माँ हीरा और पिता रतन ने जो दिया सच्च का संदेश-वही कोशिश करने में लगे हैं- करणीदानसिंह राजपूत-सूरतगढ़ 28 सितम्बर 2016. दिव्य संदेश देने वाली माता हीरा का आज श्राद्ध था और इस अवसर पर मैं सोच रहा था कि क्या दे पा रहा हूं? एक पत्रकार लेखक के रूप में केवल शब्द और शब्द ही हैं। शब्दों को सदा मंत्र मान कर लिखने का प्रयास किया है और वही आज सत्तर वर्ष पार करते हुए भी प्रयास है।
इस अवसर पर पाठकों के समक्ष माँ हीरा के जोशीले नारीत्व के रूप में चित्र प्रस्तुत है। वंदे मातरम् के शताब्दी समारोह का कार्यक्रम कुछ ही साल पहले सुभाष चौक पर था जिसमें माँ ने नारे के साथ एक वक्तव्य दिया था। यह चित्र भारत विकास परिषद के विभिन्न पदों पर विराजमान रहे माननीय घनश्याम शर्मा ने कुछ वर्ष पूर्व भेंट किया। आज यह चित्र भी उनकी पुण्य स्मृति को ऐतिहासिक बना रहा है।
करणीदानसिंह राजपूत,
राजस्थान सरकार के सूचना व जनसंपर्क सचिवालय से अधिस्वीकृत पत्रकार,सूरतगढ़।
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इस अवसर पर पाठकों के समक्ष माँ हीरा के जोशीले नारीत्व के रूप में चित्र प्रस्तुत है। वंदे मातरम् के शताब्दी समारोह का कार्यक्रम कुछ ही साल पहले सुभाष चौक पर था जिसमें माँ ने नारे के साथ एक वक्तव्य दिया था। यह चित्र भारत विकास परिषद के विभिन्न पदों पर विराजमान रहे माननीय घनश्याम शर्मा ने कुछ वर्ष पूर्व भेंट किया। आज यह चित्र भी उनकी पुण्य स्मृति को ऐतिहासिक बना रहा है।
करणीदानसिंह राजपूत,
राजस्थान सरकार के सूचना व जनसंपर्क सचिवालय से अधिस्वीकृत पत्रकार,सूरतगढ़।
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