रविवार, 30 मार्च 2014

चुनाव ने बनाए अजीबोगरीब रिश्ते युवती माताजी, पति भाई साहब, ससुर अंकल और सास मां सा

            राजपूत -   करणीदानसिंह
चुनाव में मत मांगने के लिए घर घर में संपर्क करने के लिए निकले प्रत्याशियों व उनके समर्थकों की टोलियां दरवाजा खुलते ही सामने कोई भी आया तो बिना सोचे समझे तत्कालिक नए रिश्ते बना कर संबोधित कर बैठते हैं। ये संबोधन बड़े रोचक हंसी मजाक वाले होते हैं। जब कोई इनकी बानगी सुनाता है तो हंसते हंसते पेट में बल पड़ जाते हैं।
    विशाल एक हंसोड़ व्यक्तित्व का धनी। अपने ही घर में मत मांगने आए लोगों की बातें सुनाने लगा।  मत मांगने वालों ने उसके घर में किस तरह से अजीबोगरीब रिश्ते बना दिए। ये रिश्ते एक ही टोली ने कुल मिला कर पांच सात मिनट में ही बना डाले। टोली का हर व्यक्ति संबोधित कर रहा था। टोली का कोई भी व्यक्ति उम्र में तीस पैतीस साल से कम का नहीं था मतलब उनमें अधेड़ और बुजुर्ग भी शामिल थे। विशाल की उम्र होगी करीब 25 साल की होगी। इससे कुछ ज्यादा भी हो सकती है।
्    दरवाजा खटका तो विशाल की पत्नी ने दरवाजा खोला। अपने सामने बहुत सारे लोगों को देख कर वह घूंघट निकालने ही वाली थी कि जल्दी से आगे बढ़ कर एक ने पैरों के हाथ लगाते हुए कहा, माताजी, पांवाधोक करूं। वोट म्हाने दिज्यो। उसने जल्दी से घूंघट निकाल ही लिया। टोली के उस सदस्य ने यह देखने की कोशिश ही नहीं की कि सामने खड़ी युवती उम्र में उससे छोटी है। जल्दी से हां कराने के चक्कर में माता जी बना लिया। कई आवाजें सुन कर विशाल भी दरवाजे पर आ गया। आगे खड़े उसी व्यक्ति ने कहा, भाई साहब वोट हमें देना।
    विशाल कुछ बोल पाता कि फिर एक ने कहा अंकल कहां है? उनसे भी वोट मांग लेते हैं।
विशाल ने पूछ लिया अंकल कौन?
उस व्यक्ति ने तत्परता से जवाब दिया आपके पिताजी, और कौन?
विशाल सोच में पड़ गया कि मेरी पत्नी माताजी,मैं भाई साहब और मेरे पिताजी अंकल। वाह।
लेकिन ये नए रिश्ते यहीं पूर्ण नहीं हुए इससे आगे भी बनते चले गए।
विशाल की मां भी बातचीत सुन दरवाजे पर आ गई तो उन में से एक बुजुर्ग ने  अपना मुंह खोला-मां सा वोट म्हाने दीज्यौ।
एक साठ साले बुजुर्ग ने तो सारा दिमाग ही लगा दिया होगा जो बोल पड़ा दादीजी वोट म्हानै दीज्यो। विशाल की माँ ने गौर से ताका बोली-थारै जिता बड़ा बड़ा म्हारा पोता वोट मांगण नै आया है तो वोट तो जरूर देस्यां।
विशाल ने घूंघट में खड़ी पत्नी से धीमे से कहा-अरे भागवान,अब अंदर जाणे में भलाई है। इंयां को भरोसो कोनी कोई घूंघट में कोई दादी मां कह बैठेलो।
    वार्ड में एक सत्तर साल के प्रत्याशी ने वोट मांगते जो कहा उस संबोधन ने तो सिटीपिट्टी गुम करदी।
वह बुड्ढा आया और बोला, थारा अंतिम दर्शन करण आयो हूं। वोट मनैं जरूर दीज्यो।
विशाल बोला, बाबाजी, अंतिम दर्शन तो मर जावै जिकै रा होवै। म्हारे घर में तो सारा जीता जागता बैठ्या है।
वह बोला-अरे बेटा,मेरो मतलब ओ कोनी हो, मैं ओ कहणो चावूं हूं के मैं तो ओ अंतिम चुनाव लड़ रयो हूं। ईं वास्ते अंतिम दर्शन करण आयो हूं। मेरी भावनावां नै समझ।
    सत्तर साल की एक महिला को तिकड़म से पार्टी का टिकट दिला दिया गया। चयन समिति के सदस्यों व पर्यवेक्षक से कहा गया कि इसका तो यह आखिरी चुनाव है। इसके बाद इसे कब टिकट मिलेगी। पार्टी ने टिकट दे दी। अब उनके पति वोट मांगने के लिए विशाल के घर पर पहुंचे। वे बोले, देख भाई तेरी दादी ने टिकट दिला दी है। तेरो आखिरी वोट दे देई।
विशाल का मुंह खुला का खुला रह गया। वह बोला, दादाजी, मेरो आखिरी वोट को मतलब समझो हो कांई? थारो कहवणे रो मतलब ओ निकले है के वोट देवण रै बाद म्हारी मौत हो जावेगी। मतलब ओ के मैं मरण आळो हूं , और उण सूं पैलां थानै वोट जरूर दे दूं।
वे बोले, मेरो मतलब यो है के तेरी दादी को यो चुनाव आखिरी है। तूं हिंदी में मतलब ना काढ़। मेरी बात नै समझ। तेरी दादी को आखिरी चुनाव अर बिनै मिलण वाला वोट आखिरी वोट।
विशाल बोला, मैं समझ गया दादाजी। अच्छी तरह से समझ गया कि घर का दरवाजा खोलने से पहले छत पर जाकर झांक लूं कि दरवाजे पर कौन आया है।
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बुधवार, 19 मार्च 2014

मोदी नहीं पीते शराब:गुजरात में शराब तस्करों का तंत्र क्यों नहीं टूट रहा?

क्या सच्च में मोदी जी को मालूम नहीं है?
क्या यह सच्च संघ को मालूम नहीं है?
क्या यह सच्च भाजपा हाई कमान को मालूम नहीं है?
क्या यह सच्च वसुंधरा को मालूम नहीं? राजस्थान होकर जाती है शराब।

टिप्पणी- करणीदानसिंह राजपूत

मोदी जी शराब नहीं पीते मगर उनके गुजरात में शराब पर प्रतिबंध के बावजूद शराब तस्करों का मजबूत तंत्र कार्य कर रहा है और तीसरी बार सत्ता में आए मोदी जी का तंत्र उनको रोक नहीं पा रहा है।
राजस्थान के रास्ते होकर गुजरात को करोड़ों रूपए की शराब की तस्करी प्र्रतिदिन हो रही है। राजस्थान में महीने में पांच दस ट्रक शराब कार्टन से भरे हुए पकड़े जा रहे हैं,जिनके बारे में यही खुलासा होता है कि शराब गुजरात ले जाई जा रही थी। शराब तस्कर जो पकड़ में नहीं आ पाते उनकी संख्या काफी मानी जाती है। यानि कि करोडों रूपयों की शराब गुजरात हर रोज पहुंचने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।
यह शराब पंजाब,हरियाणा और चंडीगढ़ से राजस्थान के रास्ते से गुजरात पहुंचती है। कितने ही लोग इस करोडों रूपयों की अवैध कमाई से मालामाल हो रहे हैं और गांधी के गुजरात में ,नरेन्द्र मोदी के गुजरात में नशे के व्यापार में सरकारी तंत्र पर भारी पड़ रहे हैं।
मोदी जी को भावी प्रधानमंत्री के रूप में चुनाव में उतारा जा रहा है।
मोदी जी देश की सीमाओं की सुरक्षा करेंगे। बड़े दावे इसके किए जा रहे हैं।
सच्च यह है कि मोदी जी अपने गुजरात की सीमा की रक्षा ही नहीं कर पा रहे हैं।
मोदी जी शराब तस्करों से गुजरात की सीमा की रक्षा नहीं कर पा रहे,वे हथियारों से सुसज्जित दुश्मन की सेना से देश की सीमाओं की रक्षा कैसे कर पाऐंगे?
क्या सच्च में मोदी जी को शराब तस्करी और तस्करों के तंत्र का मालूम नहीं है? या उनका सरकारी तंत्र इस अवैध कार्य में शामिल है। उसकी यह के बिना तो अवैध कार्य हो ही नहीं सकता। क्या सरकारी तंत्र पर खुद मोदी का अंकुश नहीं है? क्या मोदी भी उसी मिट्टी के बने हुए हैं कि जैसा चल रहा है चलने दिया जाए? कोई पंगा नहीं लिया जाए? या फिर शराब तस्करों से चंदा लेने का काम कोई करने में लगा हैï?
मोदी जी ने अगर अंकुश लगाया हुआ है तो शराब की तस्करी कैसे हो रही है?

शराब बंदी के कारण गुजरात सरकार को तो एक पैसे की आमदनी नहीं हो रही है तो शराब तस्कर मालामाल क्यों हो रहे हैं? गुजरात में सुशासन का दावा किया जा रहा है,लेकिन जहां शराब तस्करी से हर जगह उपलब्ध हो तो सुशासन का दावा खोखला हो जाता है?

कितनी शराब पकड़ी गई और कितने शराब तस्करों को पकड़ा गया व कितनों को कितनी कितनी सजा हुई?
अगर सरकारी तंत्र की कड़ाई हो तो तस्करी एक बोतल की भी नहीं की जा सकती।
क्या यह सच्च भाजपा हाई कमान को मालूम नहीं है?
क्या यह सच्च वसुंधरा को मालूम नहीं? राजस्थान होकर जाती है शराब। राजस्थान में गुजरात जाती हुई शराब करोडों रूपए की हर पांचवें सातवें दिन पकड़ में आती है।
पिछले 10 सालों का आबकारी विभाग का रिकार्ड देख कर मालूम किया जा सकता है।
साफ सुथरे मोदी की छवि पर गुजरात में शराब तस्करी का धब्बा है जिस पर ना जाने क्यों मोदी व भाजपा अभी तक नजर क्यों नहीं डाल रहे हैं?
दिल्ली का इलेक्ट्रिोनिक मीडिया जब चैनलों पर सवाल दागेगा और मोदी जी को सवालों के घेरे में खड़ा करेगा तब शायद इस महत्वपूर्ण सवाल का उत्तर सामने आएगा।
ना जाने कांग्रेस, आम आदमी पार्टी या अन्य राजनैतिक दलों के नेता इस सवाल को उठाने में पीछे क्यों हैं?

गुरुवार, 13 मार्च 2014

सूरतगढ़:होटलों धर्मशालाओं में ठहरने को असली आईडी -


पुलिस आदेश जारी हुआ:
खास खबर- करणीदानसिंह राजपूत.
सूरतगढ़, 13 मार्च 2014.यहां के होटलों धर्मशालाओं आदि में ठहरने वालों को अब असली परिचय पत्र जमा करवाना होगा और जब होटल धर्मशाला छोड़ा जाएगा तब वह लौटाया जाएगा। सिटी थानाधिकारी ने यह आदेश होटलों व धर्मशालाओं के संचालकों को दिया है। यह आदेश 9 मार्च को जारी किया गया है। इसके अलावा संचालकों को आदेश में लिखा गया है कि वे अपने होटल धर्मशाला का रजिस्टर हर महीने की 15 व 30 तारीख को थाने में दिखायेंगे। पुलिस ने मोबाइल नम्बर लिखने और उसके कन्फर्म करने का भी लिखा है,जो तत्काल ही रिंग देकर हो सकेगा। लेकिन अनेक लोग हैं जो मोबाईल फोन रखते ही नहीं है।
यह भी लिखा गया है कि इसकी पालना नहीं हुई तो कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
पहले होटलों व धर्मशालाओं में रूकने वाले का असली परिचय पत्र देख कर उसकी प्रतिलिपि जमा करवा ली जाती थी। होटलों धर्मशालाओं में ठहरन वाला किसी दफ्तर में व्यवसाय आदि का काम करने निकलता तब असली परिचय पत्र उसके पास में होता था।
इस आदेश का पालन करने के लिए जरूरी है कि ठहरने वाला असली दो प्रकार के परिचय पत्र रखे। एक ठहरने वाले स्थान पर जमा करवाए और दूसरी आने पास में रखे।
ढ़ाबों व अन्य रेस्टोरेंटों आदि में जहां पर केवल चारपाईयां लेकर लोग ठहरते हैं वहां के क्या नियम होंगे?
पुलिस का आदेश यहां दिया जा रहा है।




सोमवार, 10 मार्च 2014

लोकसभा:विधायक राजेन्द्र भादू के नेतृत्व में सूरतगढ़:भाजपा को 1 लाख वोट मिलना संभावित



टिप्पणी- करणीदानसिंह राजपूत-

सूरतगढ़। नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के जोश में विधायक राजेन्द्रसिंह भादू की कमान में लोकसभा चुनाव में भाजपा को सूरतगढ़ विधान सभा क्षेत्र में वोटों की भारी बढ़त से 1 लाख वोटों से अधिक वोटों के मिलने की संभावना है।
विधानसभा चुनाव 2013 में सूरतगढ़ क्षेत्र से भाजपा के राजेन्द्र भादू को 67 हजार वोट मिले थे और बसपा 40 हजार वोट लेकर दूसरे तथा कांग्रेस 33 हजार वोट लेकर तीसरे और 20 हजार वोट लेकर जमींदारा पार्टी चौथे नम्बर पर रही थी।
आज की स्थिति में पूरें विधानसभा क्षेत्र में केवल भाजपा के कार्यक्रमों के दर्शन हो रहे हैं। कांग्रेस,बसपा,जमींदारा पार्टियां शांत है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी का कोई माहौल बन ही नहीं पाया है। कुछ दिन पूर्व इस पार्टी ने एक रैली निकाली थी। उसमें चार पांच कार्यकर्ता बोलने वाले थे और पन्द्रह बीस इन्हीं के कार्यकर्ता भाषण सुनने वाले थे। मतलब खुद बोल रहे थे और खुद ही सुन रहे थे। इसलिए वोटों की संभावना में फिलहाल इसकी चर्चा नहीं करेंगे।
बसपा के 40 और जमींदारा के जो 60 हजार वोट हैं, जो इनकी शांत प्रवृति के कारण स्थाई नहीं रह सकते और भाजपा के मोदी के डंके के कारण हर हालत में आधे खिसक जाऐंगे और वे भाजपा की झोली में जाऐंगे। पिछले चुनाव में वोटरों पर राजेन्द्र भादू की पकड़ बहुत ज्यादा हुई है और वोटरों को अपनी ओर खींचने के तरीकों को और अधिक ताकत मिली है। राजेन्द्र भादू के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव में वह वोटर चिपक जाएगा जो विधानसभा चुनाव में अन्य पार्टियों के साथ था। इसका एक महत्वपूर्ण कारण भी है कि ग्रामीण और शहरी जनता को विधायक से ही अधिक काम पड़ते हैं। खासकर ग्रामीण जनता तो थाना कचहरी सिंचाई आदि के सारे कार्यों में और विवादों को सुलटाने में विधायक को ही आगे रखती है।
इस समय शहर और ग्रामों पूरे विधानसभा क्षेत्र सूरतगढ़ में भाजपा का ही बोलबाला है।
भाजपा ने मोदी को प्रधानमंत्री बनाने को लेकर कई कार्यक्रम कर दिए हैं जो सफल रहे हैं।
वर्तमान में भाजपा के पास में मजबूत युवा मोर्चा और मजबूत महिला मोर्चा है जो कांग्रेस के पास में नहीं है।

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