रविवार, 26 जून 2022

आपातकाल लोकतंत्र रक्षकों का सम्मान हो,मोदी जी लोकसभा भाषण को सत्य करें.

 



* करणीदानसिंह राजपूत *


बड़े उद्योगपतियों के हजारों करोड़ के कर्ज माफ कर दिए,हजारों करोड़ बट्टे खाते में और उन्हीं को हजारों करोड़ का कर्ज और दे दिया। मगर आपातकाल लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान और सुविधाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी गृहमंत्री अमित शाह जी और भाजपा के राष्ट्रीय नेता जगत प्रकाश नड्डा जी का दीर्घ कालीन मौन है। प्रधानमंत्री जो बोले कहे वह लोहे पर लकीर होती है। उसे कांटा छांटा नहीं जा सकता। 


👍 प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी ने लोकसभा में कहा था कि आपातकाल में जिन लोगों ने कुर्बानियां दी उनके कारण आज हम यहां मौजूद हैं। उन लोगों ने आपातकाल में लोकतंत्र को बचाया संविधान की रक्षा की उन कुर्बानियां देने वालों का सम्मान किया जाना चाहिए।"

लोकसभा में प्रधानमंत्री का दिया यह वक्तव्य सरकारी रिकॉर्ड में मौजूद है और इस वक्तव्य को लेकर मैंने पत्र भी लिखे थे।

 प्रधानमंत्री जब कह देते हैं कि सम्मान किया जाना चाहिए तो वह सम्मान कौन करेगा? भारत की सरकार ही वह सम्मान करे लेकिन इस वक्तव्य के पांच छह साल बीत जाने के बावजूद लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान सुविधा पेंशन आदि दो दूर रहे इस बाबत लिखे गए हजारों पत्रों का कोई उत्तर प्रधानमंत्री जी ने नहीं दिया।यह आश्चर्य जनक और पीड़ा जनक भी है, मानसिक संताप भी पैदा करता है। गृहमंत्री अमित शाह और सबसे बड़ी सत्ताधारी पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश जी नड्डा की ओर से भी कोई उत्तर नहीं दिया गया। देश के लोकतंत्र इतिहास में यह मामूली बात नहीं कही जा सकती। 


 माननीय सत्ताधारियों से एक आग्रह है की ईश्वर हर कालखंड का निर्माता है और उसके लिखे को कोई टाल नहीं सकता। हो सकता है कि हम सालों से जो पीड़ाएं भोग रहे हैं वह हमारे कर्मों का फल हो लेकिन कालका चक्र घूमता रहता है,वह स्थिर नहीं रहता जो आज है वह कल भी रहेगा यह निश्चित रूप से कोई नहीं कह सकता। समय एकदम से भी पलटा मार सकता है। भगवान श्री रामचंद्र का राजतिलक का मुहूर्त मुनि वशिष्ठ ने निकाला लेकिन ऐन वक्त पर सब कुछ बदल गया। राम को वनवास मिला। कहा गया कि विधि के विधान को कोई टाल नहीं सकता। 


आज देश के हजारों आपातकालीन लोकतंत्र सेनानी प्रधानमंत्री मोदी जी की ओर देख रहे हैं।  आप की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं।

आपने पत्रों के उत्तर नहीं दिए लेकिन आपने जो लोकसभा में भाषण दिया,वह भाषण एक एक शब्द देश को बताएं  कि वह भाषण आखिर क्यों दिया था ? उस भाषण देने का कोई तो उद्देश्य था?  उस दिन आपके मन में जो था उसे सच्चे रूप से बताएं और उद्घाटित करें! 

आपने जब कहा कि आपातकाल में कुर्बानियां देने वालों का सम्मान किया जाना चाहिए तो वह सम्मान कौन करेगा? यह भी आपने सोचा होगा? वह सम्मान कोई दूसरा देश नहीं करेगा और ना कोई उद्योगपति करेगा? वह सम्मान भारत सरकार को ही करना होगा। इसमें जितनी देरी हो रही है वह बहुत पीड़ा जनक है।


* कालचक्र के हिसाब से आग्रह कर रहा हूं सन् 2024 में आप फिर से सत्ता प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हैं और यह पुनःसत्ता देश के हजारों लोकतंत्र सेनानियों की दुआओं पर भी निर्भर करती है। उनके परिवारों की दुआओं पर निर्भर करती है। दिवंगत लोकतंत्र सेनानियों की विधवाओं की दुआओं पर निर्भर करती है।

आपसे आग्रह है कि 2024 लोकसभा आम चुनाव के आने से पहले, सन् 2023 से भी पहले आप लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान की घोषणा अपने श्री मुख से कर दें। आपके सत्ता काल में हो सकता है कि सन् 2022 ही शुभ अवसर हो जिसमें सभी की दुआओं का असर हो।

आपके भाषण का एक एक शब्द सच्चा प्रमाणित हो इसके लिए समय की प्रतीक्षा नहीं करना ही उचित है। 

* काल चक्र की हर संभावनाओं को सोचकर यह लेख पत्र आज  ही लिखा है और आपको यह मेल से कुछ क्षण में प्राप्त भी हो जाएगा।*


दि. 26 जून 2022.(आपातकाल दिवस बरसी.ऐसा दिवस फिर न आए.)


करणीदानसिंह राजपूत,

(77 वर्ष)

पत्रकार

* पत्रकारिता में आपातकाल जेलबंदी)

सूरतगढ़ ( राजस्थान)

94143 81356.

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