रविवार, 26 मई 2019
हार के बाद कांग्रेस में हड़कंप-काफी उलट पलट की संभावना राहुल गांधी गुस्सा -
* गहलोत, कमलनाथ, चिदंबरम ने पार्टी से ज्यादा बेटों को दी तरजीह*
* कांग्रेस कार्य समिति सदस्यों द्वारा राहुल का इस्तीफा नामंजूर*
**कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में राहुल ने कहा कि उन्होंने बीजेपी ओर नरेंद्र मोदी के खिलाफ जो मुद्दे उठाए थे, पार्टी के नेता उसे जनता के पास ले जाने में असफल रहे। सूत्रों के मुताबिक, मोदी ने खास तौर पर राफेल डील मामले और 'चौकीदार चोर है' नारे का जिक्र किया।**
26 मई 2019.
आम चुनाव 2019 में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व अपनी गलतियों की समीक्षा करने के लिए शनिवार को इकट्ठा हुआ। कांग्रेस वर्किंग कमेटी में हुई बैठक में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन सीडब्ल्यूसी सदस्यों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।
चुनाव नतीजों को लेकर नाराज राहुल गांधी ने कुछ सीनियर कांग्रेसी नेताओं को आड़े हाथ लिया। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि इन नेताओं ने चुनाव में अपने बेटों को पार्टी से ज्यादा तरजीह दी। राहुल के मुताबिक, इन नेताओं ने अपने बेटों को टिकट देने में सारा जोर लिया दिया। राहुल गांधी ने ऐसी बात तब कही, जब इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मजबूत स्थानीय नेता खड़े करने का सुझाव दिया।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, राहुल ने इस बात का जिक्र किया कि जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी, वहां भी पार्टी ने बेहद खराब प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ ने अपने बेटों को टिकट देने के लिए दबाव बनाया, जबकि वह इसके पक्ष में नहीं थे। राहुल ने इसी संदर्भ में सीनियर कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम का भी नाम लिया। राहुल ने यह भी कहा कि उन्होंने बीजेपी ओर नरेंद्र मोदी के खिलाफ जो मुद्दे उठाए थे, पार्टी के नेता उसे जनता के पास ले जाने में असफल रहे। सूत्रों के मुताबिक, मोदी ने खास तौर पर राफेल डील मामले और ‘चौकीदार चोर है’ नारे का जिक्र किया।
खबर के मुताबिक, राहुल ने कहा कि वह चाहते हैं कि इस हार के लिए जिम्मेदारी तय की जाए इसलिए वह अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहे हैं। उनके ऐसा ऐलान करते ही सीनियर पार्टी नेताओं ने इसका विरोध किया। सीनियर नेताओं का तर्क था कि राहुल गांधी ने आगे बढ़कर कांग्रेस की अगुआई की और उन्हें इस हार से दिल छोटा करने की जरूरत नहीं है। खबरों के मुताबिक, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की राय थी कि अगर राहुल इस्तीफा दे देते हैं तो बीजेपी की चाल सफल हो जाएगी। वहीं, पी चिदंबरम ने आशंका जताई की राहुल के इस्तीफे से आहत बहुत सारे कार्यकर्ता आत्महत्या जैसा कदम उठा सकते हैं।
मोदी की जीत का जश्न मनाएं:चित्रों की झलक
देश में और देश के बाहर भी मनाया जा रहा है नरेन्द्र मोदी का दूसरी बार प्रधानमंत्री पद के लिए चुने जाने का जश्न।
- करणीदानसिंह राजपूत -
नरेन्द्र मोदी के आह्वान में बहुत बड़ी शक्ति रही थी कि 2019 के लोकसभा आमचुनाव में जनतांत्रिक गठबंधन को भारी जीत मिली। 353 सीटें मिली जिसमें अकेले भाजपा को 303 सीटें मिली।
मोदी को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया है। मोदी की जीत पर भारत को विश्व में शक्ति शाली राष्ट्र के रूप में पहचान मिली है।
मोदी ने आतंकवाद के विरूद्ध संसार को जगाने में बड़ी कामयाबी हासिल की है तथा भारत को एक महत्वपूर्ण मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है। इस वजह से विश्व के अन्य देशों की सोच बदल गई है।
मोदी ने बलूचिस्तान के आजादी मांग रहे लोगों को एक संबल प्रदान किया है तथा पाकिस्तान को उसकी हैसियत का एक नमूना दिया है। पाकिस्तान कश्मीर की स्वायतता के राग अलापता रहा है उसे यह बता दिया है कि उसके कब्जे में जो कश्मीर का हिस्सा है वह भी भारत का हिस्सा है। उसको वापस भारत में शामिल किए जाने का ईशारा देकर भी अपने देश सहित दुनिया को भी ताकत का एहसास करा दिया है।
मोदी मोदी के ही नारों का जयघोष चारों ओर सुनाई पड़ रहा है।
करणी प्रेस इंडिया संग मनाएं मोदी की जीत का जश्न।
गुरुवार, 23 मई 2019
दुनिया की बड़ी खबर-जनता ने चलादी मोदी फिल्म-* करणीदानसिंह राजपूत *
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बायोपिक फिल्म को प्रतिपक्ष ने रुकवा दिया था कि इससे मोदी को लोकसभा आम चुनाव में लाभ होगा।
आश्चर्य जनक रहा है कि डिब्बाबंद फिल्म पड़ी रही और देश की जनता ने असली फिल्म को चला दिया। ऐसा प्रदर्शित कर दिया कि पुरानी अन्य फिल्मों के रिकॉर्ड तोड़ नया कीर्तिमान रच दिया।
यह फिल्म चुनाव के दौरान प्रदर्शित हो जाती तो प्रतिपक्ष का आरोप होता कि इससे भारतीय जनता पार्टी को प्रचार मिला। घटनाक्रम ऐसे हुए की यह फिल्म प्रदर्शित नहीं हो पाई लेकिन भारतीय जनता पार्टी रिकॉर्ड तोड़ जीत प्राप्त कर गई। यह रिकॉर्ड जीत का जो नया बना वह केवल नरेंद्र मोदी के नाम से बना। भाजपा में फूट डालने के लिए लोगों ने यहां तक कहा कि नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी तक को खुडे लाइन लगा दिया है और अब यह एक व्यक्ति के नाम से चुनाव लड़ा जा रहा है। प्रतिपक्ष ने और अनेक पत्रकारों अखबार और चैनल वालों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी, मगर उनका दुष्प्रचार बेअसर रहा। जनता ने बिना देखे ही मोदी फिल्म को मोदी के नाम पर चला दिया और दिल से चलाया।
"मैं भी चौकीदार"और "इस बार फिर से मोदी सरकार" के नारे पूरे देश में लोकप्रिय हुए। मैं भी चौकीदार नारे का इतना अधिक प्रभाव हुआ कि चप्पे चप्पे में चौकीदार पैदा हो गए और करोड़ों की संख्या में हो गए।
नरेंद्र मोदी पर चुनावी सभाओं में भद्दे से भद्दे शब्दों में आरोप लगाए गए। सारी मर्यादा तोड़ दी गई मगर जनता है यह सिद्ध कर दिया कि देश को ऐसे ही चौकीदार की जरूरत है जिसकी लाठी में इतना दम हो कि देश के गद्दार भ्रष्टाचारी तो डरें साथ में दुश्मन भी डरता रहे।
नरेंद्र मोदी कि यह फिल्म चुनाव के वक्त दिखाई जाती तो चुनाव के बाद लोग भूल जाते। उसके बाद उसकी आवश्यकता ही नहीं होती,लेकिन अब 5 साल तक नरेंद्र मोदी की फिल्म चलती रहेगी।
पहले घोषणाएं भाषण हुए थे कि विपक्ष 2019 को भूल जाए व 2024 की तैयारी करे क्योंकि 2019 में तो भाजपा गठबंधन की ही सरकार बनेगी। ये भाषण घोषणाएं और ललकार सब सच साबित हुई। नरेंद्र मोदी के विकास कार्यों को जनता ने सराहा और एकदम चुप रहते हुए भी जबरदस्त वोटिंग नरेंद्र मोदी के पक्ष में की।
भारत के इस लोकसभा आमचुनाव पर देश के साथ विश्व की निगाहें भी लगी हुई थी। इस चुनाव से संपूर्ण विश्व में भारत शक्तिशाली प्रधानमंत्री वाले शक्तिशाली देश के रूप में स्थापित हुआ है।
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बुधवार, 22 मई 2019
एक लाख रुपए की रिश्वत लेते एईएन सुरेन्द्र कुमार गिरफ्तार- करोड़ों की संपत्ति का मालिक है एईएन।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने 22 मई 2019 को बड़ी कार्यवाही करते हुए अजमेर जलदाय विभाग के किशनगढ़ में तैनात एईएन सुरेन्द्र कुमार को एक लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। सुरेन्द्र कुमार के साथ विभाग के वरिष्ठ सहायक नवरत्न सोलंकी को भी गिरफ्तार किया गया है। ब्यूरो ने यह कार्यवाही अजमेर के पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा के दिशा निर्देश में की है। ब्यूरो के डीएसपी महिपाल चौधरी ने बताया कि ठेकेदार मंगलाराम ने रेलवे में डीएफसीसी में पाइप लाइन बिछाने का कार्य किया था। हालांकि भुगतान ठेकेदार को डीएफसीसी से ही मिलना था, लेकिन भुगतान से पहले किशनगढ़ के जलदाय विभाग की एनओसी जरूरी थी। इस एनओसी को देने की एवज में ही दो लाख रुपए की मांग की गई। ठेकेदार मंगलाराम ने एक लाख रुपए की राशि पहले ही दे दी थी। ब्यूरो की योजना के अनुरूप 22 मई को जब ठेकेदार मंगलाराम एक लाख रुपए की रिश्वत देने पहुंचा तो ब्यूरो की टीम ने एईएन सुरेन्द्र कुमार और वरिष्ठ सहायक नवरात्न सोलंकी को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। चौधरी ने बताया कि अब दोनों रिश्वतखोरों के घरों की तलाश ली जा रही है। एक लाख रुपए की रिश्वत का मामला अपने आप में बड़ा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जलदाय विभाग में किस स्तर पर भ्रष्टाचार फैला हुआ है।
करोड़ों की संपत्ति
एसीबी के सूत्रों के अनुसार सुरेन्द्र कुमार पिछले कई वर्षों से किशनगढ़ में ही नियुक्त है। अब तक की जानकारी के अनुसार तीन-तीन बंगलों का मालिक है तािा वह एशोआराम की जिन्दगी व्यतीत करता है। एईएन के बेटों के पास डेढ़ लाख रुपए की कीमत वाली मोटर साइकिल है।
अटल काल में जेल से बचे-मोदी काल में जेल में ठूंसे जाने का भय- बडे़ घोटालेबाज नेता भयभीत
** करणी दान सिंह राजपूत **
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई विनम्रता सहज भाव और अनेक कारणों से कांग्रेस जनों व कई बड़े लोगों द्वारा याद किये जा रहे हैं।अटलजी की विनम्रता का हर समय गुणगान करते हैं वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की जाती रही है। आखिर इसका कारण क्या है?
इस राजनीति को बहुत गहराई में जाकर समझा जा सकता है या समझने की आवश्यकता है।
अटल बिहारी वाजपेई को याद करने के पीछे,बार बार उनकी विनम्रता की याद दिलाने के पीछे कुछ कांग्रेस नेता और कुछ बड़े लोगों का खास मकसद है।
इस राजनीति को बहुत गहराई में जाकर समझा जा सकता है या समझने की आवश्यकता है।
अटल बिहारी वाजपेई को याद करने के पीछे,बार बार उनकी विनम्रता की याद दिलाने के पीछे कुछ कांग्रेस नेता और कुछ बड़े लोगों का खास मकसद है।
अटल बिहारी वाजपेई के काल में कुछ भी करते रहे बचते रहे बचाए जाते रहे। असल मे वाजपेयी कवि हृदय थे,शायद उनके मन में यह रहा हो कि लोग सुधर जाएंगे, लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त लोग पनपते रहे। अब उनको भय सता रहा है नरेंद्र मोदी के काल में उनके विरुद्ध दबे हुए और दबाए हुए मामले खुलेंगे,चलेंगे और वे जेल में डाल दिये जाएंगे।
अटल बिहारी बाजपेई काल में विदेशी हवाई अड्डे पर जांच में ड्रग मिलने के आरोप में पकड़े गए कांग्रेसी नेता को विदेश में जेल जाने से बचाया था।
अटल बिहारी बाजपेई काल में विदेशी हवाई अड्डे पर जांच में ड्रग मिलने के आरोप में पकड़े गए कांग्रेसी नेता को विदेश में जेल जाने से बचाया था।
नरेंद्र मोदी के काल में बड़े लोगों में भय है कि जेल में ठूंस दिये जाएंगेऔर उसके बाद में बाहर निकलना मुश्किल होगा तथा राजनीति किसी और के हाथ में चली जाएगी।
बस, ऐसे ही कारण है कि अटल जी के काल को याद किया जा रहा है बार-बार प्रचारित किया जा रहा है कि अटल जी जैसा विनम्र होना चाहिए। मतलब अपराध करते पकड़े जाओ तो विनम्र प्रधानमंत्री जैसे काल में तिकड़म लगा जेल जाने से बच जाएं।
अच्छी तरह से मालूम है कि विदेशी हवाई अड्डे पर पकड़े जाने और वाजपेई काल में फोन पर छोड़ दिए जाने के समाचार छपे। समाचारों में यह भी था की मां ने अटल जी से वार्ता की जिस पर बेटा जेल जाने से बच गया। ड्रग के मामले में विदेश की धरती पर गिरफ्तारी होने पर कितने साल की सजा होती? भारत की धरती पर राजनीति कोई और करता।
अब जितने भी बड़े नेता और उनके परिवारजन किसी न किसी भ्रष्टाचार में दुराचार में लिप्त हैं उन्हें यह भय सता रहा है कि मोदी काल में जेल में डाल दिए गए तो फिर न जाने कितने साल तक जेलों में बीत जाएंगे। और जब बाहर निकलेंगे तब तक उनकी राजनीति का खेल खत्म हो चुका होगा।
प्रमुख रूप से बेटा और मां दोनों अंग्रेजी समाचार पत्र के भवन भूमि संपत्ति के मामले में फंसे हुए हैं, और बहुत कुछ होना बाकी है।
मीडिया के लोगों ने और खुद बेटे ने अनेक बार टीवी चैनलों पर बार बार दोहराया है कि मोदी जी प्रश्नों का जवाब नहीं देते। मोदी जी से प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल किए गए। मीडिया का आरोप है कि उनका उत्तर नहीं दिया गया।
बस, ऐसे ही कारण है कि अटल जी के काल को याद किया जा रहा है बार-बार प्रचारित किया जा रहा है कि अटल जी जैसा विनम्र होना चाहिए। मतलब अपराध करते पकड़े जाओ तो विनम्र प्रधानमंत्री जैसे काल में तिकड़म लगा जेल जाने से बच जाएं।
अच्छी तरह से मालूम है कि विदेशी हवाई अड्डे पर पकड़े जाने और वाजपेई काल में फोन पर छोड़ दिए जाने के समाचार छपे। समाचारों में यह भी था की मां ने अटल जी से वार्ता की जिस पर बेटा जेल जाने से बच गया। ड्रग के मामले में विदेश की धरती पर गिरफ्तारी होने पर कितने साल की सजा होती? भारत की धरती पर राजनीति कोई और करता।
अब जितने भी बड़े नेता और उनके परिवारजन किसी न किसी भ्रष्टाचार में दुराचार में लिप्त हैं उन्हें यह भय सता रहा है कि मोदी काल में जेल में डाल दिए गए तो फिर न जाने कितने साल तक जेलों में बीत जाएंगे। और जब बाहर निकलेंगे तब तक उनकी राजनीति का खेल खत्म हो चुका होगा।
प्रमुख रूप से बेटा और मां दोनों अंग्रेजी समाचार पत्र के भवन भूमि संपत्ति के मामले में फंसे हुए हैं, और बहुत कुछ होना बाकी है।
मीडिया के लोगों ने और खुद बेटे ने अनेक बार टीवी चैनलों पर बार बार दोहराया है कि मोदी जी प्रश्नों का जवाब नहीं देते। मोदी जी से प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल किए गए। मीडिया का आरोप है कि उनका उत्तर नहीं दिया गया।
मीडिया किस का पक्ष ले रहा है या नहीं ले रहा है वह अपनी अपनी कार्यप्रणाली में खोजें।
मीडिया ने कभी मां और बेटे से प्रश्न किया?
विदेश में ड्रग के साथ गिरफ्तार किए जाने के प्रकरण पर क्या कभी उत्तर मांगा।
राहुल के विदेशी कंपनी में पार्टनरशिप में भी उस देश की नागरिकता के बारे में राहुल से सीधा सवाल मीडिया ने क्यों नहीं किया?
नेशनल हेराल्ड संपत्ति के मामले में मीडिया ने सीधा सवाल क्यों नहीं किया।अनेक मौके आए। उन मौकों पर मीडिया सवाल कर सकता था,लेकिन चुप्पी धारण की गई। एक चैनल पर रवीश कुमार ही बोलते हैं। लोग सच्चा मानते हैं कि वे ही सही सच्चे पत्रकार हैं। क्या रवीश कुमार ने भी राहुल से इन प्रश्नों का उत्तर जानने की कोशिश की? मीडिया पूछता तो सही।
अब सभी को लग रहा है कि नरेंद्र मोदी का कार्यकाल 5 वर्ष के लिए फिर शुरू होने वाला है और इन 5 सालों में बहुत कुछ हो सकता है इसलिए बार बार अटल बिहारी बाजपेई की विनम्रता को बखान किया जा रहा है, लेकिन मोदी वाजपेयी नहीं बन सकते।
अटल बिहारी वाजपेई और नरेंद्र मोदी की कार्य पद्धति में बहुत अंतर है।
एक बात और भी है कि हर प्रधानमंत्री ने अपने काल में विभिन्न घटनाओं व परिस्थितियों के बीच फैसले लिए।
नरेंद्र मोदी के काल में 2014 से 2019 के बीच में भी घटनाओं व परिस्थितियों के साथ ही फैसले लिए गए।
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काल 2019-2024 फिर शुरू होने वाला है।मोदी काल सख्त माना जाता है। बड़े नेताओं को अपने अपराधों के कारण भय सता रहा है कि उनको गड़बड़ घोटालों की कानूनी प्रक्रियाओं के अंदर से गुजरना पड़ सकता है।
विदेश में ड्रग के साथ गिरफ्तार किए जाने के प्रकरण पर क्या कभी उत्तर मांगा।
राहुल के विदेशी कंपनी में पार्टनरशिप में भी उस देश की नागरिकता के बारे में राहुल से सीधा सवाल मीडिया ने क्यों नहीं किया?
नेशनल हेराल्ड संपत्ति के मामले में मीडिया ने सीधा सवाल क्यों नहीं किया।अनेक मौके आए। उन मौकों पर मीडिया सवाल कर सकता था,लेकिन चुप्पी धारण की गई। एक चैनल पर रवीश कुमार ही बोलते हैं। लोग सच्चा मानते हैं कि वे ही सही सच्चे पत्रकार हैं। क्या रवीश कुमार ने भी राहुल से इन प्रश्नों का उत्तर जानने की कोशिश की? मीडिया पूछता तो सही।
अब सभी को लग रहा है कि नरेंद्र मोदी का कार्यकाल 5 वर्ष के लिए फिर शुरू होने वाला है और इन 5 सालों में बहुत कुछ हो सकता है इसलिए बार बार अटल बिहारी बाजपेई की विनम्रता को बखान किया जा रहा है, लेकिन मोदी वाजपेयी नहीं बन सकते।
अटल बिहारी वाजपेई और नरेंद्र मोदी की कार्य पद्धति में बहुत अंतर है।
एक बात और भी है कि हर प्रधानमंत्री ने अपने काल में विभिन्न घटनाओं व परिस्थितियों के बीच फैसले लिए।
नरेंद्र मोदी के काल में 2014 से 2019 के बीच में भी घटनाओं व परिस्थितियों के साथ ही फैसले लिए गए।
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काल 2019-2024 फिर शुरू होने वाला है।मोदी काल सख्त माना जाता है। बड़े नेताओं को अपने अपराधों के कारण भय सता रहा है कि उनको गड़बड़ घोटालों की कानूनी प्रक्रियाओं के अंदर से गुजरना पड़ सकता है।
रविवार, 19 मई 2019
श्रीगंगानगर-निहाल चंद की जीत पक्की- क्यों और कैसे-
-- करणीदानसिंह राजपूत --
श्रीगंगानगर संसदीय क्षेत्र में 2014 से 2019 की अवधि में सांसद निहाल चंद द्वारा अनेक विकास कार्य करवाने, रेलों का विस्तार करवाने के बावजूद अनेक लोग नाराज रहे। सन 2019 के चुनाव में विरोध के बावजूद भाजपा की टिकट मिली और अब जीत पक्की होने की उम्मीद भी पक्की मानी जा रही है। अखबारों में समाचार और अनेक वरिष्ठ पत्रकारों ने भी जीत पक्की मानली। निहालचंद के नजदीकी पूरी पक्की जीत एक लाख वोटों से मान रहे हैं लेकिन साथ में यह चर्चा भी जोड़ते हैं कि जीत इससे कहीं अधिक वोटों से होगी।
एक और पकायत मानी जा रही है और खास नजदीकी लोगों द्वारा खास खास लोगों को चर्चा में बताया जा रहा है कि इस बार जीत के साथ मंत्री मंडल में भी आना फिर से होगा।
निहालचंद खुद अपनी जीत के लिए पूर्ण आश्वस्त हैं। चुनाव परिणाम से पहले किसी की भी जीत की घोषणा करना खांडे की धार पर चलना होता है। प्रत्याशी और उसकी पार्टी जीत की घोषणा करती है तो वह अलग बात होती है, लेकिन चुनाव की स्थिति से आकलन किया जाता है। श्री गंगानगर सीट पर भी जो अनुमान हैं वह भाजपा के निहाल चंद की जीत के हैं।
निहाल चंद की जीत 1 लाख से अधिक की मानी जा रही है, लेकिन वह और अधिक ही होगी।
सन 2014 में भाजपा के निहाल चंद को 6,58,130 वोट 38 % इंडियन नेशनल कांग्रेस के भंवरलाल मेघवाल को 3,66,389 वोट 21% मिले और जीत का अंतर 2,91,741 का रहा था। उस चुनाव में शिमला देवी नायक को भी 1,06,585 वोट 6% मिले थे।
इस बार 2019 के चुनाव में मोटे तौर पर 14,44,000 वोट डाले गए हैं। कुल 9 प्रत्याशी हैं जिनमें मुख्य टक्कर भाजपा और इंडियन नेशनल कांग्रेस के बीच ही रही है। निहाल चंद के विरुद्ध आवाजें तो चंद लोगों ने लगाई मगर उनमें अधिक दम नहीं था। वैसे भी चुनाव में निहाला कम मोदी ही हावी रहे। लोग कहते भी रहे की मोदी को फिर से पीएम बनाना है। भाजपा भी कहती रही और देश में भी यही प्रचारित किया गया कि कमल चिन्ह पर दिया वोट सीधा मोदी के खाते में जाएगा।इसलिए यह जीत मोदी की होगी। लोगों का अनुमान 1 लाख से अधिक का है, लेकिन यह जीत पिछली जीत जैसी हो सकती है।***
19-5-2019( मतदान 6-5-2019.)
शुक्रवार, 17 मई 2019
एसीबी ने अधिशाषी अभियंता को 55 सौ रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया
जयपुर,17 मई 2019.
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) हनुमानगढ़ टीम ने शुक्रवार 17-5-2019 को कार्यवाही करते हुए जलदाय विभाग कार्यालय जिला हनुमानगढ़ में कार्यरत अधिशाषी अभियंता मेजर सिंह ढिल्लन को 55 सौ रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस श्री सौरभ श्रीवास्तव ने बताया कि परिवादी ने एसीबी में यह शिकायत दी कि उसके द्वारा की गई कार्य के पेंडिंग बिलों को पास करने की एवज में अधिशासी अभियंता 55 सौ रुपए की रिश्वत की राशि की मांग कर रहा है।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हनुमानगढ़ श्री गणेश नाथ के नेतृत्व में उक्त मांग का सत्यापन करवा कर आज अधिशाषी अभियंता मेजर सिंह ढिल्लन को 55 सौ रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया एवं अग्रिम कार्रवाई जारी है।
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सूरतगढ़ की बड़ी खबर-मनोज स्वामी को साहित्य अकादमी सम्मान पुरस्कार 50 हजार रू.अगरतल्ला समारोह में प्रदान होगा: - - करणीदानसिंह राजपूत --
सूरतगढ़ 17 मई 2019.
राजस्थानी साहित्यकार एवं पत्रकार मनोज कुमार स्वामी को केन्द्रीय साहित्य अकादमी की ओर से 'नाव अर जाळ' राजस्थानी अनुवाद पर वर्ष 2018 के पुरस्कारों में यह पुरस्कार जनवरी 2019 में घोषित हुआ था। इसमें स्वामी को 50,000 की राशि का चैक व सम्मान 14 जून 2019 को अगरतल्ला में आयोजित समारोह में अकादमी अध्यक्ष प्रदान करेंगे।
मनोज कुमार स्वामी ने मलयालम भाषा के नामी लेखक तकष़ी शिव शंकर पिल्लेे के उपन्यास 'चेम्मीन' ( जिसका हिन्दी मतलब होता है मछुआरे का राजस्थानी भाषा में अनुवाद किया जो 'नाव अर जाळ' नाम से अकादमी की ओर से 2014 में प्रकाशित कराया गया था।
चेम्मीन को केन्द्रीय साहित्य अकादमी ने सन 1957 में पुरस्कार. प्रदान किया था और 61 साल बाद राजस्थानी अनुवाद 'नाव अर जाळ' को सन 2018 का अनुवाद पुरस्कार प्रदान होगा।
' नाव अर जाळ' एक रोचक प्रेम गाथा है। इसकी समीक्षा राजस्थानी भाषा में पत्रकार लेखक करणीदानसिंह राजपूत की ओर से की गई जो राजस्थानी भाषा एवं साहित्य अकादमी बीकानेर की पत्रिका 'जागती जोत' में प्रकाशित हुई है।
समारोह स्थल अगरतला भारत के त्रिपुरा प्रान्त की राजधानी है। अगरतला की स्थापना 1850 में महाराज राधा कृष्ण किशोर माणिक्य बहादुर द्वारा की गई थी। बांग्लादेश से केवल दो किमी दूर स्थित यह शहर सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध है। अगरतला त्रिपुरा के पश्चिमी भाग में स्थित है और हरोआ नदी शहर से होकर गुजरती है।
मंगलवार, 14 मई 2019
चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ देवीय कर्तव्य* - करणीदानसिंह राजपूत.
चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ की ड्रेस की अपनी शान है। पवित्र ड्रेस है,मगर अनेक ड्यूटी समय में पहने हुए नहीं होते। बिना ड्रेस के कैसे मालूम हो की कौन ड्यूटी पर है?
यह भी कैसे मालूम हो कि कौन चिकित्सा कर्मी है और कौन ईलाज कराने वाला है और साथ में आया हुआ है।
एक और बात कि सरकारी चिकित्सालयों में उपलब्ध दवाएं दे रहे हैं?
क्या निशुल्क जांचे कर रहे हैं? क्या सभी उपकरण सही हैं?
हम जो सेवाएं दे रहे हैं,क्या उससे संतुष्ट हैं, या उपलब्ध सेवाएं देने में कमी रह गई, जो अब आगे नहीं रहने देंगे।
अपने मन मंदिर में विचार करें।
शुक्रवार, 10 मई 2019
बिना टिकट ट्रेन में सवार यात्रियों से 6.91 करोड़ की वसूली
* बीकानेर रेल मंडल प्रशासन की मेहनत लाई रंग*
** करणीदानसिंह राजपूत **
सूरतगढ़/श्रीगंगानगर, 10 मई 2019.
उतर पश्चिम रेलवे के बीकानेर मंडल में बिना टिकट ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों से चैकिंग के दौरान वर्ष 2018-19 में 6.91 करोड़ रूपये की वसूली कर विशेष स्थान प्राप्त किया गया है। विगत वर्ष में 2.006 लाख केस पकड़ कर यह उपलब्धि हासिल की गई, जो कि विगत वर्ष की अपेक्षा 19.45 प्रतिशत अधिक है। मंडल द्वारा विगत वर्ष में 1.85 लाख पेनेल्टी मामलों (वर्ष 2017-18 की 1.54 लाख की तुलनात्मक 17.12 प्रतिशत अधिक ) से अतिरिक्त किराया व अतिरिक्त चार्ज सहित 6.72 करोड़ (वर्ष 2017-18 की 5.41 करोड की तुलना में 19.55 प्रतिशत अधिक), बिना बुक सामान से संबंधित 15362 मामलों से 1.93 करोड़ सहित कुल 2.006 लाख यात्रियों के केस बनाकर यह राजस्व प्राप्त किया गया। यह वितिय वर्ष के टारगेट 1.82 लाख मामलों से भी 10.26 प्रतिशत अधिक है। टिकट चैकिंग में अधिक प्रयास कर मंडल द्वारा यह उपलब्धि प्राप्त की गई।
रेल प्रशासन द्वारा समय-समय पर टिकट चैकिंग अभियान चलाये जाते है, जिसमें बिना टिकट यात्रा सहित अन्य अवैधानिक यात्रा के तरीको पर रोक लगाई जा सकें। वरिष्ठ वाणिज्य मंडल प्रबंधक श्री जितेन्द्र मीणा ने इस उपलब्धि के लिये अपने स्टॉफ की प्रशंसा करते हुए बिना टिकट यात्रा करने वालों को चेताया है कि वे उचित टिकट लेकर ही निर्धारित श्रेणी में यात्रा करें। अन्यथा यात्रा के दौरान बिना टिकट पाये जाने पर परेशानी का सामना करना पड सकता है।
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मंगलवार, 7 मई 2019
कांग्रेस में गांधी परिवार का अस्तित्व चार पांच साल में खत्म हो जाएगा-2013 में विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषी बेजान दारूवाला ने कहा था
खबर- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़। जी चैनल पर 28 सितम्बर 2013 की रात में विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषी बेजान दारूवाला का इंटरव्यू चल रहा था।
एंकर को दारूवाला ने कहा कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री नहीं बन सकते। कांग्रेस में गांधी परिवार का अस्तित्व चार पांच साल में खत्म हो जाएगा। दारूवाला ने एक पुस्तक दिखलाते हुए कहा कि यह आज नहीं कह रहा हूं कई साल पहले लिख चुका हूं।
एंकर को दारूवाला ने कहा कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री नहीं बन सकते। कांग्रेस में गांधी परिवार का अस्तित्व चार पांच साल में खत्म हो जाएगा। दारूवाला ने एक पुस्तक दिखलाते हुए कहा कि यह आज नहीं कह रहा हूं कई साल पहले लिख चुका हूं।
दारूवाला ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के चांस ज्यादा हैं।
( 2014 में नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए)
दारूवाला ने यह भी कहा कि कांग्रेस से भाजपा का भविष्य बेहतर है।
नरेन्द्र मोदी के सामने चल रहे प्रधानमंत्री उम्मीदवार के नाम के बारे में कहा कि नरेन्द्र मोदी टाइगर की पावर है सो मुकाबला हो ही नहीं सकता।
कोई किसी टाइगर यानि कि किसी शेर का मुकाबला कैसे कर सकता है?
एंकर ने कहा कि आप तो बहुत खुले बोलते हो। हालांकि एंकर ने अपने वाक्यों में सुधारते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी में अधिक ताकत है और सामने वाले में कम ताकत है।
( 2014 में नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए)
दारूवाला ने यह भी कहा कि कांग्रेस से भाजपा का भविष्य बेहतर है।
नरेन्द्र मोदी के सामने चल रहे प्रधानमंत्री उम्मीदवार के नाम के बारे में कहा कि नरेन्द्र मोदी टाइगर की पावर है सो मुकाबला हो ही नहीं सकता।
कोई किसी टाइगर यानि कि किसी शेर का मुकाबला कैसे कर सकता है?
एंकर ने कहा कि आप तो बहुत खुले बोलते हो। हालांकि एंकर ने अपने वाक्यों में सुधारते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी में अधिक ताकत है और सामने वाले में कम ताकत है।
30.9.2013 से यह खबर करणी प्रेस इंडिया पर है।
सन 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने।
सबसे बड़ी बात यह है कि भविष्य वाणी से कुछ होगा या नहीं, मगर गांधी परिवार के राहुल गांधी ने कुछ नहीं किया तो कांग्रेस पार्टी में गांधी परिवार का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।
सन 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने।
सबसे बड़ी बात यह है कि भविष्य वाणी से कुछ होगा या नहीं, मगर गांधी परिवार के राहुल गांधी ने कुछ नहीं किया तो कांग्रेस पार्टी में गांधी परिवार का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।
रविवार, 5 मई 2019
इंदिरा गांधी के योग गुरु धीरेंद्र ब्रह्मचारी को हथियार बनाने का लाइसेंस कैसे मिला था?
** करणीदानसिंह राजपूत **
राफेल और अंबानी पर सवाल उठाने वालों को यह मालूम होना चाहिए कि इंदिरा गांधी के योग गुरू धीरेंद्र ब्रह्मचारी को बंदूकें बनाने का लायसेंस मिला था। वे हथियार विशेषज्ञ नहीं थे। उनको यह लायसेंस इंदिरा गांधी के सत्ता के नजदीक रहने से ही मिला होगा।
धीरेंद्र ब्रह्मचारी की शिव गन फैक्ट्री जम्मू के औद्योगिक क्षेत्र में थी। जहाँ पर एक नाली और दुनाली बंदूक बनाते थे। सन 1981- 82 में 3-3 हजार बंदूके बनाने की अनुमति थी। एक नाली बंदूक उस समय ₹800 और दो नाली बंदूक 15 सो रुपए में बेची जाती थी। उस समय फर्म का टर्न ओवर करीब 37 लाख रूपये प्रति वर्ष था।
कांग्रेसी या अन्य कह रहे हैं कि अंबानी से राफेल की डील कैसे हुई है वह हथियार निर्माण का विशेषज्ञ नहीं है।
कांग्रेस जनों को यह मालूम होना चाहिए कि इंदिरा गांधी के योग गुरु कहलाने वाले धीरेंद्र ब्रह्मचारी को बंदूके बनाने का लाइसेंस कैसे दिया गया? इंदिरा गांधी के नजदीकी होने का लाभ धीरेंद्र ब्रह्मचारी को मिला।
धीरेंद्र ब्रह्मचारी और इंदिरा गांधी को लेकर बहुत कुछ मैटर छपता रहा। चूंकि यह बात करीब 36 साल पुरानी हो चुकी है इसलिए लोगों को याद नहीं है।
यहां तक की भारतीय जनता पार्टी के दिग्गजों को भी याद नहीं है। अगर इनको याद होता तो निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी के लोग भी चुनाव प्रचार में इसका कहीं ना कहीं इस्तेमाल जरूर करते।
लेकिन यह सवाल तो है कि इंदिरा गांधी के योग गुरु धीरेंद्र ब्रह्मचारी को बंदूक बनाने का लाइसेंस कैसे मिला?
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