सरकार ने भूखंड निरस्त करने का आदेश जारी किया:पहले आवंटियों को सुना जाएगा
तथ्य जो आए:प्रभावशाली लोगों ने अल्प आय के प्रमाणपत्र दिए:राजस्थान में मकान होते हुए भी झूठा हल्फनामा:
जिस आय के लिए जो साईज निर्धारित था उससे बड़ा प्लॉट आवंटित कर दिया गया
अधिशाषी अधिकारियों भंवरलाल सोनी और राकेश अरोड़ा-मेंहदीरत्ता पर सरकारी सपत्ति कम मूल्य में लुटाने का आरोप:
आईडीएसएमटी योजना में हुआ था यह महाघोटाला
सूरतगढ़,24 नवम्बर 2012. सूरतगढ़ में आईडीएसएमटी योजना के तहत वर्तमान टैगोर कॉलेज के साथ की कॉलोनी में भूखंड के लिए सन 2009 में आवेदन आमंत्रित किए गए। इनमें 4 हजार रूपए प्रतिमाह तक की आय और सरकारी कर्मचारियों की 5 हजार रूपए तक की मासिक आय वालों को ही आवेदन करना था। लेकिन अनेक प्रभावशाली लोगों ने जो सत्ताधरियों के नजदीकी थे,ने झूठे हल्फनामें देकर अधिक साईज के भूखंड पा्रप्त कर लिए। आवेदकों ने अपनी आय कम बतलाई और मकान होते हुए भी तथ्य को छुपाया। आवेदकों ने कुछ भी भरा हो मगर ड्यूटी तो अधिशाषी अधिकारियों की थी जिनको तथ्यों की जांच करनी चाहिए थी। उन्होंने जांच नहीं की और अपात्र आवेदकों भूखंड आवंटित कर दिए। सत्ताधारी के नजदीकी आवेदकों की जांच की हिम्मत किसी भी अधिकारी ने नहीं की। दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य तो यह रहा है कि विधायक की सिफारिश पर जिसे लाया हुआ हो वो अधिकारी सरकार के नहीं विधायक और उसके खास का कहना मानता है। इस लापरवाही में दो अधिकारी आरोपों के लपेट में आ गए हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता बाबूसिंह खीची ने सूचना के अधिकार के तहत नगरपालिका से दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां प्राप्त की और 11 जून 2012 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनकी जन सुनवाई में मिला तथा शिकायत पेश की। इस शिकायत पर स्वायत शासन विभाग के अतिरिक्त निदेशक ने 14 जून को नगरपालिका सूरतगढ़ में जांच की उसमें 46 लोगों को अपात्र माना गया जिनको निर्धारित साईज से अधिक के भूखंड दे दिए गए। इसके अलावा भी जांच रिपोर्ट में अनेक तथ्य सामने आए।
जांच रिपोर्ट की संपूर्ण फोटो यहां दी जा रही है।
राजस्थान सरकार ने एक माह पूर्व 23 अक्टूबर 2012 निरस्तीकरण की कार्यवाही के लिए श्रीगंगानगर के जिला कलक्टर को आदेश दिया। इस आदेश में लिखा था कि कुछ भूखंडों का कब्जा दिया जा चुका है तथा उनकी रजिस्ट्री भी हो चुकी है। नियमानुसार निरस्तीकरण करने की कार्यवाही शुरू की जाए और इससे पहले उनकी सुनवाई करली जाए। इस आदेश को एक माह बीत चुका है। अब यह मामला अखबारों में छप चुका है। अपात्र लोगों की सूची में उन लोगों के ही नाम हैं जिनको निर्धारित साईज से अधिक साईज के भूखंड दे दिए गए।
संपूर्ण आवंटित भूखंड मालिकों की जांच एक बार और की जानी चाहिए और यह मालूम किया जाना चाहिए उनमें झूठी आय नहीं दिखाई है और उनके पास राजस्थान में वास्तव में मकान नहीं है।
लॉटरी में डाली गई संपूर्ण सूची भी यहां दी जा रही है।सामाजिक कार्यकर्ता बाबूसिंह खीची |
सामाजिक कार्यकर्ता बाबूसिंह खीची ने अपने ताजा बयान में घोषणा की है कि शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं की,उनके परिवार की, अनूसूचित जाति जनजाति परिवारों की भूखंडों की लूट मचाने वाले व दोषी अधिशाषी अधिकारियों को बक्सा नहीं जाएगा व भूखंडों की निरस्तीकरण की कार्यवाही व दोषियों को दंडित कराने तक की कार्यवाही करवाई जाएगी। राज्य सरकार से कार्यवाही की अपेक्षा है और अगर राज्य सरकार इसमें ढ़ील बरतेगी तो सक्षम न्यायालय में भी की जाऐंगे। खीची ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से 11 जून 2012 को उपस्थित होकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को शिकायत की थी। इसके बाद 14 जून 2012 को अतिरिक्त निदेशक ने जांच की मगर कार्यवाही ठप रही। इस पर 15 अक्टूबर को मुख्यमंत्री से मिल कर हाल बताया तब जाके 23 अक्टूबर को जिला कलक्टर को गलत आवंटन को निरस्त करने का आदेश जारी हुआ। अब तेजी से कार्यवाही नहीं होती हे तो एक बार फिर से मुख्यमंत्री का ध्यान दिलाया जाएगा। खीची ने कहा है कि विधायक गंगाजल मील के अत्यन्त नजदीकी साथ रहने वालों ने गलत जानकारियां देकर राजनैतिक और सत्ता के दबाव से भूखंड हथिया लिए हैं, जो बहुत ही दुर्र्भाग्यपूर्ण है। दबाव के लिए आवेदन पत्रों में नई धान मंडी दुकान नं 82 और रिलांयस पेट्रोल पम्प के पते दिए गए। इन पर तो तत्काल ही कार्यवाही होनी चाहिए। विधायक स्वयं क्या फैसला लेते हैं,ये उन पर निर्भर है।
राजनैतिक सामाजिक संगठनों का कर्तव्य क्या होगा?
शहर में राजनैतिक दलों में भाजपा,शिव सेना,माकपा,बसपा और अनेक संगठन जो क्रांतिकारी होने की घोषणा करते हैं। उनकी क्या प्रतिक्रिया होती है? मामला शहीदों की वीरांगनाओं व परिवारों को भूखंड देने का है। संघ जो अपने हर बौधिक में देश की सुरक्षा करने वाली सेना औा उसके परिवारों को खासकर वीरांगनाओं को बड़ा महत्व देता है,देखना है कि इस मसले पर उसकी क्या प्रतिक्रया होती है?
------------------------------------------------
राजनैतिक सामाजिक संगठनों का कर्तव्य क्या होगा?
शहर में राजनैतिक दलों में भाजपा,शिव सेना,माकपा,बसपा और अनेक संगठन जो क्रांतिकारी होने की घोषणा करते हैं। उनकी क्या प्रतिक्रिया होती है? मामला शहीदों की वीरांगनाओं व परिवारों को भूखंड देने का है। संघ जो अपने हर बौधिक में देश की सुरक्षा करने वाली सेना औा उसके परिवारों को खासकर वीरांगनाओं को बड़ा महत्व देता है,देखना है कि इस मसले पर उसकी क्या प्रतिक्रया होती है?
------------------------------------------------