतगढ़ में ऐसे इकरारनामों की जांच से ही घपला उजागर हो सकता है।
नगर पालिका अपनी पेराफेरी की जमीन को आवंटित करने के लिए नो ऑब्जेक्शन प्रमाण पत्र भी गुपचुप रूप से दे चुकी है। ये नो आब्जेक्शन भी जांच का बड़ा मुद्दा है। इनमें कालोनाइजरों और बड़े राजनीतिक लोगों का हाथ है। लाखों रूपये और बड़े दबाव से ये जारी होते रहे हैं।
इस प्रकार के अनेक प्रमाण पत्र जारी हो सरकारी जमीनों के खरीदने बेचने कॉलोनियां काटने और इसमें शामिल होने वालों के विरुद्ध कोई भी कार्रवाई इसलिए नहीं होती कि लगभग सभी राजनीतिक दलों के बड़े लोग इसमें लिप्त हैं। पत्रकार भी कोई समाचार छापना नहीं चाहते। कोई भ्रष्टाचार निरोधक ब्युरो में इस भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत को तैयार नहीं है।
कॉलोनाइजर द्वारा जमीनें गैरकानूनी तरीके से खरीदे जाने के कारण असल में पुख्ता आवंटन की मांग कर रहे हैं किसानों के अधिकारों का हनन हो रहा है तथा उनकी पूछ नहीं हो रही है। सरकार को गुप्त रूप से यहां जांच करवानी चाहिए कि कितने असली लोग हैं और कितनी जगह पर कॉलोनाइजर ने जमीन हथिया ली है ताकि असली हकदार के अधिकारों पर कोई आपत्ति नहीं आए।०0०
रेल मंडल प्रबंधक को वरिष्ठ नागरिक कंसेशन सुविधा शुरू करने वास्ते ज्ञापन
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़।
रेलों में वरिष्ठ नागरिकों दिव्यांगों को कंसेशन सुविधा शुरू की जाए और मेल एक्सप्रेस के जनरल कोचों में आरक्षण समाप्त किया जाए।
यह मांग श्रीगंगानगर जिला रेल विकास समिति के अध्यक्ष ललित शर्मा और सूरतगढ़ रेल विकास समिति के अध्यक्ष अमित कड़वासरा व अन्य कार्यकर्ताओं के द्वारा 29 जनवरी को मंडल रेल प्रबंधक को सूरतगढ़ रेलवे स्टेशन पर की गई।
मंडल प्रबंधक को ज्ञापन देते वक्त कहा गया कि अन्य रेलवे में जनरल कोचों में आरक्षण खत्म कर दिया गया है तथा सीधे टिकट लेकर यात्री मेल एक्सप्रेस में सवार हो सकते हैं लेकिन बीकानेर मंडल उत्तर पश्चिमी रेलवे में यह आरक्षण चालू है जिससे यात्री यात्रा नहीं कर पाते। इससे रेलवे को भी प्रतिदिन लाखों रुपए का नुकसान इस क्षेत्र में होता है। मंडल प्रबंधक ने बताया कि एक प्रस्ताव पहले भेजा हुआ था अब पुनः प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा और यह सुविधा शुरू कराने का प्रयास रहेगा।०0०
शनिवार, 29 जनवरी 2022
चुनाव आयोग ने पत्रकार करणीदानसिंह के सुझाव को माना, लिखा इससे चुनाव प्रक्रिया श्रेष्ठ होगी.
सूरतगढ़ 29 जनवरी 2022.
राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग ने वरिष्ठ पत्रकार करणीदानसिंह राजपूत के चुनाव संबंधी एक प्रक्रिया में सुधार करने के सुझाव को महत्वपूर्ण मान नोट किया है।
निर्वाचन आयोग ने इस सुझाव की सराहना करते लिखा है कि इससे चुनाव प्रक्रिया श्रेष्ठ होगी।
पत्रकार करणीदानसिंह राजपूत ने प्रत्याशियों के आपराधिक विवरण प्रकाशन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण सुझाव 23 जनवरी 2022 को भेजा था। सुझाव में लिखा गया था कि आपराधिक विवरण में केवल भारतीय दंड संहिता की धाराएं प्रकाशित करवा दी जाती है जिससे आम जनता अपराध का समझ नहीं पाती। भा.दं.सं.302 लिखा है तो लिखा जाए हत्या,किसकी, दिनांक, थाना ,अदालत पैंडिंग फैसला आदि।
इसके अलावा आर्थिक अपराध व भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो आदि के अपराध भी शामिल किए जाएं।
चुनाव आयोग द्वारा इसके नोट करने की सूचना पत्रकार राजपूत को 29 जनवरी को मिली।०0०
करारी हार के बाद खुशी की तलाश में स्वागत कराने निकले भाजपा प्रदेशाध्यक्ष
करणी दान सिंह राजपूत
श्रीगंगानगर जिले में भारतीय जनता पार्टी के हाल ही के पंचायत चुनाव में करारी हार हुई और जिले की एक भी पंचायत समिति में भाजपा का प्रधान नहीं बन पाया।
पंचायत की हार बहुत बुरी होती है। पांच साल तक किसी भी पंचायत में भाजपा के हाथ से कोई काम नहीं होगा। यह छोटी सी हंस कर या मुंह फेर कर टाली जाने वाली घटना नहीं है। यह ऐसी दुर्घटना है जिसमें सब चूर चूर हो गया।
श्री गंगानगर जिले में पंचायत चुनाव में सभी पंचायत समितियों में हार होने की समीक्षा की जाती। हार के कारणों को खोजा जाता और ये कारण पैदा करने वालों का भी मालुम किया जाता।
विधायक पूर्व विधायक सांसद जिलाध्यक्ष से मंडलों मोर्चों प्रकोष्ठों में नाकामयाब रहने वाले काम नहीं करने वाले पदाधिकारियों पर नजरें डाली जाती। अगर ये काम करते तो भाजपा नहीं हारती। मनोनीत करने का उपहार पहले कांग्रेस ने 40-45 साल पहले शुरू किया और उसका अनुगमन भाजपा करने लगी। कांग्रेस की हालत देख कर भी भाजपा नेताओं ने यह पद्धति नहीं बदली। आज तक मनोनयन हो रहे हैं। ये मनोनीत स्वागत करने में काम आ सकते हैं।यह स्वागत में प्रमाणित हो जाएगा।
* क्या भाजपा नेताओं की अकड़ और कार्यकर्ताओं की पूछ नहीं होने से हार हुई। यह इस दौरे में मालुम पड़ जाएगा। ऐसी रिपोर्ट्स छिप भी नहीं सकती। इससे पहले विधानसभा चुनाव और नगरपालिका चुनावों में शहरों गांवों में हर गली मोहल्ले की सभाओं में कहते थे,आधी रात को भी काम पड़े तो याद करना हम हाजिर रहेंगे हमारे दरवाजे हर समय खुले मिलेंगे। ये वादे दो चार दिन में ही हवा हो गए। नेताओं ने दिन में ही दरवाजे बंद कर लिए। यह शर्मनाक सच्च है।आखिर जनता भाजपा के दरवाजे पर कैसे बार बार आती।
किसानों को जो कहा गया वह भी शर्मनाक रहा। यह नहीं सोचा कि उनके दरवाजे पर जाना होगा तब क्या कहेंगे? मोदी जी ने किसानों से माफी मांग ली। किसानों संबंधी कानून वापस ले लिए। उन्होंने कहा हम किसानों को समझा नहीं सके। किसानों को कौन समझाता। भाजपा के विधायक सांसद प्रदेशाध्यक्ष और नगर गांव तक के पदाधिकारी। किसी ने नहीं समझाया। एक दो बार खानापूर्ति सी हुई। कागजी सी।
मोदी जी ने माफी मांग ली,यहां के किसी नेता ने तो माफी नहीं मांगी। किसानों ने भी धोया और ऐसा धोया कि जिले की किसी भी पंचायत में प्रधान पद पर दिखाई ही न दे। इन सब नेताओं ने यह हालात पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन लोगों ने तो कार्यकर्ताओं को भी नहीं पूछा। कोई नेता पदाधिकारी गया किसी कार्यकर्ता के घर कभी सुखदुख पूछने? जवाब मिलेगा 'ना' इस ना को गांव से दिल्ली तक रबड़ की तरह खींच लेना, यह टुटेगा नहीं। जीतने वालों ने ही जनता को नहीं पूछा तो हारे हुए क्या पूछते। घरों में युवा मोर्चा और महिला मोर्चा सबसे अधिक प्रभाव डालते हैं। इनकी जिले में क्या स्थिति है? प्रदेश मे बैठे पदाधिकारी हर जिले पर नजर क्यों नहीं रख पाए? यह गलती उनकी भी है। अध्यक्ष सतीश पूनिया भी सभी के साथ बराबर के दोषी हैं। यह हाल जो श्री गंगानगर जिले का है वह इस दौरे से सुधरने वाला नहीं है। हर नेता में अकड़ भरी है और उस अकड़ से पहले पालिकाओं में हारे और पंचायत चुनाव में तो सुपड़ा ही साफ हो गया। सच्च तो यह है कि विधायकों और पूर्व विधायकों को जनता फिर से देखना ही नहीं चाहती। सांसद एक हैं इसलिए नाम दे रहा हूं कि निहालचंद जी मेघवाल से जनता अब और निहाल नहीं होना चाहती।
प्रदेशाध्यक्ष का स्वागत तो निर्देशों पर है इसलिए यह तो हर जगह होना ही है और खूब जोरशोर से होना है। इन स्वागतों से भी कोई भरोसा नहीं करना ही ठीक है। ये स्वागत ऐसे होते हैं कि निकले और पीछे हवा तक नहीं।
* पराजय की समीक्षा न करके यह दौरा चाहे किसी भी प्रयोजन के लिए हो लेकिन एक हवा और भी चल रही है।पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का बीकानेर संभाग का दौरा होने वाला है। वसुंधरा राजे अपना कार्यक्रम धार्मिक आध्यात्मिक रूप में मनाती और प्रचारित करती है। वसुंधरा के दौरे से पहले प्रदेशाध्यक्ष का दौरा कहीं न कहीं इस राजनीति की हवा भी फैला रहा है या समझो यह लग रहा है। वसुंधरा को खत्म करने के चक्कर में राजस्थान में अपने ही पांवों पर भाजपा नेताओं ने कुल्हाड़ी मार ली। कार्यकर्ताओं के सपने टूट गए। इस बार ऐसा ही करने की कोई राजनीति है तो भाजपा की हालत पंचायत समितियों से भी बुरी हो जाएगी। वसुंधरा राजे की ताकत के बराबर ताकत वाला नेता अभी प्रदेश में नहीं है। प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया भी नहीं। एक आवाज से राजस्थान को खड़ा करदे। वह ताकत किसके पास है? प्रजातंत्र में दिल्ली के राजतंत्र एकतंत्र को जबरन घुसेड़ना चाहते हैं तो नुकसान देह होगा। बस राजस्थान के विधानसभा चुनाव 2023 आए। जनता जिनको देखना नहीं चाहती कार्यकर्ताओं के मन से भी उतर गए और वे जो चुनाव में प्रदेश संबंधों से आना चाहते हैं मगर इलाके में नाम नहीं, कोई जानता तक नहीं, ऐसों को भूल से भी टिकट दे दिया गया तो हालात प्रदेश स्तर तक खराब ही खराब होंगे।०0०
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करणी दान सिंह राजपूत
श्रीगंगानगर जिले में भारतीय जनता पार्टी के हाल ही के पंचायत चुनाव में करारी हार हुई और जिले की एक भी पंचायत समिति में भाजपा का प्रधान नहीं बन पाया।
पंचायत की हार बहुत बुरी होती है। पांच साल तक किसी भी पंचायत में भाजपा के हाथ से कोई काम नहीं होगा। यह छोटी सी हंस कर या मुंह फेर कर टाली जाने वाली घटना नहीं है। यह ऐसी दुर्घटना है जिसमें सब चूर चूर हो गया।
श्री गंगानगर जिले में पंचायत चुनाव में सभी पंचायत समितियों में हार होने की समीक्षा की जाती। हार के कारणों को खोजा जाता और ये कारण पैदा करने वालों का भी मालुम किया जाता।
विधायक पूर्व विधायक सांसद जिलाध्यक्ष से मंडलों मोर्चों प्रकोष्ठों में नाकामयाब रहने वाले काम नहीं करने वाले पदाधिकारियों पर नजरें डाली जाती। अगर ये काम करते तो भाजपा नहीं हारती। मनोनीत करने का उपहार पहले कांग्रेस ने 40-45 साल पहले शुरू किया और उसका अनुगमन भाजपा करने लगी। कांग्रेस की हालत देख कर भी भाजपा नेताओं ने यह पद्धति नहीं बदली। आज तक मनोनयन हो रहे हैं। ये मनोनीत स्वागत करने में काम आ सकते हैं।यह स्वागत में प्रमाणित हो जाएगा।
* क्या भाजपा नेताओं की अकड़ और कार्यकर्ताओं की पूछ नहीं होने से हार हुई। यह इस दौरे में मालुम पड़ जाएगा। ऐसी रिपोर्ट्स छिप भी नहीं सकती। इससे पहले विधानसभा चुनाव और नगरपालिका चुनावों में शहरों गांवों में हर गली मोहल्ले की सभाओं में कहते थे,आधी रात को भी काम पड़े तो याद करना हम हाजिर रहेंगे हमारे दरवाजे हर समय खुले मिलेंगे। ये वादे दो चार दिन में ही हवा हो गए। नेताओं ने दिन में ही दरवाजे बंद कर लिए। यह शर्मनाक सच्च है।आखिर जनता भाजपा के दरवाजे पर कैसे बार बार आती।
किसानों को जो कहा गया वह भी शर्मनाक रहा। यह नहीं सोचा कि उनके दरवाजे पर जाना होगा तब क्या कहेंगे? मोदी जी ने किसानों से माफी मांग ली। किसानों संबंधी कानून वापस ले लिए। उन्होंने कहा हम किसानों को समझा नहीं सके। किसानों को कौन समझाता। भाजपा के विधायक सांसद प्रदेशाध्यक्ष और नगर गांव तक के पदाधिकारी। किसी ने नहीं समझाया। एक दो बार खानापूर्ति सी हुई। कागजी सी।
मोदी जी ने माफी मांग ली,यहां के किसी नेता ने तो माफी नहीं मांगी। किसानों ने भी धोया और ऐसा धोया कि जिले की किसी भी पंचायत में प्रधान पद पर दिखाई ही न दे। इन सब नेताओं ने यह हालात पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन लोगों ने तो कार्यकर्ताओं को भी नहीं पूछा। कोई नेता पदाधिकारी गया किसी कार्यकर्ता के घर कभी सुखदुख पूछने? जवाब मिलेगा 'ना' इस ना को गांव से दिल्ली तक रबड़ की तरह खींच लेना, यह टुटेगा नहीं। जीतने वालों ने ही जनता को नहीं पूछा तो हारे हुए क्या पूछते। घरों में युवा मोर्चा और महिला मोर्चा सबसे अधिक प्रभाव डालते हैं। इनकी जिले में क्या स्थिति है? प्रदेश मे बैठे पदाधिकारी हर जिले पर नजर क्यों नहीं रख पाए? यह गलती उनकी भी है। अध्यक्ष सतीश पूनिया भी सभी के साथ बराबर के दोषी हैं। यह हाल जो श्री गंगानगर जिले का है वह इस दौरे से सुधरने वाला नहीं है। हर नेता में अकड़ भरी है और उस अकड़ से पहले पालिकाओं में हारे और पंचायत चुनाव में तो सुपड़ा ही साफ हो गया। सच्च तो यह है कि विधायकों और पूर्व विधायकों को जनता फिर से देखना ही नहीं चाहती। सांसद एक हैं इसलिए नाम दे रहा हूं कि निहालचंद जी मेघवाल से जनता अब और निहाल नहीं होना चाहती।
प्रदेशाध्यक्ष का स्वागत तो निर्देशों पर है इसलिए यह तो हर जगह होना ही है और खूब जोरशोर से होना है। इन स्वागतों से भी कोई भरोसा नहीं करना ही ठीक है। ये स्वागत ऐसे होते हैं कि निकले और पीछे हवा तक नहीं।
* पराजय की समीक्षा न करके यह दौरा चाहे किसी भी प्रयोजन के लिए हो लेकिन एक हवा और भी चल रही है।पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का बीकानेर संभाग का दौरा होने वाला है। वसुंधरा राजे अपना कार्यक्रम धार्मिक आध्यात्मिक रूप में मनाती और प्रचारित करती है। वसुंधरा के दौरे से पहले प्रदेशाध्यक्ष का दौरा कहीं न कहीं इस राजनीति की हवा भी फैला रहा है या समझो यह लग रहा है। वसुंधरा को खत्म करने के चक्कर में राजस्थान में अपने ही पांवों पर भाजपा नेताओं ने कुल्हाड़ी मार ली। कार्यकर्ताओं के सपने टूट गए। इस बार ऐसा ही करने की कोई राजनीति है तो भाजपा की हालत पंचायत समितियों से भी बुरी हो जाएगी। वसुंधरा राजे की ताकत के बराबर ताकत वाला नेता अभी प्रदेश में नहीं है। प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया भी नहीं। एक आवाज से राजस्थान को खड़ा करदे। वह ताकत किसके पास है? प्रजातंत्र में दिल्ली के राजतंत्र एकतंत्र को जबरन घुसेड़ना चाहते हैं तो नुकसान देह होगा। बस राजस्थान के विधानसभा चुनाव 2023 आए। जनता जिनको देखना नहीं चाहती कार्यकर्ताओं के मन से भी उतर गए और वे जो चुनाव में प्रदेश संबंधों से आना चाहते हैं मगर इलाके में नाम नहीं, कोई जानता तक नहीं, ऐसों को भूल से भी टिकट दे दिया गया तो हालात प्रदेश स्तर तक खराब ही खराब होंगे।०0०
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बुधवार, 26 जनवरी 2022
गुरुकुल पालीवाला की प्राचार्य चेतना अरोड़ा रेडिएशन बायलॉजी की अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में सम्मानित
* विशेष खबर- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़ 26 जनवरी 2022.
दाहिनी ओर डा.चेतना अरोड़ा |