रविवार, 30 जनवरी 2022

सूरतगढ़ में महाभ्रष्टाचार टीसी जमीनों की इकरारनामों से खरीद बेचान। कोलोनाईजर व सरकारी अमला लिप्त.

 

* करोड़ोँ की जमीनें बिक गई।कालोनियों का निर्माण*


* करणीदानसिंह राजपूत *


सूरतगढ़ नगर पालिका पेराफेरी क्षेत्र और तहसील क्षेत्र में हाईवे पर अस्थाई कास्त  की जमीने कॉलोनाइजरों  द्वारा इकरार नामों पर खरीदे जाने और कॉलोनियां बनाने के गैर कानूनी कार्य धड़ल्ले से चल रहे हैं।  कॉलोनाइजरों की अवैध खरीद बेचान कार्य में सरकारी कर्मचारियों के लिप्त होने से  यह कार्य पिछले 2 साल से बहुत बढ़ गया है। वैसे यह कार्य करीब 2015-16 से शुरू हो गया था। 

अस्थाई कास्त के लिए दी जमीनें जो कि सरकार की ही होती है किसान उसे बेच नहीं सकता और खरीदार खरीद नहीं सकता लेकिन सूरतगढ़ तहसील में पिछले कुछ सालों से इकरार नामों पर ऐसी जमीन बेचने के इकरारनामे  हुए हैं जिनकी संख्या बहुत बड़ी है। अगर कोई किसान जमीन इस तरह से बेचता है तो वह फिर से रकबा राज हो जाती है लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से वहां अवैधानिक ढंग से अनेक कमियां होते हुए भी कॉलोनियों का निर्माण हो रहा है। सूरतगढ़ में ऐसे इकरारनामों की जांच से ही घपला उजागर हो सकता है।

नगर पालिका अपनी पेराफेरी की जमीन को आवंटित करने के लिए नो ऑब्जेक्शन प्रमाण पत्र भी गुपचुप रूप से दे चुकी है। ये नो आब्जेक्शन भी जांच का बड़ा  मुद्दा है। इनमें कालोनाइजरों और बड़े राजनीतिक लोगों का हाथ है। लाखों रूपये और बड़े दबाव से ये जारी होते रहे हैं। 

इस प्रकार के अनेक प्रमाण पत्र जारी हो सरकारी जमीनों के खरीदने बेचने कॉलोनियां काटने और इसमें शामिल होने वालों के विरुद्ध कोई भी कार्रवाई इसलिए नहीं होती कि लगभग सभी राजनीतिक दलों के बड़े लोग इसमें लिप्त हैं। पत्रकार भी कोई समाचार छापना नहीं चाहते। कोई भ्रष्टाचार निरोधक ब्युरो में इस भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत को तैयार नहीं है।

 कॉलोनाइजर द्वारा जमीनें  गैरकानूनी तरीके से खरीदे जाने के कारण असल में पुख्ता आवंटन की मांग कर रहे हैं किसानों के अधिकारों का हनन हो रहा है तथा उनकी पूछ नहीं हो रही है। सरकार को गुप्त रूप से यहां जांच करवानी चाहिए कि कितने असली लोग हैं और कितनी जगह पर कॉलोनाइजर ने जमीन हथिया ली है ताकि असली हकदार के अधिकारों पर कोई आपत्ति नहीं आए।०0०








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