शनिवार, 31 दिसंबर 2022

पाकजासूस मुस्ताक तीसरी बार सूरतगढ़ में सिख बना पकड़ा गया.साप्त.हिंदुस्तान 1986.


* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ में तीसरी बार पकड़े गए पाकिस्तानी जासूस मुस्ताक अली ने सिख भेष धारण कर रखा था और नाम भी मनसा सिंह गिल एमएस गिल रख लिया था। प्राकृतिक रूप से केश और दाढी भी बढाई हुई थी। लेकिन फिर भी पुलिस की तेज निगाहों में बच नहीं पाया। 

* सिपाही मेघसिंह ने मुस्ताक अली को पहले 1969 में श्रीकरणपुर में पकड़ा और 14 वर्ष बाद सूरतगढ़ में 7 अक्टूबर 1985 में दुबारा पकड़ा। मुस्ताक अली ने भेष बदल लिया सिख भेष धारण कर लिया लेकिन मेघसिंह सिपाही की निगाहों से बच नहीं पाया। सूरतगढ़ की बीकानेर रोड पर वह गिरफ्तार किया गया। 

मुस्ताक अली हिंदुस्तान में 1962 से अवैध रूप से सीमा पार कर आता-जाता रहा। उसके बाद में उसका संपर्क पाकिस्तान की फील्ड इंटेलिजेंस यूनिट से हुआ। वह उसकी जासूसी के लिए पहली बार 1969 में भारतीय सीमा में घुसा।

मुस्ताक अली को जनवरी 1969 में मेघ सिंह सिपाही ने श्रीकरणपुर में पकड़ा। 

मुस्ताक पर मुकदमा चला । उसे ढाई वर्ष की सजा हुई। उसने श्री करणपुर उपकारागृह से भागने की भी कोशिश की मगर सफल नहीं हो पाया।

 उसकी सजा सन 1974 में पूरी हुई तब पाकिस्तान धकेल दिया गया।


मुस्ताक अली इसके बाद में 1978 में फिर रायसिंहनगर क्षेत्र से भारत में घुसा। वह सीमा सुरक्षा बल के द्वारा पकड़ा गया। उस पर मुकदमा चला और 13 महीने की जेल हुई। उसकी सजा पूरी होने पर फरवरी 1982 में उसे पाकिस्तान धकेल दिया गया।

वह लगातार आ रहा था। देश की बहुत सी खुफिया जानकारी भी पाकिस्तान को पहुंचा रहा था। उन दिनों में इतने संचार के साधन नहीं थे फिर भी वह बहुत कुछ जानकारियां पाकिस्तान को देने में सफल रहा था। 

* तीसरी बार वह भारतीय सीमा में घुसा तब उसने अपना नाम वेशभूषा सब कुछ बदल लिया था। मुस्ताक अली के बजाय उसने अपना नाम मंसा सिंह गिल रख लिया। सिख भेष धारण कर लिया।पगड़ी पहन ली और उसी प्रकार के चोले और पायजामा पहन लिया। सिर केश और दाढी प्राकृतिक ढंग से बढा ली। इतना पक्का प्रबंध कर वह आया कि कोई पहचान न सके।

इतना पक्का प्रबंध करने के बाद में भी वह मेघसिंह सिपाही की नजरों में आ गया।

वह बीकानेर रोड पर पकड़ा गया।

 मेघ सिंह ने उसे देखा तो नाम से पुकारा। मुस्ताक अली आनाकानी करने लगा कि मुस्ताक अली नहीं मैं तो एम.एस गिल हूं। उसने कहा मेरा नाम मंशासिंह गिल है तुम्हें गलतफहमी हुई है। लेकिन मेघ सिंह नहीं मानना उसने कहा नहीं तुम कितना ही भेष बदल ले। तूं मुस्ताक अली है। मैंने तुझे अच्छी तरह से पहचान लिया है। वह ज्यादा आनाकानी करने लगा। मेघसिंह उसे पकड़ कर थाने ले गया।  वहां पर कुछ देर में ही मुस्ताक अली टूट गया।

उसकी निशानदेही पर घग्घर पुल के नीचे छुपाए हुए बहुत से सामग्री जासूसी से संबंधित प्राप्त हुई जिसमें सूरतगढ़ सैनिक क्षेत्र आदि की जानकारियां थी। सूरतगढ़ छावनी साधुवाली छावनी, बीएसएफ की सीमा चौकियां,सेना की यूनिटों के फोरमेशन और टेक नंबर, रेलवे स्टेशनों के नाम आदि संग्रहित मिले।

 * मुस्ताक अली  पर 1 वर्ष तक मुकदमा चला और 3 अक्टूबर 1986 को 3 साल की सजा हुई। इस सजा के दौरान ही हिंदुस्तान की जेल में उसकी मृत्यु हो गई। मेरी स्मृति के अनुसार बीकानेर जेल में उसकी मृत्यु हुई थी। 

मुस्ताक अली ने हिंदुस्तान के कई लोगों को जासूसी में शामिल कर लिया था।

* जून 1927 में जन्मे मुस्ताक अली की उम्र 1985 में गिरफ्तारी के समय 58 साल थी।कोई सोच नहीं सकता था कि वृद्धावस्था में भी कोई जासूसी में सक्रिय हो सकता है। यदि मेघ सिंह की निगाहों में नहीं आता या यह कहें कि उस समय बीकानेर रोड पर मेघ सिंह भी नहीं गुजरता तो शातीर पाक जासूस पकड़ में नहीं आता।  वह बहुत कुछ नुकसान देश को कर सकता था।

मेघ सिंह सिपाही से पदोन्नत हुआ हेड कांस्टेबल बनाया गया और उसकी ड्यूटी यातायात पुलिस में लगाई गई।

 7 अक्टूबर 1985 को जब सूरतगढ़ में मुस्ताक अली तीसरी बार गिरफ्तार किया गया तब मुझ करणी दान सिंह राजपूत को सूचना मिली। मैं तत्काल करीब 3 घंटे बाद में पुलिस स्टेशन सूरतगढ़ पहुंच गया और समाचार लिया व फोटोग्राफी की। मैं थाने के भवन से बाहर निकला तब वहीं मेघ सिंह मुझे मिला और कहा कि इस जासूस को मैंने पकड़ा है। अब न जाने इस की गिरफ्तारी किस तरह दिखाई जाएगी और गिरफ्तार करने वाले का नाम क्या होगा?  इसकी गिरफ्तारी का  लाभ तो रिकॉर्ड में मुझे ही मिलना चाहिए। क्या आप कुछ कर सकते हैं?मैंने कहा कि कोशिश करते हैं कि आपका नाम ही गिरफ्तार करने वाले में जाए और अकेले का जाए। मैंने वहीं मेघसिंह का भी फोटो लिया।

सूरतगढ़ के इंटेलिजेंस विभाग में नियुक्त अधिकारी से मिलना जुलना समाचारों के लिए होता रहता था। मैंने उनसे आग्रह किया कि जयपुर मेघसिंह का नाम आप तुरंत आज ही भिजवा दें। मुस्ताक अली की गिरफ्तारी पूछताछ के बाद में दिखाई गई लेकिन तब तक मेघसिंह का नाम सभी गुप्तचर व पुलिस मुख्यालय में पहुंच चुका था।  मेघसिंह को पदोन्नति मिली। 

** सूरतगढ़ में इसके अलावा भी कई बार जासूस गिरफ्तार किए गए। 

अभी जब यह समाचार 31 दिसंबर 2022 को मैं बना रहा हूं,उससे कुछ महीने पहले ही इंटेलिजेंस विभाग ने सूरतगढ़ के अंदर भी जासूसी करते हुए एक व्यक्ति को पकड़ा था। दूसरा व्यक्ति डबली राठान का पकड़ा गया। 

👍 भारतीय हैं,उनको सतर्क रहना चाहिए अनजान व्यक्ति को संदिग्ध अवस्था हो तो उसकी सूचना पुलिस अधिकारी या इंटेलिजेंस अधिकारी को गुप्तरूप से बिना देरी किए अवश्य ही देनी चाहिए। सूरतगढ़ सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान है इसलिए यह मानकर चलें कि पाकिस्तान यहां कुछ न कुछ सदा करता रहता है इसलिए संदिग्ध व्यक्तियों की सूचना पुलिस तक और इंटेलिजेंस तक पहुंचाना बहुत जरूरी है।




* पाकिस्तानी जासूस मुस्ताक अली पर मेरी अनेक रिपोर्ट्स छपी। दी हिंदुस्तान टाईम्स के नईदिल्ली से प्रकाशित होने वाले  प्रसिद्ध साप्ताहिक हिंदुस्तान में 28 दिसंबर 1986 के अंक में भी मेरी रिपोर्ट छपी। यह अंक रिकॉर्ड में है। आपके समक्ष फोटो प्रस्तुत है।०0०

31 दिसंबर 2022.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

94143 81356.

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* पत्रकार अखबार उपयोग कर सकते हैं।

करणी प्रेस इंडिया साइठ्ठ में मेरी पत्रकारिता मेरा लेखन स्तंभ में पुरानी जानकारियां उपलब्ध रहेगी। करणीदानसिंह राजपूत. 1965 से पत्रकारिता।०0०

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