* करणीदानसिंह राजपूत.
सूरतगढ़ 3 अगस्त 2025.
कांग्रेस के नेता परसराम भाटिया ने भाजपा नेता के स्कूल को जमीन दिए जाने के मामले में हाई कोर्ट में लगाई गई रिट स्टे आर्डर होने के बावजूद वापस ले ली। राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में यह रिट 4862/ 2025 परसराम भाटिया, बसंत कुमार बोहरा, श्रीमती तुलसी असवानी (पत्नी धर्मदास सिंधी) की ओर से दायर की गई थी। ये तीनों निवृत नगरपालिका बोर्ड में कांग्रेस के पार्षद रहे थे। रिट वापस का आदेश उच्च न्यायालय से 9 जुलाई 2025 को हुआ।
बहुत गोपनीय तरीका अपनाते हुए रिट वापस लेने वालों ने और भाजपा वाले नेताओं ने कहीं भी इसकी भनक नहीं लगने दी। मामला था जाखड़ावाली के विवेकानंद पब्लिक स्कूल को सूरतगढ़ में जमीन देने का, जो सन् 1997 से विचाराधीन विभिन्न स्तरों पर चल रहा था। नगर पालिका बोर्ड की 28 अगस्त 2024 की मीटिंग में एजेंडा नंबर 7 में यह प्रस्ताव पारित हुआ जिसको राजस्थान उच्च न्यायालय में चैलेंज किया गया था। न्यायालय ने नगरपालिका बोर्ड द्वारा पारित प्रस्ताव नं सात पर स्टे जारी कर दिया था।
राजस्थान उच्च न्यायालय में परसराम भाटिया आदि की तरफ से वकील संजीत पुरोहित और मुदित नागपाल पेश हुए रेस्पोंडेंट की ओर से राजेश पंवार एएजी,आयुष गहलोत एडवोकेट और निशंक मधान एडवोकेट पेश हुए। राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संदीप शाह और न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर ने रिट वापस लिए जाने के आवेदन को मंजूर किया और रिट वापसी पर रिट को डिसमिस कर दिया। यह आदेश 9 जुलाई 2025 को जारी हुआ था। यह आदेश नगरपालिका सूरतगढ़ में भी पहुंचा।
पक्ष और विपक्ष किसी की ओर से भी जनता के बीच इसकी किसी को भी भनक नहीं पड़ने दी गई। कांग्रेस के नेता जो कहते थे कि स्कूल को किसी भी हालत में जमीन नहीं लेने दी जाएगी वे एकदम से पलटा गए हैं।इसके पीछे क्या कारण रहे हैं यह पक्ष और विपक्ष ही जान सकते हैं। हां इससे स्कूल को स्वायत शासन निदेशालय जयपुर की ओर से जमीन दिए जाने का मार्ग साफ हो गया है।
स्कूल को जमीन दिए जाने का यह प्रकरण सन् 1997 से चल रहा है जब जमीन की कीमत कम थी। स्कूल की ओर से इसकी कीमत भी जमा करा दी गई थी।
विदित रहे की नगर पालिका के निवृत हुए बोर्ड के 45 पार्षदों में से 31 पार्षदों ने स्कूल को जमीन दे दिए जाने का प्रस्ताव बोर्ड की मीटिंग में रखने का एक ज्ञापन प्रस्तुत किया था। नियम होने के कारण यह प्रस्ताव रखना जरुरी था। इसके बाद नगर पालिका की निकटतम बैठक 28 अगस्त 2024 को हुई जिसमें एजेंडा नंबर 7 पर यह प्रस्ताव रखा हुआ था। यह प्रस्ताव बहुमत से पारित हुआ।
कांग्रेस और रिट दायर करने वालों ने आरोप लगाया गया कि तत्कालीन अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा ने अधिशासी अधिकारी पूजा शर्मा से मिलकर यह प्रस्ताव पारित करवाया है जिसमें स्कूल को कीमती जमीन दी जानी है। यह प्रस्ताव पारित करके डीएलबी जयपुर को भिजवा दिया गया। प्रस्ताव को रोकने के लिए कांग्रेस ने व्हिप जारी की लेकिन कांग्रेस के सात पार्षद मीटिंग में नहीं आए। उनको नोटिस दिए जिनका जवाब भी नहीं दिया।
कांग्रेस के तीन पार्षदों परसराम भाटिया (जो ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष हैं),बसंत कुमार बोहरा और तुलसी आसवानी (पत्नी धर्मदास सिंधी) ने इसका विरोध करते हुए एक रिट राजस्थान उच्च न्यायालय में पेश की, जिस पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने नगर पालिका बोर्ड के इस प्रस्ताव को स्टे कर दिया गया था।
यह मामला विधायक डूंगर राम गेदर की ओर से विधानसभा में उठाया गया।
23 मार्च 2025 को एक प्रेस कांफ्रेंस करके डूंगर राम गेदर और परसराम भाटिया ने राजस्थान उच्च न्यायालय के रिट की जानकारी और स्टे आर्डर की कॉपी पत्रकारों को दी। उसमें जोर-शोर से से कहा गया था कि भाजपा नेता संदीप कासनिया ( पूर्व राज्य मंत्री रामप्रताप कासनिया का पुत्र) और यह जमीन जो करोड़ों रुपए की है किसी भी हालत में उनको लेने नहीं दी जाएगी। अभी कुछ दिन पूर्व संविधान बचाओ रैली में विधायक डूंगर राम गेदर ने कहा था कि कासनिया को जमीन किसी भी हालत में लेने नहीं दी जाएगी,जबकि उसके कई दिन पहले रिट वापस ली जा चुकी थी। इससे अनुमान होता है कि डुंगरराम गेदर को भी रिट वापसी की जानकारी नहीं थी।
यह जमीन नई धान मंडी और आवासन मंडल के बीच में नेशनल हाईवे 62 पर स्थित है जिसकी कीमत 50 करोड़ से 100 करोड़ के बीच में मीडिया के लोग लिखते रहे। भाजपा नेता संदीप कासनिया कह चुके हैं कि सूरतगढ़ को एक अच्छा शिक्षण संस्थान दिया जाएगा जिससे विद्यार्थी आगे बढ सकेंगे।०0०
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