मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

भतीजी से दुष्कर्म में फंसा भाजपा नेता


सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ तस्वीर आई सामने

पीड़िता के परिजनों ने छतरपुर के नौगांव थाने में बीजेपी नेता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। केस दर्ज होने के बाद से ही संतोष पराशर फरार है। आरोपी ने पीड़िता को जान से मारने की धमकी दी है।


जनसत्ता ऑनलाइनFebruary 27, 2018 

मध्य प्रदेश में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। छतरपुर में एक भाजपा नेता पर भतीजी से दुष्कर्म का संगीन आरोप लगा है। मामला दर्ज होने के बाद से ही वह फरार है। आरोपी की पहचान संतोष पराशर के तौर पर की गई है। वह भाजपा के जिला खेल प्रकोष्ठ का संयोजक है और उसकी पत्नी पंचायत सदस्य हैं। पीड़िता ने कहा, ‘संतोष चाचा (संतोष पराशर) ने मुझे रात में फोन करके बुलाया था। उन्होंने मुझे बताया था कि मेरे पापा ने बुलाया है। इस पर मैं उनके साथ चली गई थी। गाड़ी में पहुंचने के बाद मैंने उनसे पूछा मेरे पापा तो यहां हैं ही नहीं। इस पर उन्होंने मुझे गाड़ी में धक्का दिया और ड्राइवर तेज रफ्तार से गाड़ी भगाने लगा। कुछ दूर जाने के बाद ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी और वहां से निकल गया। इसके बाद उन्होंने मेरे साथ गलत काम किया।’ पीड़िता के मामा ने बताया कि वह छतरपुर में रह कर आईटीआई की पढ़ाई करती है। संतोष ने उसे पापा के बहाने बुलाया था। उन्होंने बताया कि पीड़िता को उसके पापा बाद में घर ले गए थे, जहां उसने फांसी लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। मां द्वारा पूछे जाने पर उसने घटना के बारे में जानकारी दी थी।


जान से मारने की दी थी धमकी:

 पीड़िता ने बताया कि आरोपी भाजपा नेता संतोष पराशर ने घटना के बारे में किसी को भी जानकारी देने पर परिवार समेत जान से मारने की धमकी दी थी। इस वजह से उसने जान देने की कोशिश की थी। इसके बाद पीड़ित पक्ष ने स्थानीय नौगांव थाने में आरोपी के खिलाफ शिकायत दी थी। पुलिस द्वारा मामला दर्ज करने के बाद से ही संतोष फरार है। 

( साभार)

शव पर सुरक्षा लेप यानी एम्बाममेंट या एम्बामिंग क्या है?

इसमें क्या किया जाता है और ये क्यों ज़रूरी है यानी अगर लेप न किया जाए तो शव के साथ क्या दिक्कतें हो सकती हैं?


एम्बामिंग क्या है?



एम्बामिंग या शव-लेपन वो प्रक्रिया है, जो मौत के बाद शव को सुरक्षित रखने के लिए ज़रूरी होती है. इंसान हज़ारों साल से शव को बचाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाता आया है और इसमें रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है.


दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स के फ़ॉरेंसिक चीफ़ डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने बीबीसी को बताया कि एम्बामिंग इसलिए की जाती है ताकि शव को सुरक्षित किया जा सके. उसमें कोई इंफ़ेक्शन न आए, बदबू न आए और उसे एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाया जा सके.


लेकिन एम्बामिंग कैसे की जाती है और इसमें क्या किया जाता है? 

 ''कुछ केमिकल इस्तेमाल करते हैं, कुछ अल्कोहल. कुछ मामलों में आर्सेनिक और फ़ॉर्मलडिहाइड. ये सभी वो रसायन हैं, जिनकी मदद से शव को सड़ने से बचा सकते हैं.''

''इन रसायनों का इस्तेमाल करने से शव सड़ता नहीं है साथ ही ये ट्रांसपोर्ट के लिए सुरक्षित भी हो जाता है.''


कितने दिन तक सुरक्षित रहता है शव?


यह इस बात पर निर्भर करता है कि शव पर किस रसायन का कितनी मात्रा में इस्तेमाल किया गया है. आम तौर पर जो तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं, उनकी मदद से शव को तीन दिन से लेकर तीन महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है.''


एम्बामिंग न की जाए तो क्या होता है? 


शव दूसरे लोगों के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है. मृत्यु के बाद शव को संरक्षित ना किया जाए तो वो नुकसान दे सकता है.''

''शव से अलग-अलग तरह की गैसें निकलती हैं, बैक्टीरिया का संक्रमण होता है. शव से मीथेन और हाइड्रोजन सल्फ़ाइड जैसी गैस निकलती हैं जो विषैली और बदबू दार होती जिनकी वजह से बैक्टीरिया निकलते हैं, जो दूसरे लोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.''


क्या शव नुकसानदायक है?



हर बार जब शव को एक से दूसरी जगह ले जाया जाता है, तो एम्बामिंग ज़रूरी होती है। यहां तक कि जब कभी शव को ट्रांसपोर्ट किया जाता है, तो लिखा भी जाता है कि शव की एम्बामिंग हो चुकी है और इसे केमिकल से ट्रीट भी किया गया है.''

''और ये भी लिखा जाता है कि इससे कोई बदबू नहीं आएगी, किसी को नुकसान नहीं होगा और इसे सुरक्षित तरीके से ले जाया जा सकता है.''

 आम तौर पर एम्बामिंग के दो तरीके होते हैं, जिन्हें आर्टेरियल और कैविटी कहा जाता है.

आर्टेरियल प्रक्रिया में ख़ून की जगह शरीर में एम्बामिंग फ़्लूड भरा जाता है, जबकि कैविटी एम्बामिंग में पेट और छाती को खाली कर उसमें ये भरा जाता है.


शव को मसाज क्यों किया जाता है?


एम्बामिंग से पहले शव को डिसइंफ़ेक्टेंट सॉल्यूशन से नहलाया जाता है और शरीर को मसाज भी किया जाता है क्योंकि मौत के बाद मांसपेशियां और जोड़ काफ़ी सख़्त हो जाते हैं. इसके अलावा शव की आंखें और मुंह बंद कर दिया जाता है.


आर्टेरियल एम्बामिंग के मामले में धमनियों के ज़रिए शरीर का रक्त निकाल लिया जाता है और उसकी जगह उन्हीं के रास्ते एम्बामिंग फ़्लूड डाल दिया जाता है. एम्बामिंग सॉल्यूशन में फ़ॉर्मलडिहाइड, ग्लूटरल्डेहाइड, मेथेनॉल, इथेनॉल, फ़ेनोल और पानी शामिल होते हैं.


कैविटी एम्बामिंग के मामले में एक छोटा सा छेद करके छाती और पेट से प्राकृतिक फ़्लूड निकाल लिए जाते हैं और उसकी जगह एम्बामिंग सॉल्यूशन डालकर वो छेद बंद कर दिया जाता है.


एम्बामिंग के बाद क्या?


एम्बामिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद शव को कॉस्मेटिक आधार पर तैयार किया जाता है ताकि लोग उसके अंतिम दर्शन कर सकें. इसमें एक बार फिर शव को नहलाया जाता है, कपड़े पहनाए जाते हैं, बाल ठीक किए जाते हैं और मेकअप भी किया जाता है.


एम्बामिंग की प्रक्रिया शुरू करने से पहले आंखें बंद की जाती हैं, कई बार स्किन ग्लू या प्लास्टिक से बनी आई-कैप लगाई जाती हैं जो आंखों पर लगाई जाती हैं ताकि उनके बाहरी हिस्से को सुरक्षित रखा जा सके.


मुंह बंद कर दिया जाता है और निचला जबड़ा भी संभाला जाता है. इसके लिए सिलाई तक की जाती है.


ये प्रक्रिया टैक्सीडर्मी से अलग है. इसमें मानव शव को सुरक्षित रखा जाता है, जबकि टैक्सीडर्मी में किसी जानवर का शव लिया जाता है, उसे भीतर से खाली किया जाता है और फिर इसमें दूसरी सामग्री भरकर असली रूप देने की कोशिश की जाती है.



सोमवार, 26 फ़रवरी 2018

सूरतगढ़ में वेश्यावृत्ति अड्डे पर 2 औरतें 2 आदमी गिरफ्तार



राजो देवी उर्फ चांदनी वार्ड 1 नया हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में चला रही थी वेश्यावृति का अड्डा।

प्रशिक्षु एएसपी IPS मृदुल कच्छावा ने की कार्रवाई। सभी को पीटा एक्ट में गिरफ्तार किया गया।मृदुल कच्छावा ने बताया कि वेश्यावृत्ति का यह अड्डा कस्बे के वार्ड नंबर 1 के राजो देवी उर्फ चांदनी  के मकान में संचालित किया जा रहा था।  पुलिस ने बताया कि राजो देवी उर्फ चांदनी बाहर से लड़कियां  व औरतें  बुलाकर कमीशन पर वेश्यावृति करवाती थी। पुलिस ने अपने स्तर पर  रैकी की और इसके बाद पुलिस ने एक पुलिसकर्मी को बोगस ग्राहक बनाकर अडडे पर भेजा। बाद में इशारा मिलने पर पुलिस की टीम ने  अड्डे पर दबिश दी तो  राजोदेवी उर्फ चांदनी निवासी वार्ड नं 1 सूरतगढ़, रेशमा निवासी घड़साना वार्ड नं 14, अख्तर निवासी ठुकराना हाल वार्ड नं 1 सूरतगढ़, रमजान वार्ड नं 1सूरतगढ़ आपत्तिजनक अवस्था में मिले। पुलिस ने चारों को पीटा एक्ट में गिरफ्तार कर लिया 



%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%







रविवार, 25 फ़रवरी 2018

कट्टर हिंदुत्व पर क्या बोला आर एस एस प्रमुख ने

मेरठ में रविवार 25-2-2018 को आरएसएस के राष्ट्रोदय कार्यक्रम में आरएसएस सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि  संपूर्ण समाज को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ना पड़ेगा, तभी समाज का उत्थान हो पाएगा। पूरी दुनिया को समय-समय पर धर्म देने वाला हमारा देश है। हम हिन्दू हैं इसलिए हम एक हैं। दुनिया मानती है कि एक होने के लिए एक सा होना पड़ेगा। 

उन्होंने कहा कि कट्टर हिन्दुत्व का अर्थ कट्टर सत्य निष्ठा और कट्टर अहिंसा का पालन करने वाला कट्टरता उदारता के लिए है।  हमारे देश के पूजा करने वाले लोग और पूजा नहीं करने वाले लोग, कई भाषाओं को बोलने वाले लोग और हजारों जातियों में खुद को गिनने वाले लोगों का एक ही धर्म है।

उन्होंने कहा कि हमारा देश एक है, क्योंकि हमारे यहां वसुधैव कुटुम्बकम के मंत्र पर लोग चलते हैं। हम हिन्दू कट्टर होंगे तो अधिक विविधताओं को समाहित करेंगे। भारतीय माता को अपनी माता मानने वाला हिन्दू है। हमारे देश में हिन्दू लोग हैं लेकिन वो जानते नहीं कि वो हिन्दू हैं। स्वयंसेवक 1 लाख 70 हजार से ज्यादा सेवा कार्य कर रहे हैं। जब कभी देश पर संकट आता है तो स्वयंसेवक वहां पहुंचते हैं और प्राणों की चिंता किए बगैर राष्ट्र के लिए अपना जीवन दांव पर लगा देते हैं। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम शक्ति प्रदर्शन करने के लिए नहीं करते, क्योंकि शक्ति होती है तो उसे दिखाने की जरूरत नहीं होती। इससे पहले जैन मुनि विहर्ष सागर जी महाराज ने कहा कि देश और धर्म के रथ को अब युवा खींचेंगे। इस देश, समाज को युवाओं की जरूरत है। उन्होंने कहा कि तीन बार पाकिस्तान से युद्ध हुआ, तब हमारे संघ स्वयंसेवक डटे रहे।




 

होळी री मसखरी 2018: हंसो हंसाओ: खेलो रंग गुलालः


होली: हंसी मजाक चुटकियों से भरी ठिठोली

बुरा ना मानो होली है

================

नरेन्द्र भाई- बिना भाभी

वसुंधरी- सदा धुलंडी खेल्योड़ी

भाजपा - भागै पाछै नीं देखे

कांग्रेस- फूट्यौड़ो घड़ो आवती सत्ता कुण सामसी

बसपा- लारली बात कोनी-अंजन सपीड कोनी पकड़



 

 राजेन्द्र भादू -मुस्कुराते मारै

अमित भादू - बाप सूं दो कदम आगै

महेश सेखसरिया-  आपां बैठ्या पूजीजां

हरचंदसिंह सिद्धु-टिकस री जुगाड़

गंगाजल मील - फाट्योड़ो ढब्बू कीयां फूल सी

डूंगर राम गेदर - अबकै कीं बटण री आस में 

पृथ्वीराज मील -आ रिपियां री कांई मजाक  

 बलराम वर्मा-टिकट आपणी पक्की समझो, समझ गया

शोपत मेघवाल- सरकार क तगड़ो डोको

राकेश-कांग्रेस रो छल कपट


रामप्रताप कासनियां- पक्का लड़स्यां,हुक्के री गुड़गुड़ सूं

अशोक नागपाल -  पंप मांय पड़्या है वोट   

काजल छाबड़ा- मुड़दे शहर री मजेदार अध्यक्षता

सुनील छाबड़ा -   आपणो राज

श्रीमती राजेश सिडाना - ताबै कोनी आवै 

श्रीमती रजनी मोदी -  हुण चंगी हां

हरबक्सकौर बराड़-  नेतागिरी आपणी

लालचंद सांखला -अब करणपुर रो लालो

मुरली पारीक -नांव रो नेता

प्रेमप्रकाश राठौड़- पुतला बाल नेता     

गौरव बलाना- कासनिये रो लाऊडस्पीकर      

बाबूसिंह खीची-   ठेकेदार      

अशोक आसेरी -   कठै रैवे भाईड़ा

विजय गोयल-लुप्त

राजेन्द्र तनेजा-आजकाल कठै,निजरां कोनीआवै

पीताम्बरदत्त शर्मा-कीं कोनी,पण लड़स्यू

शरणपालसिंह-आपा नूं ठगी जांदे

परमजीतसिंह बेदी-विधायकी में लड़ांगै     

एन.डी.सेतिया -  अब पालिका का स्पीकर  

विष्णु शर्मा - पेट संभाल

श्याम मोदी-ओ विधायक तो जमा काम रो नहीं

परसराम भाटिया-टूल

गुरदर्शनसिंह सोढ़ी -जियां गंगलो कैवे,बीं रे सागै   

वली मोहम्मद -  दारू री धार         

इकबाल कुरैशी-  पालिका रा पुरखा

बनवारीलाल  मेघवाल-चुनाव री तैयारी

संजय धुआ-कित्थे चले गये

पी.के.मिश्रा-  साई किल समेत भाजपा में 

लक्ष्मण शर्मा-रेल में पेल

मदन औझा-लाल सलाम

महावीर भोजक-     भासणी नेतो

ओम पुरोहित-करसाणा रो नेतो

प्रवीण अरोड़ा-कनपटी सफेद,बुजुर्ग हुवे

राजकुमार अग्रवाल-मसालेदार 

सुशील जेतली-   अब कहीं फिट करलो     

महावीर सैनी-दौड़ भाईड़ा,दौड़

चांदमल वर्मा-उम्मीदां पर खरो

सीता शर्मा-सूरतगढ़ री अजब रामलीला,

अजय गोदारा-सूको कोई नीं जावै

निकेत पारीक- ठीक ठाक चालै

प्रवीण भाटिया- राजनीति रा सपना,

घनश्याम शर्मा-निजरां रो खिलाड़ी

सुखवंत-सगला साथी

रवि खुराना-सब ठीक ठाक

बीरबल सैनी-बाईपास

साहित्यकार

मनोज स्वामी-कीं हंसले

हरिमोहन रूंख -बीण बजावण मांय माहिर

परमानन्द दर्द,-अब कोई नहीं दर्द

राजेश चड्ढा - मस्ती री जुगलबंदी

रामेश्वर दयाल तिवाड़ी-मेरी किताब

नन्दकिशोर सोमाणी-टैम सर छाप लै

साहबराम स्वामी- आच्छी करै मजाक

नगेन्द्र सिंह शेखावत-थारी सोगन

खबरां रा धणी

करणीदानसिंह राजपूत-तीखी मार

हरिमोहन सारस्वत-      एकलो खिलाड़ी

जितेन्द्र - पुठो आयो जीत

हनुमंत-ओ भी हड़मान

ब्रह्मप्रकाश-दादै री बात

मनोज स्वामी-टीपलै भाईड़ा

मालचंद जैन -बिना कलम रो पत्रकार

राजेन्द्र पटावरी-दुकानदारी रो चैनल

विजय स्वामी- स्टोरी चालै

प्रवीण डी जैन-रामलीला री खबर

शिव सारड़ा-स्याणो पत्रकार

नवल भोजक-फोटू पत्रकार

सुभाष राजपूत-टींगरपणो

गोविंद भार्गव-आजकल खूब चालै

राजेन्द्र उपाध्याय-राजा 

प्रेमसिंह सूर्यवंशी-सगळा रो साथ

महेन्द्र जाटव-धारदार खबर

कैलाश सोनी-बहकते समाचार

सुरेन्द्र निराणियां -  दोपहर तक

कृष्ण सोनी आजाद -  एसीबी भी भ्रष्ट

सुमित्रा मांगीलाल-स्टोरी राईटर

डाक्टरां रो टोळौ

मनोज अग्रवाल -      बेहोशी री कमाई

विजय भादू- हड्डियां जोड़ 



राजेन्द्र छाबड़ा,विजय बेनीवाळ,अरविंद बंसल, संजय बजाज- एपेक्स की दुकान

के.एल.बंसल-   अच्छा काम,आच्छा नाम

पर्वतसिंह-    गळा कान 

जी.डी.शर्मा-गोड गिफ्ट

अक्षय भंसाली - सब नजरों का खेल

इन्द्र चुघ-सच्चा डागधर

राहुल छाबड़ा - बढते कदम

जे.एम.डे.  - ठीक ठाक

विशाल छाबड़ा - दांतां री किरपा

अनिल पैंसिया-  दांतों का गौरव

हरप्रीतसिंह - प्रीत की बेल

सतीष मिश्रा   - ईलाज भी, बातां भी

रतनलाल जोशी- पेट सफा चूरण

*******

बाकी रैया गेलसफा!

आगली होली मांय बियां नै भी कीं न कीं जरूर देस्यां।

**********



शनिवार, 24 फ़रवरी 2018

मोदी द्वारा पत्नी छोड़ने के आरोप वाले बयान पर हलचल

राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर सार्वजनिक मंच से बयान देकर हलचल मचा.दी है।

रघुवंश प्रसाद सिंह ने मोदी के वैवाहिक जीवन के बारे में सवाल खड़ा किया है।

रघुवंश प्रताप सिंह ने मोदी के वैवाहिक जीवन को तीन तलाक के कानून से जोड़ते हुए बयान दिया है। रघुवंश ने मुजफ्फरपुर की एक सभा में कहा कि तीन तलाक बोलकर जनानी को छोड़ने वाला कानून गलत है। उसमें हम सुधार करेंगे। यह नरेंद्र मोदी तीन तलाक के लिए कानून बनाता है और बिना तीन तलाक कानून के जनानी को छोड़ दिया, उसका क्या। 

यह सब लड़ाई है और सवाल है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि लालू यादव को बेवजह फंसाया गया है। आपको बता दे कि लालू यादव का मामला उनके वैवाहिक संबंधों से जुड़ा न होकर भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है जिसमे कानून अपना काम कर रहा है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री  मुजफ्फरपुर के बोचहा प्रखंड में 22 फरवरी 2018 को आयोजित तेजस्वी की न्याय यात्रा के दौरान मंच से बोल रहे थे। इसी दौरान रघुवंश प्रसाद सिंह ने पीएम मोदी पर निजी हमला बोलते हुए यह बातें कही। इस विवादित बयान के सामने आने के बाद राजनीति के तेज होने की संभावना जतायी जा रही है।

गौरतलब हो कि इससे पूर्व भी राजद नेता और लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव पीएम मोदी के खिलाफ विवादास्पद बयान दे चुके हैं, जिसे लेकर राजद की काफी किरकिरी हुई थी। बाद में लालू यादव ने उस बयान के लिए मीडिया में अफसोस जताया था। राजद नेताओ के यह बयान उनकी मानसिकता और बुद्धिमता को दर्शाते हैं जिसके कारण बिहार का एक पूरा परिवार भ्रष्टाचार से घिरता नज़र यरह है। मुखिया जेल में है और बाकी जांच एजेंसियों के घेरे में है।

रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि लालू यादव को फंसाया गया है और सीबीआइ अपने आका के कहने पर यही सब काम करती है। राजनीतिक लोगों और नेताओं को बदले की कार्रवाई के तहत फंसाया जाता है।


व्यवसायी ओमप्रकाश डागा सूरतगढ का जयपुर मेंं निधन

- करणीदानसिंह राजपूत -

सूरतगढ़ 24 फरवरी 2018.

सूरतगढ़ निवासी प्रसिद्ध समाचार पत्र विक्रेता रहे ओम प्रकाश जी डागा का जयपुर में आज दोपहर निधन हो गया। वे करीब 77 वर्ष के थे। उनका निवास सूरतगढ़ वार्ड नंबर 19 में है।

 सूरतगढ़ में प्रमुख अखबार राजस्थान पत्रिका के बड़े एजेंटों में उनकी गणना थी। कुछ वर्ष पहले उनके पुत्रों ने जयपुर में कंप्यूटर व्यवसाय शुरू किया तब ओमप्रकाश डागा जी भी यहां का व्यवसाय बंद कर जयपुर रहने लगे। सूरतगढ़ में उनका आना जाना और मित्रों से मिलना जानकारों से मिलना कायम रहा था। उनका अंतिम संस्कार कल 25 को जयपुर में किया जाएगा।

ओमजी डागा के बड़े भाई दिवानचंद डागा वार्ड नं 19 में ही निवास करते हैं। दिवानजी के पुत्र आनन्द डागा व विजय डागा राजस्थान पत्रिका के सूरतगढ़ में सबसे बड़े एजेंसी मालिक हैं। एक भाई गजानंद श्रीगंगानगर में व्यवसाय करते हैं।

सूरतगढ़ में डागा कुनबा काफी विस्तृत

 है। 

ओम जी डागा मेरे मित्र थे।


शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018

दुपहिया के पिछले सवार की सुरक्षा:ऐसे होंगे दुपहिया



सुप्रीम कोर्ट का मोटर साइकिल पर पीछे बैठने वालों की सुरक्षा को लेकर अहम फैसला।

मोटरसाइकल में पीछे बैठने वालों की सुरक्षा पर SC का अहम आदेश

वाहन निर्माताओं को ड्राइवर सीट के पीछे या बगल में सेफ्टी हैंडल लगवाना पड़ेगा।

पीछे के चक्के को दोनों तरफ से सेफ्टी ग्रिप से ढंकना होगा व पैर रखने के लिए उचित फुट रेस्ट लगाने होंगे।

इनके बिना बाइक का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा।








बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

सूरतगढ़ मुस्लिम वक्फ जमीन पर अतिक्रमियों को बिजली पानी देने पर बढ़ेगा विवाद


 

- करणीदानसिंहराजपूत -

सरकार की घोषणा है कि कि वक्फ जमीनों के अतिक्रमणों  हटाया जाएगा लेकिन सूरतगढ़ के अंदर वक्फ की जमीन पर अतिक्रमणकारियों को बिजली पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराए जाने की कोशिश से मुस्लिमों में भारी रोष है।

वक्फ कमेटी के संयोजक गुलाम मोहम्मद पठान के नेतृत्व में आज दिनांक 21 फरवरी 2018 को विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले मुस्लिम इकट्ठे हुए और अतिरिक्त जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन पेश किया।

कमेटी की ओर से स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि राजनीतिक कारणों से अतिक्रमियों को कई बार पहले भी लाभ देने की कोशिशें हुई है। 

प्रभावशाली लोगों ने वक्फ की जमीन पर  कब्जा कर रखा है जिसके कारण वातावरण दूषित हो रहा है।

कमेटी ने लिखा है कि सन 2001 में जमीन प्रशासन व पुलिस के नेतृत्व में खाली करवाई गई थी लेकिन प्रभावशाली लोगों ने धीरे धीरे बहुत बड़े क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।

 वक्फ कमेटी यह अतिक्रमण हटवाने के लिए और अतिक्रमणियों  को सुविधाएं नहीं देने की मांग कर रही है।

पुलिस ने कमेटी के लोगों को निर्देशित किया कि शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए मौके पर ना जाएं लेकिन 15 दिन पहले कब्जाधारियों के लिए बिजली देने के वास्ते वहां पर खंभे डाल दिए गए। पुलिस को इसकी सूचना दी गई पुलिस ने फिलहाल रोक दिया लेकिन अदालत के स्टे आदेश के बावजूद बिजली पानी देने की कोशिश से वातावरण खराब हो रहा है,अगर वहां पर जबरदस्ती से  कार्यवाही की गई तो माहौल खराब होगा और शांति व्यवस्था भी बिगड़ सकती है।


 मुस्लिमों ने लिखा है कि हम समाज के प्रबुद्ध नागरिक भी नहीं चाहते कि सूरतगढ़ में कोई घटना घटित हो इसलिए चाहते हैं कि जो लोग कब्जों को मजबूत करने के लिए मिट्टी ईंट आदि आदि डाल रहे हैं उन्हें पाबंद किया किया जाए।

आज मिलने वालों में संयोजक गुलाम मोहम्मद पठान पूर्व पालिका अध्यक्ष इकबाल कुरेशी शहर काजी सहित कई लोग शामिल थे। 

(विदित रहे कि राष्ट्रीय उच्च मार्ग नं 62 पर वक्फ की जमीन है जिसकी कीमत बहुत है। बार बार राजनीति पर और विधायक को वोट चाहिए पर बात आ रही थी।)

अतिरिक्त जिला कलेक्टर चांदमल वर्मा ने आश्वस्त किया है कि मौके को दिखाकर सही कार्यवाही की जाएगी।



आकाशवाणी महानिदेशक के नाम सौंपा ज्ञापन

सूरतगढ़ 21-2-2018.

अॉल इंडिया रेडियो कैजुअल अनाऊंसर एंड कॉम्पीयर्स यूनियन (रजिस्टर्ड) नई दिल्ली की तरफ से यूनियन के विधिक सलाहकार एडवोकेट श्रीपाल शर्मा व कैजुअल इकाई सूरतगढ़ के अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा की अगुवाई में समस्त कैजुअल अनाऊंसर/कॉम्पीयर्स ने आकाशवाणी सूरतगढ़ के कार्यक्रम प्रमुख श्रवण मीणा व कार्यक्रम अधिकारी रमेश शर्मा “बाहिया” को आकाशवाणी महानिदेशक नई दिल्ली के नाम कैजुअलकर्मियों के नियमितीकरण और फीस/ वेतन बढ़ाने के लिए आग्रह स्वरूप ज्ञापन सौंपा।

इकाई प्रवक्ता नरेश वर्मा ने बताया कि ज्ञापन में उन सभी बिन्दुओं का सिलसिलेवार विस्तृत उल्लेख है जिनके आधार पर वर्षों से लगातार कार्यरत आकाशवाणी कैजुअलकर्मी नियमितीकरण के पूर्णतः हकदार हैं।साथ में महानिदेशक से ये आग्रह भी किया गया है कि कोर्ट द्वारा यथास्थिति बनाए रखने का आदेश है इसलिए विभिन्न आकाशवाणी केन्द्रों पर रीस्क्रीनिंग व फ्रेश अॉडिशन न करवाए जाएं तथा पुराने कैजुअलकर्मियों की ड्यूटी पूर्ववत जारी रखी जाए और फीस में भी यथोचित बढ़ोतरी की जाए।

इकाई अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि यूनियन द्वारा 21 फरवरी को आकाशवाणी महानिदेशक के नाम ये ज्ञापन देशभर में लगभग सभी आकाशवाणी केन्द्रों के कार्यक्रम प्रमुख व केन्द्र निदेशकों को सौंपकर आकाशवाणी महानिदेशक से नियमितीकरण के लिए विनम्र आग्रह किया गया।

कैजुअलकर्मियों से बातचीत के दौरान कार्यक्रम प्रमुख श्री श्रवण मीणा ने कहा कि आपकी माँग तुरन्त आकाशवाणी महानिदेशक महोदय नई दिल्ली तक पहुँचा दी जाएगी।

इस अवसर पर इकाई के संगठन मन्त्री संजय बैद, सचिव श्रीपाल शर्मा,उपसचिव संजीव कालिया,कोषाध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा,प्रवक्ता नरेश वर्मा,संजय चौधरी,रोहिताश शर्मा,कुन्दन कटारिया,गुलशन मेघानी,मनोज खत्री, विकास पारीक,दुर्गाराम नायक आदि मौजूद थे।

इकाई देवेन्द्र शर्मा ने शुभकामनाओं सहित सबका आभार व्यक्त किया।



बड़ा अस्पताल- बड़ी लूट- सच्च मेंं रूह कांप जाती है

अपने परिजनों  को बचाने को अच्छे इलाज के लिए लोग आसपास के बड़े निजी अस्पताल पहुंचते हैं। वहां पर जिस प्रकार से ऊंची कीमत वसूली जाती है उसे जान लेने पर आदमी की रूह कांप जाती है।



v>
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^

आपके आसपास बड़े निजी अस्पतालों 

में भी होती लूट पर नजर रखें 

^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^

 निजी अस्पताल मरीजों से हजारों गुना ज्यादा मुनाफा कमाते हैं। यह सनसनीखेज खुलासा किया है नैशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने। एनपीपीए ने मशहूर निजी अस्पतालों के बिलों का अध्ययन किया जिससे पता चलता है कि ये निजी अस्पताल दवाओं, इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली चीजें और विभिन्न जांच के नाम पर 1737 फीसदी तक का मुनाफा कमाती है। यह तीन चीजें मरीज के बिल का करीब 46 फीसदी होती हैं। एनपीपीए ने 20-2-2018 को अध्ययन जारी किया और बताया कि यह मुनाफा दवा कंपनियों को नहीं बल्कि अस्पताल को होता है।  

एनपीपीए ने यह खुलासा किया है कि ज्यादातर दवाओं और डिस्पोजेबल चीजें अस्पताल के अंदर मौजूद फार्मेसी ( मेडिकल स्टोर ) से खरीदी जाती हैं। मरीज के पास इन्हें कहीं बाहर से खरीदने की छूट नहीं होती है, जहां यह सस्ते में मिल सकती हैं। 

एनपीपीए ने बताया है कि निजी अस्पताल अपनी खुद की फार्मेसी के लिए बहुत ज्यादा मात्रा में दवा खरीदते हैं और इन्हें बेचकर मुनाफा कमाते हैं।


यही नहीं निजी अस्पताल दवा कंपनियों पर दबाव डालकर दवा के डिब्बों में ज्यादा दाम छपवाते हैं जो बाजार मूल्य से कहीं ज्यादा होता है। और ज्यादा दाम छापने की शर्त के साथ वे दवा कंपनियों से बड़ी मात्रा में दवा खरीदते हैं।    


5.77 रुपये की सूई 106 में मिलती है!


एनपीपीए की रिपोर्ट में दिए गए कुछ उदाहरण


एनपीपीए के मुताबिक दवा कंपनियों को सामान्य मुनाफा ही होता है। इस खेल में असल फायदा निजी अस्पतालों का होता है। क्योंकि दवा के डिब्बे पर छपे कई गुना दाम का भुगतान तो मरीज की जेब से होता है और अस्पताल मालामाल होते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि अस्पताल कोई सूई अगर 5.77 रुपये में खरीदती है तो मरीज को वह 106 रुपए में बेचती है। यह सनसनीखेज खुलासे इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि कुछ दिनों पहले भी निजी अस्पतालों पर इलाज के नाम पर बेतहाशा बिल लेने के आरोप लगे थे।  एनपीपीए के अध्ययन में ऐसे कई उदाहरण दिए गए हैं जिससे पता चलता है कि निजी अस्पताल लोगों की जेब पर डाका डालते हैं। और उनपर लगाम लगाने वाली व्यवस्थाएं चुपचाप तमाशा देखती हैं


+


गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में डेंगू मरीज के बिल में प्रति सिरिंज 1200 रुपये से ज्यादा की कीमतें लिखी मिली थीं। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने भी इसकी पुष्टि की है। इसके बाद सर्जिकल आइटम्स पर एक बार फिर सरकार के नियंत्रण की मांग होने लगी है।  जब दवा बाजार में इसकी पड़ताल की गई तो हकीकत चौकाने वाली थी। जिस सिरिंज की थोक में कीमत करीब 3 रुपये है। वह प्राइवेट अस्पताल पहुंचने तक 50 रुपये की हो जाती है।

दवा विक्रेताओं का कहना है कि सिरिंज के कारोबार में सबसे ज्यादा लाभ निजी अस्पतालों को होता है। निजी अस्पताल कम मूल्य में सिरिंज खरीदते हैं, लेकिन मरीजों से एमआरपी पर पैसा वसूलते हैं। बहरहाल, एनपीपीए ने हाल ही में सिरिंज निर्माता कंपनियों के साथ एक बैठक की है। इसमें कीमतें निर्धारण के लिए सभी कंपनियों ने सहमति दे दी है।

 


इस तरह करते हैं कमाई 


जानकारों के अनुसार, 10 एमएल सिरिंज का अस्पताल 21 रुपये तक मूल्य वसूलता है, जबकि थोक में इसकी कीमत 3.25 रुपये है। पांच एमएल की सिरिंज में करीब 600 प्रतिशत की मार्जिन होता है। थोक में पांच एमएल की सिरिंज 1.51 रुपये में मिलती है, जबकि खुदरा में 10.50 रुपये में बिकती है। अस्पताल में इसके 14 रुपये तक लिए जाते हैं। तीन एमएल की सिरिंज थोक में 1.25 रुपये में मिलती है, लेकिन खुदरा में 7.50 रुपये में बिकती है यानी इस पर 500 प्रतिशत की मार्जिन होती है। दो एमएल की सिरिंज थोक में 1.22 रुपये में मिलती है, जबकि खुदरा में यह 6.50 रुपये में बिकती है। अस्पताल में इसका 9.50 रुपये लिया जाता है।


+

 अस्पतालों के साथ नर्सिंग होम में बड़े पैमाने पर हो रहा खेल

फार्मूूले में बदलाव कर महंगे दामों में बेंच रहे हैं दवाएं

आठ सौ से ज्यादा दवाएं हैं मूल्य नियंत्रण के दायरे में 


 दवा कंपनी-डॉक्टर गठजोड़ के चलते मरीजों को सस्ती दवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। केंद्र सरकार ने लोगों को सस्ते रेट में दवा उपलब्ध कराने को हृदय रोग, कैंसर, मिर्गी समेत कई बीमारियों की दवाओं को ड्रग प्राइज कंट्रोल आर्डर (डीपीसीओ) में शामिल किया है। शुरूआती दौर में इससे दवा कंपनियों की मनमानी पर अंकुश तो लगा, लेकिन बाद में दवा कंपनियों ने फार्मूले में बदलाव कर नया खेल शुरू कर दिया। इस खेल में डॉक्टरों को भी शामिल किया गया, ताकि मनमाने दामों में दवाएं बेंची जा सके। 

सरकार आम लोगों के लिए दवाइयां सस्ती रखने के लिए 800 से ज्यादा दवाइयों को मूल्य नियंत्रण के दायरे में ला चुकी है। ड्रग प्राइस रेगुलेटर एनपीपीए ने दवाइयों के दाम में 4.8 फीसदी से 23.3 फीसदी तक कमी की है। इसके तहत पैरासिटामॉल, सिफोड्रोक्सिन, सेल्ब्युटामॉल व कैफेजोलिन जैसी एंटी बायोटिक्स को भी मूल्य नियंत्रण के दायरे में शामिल किया गया। इससे काफी हद तक दवा कंपनियों के मनमाने दामों पर दवा बेचने का एकाधिकार टूट गया, लेकिन यह सबकुछ ज्यादा दिन तक नहीं चल सका। दवा कंपनियों ने इस बंदिश से आजाद होने का नया तरीका ढूंढ निकाला। कंपनियों ने डीपीसीओ में शामिल दवाओं के साल्ट के साथ दवा बनाने में ऐसे साल्ट इस्तेमाल करने शुरू कर दिए जो डीपीसीओ के दायरे से बाहर हैं। इस तरह उनकी दवा मूल्य नियंत्रण दायरे से बाहर हो गई। बाजार में एक ही फार्मूले की दवाएं अलग-अलग रेट पर मौजूद हैं। खास बात यह है कि अंजान मरीज भी वहीं दवाएं खरीदते हैं जो डॉक्टर लिखते हैं। दवाओं के लिखने के पीछे बड़े पैमाने पर कमिशन का खेल होता है। इस खेल में सरकारी अस्पतालों के अलावा नर्सिंग होम के डॉक्टर बड़े पैमाने पर शामिल हैं। डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाओं को खरीदने के लिए मरीज के तीमारदार विवश हैं।

00

यह हैं दवाएं जिनमें होता है खेल

दवा        सामान्य दाम    फार्मूला बदलने पर बढ़े दाम

पैरासिटामोल    1.00 रुपये         5.00 रुपये

सिफेकज्मि        7.00 रुपये        14.00 रुपये

सेलब्युटामॉल    9.00 रुपये        55.00 रुपये

सेट्राजिन      श  0.75 पैसे        7.00 रुपये

मेट्राजिल        7.00 रुपये        38.00 रुपये

डेक्सा        20.00 रुपये    120 रुपये

00

ऐसे होता है खेल

डीपीसीओ में दर्ज दवाओं के दाम सरकार के नियंत्रण में रहते हैं। इन दवाओं के दाम बिना अनुमति नहीं बढ़ाए जा सकते। इन दवाओं को मनमाने दामों पर बेचने के लिए इनके फार्मूले में बदलाव कर नई दवा के तौर पर लांच कर दिया जाता है। सरकार का कॉबिनेशन वाली दवाओं पर नियंत्रण नहीं है। ऐसे में इस खेल को रोकने में सरकार भी नाकाम है। मसलन बुखार के लिए पैरासिटोमॉल की गोली एक रुपये में मिलती है, लेकिन इसमें एसीक्लोफिनेक का साल्ट बढ़ाकर यह गोली पांच रुपये में बेची जा रही है।

00

ब्रॉड नेम से ही लिखते हैं दवा

दवा कंपनियों के इस खेल में डॉक्टर भी शामिल हैं। सरकार द्वारा डॉक्टरों को फार्मूले के नाम से दवा लिखने को कहा गया है लेकिन डाक्टर ऐसा न करके ब्रॉडनेम से ही दवा लिखते हैं। दवा विक्रेता मनीष अग्रवाल बताते हैं कि मरीज भी वे ही दवाएं लेने की बात करते हैं जो पर्चे में लिखी है। यदि उन्हें उसी साल्ट की सस्ती दवा देने का प्रयास किया जाता है तो वह लेने से ही इंकार कर देते हैं।

00

सरकारी डॉक्टर भी शामिल हैं गठजोड़

सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों को बाहरी दवाएं लिखने पर रोक लगी है। अब जब डाक्टर बाहरी दवाएं नहीं लिख सकते हैं तो उनके पास मेडिकल रिप्रजेंटेटिव का क्या काम। लेकिन जिले के सरकारी अस्पतालों में ओपीडी के दौरान अक्सर एमआर बैठे देखे जा सकते हैं। कमिशन के लिए एमआर डॉक्टरों को पैकेज का तारगेट भी देते हैं। जैसा लक्ष्य, वैसा कमिशन, गिफ्ट पैक तय होता है। इससे साफ जाहिर होता है कि डॉक्टर बाहरी दवाएं लिख रहे हैं।

00

एक दिन में होता है साढ़े छह लाख का कारोबार

जिले में करीब 1300 खुदरा मेडिकल स्टोर हैं। इन स्टारों के कारोबार का आकलन करें तो एक दिन में एक मेडिकल स्टोर पर कम से कम 50 लोग दवा लेते आते हैं। औसतन 500 रुपये की दवा खरीदी गई तो जिले के 1300 मेडिकल स्टोर पर एक दिन में दवा का कारोबार 6,50000 रुपये का होगा।

00

सरकार नीति करें स्पष्ट

ड्रग प्राइज कंटोल आर्डर में जीवन रक्षक दवाओं को रखा गया है। इन दवाओं में जरूरत के हिसाब साल्ट मिलाकर कॉबिनेशन वाली दवाएं बेचीं जा रही हैं। इनके फंक्शन भी अलग-अलग होते हैं। सरकार को अपनी नीति स्पष्ट करनी चाहिए तभी डीपीसीओ का फायदा मिल सकता है।

आलोक बंसल, थोक दवा विक्रेता

00

सिंगल ड्रग पालिसी अपनाए सरकार

डीपीसीओ में जो दवाएं शामिल की हैं वह आम लोगों के लिए काफी हितकारी हैं, लेकिन विभिन्न बीमारियों के लिए उनमें कुछ साल्ट मिलाकर नए कांबिनेशन बनाए गए हैं ताकि मरीज को कम दाम में पूरा इलाज मिल सके। कांबिनेशन वाली दवाओं पर सरकार को कोई नियंत्रण नहीं है। ऐसे में सिंगल ड्रग पालिसी होनी चाहिए, तभी डीपीसीओ का लाभ मिल सकेगा।

राघवेंद्र नाथ मिश्रा, कैमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन

00

बाहरी दवाएं लिखने व एमआर पर है पाबंदी

मैंने अभी करीब एक माह पहले ही यहां चार्ज लिया हैं। जिला अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा बाहरी दवाएं लिखने व मेडिकल रिप्रेंजेटेटिवस के आने पर पूरी तरह से पाबंदी है। 

‌डॉ. रतनपाल सिंह सुमन, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, जिला अस्पताल


सोमवार, 19 फ़रवरी 2018

बलात्कार की कोशिश, गिरफ्तार हुए बीजेपी सरकार के मंत्री

एसिड अटैक पीड़िता से बलात्कार की कोशिश में मध्य प्रदेश भाजपा सरकार में दर्जा राज्य मंत्री राजेंद्र नामदेव गिरफ्तार किए गए हैं। राजधानी भोपाल के हनुमानगंज थाने की पुलिस ने पीडब्ल्यूडी के गेस्ट हाउस से उन्हें गिरफ्तार किया। इससे पहले नामदेव को मध्य प्रदेश राज्य सिलाई कला मंडल के उपाध्यक्ष पद से भी हटाया जा चुका है। उधर, मंत्री ने खुद को फंसाए जाने का आरोप लगाया है।

*******

नई दिल्ली | February 19, 2018.

एसिड अटैक पीड़िता से बलात्कार की कोशिश में मध्य प्रदेश भाजपा सरकार में दर्जा राज्य मंत्री राजेंद्र नामदेव गिरफ्तार किए गए हैं। राजधानी भोपाल के हनुमानगंज थाने की पुलिस ने पीडब्ल्यूडी के गेस्ट हाउस से उन्हें गिरफ्तार किया। इससे पहले नामदेव को मध्य प्रदेश राज्य सिलाई कला मंडल के उपाध्यक्ष पद से भी हटाया जा चुका है। उधर, मंत्री ने खुद को फंसाए जाने का आरोप लगाया है। एसिड अटैक पीड़ित लड़की को हवस का शिकार बनाने की कोशिश का मामला सामने आने पर मंत्री की सोशल मीडिया पर खूब भद्द पिट रही है। उधर, विपक्षी दल बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोल रहे हैं।

पुलिस के मुताबिक, 18 जून 2016 को सिवनी निवासी युवती पर एसिड अटैक हुआ था। न्याय दिलाने की बात कहकर मंत्री युवती के करीब आए और उसे नौकरी दिलाने का झांसा दिया। करीब चार महीने पहले 11 नवंबर 2017 को उन्होंने राजदूत होटल के कमरा नंबर 106 में उसे बुलाया। आरोप है कि मंत्री ने पहले दिन अश्लील हरकतें की। फिर अगले दिन जबरन कपड़े उतारने लगे। इस दौरान उन्होंने मोबाइल से अश्लील तस्वीरें भी उतारी। विरोध करने पर वीडियो वायरल करने की धमकी दी। डर के मारे युवती चार महीने तक चुप रही। रविवार (18 फरवरी) को उसने हनुमानगंज थाने पहुंचकर राज्य मंत्री नामदेव के खिलाफ केस दर्ज कराया।

उधर, मंत्री का कहना है कि विरोधियों के भड़काने पर युवती उनके खिलाफ झूठे आरोप लगा रही है। वे पुलिस और कोर्ट के सामने अपनी बेगुनाही के सबूत पेश करेंगे। केस दर्ज होने के बाद मध्य प्रदेश पुलिस हरकत में आई और न्यू मार्केट स्थित पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस से मंत्री नामदेव को गिरफ्तार कर लिया। एएसपी राजेश सिंह भदौरिया के मुताबिक, युवती मूलतः सिवनी की रहने वाली है। 18 जून 2016 को उस पर हबीबगंज थाना क्षेत्र में एसिड अटैक हुआ था। राजेंद्र नामदेव ने इसी के बाद हमदर्दी दिखाई और मदद के बहाने युवती के करीब आ गए। इस दौरान नामदेव ने पीड़िता को नौकरी दिलाने का झांसा दिया था।

(जनसत्ता ओनलाइन 18-2-2018 से साभार,)


 


विवाहिता का युवक व उसके बाप से प्रेम और पति की हत्या


अवैध संबंधों की की दिल दहलाने वाली यह कहानी! एक विवाहिता अपने पति के होते हुए अन्य व्यक्ति से प्रेम करती है और  बाद में प्रेमी के बाप से भी प्रेम कर लेती है और पति बाधक बनता बनता है तो अपने इन दोनो प्रेमियों से मिलकर खुद के पति की हत्या भी करवा देती है। यह घटनाक्रम बदलते हुए समाज  की तस्वीर को दर्शाता है कि आखिर किस पर भरोसा किया जाए। जब पत्नी ही बेवफा हो जाए तब आदमी अपने ही घर में जीवित कैसे रह सकता है।

कहते हैं कि इश्क और मुस्क कभी छुप नहीं नहीं सकते। हत्या कभी छुप नहीं सकती।कभी न कभी कभी राज खुल करके रहता रहता है या यूं कहें कि सही जांच हो तो पुलिस राज खोल कर  रख देती है और अपराधी जेलों में होते हैं।

अवैध संबंधों का यह जाल पुलिस ने ही खोला। हत्यारी पत्नी और उसके प्रेमी युवक और उसके पिता को गिरफ्तार भी कर लिया।

 यह कहानी पुलिस के अनुसार तारानगर जिला चुरु के गांव बांय से शुरू बाएं से शुरू होती है। बांय निवासी कालूराम और दीपक पुत्र धन्नाराम बाल्मीकि का विवाह  हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी क्षेत्र के गांव कमरानी निवासी हंसराज की पुत्रियों पूजा व मंजू के साथ करीब 6 साल पहले हुआ।

घटनाक्रम बदलता है।

करीब 1 साल पहले कालूराम अपने ससुराल कमरानी में रहकर मजदूरी करने लगा।

 इस दौरान कमरानी में अपने रिश्तेदार के घर आए हनुमानगढ़ टाउन निवासी संदीप उर्फ गुरप्रीत ने कालूराम के साथ दोस्ती बढ़ाई और बाद में उसकी पत्नी पूजा के साथ अवैध संबंधों की रचना भी कर ली ली।

संदीप कालूराम व उसकी पत्नी को काम दिलाने के बहाने रावतसर के चक 2केएम में ले गया। इस चक में वे एक किसान के खेत में मजदूरी करने लगे।

 आश्चर्यजनक घटनाक्रम।

इस दौरान पूजा ने संदीप के पिता कौरसिंह से भी प्रेम संबंध कायम कर लिए। 

आखिर इस प्रकार की घटनाओं का राज खुल करके ही रहता है।

कहते हैं कि प्रेम और खुशबू कभी छिपे नहीं रहते। 

पूजा के पति कालूराम को अवैध संबंधों की जानकारी मिली तब उसने विरोध करना शुरू किया।

प्रेम में पागल पत्नी पति की बात पर क्यों चलती।

 तीनों ने मिलकर सितंबर 2017 में कालूराम को रास्ते से हटाने के लिए मार डाला। 

कालूराम की हत्या के बाद एक एक करके महीने बीत गए।

12 फरवरी 2018 को कालूराम के भाई दीपक ने टिब्बी थाने में कालूराम और उसकी पत्नी पूजा की गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज करवाई।

उस गुमशुदगी में बताया गया कि पिछले दिनों से उसकी भाभी व भाई गायब हैं तथा कमरानी फोन करने पर भी जानकारी नहीं मिल रही।

 पुलिस ने कालूराम और पूजा की तलाश शुरू की।

पुलिस ने कालूराम के ससुराल में पूछताछ की तो पता चला कि पूजा शेरगढ़ के पास एक खेत में मजदूरी करती है।

 पुलिस को इतना पता मालूम होने के बाद पुलिस की कार्यवाही शुरु हुई।पुलिस ने पूजा संदीप और कौर सिंह को खोज निकाला। पुलिस ने तीनों को अपने घेरे में लिया और पूछताछ शुरू की।  तीनों से अलग-अलग पूछताछ में  पुलिस के सामने सारा राज खुल गया।

तीनों ने कलूराम की हत्या कर उसकी लाश को जमीन में गाड़ दिया।

 पुलिस ने कानूनी कार्यवाही पूरी करते हुए इनकी निशानदेही से खुदाई शुरू की और शव को बरामद किया।

 कालूराम की लाश  गल और सड़ चुकी थी।

 उसका मौके पर ही पोस्टमार्टम करवाया गया।

पुलिस ने इन तीनों पर  हत्या करने सबूत छिपाने आदि की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया और 18-2-2018 को गिरफ्तार किया।






अकादमी द्वारा पांडुलिपियों पर आर्थिक सहयोग स्वीकृत

उदयपुर, 16 फरवरी2018.

राजस्थान साहित्य अकादमी की‘पांडुलिपि प्रकाशन सहयोग’ योजना अन्तर्गत इस वर्ष 47 पांडुलिपियों पर लेखकों को 5 लाख 74 हजार रु. का आर्थिक सहयोग स्वीकृत किया गया है। अकादमी अध्यक्ष डॉ. इन्दुशेखर तत्पुरुष ने इनका ब्यौरा दिया।

1. ‘अरुणिमा रश्मियाँ (काव्य)’ रंजना त्रिखा जयपुर,

2. ‘नदी उफान भरे (काव्य)’ डॉ. कृपा शंकर शर्मा जयपुर, 

3.शब्दों के आसमान में हौसलों की उड़ान (काव्य)’ करिश्मा जोशी बीकानेर,

 4.‘अपने अपने आईने (काव्य)’श्री रामनिवास बाँयला अलवर,

5. ‘शब्दों का नीड़ (काव्य)’ श्री राजेन्द्र प्रसाद जोशी मेड़ताशहर,

6. ‘चुप नहीं बैठूंगा (काव्य)’ श्री राजेन्द्र गौड़ कोटा,

7. ‘बच्चों की दुनियां मुस्काई (बाल काव्य)’ डॉ. रेनू सिरोया उदयपुर 

8.खुशियां देता चल (काव्य)’ श्री सोहन प्रकाश जयपुर, 

9.‘उम्मीदों के अश्व (काव्य)’ध्वनि आमेटा डूंगरपुर, 

10.‘आखिर कितनी अनामिकाएँ (काव्य)’विजय लक्ष्मी जांगिड़ जयपुर,

11. ‘भरा हुआ सा खालीपन (काव्य)’ श्री राजेन्द्र कुमार पोकरण,

12. ‘यह सदी निरूत्तर है (काव्य)’ डॉ. कुंजन आचार्य उदयपुर,

13. ‘सफ़र (काव्य)’ श्री महेन्द्र सिंह शेखावत सूरतगढ़, 

14.‘उस देहरी दीप जलाना (काव्य)’ रेणु खत्री अलवर,

15.‘कितनी सुहानी भोर (काव्य)’ डॉ. बंशीधर तातेड़ बाड़मेर, 

16.मुस्कराता बचपन (बाल काव्य)’ डॉ. रत्ना शर्मा जयपुर

17.मयूर पीड़ा (काव्य)’ पृथा वशिष्ठ जयपुर, ‘

18.आखर आखर मोती (काव्य)’डॉ. साधना जोशी जयपुर,

19. ‘निःशब्द हुआ मन (काव्य)’श्रीमती सुधा तिवारी भीलवाड़ा,

20 ‘प्रणय (काव्य)’ श्री मदन जोशी उदयपुर, ‘

21.इन्द्रधनुषी बाल कविताएं (बाल काव्य)’ श्रीमती सुशीला शर्मा जयपुर,

22 ‘समय की पगडंडियों पर (काव्य)’ श्री त्रिलोक सिंह ठकुरेला आबूरोड़,‘

23.अम्बर दूर है कितना (काव्य)’ श्री मनशाह‘नायक‘ जोधपुर, 

24.‘गुलमोहर (काव्य)’श्री चेनराम शर्मा चन्देसरा, 

25.‘क़दम ब क़दम (काव्य)’श्री पुरू मालव छीपा बड़ौद,

26‘अन्न जल पानी (काव्य)’श्रीमती उर्मिला माणक गौड़ बैंगलोर,

27. ‘छोटे बच्चे गोल मटोल (बाल काव्य)’डॉ. गोपाल ‘राजगोपाल‘ उदयपुर, 28.गोल्डन जुबली (कहानी)’ संगीता माथुर कोटा, 

29‘कामाख्या और अन्य कहानियाँ (कहानी)’श्री भरतचन्द्र शर्मा बाँसवाड़ा,‘

30बोधि वृक्ष के सुर (कहानी)’प. निरंजन प्रसाद पारीक नागौर

31.,‘उपकार (कहानी)’डॉ. पंकज वीरवाल सलूम्बर,‘

32.बनास पार (कहानी)’श्रीमती रीना मेनारिया उदयपुर,‘

33.बुर्ज, चाँद और धुंआ (कहानी)’डॉ. ओम प्रकाश भाटिया जैसलमेर,

34.‘देवा की वसीयत (कहानी)’डॉ. सोहनदास वैष्णव उदयपुर,‘

35.थोड़ा सा सुख (कहानी)’डॉ. अनिता श्रीवास्तव,‘एक है कनु (कहानी)’श्री शरद उपाध्याय कोटा,

36.‘हाडौ़ती अंचल की रोचक लोककथाएं (कहानी)’श्यामा शर्मा कोटा,‘

37.मोगरी (कहानी)’श्री मुरारी गुप्ता जयपुर,

38‘सलोने गीत (बाल काव्य)’श्री रामेश्वर दयाल पंड्या उदयपुर,

39.‘नदी, धरती और समंदर (काव्य)’ ऋतु जोशी कोटा,‘

40.भगवान बुद्ध (काव्य)’श्री बनवारी लाल सोनी जयपुर,‘

41.बस इसीलिए (काव्य)’श्री हर्षिल पाटीदार डूंगरपुर,

42.‘साहित्य का सांस्कृतिक पक्ष (निबंध)’डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंघवी निम्बाहेड़ा,

43. ‘विमर्श के आयाम (निबंध)’डॉ. विमला सिंहल जयपुर,‘

44.विष्णु गुप्त चाणक्य: और रावण मिल गया - दो नाटक (नाटक)’श्री अशोक कुमार शर्मा जयपुर, 

45.‘आम्रपाली तथा अन्य नाटक (नाटक)’डॉ. शीलाभ शर्मा भरतपुर,

46. ‘हास्य-व्यंग्य नाटक: टेढ़ी, टेढ़ी चाल (व्यंग्य)’ श्री हरमन चौहान उदयपुर,

47. ‘पुनि जहाज पे आवे (संस्मरण)’ श्री दर्शन भरतवाल सुजानगढ़ की पाण्डुलिपियों पर सहयोग स्वीकृत किया गया है। 

रविवार, 18 फ़रवरी 2018

11वें दिन आने लगीं कब्र से आवाजें,वह जिंदा निकली

- इसलिए कहते हैं कि भगवान है-

ब्राजील के रियाचाओ डास नेवेस में उस वक्त लोग सन्न रह गए जब एक कब्र से आवाजें आने लगीं। आनन-फानन में कब्र खोदी गई। ताबूत बाहर निकाला गया तो लोगों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई।


जनसत्ता ऑनलाइन February 18, 2018 

ब्राजील के रियाचाओ डास नेवेस में उस वक्त लोग सन्न रह गए जब एक कब्र से आवाजें आने लगीं। आनन-फानन में कब्र खोदी गई। ताबूत बाहर निकाला गया तो लोगों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। ताबूत में दफनाई महिला 11वें दिन तक उससे निकलने के लिए छटपटाती रही। मेट्रो की खबर के मुताबिक महिला को कथित तौर पर जिंदा ही कब्र में दफना दिया गया था। 37 वर्षीय रोसनगेला अलमीडा डोस सैंटोस नाम की महिला को मरा समझ लोगों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। महिला का ताबूत जब खोला गया तो उसके जिंदा होने के सबूत ताबूत में नाखूनों से खुरचने के निशानों और खून के धब्बों के तौर पर मिले। ताबूत को देखकर लग रहा था कि महिला ने उससे बाहर निकलने के लिए बहुत छटपटाई। चश्मदीदों के मुताबिक कब्र खोदकर जब लोगों ने ताबूत निकाला तो उसका शरीर गर्म था। लोग एंबुलेंस के लिए चिल्लाए।

खबरों के मुताबिक सैंटोस को 28 जनवरी को अस्पताल में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था और उसके अगले ही दिन उसे दफना दिया गया था। कब्रिस्तान के आस-पास रहने वाले लोगों ने उसके घरवालों को 9 फरवरी को सूचना दी। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि महिला के हाथों और माथे पर चोट के निशान थे, जो शायद ताबूत से निकलने की कोशिश करते हुए लगी थीं। ताबूत में ही नाखून पड़े मिले और ढक्कन को ऊपर की ओर धक्का दिया गया था, उसके अंदर खुरचने के निशान और खून भी मिला था। सैंटोस शादीशुदा थीं, लेकिन उनके बच्चे नहीं थे। उनके परिवार ने उन्हें भयंकर थकान होने पर अस्पताल में भर्ती कराया था, वह करीब हफ्ते भर तक अस्पताल में भर्ती रही थीं। उनके मृत्यु प्रमाण पत्र के मुताबिक सदमे की वजह से दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हुई थी। उनके परिवार ने अगले दिन अपने गृहनगर रियाचाओ डास नेवेस स्थित नगर निगम के कब्रिस्तान में एक पक्की कब्र में उन्हें दफना दिया था।

नतालिया सिल्वा नाम की महिला ने मीडिया को बताया कि जब वह कब्र के सामने गई तो उसे अवाजें सुनाई दीं। उसने बताया- ”मुझे लगा कि कब्रिस्तान के आस-पास खेल रहे बच्चों ने मेरे साथ मजाक किया है, मैंने उसके कराहने की आवाज दो बार सुनी और उ
सके बाद वह शांत हो गई।” मामले में डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई है, लेकिन महिला के घरवालों ने कहा है कि वे किसी समस्या में नहीं पड़ना चाहते हैं इसलिए किसी डॉक्टर को आरोपी नहीं बनाना चाहते हैं। पुलिस ने कहा कि उसने मामले की जांच शुरू कर दी है, वहीं अस्पताल के प्रवक्ता ने कहा कि पुलिस की जांच के लिए हर संभव मदद मुहैया कराई जाएगी।




घर में पितरों की तस्वीरों से लाभ व हानि

1. घर के मंदिर में पितरों की तस्वीर नहीं होनी चाहिए। यहां पर पितरों की तस्वीर रखना अशुभ फलों का कारण बन सकता है। मंदिर के आसपास भी नहीं लगाएं पितरों की तस्वीर। देव पूजा में अच्छा नहीं माना जाता।

2. अगर घर में पूजा-पाठ ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में होती है तो पितरों की तस्वीर को पूर्व में रखना चाहिए, वहीँ अगर पूजा-पाठ पूर्व दिशा में होते हो तो तस्वीर ईशान में लगानी चाहिए।

3. घर के उत्तरी हिस्से में कमरों में या फिर जिस भी कमरे में आप तस्वीर लगाना चाहते हैं, वहां की उत्तर दिशा की दिवार पर पितरों की तस्वीर लगाना शुभ होता हैं।

4. घर के नैत्रत्य कोण यानी की दक्षिण-पश्चिम दिशा में पितरों की तस्वीर नहीं रखनी चाहिए। ऐसा करना घर की तरक्की के लिए अच्छा नहीं माना जाता।

5. इसके अलावा घर की पश्चिम या दक्षिण दिशा में भी पितरों की तस्वीर लगाने की मनाही होती है। यहां तस्वीर लगाने से घर की संपति को हानी पहुंच सकती है।

6. घर के ब्रह्म स्थान यानी की बीचों-बीच में भी पितरों की तस्वीर लगाने से बचना चाहिए। इस जगह पितरों की तस्वीर लगाने से वहां के लोगों के मान-सम्मान को हानि पहुंच सकती है।

7. किसी दूसरे के पितर को पूजना नहीं चाहिए और न  तस्वीरों को लगाना चाहिए।


शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2018

बिल्ली के घर में आने से आती है परेशानियां






घरों में बिल्लियों को पालतू जानवर के रूप में पाला जाता है, लेकिन यह कितना अशुभ है या शुभ इसके बारे में कई धारणाएँ हैं। नारद पुराण के मुताबिक बिल्ली का घर में बार-बार आना तक अशुभ माना गया है। यदि बिल्ली घर में आती है तो जरूर कुछ अशुभ होने वाला है क्योंकि उसे नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है।


बिल्ली पॉज़िटिव एनर्जी का नाश करती हैं 

जहां-जहां बिल्ली जाती है या आती है वहां सकारात्मक ऊर्जा की हानि होती है। इसलिए तंत्र-मंत्र की साधना करने वाले बिल्ली को काली शक्ति के प्रतीक के रूप में मानते हैं। 

यदि किसी घर में बिल्ली बार-बार आती है तो उस घर में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहता है।


परेशानियां लाती हैं बिल्लियाँ


जहां तक हो सके बिल्ली को घर में बार-बार न आने दें यदि फिर भी ऎसा होता है तो उससे निकली नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाने के लिए सत्यनारायण भगवान की पूजा अथवा कोई हवन का अनुष्ठान करवाएं। माना जाता है की बिल्ली घर में एक के बाद एक नई समस्या लाती है जिस कारण घर का मुखिया तनाव में रहता है।


सावधान हो जाएं

अगर आपके घर में अचानक ही बिल्लियों का आना बढ़ गया है तो इसे सामान्य बात मानकर अनदेखी नहीं करें. यह भविष्य में होने वाली घटना का संकेत हो सकता है. इसलिए सावधान हो जाएं.


क्यों है बिल्ली अशुभ


इसका कारण यह है कि बिल्ली के घर में बार-बार आने से बिल्ली के दूध पी जाने का खतरा ही नहीं रहता बल्कि घर में नकारात्मक उर्जा बढ़ने लगती है. नारद पुराण में बताया गया है कि बिल्लियों की पैरों की धूल जहां जहां भी उड़ती है वहां सकारात्मक उर्जा की हानि होती है यानी शुभ का नाश होता है.


बिल्ली अशुभ क्यों मानी जाती है


तंत्र-मंत्र की साधना करने वाले बिल्ली को काली शक्ति का प्रतीक मानते हैं और बिल्लियों की पूजा करते हैं. बिल्लियों का पितरों से भी संबंध माना गया है. इसलिए भी बल्लियों का घर में आना अशुभ माना जाता है. बिल्लियों के बारे में मान्यता है कि भोजन करते समय बिल्ली आकर देखे तो कष्ट होता है और बड़ी हानि होती है.


भाग जाती है पालतू बिल्ली


कुछ लोगों के यहां कोई अशुभ घटना होने पर बिल्लियों का आना बढ़ने की बजाय. इनकी पालतू बिल्ली भी घर से भाग जाती है. इसका कारण यह है कि बिल्लियों की छठी इन्द्री अधिक सक्रिय होती है जिससे उन्हें पूर्वाभास हो जाता है और घर छोड़कर भाग जाती है.


ब‌िल्ली द्वारा सिर चाटना


 सोये हुए हैं और बिल्ली आकर ‌स‌िर चाटने लगे तो सरकारी मामले में फंस सकते हैं। बिल्ली का पैर चाटना निकट भविष्य में बीमार होने का संकेत होता है। ब‌िल्ली ऊपर से कूद कर चली जाए तो तकलीफ सहनी पड़ती है।


बिल्ली का रास्ता काटना


मान्यता अनुसार काली बिल्ली का रास्ता काटना तभी अशुभ माना जाता है जबकि बिल्ली बाईं ओर रास्ता काटते हुए दाईं ओर जाए। 

अन्य स्थ‌ित‌ियों में बिल्ली का रास्ता काटना अशुभ नहीं माना जाता है। जब बिल्ली रास्ता काटकर दूसरी ओर चली जाती है तो अपने पीछे वह उसकी नेगेटिव ऊर्जा छोड़ जाती है, जो काफी देर तक उस मार्ग पर बनी रहती है। खासकर काली बिल्ली के बारे में यह माना जाता है।


बिल्ली का रोना


बिल्ली के रोने की आवाज बहुत ही डरावनी होती है। निश्‍चित ही इसको सुनने से हमारे मन में भय और आशंका का जन्म होता है। माना जाता है कि बिल्ली अगर घर में आकर रोने लगे तो घर के किसी सदस्य की मौत होने की सूचना है या कोई अनहोनी घटना हो सकती है।


बिल्ली का आपस में झगड़ना


बिल्लियों का आपस में लड़ना धनहानि और गृहकलह का संकेत है। यदि किसी के घर में बिल्लियां आपस में लड़ रही हैं तो माना जाता है कि शीघ्र ही घर में कलह उत्पन्न होने वाली है। गृहकलह से ही धनहानि होती है।


बिल्ली से जुड़े कुछ और विश्वास


लोक मान्यता है कि दीपावली की रात घर में ब‌िल्ली का आना शुभ शगुन होता है। बिल्ली घर में बच्चे को जन्‍म देती है तो इसे भी अच्छा माना जाता है।


बिल्ली से जुड़े कुछ और विश्वास


लाल किताब के अनुसार बिल्ली को राहु की सवारी कहा गया है। जिस जातक की कुण्डली में राहु शुभ नहीं है उसे राहु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए ब‌िल्ली पालना चाहिए।


बिल्ली से जुड़े कुछ और विश्वास


यदि सोए हुए व्यक्ति के ‌स‌िर को बिल्ली चाटने लगे तो ऐसा व्यक्ति सरकारी मामले में फंस सकता है। यदि आप कहीं जा रहे हैं और बिल्ली आपके सामने कोई खाने वाली वस्तु लेकर आए और म्याऊं बोले तो- अशुभ होता है। यही क्रिया आपके घर आते समय हो तो- शुभ होता है।


मंत्री ने आश्वासन देकर पूजा छाबडा का अनशन तुड़वाया


पूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर छह दिन से आमरण अनशन पर बैठी पूजा छाबड़ा ने आज शाम अनशन तोड़ दिया।  छाबड़ा ने यह अपना अनशन सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी की ओर दिए आश्वासन के बाद तोड़ा। राजस्थान में पूर्ण शराबबंदी की मांग समेत विभिन्न मांगों को लेकर छाबड़ा आमरण अनशन कर रही थी। कल तबीयत बिगड़ने पर उन्हें सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कराया था।  मिली जानकारी के अनुसार, चतुर्वेदी ने छाबड़ा को भरोसा दिलाया है कि रात आठ बजे बाद शराब की दुकान बंद किए जाने संबंधी नियमों की सख्ती से पालना की जाएगी। साथ ही जहां से शराब की दुकान बंद करने के लिए प्रस्ताव पास होगा, वहां नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले शराबबंदी की मांग को लेकर पूजा छाबड़ा ने कार्यकर्ताओं समेत विधानसभा पर भी धरना दिया था। बाद में पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर शहर से दूर ले जाकर छोड़ दिया था। अगले दिन फिर से वे आमरण अनशन पर बैठ गई। 

(अमर उजाला) 16-2-2018.

गुरूद्वारा बाबा दीपसिंह का 16 से 20 फरवरी का खालसा मार्च:श्रीगंगानगर में इतिहास रचेगा


जित जमहि राजान खालसा मार्च और महान कीर्तन दरबार!

  सेवादारों की दर्जनों टोलियों की ताकत !!

श्रीगंगानगर। जिले के इतिहास के पन्नों फिर से एक ऐसा नया अध्याय जुडऩे जा रहा है, जिसकी कल्पना शायद ही किसी ना की हो। वह भी तब, जब पदमपुर रोड स्थित गुरूद्वारा बाबा दी सिंह जी में जहां ति जमहि राजान खालसा मार्च 16 फरवरी 2018  को प्रात: 9 बजे सैंकड़ों वाहनों के काफिले के साथ हजारों की संगत रवाना होगी। 

इसमें शामिल होने वाली संगत केसरिया पगड़ी पहनकर सिख धर्म की मर्यादाओं के मुताबिक चलेंगे। इस बार इस खालसा मार्च की खास बात यह है कि इसमें भाई ईशर सिंह खालसा के अलावा संत बाबा सुखदेप सिंह भुच्चोवाले विशेष  शिरकत करके खालसा मार्च में संगतों को गुरू पंथ का आदेश 'बेटी मारने वालों के साथ किसी भी तरह की सांझ न रखने का संकल्प दिलवाएंगे।

 हेलीकॉप्टर से रंग-बिरंगे महकदार फूलों की वर्षा करके एक महक यह भी बिखेरी जाएगी कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ औेर बेटी बसाओ का संदेश एक लाख लोगों तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए बाकायदा संकल्प पत्र भी भरवाये जाएंगे। 

गुरूद्वारा बाबा दीप सिंह के मुख्य सेवादार तेजेन्द्रपाल सिंह टिम्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि यह श्रीगंगानगर जिला ही नहीं, बल्कि बीकानेर संभाग का पहला कार्यक्रम साबित होगा, जिसमें एक साथ एक लाख से भी अधिक संकल्प पत्र भरवाकर बेटियों को बचाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा। इन पत्रों को भरवाने के लिए सेवादारों की अलग-अलग टीमें बनाकर गांवों में भेजी जा चुकी है, जो अपने काम को जोर-शोर से अंजाम दे रही है। हालांकि कार्यक्रमों की श्रृखला 16 फरवरी को प्रात: 9 बजे से जित हमहि खालसा मार्च से होगी, जो बाद में महान कीर्तन दरबार का रूप ले लेगी। 17 फरवरी को जहां भाई जुझार सिंह हजुरी रागी साहिब गुरूओं के संदेश से संगत को निहाल करेंगे, वहीं अगले दिन 18 फरवरी को भाई निरंजन सिंह अवदी कला टकसाल प्रवचन देंगे। 19 फरवरी को भाई बलविन्द्र सिंह लोपोके हजुरी रागी दरबार साहिब और इसके अगले ही दिन 20 फरवरी को ज्ञानी पिन्द्रपाल सिंह कथावाचन करेंगे। टिम्मा ने बताया कि इन कार्यक्रमों का समय 17 से लेकर 20 फरवरी तक प्रतिदिन सायं 7 से दस बजे निर्धारित होगा। इन सभी कार्यक्रमों के सफल आयोजन के लिए सेवादारों ने पूरी ताकत लगा रखी है। कोई संकल्प पत्र भरवाने में जुटा है ,तो अनेक सेवादारों की टोलियां प्रचार-प्रसार करने में अपनी अहम भूमिका अदा कर रही हैं। प्रचार-प्रसार में अपना अहम रोल अदा कर रहा है। बीस फरवरी को ही इंटरनेशनल ढाडी जत्था रिशपाल सिंह पमाल ढाडी वारां का गायन करेंगे। इन कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण यूट्यूब पर लाइव, भुच्चो लाइव, आवाज-ए-कौम चैनल के अलावा आरएम केबल पर चैनल नंबर 144 भी पर प्रसारण होगा। टिम्मा ने सभी संगतों से आग्रह किया कि इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने के लिए संगत खालसा मार्च में अपने-अपने स्कूटर, मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर ट्रॉलियां, कारें, ट्रक व बसों पर सवार होकर पहुंचे।

************

खालसा मार्च का यह रहेगा रूटचार्ट

************

श्रीगंगानगर। सेवादार तेजेन्द्रपाल सिंह टिम्मा ने बताया कि खालसा मार्च के दौरान संगत को किसी तरह की असुविधा ना हो, इसके लए रूटचार्ट तैयार किया गया है। इसके गुताबिक गुरूद्वारा बाबा दीप सिंह से रवाना होकर, गुरूद्वारा गुरूनानक दरबार,  गुरूद्वारा नामदेवजी, गुरूद्वारा सिंह सभा, जेसीटी मिल, सात जैड गुरूद्वारा, मिर्जेवाला, मटीली, 18 एफ स्थित गुरूद्वारा दु:ख निवारण साहिब पहुंचेगा। वहां दोपहर को लंगर की व्यवस्था की गई। लंगर ग्रहण करने के बाद यह मार्च रवाना होगा, जो मलकाना पुल अण्डरब्रिज, केसरीसिंहपुर, 20 एफ, कमीनपुरा चौक, गुलाबेवाला, अरायण, टोबी, सागरवाला, घुदïदूवाला पुल, जोधेवाला गेट, चूनावढ़, शोभेवाला ढाणी, वीके सिटी पहुंचेगा। यहां पर शाम के लंगर की व्यवस्था की जाएगी। इसके बाद यह खालसा मार्च पु:न गुरूद्वारा बाबा दीप सिंह पहुंचेगा।

-तेजेन्द्रपाल सिह टिम्मा

मुख्य सेवादार

94140-89123

***************











गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018

दिलात्मप्रकाश जैन: समाजवादी चिंतक,सबके साथी:सादा जीवन



- करणीदानसिंह राजपूत-

महापुरुषों के संतों के जीवन पर विचार करते हुए अपने जीवन को ढालते हुए एक एक कदम आगे बढ़ाना बहुत ही संघर्षपूर्ण होता है लेकिन ऐसे व्यक्तित्व इस संसार में आते रहते हैं जो अपने जीवन को कठिन परिस्थितियों में भी समाज सेवा में लगाते हुए जीवन यापन करते हैं।

श्री दिलात्म प्रकाश आत्म जैन इसी प्रकार के अनूठे व्यक्तित्व के धनी हैं।

धर्म राजनीति सामाजिक पारिवारिक सभी क्षेत्रों में एक जागरूक प्रेरणादायक संदेश देते हुए करीब 80 साल से ऊपर की जिंदगी जी रहे हैं।

अनाज का एक कारण बेकार न हो नष्ट न हो इस जैनीय विचारधारा से वे भोजन के समय थाली को भी धोकर के पीते हैं।

अन्न का सूक्ष्म कण कण भी बेकार न जाए।

मैं दिलात्म जी का जीवन सामाजिक चिंतन में देखता रहा हूं।


जब कभी किसी पर विपदा आई किसी संगठन ने आवाज उठाई तो वे उस आवाज के अंदर साझीदार के रूप में उपस्थित रहे। चाहे धरना प्रदर्शन हो आंदोलन करना हो। कुछ वर्षों से सिविल सोसायटी नामक संगठन के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए भ्रष्टाचार को रोकने में आगे रहे हैं।

ईश्वर जब जन्म देता है और जिस घर में जन्म देता है उसी दिन उस जीव की आगे की जिंदगी लिखी हुई होती है। ऐसी मान्यता है।

जैन परिवार में जन्म लेने वाले दिलात्म प्रकाश का जीवन बहुत ही इमानदारी पूर्ण मैंने देखा और सुना है तथा उनसे बातचीत के रूप में भी पाया है।

 जैन जी की प्रारंभिक शिक्षा सूरतगढ़ और बाद में श्रीगंगानगर में हुई।

कक्षा 12 के बाद उन्होंने दिल्ली में कोचिंग लेकर और चेन्नई (जो पहले मद्रास था)से ,इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया।उन दिनों कनिष्ठ अभियंता को ओवरसियर कहा जाता था।

पहली नौकरी करीब 1956-57 के आसपास श्री गंगानगर में गंग कैनाल सिंचाई विभाग में लगी।

 सिंचाई विभाग में उस समय भी कुछ न कुछ लेनदेन चलता था दिलात्म जी को यह पसंद नहीं था और 2 साल तक जैसे तैसे वह नौकरी की और आखिर इस्तीफा देकर घर लौट आए।

 सन 1964 में नगरपालिका सूरतगढ़ में ओवरसियर के पद पर नियुक्त हुए लेकिन लेन देन के मामले में यहां भी एक-एक दिन बिताना मुश्किल हो रहा था।

एक सड़क के निर्माण को लेकर आश्वासन दिया कि पूरी होने तक नौकरी पर रहूंगा और बाद में  नौकरी त्याग दी।नगरपालिका सूरतगढ़ में करीब  ढाई नौकरी की। 

 जैन धर्म में मूर्तिपूजक होने के कारण और जैन संतों के आशीर्वाद से इस प्रकार के सरकारी नौकरियों में उन्हें लगना बेकार लगा।

जहां तक मुझे याद है राष्ट्रीय पुस्तक भंडार नमक एक स्टेशनरी की दुकान खोली और उसमें दुकानदारी करते हुए भी समाज सेवा में एक एक कदम पर अपने जीवन को ढालने लगे। 

मैंने अनेक कार्यों में दिलात्म जी को नजदीक से देखा।


श्री पार्श्वनाथ जैन मंदिर सूरतगढ़ में पूजा करते देखा। गुरुओं के संतों के आगमन पर उनका अभिवादन चरण वंदन करते उपदेश सुनते देखा। हर माह की संक्रांति पर आचार्य के दर्शन के लिए भी उस स्थान पर पहुंचते जहां पर आचार्य  विराजमान होते।

दिलात्म जी जैन राजस्थानी भाषा के आंदोलन में भी सदा सक्रिय रहते हुए विचार प्रकट करते रहे। धरना प्रदर्शन में भी उनकी उपस्थिति रही।

 बीकानेर मंडल में रेल सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे। बीकानेर से प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र लोकमत के कई वर्षों तक संवाददाता भी रहे।

राजस्थान पत्रिका ने अकाल पीड़ित गरीब लोगों के लिए एक मुट्ठी अनाज योजना चलाई जिसके तहत अनाज एकत्रित करके बाटा गया था। सूरतगढ़ में दिलात्मप्रकाश जी जैन ने विद्यालयों में जाकर छात्र छात्राओं से एक मुट्ठी अनाज दान में देने की अपील की। पत्रिका की यह योजना यहां सूरतगढ़ में बहुत अच्छे ढंग से सफल हुई। स्कूलों से बोरिया भर-भर गेहूं पत्रिका के सूरतगढ़ कार्यालय में भेजा गया, जो टिब्बा क्षेत्र में एक परिवार को 40 किलो भेंट किया गया। इसमें पीड़ितों की सूची राजस्व तहसील के पटवारियों से प्राप्त की गई थी।

राष्ट्रीय स्तर की संस्था "श्रीआत्मानन्द जैन महा सभा" की उतरी भारत कार्यकारिणी के दिलात्मप्रकाश जी वर्षों से सदस्य हैं।

श्री गंगानगर में स्थापित श्री आत्मवल्लभ जैन कन्या महाविद्यालय के निदेशक मंडल में कुछ वर्षों तक सदस्य भी रहे हैं।

राजनीति में उनकी विचारधारा समाजवादी चिंतक की रही है।

दिलात्म जी को बेबाक ही सुनने का अवसर मिला है।

सादा जीवन और खादी का पहनावा।

सादा जीवन उच्च विचार!

15-2-2018.




नीरव मोदी का महाघोटाला-पीएम मोदी को मालूम था- कांग्रेस का महा आरोप

PNB घोटाला: कांग्रेस का बड़ा हमला, प्रधानमंत्री को भी थी जानकारी, क्‍या सोई हुई थी मोदी सरकार?

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्‍हें जुलाई, 2016 में ही इसकी जानकारी दे दी गई थी। इसके बावजूद कार्रवाई नहीं की गई। नीरव मोदी को आखिर किसका संरक्षण प्राप्त था ?

PNB में हजारों करोड़ रुपये के घोटाले पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस हमलावर हो गई है। पार्टी के नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। कांग्रेस नेता ने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा क‍ि ‘लूटो और भाग जाओ’ मोदी सरकार का चाल, चरित्र और चेहरा बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जुलाई, 2016 में ही वित्‍तीय फर्जीवाड़े की जानकारी दी गई थी, इसके बावजूद क्‍या मोदी सरकार सोई हुई थी?

 उन्‍होंने आरोप लगाया कि पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के डीजीएम ने सीबीआई के ज्‍वाइंट डायरेक्‍टर को पत्र लिखकर हीरा व्‍यवसायी नीरव मोदी के देश से भागने की आशंका जताई थी और कार्रवाई की मांग की थी। सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि इसके बावजूद नीरव मोदी 11000 करोड़ रुपया लूटकर देश से कैसे भाग गए? इसके लिए कौन जिम्‍मेदार है? नीरव मोदी को किसका संरक्षण प्राप्‍त है? पूरा सिस्‍टम कैसे बाइपास कर दिया गया?

 कांग्रेस नेता बोले कि प्रधानमंत्री को इस पर जवाब देना चाहिए। उन्‍होंने इसे 30,000 हजार करोड़ रुपये का घोटाला बताया है। उन्‍होंने कहा कि इसमें PNB के साथ कई अन्‍य बैंकों का पैसा डूबा है।

सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने घोटाले पर कार्रवाई करने में 15 दिन क्‍यों लगाए, जबकि 29-30 जनवरी को ही यह मामला सामने आया गया था। उन्‍होंने पूछा कि इस मामले में पंजाब नेशनल बैंक ने इतनी देरी से केस क्‍यों दर्ज कराया? ईडी ने छापा मारने में 15 दिन क्‍यों लगा दिए? सरकार ने इस मामले को महत्‍व क्‍यों नहीं दिया? सुरजेवाला ने कहा क‍ि वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के बारे में जानकारी दी गई थी और पीएम से कार्रवर्इ की मांग भी की गई थी। उनके मुताबिक, पीएमओ ने शिकाय‍त को कार्रवाई के लिए रजिस्‍ट्रार ऑफ कंपनीज के पास भेज दिया था। इसके बावजूद न तो पीएमओ ने कुछ किया और न ही वित्‍त मंत्रालय ने कदम उठाया। इस बीच, छोटे मोदी (नीरव मोदी) 11,000 करोड़ रुपये की चपत लगाकर देश से चंपत हो गए। सुरजेवाला ने कहा, ‘प्रधानमंत्री कार्यालय को घालमेल की सूचना दस्‍तावेज के साथ 26 जुलाई, 2016 को दी गई थी, इसके बावजूद यह सब कैसे चल रहा था? इसमें सुब्रत रॉय, विजय माल्‍या और राजू (सत्‍यम) की तर्ज पर वित्‍तीय फर्जीवाड़े को अंजाम देने का उल्‍लेख किया गया था। शिकायत में मेहुल चौकसी द्वारा भारतीय धन को विदेशों में ले जाने की भी जानकारी दी गई थी। पीएम मोदी से देश को इससे बचाने का भी आग्रह किया गया था।’



बुधवार, 14 फ़रवरी 2018

सूरतगढ़ फार्म शुरुआत में सोवियत रूस की दी मशीनों के संग्रहालय का उद्घाटन



सूरतगढ़ 14 फरवरी 2018.

रूस के कृषि मंत्री श्री सरगेई बेलेस्की ने कहा कि आज हम यहां पर आये हैं ये एक ऐतिहासिक बात है। 

उन्होंने कहा कि कृषि रिसर्च योजना के लिये हम भारत के साथ एक पंच वर्षीय योजना बनाना चाहते हैं । मुझे पता है कि वर्ष 1991 में रूस में एक स्पेशलिस्ट आया था। कृषि के क्षेत्र में पहले जो भी मशीने यहां आई थी, वे वर्तमान में भी उपयोग में ली जा रही है। मै भी एक इंजिनियर हूॅ, ये मेरे लिये गर्व की बात है। जो कृषि यंत्र यहां  पर हैं , मैने स्कूल के समय में बनाये थे।

 मैं बहुत प्रभावित हॅू, जो कृषि यंत्र आपको मिला है, उससे आपको बहुत फायदा होगा। मैं बहुत प्रभवित हॅू कि यहां जो परम्परा कृषि के क्षेत्र में विकसित की गई थी, जिसके तहत सूरतगढ़ में एक कृषि फार्म स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि फसल व बीज को बढ़ावा देना है, इसके लिये एक पंचवर्षीय योजना के तहत कृषि रिसर्च सेन्टर स्थापित किया जायेगा। 

केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज भारत खाद्यान्न के क्षेत्र में एक नम्बर पर है, जो यह रूस का भी सहयोग रहा है। 70 लाख रूपये की लागत के कृषि यंत्र जो रूस ने ही भारत को कृषि के लिये दिये थे। 

सूरतगढ़ कृषि फार्म देश का पहला ऐसा फार्म है, जिसमें 24 प्रकार के उन्नत किस्म के बीज तैयार किये जाते है। गेहूं, जौ, चना भरपूर मात्रा में उत्पन्न होते है। केन्द्र में मोदी सरकार के बाद देश में मृदा कार्ड की शुरूआत जो सूरतगढ़ से की गई थी, वो किसानों के लिये बहुत ही फायदेमंद हो 

रही है और किसान यूरिया खाद कम उपयोग कर रहे हैं ।

 उन्होंने सूरतगढ़ में कृषि प्रयोगशाला बनाने के लिये सांसद श्री निहालचंद को एक प्रस्ताव बनाकर भिजवाने को कहा। उन्होंने कहा कि पश्चिम राजस्थान में सबसे ज्यादा आकाल पड़ते है, पर वहां का किसान आत्महत्या नही करता क्योंकि वहां का किसान खेती के अलावा अन्य कार्य भी करता है। 

भारत रूस राजनयिक संबंधों की 70 वर्ष गांठ पर 14 फरवरी 2018 को केन्द्रीय राज्य फार्म सूरतगढ़ के बेस वर्कशॉप में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। 

जिसमें रूसी गणतंत्र के उप कृषिमंत्री श्री सरगेई बेलेस्की, भारत सरकार के कृषि राज्यमंत्री श्री गजेन्द्र सिह शेखावत, संयुक्त सचिव भारत सरकार श्री अश्वनी कुमार, रूसी व्यापार प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख श्री यारोस्लाव तारास्युक, प्रथम सचिव रूसी दूतावास भारत सरकार श्री कैटरिना सेमिनोवा एवं राष्ट्रीय बीज निगम के अधिकारीगण एवं उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों एंव राष्ट्रीय बीज निगम के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक श्री विनोद कुमार गौड़ के साथ इस अवसर पर संबोधन किया। 

फार्म के वेस वर्कशाप में रशियन मशीनों के संग्रहालय का उद्घाटन बुधवार को 11.30 बजे रूस के उपमंत्री श्री सरगेई बेलेस्की, भारत सरकार के कृषि राज्यमंत्री श्री गजेन्द्र सिह शेखावत द्वारा किया गया।

अतिथियों ने फार्म परिक्षेत्र का भ्रमण किया, साथ में मतस्य बीज पालन केन्द्र का भी अवलोकन किया। 

इस फार्म की स्थापना 15 अगस्त 1956 में हुई थी। इसके लिये सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ से 70 लाख रूपये की मशीनों एवं उपकरण भेंट के रूप में प्राप्त हुए थे। बेस वर्कशाप में रूस द्वारा उपलब्ध करवायी गई  पुरानी मशीनों को मौजूद देखकर प्रसन्न भी हुए। 

इसके बाद फार्म में कृषि से जुडे़ अन्य क्षेत्रों में नवसृजन की तरफ कदम बढ़ाते हुए निगम द्वारा मतस्य बीज उत्पादन, अपारम्परिक क्षेत्रों में हाईब्रिड बीजों का उत्पादन, कस्टम हाईरिंग केन्द्र, आधुनिक भंडार गृहों के निर्माण जैसे कई कार्यक्रमों के क्रियान्वयन किये गये को देखा गया। इस अवसर पर फार्म के निदेशक श्री यशपाल सिंह एवं अन्य सभी कर्मचारी उपस्थित होकर विशिष्ट अतिथि का स्वागत भी किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय बीज निगम के उच्च अधिकारी निदेशक वित श्री वी.मोहन, वरिष्ठ महाप्रबंधक श्री कुलदीप सिंह, उपमहाप्रबंधक श्री नीरज वर्मा, अतिरिक्त महाप्रबंधक श्री दीपक रस्तोगी, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से श्री ए.के.झा, निदेशक श्री एचके सुयानथांग, सूरतगढ़ विधायक श्री राजेन्द्र सिंह भादू मौजूद थे।




यह ब्लॉग खोजें