मंगलवार, 28 जून 2022

नई रेलवे लाइन का सर्वे रायसिंहनगर अनूपगढ़ होते बीकानेर तक होना चाहिए

 

 * करणी दान सिंह राजपूत *


 अनूपगढ़ से बीकानेर नई रेललाईन के सर्वे के लिए रेलवे ने 75 लाख 50 हजार रूपये की राशि स्वीकृत की है। यह रेल लाईन करीब 151 किलोमीटर लंबाई की होगी। इसमे अनूपगढ़ पतरोडा घड़साना घड़साना नईमंडी रावला खाजूवाला होते बीकानेर को जोड़ने की मांग है।

 सीमा क्षेत्र को तेजी से विकसित करने के लिए नई रेल लाईन का सर्वे रायसिंहनगर समेजा कोठी सलेमपुरा बांडा अनूपगढ़ पतरोडा घड़साना घड़साना नईमंडी रावला खाजूवाला पूगल बीकानेर हो तो बड़ी कामयाबी होगी। 

अनूपगढ़ घड़साना रावला खाजूवाला बीकानेर तक का क्षेत्र लोकसभा सीट बीकानेर का है। बीकानेर के सांसद और केंद्र में राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल प्रतिनिधित्व करते हैं। 

सूरतगढ़ अनूपगढ़ घड़साना रावला खाजूवाला के लोगों ने आवाज उठाई और अर्जुन राम मेघवाल ने पूरा साथ दिया। रेल समितियों के पदाधिकारियों को दिल्ली में रेलवे के उच्चाधिकारियों से मिलवाया। अनूपगढ़ और खाजूवाला इलाके के लोगों की आवाज प्रभावशाली रही। इस आवाज को जिला रेल विकास संघर्ष समिति ने बल दिया। इसके अध्यक्ष एडवोकेट ललितकिशोर शर्मा ने लगातार कार्यवाही जारी रखी। उत्तर पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक जयपुर और बीकानेर के मंडल प्रबंधक जब भी सूरतगढ़ आए तब संपर्क रखा।


अब इसे विस्तार देते हैं कि इस सर्वे में रायसिंहनगर से अनूपगढ़ तक की करीब 55 किलोमीटर दूरी भी जुड़नी चाहिए। 

यह क्षेत्र श्रीगंगानगर लोकसभा सीट का है जिसका प्रतिनिधित्व निहालचंद मेघवाल कर रहे हैं। इसके सर्वे के लिए 15- 20 लाख रूपये मंजूर कराना बहुत बड़ी बात नहीं है। सांसद निहालचंद मेघवाल को इस पर तुरंत ही कार्यवाही शुरु कर देनी चाहिए। निहालचंद मेघवाल का जोर पिछले दो सालों से हनुमानगढ़ पर है जिसे विभिन्न रूपों में देखा और समझा जा रहा है, लेकिन इस सर्वे पर भी ध्यान जरुरी है। निहाल चंद स्वयं रायसिंह नगर के निवासी हैं। रायसिंहनगर की रेलविकास समिति और समेजाकोठी क्षेत्र के व्यापारिक राजनीतिक व सामाजिक संगठनों को तुरंत ही कार्यवाही मांगपत्र ज्ञापन शुरू करने चाहिए।

रायसिंह नगर  रेलमार्ग सूरतगढ़ श्री गंगानगर से जुड़ा है लेकिन इस नई रेल लाईन से जुड़ना भी सामरिक व्यापारिक व यात्री दृष्टिकोण से आवश्यक है। ०0०

दि. 28 जून 2022. 





करणी दान सिंह राजपूत,

पत्रकार,

(राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

 सूरतगढ़ (राजस्थान)

94143 81356.

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सोमवार, 27 जून 2022

श्रीगंगानगर-सूरतगढ व श्रीगंगानगर-हनुमानगढ ट्रेनों का संचालन एक जुलाई से पुनः शुरू

 

श्रीगंगानगर, 27 जून 2022.


 श्रीगंगानगर-सूरतगढ-श्रीगंगानगर 

और श्रीगंगानगर-हनुमानगढ-श्रीगंगानगर प्रतिदिन स्पेशल रेलसेवाओं का संचालन किया जा रहा है।

 जेड आर यू सी सी सदस्य भीम शर्मा के अनुसार ये ट्रेन कोविड के समय से बन्द पड़ी थी। उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार गाडी संख्या 04773, श्रीगंगानगर-सूरतगढ प्रतिदिन स्पेशल रेलसेवा 01 जुलाई से श्रीगंगानगर से प्रतिदिन शाम 7.25 बजे रवाना होकर रात्रि 10.35 बजे सूरतगढ पहुॅचेगी। 

इसी प्रकार गाडी संख्या 04774, सूरतगढ-श्रीगंगानगर प्रतिदिन स्पेशल रेलसेवा 02 जुलाई से सूरतगढ से प्रतिदिन देर रात्रि 01.15 बजे रवाना होकर प्रात 04.00 बजे श्रीगंगानगर पहुॅचेगी।


इसी क्रम में गाडी संख्या 04770, श्रीगंगानगर-हनुमानगढ प्रतिदिन स्पेशल रेलसेवा 01 जुलाई से श्रीगंगानगर से प्रतिदिन शाम 4.25 बजे रवाना होकर 6.00 बजे हनुमानगढ पहुॅचेगी। इसी प्रकार गाडी संख्या 04767, हनुमानगढ-श्रीगंगानगर प्रतिदिन स्पेशल रेलसेवा 02 जुलाई से हनुमानगढ से प्रतिदिन दोपहर 2.25 बजे रवाना होकर 3.55 बजे श्रीगंगानगर पहुॅचेगी। इस रेलसेवा में 09 द्वितीय साधारण श्रेणी व 02 गार्ड डिब्बों सहित कुल 11 डिब्बे होगे।०0०

नितिन गडकरी द्वारा श्रीगंगानगर जिले में 753 करोड़ की सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास

 





* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़/श्रीगंगानगर, 27 जून 2022.

केन्द्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने लगभग 753 करोड़ रूपए की सड़क परियोजनाओं का वर्चुअल माध्यम से सोमवार को शिलान्यास किया। वर्चुअल शिलान्यास कार्यक्रम में जिला कलक्टर श्रीमती रूक्मणि रियार सिहाग गंगानगर से वीसी के माध्यम से शामिल हुई।






श्रीगंगानगर जिले में बनने वाली सड़कें 


 *इन परियोजनाओं के अंतर्गत श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ में 26.61 करोड़ रूपए की लागत से राष्ट्रीय राजमार्ग-62 (पुराना राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-15) के बीकानेर-सूरतगढ़ खंड में आर.ई. दीवार के साथ दोनों तरफ के एप्रोच सड़क सहित इंदिरा सर्किल पर 1.066 किलोमीटर की लम्बाई के 4 लेन फ्लाईओवर का निर्माण किया जाएगा और 56.20 करोड़ रूपए की लागत से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 62 (पुराना राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-15) के सूरतगढ़-श्रीगंगानगर खंड के किमी 173.0 से 250/900 तक लगभग 77.90 किमी. मार्ग को सुदृढ़ किया जाएगा ।


* एक अन्य परियोजना में श्रीगंगानगर से रायसिंहनगर तक एनएच-911 पर लगभग 670.38 करोड़ रूपए की लागत से पेव शोल्डर के साथ दो लेन राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया जाएगा, जिसकी लंबाई 102.076 किलोमीटर रहेगी। इस सड़क को श्रीगंगानगर, श्रीकरणपुर, गजसिंहपुर व रायसिंहनगर में कुल 41.524 किमी. के बाईपास के रूप में बनाया जाएगा। 

 

कार्यक्रम सूरतगढ़ में प्रातः 11 बजे शुरू हुआ, जिसमें लोकसभा सांसद निहाल चन्द, सूरतगढ़ विधायक रामप्रताप कासनिया, पूर्व विधायक  राजेन्द्र भादू, पूर्व विधायक अशोक नागपाल, एडीएम सूरतगढ़  अरविन्द जाखड़, सहित जनप्रतिनिधि, क्षेत्र के गणमान्य नागरिक तथा एनएचआई के इंजिनियर व पीडब्ल्यूडी के अधीशाषी अभियंता  पवन कुमार यादव सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। ०0०






रोटेरियन राजेंद्र तनेजा को रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3090 का डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर घोषित किया गया

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

अन्तर्राष्ट्रीय समाजसेवी संस्था रोटरी फाऊंडेशन ने राजेंद्र तनेजा सूरतगढ़ को रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3090 का एक वर्ष के लिए ट्रेनर घोषित किया है। इनका कार्य काल 1 जुलाई 2022 से शुरू होकर 30 जून 2023 तक रहेगा।


70 वर्षीय रोटेरियन राजेंद्र तनेजा डिस्ट्रिक्ट 3090 के गवर्नर रह चुके हैं। रोटरी की समाज सेवाओं में अनुभवी होने के कारण इनको ट्रेनर बनाया गया हैं।

रोटरी जिला 3090 में पंजाब राज्य के 11 जिले हरियाणा के 5 जिले और राजस्थान के 2 जिले श्री गंगानगर हनुमानगढ़ आते हैं। 

इस रोटरी जिले में 97 रोटरी क्लब,45 रोट्रेक्ट क्लब और 87 इंट्रेक्ट क्लब है। 

यहां बताएं कि रोटरी समाज सेवा में किस तरह से व्यक्तियों को जोड़ते हैं। इंट्रेक्ट क्लब में 12 से 18 उम्र तक के किशोर नौजवान सदस्य होते हैं। इसके बाद रोट्रेक्ट क्लब में 18 से 35 वर्ष की उम्र के नौजवान व्यक्तियों को शामिल किया जाता है। इसके बाद रोटरी क्लब की सदस्यता में बड़ी उम्र के व्यक्तियों को लिया जाता है।


 रोटरी फाउंडेशन ने विश्व भर में अनेक कार्य किए हैं।रोटरी ने पोलियो मुक्त संसार बनाने में वर्षों तक कार्य किया। कोरोना महामारी काल में भी रोटरी फाउंडेशन ने विश्व भर में अनेक कार्य किए। भारतवर्ष में भी रोटरी फाउंडेशन के कार्य उल्लेखनीय रहे हैं।

राजेंद्र तनेजा का ट्रेनर कार्य 1 जुलाई 2022 से शुरू होगा लेकिन उसका प्रारंभिक कार्य कुछ महीने पहले शुरू हो चुका है। तनेजा ने बताया कि विजन 52 के तहत वर्ष भर में कार्य होंगे।


 रोटरी जिला 3090 में  22 सहायक गवर्नर बनाए गए हैं। पूरे क्षेत्र को 22 जोनों में बांटा गया है। 

राजेंद्र तनेजा बताते हैं कि ट्रेनर का कार्य बहुत महत्वपूर्ण है जो सभी सदस्यों को आगे विजन के लिए किस तरह से कार्य करना है उसके बारे में समुचित जानकारी और तरीके बताते हैं।

आगामी विजन के लिए 86 अध्यक्ष बनाए गए हैं और उनका इंट्रोडक्शन हो चुका है। इसके बाद में असिस्टेंट गवर्नर को ट्रेनिंग देने का कार्य भी शुरू हो गया है। अगला 1 वर्ष रोटरी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा।

राजेंद्र तनेजा सूरतगढ़ में रोटरी क्लब के संस्थापक को में से एक हैं। सूरतगढ़ में रोटरी क्लब की स्थापना अप्रैल 1982 में हुई थी। 


तनेजा आयकर के प्रमुख सलाहकार वकील हैं। समाज सेवा में अग्रणी  तनेजा ने समाजसेवा में निजी तौर पर लाखों ऊपये लगाए हैं।

 तनेजा ने अभी कुछ समय पहले ही जनहित के लिए अपने पिता स्व. गुलाब राय तनेजा की स्मृति में लाखों रूपये की अपनी भूमि पर लाखों रूपये और खर्च कर  एक योगा पार्क और एक जिम स्थापित किया है। इस जिम का ओपन रूप भी है। इसमें  विभिन्न प्रकार के उपकरण हैं जो बड़े शहरों के जिम में होते हैं।


राजेंद्र तनेजा ने रोटरी फाउंडेशन की ओर से  विदेश यात्राएं की हैं जिनमें अमेरिका 4 बार कनाडा 4 बार इंग्लैंड 4 बार ऑस्ट्रेलिया 1 बार और पाकिस्तान के लाहौर की  2 बार यात्रा हुई।


 समाज सेवा के लिए एक दूसरे देश के रोटेरियन से परिचित होना एक बहुत बड़ी कामयाबी मानी जाती है जिसके तहत रोटरी फाउंडेशन अपने सदस्य पदाधिकारियों को एक दूसरे देश की यात्राएं कराते हुए समाज सेवा के विभिन्न कार्यों के बारे में जानकारी देते हैं दर्शन कराते हैं।०0०







रविवार, 26 जून 2022

आपातकाल लोकतंत्र रक्षकों का सम्मान हो,मोदी जी लोकसभा भाषण को सत्य करें.

 



* करणीदानसिंह राजपूत *


बड़े उद्योगपतियों के हजारों करोड़ के कर्ज माफ कर दिए,हजारों करोड़ बट्टे खाते में और उन्हीं को हजारों करोड़ का कर्ज और दे दिया। मगर आपातकाल लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान और सुविधाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी गृहमंत्री अमित शाह जी और भाजपा के राष्ट्रीय नेता जगत प्रकाश नड्डा जी का दीर्घ कालीन मौन है। प्रधानमंत्री जो बोले कहे वह लोहे पर लकीर होती है। उसे कांटा छांटा नहीं जा सकता। 


👍 प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी ने लोकसभा में कहा था कि आपातकाल में जिन लोगों ने कुर्बानियां दी उनके कारण आज हम यहां मौजूद हैं। उन लोगों ने आपातकाल में लोकतंत्र को बचाया संविधान की रक्षा की उन कुर्बानियां देने वालों का सम्मान किया जाना चाहिए।"

लोकसभा में प्रधानमंत्री का दिया यह वक्तव्य सरकारी रिकॉर्ड में मौजूद है और इस वक्तव्य को लेकर मैंने पत्र भी लिखे थे।

 प्रधानमंत्री जब कह देते हैं कि सम्मान किया जाना चाहिए तो वह सम्मान कौन करेगा? भारत की सरकार ही वह सम्मान करे लेकिन इस वक्तव्य के पांच छह साल बीत जाने के बावजूद लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान सुविधा पेंशन आदि दो दूर रहे इस बाबत लिखे गए हजारों पत्रों का कोई उत्तर प्रधानमंत्री जी ने नहीं दिया।यह आश्चर्य जनक और पीड़ा जनक भी है, मानसिक संताप भी पैदा करता है। गृहमंत्री अमित शाह और सबसे बड़ी सत्ताधारी पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश जी नड्डा की ओर से भी कोई उत्तर नहीं दिया गया। देश के लोकतंत्र इतिहास में यह मामूली बात नहीं कही जा सकती। 


 माननीय सत्ताधारियों से एक आग्रह है की ईश्वर हर कालखंड का निर्माता है और उसके लिखे को कोई टाल नहीं सकता। हो सकता है कि हम सालों से जो पीड़ाएं भोग रहे हैं वह हमारे कर्मों का फल हो लेकिन कालका चक्र घूमता रहता है,वह स्थिर नहीं रहता जो आज है वह कल भी रहेगा यह निश्चित रूप से कोई नहीं कह सकता। समय एकदम से भी पलटा मार सकता है। भगवान श्री रामचंद्र का राजतिलक का मुहूर्त मुनि वशिष्ठ ने निकाला लेकिन ऐन वक्त पर सब कुछ बदल गया। राम को वनवास मिला। कहा गया कि विधि के विधान को कोई टाल नहीं सकता। 


आज देश के हजारों आपातकालीन लोकतंत्र सेनानी प्रधानमंत्री मोदी जी की ओर देख रहे हैं।  आप की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं।

आपने पत्रों के उत्तर नहीं दिए लेकिन आपने जो लोकसभा में भाषण दिया,वह भाषण एक एक शब्द देश को बताएं  कि वह भाषण आखिर क्यों दिया था ? उस भाषण देने का कोई तो उद्देश्य था?  उस दिन आपके मन में जो था उसे सच्चे रूप से बताएं और उद्घाटित करें! 

आपने जब कहा कि आपातकाल में कुर्बानियां देने वालों का सम्मान किया जाना चाहिए तो वह सम्मान कौन करेगा? यह भी आपने सोचा होगा? वह सम्मान कोई दूसरा देश नहीं करेगा और ना कोई उद्योगपति करेगा? वह सम्मान भारत सरकार को ही करना होगा। इसमें जितनी देरी हो रही है वह बहुत पीड़ा जनक है।


* कालचक्र के हिसाब से आग्रह कर रहा हूं सन् 2024 में आप फिर से सत्ता प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हैं और यह पुनःसत्ता देश के हजारों लोकतंत्र सेनानियों की दुआओं पर भी निर्भर करती है। उनके परिवारों की दुआओं पर निर्भर करती है। दिवंगत लोकतंत्र सेनानियों की विधवाओं की दुआओं पर निर्भर करती है।

आपसे आग्रह है कि 2024 लोकसभा आम चुनाव के आने से पहले, सन् 2023 से भी पहले आप लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान की घोषणा अपने श्री मुख से कर दें। आपके सत्ता काल में हो सकता है कि सन् 2022 ही शुभ अवसर हो जिसमें सभी की दुआओं का असर हो।

आपके भाषण का एक एक शब्द सच्चा प्रमाणित हो इसके लिए समय की प्रतीक्षा नहीं करना ही उचित है। 

* काल चक्र की हर संभावनाओं को सोचकर यह लेख पत्र आज  ही लिखा है और आपको यह मेल से कुछ क्षण में प्राप्त भी हो जाएगा।*


दि. 26 जून 2022.(आपातकाल दिवस बरसी.ऐसा दिवस फिर न आए.)


करणीदानसिंह राजपूत,

(77 वर्ष)

पत्रकार

* पत्रकारिता में आपातकाल जेलबंदी)

सूरतगढ़ ( राजस्थान)

94143 81356.

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शनिवार, 25 जून 2022

भारत सरकार द्वारा आपातकाल लोकतंत्र सेनानियों को न सम्मान न श्रद्धांजलि.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *


आपातकाल 1975 - 77 के लोकतंत्र सेनानियों के प्रति भारत सरकार की ओर से न सम्मान है और न श्रद्धांजलि है। 

 यह बहुत ही पीड़ा जनक स्थिति आपातकाल से भी ज्यादा दुखदाई व मानसिक पीड़ा पहुंचाने वाली है जो लोकतंत्र सेनानी भोगते हुए दिवंगत हो रहे हैं। 

भारत सरकार की ओर से किसी एक लोकतंत्र सेनानी को श्रद्धांजलि भी अर्पित नहीं की गई। लोकतंत्र सेनानी  आपातकाल में सब कुछ छोड़ कर अचानक अपने घरों से निकल पड़े थे।देश सेवा का जज्बा था।संविधान की रक्षा की लोकतंत्र को बचाया और उन्हें पुनः कायम किया।


 प्रत्येक लोकतंत्र सेनानी और उनके परिवार जन पूजनीय है लेकिन भारत सरकार की नजरों में ऐसे पूजनीय लोगों के लिए सम्मान के लिए दो शब्द तक नहीं है।

भारत सरकार हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह अनेक लोगों को सम्मानित करते हैं और अनेक लोगों के दिवंगत होने पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, मगर आपातकाल के लोकतंत्र सेनानियों के परिवार के यहां जाकर शोक व्यक्त करने के लिए समय नहीं,श्रद्धांजलि देने के लिए शब्द नहीं।

* इससे भी बड़ी बात यह है कि लोकतंत्र सेनानियों ने हजारों पत्र दिए उनका उत्तर नहीं दिया गया। लोकतंत्र सेनानियों ने मिलने का समय मांगा तो मिलने का समय भी नहीं दिया गया। क्या इसे स्वच्छ लोकतंत्र कहा जा सकता है? 

हम प्रधानमंत्री गृहमंत्री को बड़ा मानकर उनका आदर सत्कार करते रहे हैं और करते रहेंगे। प्रधानमंत्री की आपातकाल संबंधी फिल्म आएगी तो उसे भी देखने से इंकार नहीं करेंगे। हम जो बीत गया उसकी फिल्म देखेंगे लेकिन लोकतंत्र सेनानी जो आज 70 वर्षों से ऊपर 95 वर्ष तक की वृद्धावस्था में विभिन्न बीमारियों आर्थिक परेशानियों से जूझते हुए मर मर कर जी रहे हैं उनके सच की फिल्म जो लगातार रोजाना दिन रात बन रही है। उसका फिल्मांकन नहीं देखना चाहते। ऐसी हजारों फिल्में संपूर्ण भारत में बन रही हैं। प्रधानमंत्री गृहमंत्री किससी भी दिन किसी भी समय ये सच्ची फिल्में देख सकते हैं। 


यह कैसा देश है जिसको सब की चिंता है लेकिन प्रधानमंत्री के पास समय नहीं है गृह मंत्री के पास समय नहीं है कि वे सच्ची फिल्में देख सकें। असल में वे सच्च देखना नहीं चाहते। इसे किस प्रकार से सहन किया जा सकता है, लेकिन आज भी लोकतंत्र सेनानी हर परेशानी और दुखद स्थिति में बहुत कुछ सहन कर रहे हैं। लोकतंत्र में जिन लोगों ने मंत्री सांसद विधायक मुख्यमंत्री बन कर संपूर्ण सुख भोगे और भोग रहे हैं, उन्होंने ने भी कभी अपने आसपास लोकतंत्र सेनानियों को उनके परिवारों को देखने संभालने की कोशिश नहीं की। राजनीतिक दल भी लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान करना तो दूर रहा,बात तक नहीं करते। यह कैसा देश बन गया है जहां सत्ता प्राप्त करने के बाद नेता अपने और अपने परिवार के लिए जीने लगता है।


** एक प्रकार से लोकतंत्र सेनानियों की आवाज को अनसुनी करके दबाया जा रहा है। यह स्थिति आपातकाल से भी ज्यादा भयानक और दुखदाई है।

 अनेक लोकतंत्र सेनानी इसे गलत बता देंगे लेकिन यह अकाट्य सच है।

* सोशल मीडिया पर विभिन्न प्रतिक्रियाओं में लिखा जा रहा है कि भारत सरकार लाखों रोहिंग्या मुसलमानों को सब कुछ दे रही है। रोहिंग्या मुसलमान जो देश के लिए कांटे समझे जा रहे हैं। उन्हें सब कुछ सुविधा दी जा रही है। वे  सपरिवार रहते जनसंख्या भी बढा रहे हैं।

लाखों रोहिंग्या मुसलमानों के लिए सब कुछ लेकिन कुछ हजार लोकतंत्र सेनानियों के लिए अपने ही देश में कुछ नहीं।

भारत सरकार न सम्मान देना चाहती है न श्रद्धांजलि देना चाहती है।

अनेक संघ के कार्यकर्ता जो लोकतंत्र सेनानी ग्रुप में जुड़े हुए हैं वह  कहते रहते हैं कि क्या हम सम्मान के लिए पेंशन के लिए देश सेवा के लिए गए थे? 

*  लेकिन यह भी सच है कि जो देश सेवा करते हैं उनकी सेवा और सम्मान करने का दायित्व भारत सरकार का बनता है।  प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का दायित्व बनता है। इसे किसी भी प्रकार के शब्दों में उलझा कर छोड़ा नहीं जा सकता। भारत सरकार प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से बनती है इसलिए इनका पहला दायित्व है कि लोकतंत्र सेनानियों का संपूर्ण राष्ट्र में एक जैसा सम्मान करें।

भारत सरकार संपूर्ण राष्ट्र में एक समान नीति से लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान प्रदान करे व जो लोकतंत्र सेनानी दिवंगत हो चुके हैं, उनके परिजनों के लिए भी दायित्व निभाए। आपातकाल की बरसी पर कांंग्रेस को कोसना राजनीति है और राजनीतिक लाभ लेना होता है जो प्रधानमंत्री लेते रहे हैं।

प्रधानमंत्री भारतीय संविधान को नमन करते हैं लेकिन उसको मानते नहीं। लोकसभा की पेड़ियों पर शीश नवाते हुए नमन करते हैं मगर लोक सभा के दायित्व को मानते नहीं। भारतीय संविधान और लोकसभा लोकतंत्र के मंदिर सभी लोगों के सुखद जीवन और विकास का संदेश देते हैं जिनमें आपातकाल लोकतंत्र सेनानी भी हैं।

प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को आपातकाल की बरसी पर लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान की ऐतिहासिक घोषणा कर देनी चाहिए। यह भी बता देना चाहिए कि स्वतंत्रता सेनानियों की तरह ही यह सम्मान माना जाएगा व अधिकार रखेगा।


इतने वर्षों तक यह कार्य नहीं हुआ उसके लिए लोकतंत्र सेनानियों से ही नहीं संपूर्ण राष्ट्र से क्षमा भी मांगी जानी चाहिए।०0०

दि.25 जून 2022.




करणीदानसिंह राजपूत,

उम्र 77 वर्ष.

पत्रकार 

( आपातकाल जेलबंदी)

सूरतगढ़ ( राजस्थान)

94143 81356.

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* यदि यह सच्च मानते हैं तो अपने मस्तिष्क में पहले विचार करें और दुबारा भी सच्च लगे तब अन्य लोगों के लिए शेयर करें। सरकार को भी निर्भय होकर भेजें। संपूर्ण देश में इसकी गूंज उठ जाए। समाचारपत्र भी आगे बढें और दायित्व निभाते हुए प्रकाशित करें। हम एक दिन और एक प्रकाशन का ही आग्रह कर रहे हैं।

करणीदानसिंह राजपूत.


शुक्रवार, 24 जून 2022

भारत सरकार की नीतियों से तंग आकर देशव्यापी 1 लाख ईंट भट्ठा बंदी की घोषणा।

 


* करणीदानसिंह राजपूत *

श्रीगंगानगर 24 जून 2022.

भारत सरकार की प्रदूषण बाबत विभिन्न नीतियों से उत्पन्न समस्याओं का हल लगातार अनुरोध करते रहने के बाद भी नहीं निकलने पर मिट्टी ईंट भट्ठे मालिकों ने  तंग आकर 1 अक्टूबर 2022 नये सीजन से ईंटभट्ठे बंद रखने की घोषणा कर दी है।

 एक ईंट भट्ठे पर करीब डेढ दो सो स्त्री पुरूष मजदूरी करते हैं। इसके अलावा अन्य स्टाफ होता है। इससे लाखों परिवारों पर रोजगार का संकट हो जाएगा। इसके अलावा ढुलाई कार्य में भी लाखों लोगों पर संकट होगा। भवन निर्माण पर संकट होगा। ईंटभट्ठे बंद होने से बहुत उथल पुथल होगी। भारत में हजारों सालों से मिट्टी की ईंट को ही भवन निर्माण में सर्वोत्तम माना जाता रहा है। इसी पर लोगों का भरोसा है। 



अखिल भारतीय ईंट एवं टाइल निर्माता महासंघ ने देशव्यापी ईंट भट्ठा बंदी की घोषणा कर दी है।  नई दिल्ली में महासंघ की 23 जून 2022 को पूरे दिन चली बैठक  में देर शाम ऐलान किया गया कि आगामी सीजन के लिए ईंट भट्ठों के मालिक ना तो कोयला अथवा बायोवेस्ट (सरसों का गूणा/ तूडी) खरीदेंगे और ना ही अनुबंध कर श्रमिकों को अग्रिम भुगतान करेंगे। 

महासंघ की राजस्थान इकाई के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रतन गणेशगढ़िया ने सरकारी नीतियों के अलावा अन्य जानकारी में  बताया कि नई दिल्ली में महासंघ कार्यालय इंडिया हैबिटेट सेंटर में सभी प्रदेशों के अध्यक्षों, महामंत्रियों और कार्यकारिणी सदस्यों ने ईंट भट्ठा उद्योग की विभिन्न समस्याओं पर विचार विमर्श कर संपूर्ण भारत में अगले सीजन 2022-23 में हड़ताल पर जाने का फैसला किया। 


ईंट भट्टों की विभिन्न समस्याओं का सरकार के स्तर पर समाधान होने तक यह हड़ताल जारी रहेगी। संपूर्ण भारत वर्ष में किसी भी भट्ठा मालिक द्वारा अगले सीजन के लिए ना तो कोयला/बायोवेस्ट खरीदा जाएगा और ना ही श्रमिकों को एडवांस भुगतान किया जाएगा।राष्ट्रीय महामंत्री ओमवीरसिंह भाटी के अनुसार सभी प्रदेश इकाइयों के अध्यक्षों तथा महामंत्रियों से इस हड़ताल को सफल बनाने के लिए प्रदेश और जिला स्तर पर भट्ठा मालिकों से संपर्क करने और उनकी बैठकें करने के निर्देश दिए गए हैं।


 राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रतन गणेशगढ़िया ने बताया कि सरकार द्वारा पिछले कुछ समय से ईंट भट्ठा के लिए प्रदूषण नियंत्रण संबंधी आए रोज नए-नए नियम बनाकर लागू करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। इससे भट्ठा मालिक दुविधा में हैं। वे एक निर्देश का पालन करते हैं तो कुछ दिन बाद नया निर्देश दे दिया जाता है। निर्देशों का पालन करने में ही भट्ठा मालिक उलझे रहते हैं। ईंट भट्ठों के प्रति सरकार की पर्यावरण संबंधी नीति स्पष्ट न होने से भट्ठों को चला पाना मुश्किल हो रहा है।यही नहीं सरकार ने जीएसटी की दर भी 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दी है। इसमें भी रिवर्स चार्ज मेकैनिज्म (आरसीएम) का एक  प्रावधान किया है। इसमें भट्ठा मालिकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपंजीकृत संस्थाओं से श्रमिकों को रखते हैं तथा कोयला/ बायोवेस्ट आदि वस्तुएं खरीदते हैं तो इसका टैक्स उनको ही देना पड़ेगा। यह प्रावधान सरासर ईंट भट्ठा मालिकों/संचालकों की आर्थिक रूप से कमर तोड़ देने वाला है। लिहाजा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि आगामी एक  अक्टूबर से शुरू होने वाले नए सीजन के लिए ना तो लेबर से एग्रीमेंट किया जाएगा और ना ही भट्ठे चलाने के लिए आवश्यक सामग्री की खरीद की जाएगी। 

रतन गणेशगढ़िया के अनुसार देश भर में लगभग एक लाख भट्ठे हैं। राजस्थान में भट्ठों की संख्या लगभग तीन हजार है। श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में 800 से अधिक भट्ठे हैं। इन पर हजारों श्रमिक परिवार काम करते हैं। मौजूदा सीजन 30 जून को समाप्त हो रहा है।बरसाती सीजन के 3 महीनों- जुलाई,अगस्त और सितंबर में ईंट भट्ठे बंद रहते हैं। हर वर्ष एक अक्टूबर से नया सीजन शुरू किए जाने से पहले ही अगस्त और सितंबर में लेबर से एग्रीमेंट कर भुगतान किया जाता है। इन्हीं महीनों में सीजन के लिए सरसों का गूणा (बायोवेस्ट) आदि सामग्री की भी खरीद की जाती है। 

आगामी नए सीजन में भट्टे शुरू नहीं हुए तो देशभर में हजारों- लाखों ईंट भट्ठा श्रमिक परिवारों के लिए रोजी रोटी का बड़ा संकट उत्पन्न हो जाएगा। सरकारी और गैर सरकारी विकास तथा निर्माण कार्य रुक सकते हैं।उल्लेखनीय है कि सरकार की अनेक प्रकार की विसंगतिपूर्ण नीतियों, आदेशों तथा निर्देशों से तंग आए हुए ईंट भट्ठा मालिक  दो-तीन वर्षों से संघर्षरत हैं। उन्होंने हर प्रकार से इन समस्याओं का सामना करने की कोशिश की लेकिन अब महासंघ का कहना है कि पानी सिर तक आ गया है। आखिरकार मजबूर होकर देशव्यापी ईंट भट्ठा बंदी का ऐलान करना पड़ा।०0०



सूरतगढ़ को गंदा देखते रहेंगे कैसे नेता हैं? भाजपा कांग्रेस आप बसपा सब एक जैसे.

 


*  करणीदानसिंह राजपूत * 


सीवरेज सड़कें,नाले उन पर पक्के अतिक्रमण कचरे के ढेर तालाब में मलबा सब से आम लोग परेशान हैं और नेता देख रहे हैं। जनता के साथ खड़े नजर नहीं आते।

आने वाले चुनाव में इनका कोई हक नहीं बनता कि जनता से वोट मांगे। इनका तो बहिष्कार होना चाहिए। टिकट ले आएं और चुनाव में खड़े हो जाएं तो सवाल होने चाहिए कि किस योग्यता के कारण वोट दिया जाए? 

भाजपा और कांंग्रेस के विधायक भी हैं और पूर्व विधायक भी हैं। सूरतगढ़ शहर के वोट अनुमान है कि इस समय करीब 60 हजार होंगे और 2023 के विधानसभा चुनाव तक 70-75 हजार होंगे। एक लाख जनता को अनदेखा करके भी चुनाव लड़ने की चाहत। 

मेरी बातें समझ रहे हैं। मेरी अपील भी समझ रहे हैं। ये नेता सभी समझ रहे हैं, मगर परेशानियों में जनता के साथ नहीं हैं। बड़े नेताओं का सारा ध्यान केवल पैसा कमाने और संपत्ति विस्तार पर है। सूरतगढ़ शहर की दुर्दशा पर किसी भी नेता का ध्यान नहीं है।

भाजपा और कांंग्रेस दो बड़ी पार्टियां हैं जिनके संगठन भी मौजूद हैं। भाजपा का नगर मंडल और तीन चार जिला स्तर के संगठन पदाधिकारी यहां हैं। नगरपालिका में काग्रेस बहुमत का बोर्ड है जिसकी शहर के प्रति अनदेखी और दुर्दशा पर  भाजपा नगर मंडल मृत सा लगता है। जीवित है तो विपक्ष का दायित्व निभाता नजर आए, लेकिन लोगों ने कभी देखा नहीं। शहर जिन परेशानियों से संघर्ष कर रहा है वहां भाजपा नेता कार्यकर्ता अपने अपने कामकाज में लगे हैं। नगरपालिका के कांंग्रेस बोर्ड को ढाई साल बीत रहे हैं और इन तीस महीनों में भाजपा की ओर से तीन चार कागजी विरोध ही हुए। अगर यह संख्या गलत है तो भाजपा अपनी सही संख्या बतला सकती है। भाजपा ने नगरपालिका के अलावा विभागों पर कोई धरना प्रदर्शन किए हैं तो वे भी गिनती के हुए हैं। उनमें युवा मोर्चे को आगे रखकर जिसमें विधायक रामप्रताप कासनिया, जिला स्तरीय पदाधिकारी, नगर मंडल अध्यक्ष महामंत्री और सभी मोर्चे मिला कर संख्या एक सौ भी नहीं हुई।

यह स्थानीय संगठनात्मक मजबूती दर्शाती है। नगर मंडल कमजोर है या काम लायक नहीं है तो यह सारी जिम्मेदारी विधायक कासनिया की और जिलाध्यक्ष की बनती है। कासनिया की सहमति से नगरमंडल अध्यक्ष सुरेश मिश्रा को बनाया गया। जिला अध्यक्ष आत्मा राम तरड़ की जिम्मेदारी में कमी रही है कि उन्होंने कभी देखने की कोशिश ही नहीं की कि सूरतगढ़ में भाजपा का बेड़ा किस स्तर तक डूब गया है। आखिर क्या कारण है कि नगरपालिका की कार्यप्रणाली का भाजपा नगर मंडल विरोध नहीं करता? जब नेता पदाधिकारी निजी हित को सर्वोपरि माने तब यही हाल होता है।  भाजपा नेता इन कमजोरियों की वजह से पालिकाध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा के विरुद्ध  मुंह नहीं खोल रहा। इसके लिए सही शब्द तो भयभीत नेता बनता है। देश विदेश में हर काम में मोदी जी का डंका बजने का जयघोष करती रहने वाली भाजपा बताई गई खामियों पर मोदी का नाम लेकर ही नगरपालिका भ्रष्टाचारों पर कार्यवाही करे। भाजपा नगर मंडल की अगुवाई नहीं होने से भाजपा के पार्षद भी कुछ कर नहीं रहे। भाजपा पार्षदों को गाईड ही नहीं किया जा रहा। भाजपा नेता तो नगर की समस्याओं और पालिका में होने वाले गलत कार्यों पर उच्च अधिकारियों,सचिवों,मंत्रियों को शिकायत नहीं करते। स्थानीय उपखण्ड अधिकारी और अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ही लिखकर नहीं देते। भाजपा के ये नेता जनता की आवाज नहीं बन रहे हैं। भाजपा के नेताओं के पालिकाध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा से व्यक्ति गत संबंध बहुत अच्छे हो सकते हैं मगर पार्टी की नीति भी होती है। विधायक रामप्रताप कासनिया, पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भादु,पूर्व विधायक अशोक नागपाल जनता की समस्याओं पर चुप्प हैं। भाजपा के कुछ नेता जो विधानसभा चुनाव के लिए इधर उधर चेहरे दिखाते घूम रहे हैं वे भी शहर की समस्याओं पर मुंह छिपा रहे हैं। 


नगरपालिका अध्यक्ष और पालिका के कार्यों को गलत बताते हुए कांंग्रेस के ही पार्षदों ने दस बारह बार आवाज उठाई है जो आश्चर्य जनक लगता है। ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया जो पार्षद भी हैं ने अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा पर आरोप लगाए हैं। बसंत कुमार बोहरा ने भी विरोध में आवाज उठाई। पूर्व पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल ने भी शिकायतें की। लेकिन जो जन समस्याएं सड़कों, नालों,सफाई,  तालाब में मलबा, पार्क को कचरा वान स्टोर बनाने जैसे मामलों पर एक बार भी आवाज नहीं उठाई। परसराम भाटिया तो ब्लॉक की मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर प्रदेश कार्यालय को भेज सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं किया। पूर्व विधायक गंगाजल मील और हनुमान मील ये परेशानियां देखते रहे हैं मगर अध्यक्ष को कुछ नहीं कहते। मील ने परसराम भाटिया आदि पार्षदों को ही रोका। डूंगरराम गेदर कांंग्रेस में आने और ऊपर से राजस्थान माटी कला बोर्ड के उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद से शहर की इन समस्याओं पर चुप हैं और शहर में भी दिखाई नहीं दे रहे।

शहर की समस्याओं पर आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं की ओर से भी कार्यवाही नहीं हुई। इनकी संख्या कम है लेकिन समस्याओं पर लिखकर तो दे सकते हैं। आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के पास ऐसे कार्यकर्ता नहीं है जो सोशल मीडिया पर नगरपालिका की गलत कार्यवाहियों पर पालिकाध्यक्ष और प्रशासन की खिंचाई करते रहें। इन पार्टियों के नेता जो हैं वे भी शहर की समस्याओं को देखते रहे हैं मगर जिला कलेक्टर या मुख्यमंत्री तक शिकायत नहीं करते। 

राजनीतिक नेता कार्यकर्ताओं की अनदेखी और उदासीनता के बावजूद नगरपालिका की गलतियों और भ्रष्टाचार पर चुप तो नहीं रहा जा सकता। 

* भाजपा और कांंग्रेस के नेता कार्यकर्ताओं से समय आने पर सवाल होंगे,इनको छोड़ा नहीं जा सकता। 

** भाजपा और कांंग्रेस दोनों के ये नेता चुनाव के वक्त टिकटों की मांग करेंगे लेकिन टिकटें किसी और की होंगी।**

दि.24 जून 2022.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़.

94143 81356

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बुधवार, 22 जून 2022

नालों के अतिक्रमण सफाई वास्ते हटाए: नालों के पक्के अतिक्रमण हटाकर सफाई कब होगी.

 






* करणीदानसिंह राजपूत *


नगर पालिका की ओर से आज 22 जून के सुबह बीकानेर रोड पर पुलिस स्टेशन और डीवाईएसपी कार्यालय के पास में सड़क के दोनों ओर से गुमटियों के आगे बने नालों के अतिक्रमण हटाए।

नाले बुरी तरह से भरे हुए नजर आ रहे हैं।


नगर पालिका प्रशासन ने एक बड़े अखबार में कहा कि नालों की सफाई हुई थी। अखबार ने भी सब देखते हुए भी आंखें मीच कर यह एक दो पंक्तियां खबर में जोड़ दी।

नाले साफ होते तो अतिक्रमण आज हटाने की मजबूरी नहीं होती। पुलिस स्टेशन सिटी के आगे बहुत अधिक कीचड़ एकत्रित होता रहा कि वहां आने जाने में मुसीबत हो रही थी।


* नालों के ऊपर से जहां  पट्टियां थी वहां से तो अतिक्रमण हटाए गए लेकिन जहां आरसीसी सीमेंट कंक्रीट के पक्के निर्माण हैं उन पर नगर पालिका की लापरवाही कायम है।

बीकानेर रोड मुख्य बाजार, रेलवे रोड,महाराणा प्रताप चौक, भगत सिंह चौक,छवि सिनेमा रोड, सुभाष चौक,पुराना बस स्टैंड आदि स्थानों पर नालों पर बने पक्के निर्माण नगरपालिका तोड़ कर सफाई नहीं कर रही है। 

अतिक्रमण हटाए बिना नालों की सफाई नहीं हो सकती।  नगर पालिका को ये पक्के निर्माण भी तुड़वा कर नालों की सफाई तुरंत करवानी चाहिए। मानसून की पूर्व बरसात में ही सूरतगढ़ को लबालब कर दिया।

नाले साफ ना होने के कारण घंटों तक पानी भरा रहा व लोग परेशान रहे। 

नालों के अतिक्रमण हटाया जाए नालों की गाद निकाली जाए तब जाकर पानी का बहाव होगा। नगर पालिका प्रशासन जानबूझकर बड़े लोगों को बड़े लोगों के अतिक्रमण को बचाने में लगा हुआ है।

नगरपालिका इनकी वीडियो बनाए,दुकानों की सूची बनाए और तुड़वाने का मलबा उठाने का खर्च वसूल करे। 

फोटो: सुभाष राजपूत.०0०

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मिशन रेल कर्मयोगी प्रशिक्षक डीआरएम बीकानेर के द्वारा सम्मानित

 

लाठियां तनी रहे सदा,कोई मुझे तो कोई उसे पट्टी पढाने लगे- कविता:करणीदानसिंह राजपूत

 




 कोई मुझे तो कोई उसे पट्टी पढ़ाने लगे,

लाठियां तनी रहे सदा, ऐसे गुर बताने लगे।

कोई इधर कोई उधर,

पट्टी पढ़ाने लगे​।

लाठियां तनी रहे सदा,

 ऐसा गुर बताने लगे।

मित्रता का सिलसिला,

चल रहा था

सैकड़ों सालों से,

वह खत्म हो गया पल में,

 पट्टी पढ़ाने वालोंसे।

कैसी थी मित्रता और कैसा था व्यवहार,

 सब चौपट हो गया,

 और अभी आगे क्या होगा,

 बुरा हाल मेरा और उसका?

मेरा खेत उसका खेत, लताओं की तरह,

लिपटें हैं पास पास।

 एक दूजे का खेत खोदते,

 एक दूजे का खेत बोते।

फसलें लहलहाती,

निहाल होते,

 हंसते-गाते त्यौंहार मनाते।

अनूठा प्रेम बंधन,

वर्षो का सिलसिला था।

 किसी ने एक दूजे को,

 पराया नहीं माना।

 अपना ही माना,

अपना ही जाना।

मेरा खेत उसका खेत,

लताओं की तरह लिपटे हैं,

पास-पास।

हर बार की तरह,

 इस बार भी बीजे थे,एक दूजे के खेत।

फसलें लोगों ने देखी,

सब ने सराहा,

राष्ट्र के उत्पादन की,

 फसल आई।

हम हर्षित हो गए,

एक कदम विकास का और आगे,

कहते हुए प्रशासन ने भी पीठ थपथपाई।

हमारे खेत,

हमारी फसलें,

देखने लोग आने लगे।

चर्चाएं आम होने लगी।

काम हो तो ऐसा हो,

 साथ हो तो ऐसा हो।

 रेडियो और टीवी भी,

सुनाने दिखाने लगे।

अनूठी मिसाल।

अखबार भी नए नए रूप में,

दोहराने लगे।

मेरा खेत उसका खेत,

लताओं की तरह लिपटे हैं,

पास पास।

लेकिन,

 यह अचानक कैसा बदलाव आया,

 इस बार की फसलें न घरों में,

और न मंडी में ले जा पाए।

मैंने उसका खेत,

और उसने मेरा खेत,

 जला डाला।

 घरों को भी राख में बदल डाला।

यह कई सालों की दोस्ती में,

 कैसा परिवर्तन आया?

 लाठियां चलीं सिर फूटे,

अस्पताल थाने कचहरी पहुंचे।

 सालों की दोस्ती में,

 दुश्मनी छा गई।

दोनों ओर जुट गए थे लोग,

एक दूजे का सर झुकवाने को,

जो पहले मित्रता की बड़ाई करते थे,

अब दुश्मनी के,

 नए-नए पैंतरे सिखाने लगे।

 समय कितना बदल गया?

एक दूजे का हालचाल,

जाने बिना,

हम दोनों रोटी,

नहीं खाते थे।

अब एक दूजे को,

 बददुआओं के संदेसे,

 भिजवाने लगे।

पड़ोस के लोग,

बन गए  डाकिये।

जो कभी दोनों के,

 खैरख्वाह थे।

शुभचिंतक थे।

 कितना बदलाव आ गया।

कोई मुझे,

 कोई उसे,

पट्टी पढाने लगे।

लाठियां तनी रहे सदा,

 ऐसा गुर बताने लगे।

मेरा खेत उसका खेत,

लताओं की तरह,

 लिपटे हैं पास पास।

हमारे खेत लहराते,

 फसलें होती।

 न मैं कर्जदार था,

न वह कर्जदार था।

अब खेत और घर,

 स्वाहा हो गए।

अब कर्जदार मैं हो गया,

और कर्ज़दार वह भी हो गया।

 यह कर्जा न खेतों का है,

 न घरों का है।

 दोनों डूबते जा रहे हैं,

थाना कचहरी के खर्चों में।

मेरा खेत उसका खेत,

लताओं की तरह लिपटें हैं,

 पास पास।

 हरियाले फूलों वाले खेत,

 राख में बदल काले हो गए।

यह सपना नहीं सच है।

यह कल्पना नहीं सच है।

एक का मुंह पूरब की ओर,

दूसरे का मुंह पश्चिम की ओर है।

लोग आते हैं,

पीठ थपथपाते हैं,

दुश्मनी भी हो तो ऐसी हो,

 नए पैदा होने वाले के,

 हाथ में भी खंजर हो।

मेरा खेत उसका खेत,

 लताओं की तरह लिपटें हैं

 पास पास।

अनूठे खेतों की कहानी,

नए रूप में उठी,

रेडियो टीवी अखबार,

कारण बताने लगे।

समय बीता और बदले लोग,

उसे और मुझे समझाने लगे।

उसकी बुद्धि और मेरी बुद्धि पर,

कोई तीसरा ही छा गया था।

वह तीसरा दूर बैठा,

आग लगा रहा था।

मामूली मामूली बातों से,

हमको भड़का रहा था।

मैं भी अनजान और,

वह भी अनजान,

उलाहनों में खो गए थे।

मामूली मामूली बातों से,

युद्ध और लड़ाईयां हुई,

वही इतिहास मेरे,

और उसके बीच,

 दोहरा रहा था।

तेरी भैंस मेरा बूटा चर गई,

तेरी गाय मेरी ढाणी में

 गोबर कर गई।

तेरे छोरे ने गाली दी,

मेरे छोरे ने कान उमेठा,

चपत लगाई।

सालों से होती थी यह बातें,

और इन बातों पर,

 हंसी के फव्वारे फूटते थे।

ना कोई झगड़ा था,

ना कोई रगड़ा था,

लेकिन उस दूर बैठे​,

तीसरे को यह,

रास नहीं आ रहा था।

उसने लड़ाया।

बड़ी-बड़ी नहीं,

छोटी-छोटी

मामूली बातों में,

हम उलझ गये।

काश ! हम दोनों,

उसकी हरकतों को,

चालों को, समझ पाते।

एक दूजे के खेतों को,

 यूं आग न लगाते।

वह दूर बैठा तीसरा,

उसे और मुझे ही नहीं,

औरों को भी यूं ही लड़ा रहा है।

 कहीं दंगे और कहीं फसाद,

 करा रहा है।

अरे,

हम समझ गए,

उस तीसरे की चालों को।

समय आ गया है,

और लोगों को भी,

समझा दें।

उस तीसरे की चालों से।

अरे,

रेडियो टीवी अखबार वालों,

देरी न करो जल्दी पहुंचों।

कोई और खेत कहीं,

स्वाहा न हो जाए।

मेरे देश को जलने से बचा लो।

 हमारे खेतों को जलने से बचा लो।

हमारी मित्रता और,

 दोस्ती को बचा लो।

मेरे राष्ट्र को बचा लो।

मेरे राष्ट्र को बचा लो।

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28 जनवरी 2018.

अपडेट 22 जून 2022.

यह कविता लगभग 2001 के करीब रची गई थी और आकाशवाणी सूरतगढ़ केंद्र से प्रसारित हुई थी।

इस कविता में यह संदेश दिया गया है की कोई दूर बैठा तीसरा लड़ा रहा है।।

यही स्थिति देश के भीतर भी है।

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करणीदान सिंह राजपूत, 

 राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार,!

 सूरतगढ़। राजस्थान

भारत

संपर्क  94143 81356.

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ईश्वर अल्लाह को क्यों बांटे हैंःकविता- करणीदान सिंह राजपूत

तुम्हें समझाते सदियां बीती,

भरे पड़े इतिहास। 

क्यों लड़ते रहते हो?

क्यों झगड़ा करते हो?

सब कुछ यहीं रह जायेगा। 

काया का चोला भी, 

नहीं रहेगा साथ।

अब जिन से लड़ते हो,

अगले जन्म में वहां, 

पैदा हो सकते हो।

 जीवन मरण का खेल है,

उस ईश्वर अल्लाह के हाथ।

स्वर्ग की अभिलाषा तुम्हारी,

 उनकी जन्नत की तैयारी।

 इतना तो बतला दो, 

दुनिया को।

यह एक है या अनेक? 

तुम प्रवेश पा लोगे,

वहां दूजा घुस नहीं पाएगा।

 न यह है विश्वास,

न यह निश्चित है।

इस अनिश्चय के भंवर में, 

क्यों करते हो विषपान।

स्वर्ग और जन्नत के भ्रम में,

क्यों करते हो यह जीवन बरबाद? 

धर्म के नाम पर सुंदर जीवन को छोड़, 

क्यों मौत से मिल हो?

दंड दूजों को मिले या ना मिले,

तुमने तो नर्क दोजख  के,

 द्वार खोले हैं।

 इस लोक का अभिमान,

 यहीं धरा रह जाएगा।

 आये खाली,

 हाथ भरे नहीं जा पाओगे।

 ईश्वर अल्लाह,

 क्या अलग-अलग हैं?

 यह भी तो समझा दो।

यह सब के सांझे हैं,

फिर तुमने क्यों बांटे हैं?

धरती आकाश समुंदर,

सूरज चांद और तारे,

 सब सांझे हैं,

फिर ईश्वर अल्लाह को,

तुमने क्यों बांटे हैं ?

क्यों लड़ते रहते हो, 

क्यों झगड़ा करते हो?

क्यों लड़ते रहते हो,

क्यों झगड़ा करते हो?

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22 मार्च 2017
अपडेट 22 जून 2022.

यह रचना करीब 15 -16 साल पूर्व लिखी गई थी । उस समय आकाशवाणी से भी प्रसारित हुई थी।

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 करणी दान सिंह राजपूत,

 राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार,

 सूरतगढ़, राजस्थान ।

संपर्क.  94143 81356.

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मंगलवार, 21 जून 2022

हजारों भूखंडों पर निरस्त होने की तलवार: निर्माण करालेने की चेतावनी जारी

 

 * करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 21 जून 2022

भूखंड खरीदना और समय में निर्माण नहीं करना, आगे और अधिक रकम पर बेचने की आशा वाले व्यापारी दिमाग वाले लोगों ने अब भी अपने भूखंडों पर निर्माण नहीं करवाए तो वे भूखंड निरस्त होंगे। 

नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी ने आज 21 जून 2022 को यह सूचना जारी की है। बड़े प्रभावशाली धनपति आदि सूचनाओं को अनदेखी करते रहे हैं। खाली पड़े भूखंडों के कारण नगरीय योजना का विकास नहीं हो पाता और वह इलाका विकसित नहीं हो पाता। नगरपालिका क्षेत्र में गंदगी बीमारियां फैलती है। खाली पड़े भूखंडों में बरसात का पानी भर जाने से आसपास के मकानों में सीलन पहुचती है। उनमें झाड़ झंखाड़ उग जाते हैं।

नगरपालिका ने चेतावनी नीलामी भूखंडों पर जारी की है। कॉलोनियां और आवासीय भूखंडों का निर्माण भी निश्चित अवधि में करना होता है। सूरतगढ़ में ऐसे भूखंड भी हजारों की संख्या में खाली पड़े हैं। 

सूरतगढ़ नगरपालिका प्रशासन जयपुर के आदेश 17-9-2021 के 9 महीने बाद जागा है।

* नगरपालिका की चेतावनी *

नगरीय विकास एवं आवासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना क्रमांक एफ.17(22)/यूडीएच/रूल्स/2020 जयपुर दिनांक 17.09.2021 के अनुसार नगरीय भूमि निस्तारण नियम, 1974 के नियम 14-ए के अन्तर्गत नीलामी के जरिये विक्रय किये गये भूखण्डों पर भूखण्डधारियों द्वारा निर्माण किया जाना आवश्यक है व भूखण्डधारियों द्वारा भूखण्डों पर निर्धारित समयावधि में निर्माण नहीं किया जाता है तो भूखण्डों का आवंटन स्वतः निरस्त का प्रावधान दिया गया है।

सर्व साधारण को सूचित किया जाता है कि नीलामी के जरिये खरीदशुदा भूखण्डों पर निर्धारित समयावधि में निर्माण किया जाना सुनिश्चित करें अन्यथा उक्त नियमानुसार निर्धारित समयावधि में निर्माण नहीं किये जाने पर भूखण्ड के निरस्तीकरण की कार्यवाही संपादित की जावेगी। 


अधिशाषी अधिकारी

नगरपालिका सूरतगढ़।

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