मंगलवार, 30 अप्रैल 2024

सूरतगढ़ में अवैध पट्टे:अवैध भूखंड:उन भूखंडों को नहीं खरीदें

 

 *करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ नगर पालिका के पट्टे जिनके आसपास पड़ोसियों के नाम लिखे हुए नहीं है उनको खरीदे से बचें। यह पत्ते जिनकी बहुत समय से शिकायतें चल रही है। कभी भी बड़ी जांच के घेरे में आ सकते हैं। खरीदार के लाखों रुपए डूब सकते हैं।

नगर पालिका के हर सही पट्टे में अड़ोस पड़ोसियों के नाम सड़कें गलियां लिखे हुए होते हैं। स्थान का उल्लेख होता है कि यह जमीन भूखंड कहां पर किस वार्ड में है लेकिन जिन पट्टों पर पड़ोस के नाम लिखे हुए नहीं है उनका जमीन का कोई अता-पता नहीं है कि वह कहां पर है। ऐसे पेट्टे गैर कानूनी ढंग से मिली भगत से बनाए गए और अब जिन लोगों ने बनाए थे वे अब इनको गुपचुप रूप से,दलालों के माध्यम से बेच रहे हैं। दलाल व्यक्ति खरीदार को झांसे में लेने के हर गुर जानते हैं और उनकी हां मिलाने वालों का गिरोह,टीम होती है।

 * लालचंद सांखला अधिशासी अधिकारी के पद पर था तब 70- 72 पट्टे इस प्रकार के जारी हुए थे। 

*इसके अलावा भी यदि कोई अपनी जमीन बेच रहा है या जमीन का दलाल सलाहकार बेच रहा है बिकवा रहा है तो सूरतगढ़ क्षेत्र में जमीन खरीदते वक्त सावधान रहे क्योंकि आपका लाखों रुपए मिट्टी में मिल जाएगा। 

* व्यक्ति बेच रहा है वह बिना निर्माण का भूखंड ही बेच रहा है इसलिए यदि खरीदना है तो फिर बेचने वाले से कहें कि वह पहले नगर पालिका की अनुमति से निर्माण की स्वीकृति लेकर कुछ निर्माण करें और फिर बेचे ताकि वह जमीन वैध  हो सके। पूर्व में निर्मित मकान है तो भी पूरा मालूम करें। दलाल जब मौके पर लोकेशन दिखाए तब भूखंड मालिक भी हो और उसकी विडिओग्राफी करवाएं। ०0०





सोमवार, 29 अप्रैल 2024

सूरतगढ़:नगरपालिक भ्रष्टाचार:ईओ पर एसीबी करे कार्यवाही

 

सूरतगढ़ 29 अप्रेल 2024.

नगरपालिका में भूमि, कनवर्जन, अतिक्रमण में नामांतरण,आदि के नियम विरुद्ध बड़े घोटाले सरकारी कोष को बड़ी हानि में जो पिछले दिनों से कार्यवाहियां चल रही है उनमें ईओ के बिना कुछ भी होना संभव नहीं। एसीबी की रेड होती है तो ईओ पूजा शर्मा लपेटे में आने से बच नहीं सकती क्योंकि हर कागजात पर हस्ताक्षर और जिम्मेदारी है। ईओ पूजा शर्मा के आने के बाद भूमि कनवर्जन के मामले बड़े रहस्यमय हैं।पूजा शर्मा सीट पर हो उसी समय एसीबी की एटवंस जांच हो  तो पूछताछ और रिजल्ट भी तुरंत मिल सकता है और कार्यवाही भी तुरंत हो सकती है। 

ईओ ने सूरतगढ़ में आने के बाद कितनी और कैसी फाईलें स्वीकृत की तथा और कितनी बाबू के पास पैंडिंग है। सूरतगढ़ में हर मामला करोडो़ं का है और खेला लाखों से कम की संभावना नहीं।०0०


 

रविवार, 28 अप्रैल 2024

भाजपा में व्यक्तिवाद से पनपती तानाशाही. अपने संविधान से चले भाजपा.

 


* करणीदानसिंह राजपूत *


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👍 राष्ट्र के वर्तमान दिग्गज नेताओं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथसिंह व गृहमंत्री अमित शाह को इस पर वर्तमान में सोच समझ लेना चाहिए नहीं तो यह निर्णय जनता तो करेगी ही।👌

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भारतीय जनता पार्टी के आम कार्यकर्ताओं को पार्टी के संविधान के बारे में मालुम ही नहीं है कि पार्टी उसके आधार पर चलाई जाती है।उसने तो पदाधिकारियों मंडलों से शीर्ष तक मनोनीत ही देखें हैं। हर स्तर पर मनोनीत पदाधिकारियों की मनमर्जी चलती है। मनोनीत पद्धति की गलत नीति करीब 40 साल पहले कांंग्रेस में शुरू हुई और उससे कांग्रेस की दुर्दशा हुई जो सारा देश देख रहा है। पदों पर जमे रहने के लिए नेताओं ने यह गलत पद्धति भाजपा में भी बीस पच्चीस साल पहले से अपना ली। केंद्रीय नेता अपने चहेते नेताओं को राज्य स्तर पर और राज्य वाले जिला स्तर पर मंडल स्तर पर मनोनीत करने लगे। अब ये मनोनीत पदाधिकारी अपनी मन मर्जी से ही काम करते हैं। अब सामान्य कार्यकर्ता को कोई काम पड़ जाए तो नहीं कराते। ऐसी दुर्दशा में आम जनता के आदमी का काम होने का सोचना ही गलत होता है।






👌 पहले व्यक्ति के नाम को बढावा नहीं होता न उसके नाम पर काम होता, सब पार्टी के नाम पर होता था। सत्ता में पार्टी होती तब सब काम नीतियां पार्टी के नाम से प्रचारित होते। व्यक्ति का नाम नहीं होता। सीएम पीएम के नाम नहीं होते। जब सत्ता से बाहर होते तब अपील की जाती थी कि सत्ता में आने पर पार्टी ये काम करेगी ये नीतियां लागू करेगी। किसी व्यक्ति के नाम पर काम व योजना की गारंटी प्रचारित नहीं होती थी। भाषाओं में हम आएंगे तो ये काम करेंगे कहा जाता था।

👌कोई भी नेता प्रधानमंत्री अपने नाम से गारंटी की घोषणा नहीं करता था। 

* अब पार्टी एकाधिकार की ओर बढादी गई है।अब एक व्यक्ति के लिए काम करो। कार्यकर्ता को संविधान का मालुम ही नहीं सो वह सिखाया हुआ नारा लगा रहा है।

** अंततोगत्वा यह रसातल में जाने के लक्षण हैं खत्म होने की नीति है। वसुधैव कुटुम्बकम की नीति छोड़कर एकाधिकार की नीति प्रजातंत्र में चलाना घातक ही होगा। अब बादशाहों सम्राटों का युग नहीं है कि उस रूप में दिल्ली में बैठ राज कर सकें। अब देश ही नहीं संसार देखता है। अच्छा होगा कि भाजपा हर स्तर पर अपने संविधान के अनुरूप ही चले। 

👌 राष्ट्र के वर्तमान दिग्गज नेताओं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथसिंह व गृहमंत्री अमित शाह को इस पर वर्तमान में सोच समझ लेना चाहिए नहीं तो यह निर्णय जनता तो करेगी ही।०0०

28 अप्रैल 2024.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकारिता 60 वर्ष,

सूरतगढ़ ( राजस्थान)

94143 81356.

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* अच्छा लगे तो शेयर करे. प्रकाशित करें।

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वह अवतरित हुई,आनंदित हुए हम



* दिव्यता*



विजयश्री:रिंकु

(जन्म 9 अप्रेल 1981 गमन 28 अप्रेल 1984.)


वह अवतरित हुई

आनन्दित हुए

हम सब।


उसके 

हाव भाव

देते रहे

दिव्य संदेश।


परी सी उड़ गई

एक दिन

विलीन हो गई

आकाश में।


छोड़ गई

स्मृतियों में

अनन्त

संदेश।

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श्रीमती विनीता सूर्यवंशी-करणीदानसिंह राजपूत  :  माता-पिता


योगेन्द्र प्रतापसिंह-रीतिका-अनाया

सिह( लघु भ्राता. भाभी-भतीजी,)


रवि प्रतापसिंह-साक्षी: अद्वित ( लघु भ्राता-भाभी-भतीजा)

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अपडेट 28 अप्रैल 2024.

शनिवार, 27 अप्रैल 2024

नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा पर पट्टे नहीं देने का आरोप गंभीर.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 27 अप्रैल 2024.

नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा पर गंभीर आरोप लग रहा है कि वे शुल्क रकम जमा पट्टे भी नहीं दे रहे। लोकसभा चुनाव में सरकार की ओर से आदर्श आचार संहिता में पूर्व में शुल्क जमा कराए पट्टों के वितरण पर कोई रोक नहीं है। इसके बावजूद लोगों को पट्टे नहीं दिए जाने,सफाई अव्यवस्था को लेकर चुनाव में नाराजगी का प्रचार हो गया और अनेक लोग भाजपा को वोट देने घरों से ही नहीं निकले।* नगरपालिका में चक्कर लगवा कर पट्टे दिए जाने और नामान्तरण कराने वाले, रिश्वत लेकर पट्टे दिए जाने के मामलों में अधिकांश लोग मोदी को वोट देने घरों से नहीं निकले।* चर्चा आम है कि नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा से नाराज लोगों ने भाजपा की प्रियंका बेलान को वोट नहीं दिये। उनके वोट कुलदीप इंदौरा को दिए गये। 4 जून को परिणाम में खुलासा होगा कि सूरतगढ़ में वोटिंग कैसे हुई?यह शिकायत अब पूर्व विधायक रामप्रताप कासनिया तक पहुंची है। देखते हैं कि दो महीनों से चुप कासनिया अब आगे क्या करते हैं? 

* नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा सीवरेज घोटाले में सस्पेंशन से बहाल होकर 20 फरवरी 2024 को चेयर पर आए तब कालवा और रामप्रताप कासनिया ने पट्टे दिए जाने की घोषणा की थी। कहा था किसी को पट्टों के लिए शुल्क से अधिक पैसे देने की जरुरत नहीं है। कोई पैसे मांगे तो शिकायत करें। मीडिया को भी करें। अब हालात यह है कि रकम जमा कराए हुए पट्टे क्यों नहीं दिए जा रहे?०0०

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वसुंधरा ने कांंग्रेसी राज में सभी 25 सीटें जिताई.भजनलाल राज में 10 हारने की आशंका

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

वसुंधरा राजे के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के अशोक गहलोत राज सन् 2019 में राजस्थान से लोकसभा की सभी 25 सीटें एनडीए ने जीती। उनमें 24 सीटें भाजपा और एक सीट आरएलपी की थी।लेकिन अब सन् 2024 में राजस्थान में डबल ईंजन भाजपा राज और भजनलाल शर्मा के काल में अव्यवस्थित चुनाव में 10 से अधिक सीटें हारने की आशंका सामने आ रही है। ऐसा लगता है कि प्रदेश नेतृत्व ने जो टिकटें दिलवाई वे सही नहीं रही और प्रदेश में सरकार होने न होने का अहसास लोगों को भाजपा के लिए प्रभावित नहीं कर पाया। भाजपा प्रदेश नेता सभी 25 सीटों के जीत लेने का ही दावा करते रहेंगे लेकिन आज के सूचना युग में 10 से अधिक सीटें हारने की आशंका छिपाई नहीं जा सकती। चुनाव परिणाम आने पर जब सभी 25 सीटों पर जीत नहीं होगी तब प्रदेश के टिकट चयन कराने वाले नेता,रिपोर्ट और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा समीक्षा के घेरे में होंगे। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 400 पार की घोषणा जो देश भर में मिशन बनाई गई उस पर राजस्थान की कम सीटों का भारी दुष्प्रभाव होगा। हो सकता है कि इस चोट से राजस्थान में बहुत बड़ा उलटफेर संगठन और सरकार में हो जाए।

निवृत हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 26 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान के बाद  राजस्थान में दो अंको में सीटें जीतने का बड़ा दावा किया है। दो अंको का मतलब 10 और अधिक सीटों पर जीत का दावा बहुत भारी है।

इस दावे से लगता है कि भारतीय जनता पार्टी यहां अपने ही राज में डबल इंजन सरकार में जनता की नजरों में बुरी तरह से गिरी है।

 * 10 सीटें हाथ से निकल जाने का खतरा बहुत बड़ा होता है।  भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को इसका एहसास है।

👍 राजस्थान प्रदेश के बादशाह बने नेताओं ने विधानसभा चुनाव के वक्त सही रिपोर्ट ऊपर केन्द्रीय नेताओं नहीं भेजी जिसके कारण टिकटों का गलत निर्धारण हुआ और चुनाव  परिणाम प्रभावित हुए।प्रधानमंत्री मोदी के नारे के तहत पहले 152 सीटें  फिर 135 सीटें फिर 125 सीटों के जीतने के बयान आते रहे और आखिर जीत 115 सीटों पर हुई। 

इन सीटों  के हारने का कारण जयपुर नेताओं की गलत रिपोर्ट दिल्ली भेजना था गलत नेताओं के नाम भेजना था और टिकट दिलवाना था। सीटें मामूली वोटो से नहीं हारी 40, 50, 60 हजार तक की हार हुई। 👍👍दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह रही की जयपुर से लोकसभा के नाम के लिए भी उन्हीं नेताओं और संगठन के नेताओं की ओर से दिल्ली रिपोर्ट भेजी गई जो सही नहीं थी। * प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमित शाह को जेपी नड्डा को जब सही रिपोर्ट नहीं की गई। लोकसभा में फिर से  टिकटों का बंटवारा सोच और समझ करके नहीं हुआ।  इस कारण से राजस्थान की 25 सीटों में से दहाई अंक तक भारतीय जनता पार्टी सीटें गंवा देती है तो बहुत बड़ा नुकसान पार्टी को होता है।

👍👍 भारतीय जनता पार्टी के जयपुर के नेता हर बात को दबाने के  और दिल्ली को झूठी बातें भेजने के लिए दोषी है। 

**भारतीय जनता पार्टी को विधानसभा में चाहे हे सत्ता मिल गई लेकिन बहुत कम सीटें मिली। विधानसभा में जिन्होंने 40-50-60 हजार से सीटें हारी वे ही बाद में नेतृत्व करते रहे। वे ही जिलाध्यक्ष लोकसभा के लिए रिपोर्ट्स भेजने वाले रहे। लोकसभा चुनाव में सीटों की कमजोरी को छिपाया गया। नाराज और चुनाव में नहीं लगे नेताओं की भी सही रिपोर्ट जयपुर को नहीं दी गई। विधानसभा में हारे हुए नेताओं से मित्रता निभाई गई ताकि वे और उनके परिवार ही स्थानीय स्तर पर नेतागिरी करते रहें। लोकसभा में सीटों पर खतरा इन कारणों से भी रहा। पराजित नेताओं की जनता शक्ल नहीं देखना चाहती थी तब वोट कैसे देती। जीत के दावों की रिपोर्टें भेजी गई।

👍 राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का प्रशासन प्रदेश में किस स्तर का रहा है? कैसा कंट्रोल रहा है?इस राज को जनता किस स्तर का मान रही है? उससे भी वोटिंग प्रभावित होने की शंका है? इसकी भी समीक्षा की जानी बहुत जरूरी है कि राज्य केवल भाषणों से घोषणाओं से कागजी कार्रवाई से चलाया या वास्तव में धरातल पर आम जनता को कोई सुख सुविधा और योजनाओं का लाभ हुआ। राजस्थान में भाजपा सरकार आने के बाद से दफ्तरों में कार्य प्रणाली में कोई सुधार नहीं हुआ। अधिकारी नागरिकों के कार्यों को प्रभावित करते रहे जनता को कोई लाभ नहीं हुआ और इससे भी वोटिंग प्रभावित हुई। 

👍 मेरे एक लेख में प्रथम चरण और दूसरे चरण की शुरुआत में एक लेख लिखा था की राजस्थान में प्रथम चरण में पांच सीटें और दूसरे चरण में भी पांच छह सीटें  भारतीय जनता पार्टी की खतरनाक हालत में फंसी हुई हैं। ये सीटें भारतीय जनता पार्टी के हाथ से निकल सकती हैं।

*कारण भी बताया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से वोट मिलेंगे इसलिए भाजपा के नेता कार्यकर्ता घरों से बाहर नहीं निकले मतदाताओं से संपर्क नहीं किया प्रथम चरण में वोटिंग बहुत कम हुई। दूसरे चरण में वोटिंग कम तो नहीं हुई कुछ बढी लेकिन भारतीय जनता पार्टी की अनेक सीटों पर बहुत जबरदस्त घमासान हुआ है। 

* भाजपा के बड़े-बड़े नेता वहां बुरी तरह से हांफते रहे हैं और उन सीटों पर हार जाने का खतरा है।  लोगों ने बड़े पद और बड़े नामों को नहीं देखा। लोगों ने नरेंद्र मोदी की गारंटी, 400 पर के नारे को भी नहीं सुना। पीएम की सभाएं भी असर हीन की चर्चाएं और दावे रहे।

👌 लोगों ने पिछले 5 साल में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति को देखा। 10 साल से केंद्रीय सरकार की नीतियों से हुए कार्यक्रमों को देखा और उसके उपरांत भाजपा को सबक सिखाने का तरीका अपनाते हुए वोटिंग की। चुनाव का परिणाम 4 जून 2024 को होगा लेकिन उससे पहले एक बार चर्चा करें कि भारतीय जनता पार्टी बुरी तरह से दबी हुई क्यों है?  

👌 टिकट वितरण की गलत नीति रही। विधानसभा टिकटें प्रधानमंत्री मोदी बांटे और मुख्यमंत्री का नाम भी पर्ची से भेजे। लोकसभा की टिकटें भी प्रधानमंत्री ही बांटे। ये बादशाही जनता को बहुत चुभी है। कांग्रेसियों भ्रष्टाचारियों दुष्कर्मियों को भाजपा में लेना और उनमें से चुनाव भी लड़ाया जाना न जनता को सुहाया न पुराने कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ताओं को भाया। मोदीजी की पिछले पांच साल की नीतियों फैसलों को जनता ने अप्रिय माना है।इलेक्ट्रोल बांड के चंदे खुलासे से भाजपा और मोदी की छवि प्रभावित हुई है अहंकार के कारण मानते नहीं लेकिन लोकतंत्र में अहंकार चलता नहीं।०0०

27 अप्रैल 2024.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकारिता 60 वां वर्ष,

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

94143 81356.

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शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

मोदीजी को तीसरी बार पीएम नहीं चाहती जनता:भाजपा में नयी ताकत उभरना संभव.

 


* करणीदानसिंह राजपूत *


प्रधानमंत्री पद पर दो बार में 10 साल तक बैठे नरेन्द्र मोदी को अब तीसरी बार पीएम बनाने का जनता का मन बिल्कुल ही नहीं है। 

मोदीजी के 10 साल के काल में भ्रष्टाचार और घोटाले हुए हैं वे एक एक कर सामने आते जा रहे हैं। हालांकि इनके समाचारों को रोकने के भरसक प्रयास किए गये। अखबारों और चैनलों का मुंह बंद कर दिया गया। राष्ट्रभक्त लोगों ने मुकदमों और जेलों के फैलाये भय के होते निर्भिकता से घोटालों भ्रष्टाचारों की रिपोर्ट्स जनता के सामने इस तरह से एक एक करके खोलदी कि मोदी और भाजपा के प्रति आकर्षण कम होता जा रहा है। 

मोदीजी के भाषण नफरत फैलाने वाले माने जा रहे हैं।विज्ञापन रोकने का दबाव बना कर देश के अखबारों और चैनलों का मुंह   बंद कर दिया गया है जिसके कारण लोग सच्च के लिए विदेशी चैनल और अखबार देख रहे हैं।

मोदीजी को मालुम हो रहा है कि जनता में नाराजगी है और बढ रही है।वे इसे कांंग्रेस व अन्य दलों के आरोप बता रहे हैं मगर लोकसभा चुनाव 2024 में डरे हुए हैं। यह डर उनके विचलित भाषणों में झलक रहा है। 


प्रधानमंत्री के भाषण राष्ट्र के लिए बहुत गंभीर होने चाहिए जिनमें भविष्य की उन्नति की कोई बात हो। मोदीजी अपने भाषणों में विपक्ष को घटिया से घटिया शब्दों में कोसते हैं ओर नफरत फैलाने के शब्दों का उपयोग करते हैं। देश अनपढ और गंवारों का नहीं रहा है कि मोदीजी जो कहे उसे मानते रहें। लोगों के सब समझ आ रहा है। मोदी जी के भाषाओं की नफरत लोगों को भाजपा से दूर कर रही है। 

भाजपा के अन्य बड़े नेताओं को भी समझ आ रहा है और ऐसे नेताओं में नितिन गडकरी स्पष्टवादिता के कारण लोकप्रिय होते जा रहे हैं। मोदी जी के विरुद्ध भाजपा में अलग से ताकत का निर्माण हो सकता है। लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम के बाद भाजपा संगठन में भी बड़ा बदलाव हो सकता है।


👌इस भय के कारण ही दो बार आसानी से जीतने वाली पार्टी नेता को तीसरी बार जीतने के प्रयास के लिए कांग्रेसियों,भ्रष्टाचारियों,दुष्कर्मियों तक का स्वागत करते हुए भाजपा में मिलाना पड़ रहा है। *अबकी बार चार सौ पार की घोषणा करने वाले मोदीजी को भाजपा की जीत पर शंका का डर क्यों सता रहा है? 


* सन् 2014 और सन् 2019 में मोदीजी आसानी से प्रधानमंत्री बने। उस समय किसी कांग्रेसी को और भ्रष्टाचारी को भाजपा में नहीं लिया था।

*** अब सन् 2024 के चुनाव में इतना अधिक डर है कि वे सभी कार्य कर रहे हैं जो संघ और भाजपा के संस्कारों के एकदम विपरीत है।

इस बार जीत में संशय है और इसलिए भाजपा में कांग्रेसियों,दुष्कर्मियों भ्रष्टाचारियों, बैंकों का लाखों करोडो़ं कर्ज लेकर डकारने वालों, हत्याकांड आरोपियों,कालाबाजारियों को शामिल किया जा चुका है ताकि किसी तरह से हौवा खड़ा करके जीत जाएं। प्रधानमंत्री बनने की हैटट्रिक बनाने के चक्कर में ईमानदार चेहरा और बहुत खो दिया हैं? 

* मोदीजी की गलतियों से भाजपा के ईमानदार कार्यकर्ताओं को कांग्रेसियों,दुष्कर्मियों भ्रष्टाचारियों का स्वागत करना पड़ रहा है।

रेप आरोपों के अभियुक्तों तक को साथ बैठाना पड़ रहा है। महिला कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में कार्यक्रमों में भ्रष्ट व दुराचारी भी होंगे। यह सब इसलिए कि मोदीजी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाया जा सके।

👍 कांग्रेसियों,दुष्कर्मियों भ्रष्टाचारियों पर भरोसा है कि ये वोट दिलाएंगे अपने कार्यकर्ताओं पर भरोसा क्यों नहीं रहा?अपने कार्यकर्ता दो बार जिता लाए लेकिन इसबार  शंका क्यों है?कांग्रेसियों,दुष्कर्मियों भ्रष्टाचारियों के पास कौनसे वोट हैं? भ्रष्टाचारी लोगों से दुखी होकर ही जनता ने भाजपा का साथ दिया था। भाजपा यह सब 10 सालों में भूल गई। अब भाजपा  भ्रष्ट लोगों को मिलाने लगी है तो जनता भाजपा को वोट क्यों देगी ? जनता नाराज हो रही है।भाजपा नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेशों के अध्यक्ष आदि  खुश हो रहे हैं, लेकिन देश की जनता को कोई खुशी नहीं हो रही। 

👍👍 कांग्रेसी कह रहे हैं हर ओर चर्चा है कि कांग्रेस में जो भ्रष्टाचारी थे वे निकल गये अब कांग्रेस शुद्ध हो रही है और भाजपा भ्रष्टाचारियों को मिला कर अशुद्ध हो रही है। भाजपा के ईमानदार कार्यकर्ताओं की नेता सुन नहीं रहे। नाराजगी भीतर भीतर बढ रही है।  भाजपा नेताओं  को भरोसा है कि देश भक्ति की भावनाओं में डूबे कार्यकर्ता भाजपा को छोड़कर और कहीं नहीं जा सकते। विधानसभा चुनाव 2023 में जहां हुए वहां यह सोच गलत भी हो गया। लोगों ने भाजपा को वोट न देकर अन्य को दिया।

👍 मोदीजी की सरकार दो बार बहुमत से बन जाती है तो अब तीसरी बार 400 सीटों से भी अधिक सीटों की आवश्यकता ही क्यों है?

👌 क्या संविधान में कोई बड़ा बदलाव करना चाहते हैं? हालांकि मोदीजी ने कहा है कि संविधान में कोई भी बदलाव नहीं कर सकता लेकिन अपने मन का नहीं कहा। मोदीजी ने यह नहीं कहा- मैं संविधान में कोई संशोधन नहीं करूंगा। लोग मोदीजी की बातों पर पहले विश्वास करते थे लेकिन अब उनके भाषणों को सुन सुन कर भाजपा से दूर हो रहे हैं।

26 अप्रैल 2024.

करणीदानसिंह राजपूत,।

पत्रकारिता 60 वर्ष.

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

94143 81356.

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गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

राजस्थान: मोदीजी के गारंटी भाषणों से जनता ऊब गई:25 में 8-10 सीटें खोने का खतरा!

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

राजस्थान में पहले चरण में मतदान प्रतिशत गिरने का बड़ा कारण मोदीजी के गारंटी भाषाओं से जनता का ऊब जाना और भाजपा का घर घर संपर्क नहीं करना वोटरों को घरों से निकाल कर बूथ तक पहुंचाने में आलसीपन रहा। 

भाजपा नेता पदाधिकारी कार्यकर्ता यह मान बैठे कि मोदीजी के लिए वोटर अपने आप वोट देगा। इस बड़ी गलतफहमी से मीडिया को भी तवज्जो नहीं दी गई। 

पार्टी की ओर से मिलने वाली राशि को पूरा लगाया जाता संपर्क होता तो वोट प्रतिशत बढ जाता। 

*प्रथम चरण में वोट प्रतिशत गिरने का नुकसान भाजपा का माना जा रहा है। कांंग्रेसी और समर्थकों ने वोट डालने में आलस नहीं किया। प्रथम चरण में वोटों की कमजोरी से 5-6 सीटों पर खतरे की शंका है। गैर भाजपाइयों का यह दावा है। 

*बड़े अखबारों ने भी एक दो पंक्तियों में लिख ही दिया कि मोदी फैक्टर मुखर नहीं हुआ। असल में मोदी फैक्टर चला ही नहीं। भाजपा उदासीन रही तो लोग भी उदासीन रहे। सोशल मीडिया पर मोदी की ताकतवर आलोचना ने भी मोदी चेहरे को धूमिल किया। पहले भाजपा के कार्यकर्ता हावी रहते थे लेकिन अब कांंग्रेसी हावी रहे।

26 अप्रैल को दूसरे चरण में 13 सीटों पर मतदान होगा। मोदीजी के नाम पर वोट आने का भरोसा किया तो वोट प्रतिशत गिरा हुआ ही रहेगा। 13 सीटों पर भाजपा को कड़ी टक्कर भी है।5-6 सीटों पर खतरा भी माना जा रहा है।हालांकि प्रथम चरण के बाद भाजपा नेता आलस छोड़ कर वोटरों को बूथ तक पहुंचाने में सक्रिय हो सकते हैं लेकिन आजकल कार्यकर्ता अपने खर्च पर ऐसी सेवाएं नहीं देते। प्रत्याशियों पर है कि वे कार्यकर्ताओं का आलस कितना दूर करते हैं।०0०:

25 अप्रैल 2024.

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सूरतगढ़: लोकसभा मतदान के बाद काग्रेसी खुश क्यों हैं? भाजपा का अपना दावा.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र के कांंग्रेसी लोकसभा चुनाव मतदान के बाद से खुश हैं। उनका मानना है कि विधानसभा चुनाव में डुंगरराम गेदर ने जो लीड ली थी वह भाजपा पूरी कवर नहीं कर पाई। उनका दावा है कि सूरतगढ़ से कांंग्रेस को फिर बढत मिली है और उसका कारण भाजपा की ढील मानते हैं। 

* भाजपा ने अपने लोगों पर लोकसभा चुनाव में भी कंट्रोल नहीं कर पाई।

* कड़वा सच्च यह है अनेक भाजपाइयों के मुंह पर नाम और मन बेईमानी से काले रहे।अपने आपको संस्कारित भाजपाइयों ने विधानसभा चुनाव में रामप्रताप कासनिया से घात कर 50 हजार से अधिक वोटों से हराया। लेकिन प्रियंका बेलान ने क्या बिगाड़ा जो उसके साथ भी घात की जिससे वोट कम मिले। कासनिया की हार के वोटों की पूर्ति लोकसभा चुनाव में क्यों नहीं की गई?जिसके कारण कांंग्रेसी खुश हो रहे हैं।

👌 कासनिया पर आरोप रहा कि उन्होंने कार्यकर्ताओं के काम नहीं किये। लेकिन इस आरोप में अधिक दम नहीं है।

👍लेकिन प्रियंका बेलान पर तो कोई आरोप नहीं था। वह लोकसभा का चुनाव पहली बार लड़ रही थी। मोदी मोदी कहते रहे उसी मोदी ने ही टिकट फाईनल की थी लेकिन सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र से जितने वोट मिलने थे उतने नहीं मिले। यह कांंग्रेसी दावा है जिससे वे खुश हैं।

👍 मन में बेईमानी रही कि प्रियंका जीत न जाए। प्रियंका जीतेगी तो आगे भविष्य के लिए यह नेता बन जाएगी। इसकी ही चलेगी और आगे  टिकट पर दावा रहेगा। हर चुनाव में सलाह इसी की चलेगी। सुनते रहे हैं कि राजनीति बड़ी कुत्ती ( गंदी) होती है और यह सच्च में हो रही है।अपने ही अपनों को मार देते हैं। बहुत कड़वा सच्च है। प्रियंका को 40 से 50 हजार की लीड मिलनी थी लेकिन चर्चा दर चर्चा के अनुसार वह मिलती हुई लग नहीं रही।

👌भाजपाई और संस्कारित लाबी दावे कुछ भी करें लेकिन सच्चाई यह है कि शहर में हर गली में वोटों के लिए संपर्क ही नहीं किया गया। अनेक मोहल्लों में कोई भी भाजपा नेता कार्यकर्ता नहीं पहुंचा। मतदान के दिन बूथों पर बैठे रहे जबकि पहले आग्रह कर घरों से निकाल निकाल कर मतदान करवाया जाता था। नगरपालिका चुनाव के लिए मुंह धोने वाले भी टेबलों पर जमे रहे। अपना वोट देकर घरों में जा सो गये।

👍 नेताओं का कालापन धीरे धीरे खुल रहा है वह अभी परिणाम आने तक और अधिक खुल जाएगा।

👌 जो कासनिया के साथ घात की गई वैसी ही घात प्रियंका के साथ की गई। भाजपा कड़ी समीक्षा करे तो मालुम हो जाएगा कि कौन कौन केवल मुंह दिखाने फोटो खिंचवाने ही आए। सभा में उपस्थित और वैसे लापता रहे

 👌👌भाजपा भी दावा कर रही है की प्रियंका बेलान की जीत पक्की है। लेकिन किस विधानसभा क्षेत्र से कितने वोट मिले? यह परिणाम आने के बाद ही मालुम हो पाएगा लेकिन यह साफ हो जाएगा कि कितने वोट मिलने चाहिए थे और कितने मिले? कांंग्रेसी खुश हैं और चर्चा भी है कि सूरतगढ़ में कांंग्रेस भारी रही। तीन विधानसभा क्षेत्रों सादुलशहर गंगानगर हनुमानगढ़ में भाजपा ने कड़ी मेहनत की यह भी जन चर्चा बनी हुई है।विधायकों गुरवीरसिंह,जयदीप बिहाणी और गणेश राज बंसल प्रियंका को विजयी बनाने के लिए जोरशोर से लगे थे। शराबबंदी नशामुक्ति आंदोलन की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूजा भारती छाबड़ा ने लोकसभा क्षेत्र में अनेक स्थानों पर सभाएं कर प्रियंका का भरपूर सहयोग किया। पूजा भारती छाबड़ा कुछ दिनों पहले ही भाजपा की सदस्य बनी। वैसे राजनीतिक कर्मक्षेत्र सूरतगढ़ है।

 सूरतगढ़ रायसिंहनगर श्रीकरणपुर पीलीबंगा में कांंग्रेस के मजबूत रहने के दावे हो रहे हैं।०0०

24 अप्रैल 2024.

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महाभारत से भी बड़ा महाभारत जीतेंगे राजपूत क्षत्रिय चल पड़े युद्ध को 36 कौमों के साथ

 


* करणीदानसिंह राजपूत *


महाभारत से भी बड़ा महाभारत जीतने का संकल्प लेकर सत्ता को चुनौती देते पराजित करने को राजपूत क्षत्रियों एक आवाज राजस्थान से होती हर राज्य में फैली और यह एकता आजादी के बाद पहली बार देख रहा हूं। मेरे पत्रकारिता जीवन के 60 वें वर्ष में सन् 2024 में  यह जयघोष इतिहास रचेगा। 

*यह चुनावी युद्ध अब हर सीट पर हो गया है। युवा से लेकर जीवन के अंतिम पड़ाव के हर राजपूत नर नारी को धैर्य और कुशलता से लड़ना है।क्योंकि यह लड़ाई व्यक्तिगत नहीं सत्ता के साथ हर व्यक्ति के लिए है और राजपूत क्षत्रिय का जन्म ही आम जन की सुरक्षा रक्षा करने के लिए होता है।

* लोकतंत्र में सब अधिकार अपने में समाहित करने की पद्धति पर चलना और मैं 2024 में फिर आऊंगा और भयभीत करने के लिए कहना कि 2029 में भी हमारा ही राज होगा।हमने तो 2050 तक के लिए योजनाएं बना ली हैं। 

* लोकतंत्र में कभी ऐसा अहंकारी दावा कोई नहीं कर सकता जैसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय नेता कर रहे हैं। सामने वाले को सदा के लिए खत्म कर देने के बोल हुए तो पीछे धकेले जा रहे राजपूतों ने सामने ललकार दी। स्वतंत्रता के बाद राजपूतों को राजनीति में दूर करते करते जीरो करने लगे तो राजपूत जाग उठा। राजपूत की ललकार से चुनाव युद्ध में कूदना मामूली नहीं होता। इसबार का युद्ध संसार में चर्चा बन गया है। मोदीजी 2014 में फिर दुबारा 2019 में प्रधानमंत्री बन गये और अब तीसरी बार फिर सत्ता की चाह में 400 पार का नारा लगा चुके हैं। एक योजना चलाई गई कि 75 वर्ष से बड़ों को टिकट नहीं और स्वयं तीसरी बार आते हैं तो अंत तक उम्र 79 वर्ष हो जाती है।

* संपूर्ण मंत्रियों के विभागों के शिलान्यास लोकार्पण योजनाओं की घोषणाएं केवल मोदीजी करते हैं। मंत्रियों की जरूरत ही नहीं तो फिर इस फौज का खर्चा ही क्यो?

* विधानसभा की टिकट मोदीजी तय करने लगे। मुख्यमंत्री परची से मोदीजी बनाने लगे। लोकसभा सीट की टिकट भी मोदीजी तय करने लगे। यह कैसा लोकतंत्र है?

** देश का पहला प्रधानमंत्री जो प्रेस कान्फ्रेंस नहीं करता। पत्रकारों से बात नहीं करता। गलतियों और घोटालों पर पत्रकार प्रश्न कर देंगे तब जवाब नहीं होगा। संसार भर में बदनामी होगी। लेकिन इलेक्ट्रोल बांड से चंदा लेने का राज इतना खुल गया कि देश को मालुम हो गया की कत्लकारखानों से भी चंदा ले लिया। बड़े घोटाले करने वालों से भी लिया। जिनको ठेके देने थे उनसे भी लिया। बहुत बड़ी सूची है। सोचा तो यही था कि यह कोई भी कभी नहीं जान पाएगा लेकिन संसार जान गया।

*** पीएम केयर फंड का राज भी ऐसे ही किसी दिन खुल जाएगा।

👌 बड़े अखबारों बड़े चैनलों को विज्ञापन की रोक की धौंस से शक्तिहीन बना दिया गया इसलिए मोदीजी के विरुद्ध एक पंक्ति छप नहीं सकती और न प्रसारित हो सकती है।

👌 बड़े बड़े कारोबारियों को करोड़ों रूपये देकर बट्टेखाते डाल दिया गया।

👌 विदेशों से काला धन लाया नहीं गया उल्टा स्विस बैंकों में कालाधन बढ गया। लेकिन आश्चर्य यह है कि खातों की संख्या कैसे बढ गई। यह सहायता सहयोग आखिर किसने किया? 

👍 जो लोग करोडो़ं रूपये कर्जा लेकर विदेश भाग गये उनको लाने की घोषणाएं लुप्त हो गई।

👌👌 देश की सीमा में चीन ने अनेक गांवों के नाम बदल दिए लेकिन चुप्पी छाई है। सुब्रह्मण्यम स्वामी के आरोपों का जवाब नहीं है।

* सेना का पेंशन मुद्दा भी है जिसका जवाब नहीं। 

👌 पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को छुड़ाने की चर्चा होती रहती है तो यह करते क्यों नहीं। जनता ने तो रोका नहीं।

👌 भाजपा राज्यों में बढते नारी अत्याचार पर कार्यवाही नहीं होती।

👍 ईडी सीबीआई का दुरूपयोग। 

* भाजपा में कांग्रेसियों का प्रवेश और मोदी वाशिंग मशीन में सब दाग साफ। बलात्कार के आरोपियों तक को ले लिया।

👍 वरिष्ठ नागरिकों को रेल किराये में छूट बंद कर दी और दुबारा शुरू नहीं की।

👌👌👌 घोटालों भरी सत्ता से 2024 का यह युद्ध है जिसके लिए राजपूतों क्षत्रियों ने चुनौती दी है और 36 कौमें राजपूतों के साथ खड़ी है कि असली आजादी चाहिए जो मोदीजी ने हड़प ली है। 

* इस महाभारत के युद्ध के लिए महाराणा प्रताप को याद कराना चाहता हूं।

💐 हल्दीघाटी में से गुजरते समय मैं रोमांचित था और एक बड़ी ताकत मेरे बदन को जोश से झंकृत कर रही थी और लग रहा था कि महाराणा प्रताप आसपास ही है और वे रोमांचित कर रहे हैं। राजस्थान पत्रिका का राज्य स्तरीय पुरस्कार लेने के लिए मैं और संपादक प्रबंधक आदि कार में सवार थे। वह दिन 5 मार्च 1997 का जब यह रोमांच अनुभव हुआ और आजतक अनेक बार मेरे भाषाओं में व्यक्त कर चुका हूं। उदयपुर में मोतीडूंगरी पर चेतक सवार महाराणा की प्रतिमा हल्दी घाटी युद्ध के लिए रवाना होने से पहले का अहसास कराती। महाराणा का भाल और चेतक की एक एक नस उभरी हुई।

 * बस यह युद्ध बड़े जोश से बड़े होश से लड़ना है। सामने पुराने अपने ही हैं जो अहंकार में डूबे हैं उन पर ही तीर चलाने हैं। यह कृष्ण का युद्ध भूमि कुरुक्षेत्र में दिया संदेश याद रखना है।

👌और यह कविता जो जुलाई सन् 2015 में लिखी गई आकाशवाणी से प्रसारित हुई। हर राजपूत के लिए।

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अर्जुन नहीं कर पाया,तुझे करना है


कविता-  करणीदानसिंह राजपूत.


अर्जुन नहीं कर पाया,तुझे करना है

वक्त को जान वक्त को पहचान

क्यों सोया है,गहरी नींद

जाग उठ, सवेरा तुझे करना है

वक्त पल दर पल बदलता है।


अर्जुन कुछ नहीं कर पाया

गांडीव था पास

गोपियां लुटती रही

काल बड़ा बलवान

उठ,बदलदे ये कहावत


तूं धारण कर नया धनुष

मत रख गांडीव नाम

निशाने पर तीर चला

तेरे बाण से होगी रक्षा


बतलादे समाज को

दिखलादे शक्ति

पुरानी कथाओं को

सुनने सुनाने का

वक्त नहीं।


अब अर्जुन का वक्त नहीं

वक्त तेरा है

जागना तुझे है

जागते रहना भी तुझे है

कमान धारण भी तुझे करना है

तीर चलाना भी तुझे है


पुराना सब कुछ भूलना भुलाना है,

मगर कृष्ण को नहीं भूलना

दुष्टों का संहार करने को

तुझे ही तो तीर चलाना ।


मैं वक्त,

बनूंगा तेरे रथ का सारथी

काल बनूंगा

धरती पर आए

छली कपटी बगुला मनुषों का

मगर तीर तुझे चलाना होगा।


ये संगी साथी मित्र प्यारे

फुसलाऐंगे,

ये परिजन प्यारे दुहाई देंगे,

अपनों पर ही वार

करने को रोकेंगे टोकेंगे बतलाऐंगे

पीढी दर पीढ़ी के रिश्ते

तूं किसका करने वाला है संहार


वक्त तो सच्च में सोच को

बदलने को प्रबल होगा

कमान उठाने को

तीर चलाने को

तूं रथ पर चढऩे को तैयार न होगा

नाते रिश्तेदार सखाओं की भीड़

रोने लगेगी,आँसुओं की धारा

बनाएगी रिश्तों की गांठे।


लेकिन काल बड़ा बलवान

पुरानी कहावत बदल कर

संशोधित करके चल।

मैं वक्त, हां मैं वक्त

नए सिरे से लिखूंगा इतिहास


मैं वक्त हूं,

मेरी ताकत को ये नाते रिश्तेदार

संगी साथी पहचानते नहीं

मेरी ताकत को जानते नहीं

मैं वक्त,तुझे रथ तक लाऊंगा

मैं ही शक्ति से रथ पर चढाऊंगा


और मेरी ताकत से तूं

तीर चलाएगा दुष्टों पर

जिनको तूं भ्रम में अपने सखा संगी

नाते रिश्तेदार समझ बैठा है।

मैं वक्त, तुझे नया अर्जुन तो नहीं बनाऊंगा

अर्जुन और कृष्ण तो चेतना है,

लेकिन मैं तुझे उनसे कम भी नहीं रखूंगा।


तेरा नामकरण तो दुनिया करेगी

तेरा नाम तो दुनिया धरेगी

मैं वक्त,

शब्दकोश में रचूंगा नया नाम

जो दुनिया के हर इतिहास में 

तुझको स्थापित करेगा।०0०

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करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकारिता का 60 वां वर्ष

सूरतगढ़. ( राजस्थान)

मो. 94143 81356

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बुधवार, 24 अप्रैल 2024

रविन्द्रभाटी को विजयी बनाएं-राजस्थानी साहित्यकार मनोज स्वामी की अपील

 




* करणीदानसिंह राजपूत *

राजस्थानी भाषा के विश्व विख्यात केंद्रीय साहित्य अकादमी से सम्मानित राजस्थानी रामलीला के रचयिता मनोज कुमार स्वामी सूरतगढ़ ने लोकसभा की बाड़मेर सीट से रविंद्र भाटी को विजय बनाने की आम अपील की है।


👌 विदित रहे कि रविंद्र भाटी ने शिव विधानसभा से निर्दलीय विधायक चुने जाने के बाद विधानसभा में राजस्थानी भाषा में शपथ ग्रहण की थी।मायड़ भाषा के प्रति यह एक अनोखी लोकप्रियता प्राप्त की। 

👌 आज रविंद्र भाटी के साथ केवल राजपूत ही नहीं 36 समुदायों के लाखों लोग चुनावी युद्ध के लिए तैयार हैं। राजस्थानी भाषा प्रेमी रविंद्र भाटी अपने बयान भाषण साक्षात्कार आदि अधिकतर राजस्थानी भाषा में देकर बहुत लोकप्रिय हो गए हैं।

* बाड़मेर सीट आज विश्व प्रसिद्ध सीट हो गई है जिसकी चर्चा समाचार संसार के बडे़ राष्ट्रों के चैनलों और रेडियो पर छाए हुए हैं।

* प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व अनेक नेता भाजपा को विजयी बनाने के लिए भाषण रोड शौ कर चुके हैं लेकिन जनता निर्दलीय रविन्द्र भाटी के साथ खड़ी है। 

👍 मनोज कुमार स्वामी राजस्थानी भाषा के मान्यता के लिए संघर्ष करने वालों में अग्रज है और अनेक पुस्तकें राजस्थानी में लिख चुके हैं। राजस्थानी भाषा की रामलीला भी लिखचुके हैं तथा हर वर्ष राजस्थानी भाषा में सूरतगढ़ में रामलीला का मंचन करवाते हैं। मनोजकुमार स्वामी की अपील बहुत मायने रखती है। यह अपील एक लोकप्रिय चैनल टाईम्स को साक्षात्कार में की गई। ०0०

24 अप्रैल 2024.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकारिता 60 वर्ष.

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

94143 81356.

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