बुधवार, 28 सितंबर 2016

वंदेमातरम् का जोश दिलाने वाली माँ हीरा के श्राद्ध पर पुत्र का नमन:

माँ हीरा और पिता रतन ने जो दिया सच्च का संदेश-वही कोशिश करने में लगे हैं- करणीदानसिंह राजपूत-सूरतगढ़ 28 सितम्बर 2016. दिव्य संदेश देने वाली माता हीरा का आज श्राद्ध था और इस अवसर पर मैं सोच रहा था कि क्या दे पा रहा हूं? एक पत्रकार लेखक के रूप में केवल शब्द और शब्द ही हैं। शब्दों को सदा मंत्र मान कर लिखने का प्रयास किया है और वही आज सत्तर वर्ष पार करते हुए भी प्रयास है।
इस अवसर पर पाठकों के समक्ष माँ हीरा के जोशीले नारीत्व के रूप में चित्र प्रस्तुत है। वंदे मातरम् के शताब्दी समारोह का कार्यक्रम कुछ ही साल पहले सुभाष चौक पर था जिसमें माँ ने नारे के साथ एक वक्तव्य दिया था। यह चित्र भारत विकास परिषद के विभिन्न पदों पर विराजमान रहे माननीय घनश्याम शर्मा ने कुछ वर्ष पूर्व भेंट किया। आज यह चित्र भी उनकी पुण्य स्मृति को ऐतिहासिक बना रहा है।
करणीदानसिंह राजपूत,
राजस्थान सरकार के सूचना व जनसंपर्क सचिवालय से अधिस्वीकृत पत्रकार,सूरतगढ़।
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मंगलवार, 27 सितंबर 2016

राजस्थान के मंत्री वसुंधरा राजे के ठप्पा मंत्री-घनश्याम तिवाड़ी के आरोप:


वसुंधरा राजे के साथ भाजपा की मुश्किलें बढ़ेंगी- 

वसुंधरा राजे के खिलाफ विजयदशमी से घनश्याम तिवाड़ी का प्रदेशव्यापी लोक सम्पर्क अभियान:

करणीदानसिंह राजपूत -
 राजस्थान की मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली से नाराज वरिष्ठ भाजपा नेता घनयाम तिवाड़ी ने जनता का काम नहीं होने का आरोप लगाजे हुए वसुंधरा राज के मंत्रियों के लिए कहा कि वे ठप्पा मंत्री बन कर रह गए हैं।
भाजपा के विधायक पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी विजयदशमी से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ प्रदेशव्यापी लोक सम्पर्क अभियान शुरू करेंगे। इसके तहत पहले चरण में जयपुर जिला और इसके बाद राजस्थान के हर विधानसभा क्षेत्र के दस-दस गांवों का दौरा कर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ अभियान चलाएंगे।

शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

निर्मलादेवी की पेपर बैग की कमाई से घर को मिला सहारा:



समूह के माध्यम से मिला स्वरोजगार
श्रीगंगानगर, 23 सितम्बर। यह कहानी श्रीगंगानगर जिले के गांव ख्यालीवाला की निर्मला देवी की है जिसने अपने खाली समय का सदुपयोग कर परिवार को हजारों रूपए मासिक का संबल प्रदान किया। निर्मलादेवी आठवीं पास है। उसके पास अपना घर का कार्य करने के बाद खाली समय बचता था। निर्मला देवी के पति किसी निजी फर्म मॠें नौकरी करते हैं, जिससे घर का गुजारा भी मुश्किल से निकल पाता था। निर्मला देवी ने अपने स्वयं का छोटा मोटा कार्य करने की ठानी तथा वह राजीविका स्वयं सहायता समूह की सदस्य बनी। ओबीसी ग्राम्य स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान द्वारा समूह सदस्यों को पेपर बैग, पेपर कवर, लिफाफे, फाईल मेकिंग का प्रशिक्षण दिया, जिसमॠें निर्मला देवी भी पेपर बैग बनाने मेंॠ पारंगत हो गई।
इस समूह को राजीविका से रिवोलविंग फण्ड एवं सीआईएफ राशि के रूप मेंॠ एक लाख 25 हजार रूपये के रूप मॠें दिये गये। प्रशिक्षण के पश्चात निर्मला देवी ने समूह से 15 हजार रूपये की राशि का ऋण लिया तथा पेपर बेग व लिफाफे बनाकर बेचने का कार्य प्रारम्भ किया। निर्मला देवी ने जिला कलक्टर श्री पी.सी.किशन को बताया कि वह वर्तमान मेंॠ 4 हजार रूपये से अधिक की आय कर लेती है तथा इस व्यवसाय को धीरे-धीरे और बढ़ाने पर ध्यान दिया जायेगा।
 जिला कलक्टर ने आश्वस्त किया कि महिलाओं के पूरे समूह लिफाफे  बनाने का कार्य करेॠ ताकि सरकार द्वारा प्लास्टिक कैरी बैग को प्रतिबंधित करने की योजना सफल हो सके।


राजस्थान में बिजली मंहगी करके मोदी की आँखों का तारा बनना चाहती है वसुंधरा:



अपने विरूद्ध उठ रहे तूफान में केन्द्रीय नेताओं के दिमाग पर असर डालने की चाल:
भाजपा नेताओं के व्यावसायिक मित्रों से बिजली की खरीद वसुंधराराजे,मंत्री,विधायक,राजनेता ही जला पाऐंगे बिजली:
बिजली की दरों में बेतहाशा बढोतरी करके तंग हुई जनता को नंग करने में भाजपा को क्या मिल पाएगा?
- करणीदानसिंह राजपूत -
राजस्थान में बिजली की दरों में बेतहाशा बढ़ोतरी करने का रास्ता विद्युत नियामक आयोग ने खोल दिया है। राजस्थान सरकार कितनी सबसिडी देगी इसका खुलासा नहीं किया गया गया है।
राजस्थान में विद्युत परियोजनाओं में पैदा होने वाली बिजली में कोई कमी नहीं है,लेकिन किसी न किसी निर्देश पर इनको बंद करके जताया जाता रहा है कि बिजली की आपूर्ति में कमी आ गई। लेकिन सच्च यह नहीं है। बिजली उत्पादन में लगे कर्मचारियों के संगठन बार बार ज्ञापनों से बतला चुके हैं कि जानबूझ कर घाटा किया जा रहा है। अपने कारखानों को बंद कराके एग्रीमेंट के आधार पर बाहर से बिजली की खरीद की जाती रही है। अधिकारी इसका ब्यौरा देना नहीं चाहते। जिनसे बिजली खरीद की जाती है वे भाजपा के बड़े नेताओं के खास हैं। उनकी बिजली कंपनियों को लाभ पहुंचाना एक दायित्व बन गया है तथा जनता की परवाह नहीं है।
सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन में बुरा हाल है। पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु ने सूचना के अधिकार में पूरा ब्यौरा मांगा जो करीब 20 हजार रूपए में उपलब्ध कराया गया। सूचना के अधिकार में मिले 8 हजार से अधिक पेज हैं। इंजीनियर डरते हुए साफ नहीं लेते लेकिन जबानी ईशारा करते हैं कि बिजली भाजपा के बड़े नेता के गुजराती मित्र की खरीदी जाती है।
सूरतगढ़ की इकाईयां जबतब बंद करदी जाती है,गोपाल भोजक की खोज परक रिपोर्टें आए दिन राजस्थान पत्रिका में छपती रहती हैं।
जो हालात राजस्थान में पैदा हो रहे हैं। जनता भाजपा से नाराज है। पार्टी में भी भूचाल आया हुआ है। ऐसी हालत में वसुंधरा राजे अपने बचाव में केन्द्रीय नेताओं के सामने अपने पक्ष को मजबूत किए रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार है।
राजस्थान में वसुंधरा राजे के विरूद्ध घनश्याम तिवाड़ी ने जबरदस्त मोर्चा खोल रखा है तथा कदावर नेता देवीसिंह भाटी भी नाराज हैं। इनके अलावा कई अन्य नेता भी नाराज हैं। राजस्थान के बिगड़ते जा रहे हालात में परेशान हो रही जनता को बिजली की दरों की बढ़ोतरी से और अधिक परेशानी होगी। आखिर कौन जला पाएगा बिजली? विद्युत नियामक आयोग तो एक आड़ है जिसका निर्णय बतला कर सब किया जा रहा है।
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सोमवार, 19 सितंबर 2016

युद्ध की ओर केवल आक्रोश से नहीं बढ़ा जा सकता? कश्मीर की यह हालत किसने बनाई? मोदी को कोसने से पहले यह भी जान लेना चाहिए:


देश के दो टुकड़े किसने स्वीकार किए? पाक कबालियों ने हमला किया तब इस मसले को संयुक्त राष्ट्र संघ में कौन ले गया? कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 संविधान में किसने दी? उस समय न भाजपा नहीं थी। कांग्रेस हमेशा अपने बयानों में कहती है कि आजादी की लड़ाई उसने अकेले देल ने लड़ी थी। यह लड़ाई है जो कांग्रेस ने लड़ी जिसका फल देश न जाने कब तक भोगता रहेगा?

- करणीदानसिंह राजपूत -
पठानकोट के बाद उरी में सेना के बेस कैंप पर आतंकी हमले से पूरा देश आक्रोश में है तथा सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जबरदस्त खिंचाई हो रही है। उनके चुनाव से पहले के भाषण विडियो प्रसारित कर देश को याद कराया जा रहा है। यह प्रतिक्रिया होना जायज है और आक्रोश इस तरह का व्यक्त किया जा रहा है कि तुरंत ही युद्ध छेड़ दिया जाए। ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार व खुद मोदी गंभीर नहीं है।
मोदी के जन्म दिवस की खुशियां चल ही रही थी कि अगला सूरज निकलने से पहले आतंकवादी घटना अंजाम दे दी गई। पाकिस्तान की ओर से आतंकी आए उसमें पाक का हाथ है लेकिन आरोप लगाने से कुछ होने वाला नहीं है। पठानकोट हमले में पाक जाँच दल को बुला कर देख लिया। उससे पहले मुम्बई हमले के मामले में भी देख ही लिया है।
एक दम से युद्ध करने की घोषणा सोशल मीडिया में तूफान मचाए हुए है तथा अनेक वरिष्ठ पत्रकार तक मोदी को कोस रहे हैं।
मोदी की सरकार के आने से पहले देश में कांग्रेस का ही शासन अधिक रहा है तथा कांग्रेसी भाजपा पर तो सवाल दागते रहे हैं कि उसने कौनसी लड़ाई लड़ी?
कश्मीर की हालत हुई है उसमें भाजपा नहीं कांग्रेस के दिग्गजों का ही हाथ रहा है।
देश की आजादी के लड़ाई हर कौम ने लड़ी लेकिन महात्मा गांधी ने देश को दो टुकड़ों में आजाद होना क्यों स्वीकार कर लिया? उस समय जवाहरलाल नेहरू थे और कांग्रेस के अन्य नेता भी थे। पाकिस्तान की निगाह कश्मीर पर थी और वहां से कबायली हमला करवा दिया गया। कश्मीर के राजा हरिसिंह ने भारत सरकार से अपील की ओर भारत में शामिल होने की राय रखी। भारतीय सेनाएं कश्मीर में पहुंची तब तक कबायलियों ने काफी हिस्से पर कब्जा कर लिया। निश्चित रूप में भारतीय सेना कबायलियों पर भारी पड़ती ओर खदेड़ देती लेकिन उस समय न जाने क्यों नेहरू की सोच चली और यह मामला संयुक्त राष्ट्र संघ में ले गए और फिर आजतक वह लटकता ही रहा। मोदी ने पहली बार पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेने की बात कही है। मोदी से पहले इतने कांग्रेसी प्रधानमंत्री आए किसी ने यह बात नहीं कही। बलोचिस्तान के लोगों को बयान देकर मोदी ने ही संबल प्रदान किया है।
देश की आजादी के करीब 5 साल बाद संविधान लागू किया गया। जिसके लिए दिन रात गीत गाए जाते हैं कि बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने संविधान दिया। कश्मीर की विशेष दर्जे वाली धारा 370 संविधान में किसने जोड़ी? जब भीमराव अम्बेडकर का नाम ही लेते रहे हैं तो उन्हीं के लिए लिखा जाना चाहिए कि उन्होंने यह बहुत बड़ी भूल या गलती क्यों की? जिसकी सजा यह देश आजतक भुगत रहा है।
कश्मीर में भाजपा और पीडीएफ का संयुक्त शासन है। संयुक्त शासन में अनेक लचीलेपन रखने की मजबूरी होती है। यह सभी दल जानते हैं।
क्या इससे पहले कश्मीर की दशा अच्छी रही थी? अगर अच्छी हालत रही होती तो नेहरू युग में शेख अब्दुल्ला को कुल मिला कर 18 साल जेलों में बंद नहीं रखना पड़ता?
यह मामला बहुत ही नाजुक है और यह तान कर चलना चाहिए कि मोदी की सरकार इस पर कोई निर्णय जरूर लेगी। मोदी के बलोचिसतान की स्वतंत्रता वाले लोगों का समर्थन करेन का बयान देने व पाक अधिकृत कश्मीर को वापस भारत में मिलाने के बयान से पाक का खफा होना लाजिमी है और वह अभी और गड़बड़ी भी करेगा यह मान कर चलना चाहिए।
मोदी को कोसने से पहले एक बात जो पावरवाली है उसे और रखना जरूरी है।
पाकिस्तान ने जब 1971 के अंतिम दिनों में युद्ध में काफी इलाके गंवाए और भारत का कब्जा हो गया था। पूर्वी पाकिस्तान की सेना ने भारतीय सेना के आगे समर्पण कर दिया था। तब नामकरण बांग्लादेश रख कर आजाद राष्ट्र बनवा दिया जो आज भारत से पंगे लेता रहा है। इसके अलावा भारतीय सेना के कब्जे में आ चुके इलाके प्रधानमंत्री इंदिरागांधी ने पाकिस्तान को वापस भेंट क्यों कर दिए? उस समय कश्मीर का दबाया हुआ हिस्सा वापस लेकर ही यह दरियादिल्ली दिखाई जाती तो हालत यह नहीं होती। कांग्रेस सरकार ने तो आजाद और भारत के भक्त तिब्बत को चीन को सोंपने में कोई देरी नहीं की और चीन का अधिकार मान लिया। यह लड़ाई दो आदमी लडें़ वैसी नहीं है कि मामूली बात पर खेत में या सड़क पर लड़ ली जाए।
आशा की जानी चाहिए कि केवल मोदी को कोसने से काम नहीं चलने वाला। पूर्व में जो गलतियां रही है वं गंभीर गलतियां रही है और उनके होते हुए ही कोई सोच विचार कर ही कदम उठाए जा सकते हैं। 
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शनिवार, 17 सितंबर 2016

करणी प्रेस इंडिया संग मनाएं पीएम नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन: चित्र देखें झूमें नाचें गाएं :

 
देश में और देश के बाहर भी मनाया जा रहा है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन:
- करणीदानसिंह राजपूत - 
मोदी ने आतंकवाद के विरूद्ध संसार को जगाने में बड़ी कामयाबी हासिल की है तथा भारत को एक महत्वपूर्ण मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है। इस वजह से विश्व के अन्य देशों की सोच बदल गई है।
मोदी ने बलूचिस्तान के आजादी मांग रहे लोगों को एक संबल प्रदान किया है तथा पाकिस्तान को उसकी हैसियत का एक नमूना दिया है। पाकिस्तान  कश्मीर की स्वायतता के राग अलापता रहा है उसे यह बता दिया है कि उसके कब्जे में जो कश्मीर का हिस्सा है वह भी भारत का हिस्सा है। उसको वापस भारत में शामिल किए जाने का ईशारा देकर भी अपने देश सहित दुनिया को भी ताकत का एहसास करा दिया है।


बुधवार, 14 सितंबर 2016

अखबारों का फर्जी प्रकाशन: पीआरओ की झूठी रिपोर्ट से चलती है अखबारी फर्जी रेल:निदेशालय डीएवीपी होते गुमराह:




अखबार साप्ता.पाक्षिक 50 कॉपी, दैनिक अखबार 1000 प्रकाशन रोज रिकार्ड 20-25-35 हजार:
- करणीदानसिंह राजपूत-
भारत की केन्द्र व राजस्थान की सरकार ने अखबारों के वर्ष भर में मिलने वाले विज्ञापन पहले से काफी कम कर दिए हैं और जिसका एक कारण तो यही है कि लगातार शिकायतें हैं कि अखबार फर्जीवाड़ा कर रहे हैं तथा असल में जितना रिकार्ड तैयार करते हैं उतने छापे नहीं जाते तथा कई तो फाइलों में ही रहते हैं। अखबार जितनी प्रतियां रिकार्ड छपना बताया जाता है उतना तो कागज ही नहीं मिल पाता। सब हवा हवा में हो होता है।

रविवार, 11 सितंबर 2016

मोहन भागवत जी हिंदुओं को अधिक बच्चे पैदा करने से कानून रोकता है:


आर.एस.एस.के कहने पर आपातकाल में जेलों में गए लोग परेशान हैं और अब अधिक बच्चे पैदा किए तो उनका क्या होगा?
 
- करणीदानसिंह राजपूत -
आरएसएस के कहने व गुप्त निर्देशों पर आपातकाल में हजारों लोग अपने घर बार व्यवसाय आदि की परवाह किए बिना तत्कालीन कांग्रेस सरकार के अत्याचारों के विरोध में उतरे और जेलों में बंद कर दिए गए। आरएसएस के निर्देश पर सब हुआ। तत्कालीन राजस्थान सरकार ने सैंकड़ों को मीसा व डीआआईआर में जेलों में डाल दिया व सैंकड़ों को शांतिभंग करने में जेलों में ठूंस दिया। दोनों ही प्रकार के बंदी जेलों में सड़े और दोनों ही प्रकार के बंदियों के घरबार बरबाद हुए।
लेकिन अब राजस्थान सरकार पेंशन केवल उन बंदियों व पत्नी को देरही है जो मीसा व डीआईआर में बंदी रहे थे। सवाल यह है कि जो लोग शांति भंग में बंद किए गए थे क्या उनके घरबार व्यवसाय बरबाद नहीं हुए? उनके घरबार व्यवसाय चौपट हो गए थे लेकिन आपकी राजस्थान सरकार उनको देश भक्त नहीं मान रही। सब कुछ लुटा कर भी वे लोग देशभक्ति की परिभाषा से वंचित रखे जा रहे हैं। यह मामली बात नहीं है कि एक घर से दो भाई पकड़े गए। मीसा वाला पेंशन का हकदार और शांतिभंग में पकड़ा गया पेंशन का हकदार नहीं। वह देश भक्त कहे जाने से ही वंचित रह गया।
आपातकाल में आपकी जगह कोई अन्य था लेकिन देश भर में कार्यकर्ताओं ने संदेश फैलाया जिसका पालन हुआ और आज जो भाजपा का वर्चस्व बढ़ा है राज है उसमें कहीं न कहीं उनकी कुर्बानियां भी हैं जिनको भुलाया जा रहा है। सरकारों के अनेक मद्दों में करोड़ों के खर्चे होते हैं लेकिन आपातकाल के शांतिभंग वालों को पेशन देने में राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार सबकुछ जानते हुए भी इनकार कर रही है। पहले प्रावधान के लिए रिपोर्ट मांगी  वह पूरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पास 1 साल से पड़ी है जिसमें पेंंशन दिए जाने की अनुशंसा की हुई है। मुख्यमंत्री उसे क्यों दाबे रखना चाहती हैं?
अब बताएं उस समय आरएसएस के दिशा निर्देशों पर चलने वाले परेशान हो रहे हैं और एक मुख्यमंत्री को कोई कहने वाला नहीं है।
अब आप कह रहे हैं कि हिन्दुओं को अधिक बच्चे पैदा करने से कौनसा कानून रोकता है? आपकी प्रेरणा से जो लोग भी कदम उठाऐंगे उनका क्या हाल होगा?
वर्तमान में कानून दो बच्चों से अधिक संतान होने पर नौकरी से रोकता है,पदोन्नति से रोकता है और चुनाव लडऩे से भी रोकता है। पहले इन कानूनों को खत्म कराया जाना जरूरी है अन्यथा जैसे आरएसएस के दिशा निर्देश पर चले आपातकाल स्वतंत्रता संनानी परेशानियां भोग रहे हैं ठीक उसी प्रकार अधिक संतान पैदा करने वाले परेशान होंगे।
वसुंधरा राजे को पेशन देने का निर्देश देकर ही देखलें व्यवहार का मालूम पड़ जाएगा।
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शनिवार, 10 सितंबर 2016

वसुंधरा राजे ने डर कर शुरू की है जन सुनवाई? राजस्थान के हालात नहीं है अच्छे?


वसुंधरा राजे की जन सुनवाई में 2 हजार परिवेदनाएं कैसे आई जब सब ठीक है?

- करणीदानसिंह राजपूत -
राजस्थान में सब ठीक ठाक चल रहा है और इसलिए भाजपा प्रदेश कार्यालय में मंत्रियों की जन सुनवाई में पूरे दिन में इन दिनों पन्द्रह बीस शिकायतें ही आने की बात कही जाने लगी थी। राजस्थान में सब ठीक ठाक चल रहा है तक मुख्यमंत्री की जन सुनवाई में कुछ ही घंटों में 2 हजार शिकायतें कैसे आ गई? ये शिकायतें या परिवेदनाएं भी अकेले जयपुर संभाग की ही थी। इनमें भी जयपुर शहर की अधिक बताई गई है। इन परिवेदनाओं के दर्ज करने के लिए ही शनिवार को कार्यालय खोले गए हैं।
असल में कुछ दिन पहले एक मंत्री ने तो कह भी दिया था कि लोग खुश नहीं है चाहे ये जनता दरबार लगाओ। प्रदेश भर में कहीं भी किसी से बात करें तो यही हवा चलती हुई मिल रही है। वसुंधराराज सही में जनता का राज है तो फिर जनता रो क्यों रही है? भाजपा के कार्यकर्ता भी भरे पड़े हैं और जहां पर कहना नहीं होता वहां पर जबान खोलने में अब हिचकते नहीं हैं।
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सचिन ने जन सुनवाई पर कहा है कि जब सब ठीक था तब हालात इतने खराब होते कैसे गए? सचिन ने कहा कि दिल्ली की डपट पर यह जन सुनवाई शुरू की गई जिसमें भी लोगों को घंटों तक इंतजार करना पड़ा।
राजस्थान में हालात निरंतर बिगड़ते जा रहे हैं और पहले संगठन का भय रहा करता था लेकिन अब अशोक परनामी और वसुंधरा राजे एक हैं। मंत्रियों तक की सुनवाई नहीं होती।

 घनश्याम तिवाड़ी ने दीनदयाल वाहिनी  का संचालन करके और अनेक बयान देकर राज की खाट खड़ी कर रखी है लेकिन उनके विरूद्ध संगठन इसलिए कार्यवाही करने से घबरा रहा है कि ऐसा करते ही भयानक संकट आ जाएगा और संभाले संभलेगा नहीं। वैसे घनश्याम तिवाड़ी वहीं बोल रहे हैं जो जनता की पीड़ाएं हैं।
राजस्थान में 2 अक्टूबर से भैरोंसिंह शेखावत की स्मृति में अंत्योदय यात्रा शुरू होने वाली है जिसका नेतृत्व दशरथ सिंह शेखावत करेंगे। इसका भी  भय वसुंधरा राजे को भीतर ही भीतर सता रहा होगा। यह यात्रा 2 अक्टूबर को भैरोंसिंह जी के जन्मस्थान खाचरियावास से शुरू होगी और उनकी पुण्यतिथि पर जयपुर में उनके समाधि स्थल पर संपन्न होगी। इसमें भैरोंसिंह शेखावत विचारधारा के कार्यकर्ताओं को साथ रखा जाएगा जो हर जगह उपेक्षित से पड़े हैं। वर्तमान मंत्रियों आदि से दूरी बना कर रखी जाएगी। इस यात्रा का पूरा ब्यौरा 15 सितम्बर को जयपुर में जारी किया जाएगा।

मतलब यह है कि सभी हालात सरकार को भागदोड करने को मजबूर कर रहे हैं या सरकार डर कर भाग दौड करने में लगी है।
भाजपा की हालात बिना पत्तों डालियों वाले पेड़ यानि केवल ठूंठ की तरह नजर आ रही है

वसुंधरा राजे राजस्थान में तंत्र मंत्र शिक्षा शुरू कराएगी:



- करणीदानसिंह राजपूत -
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के तंत्र मंत्र की शिक्षा शुरू कराने के बयान ने राजस्थान प्रदेश में हलचल मचा दी है। जयपुर के इन्द्रलोक सभागार में इन दिनों वैदिक सम्मेलन चल रहा है। मुख्यमंत्री के मुंह से वहीं पर यह बयान निकल पड़ा। राजे ने कहा वे राजस्थान में तंत्र मंत्र की शिक्षा दिलवाने का प्रयास करेंगी। उन्होंने कहा कि लोग तंत्र मंत्र को काला जादू से जोड़ कर देखने की गलती करते हैं जबकि यह प्राचीन विद्या इस्तेमाल हो रही है। वे चाहती हैं कि तंत्र मंत्र की शिक्षा संस्कृत विश्वविद्यालय से संचालित हो। इसके लिए उन्होंने संस्कृत शिक्षा विभाग के मंत्री काली चरण सर्राफ से भी कहा कि वे काशी उज्जैन से विद्वानों को लाएं जो यह शिक्षा दे सकें।
राजे ने कहा कि देश में कोचीन कोच्चि एक मात्र ऐसा स्थान है जहां पर तंत्र मंत्र की शिक्षा दी जाती है। राजे ने कहा कि वे कोचीन में तंत्र मंत्र की शिक्षा देने वाले स्कूल में जाकर मालूम करेंगी।
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सरकार 2 नवम्बर तक छाबड़ा शराब बंदी समझौता लागू करेनही तो प्रदेश व्यापी अनशन शुरु करेगे।



2 नवम्बर तक सरकार (छाबडा जी के साथ हुआ समझोता) छाबड़ा समझौता लागू करे नही तो प्रदेश व्यापी अनशन- पूनम अंकुर छाबडा
   2 अक्टूबर को सूरतगढ़ में स्व. श्री गुरुशरण छाबडा जी स्मारक पर होगा सांकेतिक अनशन प्रदेश  सरकार की सदबुद्धि के लिए-राजपुरोहित

शुक्रवार, 9 सितंबर 2016

राम के पूजन बिना राहुल को कैसे मिलेगा हनुमान का आशीर्वाद:


राहुल गांधी का हनुमानगढ़ी दर्शन पूजन रामलला मंदिर शिलान्यास से दूर रहे:
- करणीदानसिंह राजपूत -
कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव से पहले कांग्रेस की इमेज सुधारने के लिए यूपी में यात्रा पर हैं और नए नए प्रयोग कर रहे हैं। राहुल गांधी ने अयोध्या/फैजाबाद में राहुल गांधी ने 9 सितम्बर को सुबह हनुमानगढ़ी में दर्शन किया। बेसन के लड्डू प्रसाद में चढ़ा कर पूजन किया। उनकी सुरक्षा के चक्कर में साधु संतों को दूर करने के चक्कर में एक प्रकार से धक्के दिए गए। साधु संतों में इसका रोष प्रगट हुआ। राहुल गांधी पास में ही जाकर महंत ज्ञानदास से भी मिले व कोई मंत्रणा की।
राहुल गांधी यूपी चुनाव से पहले हिन्दु मुसलमान दोनों तबकों को किसी तरह से राजी करना चाहते हैं। राहुल गांधी हनुमानगढ़ी तो गए लेकिन जहां पर राम लल्ला के मंदिर का शिलान्यास स्थल है वहां पर नहीं गए।
वैसे एक बात मान्य है कि स्वयं हनुमानजी राम भक्त हैं और वे ऐसे किसी को भी आशीर्वाद कैसे दे सकते हैं जो उनके दर्शन तो करे मगर प्रभु राम के नजदीक होते हुए भी वहां जाना टाल जाए।
राहुल का शाम का कार्यक्रम मस्जिद में जाने का भी है। राहुल गांधी की यात्रा से कांग्रेस को कितना लाभ मिलेगा? यह अभी तो मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा?



गुरुवार, 8 सितंबर 2016

जनता त्रस्त मोदी जी मस्त-राहुल गाँधी:



मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री हैं,यहां के किसानों का सोचें:
कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गोरखपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर ताना कसते हुए वार किया है। राहुल ने कहा है कि मोदी जी मस्त हैं और जनता त्रस्त है।
मोदी जी कभी अमेरिका कभी जापान कभी चीन की यात्राओं पर जा रहे हैं। वे अमेरिका के प्रधानमंत्री नहीं हैं वे भारत के प्रधानमंत्री हैं जिनको यहां के किसानों के बारे में सोचना चाहिए। मोदी जी मस्त हैं और जनता त्रस्त है।
राहुल ने कहा कि खाट ले जाने वाला तो चोर कहला रहा है जबकि 9 हजार करोड़ रूपए लेकर विदेश भाग जाने वाला माल्या डिफाल्टर कहा जा रहा है।

बुधवार, 7 सितंबर 2016

रतन चौधरी आत्महत्या: आरोपितों की हाजिरी बिना सही जाँच संभव नहीं:


पुलिस से निष्पक्ष सही जाँच की मांग: किसी निर्दाेष को न फंसाया जाए:
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़, 7 सितम्बर 2016.
रतनलाल चौधरी की आत्म हत्या के सुसाईड नोट में जिन लोगों के नाम थे उनके विरूद्ध आत्महत्या दुष्प्रेरण का आपराधिक मुकद्दमा दर्ज होए सात दिन बीत चुके हैं। इस मुकद्दमे के दर्ज होने के बाद वरिष्ठ वकील भागीरथजी कड़वासरा व अन्य लोगों जिनमें कुछ राजनैतिक भी थे ने यह मांग की कि इस मुकदद्में की जाँच सही हो व किसी निर्दाेष को न फंसाया जाए। इस मांग को कोई भी गलत नहीं बतलाएगा। ऐसी मांगे पहले भी मुकद्दमों में उठती रही  हैं। कोई भी व्यक्ति या संगठन क्यों चाहेगा कि इतने बड़े प्रकरण में कोई निर्दाेष व्यक्ति पकड़ लिया जाए।
इस मुकद्दमें के नाम तो मरने वाला रतनलाल चौधरी ही लिख गया था। वे सभी गायब हैं और सही व निष्पक्ष जाँच उनके हाजिर होने व उनसे पूछताछ किए जाने के बाद ही संभव हो सकती है। वे लोग जब तक पुलिस से दूर बचते रहेंगे तब तक जाँच कैसे हो सकती है? उनके नामों सहित प्रकरण दर्ज हो गया है इसलिए उनको पुलिस के समक्ष हाजिर तो होना ही पड़ेगा। चाहे वे स्वयं उपस्थित हों चाहे पुलिस खोज कर गिरफ्तार करके लाए। जिनके नाम आरोपितों में हैं उनको ही प्रमाणित करना होगा कि वे निर्दाेष कैसे हैं? आजतक यही प्रक्रिया चलती रही है।
अब वे लोग कब आएंगे या नहीं आएंगे? पुलिस कब पकड़ पाएगी? या वे अग्रिम जमानतें करवाने में रहेंगे। अनेक सवाल है जो लगातार उठते रहेंगे। अभी तो नहीं लग रहा मगर कुछ दिन बाद पक्ष व विपक्ष भी सामने आऐंगे। यह कोई भविष्यवाणी नहीं है लेकिन हर प्रकरण में ऐसा होता आया है,सो इसमें ऐसा होगा तो कोई नई बात नहीं होगी।
जिन लोगों ने सही व निष्पक्ष जाँच की मांग की है वे कहीं न कहीं जुड़े तो होंगे। मांग करने वालों को भी इतना तो मालूम है कि अभी पुलिस की जाँच शुरू होने से पहले ही उन्होंने ज्ञापन दे दिया है और कोई भी आरोपित हाजिर नहीं है तथा बिना हाजिरी के बिना पूछताछ के जाँच ही संभव नहीं है? सही गलत तो बाद की बात है। इनमें से किसी ने भी आरोपितों को हाजिर करने आदि की बात नहीं की है। अगर जल्दी जांच शुरू हो तो आरोपितों को हाजिर होने का संदेश भी इन्हीं को पहुंचाना चाहिए। पुलिस की जाँच में गड़बड़ी नजर आए तब सवाल उठाए जा सकते हें और जाँच बदलवाने आदि की भी प्रक्रिया है। लेकिन आरोपितों को हाजिर होना होगा वे आखिर कितने दिन लापता रह सकेंगे? 




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