* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 31 दिसंबर 2023.
नगरपालिका सूरतगढ़ की सीमा में बेशकीमती जमीन पर होते अतिक्रमणों में से कुछ पार्षद व राजनीतिक कार्यकर्ता एक अतिक्रमण हटाने की मांग करें और दस बीस अतिक्रमणों के नाम जानते हुए भी नहीं लिखें तो ऐसी मांग खोट भरी ही कहलाएगी। आखिर लाखों करोडों की जमीन खंडों के अन्य अतिक्रमण और अतिक्रमणकारी किन कारणों से प्यारे लगते हैं कि उनको हटाने की मांग नहीं होती। अतिक्रमणकारी से पारिवारिक संबंध, रिश्तेदारी, दोस्ती है? यदि ये संबंध नहीं है तो सीधा एक ही आरोप बनता है कि छुपे तौर पर भ्रष्टाचार में शामिल हैं और चेहरा साफ नहीं है। यह भी नहीं है तो फिर किसका दबाव या प्रभाव है? क्या लाखों का खेल चुप रहने का दबाव डाल रहा है और अन्य अतिक्रमणों के नाम नहीं लिखे जा रहे। पैसों की गठरी का बोझ दाब दे रहा है?
अतिक्रमणों के समाचार और फोटो सोशल मीडिया में वाट्सएप ग्रुपों में छपते रहने के बावजूद भी पार्षदों की ओर से उनको तोड़ने की मांग कभी नहीं उठी। यह मौन क्यों रहता है?
* तोड़े हुए अतिक्रमणों और पुलिस में मुकदमा दर्ज होने पर भी दुबारा अतिक्रमण हो जाना खुला भ्रष्टाचार है। राजनीतिक संरक्षण के बिना यह संभव नहीं हो सकता।प्रदेश में सरकार बदल गई। कांग्रेस के बदले में भाजपा की सरकार बन गई। भाजपा का कौनसा नेता अब संरक्षण दे रहा है? अतिक्रमण करने वाले भाजपा के स्थानीय संरक्षण में आ गये हैं तो नेताओं के नाम भी खुल ही जाएंगे कि उनके अतिक्रमण कहां कहां हैं और हो रहे हैं।
* पार्षद लिखित में अतिक्रमण और उस स्थान का स्पष्ट उल्लेख करते फोटो विडिओ लगाते हुए मांग क्यों नहीं करते? इस तरह से मांग हो तो अतिक्रमण पर कार्यवाही तुरंत ही करनी होगी।
** सूरतगढ़ में चुनाव आचार संहिता अवधि में अतिक्रमण हो गये और तुड़वाए अतिक्रमण पर नगरपालिका संपत्ति के बोर्ड हटा फेंक कर दुबारा अतिक्रमण कर लिया गया। जिम्मेदार अधिकारी हैं नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी पवनकुमार चौधरी ( हनुमानगढ़ निवासी हैं) अतिक्रमण निरोधक दस्ते के प्रभारी कालूराम सेन ( सूरतगढ़ निवासी)
* प्रदेश में सत्ता भाजपा की है तो सूरतगढ़ में हरकाम की जिम्मेदारी विधायक चुनाव लड़े रामप्रताप कासनिया की है। कासनिया ने चुनाव में अपने बेटे संदीप कासनिया को आगे कर दिया था। अब नगरपालिका या अन्य विभागों में जिम्मेदारी और आरोपों का जवाब देने की जिम्मेदारी बाप बेटे की ही बनती है। भाजपा का स्थानीय नगर मंडल भी जिम्मेदारी से दूर नहीं भाग सकता।
* नगरपालिका बोर्ड के चुनाव 2019 में हुए थे और शहर के विकास में पार्षदों की डायरियां और रिपोर्ट कार्ड कोरे हैं। विकास कहीं दिखाई नहीं दे रहा।
* पार्षदों और राजनीतिक नेताओं की हर अनदेखी काम नहीं करने के व्यवहार से शहर कचरे गंदगी अतिक्रमण भ्रष्टाचार की सड़ांध में धधक रहा है। वीआईपी कहलाने वाली कालोनियों में भयानक गंदगी के गंदखाने में बड़े नेता बड़े अधिकारी धनी लोग रहते हैं लेकिन चुप रहते हैं।
👍 विधानसभा चुनाव 2023 के सेवाभावी नेता प्रत्याशी टिकटार्थी पार्टियां कहीं दिखाई नहीं दे रहे। ऐसी स्थिति में सूरतगढ़ के समझदार लोगों संस्थाओं से सन् 2023 के आखिरी दिन 31 दिसंबर को एक जवाब चाहिए कि आखिर कब तक चुप रहोगे? ०0०
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार ( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान)
94143 81356.
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