
पुलिस से निष्पक्ष सही जाँच की मांग: किसी निर्दाेष को न फंसाया जाए:
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़, 7 सितम्बर 2016.
रतनलाल चौधरी की आत्म हत्या के सुसाईड नोट में जिन लोगों के नाम थे उनके विरूद्ध आत्महत्या दुष्प्रेरण का आपराधिक मुकद्दमा दर्ज होए सात दिन बीत चुके हैं। इस मुकद्दमे के दर्ज होने के बाद वरिष्ठ वकील भागीरथजी कड़वासरा व अन्य लोगों जिनमें कुछ राजनैतिक भी थे ने यह मांग की कि इस मुकदद्में की जाँच सही हो व किसी निर्दाेष को न फंसाया जाए। इस मांग को कोई भी गलत नहीं बतलाएगा। ऐसी मांगे पहले भी मुकद्दमों में उठती रही हैं। कोई भी व्यक्ति या संगठन क्यों चाहेगा कि इतने बड़े प्रकरण में कोई निर्दाेष व्यक्ति पकड़ लिया जाए।
इस मुकद्दमें के नाम तो मरने वाला रतनलाल चौधरी ही लिख गया था। वे सभी गायब हैं और सही व निष्पक्ष जाँच उनके हाजिर होने व उनसे पूछताछ किए जाने के बाद ही संभव हो सकती है। वे लोग जब तक पुलिस से दूर बचते रहेंगे तब तक जाँच कैसे हो सकती है? उनके नामों सहित प्रकरण दर्ज हो गया है इसलिए उनको पुलिस के समक्ष हाजिर तो होना ही पड़ेगा। चाहे वे स्वयं उपस्थित हों चाहे पुलिस खोज कर गिरफ्तार करके लाए। जिनके नाम आरोपितों में हैं उनको ही प्रमाणित करना होगा कि वे निर्दाेष कैसे हैं? आजतक यही प्रक्रिया चलती रही है।
अब वे लोग कब आएंगे या नहीं आएंगे? पुलिस कब पकड़ पाएगी? या वे अग्रिम जमानतें करवाने में रहेंगे। अनेक सवाल है जो लगातार उठते रहेंगे। अभी तो नहीं लग रहा मगर कुछ दिन बाद पक्ष व विपक्ष भी सामने आऐंगे। यह कोई भविष्यवाणी नहीं है लेकिन हर प्रकरण में ऐसा होता आया है,सो इसमें ऐसा होगा तो कोई नई बात नहीं होगी।
जिन लोगों ने सही व निष्पक्ष जाँच की मांग की है वे कहीं न कहीं जुड़े तो होंगे। मांग करने वालों को भी इतना तो मालूम है कि अभी पुलिस की जाँच शुरू होने से पहले ही उन्होंने ज्ञापन दे दिया है और कोई भी आरोपित हाजिर नहीं है तथा बिना हाजिरी के बिना पूछताछ के जाँच ही संभव नहीं है? सही गलत तो बाद की बात है। इनमें से किसी ने भी आरोपितों को हाजिर करने आदि की बात नहीं की है। अगर जल्दी जांच शुरू हो तो आरोपितों को हाजिर होने का संदेश भी इन्हीं को पहुंचाना चाहिए। पुलिस की जाँच में गड़बड़ी नजर आए तब सवाल उठाए जा सकते हें और जाँच बदलवाने आदि की भी प्रक्रिया है। लेकिन आरोपितों को हाजिर होना होगा वे आखिर कितने दिन लापता रह सकेंगे?
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