गुरुवार, 30 नवंबर 2023

करणी प्रेस इंडिया के दर्शक 21 लाख से पार: सभी का आभार.

   




* करणीदानसिंह राजपूत  *


सूरतगढ़  30 नवंबर  2023.


सच्च को सामने लाने, दबे पिछड़े हुए लोगों की आवाज को उठाने,समाज को जगाने वाले विचारों को सामने लाने के प्रयास में करणी प्रेस इंडिया पाठकों की पसंद में लगातार शिखर पर है। 


 पाठक 21 लाख से अधिक बार देख कर और आगे बढ चुके हैं। यह ऊंचाई पार करना प्रसन्नता पैदा करने वाली तो है ही और आगे बढने की प्रेरणा देने वाली भी है।


इस ब्लॉग साइट को सीधेे ही देेखने या इसके लिंक को फेस बुक मेरे नाम karnidansinghrajput पर देखने पढने में देश विदेश में पाठक बढ रहे हैं।

फेस बुक लिंक पर पढ कर तत्काल विचार प्रगट करने में पाठक गण भी आगे रहे हैं। 

💐पाठक सीधे करणी प्रेस इंडिया देखते हैं तब एक साथ कई समाचार देख सकते हैं। 

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*लिंक ग्रुपों में भी लगाए जाते हैं। अनेक महत्वपूर्ण स्तंभ है। महीनों और वर्षों से भी सामग्री पढी जा सकती है। ये कदम ऐसे प्रभावशाली रहे हैं कि इनसे निरंतर तेज गति मिली  है।

* राजनीतिज्ञ​ सत्ताधारी धनबली और भ्रष्टाचारी सदा ही मीडिया को अपने विचारों से चलाना चाहते हैं। लेकिन हम इस ब्लॉग में लोगों के साथ रहते हुए सच्चाई को ही आगे लाने के प्रयास में रहे हैं।


राजनैतिक आपराधिक सामाजिक धार्मिक आर्थिक विषय शहरी व ग्रामीण,सरकारी व गैर सरकारी सभी में आगे रहने का प्रयास सदा सफल रहा है।

हमारे विचार,टिप्पणियां,लेख कहानियां,कविताएं  आदि सामग्री आसपास और देश प्रदेश और विश्व में सभी वर्गों द्वारा सराहे जाते रहे हैं।

हमारे असंख्य पाठकों की आलोचनाओं समालोचनाओं ने ही इस ब्लॉग को ऊंचे शिखर पर पहुंचाया है। उनकी आलोचनाओं समालोचनाओं भरी राय से ही आगे और आगे बढने की प्रेरणा मिली है।

हमने ब्लॉग में विभिन्न विचारों को नया विस्तार दिया है जिसमें अनेक नए विषय शामिल किए हैं।

व्यक्तियों के बजाय तथ्यों वाले कानून   एवं नियमों को सर्वाेपरि मानते हुए आगे बढे हैं।

महिलाओं व लड़कियों के साथ अपराध बढ़े हैं इसलिए सावधान व सतर्क रहने की जागरूकता के लिए सच्चे समाचार रिपोर्ट की पोस्टों को लिखा जा रहा है। 

* कन्याओं को बचाने का अभियान हो  या नशा मुक्ति अभियान हो, रक्तदान हो,वृक्षारोपण हो,उनकी सामग्री देने में आगे रहे हैं।

कई लोग व संगठन कानूनों से परिचित नहीं होते इसलिए उनको हमारा लिखा हुआ अनेक बार अच्छा नहीं लगता,फिर भी उनकी आलोचनाओं  व टिप्पणियों पर गौर किया जाता रहा है।


सरकारों व  जिला प्रशासन ने सजगता के लिए जो कार्य योजनाएं लागू की,उनको हमने तुरंत जनता के पास पहुंचाया। उनका प्रभाव भी तुंरत हुआ।सरकारी महत्वपूर्ण सूचनाएं और समाचार भी जनहित के लिए प्रमुखता से देते रहे हैं।


समाचारों और घटनाओं पर उच्च कोटि की  समालोचना के लिए लोग इस ब्लॉग साइट पर भरोसा करते हुए देखते हैं।

पाठकों से आग्रह है कि करणी प्रेस इंडिया को देखते रहें व फोलोवर बनें।

सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं!

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Mail** karnidansinghrajput@gmail.com


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30 नवंबर 2023.




करणीदानसिंह राजपूत,

60 वर्ष (1965-66) से लेखन व पत्रकारिता.

स्वतंत्र पत्रकार ( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़ ( राजस्थान) भारत.

91 94143 81356.

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सूरतगढ़ सीट पर सही आकलन किसका सटीक होगा?

 


* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 30 नवंबर 2023.

सूरतगढ़ सीट पर भाजपा और कांग्रेस में किसका उम्मीदवार जीत की स्थिति में होगा?  असल में चुनाव परिणाम 3 दिसंबर 2023 को आने से पहले असल आंकड़े के नजदीक तक आकलन कर सकने में एक उम्मीदवार का नाम ही लिया जा सकता है। 

* भाजपा के नेता सूरतगढ़ सीट पर भाजपा के उम्मीदवार रामप्रताप कासनिया एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी हर गांव और बूथ के हिसाब से जानकारी सटीक मानी जाती है। उनका आकलन सही आंकड़े के करीब तक होता है। 

सन् 2018 के चुनाव में रामप्रताप कासनिया ही भाजपा के उम्मीदवार थे। चुनाव के बाद उनका आकलन था कि करीब साढे बारह हजार से भाजपा की जीत होगी। साढे दस हजार से रामप्रताप कासनिया जीते थे। कासनिया सार्वजनिक रूप से अमी उजागर नहीं करेंगे लेकिन अपने नजदीकी या अपने चुनाव कार्यालय में तो कार्यकर्ताओं को बता सकते हैं। 

* कई चुनाव लड़ चुके कासनिया को आकलन का तरीका और अनुभव है।

* इस बार 2023 के चुनाव में रामप्रताप कासनिया के सामने कांग्रेस के डुंगरराम गेदर ने चुनाव लड़ा है। अन्य उम्मीदवार भी हैं लेकिन मुख्य टक्कर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही थी।०0०

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सूरतगढ़ का खतरनाक तहसील चौराहा। दुर्घटना होगी तब जाग होगी।*

 


* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 30 नवंबर 2023.

सूरतगढ़ का तहसील चौराहा खतरनाक चौराहा है।

👍 जहां अतिरिक्त जिला कलेक्टर, उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, सबरजिस्ट्रार कार्यालय बीकानेर रोड का चौराहा जहां ट्रैफिक पुलिस की व्यवस्था नहीं की जाती। सौ तक की स्पीड से वाहन दौड़ते हैं। पास में सरकारी चिकित्सालय सहित अनेक चिकित्सालय,सिटी पुलिस स्टेशन और उप अधीक्षक पुलिस का कार्यालय। यही बस अड्डा रोड है। शाम के बाद अंधेरे में बिना हैड लाईट के चलते हैं वाहन। एक दो जवान तो लगाए ही जा सकते हैं ताकि सिटी पुलिस स्टेशन से इस चौराहे से होते महाराणा प्रताप चौक तक वाहनों की स्पीड पर नियंत्रण हो सके।०0०

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बुधवार, 29 नवंबर 2023

चीन के नये वायरस से बच्चों में निमोनिया के नये लक्षण: भारत में अलर्ट

 



भारत में चिकित्सालयों में व्यवस्था: सूरतगढ़ में व्यवस्था प्रदर्शन


* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 29 नवंबर 2023.

 चीन के उत्तर-पूर्वी इलाके में स्थित लियाओनिंग प्रांत और बीजिंग के बच्चों में निमोनिया के नए और हैरान करने वाले लक्षण मिले हैं।

 बच्चों को तेज खांसी, बुखार और फेफड़ों में सूजन की समस्या हो रही है, जिससे इलाके के सभी अस्पताल लगभग भर गए हैं। इस बीमारी के प्रकोप को देखते हुए चीन के सभी स्कूलों को बंद करने का फैसला ले लिया गया है।

निमोनिया में पीड़ित बच्चों को बलगम वाली खांसी, तेज बुखार और फेफड़ों में सूजन की शिकायत होती है। वहीं, दूसरी ओर चीन के इस रहस्यमयी निमोनिया में बच्चों को बिना बलगम वाली खांसी के ही तेज बुखार और फेफड़ों में सूजन की शिकायत हो रही है।  


जानलेवा साबित हो जाते हैं मामले


निमोनिया यूं तो आम बुखार की ही तरह है, जिसे एंटीबैक्टीरियल और एंटीबायोटिक दवाओं की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। डॉक्टरों के मुताबिक, फेफड़ों में तरल पदार्थ भरने लगता है, जो मवाद बन जाता है और यह धीरे-धीरे पूरे फेफड़े  में भर जाता है, जिससे पीड़ित सांस लेने में असक्षम हो जाता है। यह बीमारी ज्यादातर बच्चों और बुजुर्गों को अपना शिकार बनाती है।


ऐसे में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) भी अलर्ट हो गया है और उसने चीन से इस बीमारी की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इतना ही नहीं, WHO ने इसे लेकर चेतावनी भी जारी की है, जिसके बाद कई अन्य देशों में भी इस बीमारी को लेकर डर फैल गया है। 

 

यह वायरस काफी समय से चीन में फैल रहा था।  यह चर्चा में तब आया, जब डब्ल्यूएचओ ने चीन से बीमारी के लक्षण और मामलों पर कड़ी नजर रखने को कहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बीमारी को लेकर चीन से रिपोर्ट पेश करने को कहा है और साथ ही कहा है कि चीन में हाल ही में फैले सभी वायरस की लिस्ट जमा की जाए।


अब तक की जांच में डब्ल्यूएचओ ने इसे किसी तरह की महामारी घोषित नहीं किया है। दरअसल, किसी भी बीमारी को बिना जांच-पड़ताल किए महामारी घोषित करना गलत और जल्दबाजी मानी जाती है।


WHO ने जारी की गाइडलाइन


 इस वायरस को खतरे को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी देशों के लिए गाइडलाइन भी जारी की है। सभी देशों ने इन गाइडलाइन को देखते हुए अपने-अपने देशों में तैयारी शुरू कर दी है। लोग अपने घरों और दफ्तरों के पास साफ-सफाई रखें और किसी भी तरह की गंदगी फैलाने से बचें। शरीर में किसी भी तरह के बुखार के लक्षण दिखने पर खुद कोई दवाई न लें। बुखार का कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। किसी भी भीड़भाड़ वाले इलाके में जाने से बचें। जरूरत लगने पर तुरंत मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन करें। बच्चों और बुजुर्गों के सभी सामानों को साफ-सुथरा रखें। खांसते या छींकते समय मुंह को रुमाल या हाथ से ढक लें।


क्या यह बीमारी दूसरे देशों में फैल सकती है?


चीन में फैल रही यह बीमारी कई देशों को कोविड-19 के शुरुआती दौर की तरह लग रही है, जो पहली बार 2019 में वुहान शहर में रहस्यमयी निमोनिया के तौर पर ही उभरा था। हालांकि, माइकोप्लाज्मा (निमोनिया) एक सामान्य रोगाणु है, जो कुछ सालों में ताजा प्रकोप का कारण बनता है। यह संभावना है कि इस सर्दियों में दुनिया भर के देशों को विभिन्न प्रकार के रोगजनकों का सामना करना पड़ेगा।


रहस्यमयी बीमारी को लेकर भारत हुआ अलर्ट


हाल ही में भारत ने कोविड महामारी के कारण कई तरह की परेशानियों और चुनौतियों का सामना किया था। एक लंबे समय के बाद भारत की स्वास्थ्य सुविधाएं पहले की तरह बहाल हुई हैं। ऐसे में पड़ोसी देश में रहस्यमयी बीमारी फैलने से भारत पहले ही सतर्क हो गया है। हालांकि, भारत के यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री ने हाल ही में एक बैठक के दौरान कहा था कि देश में इस रहस्यमयी बीमारी के फैलने का खतरा काफी कम है, लेकिन इसके बाद भी स्वास्थ्य मंत्रालय बारीकी से स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए मंत्रालय ने कहा कि इस संक्रमण से लड़ने के लिए भारत पहले से ही तैयार है। अब तक इस बीमारी को लेकर भारत के पास जो भी जानकारी है, उसका मुकाबला करने के लिए भारत के पास पर्याप्त वैक्सीन और दवाइयां हैं। फिर भी भारत ने अपने सभी अस्पतालों को तैयार रहने के लिए कहा है।

सलाह दी गई है कि बच्चों और किशोरों में बीमारी के मामलों पर बारीकी से नजर रखें और जांच सैंपल तत्काल प्रभाव से लैब भेजे जाए। साथ ही, कहा है कि सांस संबंधी किसी भी तरह की परेशानी होने पर बारीकी से इलाज किया जाए और बच्चों और बुजुर्गों के इलाज में किसी तरह की लापरवाही न बरती जाए।०0०

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डुंगर ने गढ में घुसकर मार भगाया.कितने लोग डुंगर की ओर से युद्ध में थे.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

डुंगर अपनी ताकत बढाता हुआ कांग्रेस के गढ में घुसा और गढ के सूरमा युद्ध करने से पहले ही भाग छूटे। सूरमा दुश्मन से जा मिले कि वह डुंगर को हराए। सूरमाओं को गढ ( गृह)से बाहर  निकाला हो गया। सूरमाओं का राज गरीबों पर चला। नगरपालिका की जेसीबी घरों को तहस नहस करती तब चाटुकार तालियां बजाते। गरीबों की संख्या तो बहुत थी मगर एकजुट नहीं होने के कारण उनको अपनी ताकत का मालुम नहीं था जिसके कारण सूरमा कहर ढहाते रहे।

सूरमाओं की यह ताकत डुंगर की ताकत के आगे नहीं चली? अपने आप को असहाय कमजोर समझने वाले लोगों ने डुंगर और समर्थकों को समझा और सभी ने युद्ध में भाग लिया।

डुंगर गढ में घुसा तब सूरमाओं को गढ छोड़ना पड़ा और ऊपर से देश निकाला। सूरमा उस दुश्मन से मिले जो अपनी ताकत पर ही पांच साल तक भरोसा नहीं कर पाया था। यह कहानी है डुंगर मील और कासनिया की।

चलते हुए युद्ध में एक एक सिर की गणना करनी बहुत मुश्किल होती है लेकिन यह असाधारण कार्य भी हुआ और अनुमान के आंकड़े भी आए। इस गणित को समझा जा सकता है। 

डुंगर की ओर से शहर में 20 से 25 हजार लोग और शहर से बाहर ग्रामीण इलाकों में 65 से 80 हजार लोग युद्ध में एक जुट थे। डुंगर की ओर से एक लाख से अधिक लोग सैनिक बने हुए थे। कासनिया और मील की ओर से संयुक्त रूप से 60 से 65 हजार लोग भाग ले रहे थे। डुंगर की ओर से अधिक लोग रहे। अधिक संख्या  25 हजार से 35 हजार लोग भाग ले रहे थे। डुंगर की ओर से दबाए हुए साधारण लोगों ने भी दमन के विरोध में युद्ध लड़ना उचित समझा और पूरे जोश से भाग लिया। युद्ध में डुंगर की ओर से कितने लोग अधिक रहे यह सही आंकड़ा भी आने वाला है। पढते रहे ंकहानियां.

29 नवंबर 2023.

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मंगलवार, 28 नवंबर 2023

लोकतंत्र में चुनाव जीत लेने की गारंटी के बयान देने वाले विचलित लोग होते हैं.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

राजनीति में पुराने जमे नेता कभी नहीं चाहते कि कोई नया नेता पैदा हो और वह चुनाव लड़ने का प्रयास करने लगे तथा पार्टी से टिकट मांगले। बड़ा विरोध होता है ऐसे नये प्रवेश करने वाले का। नेतागिरी में विधायकी में किसी एक जाति का बीसियों सालों से दबदबा हो तब अन्य जाति वाला चुनाव की सोच भी ले तो उसको हतोत्साहित करने गिराने की हजारों कोशिशें षड़यंत्र धोखे छलकपट में एक से बढकर एक तरीके। बदनाम करने की कोशिशें। इसने चुनाव की हिम्मत कैसे कर ली? पार्टी ने टिकट दे दी तो हराने की तैयारियां। दूसरी पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन। नीचता की सभी हदें पार। 

इस पर भी नया लोगों को जनता को प्रभावित कर ले तब विचलित होकर चर्चाएं करने में भी आगे। ऐसे विचलित होने वालों को नये नेता का नाम ही नहीं सुहाता ऊपर से  न्यूज एजेंसियों में फोटो लग जाए। जीत की संभावना नजर आने लगे तो हालत और खराब होने लगे। 

* नये नेता में गुण हो और जनता साथ दे तो वह जीत भी जाता है। विचलित होने वाले चुनाव परिणाम के बाद अपने बाल खींच कर खोसें चाहे दीवार से सिर फोड़ें। प्रजातंत्र का नियम है बदलाव। जनता चाहे जिसे चुने और चाहे जिसे ठुकराए। प्रजातंत्र में किसी की गारंटी नहीं है की जिंदगी भर वहीं रहेगा। कोई कहे कि अगले चुनाव में मैं आऊंगा तो जरूरी नहीं कि उसका कहा लोहे कर लकीर हो गया। जो बोला वह लिख गया। ऐसे कथन और शब्द विचलित होने का प्रमाण होता है। प्रजातंत्र में प्रजा करे वही सत्य। 

28 नवंबर 2023.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकारिता के 60 वर्ष.

(राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार)

सूरतगढ़ ( राजस्थान)

94143 81356

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मील सा के पास लोग और वोट होते तो हालात आज से नहीं होते:

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

मील साहेब गंगाजल जी मील के पास वोट होते तो आज के हालात नहीं होते। वोट नहीं जन समर्थन नहीं रहा हारते रहे तब टिकट किसी को भी मिलना ही था जो डुंगरराम गेदर को मिल गया।

गंगाजल जी ने 2003 में बीजेपी टिकट पर पीलीबंगा से चुनाव लड़ा था लेकिन वहां हार गये।

👍 इसके बाद बीजेपी छोड़ी और कांग्रेस की टिकट पर पूरा जोर लगाकर सूरतगढ़ से  2008 में चुनाव लड़ा। जनता के सामने नये थे चुनाव जीत लिया। इसके बाद 2008 से 2013 तक जनता ने इनका शासन इनमें बैठे जन प्रतिनिधि को अच्छे रूप में देख परख लिया। 

👍 2013 में गंगाजल मील साहेब दुबारा कांग्रेस की टिकट तो ले आए लेकिन जनता ने साथ नहीं दिया। मील साहेब को स्वीकार नहीं किया। इनका राज परखा हुआ था इसलिए जनता ने 2013 के चुनाव में थर्ड नंबर पर धकेल दिया। राजकाज अच्छा होता जनता को प्यार किया होता तो जीत मिलती लेकिन थर्ड नंबर मिला।  जन समर्थन और टूटा लेकिन फिर भी 2018 में हनुमान मील को टिकट दिला लाए। जनता खार खाए ही बैठी थी सो हनुमान मील को भी हरा दिया। हनुमान मील तो नये थे और काम तो शासन तो गंगाजल जी ही चलाते थे। हनुमान मील के हारने के बाद भी शासन सूरतगढ़ में गंगाजल जी का ही चलता रहा। यह समय था अपनी व्यवस्था सुधारने का जनता से प्यार करने का जनता को अपना बनाने का लेकिन तरीके नहीं बदले। बागडोर हनुमान मील के हाथ में होनी चाहिए थी। शायद व्यवस्था में बदलाव होता। मील साहेब ने ही सत्ता अपने हाथ में रखी और सुधार के बजाय और अधिक बिगाड़ हुआ। जनता और अधिक नाराज हो गई और अधिक दूर होती चली गई। इसका बड़ा राजनीतिक नुकसान हनुमान मील को हुआ। ये लगातार की हार जनता की दूरी का बुरा असर हुआ। 2023 में हनुमान मील को टिकट नहीं मिला। टिकट डुंगरराम गेदर को मिल गया। यह भी एक प्रकार की मील हनुमान की हार ही थी। यह हार मील गंगाजल जी की भी थी।

👍 यहां टिकट नहीं मिलने पर राजनीतिक धीरज रखना था। अच्छे समय आने की प्रतीक्षा करनी थी और डुंगरराम गेदर को जिताने में दिनरात एक करना चाहिए था।

मील गंगाजल जी साहेब ने सबसे बड़ा गलत कदम  उठाया कि डुंगर गेदर को हराने का निर्णय किया और  भाजपा के उम्मीदवार रामप्रताप कासनिया को जिताने के लिए अपनी राजनीतिक जमा पूंजी को ही लगा दिया। इससे मील राज का ही खात्मा कर बैठे। असल में हनुमान मील के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्न लगा दिए। अब आगे के भविष्य के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। चुनाव 2023 का चुनाव परिणाम कुछ भी रहे मील का कोई भविष्य दिखाई नहीं दे रहा।

 कांग्रेस ने छह साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से गंगाजल मील,हजारीराम मील,हेतराम मील,हनुमान मील को निकाल दिया। चुनाव परिणाम के बाद कुछ भी नहीं बचेगा। भाजपा में सदस्यता लेकर भी कोई लाभ नहीं। भाजपा में तो पहले से ही नेताओं की लम्बी लाईन लगी है। कोई भी अपने से आगे खड़ा नहीं होने देगा। कासनिया ही नजदीक नहीं फटकने देगा क्योंकि 23 नवंबर 2023 की सभा में अपने पुत्र संदीप कासनिया को आगे कर दिया। डुंगरराम गेदर के कारण स्वयं रामप्रताप कासनिया की राजनीति का भविष्य भी अभी मालुम नहीं है कि क्या होगा? डुंगरराम गेदर की राजनीति सिर पर रहेगी।


👍 अब आगे मील राजनीति में जो भी फैसले लें मार्ग चुनें पार्टी चुनें या समर्थन करें तो जल्दबाजी नहीं करें और युवाओं को हनुमान मील जैसे को राजनीति करने दें। राजनीति में बदलाव हो गये हैं नयी नीतियों से चलना होगा। नयी नीतियों नये तरीकों को युवा ही अपना सकते हैं।

28 नवंबर 2023.

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सोमवार, 27 नवंबर 2023

बोल उठा सूरतगढ़ डुंगर डुंगर

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 27 नवंबर 2023.

शहर से जो बढत लेगा वह उतने से जीतेगा की चर्चाएं चल रही थी। कौन जीतेगा ? अपने मुंह से कहने से बचने के लिए समझदार लोगों ने सावधानी से गली निकाल ली।

 किसी से भी बिगड़े नहीं सो कहते रहे। मालुम नहीं। अभी शहर से कोई आवाज नहीं आई। शहर बोला नहीं। देखते हैं शहर किस की तरफ बोलेगा? किसका नाम लेगा?

 दीपावली में लगे हैं। दीपावली के बाद लोग फ्री होगा तब मालुम होगा। यह सब चलता रहा। घुमा फिरा कर कहते कि लोगों में चर्चा है लेकिन शहर किधर जाएगा फिर भी नहीं बतलाते। 

एक गली यह भी निकाली कि जो शहर से जितनी बढत लेगा वह उतने से जीत जाएगा। 

अब तक चल रही बातों से आगे बढें। 

अब तो 25 नवंबर भी बीत गया। शहर की गलियों तक को मालुम हो गया कि किस घर से कितने लोग बाहर निकले और किस को सहयोग दिया।

अब लोग बोलने लगे हैं। बतियाने लगे हैं। मतलब सूरतगढ़ बोलने लगा है। अब सूरतगढ़ की आवाज सुन लें। कान लगा कर सुन लें। 

हर वार्ड से डुंगर का नाम है। हर वार्ड से गेदर का नाम है। सूरतगढ़ बोल रहा है। 

आश्चर्य यह है कि जिन वार्डों को भाजपा का माना जाता है वहां गेदर बोल रहा है। राष्ट्रवादी लोगों ने भी भीतर कान में कहा अबकी बार बीसियों सालों की रीत को बदलो। ऐसे तो यह रीत छूटेगी ही नहीं। छोड़ोगे तब छूटेगी। यह बात चली। रीत बदलने के लिए सब काम चुपचाप हुआ। 

3 दिसंबर 2023 को पक्का मालुम हो जाएगा कि रीत कैसे बदल गई। 

कार्तिक पूर्णिमा को दिन भर भयानक सर्दी में घूमने के बाद जाने अनजाने लोगों से बातें की और बातें सुनी।

सूरतगढ़ की आवाज़ सुनी। लोग ही बताते हैं।  डुंगर को सभी शिखर की ओर चढा रहे हैं। 10 पेड़ी से 36 पेड़ी तक चढ गया कहते हैं। शहर में भोले लोग भी हैं। 

भाईजी दस स्यूं। भाईजी तीस स्यूं। भाईजी पैंतीस छत्तीस पेड़ी तो पक्का ही मानलो। 

" ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया।" 

जैसा सूरतगढ़ से सुना वैसा ही बिना जोड़े घटाए पेश कर दिया है। 

* बचपन में सफल होने के लिए एक कहानी पढाई जाती थी। एक चींटी दीवार पर चढती और बीच में गिर जाती। उसने कोशिश नहीं छोड़ी। आखिर वह दीवार पर चढ गई। करत करत अभ्यास के आखिर सूरतगढ़ में डुंगर डुंगर हो गया। ०0०

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श्रीगंगानगर जिला:विधानसभाओं के वोटों की गणना व्यवस्था

 



* करणीदानसिंह राजपूत *


श्रीगंगानगर, 27 नवम्बर 2023.

डॉ. भीमराव अम्बेडकर राजकीय महाविद्यालय में होगी मतगणना

मतगणना के लिये प्रत्येक विधानसभा में होगी 20-20 टेबल्स


 विधानसभा आम चुनाव 2023 के दौरान विधानसभा क्षेत्र सादुलशहर, गंगानगर, सूरतगढ़, रायसिंहनगर व अनूपगढ़ में हुए मतदान की मतगणना 3 दिसम्बर 2023 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर राजकीय महाविद्यालय श्रीगंगानगर में करवाई जायेगी। विधानसभा क्षेत्रवार मतगणना के लिये कमरों एवं टेबल्स का निर्धारण किया गया है।

जिला कलक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री अंशदीप ने बताया कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर राजकीय महाविद्यालय श्रीगंगानगर में विधानसभा सादुलशहर के मतों की गणना न्यू हॉल व जिओग्राफी ब्लॉक में होगी। ईवीएम के मतों की गणना के लिये 14, पीबी मतों के लिये 5 तथा ईटीपीबीएमएस के मतों की गणना के लिये एक टेबल, इस प्रकार कुल 20 टेबल होगी। विधानसभा गंगानगर के मतों की गणना रूम नम्बर ए-10 व ए-11 में होगी। रूम नम्बर ए-10 में ईवीएम के लिये 10 टेबल व रूम नम्बर ए-11 में ईवीएम के मतों की गणना के लिये 4, पीबी मतों के लिये 5 तथा ईटीपीबीएमएस के मतों की गणना के लिये एक टेबल, इस प्रकार कुल 20 टेबल होगी।

सूरतगढ़ विधानसभा के मतों की गणना रूम नम्बर एस-3 फस्ट फलोर साईंस ब्लॉक में ईवीएम के मतों की गणना के लिये 10 टेबल तथा जूलॉजी लैब द्वितीय प्रथम तल साईंस ब्लॉक में ईवीएम के मतों की गणना के लिये 4, पीबी मतों के लिये 5 तथा ईटीपीबीएमएस के मतों की गणना के लिये एक टेबल, इस प्रकार कुल 20 टेबल होगी। विधानसभा रायसिंहनगर के लिये मेन हॉल में ईवीएम के मतों की गणना के लिये 14, पीबी मतों के लिये 5 तथा ईटीपीबीएमएस के मतों की गणना के लिये एक टेबल, इस प्रकार कुल 20 टेबल होगी। इसी प्रकार अनूपगढ़ विधानसभा के मतों की गणना पुस्तकालय हॉल में होगी। मतगणना के लिये ईवीएम के मतों की गणना के लिये 14, पीबी मतों के लिये 5 तथा ईटीपीबीएमएस के मतों की गणना के लिये एक टेबल, इस प्रकार कुल 20 टेबल होगी।

---------पर्यवेक्षक ---------

विधानसभा आम चुनाव 2023

भारत निर्वाचन आयोग ने मतगणना के लिये लगाये 5 पर्यवेक्षक

श्रीगंगानगर, 27 नवम्बर। भारत निर्वाचन आयोग ने विधानसभा आम चुनाव 2023 के दौरान 25 नवम्बर को हुए मतदान के मतों की गणना 3 दिसम्बर 2023 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर राजकीय महाविद्यालय श्रीगंगानगर में होगी। आयोग ने मतों की गणना के लिये विधानसभा वार पांच पर्यवेक्षक नियुक्त किये हैं।

जिला कलक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री अंशदीप ने बताया कि विधानसभा सादुलशहर के लिये आईएएस श्री रनवीर शर्मा, गंगानगर के लिये आईएएस डॉ. रामास्वामी एन., सूरतगढ़ के लिये आईएएस डॉ. करूणा कुमारी, विधानसभा रायसिंहनगर के लिये आईएएस डॉ. श्रीधर चेरूकुरी तथा विधानसभा अनूपगढ़ के मतों की गणना के लिये आईएएस श्री शेलेन्द्र कुमार सिंह को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।०0०

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टाइगर डिफेंस अकेडमी सूरतगढ़ के पांच युवाओं ने गुजरात में रचा इतिहास


सूरतगढ़ 27 नवंबर 2023.

गुजरात में 26 नवंबर को राज्य स्तरीय दौड़ का आयोजन किया गया जिसमें सूरतगढ़ टाइगर डिफेंस अकेडमी के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया।

यह दौड़ अलग-अलग कैटेगरी में हुई जिसमें 15 से 20 किमी की कैटेगरी में विष्णु कुशवाह ने 10 किमी दौड़ में 44.40 मिनिट में दौड़ पूरी कर कांस्य फिनिशर पदक हासिल किया।

 वह इसके अलावा 15 से 20 कैटिगरी में 5कि.मी दौड़ में दीपांशु ने 5वीं रैंक प्राप्त की व मयंक प्रताप ने इसी कैटेगरी में 7वी रैंक हासिल कर कांस्य फिनिशर पदक हासिल किया।

 10 से 15 किमी की कैटेगरी में हर्षित राठौर ने 6वीं रैंक  प्राप्त की और कांस्य फिनिशर पदक हासिल किया। इसी कैटेगरी में 5 कि.मी 9 वीं रैंक हासिल कर कांस्य फिनिशर पदक प्राप्त कर लिया।

 इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जीता दानी जी गुजराती फिल्मी कलाकार वे RJ देवकी जी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया ।

यह दौड़ साबरमती रिवरफ्रंट स्पोर्ट पार्क मैं सरदार ब्रिज से शुरू होकर गांधी ब्रिज से घूम कर  सरदार ब्रिज पर ही संपन्न हुई।

इस राज स्तरीय मैराथन दौड़ में विभिन्न राज्यों के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया।०0०





रविवार, 26 नवंबर 2023

सूरतगढ़ में कांग्रेस भाजपा की टक्कर में कौन जीतेगा?

 


* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 26 नवंबर 2023.

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के 25 नवंबर को हुए मतदान के बाद यह चर्चा हो रही है कि कांग्रेस के डुंगरराम गेदर और  भाजपा के रामप्रताप कासनिया के बीच हुई टक्कर में जीतेगा कौन? सूरतगढ़ से 27 किलोमीटर दूर केवल 5 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आमसभा भाषण हुआ। उसी सभा में रामप्रताप कासनिया ने भी भाषण दिया। मोदी जी के भाषण संदेश के बाद कहने को कुछ भी नहीं रहता। मोदी है तो सब मुमकिन है। इसके बाद भाजपा के पदाधिकारियों मंडलों और मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने जीजान लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी होगी! भाजपा के टिकट मांगने वाले भी जी जान से जुटे होंगे! जब सभी जुटे हों। सन् 2018 में जीतने के बाद सन् 2023 में दुबारा जीत होने के पक्के विश्वास से कासनिया जी ने टिकट मांगी और राज्य संसदीय बोर्ड एवं संसदीय बोर्ड के चयन पर मोदीजी की स्वीकृति हुई। 

अभी परिणाम का इंतजार करें। हथाई करें। दावा नहीं करें। 

* कासनिया जी के चुनाव कार्यालय में ठसाठस उपस्थिति शहर और गांवों में भाजपा के वोट। लेकिन फिर भी चर्चा हो रही है कि रामप्रताप कासनिया और डुंगरराम गेदर में कौन जीतेगा? 

👍 मोदीजी के भाषण और आह्वान के बाद भाजपा के कार्यकर्ताओं ने ईमानदारी से काम किया है तो कोई शंका नहीं है कि कासनिया जी की जीत भी हो सकती है। लेकिन जो चर्चाएं सर्दी में गर्म हलचल तूफान मचा रही है, उनका संकेत घुमा फिरा कर दिया जा रहा है। भाजपा के लोग शहर के वार्डों की गांवों चकों की रिपोर्ट देते बतियाते हैं कि कितने स्थानों पर बराबर हैं और कितने स्थानों पर कितने आगे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट शानदार है फिर आम लोगों के मुंह से  डुंगर गेदर की जीत होने की चर्चाएं कैसे हो रही है? 

डुंगरराम जीतेगा! गेदर जीतेगा!! यह तूफान मचा है। डुंगरराम भारी मतों से जीतेगा। एक लाख से अधिक वोट डुंगर को मिलने और तीस पैंतीस हजार वोटों से जीत जाएगा की बातें हो रही है।

कांग्रेस के लोग और डुंगर समर्थक पुराने और नये उत्पन्न समर्थक जीत और एक लाख से अधिक वोट की चर्चाएं करते हैं। कुछ इससे कम मानते हैं।

यह आश्चर्यजनक है कि डुंगरराम गेदर के साथ केवल एक पूर्व विधायक स.हरचंद सिंह सिद्धु साथ हैं। उनको हराने के लिए कांग्रेस से पूर्व विधायक गंगाजल मील कासनिया के साथ जा मिले। कासनिया खुद विधायक पिछले सत्र में विधायक रह चुके हैं और भाजपा से ही पूर्व विधायक अशोक नागपाल उनके साथ हैं। भाजपा की संगठन शक्ति और संघ की शक्ति भी साथ में दिन रात एक किए हुए रही है। 

👍 डुंगरराम गेदर की जीत होती है तो क्या समझा जाए? क्या भाजपा के सभी लोगों ने ईमानदारी से काम नहीं किया? क्या कासनिया को दुबारा टिकट देने के विरुद्ध भीतर ही भीतर आग सुलगती रही और कासनिया को जिताने के बजाय हराने के लिए शक्ति लगाई गई? 

👍 कासनिया की जीत मानते  है तो भाजपा में सन्नाटा सा क्यों छाया है? भाजपा के लोग जोश और उत्साह में दिखाई नहीं दे रहे। आखिर ऐसा क्यों हैं? लोगों के मुंह से यह क्यों निकल रहा है कि उनकी गली में भाजपा के लिए कोई वोट मांगने नहीं आया? पुराने से पुराने भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को पूछा तक नहीं गया। भाजपा के लिए वोट मांगने वालों ने खानापूर्ति सी की। 

👍 सूरतगढ़ सीट पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों में बदलाव और नये चेहरे को टिकट दिए जाने की मांग थी। कांग्रेस ने जनता की मांग को स्वीकार किया और मूल ओबीसी डुंगरराम गेदर (कुम्हार)को टिकट दे दिया। भाजपा ने जनता और कार्यकर्ताओं की नहीं सुनी तथा 72 वर्ष के कासनिया को ही टिकट दुबारा दे दिया। इसका विरोध निश्चित रूप से होना प्रजातंत्र का ही पाठ है।

* बीकानेर संभाग में भाजपा ने मूल ओबीसी को एक भी टिकट नहीं दी। सूरतगढ़ से एक टिकट की मांग प्रबल थी। कांग्रेस ने मूल ओबीसी को संभाग में 3 टिकट दी। सूरतगढ़ में यह भी चर्चा जोरशोर से है कि इसका असर भी हुआ है तथा लोगों ने डुंगरराम गेदर का साथ दिया। सबसे बड़ा तथ्य यह है कि लोग बदलाव चाहते थे और मतदान इसी भावना से होना माना जा रहा है।

सूरतगढ़ में मतदाता 2,56, 202 हैं। इनमें से मतदान 80.66 प्रतिशत लोगों ने किया। मतदान करने वाले लगभग दो लाख छह हजार छह सौ पैंसठ लोग थे। 

वोटिंग के बाद लोगों का मानना है कि मुख्य टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रही। प्रदेश की यही दोनों प्रमुख पार्टियां हैं जिन पर सभी की नजरें रहती हैं।

तीन दिसंबर को मतों की गणना होगी तब तक हथाई होती रहेगी। परिणाम से साबित होगा कि कौन जीता। लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का कहना माना या नहीं माना।०0०

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करणीदानसिंह राजपूत

( पत्रकारिता के 60 वर्ष)

राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार,

सूरतगढ़ ( राजस्थान)

94143 81356

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