शनिवार, 31 दिसंबर 2022
सूरतगढ़ अतिक्रमण तोड़े.वार्ड नं 9 में नोहरे कोठे खाली:माफिया गायब.
* करणीदानसिंह राजपूत *
सन् 2022 का अंतिम दिन 31 दिसंबर। दिन शुरू हुआ और करीब 10 बजे समाचार फैला कि नगरपालिका का अतिक्रमण निरोधक दल वार्ड नं 9 में जेसीबी के साथ अतिक्रमण तोड़ने का अभियान चला रहा है। आज शनिवार की छुट्टी और साल का अंतिम दिन। किसी को अनुमान नहीं था कि आज अचानक यह होगा। यह भनक थी कि माफिया इन खाली नोहरों में लोगों को बसाने वाला है। इसके बाद नगरपालिका तोड़ेगी तो पालिका को आरोपों के घेरे में लिया जाएगा। लेकिन पालिका प्रशासन ने अचानक अभियान चला दिया।
पालिका प्रशासन के पास पक्की सूचना थी कि विशाल कब्जों वाले निर्माणों में कोई बसा हुआ नहीं है। विशाल भूखंडों पर गरीब तो कब्जा करने की हिम्मत नहीं कर सकता। नोहरे और एक एक कमरे सभी खाली। किसी में रहने के प्रमाण नहीं तो बनाए किसने? इस सवाल का एक ही जवाब निकलता है कि भूमाफिया ने ही बनाए ताकि दस पंद्रह लाख में एक एक बेच कर मालामाल होते जाएं। लेकिन आज अतिक्रमण तोड़े जाने के समय माफिया कोई हाजिर नहीं हुआ। माफिया हाजिर होता तो मुकदमा होने का डर था। यह वार्ड भाजपा पार्षद का है और यह आश्चर्यजनक आरोप है कि किसी दूसरे पार्षद ने यहां बड़े बड़े अतिक्रमण करवाए। क्या वार्ड पार्षद ने नगरपालिका में इन अतिक्रमण होने की शिकायत पालिका में की और पालिका प्रशासन ने उस पर क्या कार्यवाही की? पार्षद को बताना चाहिए। यदि दूसरे पार्षद का हाथ रहा है तो वह भी लिखित में अभी भी दिया जा सकता है।
* इस अभियान के तहत करीब आधे दर्जन से भी अधिक अवैध अतिक्रमण जिसमे चार दिवारी,मकान जेसीबी की सहायता से हटाए गए। इस दौरान कालूराम सेन, मनिंदर कुमार, पूर्णराम, जगदीश प्रसाद,हरिराम,जमादार व अन्य सफाई कर्मचारी उपस्थित रहे।०0०
पाकजासूस मुस्ताक तीसरी बार सूरतगढ़ में सिख बना पकड़ा गया.साप्त.हिंदुस्तान 1986.
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ में तीसरी बार पकड़े गए पाकिस्तानी जासूस मुस्ताक अली ने सिख भेष धारण कर रखा था और नाम भी मनसा सिंह गिल एमएस गिल रख लिया था। प्राकृतिक रूप से केश और दाढी भी बढाई हुई थी। लेकिन फिर भी पुलिस की तेज निगाहों में बच नहीं पाया।
* सिपाही मेघसिंह ने मुस्ताक अली को पहले 1969 में श्रीकरणपुर में पकड़ा और 14 वर्ष बाद सूरतगढ़ में 7 अक्टूबर 1985 में दुबारा पकड़ा। मुस्ताक अली ने भेष बदल लिया सिख भेष धारण कर लिया लेकिन मेघसिंह सिपाही की निगाहों से बच नहीं पाया। सूरतगढ़ की बीकानेर रोड पर वह गिरफ्तार किया गया।
मुस्ताक अली हिंदुस्तान में 1962 से अवैध रूप से सीमा पार कर आता-जाता रहा। उसके बाद में उसका संपर्क पाकिस्तान की फील्ड इंटेलिजेंस यूनिट से हुआ। वह उसकी जासूसी के लिए पहली बार 1969 में भारतीय सीमा में घुसा।
मुस्ताक अली को जनवरी 1969 में मेघ सिंह सिपाही ने श्रीकरणपुर में पकड़ा।
मुस्ताक पर मुकदमा चला । उसे ढाई वर्ष की सजा हुई। उसने श्री करणपुर उपकारागृह से भागने की भी कोशिश की मगर सफल नहीं हो पाया।
उसकी सजा सन 1974 में पूरी हुई तब पाकिस्तान धकेल दिया गया।
मुस्ताक अली इसके बाद में 1978 में फिर रायसिंहनगर क्षेत्र से भारत में घुसा। वह सीमा सुरक्षा बल के द्वारा पकड़ा गया। उस पर मुकदमा चला और 13 महीने की जेल हुई। उसकी सजा पूरी होने पर फरवरी 1982 में उसे पाकिस्तान धकेल दिया गया।
वह लगातार आ रहा था। देश की बहुत सी खुफिया जानकारी भी पाकिस्तान को पहुंचा रहा था। उन दिनों में इतने संचार के साधन नहीं थे फिर भी वह बहुत कुछ जानकारियां पाकिस्तान को देने में सफल रहा था।
* तीसरी बार वह भारतीय सीमा में घुसा तब उसने अपना नाम वेशभूषा सब कुछ बदल लिया था। मुस्ताक अली के बजाय उसने अपना नाम मंसा सिंह गिल रख लिया। सिख भेष धारण कर लिया।पगड़ी पहन ली और उसी प्रकार के चोले और पायजामा पहन लिया। सिर केश और दाढी प्राकृतिक ढंग से बढा ली। इतना पक्का प्रबंध कर वह आया कि कोई पहचान न सके।
इतना पक्का प्रबंध करने के बाद में भी वह मेघसिंह सिपाही की नजरों में आ गया।
वह बीकानेर रोड पर पकड़ा गया।
मेघ सिंह ने उसे देखा तो नाम से पुकारा। मुस्ताक अली आनाकानी करने लगा कि मुस्ताक अली नहीं मैं तो एम.एस गिल हूं। उसने कहा मेरा नाम मंशासिंह गिल है तुम्हें गलतफहमी हुई है। लेकिन मेघ सिंह नहीं मानना उसने कहा नहीं तुम कितना ही भेष बदल ले। तूं मुस्ताक अली है। मैंने तुझे अच्छी तरह से पहचान लिया है। वह ज्यादा आनाकानी करने लगा। मेघसिंह उसे पकड़ कर थाने ले गया। वहां पर कुछ देर में ही मुस्ताक अली टूट गया।
उसकी निशानदेही पर घग्घर पुल के नीचे छुपाए हुए बहुत से सामग्री जासूसी से संबंधित प्राप्त हुई जिसमें सूरतगढ़ सैनिक क्षेत्र आदि की जानकारियां थी। सूरतगढ़ छावनी साधुवाली छावनी, बीएसएफ की सीमा चौकियां,सेना की यूनिटों के फोरमेशन और टेक नंबर, रेलवे स्टेशनों के नाम आदि संग्रहित मिले।
* मुस्ताक अली पर 1 वर्ष तक मुकदमा चला और 3 अक्टूबर 1986 को 3 साल की सजा हुई। इस सजा के दौरान ही हिंदुस्तान की जेल में उसकी मृत्यु हो गई। मेरी स्मृति के अनुसार बीकानेर जेल में उसकी मृत्यु हुई थी।
मुस्ताक अली ने हिंदुस्तान के कई लोगों को जासूसी में शामिल कर लिया था।
* जून 1927 में जन्मे मुस्ताक अली की उम्र 1985 में गिरफ्तारी के समय 58 साल थी।कोई सोच नहीं सकता था कि वृद्धावस्था में भी कोई जासूसी में सक्रिय हो सकता है। यदि मेघ सिंह की निगाहों में नहीं आता या यह कहें कि उस समय बीकानेर रोड पर मेघ सिंह भी नहीं गुजरता तो शातीर पाक जासूस पकड़ में नहीं आता। वह बहुत कुछ नुकसान देश को कर सकता था।
मेघ सिंह सिपाही से पदोन्नत हुआ हेड कांस्टेबल बनाया गया और उसकी ड्यूटी यातायात पुलिस में लगाई गई।
7 अक्टूबर 1985 को जब सूरतगढ़ में मुस्ताक अली तीसरी बार गिरफ्तार किया गया तब मुझ करणी दान सिंह राजपूत को सूचना मिली। मैं तत्काल करीब 3 घंटे बाद में पुलिस स्टेशन सूरतगढ़ पहुंच गया और समाचार लिया व फोटोग्राफी की। मैं थाने के भवन से बाहर निकला तब वहीं मेघ सिंह मुझे मिला और कहा कि इस जासूस को मैंने पकड़ा है। अब न जाने इस की गिरफ्तारी किस तरह दिखाई जाएगी और गिरफ्तार करने वाले का नाम क्या होगा? इसकी गिरफ्तारी का लाभ तो रिकॉर्ड में मुझे ही मिलना चाहिए। क्या आप कुछ कर सकते हैं?मैंने कहा कि कोशिश करते हैं कि आपका नाम ही गिरफ्तार करने वाले में जाए और अकेले का जाए। मैंने वहीं मेघसिंह का भी फोटो लिया।
सूरतगढ़ के इंटेलिजेंस विभाग में नियुक्त अधिकारी से मिलना जुलना समाचारों के लिए होता रहता था। मैंने उनसे आग्रह किया कि जयपुर मेघसिंह का नाम आप तुरंत आज ही भिजवा दें। मुस्ताक अली की गिरफ्तारी पूछताछ के बाद में दिखाई गई लेकिन तब तक मेघसिंह का नाम सभी गुप्तचर व पुलिस मुख्यालय में पहुंच चुका था। मेघसिंह को पदोन्नति मिली।
** सूरतगढ़ में इसके अलावा भी कई बार जासूस गिरफ्तार किए गए।
अभी जब यह समाचार 31 दिसंबर 2022 को मैं बना रहा हूं,उससे कुछ महीने पहले ही इंटेलिजेंस विभाग ने सूरतगढ़ के अंदर भी जासूसी करते हुए एक व्यक्ति को पकड़ा था। दूसरा व्यक्ति डबली राठान का पकड़ा गया।
👍 भारतीय हैं,उनको सतर्क रहना चाहिए अनजान व्यक्ति को संदिग्ध अवस्था हो तो उसकी सूचना पुलिस अधिकारी या इंटेलिजेंस अधिकारी को गुप्तरूप से बिना देरी किए अवश्य ही देनी चाहिए। सूरतगढ़ सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान है इसलिए यह मानकर चलें कि पाकिस्तान यहां कुछ न कुछ सदा करता रहता है इसलिए संदिग्ध व्यक्तियों की सूचना पुलिस तक और इंटेलिजेंस तक पहुंचाना बहुत जरूरी है।
* पाकिस्तानी जासूस मुस्ताक अली पर मेरी अनेक रिपोर्ट्स छपी। दी हिंदुस्तान टाईम्स के नईदिल्ली से प्रकाशित होने वाले प्रसिद्ध साप्ताहिक हिंदुस्तान में 28 दिसंबर 1986 के अंक में भी मेरी रिपोर्ट छपी। यह अंक रिकॉर्ड में है। आपके समक्ष फोटो प्रस्तुत है।०0०
31 दिसंबर 2022.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356.
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* पत्रकार अखबार उपयोग कर सकते हैं।
करणी प्रेस इंडिया साइठ्ठ में मेरी पत्रकारिता मेरा लेखन स्तंभ में पुरानी जानकारियां उपलब्ध रहेगी। करणीदानसिंह राजपूत. 1965 से पत्रकारिता।०0०
शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022
प्रो.केदार का पत्र जेलर के हाथ नहीं लगा। गुरूशरण छाबड़ा व करणीदानसिंह की योजना.
* करणीदानसिंह राजपूत *
अपनी सत्ता बचाने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देशभर में लगाए आपातकाल ( 1975-77) का विरोध सूरतगढ़ में पहले दिन ही हो गया। गुरुशरण छाबड़ा के नेतृत्व में रेलवे स्टेशन के आगे आम सभा की गई जिसमें सरकार के द्वारा लगाए गए आपातकाल का जबरदस्त विरोध किया गया था। सूरतगढ़ से अगले ही दिन 27 जून 1975 को गिरफ्तारियां हुई। एडवोकेट सरदार हरचंद सिंह सिद्धु को 27 जून 1975 को उनके निवास से पकड़ा गया। सूरतगढ़ में प्रदर्शन करके गिरफ्तारियां दी गई। सूरतगढ़ में आपातकाल के विरोध का जबरदस्त माहौल था जो चंद संघर्षशील लोगों की ओर से था। आम लोगों को सरकार ने बहुत भयभीत कर दिया था। अत्याचार भी बहुत हुए थे।
गुरुशरण छाबड़ा और मैं करणी दान सिंह राजपूत श्रीगंगानगर जेल में बंद थे तब बाहर निकलकर साइक्लोस्टाइल गुप्त अखबार निकालने की योजना भी बनी, हालांकि यह योजना सफल नहीं हो पाई क्योंकि फोटोस्टेट का काल नहीं था। उस समय साइक्लोस्टाइल मशीनों से काम होता था। स्टैंसिल काटे जाते थे जो हिंदी में संभव नहीं थे। केंद्र सरकार के एक सरकारी कार्यालय में मालचंद जैन पटावरी के द्वारा व्यवस्था करली गई मगर वहां अंग्रेजी टाइप थी। वह योजना सिरे नहीं चढ सकी।
* हम श्री गंगानगर जेल में बंद थे उस समय राजस्थान के नेता प्रोफ़ेसर केदारनाथ (श्री गंगानगर)खातीपुरा जेल में बंद थे। यह स्पेशल जेल घोषित की गई थी। प्रोफेसर केदार का पत्र सूरतगढ़ में मेरे पते पर पहुंचा। पोस्टकार्ड था जिसमें पूछा गया था कि श्रीगंगानगर में कितनी गिरफ्तारियां हुई है। जयपुर के एक पते पर सूचना भिजवानी थी।
केदार जी को मालुम नहीं था कि मुझे भी गिरफ्तार कर लिया गया है। सूरतगढ़ से यह पत्र उपन्यास के बीच में रखकर श्रीगंगानगर जेल में भेजा गया। जिस दिन कुछ सामान मुझे मिला उसी दिन जेलर की सख्त जांच हुई। कुछ अखबार थे वह जेलर ने रख लिए। उपन्यास को भी पन्ने पलट करके देखा गया लेकिन पोस्टकार्ड अंदर छिपा हुआ था इसलिए बच गया।
प्रोफेसर केदार को मैंने यह सूचना भिजवाई। जेल में से जो सिख कैदी तारीख पेशी पर बाहर जाते उनके साथ पत्र भेजे जाते। वे डाक डिब्बे में डलवा देते। उनकी पगड़ी में पत्र छिपा कर बाहर भेजे जाते थे। प्रो.केदारनाथ जी को मैंने जयपुरसूचना भिजवा दी। उनका एक पता दिया हुआ था उस पते पर मेरा पत्र पहुंच गया था।
( प्रो.केदारनाथ शर्मा 1977 में विधायक चुने गए और राजस्थान के गृहमंत्री बने। गुरूशरण छाबड़ा सूरतगढ़ से 1977 में विधायक चुने गए।)
सूरतगढ़ में जब हाथ से लिखे हुए पर्चे खास खास जगह पर पहुंचाए जाते थे तब उसमें आरएसएस का बड़ा सहयोग था।
स्वयंसेवक कौन यह पर्चे कहां पहुंचा रहा है इसका किसी को पता नहीं था। मेरी हस्तलिपि साफ सुंदर होने के कारण मेरी ड्यूटी थी एक साथ चार पांच कार्बन प्रतियां निकालना। किसी को मालुम न हो सके इसलिए कागज और कार्बन पेपर भी अन्य व्यक्ति लाता। कार्बन पेपर भी एक साथ नहीं खरीदे जाते। एक एक मंगवाया जाता था। बहुत गुप्त कार्य था इसलिए किसी को आपातकाल के बाद में भी पता नहीं लगा कि किसने इसमें साथ दिया था।
गुरूशरण छाबड़ा जब जेल से बाहर आए तो सड़कों के ऊपर सामान्य रूप से कार्यकर्ताओं तक पत्र पहुंचा देते से। यह कार्य निर्भीक रूप से किया जाता रहा।
आपातकाल में तो समाचार पत्र भारत जन जब्त हो गया था लेकिन जब आपातकाल खत्म हुआ तब आपातकाल के बारे में समाचार छपे।
उसी का यह अंक 8 नवंबर 1977 मैं आप सबके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं। भारत जन का प्रकाशन संपादन मेरे स्वामित्व में हुआ था जो 1973 से 1979 तक चला था। ०0०
30 दिसंबर 2022.
करणीदानसिंह राजपूत,
उम्र 77 वर्ष पार.
स्वतंत्र पत्रकार
( आपातकाल जेलबंदी)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356.
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गुरुवार, 29 दिसंबर 2022
सूरतगढ़ मैं खतरनाक ट्रांसफार्मर जहां हर समय खड़ी रहती है मौत:विभाग तुरंत जागे.
* करणी दान सिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 29 दिसंबर 2022.
जोधपुर विद्युत वितरण निगम की घोर लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना सर्विस के कारण वार्ड नंबर 43 में लगे एक ट्रांसफार्मर के कारण कभी भी जानलेवा दुर्घटना हो सकती है।
ईदगाह के पास नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष इकबाल कुरैशी के घर के नजदीक घरों के बीच लगा हुआ एक ट्रांसफार्मर हर समय खतरे की घंटी बजाता हुआ रहता है।
इस ट्रांसफार्मर के खंभे टूटे हुए हैं जो कभी भी गिर सकते हैं और अग्निकांड जैसी दुर्घटना भी हो सकती है।
*इस ट्रांसफार्मर के चारों ओर चारदीवारी या तारबंदी नहीं है जोकि विभाग के नियमों के हिसाब से अनिवार्य है। विभाग के रिकॉर्ड में इसकी चारदीवारी है या नहीं है यह अलग बात है लेकिन मौके पर चार दिवारी या तारबंदी नहीं है। यहां पर पशु भी इसके नीचे आकर के खड़े होते रहते हैं। ट्रांसफार्मर घरों के बीच में स्थित है इसलिए कभी कोई मासूम बच्चा भी इसके आस पास खड़ा हो सकता है पहुंच सकता है। कोई दुर्घटना हो तो बहुत बड़ा जानलेवा नुकसान हो सकता है।
* सूरतगढ़ में अनेक स्थानों पर ऐसे बिना चारदीवारी और बिना तारबंदी के ट्रांसफार्मर लगे हुए हैं। विभाग के शहरी सहायक अभियंता को तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए और सुरक्षित बनाने चाहिए।०0०
दि 29 दिसंबर 2022.
करणीदानसिंह राजपूत.
स्वतंत्र पत्रकार,
(राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क सचिवालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356
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आपातकाल1975 में श्यामलाल चिलाना व गुरनामसिंह से सूरतगढ़ पुलिस की क्रूरता:भारतजन 1977.
* करणीदानसिंह राजपूत *
इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में लगाए गए आपातकाल में विरोध करने वालों को क्रूर यातनाएं देने में पुलिस और प्रशासन आगे रहा था।
इंदिरा गांधी की सत्ता के विरुद्ध बाबू जयप्रकाश नारायण ने आवाज उठाई थी। सूरतगढ़ में आपातकाल लगने के पहले दिन राजस्थान की पहली आमसभा विरोध में 26 जून 1975 को हुई।
उसका परिणाम तो आना ही था। सूरतगढ़ सदा संघर्षशील रहा। सूरतगढ़ से गिरफ्तारियां हुई और गिरफ्तारियां दी भी गई।
* आपातकाल का विरोध करने के लिए सूरतगढ़ के व्यापारी श्यामलाल चिलाना और सरदार गुरनाम सिंह कम्बोज ने बाबू जय नारायण जयप्रकाश नारायण जे पी जिंदाबाद के नारे लगाते हुए 22 जुलाई 1975 को रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म पर गिरफ्तार दी। इनको सूरतगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया। रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते हुए भी दोनों नारे लगा रहे थे। श्यामलाल को रोकने के लिए पुलिस ने उसके मुंह पर मुक्का मारा जिससे उनका दांत टूट गया लेकिन वे रुके नहीं। जीप में बिठाए गए गुरनाम सिंह नारा लगा रहे थे तो उनकी पगड़ी गिराई गई उनकी दाढ़ी नोची गई। दोनों को थाने में लाकर बुरी तरह से मारा गया। श्यामलाल चिलाना को इतना मारा गया कि उनके मुंह पर पहले से लगी मार की चोट से खून बहने लगा। वे बेहोश हो गए। उनको फेंक दिया गया। उनके मुंह से निकलते खून पर चीटियां आने लगी तो गुरनाम सिंह ने चिंटियों को हटाने के लिए कोशिश की तो गुरनाम सिंह को बहुत पीटा गया। कोई दया पुलिस के दिल में नहीं थी। श्यामलाल के रिश्ते में भाई कुशालचंद चिलाना को भी पकड़ा गया था। उनके सगे भाई भगवानदास चिलाना को पकड़ने के लिए जीप भेजी गई। उसी जीप में थाने में प्रधान बीरबल भादू और सरपंच सतपाल ताखड़ आए और कहा कि यह बाहर कैसे बैठे हैं हवालात के अंदर डालो। पुलिस ने दोनों आंदोलनकारियों को पहले दिन रोटी नहीं दी दूसरे दिन भी भूखा रखा। एसडीएम के आगे पेश करके हनुमानगढ़ जेल भेजा गया वहां पर पहले दिन बची हुई जली हुई रोटियां मिली। आपातकाल के अंदर भयानक यातनाएं भोगनी पड़ी थी।
मेरा साप्ताहिक भारत जन पहले सेंसर होने लगा। सरकार की अनुमति के बिना कोई समाचार छापा नहीं जा सकता था। सरकारी विज्ञापनों को रोक दिया गया। बाद में मुझ संपादक की गिरफ्तारी भी हुई और अखबार जब्त कर लिया गया।
* आपातकाल खत्म होने के बाद में जब केंद्र व राजस्थान में जनता पार्टी का राज आया तब घटनाक्रम बदला और सेंसर खत्म हुआ।
तब 'भारत जन' के 25 जुलाई 1977 के अंक में श्याम लाल चिलाना और स.गुरनामसिंह के साथ हुई क्रूरता को प्रकाशित किया गया। भारतजन का उक्त मेरे संग्रह में है। इस अंक का फोटो यहां प्रस्तुत है।
* स.गुरनामसिंह कम्बोज अति वृद्धावस्था करीब 88 वर्ष पूरे कर चुके हैं। सूरतगढ़ में बिजली बोर्ड के ठीक सामने की गली में उनका निवास है। श्यामलाल चिलाना का स्वर्गवास हो चुका है। श्याम जी के पुत्र किशनलाल चिलाना सूरतगढ़ में वैरायटी स्टोर चलाते हैं। *
29 दिसंबर 2022.
करणीदानसिंह राजपूत.
77 वर्ष पूर्ण।
स्वतंत्र पत्रकार,
* आपातकाल में जेलबंदी*
( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356
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बुधवार, 28 दिसंबर 2022
शिल्प एवं माटी कला बोर्ड के गवर्निंग बोर्ड की बैठक: अध्यक्षता-डूंगरराम गेदर:संपूर्ण रिपोर्ट.
* करणीदानसिंह राजपूत *
जयपुर 28 दिसंबर 2022.
शिल्प एवं माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष (राज्य मंत्री) श्री डूंगर राम गेदर की अध्यक्षता में गवर्निंग बोर्ड की तृतीय बैठक का आज दिनांक 28.12.2022 को उद्योग भवन स्थित मुख्य सभा कक्ष में आयोजन हुआ जिसमें बोर्ड के 4 सदस्यों सहित विभिन्न विभागों के शासन सचिव/संयुक्त शासन सचिव स्तर के कुल 16 सदस्यों ने भाग लिया।
* बैठक में राज्य सरकार द्वारा मनोनीत किये जाने वाले सदस्यों की संख्या 5 से बढाकर 11 करने, बोर्ड का जिला स्तर पर विस्तार करने हेतु जिला स्तरीय समितियों के गठन, दस्तकारों के लिए मिट्टी की उपलब्धता सुनिश्चित करने, शहरी क्षेत्रों में मिट्टी के उत्पाद बेचने में सुविधा हेतु क्योस्क के आवंटन सहित कुल 12 प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया।
* बैठक में बोर्ड के मनोनीत सदस्य श्री सम्पतराज कुमावत, श्री रामकरण कुमावत, श्री रधुनाथ कुम्हार, श्री कैलाश कुमावत, उद्योग विभाग, राजस्व विभाग, खनन विभाग, ऊर्जा विभाग, श्रम एवं नियोजन विभाग, राजस्थान खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के सचिव आदि विभागों के अधिकारीगणों ने भाग लिया।
* बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, श्री चम्पालाल कुमावत ने अध्यक्ष सहित बैठक में उपस्थित सभी सदस्यगणों का बैठक में उपस्थित होने के लिए आभार व्यक्त करते हुए बैठक का समापन किया। ०0०