शनिवार, 30 अप्रैल 2016

ऐटा सिंगरासर आँदोलन के मुकद्दमें वापस लेने की बसपा मांग:


डूंगरराम गेदर ने तहसीलदार के माध्यम से राज्यपाल को भिजवाया पत्र:
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़ 30 अप्रेल 2016.
बसपा के नेता डूंगरराम गेदर ने ऐटा सिंगरासर माइनर आँदोलन में किसानों पर किए गए मुकद्दमें वापस लेने की मांग की है।


सूचना अधिकार की अर्जियां में लगे पोस्टल आर्डर फाइलों में बंद:


अर्जियों को रोकने व सरकार को नुकसान पहुंचाने वाले कर्मचारियों के बींटे गोल होंगे:
- करणीदानसिंह राजपूत -
सरकार ने जनता को सूचना का अधिकार दिया लेकिन कई कार्यालयों में अधिकारियों के या किसी न किसी नेता के मर्जीदान बने कर्मचारी आने वाली अर्जियों को बिना किसी कारण के रोकते रहते हैं। जो सूचना मांगी जा रही है वह देना नहीं चाहते। कर्मचारी अपनी दोस्ती निभाने के लिए जो कदम उठाता है वह भारी रिस्की होती है जो उसके समझ में नहीं आ रही है। अर्जियों के साथ पोस्टल ऑर्डर लगे हुए होते हैं जिनको शीघ्र अतिशीघ्र जमा करवा दिया जाना चाहिए लेकिन वे फाइलों में महीनों तक बंद पड़े रहते हैं।

गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

पानी उतरे हुए नेताओं की देन है सिंगरासर पानी आन्दोलन


लरड़ा, लटठ, लंगूर, लोफर, लम्पट, लालची
कदै न निकळै सूर, सिंघ सरीखा 'शारदा' ।
आक्रोश और गुस्से से भरे माहौल ने इतना तो तय कर ही दिया है कि सिंगरासर माइनर का आन्दोलन टिब्बा क्षेत्र के लोगों की नहीं बल्कि पिछले चालीस सालों में यहां से बने कमजोर 

डॉ. हरिमोहन सारस्वत ‘रूंख’
विधायकों की देन है। वास्तविकता यही है कि इन जनप्रतिनिधियों ने टिब्बा क्षेत्र के लोगों की पानी की मांग को कभी गंभीरता से उठाया ही नहीं। जब-जब वोटों का समय आया इन चतुर सुजानों ने यहां के भोले-भाले धरतीपुत्रों को गुड़लिपटी बातों के मायाजाल में फंसा कर अपने सिट्टे सेक लिए और पांच साल मजे में गुजारेे। यहां के किसानों ने जब-जब अपने हक का पानी मांगा तो इन लोगों ने सिर्फ सब्ज बाग दिखाने का काम किया लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। यही कारण है कि पिछले 
पचास सालों में सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कोई भी विधायक दुबारा जनता का दिल नहीं जीत पाया और अन्तत: वह यहां पनपने वाले नित नये नेताओं की भीड़ में खो गया। 
जरा सोचिए, कितनी गंभीर बात है कि इंदिरा गांधी नहर का पानी राजस्थान के एक छोर से दूसरे छोर तक जा पहुंचा है लेकिन आरम्भिक बिंदू पर बसे 54 गांवों के नसीब में यह पानी नहीं है। यह दोष किसका है ? सरकारें आती रही, जाती रही लेकिन किसी ने भी यह जहमत तक नहीं उठाई कि जब पूरे राजस्थान में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लिफ्ट के जरिये पानी पहुंचाया गया है तो टिब्बा क्षेत्र की जनता ने किस मोरड़ी को भाठा मार दिया है ?
आज जब पानी की मांग कर रहे इन लोगों के सिर से पानी गुजर चुका है तो वे आन्दोलन नहीं करें तो क्या करें ? इस पर सरकार का निकम्मापन और ढिठाई देखिए कि कमेटी के गठन का सदाबहारी राग अलाप रही है। सरकार के मन्त्री कह रहे हैं कि माइनर निर्माण से पहले पानी की उपलब्धता तय करना जरूरी है। उनसे पूछा जाना चाहिए कि सरकार बनने के ढाई साल बाद भी वे इतना ही तय नहीं कर पाए कि पानी है भी या नहीं तो आगामी ढाई साल में क्या खांगी कर लेंगे। तथ्य यह भी है कि इसी भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल में कानौर हैड पर लगे धरने के बाद एक कमेटी बनाई गई थी लेकिन उसकी रिपोर्ट आना तो दूर, वह एक मीटिंग से आगे ही नहीं बढ़ पाई, ऐसे में फिर एक नई कमेटी के गठन कवायद क्यों ?
वास्तविकता यह है कि लोकतन्त्र में सबसे भदï्दा मज़ाक होता है सरकार द्वारा कमेटियों और आयोग का गठन। जनता उम्मीदें बांधती है और सरकार अपने हित साधती है। सरकारें जानती है कि ‘न नौ मन तेल होगा और न ही राधा नाचेगी।’ जनता को बेवकूफ बनाना हो तो सबसे सस्ता और प्रभावी तरीका है ‘कमेटी का गठन करना’। आज तक इस देश में जितनी भी कमेटियों या आयोगों का गठन हुआ है उनकी रिपोर्टï्स या तो आई ही नहीं या गर आई तो उन्हें लागू करने की बजाय ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया। कमोबेश यही नतीजा सिंगरासर माइनर को लेकर बनी नई सरकारी कमेटी का होने वाला है। 
सरकारों की उदासीनता और ढुलमुल रवैये वाले जनप्रतिनिधियों के आचरण का ही परिणाम है कि इस बार धोरों का प्यासा किसान तपती धूप के बीच आर-पार की लड़ाई लडऩे के लिए लामबंद होकर पानी के लिए अड़ गया है। यह आन्दोलन किस करवट बैठता है यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन इतना तय है कि इस बार टिब्बों की धूल कई नेताओं के मुखौटे उतारने वाली है।पानी उतरे हुए नेताओं ने धोरों की इस धरती के किसानों को जितना बरगलाया है उसका परिणाम उन्हें भोगना ही होगा।
डॉ. हरिमोहन सारस्वत ‘रूंख’

बुधवार, 27 अप्रैल 2016

पत्रकारिता में आगे बढने के लिए शब्द सही लिखना सीखें:


शब्द मंत्र होता है और मंत्र लिखने में त्रुटि रही तो लाभ नहीं मिल सकता:
त्रुटियां लिखते रहे तो आगे नहीं बढ़ पाऐंगे:त्रुटियां बताने वाले को सम्मान दें क्योंकि वह आगे बढ़ाने का मार्ग दर्शक होता है:
- करणीदानसिंह राजपूत -
पत्रकारिता व्यक्तित्व विकास में सभी मार्गों से सर्वश्रेष्ठ मार्ग है। पत्रकारिता का प्रथम धर्म है कि शब्द को सही लिखे क्योंकि शब्द के त्रुटिपूर्ण लिखे जाने से उसका अर्थ ही बदल जाता है या फिर कोई अर्थ निकलता ही नहीं है। शब्द को मंत्र की महिमा से मंडित किया जाता है। मंत्र लिखने में शुद्ध होना चाहिए अगर वह त्रुटि वाला हुआ तो वह सही बोला ही नहीं जाएगा। जब सही बोला नहीं जाएगा तब उसके नाद का आवाज का गूंज का लाभ नहीं मिल पाएगा।
पत्रकारिता की प्रथम सीढ़ी यह मानी जानी चाहिए कि जो शब्द लिखें वह सही हो। अनेक बार नया शब्द होता है जो समझ में नहीं आता हो तो अन्य से समझ लेना चाहिए या उसके बजाय जो शब्द प्रचलित हो उसका उपयोग कर लेना चाहिए।
आजकल पत्रकारिता क्षेत्र में उतरने वाले नौजवान एक बार शब्द लिखने के बाद उसको सुधारने की कोशिश नहीं करते। कोई बतला देता है तो यह मानते हैं कि वह गलती क्यों निकाल रहा है? अब पाठक है तो उसे इतना हक तो बनता है कि वह जो पत्र पत्रिका पढ़ रहा है और उसमें लगातार गलतियां छप रही है तो ध्यान दिलाए। पाठक ध्यान दिला कर कोई अनुचित कार्य नहीं कर रहा है। वह ीालाई का कार्य कर रहा है कि पत्रकार लेखक भविष्य में वह गलती न दुहराए। लेकिन जब बार बार गलतियां आने लगे तो पाठक संपादक को बतलाता है।
पाठक के सुझाव कई बार पत्रकार संवाददाता नहीं मानता और यह प्रमाणित करने लगता है कि वह गलत लिख रहा है और लिखता रहेगा। पाठक कौन होता है गलती निकालने वाला और उस पाठक का सम्मान करना छोड़ देता है। अब यहां समझने वाली बात है कि अगर शुद्ध लेखन होगा तो उन्नति पाठक की नहीं बल्कि पत्रकार की होगी।
अब दूसरे तरीके से समझा जाए कि कोई भी व्यक्ति या परिवार अपने घर में अपंग संतान नहीं चाहता और किसी रोग से हो जाए या घटना से हो जाए तो उसका उपचार ईलाज करवाने को अपने जीवन की सारी पूंजी लगाने को तत्पर हो जाता है। कमसे कम आगे कोई संतान अपंग न हो उसका प्रबंध करता है इलाज करवाता है। आजकल तो अपंग से संबोधन तक नहीं किया जाता बल्कि दिव्यांग नाम दे दिया गया है। जब यह स्थिति है तो पत्रकार को तो अपने में सुधार करना ही चाहिए ताकि कम्पीटिशन के युग में कभी मात न खा सके।


यह बात इसलिए लिख रहा हूं कि पत्रकारिता एक ऐसा कार्य है जिसे व्यक्ति स्वयं की ईच्छा से चुनता है। जब स्वयं का चुना हुआ कार्य है तो उसमें गलतियां नहीं हों और हो जाए तो आगे न हो। यह विचार होना चाहिए।
पत्रकारिता और लेखन में कभी भी कोई पूर्ण नहीं हो पाया है। ऐसा बड़े बड़े पत्रकार कह गए हैं। पत्रकारिता में सारे जीवन में कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। बस। सीखने का गुण और सद्भाव होना चाहिए।


करणीदानसिंह राजपूत

मुस्कुराते आईये मुस्कुराते जाईये जरा मुस्कुराईये:उज्जैन कुंभ:शिप्रा नदी:


पं.विजयशंकर मेहता=हनुमंतवाटिका:
पंडित विजयशंकर मेहता 22 अप्रेल से शिव पुराण सुना रहे हैं और बीच बीच में अनेक उद्धरण भी देते रहते हैं। कथा के साथ ही भजन होता है।
एक भजन का मुखड़ा कहें या पंक्ति जो मानव जीवन को सार्थक करने वाली है और संपूर्ण भजन परिवार,समाज जगत को जोड़ देने वाला है। पंडित विजयशंकर मेहता इस भजन की व्याख्या भी करते हुए समझाते हैं कि केवल मुस्काने मात्र से अनेक समस्याओं का अंत हो जाता है और मुस्कान से बात हो और बात नहीं केवल मुस्कान का आदान प्रदान ही हो जाए तो समस्या पैदा ही न हो।
वे कहते हैं कि आज के व्यस्त जीवन में लोग इस प्रकार से ढलते जा रहे हैं कि मुस्कान से दूर होते जा रहे हैं। किसी को भी समय नहीं है। जिसे पूछो वह यही कहते हुए मिलता है कि समय नहीं है। लेकिन यह व्यस्तता सच नहीं है। मुस्कान तो पल की क्षण भी की ही बहुत होती है।
मुस्कुराते हुए रहें तो एक अवस्था ऐसी आ जाएगी कि बात चाहे न कर पाएं केवल एक दूजे को मुस्कान बिखेरते हुए देखते हुण् निकल जाऐंगे तो भी आँखों आँखों में ही हालचाल जान जाऐंगे।
पंडित जी सहज शब्दों में बतलाते हैं कि मुस्कुराते आएं हैं तो मुस्कुराते जाएं और ठहरें हैं तो जरा मुस्कुराते रहें।
मुस्कान से जीवन की सार्थकता है।
प्रस्तुतकर्ता- करणीदानसिंह राजपूत:

मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

वसुंधरा सरकार ने इस डीपीआर को रद्दी की टोकरी में डाला-गंगाजल मील:


विधायकों की अनुशंषा और स्वविवेक पर इंदिरा गांधी नहर के परिक्षेत्र में आने वाले रकबे को कमाण्ड घोषित कर सकती है:
सूरतगढ़,26 अप्रेल। पूर्व विधायक गंगाजल मील ने ऐटा सिंगरासर माइनर आँदोलन के चलते हुए राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार पर लगातार आरोप लगाए हैं कि वह किसान विरोधी। मील ने 26 अप्रेल को ताजा प्रेस बयान जारी किया है जिसमें आरोप है कि इंदिरागांधी नहर की संशोशित डीपीआर है वह लागू नहीं करके राजनैतिक द्वेषता से रद्दी की टोकरी में डाल दी गई है।

केन्द्रीय जल आयोग की 2009-10 की पुनर्संशोधित डीपीआर के  आंकड़े


आइए, इन आंकड़ों का सरल भाषा में समझाने का प्रयास करते हैं। 2009-10 में केन्द्र सरकार द्वारा इंदिरा गांधी नहर परियोजना के तहत 6921 करोड़ रूपये की पुनर्संशोधित डीपीआर तैयार की गई थी। इस डीपीआर के अनुसार इंगानप के तहत  18 लाख 1 हजार 818 हैक्टेयर रकबे को कमाण्ड किये जानी का प्रावधान था।
वर्तमान में राजस्थान सरकार अब तक इस रकबे में से 16 लाख 17 हजार हैक्टेयर को कमाण्ड रकबा घोषित कर चुकी है। केन्द्र सरकार की उक्त पुनर्सशोंधित डीपीआर के अनुसार आज भी सरकार के पास 1 लाख 84 हजार 818 हैक्टयेर रकबे को कमाण्ड घोषित करने की पावर है। इसके लिए सरकार को केन्द्रीय जल आयोग से भी स्वीकृति लेने की जरूरत नहीं है। सरकार अपने विधायकों की अनुशंषा और स्वविवेक पर इंदिरा गांधी नहर के परिक्षेत्र में आने वाले रकबे को कमाण्ड घोषित कर सकती है।
अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार ने इन्हीं आंकड़ों को ध्यान में रखकर टिब्बा क्षेत्र के लोगों के लिए सिंगरासर-एटा माइनर की घोषणा 2012-13 के अपने बजट में की थी। कांग्रेस सरकार अपनी इस घोषणा को पूरा करने का  मानस बना चुकी थी । इसीलिए योजना के प्रथम चरण में 16 गांवों के 13 हजार हेक्टयेर को सिंचित करने के लिए लगभग 150 करोड़ रूपये की डीपीआर तैयार हो चुकी थी। 


राजनीतिक दुर्भावनावश वर्तमान वसुंधरा सरकार ने इस डीपीआर को रद्दी की टोकरी में डाल दिया जो इस इलाके की जनता के साथ सरासर अन्याय है।

सूरतगढ़ टिब्बा क्षेत्र में प्यास बुझाने में मददगार बनेंगे निजी टांके


श्रीगंगानगर, 26 अप्रेल। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अंतर्गत श्रीगंगानगर जिले की सूरतगढ़ पंचायत समिति के टिब्बा क्षेत्र में कई गांव बसे है, जिनका जीवन वर्षा पर आधारित है। वर्षा होने से ही फसल होती है तथा पीने का पानी भी वर्षा से ही संग्रहित किया जाता है। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तहत सूरतगढ़ पंचायत समिति क्षेत्र में 105 कार्य स्वीकृत किये गये, जिनमें 93 कार्य व्य€ितगत लाभ टांका(कुण्ड) निर्माण के लिये गये। इस क्षेत्र में टांकों का निर्माण होने से वर्षा का जल संग्रहित किया जा सकेगा। इन टांकों में एकत्रित किया गया जल टिŽबा क्षेत्र के नागरिकों की प्यास बुझाने में मद्दगार साबित होंगे। पक्के टांकों का निर्माण होने से जल को लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकेगा।
जिन परिवारों द्वारा टांकों का निर्माण किया जा रहा है। उनकी आर्थिक स्थिति ज्यादा ठीक नही होने के कारण वे लोग टांका निर्माण में असमर्थ थे। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान ने टिब्बा क्षेत्र में ऐसी चेतना जाग्रत की है कि अब तो प्रत्येक परिवार टांका निर्माण करने के लिये तैयार हो चुका है। अब वो दिन दूर नही है कि आने वाले समय में टिब्बा क्षेत्र वर्षा के पानी से प्यास बुझाने में आत्मनिर्भर बन सकेगा।
इसी प्रकार टिब्बा क्षेत्र के गांव बछरारा में भी जोहड़ का निर्माण किया गया है। ग्रामीणों की जन सहभागिता एवं महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत निर्मित जोहड़ में अब वर्षा का पानी एकत्रित होगा तथा गांव में हुई वर्षा का एक बूंद पानी भी व्यर्थ नही बहेगा। टिŽबा क्षेत्र में जोहड़ों का निर्माण एक सामुदायिक परिसंपति होने के साथ-साथ जल बचाने में अपनी अहम भूमिका निभाऐंगे।



 

रविवार, 24 अप्रैल 2016

ऐटा सिंगरासर माइनर आँदोलन:गंगानगर हनुमानगढ़ जिलों में फैलने की संभावना:


सूरतगढ़ विधायक राजेन्द्र भादू का भारी विरोध:
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़ 24 अप्रेल। ऐटा सिंगरासर माइनर आँदोलन को भाजपा सरकार ने अपनी दोगली नीति से अटकाने की कोशिश की लेकिन अब इसके दोनों जिलों श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में फैला दिए जाने की संभावना बलवती हो रही है ताकि हर मंडी और कस्बे में सरकार जूझने में लगी रहे।
 थर्मल के चारों ओर लकडिय़ों के अवरोधक और भारी सुरक्षा बल लगा कर सरकार ने आँदोलनकारियों को हताश करने की कोशिश की और साथ में वार्ता भी करती रही।
सरकार की ओर से नेताओं को बंधपत्र भिजवाए गए जो उन्होंने जला कर अपना रूख प्रगट कर दिया।
वार्ता असफल होने के बाद जरूरी भी नहीं रहा कि थर्मल गेट पर ही पहुंचा जाए। महापड़ाव कहीं भी डाला जा सकता था सो पास का ग्राम ठुकराना चुना गया ताकि छाया पानी का प्रबंध भी रहे।
अब सरकार छकने लगेगी कि उसे थर्मल का सुरक्षा प्रबंध के अलावा अन्य स्थानों पर भी सुरक्षा व्यवस्था करनी पड़ेगी।
यह टिब्बा क्षेत्र प्रमुख रूप से सूरतगढ़ में पड़ता है और इस मांग को लेकर विधायक राजेन्द्र भादू से लोग खफा हैं। वे अब भादू की बात सुनना तो दूर,उसकी शकल तक नहीं देखना चाहते। हर ओर भारी नाराजगी विधायक के प्रति हो रही है। यही हालत भाजपा के अन्य नेताओं की है जो गंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में राजनीति चला रहे हैं। 


थर्मल के पास ठुकराना में महापड़ाव डाला:थर्मल की ओर कूच की चेतावनी:



हजारों लोगों में महिलाएं शामिल:
ऐटा सिंगरासर माइनर आँदोलन:मंत्री से वार्ता बेनतीजा रही:
- करणीदानसिंह राजपूत -

शनिवार, 23 अप्रैल 2016

सिंचाई मंत्री डा.रामप्रताप के बयान गुमराह करने वाले-गंगाजल मील का आरोपः


राजेन्द्र भादू के पूवर्जाे के पदचिन्हों पर डा. रामप्रताप चल रहे हैंः
बयानों की कांग्रेस द्वारा कड़ी निन्दाःआँदोलन में कांग्रेस किसानों के साथः

स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़ 23 अप्रेल। पूर्व विधायक गंगाजल मील ने ऐटा सिंगरासर माइनर के बारे में जल संसाधनमंत्री डा.रामप्रताप के बयानों को गुमराह करने वाला बताया है तथा कांग्रेस उ्वारा कड़ी निन्दा किए जाने का प्रेस बयान जारी किया है। इस बयान में कहा गया है कि कांग्रेस किसानों के साथ है तथा पानी के लिए ईंअ से ईंट बजा देगी।
ग्ंगाजल मील ने जो प्रेस बयान जारी किया है,वह हूबहू यहां दिया जा रहा है।
ऐटा-सिंगरासर माईनर निर्माण की मांग को लेकर 24 अप्रेल को किसानों का सूरतगढ़ थर्मल जाम और घेराव का कांग्रेस पूर्ण समर्थन करती है। इस माईनर निर्माण को लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार और खासकर सिंचाई मंत्री डॉ0 रामप्रताप शुरु से ही क्षेत्र के किसानों को गुमराह करने वाले ब्यान दे रहे हैं जिसकी कांग्रेस पार्टी कड़े शब्दों में भर्त्सना करती है। कल के आंदोलन में पार्टी के जिला अध्यक्ष श्री संतोष सहारण, पूर्व एम.पी. भरतराम मेघवाल, शंकर पन्नू, पूर्व मंत्री गुरमीत सिंह कुन्नर, पूर्व विधायक गंगाजल मील, पूर्व जिला प्रमुख पृथ्वीराज मील, राजकुमार गौड, जगदीश जांदू, पूर्व जिलाध्यक्ष कुलदीप इंदौरा, ब्लॉक अध्यक्ष इकबाल मो0 कुरेशी, बनवारी थोरी एवं जिले के पूर्व व वर्तमान पदाधिकारी इस आंदोलन में बढ़चढ़कर भाग लेंगे।

    सिंचाई मंत्री डॉ0 रामप्रताप शुरु से ही ऐटा-सिंगरासर निर्माण के पक्षधर नहीं थे और यही वजह है कि वे इस मामले को लेकर समय समय पर गलत ब्यानबाजी कर रहे है। इन्होंने जनता को ही गुमराह नहीं किया बल्कि अपनी गलत ब्यानबाजी से सदन को भी गुमराह किया है। डॉ0 रामप्रताप इस मामले में विधायक राजेन्द्र भादू के पूर्वजों के पदचिन्हों का अनुसरण कर रहे हैं। डॉ0 रामप्रताप ने सदन में व्यक्तव्य दिया कि बिन दुल्हे के बारात नहीं होती। उनका यह ब्यान सिंगरासर माईनर के लिए पानी की उपलब्धता को लेकर था जबकि सच्चाई ठीक इसके विपरीत है। राज्य सरकार नहरों की मरम्मत के लिए 3264 करोड़ का बजट स्वीकृत करने का ढि़ढोंरा पीट कर यह दर्शाने का प्रयास कर रही है जैसे यह राशि इन्होंने अपनी जेब से दी हो जबकि यह बजट तो पहले से ही स्वीकृत था। वर्ष-2011 में केन्द्रीय जल आयोग से स्वीकृत संशोधित डीपीआर राशि 6924 करोड़ के प्रावधान के अनुसार इंदिरा गांधी नहर का संसोधित सीसीए 18.20 लाख हैक्टयर स्वीकृत किया गया जो पूर्व में 16.17 लाख हैक्टयर था। यानि नहर के जीर्णोद्वार के बाद करीब 1 लाख 81 हजार हैक्टयर भूमि और सिंचित हो सकेगी। सिंचाई मंत्री ने जो कमेटी बनाई है उसके माध्यम से सबसे पहले यह बात साफ करें कि इससे पानी सरपल्स होगा या नहीं और यदि होगा तो यह पानी कहां जाएगा?

    सिंचाई मंत्री की कार्यशैली से यह बात भी सामने आई है कि ये प्रदेश के नहीं बल्कि अपने विधानसभा के मंत्री है। अपने क्षेत्र को नाजायज फायदा देने के लिए डॉ0 रामप्रताप ने भाखड़ा नहर से 10 क्यूसिक की फतेहगढ़ माईनर निकाल दी। भाखड़ानहर का यह नियम रहा है कि इससे आज तक एक बीघा बारानी भूमि सिंचित नहीं हुइ है जबकि डॉ0 रामप्रताप ने इससे 12 हजार बीघा बारानी सिंचित कर दी। यह पानी कहां से आया? किसानों को हुए इस फायदे से कांग्रेस को कोई परेशानी नहीं है लेकिन इससे डॉ0 रामप्रताप की दोहरी व्यवस्था व सोच उजागर हो रही है।

    कांग्रेस पार्टी राज्य सरकार से यह मांग करती है कि नहरों के जीर्णोद्वार के बाद जो 1 लाख 81 हजार क्यूसिक पानी सरप्लस होगा उसकी स्थिति साफ कर जनता को बताये। यदि सरकार ने उस पानी को अन्य क्षेत्रों में खुर्द बुर्द किया तो पार्टी क्षेत्र के 52 गांवों की जनता के साथ मिलकर उस पानी के लिए ईन्ट से ईन्ट बजा देंगे और अपना हक लेकर रहेंगे।



ऐटा सिंगरासर माइनर आँदोलन भाजपा की दूर दूर तक हवा बिगाड़ देगा:


विधायक राजा भादू खरबूजा बना रहेगा मगर सेक मंत्रियों विधायकों तक आएगा:
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़।
टिब्बा क्षेत्र का ऐटा सिंगरासर माइनर आँदोलन सत्ताधारी भाजपा की हवा दूर दूर तक बिगाड़ देगा। यह आँदोलन चाहे सफल हो चाहे असफल हो, हालात ऐसे बने हुए हैं। भाजपा के भारी बहुमत में जीतने के बाद घमंड जयपुर से लेकर ठेठ गांव तक है और आम आदमी का जीना कोई जीना नहीं है। इलाके से जीते हुए लोग चाहे विधायक रहे चाहे मंत्री बन गए लेकिन लोगों से कट गए। पीड़ाओं को कोई सुनना नहीं चाहता और सरकारी कार्यालयों में इतना बुरा हाल है कि श्रीगंगानगर के प्रभारी सचिव को एक बैठक में बड़ा निर्देश देना पड़ा कि कार्यालयों में लापरवाही कामचोरी आदि नहीं चलेगी।
ऐसे मौके पर यह आँदोलन एक बार फिर से सुलग गया है जिसे कमजोर तो मानना भूल ही होगी।
इस आँदोलन के कारण बिगड़ रही भाजपा की हवा को और भड़का दिया है। आँदोलन का रिजल्ट जैसा भी रहे।
यह मांग सफल होती है तो इसका सारा श्रेय वर्तमान आँदोलनकारियों को मिलेगा और आँदोलन असफल होगा तब बुरा वर्तमान विधायक राजेन्द्र भादू से होगा। मतलब यह कि भादू ही दोनों हालातों में खरबूजा होगा।
वैसे भादू अकेले की हवा नहीं बिगड़ रही है, इलाके के मंत्रियों और अन्य विधायकों की हवा भी बिगड़ रही है। कहा जाता है कि किसी भी सत्ताधारी पार्टी का संगठन परवाह करने वाला हो तो वह बचा सकता है लेकिन भाजपा के पदाधिकारियों को जो आसपास रहते हैं के व्यवहार से अनुभव होता है कि उनके पास भी सुगंध बची हुई नहीं है और उन बेचारों के पास तो एक कागज तक लिखने की पावर तक नहीं है।
सूरतगढ़ भाजपा संगठन के कुछ पदाधिकारी इस आँदोलन के बारे में समझाइस करने कुछ दिन पहले गए थे। ग्रामवासियों को भाषण दिए। अरे, नहर बनाना तो दूर रहा। इन नेताओं में से कोई शहर में नाली नहीं बना सकता जबकि बोर्ड भाजपा है और पालिका में 25 प्रतिशत तक कमीशन का शर्मनाक खुलासा सभी को है।



महिलाओं को महापङाव में पहुंचने का न्योता ~पीले चावल~ताजा खबर:


महापङाव में  हेतराम बेनीवाल व  गंगाजल मील आदि नेता भाग लेंगे
सूरतगढ़ 23 अप्रेल:
ऐटा सींगरासर माइनर के निर्माण की मांग को लेकर टिब्बा क्षेत्र संघर्ष समिति द्वारा कल थर्मल पावर प्लांट पर अनिश्चितकालीन महापङाव की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया महापङाव को कामयाब बनाने के लिए आज महिलाओं की टीम ने सोमासर, कालुसर, ठुकराना, गोसाईसर में पीले चावल बांटकर महिलाओं को महापङाव में पहुंचने का न्योता दिया।टिब्बा क्षेत्र संघर्ष समिति के संयोजक राकेश बिश्नोई ने कहा कि महापङाव को लेकर क्षेत्र के किसानों में जबरदस्त उत्साह है। बिश्नोई ने आरोप लगाया कि एक तरफ सरकार दुसरे चरण में लगातार जमीनों को कमाण्ड कर रही है वहीं प्रथम चरण के इन गांवों में जो मुड में स्थित है उनको पानी देने में आनाकानी कर रहे है जब तक 54 गांवों को पानी नहीं दिया जाता तब तक किसान संघर्ष बंद नहीं करेंगे। माकपा के जिला सचिव श्योपत मेघवाल ने कहा कि कल हजारों की संख्या में किसान, युवा, महिलाएं ठुकराना के रास्ते थर्मल के 1 नम्बर गेट पर महापङाव डालने के लिए कुच करेंगे। महापङाव में पूर्व विधायक हेतराम बेनीवाल व पूर्व विधायक गंगाजल मील, किसान नेता बलवान पूनिया आदि नेता भाग लेंगे। आज संघर्ष समिति संयोजक राकेश बिश्नोई, माकपा जिला सचिव श्योपत मेघवाल, घङसाना कृषि उपज मंडी के चैयरमेन सत्यप्रकाश सिहाग, शिवसेना प्रमुख औम राजपुरोहित,जिला परिषद् सदस्य गौरीशंकर थोरी,नोहर कांग्रेस के ब्लाक अध्यक्ष सोहन ढील, भगवाना राम सहारण,किसान सभा जिला सचिव रविंद्र तरखान, जसराज बुगालिया, जिला परिषद् सदस्य मंगेज चौधरी,श्रमिक नेता लियाकत अली आदि ने गांव ऐटा, फरीदसर, 4 चक, राइयावाली, हरदासवाली, सांवलसर आदि गांवों में जनसम्पर्क किया। घङसाना क्रषि उपज मंडी के चैयरमेन सत्यप्रकाश सिहाग ने कहा कि प्रथम चरण के मरम्मत के बाद बच्चे हुए पानी पर प्रथम चरण का हक है। सरकार प्रथम चरण के बच्चे हुए पानी को दुसरे चरण में ले जाना चाहती है जिसे होने नहीं देंगे।

डा.रामप्रताप व विधायक अपनी ड्यूटी समझेंगे?ऐटा सिंगरासर माइनर आँदोलन:


24 अप्रेल को ये इलाके में रहेंगे तो संभव है कोई टकराव न हो पाए:
आँदोलनकारियों व सरकारी अमले को छाया व पीने का पानी कैसे मिलेगा?
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़।
ऐटा सिंगरासर माइनर मांग के आँदोलन में 24 अप्रेल को थर्मल गेट के आगे घेराव की घोषणा थी जहां पर धारा 144 लगा कर प्रतिबंध लगा दिया गया है लेकिन आँदोलनकारियों की पत्रिका की खबर के अनुसार अब एक साथ विभिन्न जगहों पर लोग एकत्रित होंगे। अब 24 को तीन नए स्थान और हो गए हैं। पल्लू इलाके के लोग मेघा हाईवे पर जमा होंगे।  थर्मल फांटा टी पोइंट पर राष्ट्रीय उच्च मार्ग नं 15 को जाम करेंगे। इसके अलावा बीरधवाल हैड पर लोग पहुंचेंगे। थर्मल मुख्य द्वार पर और आसपास धारा 144 लगाने के बाद यह कदम सोचा गया है जिसके अनुसार लोगों को थर्मल गेट तक पहुंचने की समस्या नहीं रहेगी व लोग अपने अपने पास के इलाके में ही पहुंचने का प्रयास करेंगे।
वैसे इतनी भयानक गर्मी में अधिक संख्या में आँदोलनकारियों के पहुंचने की संभावना कम ही है। लेकिन अपने पास में घोषित स्थन तक संभव है लोग सुबह पहुंच भी जाएं। आँदोलनकारियों के लिए और सरकारी अमले के लिए पीने के पानी की आपुर्ति कैसे होगी? बिना छाया के लोग कैसे रहेंगे? दोनों ओर पानी तो जरूर चाहिए और चिकित्सा सेवाएं भी। आँदोलनकारियों की तरफ से बुढ़े बुजुर्गों को आने के लिए मना नहीं किया गया है। उनको गर्मी में संभालना बड़ा विकट होगा। अगर सुरक्षा बल किसी विकट हालत में लोगों को अपनी हिरासत में लेंगे तो उनके सामने भी पानी का संकट तो रहेगा। उनकी जिम्मेदारी भी होगी।
जल संसाधन मंत्री डा.रामप्रताप की अवील आज दिनांक 23 अप्रेल के समाचार पत्रों में छपी है। पानी उपलब्धता को सूझाया गया है। यह हालत तो आँदोलनकारियों को भी मालूम है कि घग्घर झीलों से निकाली गई माइनरें सालों से चली ही नहीं उनमें पानी ही नहीं पहुंचा था।
ऐटा सिंगरासर माइनर के आँदोलन से कांग्रेस और भाजपा दोनों ही जुड़े हुए हैं। कांग्रेस पहले सत्ता में रह चुकी है और भाजपा अब सत्ता में है। लोगों के वोटों को लेते वक्त जो कहा गया उसकी पूर्ति करना नैतिक दायित्व बनता है लेकिन घूम फिर कर वहीं पहुंचना पड़ता है कि वर्तमान में पानी नहीं है।
अब सवाल एक और हो गया है कि 24 अप्रेल को दोनों की ही जिम्मेदारी बनती है कि वे जनता की इलाके के लोगों की सुरक्षा भी करें।
भाजपा सत्ता में है इसलिए उसकी जिम्मेदारी अधिक बनती है और कहें कि उसकी अकेले ही जिम्मेदारी बनती है कि लोगों की हर हालत में सुरक्षा हो, कारण कि उसके पास ही प्रशासन और सुरक्षा बल है।
जल संसाधन मंत्री डा.रामप्रताप इसी इलाके के हैं और पूर्व में इंदिरागांधी नहर बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने एक अपील जारी की है जो आज 23 अप्रेल के समाचार पत्रों में छपी है। पानी के बारे में साफ खुलासा है कि पानी नहीं है और उसके बिना नहर बनाना संभव नहीं है। लेकिन केवल अपील छपवा देने से उनकी जिम्मेदारी इलाके के लोगों व किसानों के प्रति खत्म नहीं हो जाती। इसी तरह से जो विधायक हैं तथा भाजपा के बड़े पदों पर बैठे हैं,उनकी भी जिम्मेदारी बनती है कि वे इलाके में रहें। 

यह आँदोलन कब किस तरफ मुड़ जाए व भड़क जाए। इस प्रकार की हालत बन ही नहीं पाए कि जिम्मेदारी सत्ताधारी जन प्रतिनिधियों की भी है। आशा की जानी चाहिए कि वे अपने आँदोलन स्थलों के आसपास रहें और अपनी ड्यूटी निभाएं।


ऐटा सिंगरासर माइनर की पहले की बहुत सी सामग्री पढऩे देखने के लिए ऐटा सिंगरासर माइनर स्तंभ देखें।

सूरतगढ़ थर्मल में कोयले की गुणवत्ता रिपोर्ट में फेरबदल: करोड़ो की चपत:


असली गुणवत्ता से बढाचढ़ा कर दी जा रही है रिपोर्ट:
कोयला सप्लाई कं को अनुचित लाभ देने को किया जा रहा है घोटाला:
-स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत-                                   
सूरतगढ़ 23~4~2016.
 सूरतगढ़ सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन की सभी छह इकाईयो से बिजली उत्पादन में काम आने वाले कोयले की सप्लाई करने वाली कम्पनियो को फायदा पहुंचने के लिए कोयले की गुणवत्ता रिपोर्ट में फेरबदल कर उत्पादन निगम को करोड़ो का नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
थर्मल की सभी 250-250 मेगावाट की सभी छ इकाईयो से बिजली उत्पादन के लिए रोजाना 20 हजार टन कोयला खपत होता है। जिसके लिए परियोजना प्रशासन ने चार कम्पनियो से अनुबन्ध कर रखा है। परियोजना में आने वाले वाश, रॉ और आयातित कोयले की गुणवत्ता जांचने के लिए अक्टूबर 2014 में एक कमेटी का गठन किया गया था। लेकिन उक्त कमेटी द्वारा वर्ष 2014 में किये गए विश्लेषणों में कम्पनी को फायदा पहुंचने के लिए किये गए गड़बड़ झाले से परियोजना को भारी नुकसान हुआ है।
कोयले में निर्धारित मापदण्डों से अधिक गुणवत्ता-
इसी वर्ष  कोयला सप्लाई करने वाली कम्पनी पी क़े सी एल को दिए गए कार्यदेशो के अनुसार कोयले का मूल्य 31 प्रतिशत राख तथा 4700 किलोकेलोरी प्रति किलोग्राम (ग्रोस केलोरिफिक वेल्यु) कोयले की ऊष्मा पर मूल्य निर्धारित किया गया था। परन्तु सूरतगढ़ थर्मल की कमेटी द्वारा किये गए कोयले के विश्लेषण में राख की मात्र 28. 96 से 30.11  प्रतिशत एयर ड्राई बेसेज तथा जी सी वी 4700 किलोकेलोरी प्रति किलो से अधिक बताई गई है।
जो सीधे सीधे कोयले के स्पेशिफिकेशन से अधिक है। जबकि जितनी कम राख कोयले से बनेगी उसकी जी सी वी उतनी ही अधिक होगी। विशेषज्ञो की माने तो रिपोर्ट के अनुसार आई राख की मात्रा से जी सी वी 4700 से अधिक आनी चाहिए।

कम्पनी को फायदा पहुंचाने के लिए बदली रिपोर्ट-
13 से 27 अक्टूबर 2014 तक पी के सी एल कम्पनी द्वारा थर्मल में भेजे गए कोयले के रेक ( 58 डिब्बों की गाड़ी) नंबर 1332,1340,1363,1366,1372,1386 एवम् 1396 के कोयले की विश्लेषण रिपोर्ट में जी सी वी (कोयले की ऊष्मा) 4592 से 4730 किलो केलोरी प्रति किलो बताई गई। लेकिन कम्पनी को फायदा पहुंचाने की नियत से रिपोर्ट को बदल कर कोयले की ऊष्मा 4770 से 4850 किलो केलोरी प्रति किलो कर दी गई।

 सूरतगढ़ थर्मल में कोयला पहुंचने से पहले ही विश्लेषण रिपोर्ट तैयार-

थर्मल में आने वाले अत्यधिक ऊष्मा वाले आयातित कोयले की गाडिय़ा परियोजना में पहुंचने से पहले ही उनकी विश्लेषण रिपोर्ट तैयार किये जाने का मामला भी प्रकाश में आया है।आयातित कोयले की गाडियो की अन लोडिंग तारीख से पूर्व अथवा उसी दिन विश्लेषण रिपोर्ट तैयार कर दी गई है।विशेषज्ञो की माने तो थर्मल में कोयला पहुंचने के बाद करीब 72 घण्टे विश्लेषण में लग जाते है।( संलग्न प्रतिलिपि 4) वही थर्मल में आने वाले वॉशकोल के कार्यादेश में 10 प्रतिशत से अधिक नमी एवम् 31 प्रतिशत से ज्यादा राख की मात्रा होने पर कम्पनी पर जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन कम्पनी को फायदा पहुँचाने के लिए कोयले की नमी 10 प्रतिशत एवम् राख 30 प्रतिशत के आस पास रखी जा रही है केवल जी सी वी को कम दर्शाया जा रहा है जो सम्भव नही है। कोयले की नमी अथवा राख की मात्रा बढ़ेगी तभी ग्रोस केलोरिफिक वेल्यु कम होगी।
इंटक यूनियन ने की  उच्चस्तरीय जाँच की मांग-

सूरतगढ़ विद्युत उत्पादन मजदूर यूनियन (इंटक) के अध्यक्ष श्याम सूंदर शर्मा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर थर्मल में कोयले की जांच में चल रहे भ्र्ष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच करवाने तथा दोषी अधिकारियो के खिलाफ अतिशीघ्र कार्रवाई की मांग की है ताकि उत्पादन निगम के घाटे को कम किया जा सके।

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2016

सूरतगढ़ थर्मल पर 24 को महापड़ाव संभव नहीं:कड़ी सुरक्षा को भेदना असंभव:

टकराव की आशंका पर धारा 144 लगाई गई: ऐटा सिंगरासर माइनर आँदोलन:
शांति नहीं रही तो आँदोलन भटक जाएगा:
स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़,22 अप्रेल 2016.
अभी तक की जानकारियों और सामने आए तथ्यों को देखते हुए ऐटा सिंगरासर माइनर का निर्माण संभव नजर नहीं आता। आँदोलनकारी नेता और जुड़े हुए कार्यकर्ता भी यह सब जानते हैं लेकिन एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गए हैं जहां से वापस लौटना संभव नहीं है। सरकार एकदम से इन्कार नहीं कर सकती सो उसने कमेटी का निर्माण कर दिया है जिसकी रिपोर्ट के बाद जनता को बताया जाएगा कि क्या कुछ हो सकता है? वैसे वसृुंधरा राजे ने कह दिया है कि माइनर बनवाने में सरकार का इन्कार नहीं है मगर उसके लिए पहले पानी का इंतजाम तो हो कि कहां से मिल पाएगा? प्यासे इलाके को नेताओं ने दिन में सपने दिखलाए जिनमें भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल हैं तथा अब रिमोट माकपा नेताओं के हाथ में है। माकपा के नेता संघर्ष चला सकते हैं और अच्छा खासा चला सकते हैं यह सभी जानते हैं लेकिन उनके संघर्ष का चरम समय शांतिमय नहीं रह पाता। यह एक इतिहास है जिसमें कई आँदोलन कई संघर्ष और घटनाएं जुड़ी हुई है। घड़साना रावला का पानी आँदोलन सबसे बड़ा प्रमाण है। माकपा ऐसे आँदोलनों में ही जमीन तलासती है। अब कई दिनों से ग्राम ग्राम में माकपा के नेता ही सभाएं और नुक्कड़़ सभाएं करने में लगे हैं। उनके साथ अन्य पार्टियों के भी कुछ कार्यकर्ता  हैं मगर जो बयान या लच्छेदार प्रभावी भाषा माकपा वाले बोलते हैं वह अन्य नहीं बोल पाते। माकपा वाले सीधे साफ आक्रमक शब्दों में नेताओं को निशाना बना लेते हें वहीं अन्य नेता दब्बू नजर आते हैं कि स्थानीय सत्ताधारी का नाम तक लेने से कतराते हैं या अपने संबंधों को देखने परखने लगते हैं। पिछले कुछ दिनों से माकपा नेता ही समाचारों में छाए हुए हैं। न्यूज भी उन्हीं के नाम से बनती है अन्यथा बन ही नहीं पाती। इस आँदोलन में कांग्रेस किस जगह पर है और उसके बड़े नेता कहां पर हैं? यह किसी को बतलाने की जरूरत नहीं है।
 ऐटा सिंगरासर माइनर पर जल संसाधन मंत्री डा.रामप्रताप ने हनुमानगढ़ में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि दारू की बोतल में पानी देख कर माइनर नहीं निकाला जा सकता। यह शब्द किस संदर्भ में कहे गए होंगे और किसके लिए कहे गए होंगे?
इसके पहले विधानसभा में भी कहा कि यह बिन दल्हे का ब्याह है। हमने बहुत पहले कांग्रेस सत्ता और मील के विधायक काल में एक लेख लिखा था कि बिना दुल्हन की ब्याह जैसा होगा। पहले शादी करलो और बाद में दुल्हन की खोज करते रहना। आज की हालात में तो यह हालात है कि न दुल्हा है न दुल्हन है केवल बारात है। ऐसी बारात की क्या हालात हो सकती है?
बड़ी विकट स्थिति है। आँदोलन के लिए हजारों लोगों को एकत्रित करना आसान हो सकता है लेकिन नियंत्रित रखना आसान नहीं होता।
प्रशासन ने आँदोलनकारियों से वार्ता का रास्ता खुला रखा और बातचीत करता रहा तथा सुरक्षा का व्यापक प्रबंध भी करता रहा। इलाके के एसडीएम रामचन्द्र पोटलिया ने धारा 144 लगा दी है जिससे थर्मल गेट तक पहुंचना असंभव है। इसके अलावा चाहे किसान मजदूर कोई भी हो वह लाठी, फावड़ा दरांती आदि कुछ भी लेकर वहां से निकल नहीं सकता। जो लोग पहुंचेंगे वे निहत्थे होंगे और प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था में लाठी गोली सब कुछ होगा। संभव है कि वहां कूच कर रहे आँदोलनकारियों को पहले ही रोक लिया जाए। यह भी संभव है कि 24 अप्रेल का दिन निकलने से पहले ही सरकार नेताओं की धरपकड़ करले।
थर्मल गेट तक पहुंचना तो हर हालत में असंभव लगता है लेकिन उससे पहले भी बीच में भी क्या कुछ हो जाए कि आशंका कम नहीं है।
इलाके का किसान पहले कभी टकराव की हालत में नहीं पहुंचा है और अभी भी टकराव की हालत में नहीं पहुंचने में ही भलाई है। 

ऐटा सिंगरासर माइनर की पहले की बहुत सी सामग्री पढऩे देखने के लिए ऐटा सिंगरासर माइनर स्तंभ देखें।
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मंगलवार, 19 अप्रैल 2016

सरकार की नीयत साफ हो तो देखें कौनसा पुलिस अधिकारी काम नहीं करता:राजस्थान का गृहमंत्री लाचार

अपराधियों के पास आधुनिक हथियार और राजस्थान का गृहमंत्री लाचार
हथियारों से निपटने वाले संपूर्ण राजस्थान में सौ भी नहीं होंगे लेकिन कागजी भ्रष्टाचार व दुराचार की फाईलें क्यों पेंडिंग हैं और चालान की मंजूरी क्यों नहीं दी जाती?
- करणीदानसिंह राजपूत -
राजस्थान में आनन्दपाल का मामला सरकार का पीछा नहीं छोड़ रहा है और पावरफुल सरकार के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया लाचारी में वक्तव्य देते रहे हैं मानो उनके पास देने को सख्त आदेश नहीं है और पुलिस के पास हथियारों के नाम पर केवल तिनका है।
राजस्थान में भाजपा की वसुंधराराजे सरकार आने के बाद से अपराधियों के हांैसले बुलंद हैं। अपराधी मान कर चलते हैं कि उनके विरूद्ध कार्यवाही जब चाहे ठप करवाई जा सकती है और ऐसा प्रमाणित भी हो रहा है।
मान लिया जाए कि राजस्थान पुलिस के पास आधुनिक हथियार नहीं हैं, लेकिन हर अनुसंधन में तो हथियारों को कोई काम नहीं होता। जहां कागजी कार्यवाहियों का अपराधों का दुराचारों के अपराधों का अनुसंधान करना होता है वहां पर भी पुलिस चींटी चाल से चलती प्रमाणित होती है। महीनों तक तो पुलिस अधिकारी पत्रावली खोल कर ही नहीं देखते। मुस्तगीस को ही चक्कर लगवा लगवा कर परेशान कर डालते हैं।
किसी भी अधिकारी से देरी का पूछा नहीं जाता और न उसको नोटिस दिया जाता।
कई सालों के बाद जैसे तैसे अनुसंधान पूर्ण होता है और राज्य सरकार के अधिकारियों व कर्मचारियों के विरूद्ध चालान करने की अनुमति मांगी जाती है तब संबंधित विभाग के प्रमुख अनुमति नहीं देते। स्वायत्त शायन विभाग,जलदाय विभाग, राजस्व विभाग आदि इसके प्रमाण हैं। राजस्थान में नगरपालिकाओं,नगरपरिषदों,नगर विकास न्यासों में सर्वाधिक भ्रष्टाचार है। सरकार की करोड़ों रूपयों की जमीनें इधर उधर कर देने वाले,योजनाओं में करोड़ों रूपयों का हेरफेर कर योजनाओं को खत्म कर देने वाले अधिशाषी अधिकारी,अभियंता गण व संस्था के अध्यक्ष आदि के विरूद्ध अदालत में चालान करने की अनुमति देते सरकार दबाव से पीछे हट जाती है।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो व गुप्तचर शाखाएं तो बिना हथियारों के ही अपराधों का अनुसंधान करती हैं इनमें तेजी क्यों नहीं लाई जाती? इन शाखाओं में पूरा स्टाफ नहीं दिया जाता और समीक्षा भी कम होती है। पहले तो प्रकरण दर्ज होने में ही महीनों लग जाते हैं और उसके बाद अनुसंधान और फिर चालान की अनुमति में सालों का खेल चलता है। गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ऐसे प्रकरणों में भी लाचार क्यों दिखाई देते हैं? गृहमंत्री पावरफुल होता है लेकिन कटारिया जब तब लाचारी प्रगट करते रहते हैं। इतनी ही लाचारी है तो इस पद से चिपटे हुए क्यों बैठे हैं? कोई काम नहीं हो रहा है तो उसको छोडऩे में भी देरी क्यों?
अगर पद छोड़ नहीं सकते तो अपने आदेश निर्णय सख्त करें। उनके मंत्रालय में अपराधियों को कानून के हवाले करने में तो शायद कोई ीाी रोक नहीं रहा है। मुख्यमंत्री भी भी नहीं रोकती होंगी।
गृह मंत्रालय मालूम करले कि जयपुर में कितने प्रकरण पड़े हैं। स्वायत्त शासन विभाग का निदेशालय सर्वाधिक लिप्त है। जिन अधिकारियों व कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार आदि के आरोप हैं किसी की जाँच चल रही है तो उनको फील्ड ड्यूटी दी नहीं जा सकती लेकिन आदेश के बावजूद ऐसा किया जा रहा है। ऐसा मंत्रियों की कमजोरियों के बिना तो संभव नहीं है।
राजस्थान सरकार का चाहे कोई भी मंत्री हो वह लाचारी प्रगट करने के बजाए जो संसाधन हैं उनके तहत ही बहुत कुछ कर सकता है। 

 

रविवार, 17 अप्रैल 2016

आपातकाल में शांतिभंग में बंदी लोगों को भी पेंशन दिए जाने पर उच्च स्तरीय मंत्रणा जारी


स्पेशल न्यूज- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़। आपातकाल 1975 में शांति भंग की धाराओ सीआरपीसी 107,151,116/3 में बंदी रहे लोगों को भी मीसा बंदियों की तरह पेंशन दिए जाने के प्रस्ताव पर उच्च स्तरीय मंत्रणा चल रही है। राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन ने एक सवाल के जवाब में यह बताया है।
विधायक मोहनलाल गुप्ता जयपुर ने 8 फरवरी और 28 फरवरी को सवाल पूछे थे। इनका उत्तर सामान्य प्रशासन के उप शासन सचिव की ओर से 4 अप्रेल 2016 को दिया गया है जिसमें यह सूचना दी गई है।
राजस्थान सरकार मीसा व रासुका बंदियों को पेंशन शुरू कर चुकी है।
आपातकाल लोकतांत्रिक सेनानी संगठनों ने शांतिभंग में बंद रहे लोगों को भी बराबर मानते हुए उक्त पेंशन दिए जाने की मांग की हुई है।

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2016

खून से तिलक करो,गोलियों से आरती:सूरतगढ़ में रामनवमी पर हिन्दुओं का जोश:सचित्र:


हम तलवार उठाऐंगे-हिन्दु हम हैं बब्बर शेर:
हिन्दुस्तान में रहना होगा तो वंदे मातरम् कहना होगा:
जै श्रीराम जै श्रीराम के केसरिया ओम लिखी पताकाएं व भगवा झंडों के मार्च में महिलाएं भी शामिल:
- विशेष रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत-
सूरतगढ़ 15 अप्रेल 2016.
रामनवमी पर भयानक गर्मी और लू की लपटों में केसरिया झंडों व ओम लिखी केसरिया पताकाएं लिए हिन्दुत्व में दुश्मन को ललकार देते हुए यह शोभा यात्रा थी। 


रविवार, 10 अप्रैल 2016

वसुंधराराज में मील परिवार के अतिक्रमणों को हटाने का ताजा आदेश: राजनीति में क्या रंग लाएगा?


राजस्थान में मील परिवार की पावरफुल राजनीति पर दूसरा वार:
पहला वार जयपुर में जेसीबी चलाकर किया गया था और अब दूसरा सूरतगढ़ में जेसीबी चलाकर होगा:
स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़।
राजस्थान की राजनीति में राजाराम मील का जाट महासभा के अध्यक्ष के नाते पिछले कई सालों से मील परिवार का पावरफुल दबदबा रहा है और राजस्थान की कांग्रेस में आज भी मील परिवार का दबादबा भारी है। इसी दबदबे के कारण गंगाजल मील को सूरतगढ़ से कांग्रेस की टिकट मिली और वे 2008 में सूरतगढ़ से विधायक चुने गए। गंगाजल मील 2013 के चुनाव में भाजपा के राजेन्द्र भादू से हार गए व तीसरे क्रम पर पहुंच गए लेकिन कांग्रेस में मील का नेतृत्व कायम है। पृथ्वीराज मील पूर्व जिला प्रमुख भी सूरतगढ़ में अगले चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं। 


शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

सरकार ऐटा सिंगरासर माइनर के 53 ग्रामों को पहले कमांड घोषित करे:


पत्रकारवार्ता में पूर्व विधायक हेतराम बेनीवाल ने दो टूक घोषणा की:
24 अप्रेल को थर्मल का घेराव पूर्व निश्चित-श्योपत मेघवाल:
ऐटा सिंगरासर टिब्बा इलाके को गरीब छोटा भाई समझ कर सभी साथ दें-राकेश बिश्रोई संयोजक:
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़,8 अप्रेल 2016.
ऐटा सिंगरासर माइनर निर्माण के लिए जूझ रहे इलाके के लोग चाहे कुछ भी हो जाए मांग पूरी होने से पहले पीछे हटने को तैयार नहीं है। टिब्बा संघर्ष समिति की प्रेसवार्ता में राजस्थान सरकार व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की नीति को भ्रमित करने वाली बताया गया।
पूर्व विधायक हेतराम बेनीवाल ने कहा कि जो भी सरकार राजस्थान में आई ,उसने इलाके को सिंचित करने के मामले में गंभीरता से कार्य नहीं किया। इलाके के नेता जनता को मूर्ख बनाते रहे।
बेनीवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे वास्तव में ही इलाके को सरसब्ज करना चाहती है तो पहले अपने मंत्री मंडल में ऐटा सिंगरासर माइनर के 53 ग्रामों के रकबे को सिंचित क्षेत्र घोषित करवाए। इसके अलावा इंदिरागंधी नहर के प्रथम चरण की मरम्मत से जो 400 से 450 क्यूसेक पानी सरपल्स मिलेगा,उसके लिए स्पष्ट घोषणा की जाए कि वह पानी प्रथम चरण में प्राथमिकता से ऐटा सिंगरासर माइनर के लिए दिया जाएगा। इनके बाद में माइनर का निर्माण हो। बेनीवाल ने कहा कि प्रथम चरण में पानी की जरूरत को पूरा किए बिना ही वोटों की राजनीति के कारण दूसरे चरण में आगे से और आगे ले जाया जाता रहा।  


गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

इन्दिरा गांधी नहर क्षेत्र के किसानों द्वारा मुख्यमंत्री वसुंधरा का आभारः


हनुमानगढ़, गंगानगर तथा बीकानेर जिले के सैकड़ों किसान व विधायक जयपुर में मिले
सूरतगढ, 7 अप्रेल। हनुमानगढ़, गंगानगर तथा बीकानेर जिले के सैकड़ों किसानों ने गुरूवार को मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुन्धरा राजे से मिलकर इन्दिरा गांधी नहर क्षेत्रा में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए बजट एवं अन्य अवसरों पर की गई घोषणाओं के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
पीलीबंगा, अनूपगढ़, हनुमानगढ़, करणपुर, सूरतगढ़, खाजूवाला आदि क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व में मुख्यमंत्री निवास पहुुंचे इन किसानों ने कहा कि श्रीमती राजे की ऐतिहासिक घोषणाओं से नहरी क्षेत्र की सालों पुरानी समस्याओं के दूर होने की उम्मीद जागी है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि राज्य सरकार नहरी क्षेत्र के किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। बरसों से जो समस्याएं दूर नहीं हुई वे अब प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र दूर की जा रही है।
जल संसाधन मंत्री डॉ. रामप्रताप, श्रम एवं नियोजन राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी, संसदीय सचिव डॉ. विश्वनाथ मेघवाल, विधायक श्री राजेन्द्र भादू, श्रीमती द्रोपती मेघवाल, शिमला बावरी आदि विधायकों एवं अन्य जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व में किसानों ने कहा कि नहरी क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने के लिए संकल्पित श्रीमती राजे ने बजट में इन्दिरा गांधी नहर प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए राजस्थान वाटर सेक्टर रि-स्ट्रक्चरिंग प्रोजेक्ट फॉर डेजर्ट एरिया की घोषणा की थी। इस प्रोजेक्ट से बाढ़़ के रूप में व्यर्थ बहने वाले रावी, ब्यास, सतलज एवं घग्घर नदियों के अतिरिक्त पानी को पाकिस्तान जाने से रोका जा सकेगा, जिसका लाभ इलाके के लाखों किसानों को होगा।
उन्होंने कहा कि सूरतगढ़ स्थित डिप्रेशन संख्या 6 पर पानी के रिसाव की समस्या के निराकरण के लिए इसके एक भाग में 40 करोड़ रुपये के लेमिनेशन कार्य, एटा-सिंगरासर माइनर के परीक्षण के लिए समिति के गठन, इन्दिरा गांधी मुख्य नहर एवं शाखाओं की रि-लाइनिंग तथा सूरतगढ़-अनूपगढ़ सीसी रोड को मंजूरी देने से इस क्षेत्र की बरसों पुरानी समस्या दूर होगी। 




सोमवार, 4 अप्रैल 2016

ईओ राकेश मेंहदीरत्ता के विरूद्ध सूरतगढ़ में घोटाले का मुकद्दमा दर्ज:


मुकद्दमा नं 155 दि.4-4-2016 को दर्ज:धोखाधड़ी,षडय़ंत्र रचने,फर्जी रिकार्ड तैयार करने की धाराएं:
स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़ 4 अप्रेल 2016.
नगरपालिका का ईओ राकेश अरोड़ा मेंहदीरत्ता सरकार के साथ षडय़ंत्र रच कर धोखा देने व फर्जी रिकार्ड तैयार करने व नुकसान पहुंचाने के नए आपराधिक मुकद्दमें में फंस गया है जो उसने नगरपालिका सूरतगढ़ में किया। विकास योजना में आरक्षित भूमि पर एक भूखंड को गैरकानूनी रूप से नियमित किया गया। अगले दिन उसका सब रजिस्ट्रार के पास पंजियन हो गया और उसके बाद उसका गैरकानूनी बेचान हो गया। नए मालिक ने उसको तत्काल ही व्यावसायिक में बदलवा लिया।
वर्तमान में ईओ राकेश मेंहदीरत्ता अनूपगढ़ में पद स्थापित है तथा यौनशोषण व भ्रष्टाचार के मुकद्मों में फंसे हुए हैं। यह नया मुकद्दमा बाबूसिंंह खीची ने दर्ज कराया है। इसकी जाँच सिटी थानाधिकारी पुलिस इंसपेक्टर नारायणसिंह भाटी करेंगे। बाबूसिंह खीची भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं तथा पिछले कुछ सालों से भ्रष्टाचार के विरूद्ध अभियान चलाए हुए हैं। 

बाबूसिंह खीची 
नए मुकद्दमें में राकेश मेंहदीरत्ता पर आरोप है कि उसने केसरीसिंह पुत्र मनीराम निवासी 5 पीपीए तहसील पदमपुर के साथ मिल कर षडय़ंत्र रचा तथा केवलराम पुत्र मिश्रीलाल के नाम से एक प्रार्थनापत्र भूखंड नियमन का लिया। उक्त भूखंड त्रिमूर्ति मंदिर के पास में वार्ड नं 8 में 277.7 वर्गगज का था। राकेश अरोड़ा ने जेइएन को 28-11-2011 को मौके की रिपोर्ट करने के लिए आदेश दिया। उसने रिपोर्ट व नजरी नक्षा दिया जिसमें मौके पर केवल चारदीवारी होना पाया। उसमें मकान आदि बने होना नहीं दर्शाया गया था। राकेश अरोड़ा ने दिनांक 22-12-2012 को उक्त भूखंड को नियमन करने का प्रस्ताव ले लिया। जिसमें बोर्ड की बैठक में रखे जाने का कोई उल्लेख नहीं था। 
राकेश अरोड़ा ने 4-1-2012 को इस पत्रावली को असाधारण गति दी और संबंधित शाखाओं के कर्मचारियों पर दबाव डाल कर रिपोर्ट ली। इस पर अध्यक्ष नगरपालिका से 9-1-2012 को अनुमोदन भी करवा लिया और उसी दिन नियमन की रकम भी जमा करवा ली। दिनांक 11-1-2012 को पट्टा नं 25 तैयार कर राकेश अरोड़ा ने खुद के हस्ताक्षर किए तथा अध्यक्ष के हस्ताक्षर भी करवा लिए। राकेश अरोड़ा ने उसी दिन उप पंजियक कार्यालय में उपस्थित होकर पंजियन भी करवा दिया। उक्त पट्टे पर शर्त थी कि इसका नगरपालिका की बिना अनुमति के आगे किसी को बेचान नहीं कराया जा सकता।
इसकी गैरकानूनी खरीद अगले ही दिन 12-1-2012 को केसरीसिंह पुत्र मनीराम ने विक्रयपत्र से कर लिया। केसरीसिंह पुत्र मनीराम ने 27-1-2012 को राकेश अरोड़ा को एक आवेदन किया जिसमें पट्टा नामतरण अपने नाम करने का लिखा। सरकारी नियमों शर्तों के मुताबिक यह नामांतरण नहीं हो सकता था लेकिन ईओ ने नियमों को तोड़ते हुए 24-2-2012 को पट्टे का नामांतरण केसरीसिंह पुत्र मनीराम के नाम पर कर दिया। केसरीसिंह पुत्र मनीराम ने 5-3-2012 को फार्म भर कर इसको व्यावसायिक में कन्वर्ट करने का लिखा। ईओ ने उक्त फाइल तैयार की और वरिष्ठ नगर नियोजक बीकानेर को  30-5-2012 को सौंपी। जिसमें वहां पर दुकाने होना दर्शा दिया।
पुलिस थाना सिटी सूरतगढ़ में उक्त मुकद्दमा  अप्रेल 2016 को दर्ज हुआ है। यह भूखंड करोड़ों रूपयों का है।


पुलिस इंसपेक्टर नारायणसिंह भाटी



रविवार, 3 अप्रैल 2016

श्री सुखमनी साहिब का 17 वां सालाना समागम सूरतगढ़:सचित्र: रिपोर्ट:


नगरकीर्तन का पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु व धर्मपत्नी श्रीमती निर्मलकौर ने पुष्पमालाओं व पुष्पवर्षा से शानदार स्वागत किया:
राजस्थान स्तरीय यह महान समागम 2 व 3 अप्रेल को गुरूद्वारा गुरूसिंघ सभा में हुआ:
स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत:
सूरतगढ़, गुरूमत प्रचार और समाज सेवा के महान उद्देश्यों वाली श्री सुखमनी साहिब सेवा सोसायटियों की ओर से सतरहवां सालाना समागम सूरतगढ़ के गुरूद्वारा श्रीगुरूसिंघ सभा में 2 व 3 अप्रेल को ऐतिहासिक रूप में हुआ।

राकेश मेंहदीरत्ता को कानून से कितने दिन बचा पाऐंगे अखबार और दोस्त:




ईओ राकेश मेंहदीरत्ता पिछले करीब 1 साल से पुलिस और कानून से बचने के लिए कोई न कोई नया गेम खल रहा है और उसमें दोस्त और कुछ अखबार भी रोल अदा कर रहे हैं। लेकिन यह लुकमिचनी कितने दिन तक खेली जा सकती है? इस प्रकार की लुकमिचनी इस देश में बड़े बड़े राजनीतिज्ञ और अरबों रूपए की देश विदेश में संपत्ति रखने वाले खेल कर थके और सरेंडर कर गए या फिर पुलिस ने दबोच लिया। उनके आगे ईओ राकेश मेंहदीरत्ता कुछ भी ताकत नहीं रखता। बड़े बड़े लोग आज महीनों से और सालों से जेलों में बंद हैं। उनमें भ्रष्टाचारी भी हैं व दुराचारी भी हैं। खुद को सच्चा बताने वाले भी उनमें हैं। उन लोगों के दोस्त और अखबार व चैनल बहुत थे और पावरफुल भी थे लेकिन बचा नहीं पाए। 

राकेश मेंहदीरत्ता के दोस्तों में संजय धुआ है जो नए नए प्रकार के गेम बना रहा है लेकिन इस प्रकार के गेम से मामलों की जांच को लटका कर देरी ही कराई जा सकती है। उनको समाप्त नहीं करवाया जा सकता। जिस दिन संजय के प्रकरण या गेम जाँच मं आ जाऐंगे तब क्या होगा?
कुछ अखबार हैं जो राकेश मेंहदीरत्ता की तरफ से जो कार्यवाही होती है वह तो प्रकाशित करते हैं और जब उसके विरूद्ध पुलिस कोई कार्यवाही करती है या कोई प्रकरण दर्ज होता है तो उसे नहीं छापते।
मेंहदीरत्ता ने एक महिला पर ब्लेकमेलिंग का प्रकरण दर्ज करवाया तब उसकी न्यूज छापी गई। पीडि़त महिला ने जब प्रकरण दर्ज करवाया तब उन्हीं अखबारों ने नहीं छापी। अब पीलीबंगा पुलिस ने छापा मारा वह न्यूज नहीं छापी गई। लेकिन मेंहदीरत्ता की पत्नी ने 12 लाख रूपए का आरोप लगाया और एसपी को केवल पत्र लिखा। वह छापा गया। पूर्व विधायक हरचंदसिंह सिद्धु ने एसपी से मिल कर जाँच का पत्र दिया कि मालूम किया जाए कि यह रकम कहां से आई? वह न्यूज अखबारों ने नहीं छापी। अखबारों की यह नीति भ्रष्टाचार व दुराचार को पनपाने वाली ही कही जा सकती है। इस प्रकार की नीति से कोई भी अखबार कभी भी किसी को भी राकेश मेंहदीरत्ता को भी बचा नहीं सकते।
मेंहदीरत्ता के घोटाले तो इतने अधिक हैं कि मामले आगे भी दर्ज होते रहेंगे। आखिर कानून से पुलिस से बचा नहीं जा सकता।
मेंहदीरत्ता सही है और कोई घोटाला नहीं किया और महिला कर्मचारी का यौनशोषण नहीं किया है तथा आरोप झूठे हैं तो वह कानून के समक्ष हाजिर होकर सही रूप में मुकद्दमें लड़ सकता है।

शनिवार, 2 अप्रैल 2016

मौत के डर से रण से भाग रहे कांग्रेस नेता:



- करणीदानसिंह राजपूत -
 कांग्रेस के सूरतगढ़ व राजियासर ब्लॉकों की एक बैठक सूरतगढ़ में 1 अप्रेल को हुई। भाजपा को मिमियाते से शब्दों में कोसा गया। पूर्व जिला प्रमुख पृथ्वीराज मील जो कि अगले विधानसभा चुनाव के लिए सूरतगढ़ सीट के प्रबल दावेदार माने जाते हैं ने दो बातें प्रमुख रूप से कही। एक भाजपा से 2 सालों में ही लोगों का मोह भंग हो गया है। दूसरी बात कही कि पंचायत स्तर पर बैठकें की जाऐंगी और उसके बाद में रण नीति बनाई जाएगी। इस बैठक का आयोजन रणनीति बनाने के लिए ही किया गया था लेकिन अभी केवल इतना ही तय कर पाऐं हैं कि पहले पंचायत स्तर बैठकें की जाऐंगी और पार्टी को मजबूती प्रदान की जाएगी।
कांग्रेस के अपने आपको मजबूत नेता मानने वाले यह तो मानते हैं कि पार्टी कमजोर है। पार्टी मजबूत नहीं है और पंचायतों तक हालत खराब हो चुकी है कि वहां पर पहले बैठकों करनी होगी। इनके निर्णय से ही यह लगता है कि रण के लिए कुछ भी नहीं है। कहीं कहीं पर एक दो कार्यकर्ता बचे हैं। कुछ ऐसे कार्यकर्ता बचे हैं जो उम्र के अंतिम पड़ाव में पार्टी को छोडऩा नहीं चाहते। दोनों ही प्रकार के ऐसे कार्यकर्ता रण नहीं लड़ सकते।
आखिर पार्टी की यह कमजोर हालत कैसे हो गई? किसने पार्टी की इस हालत में पहुंचाया कि कार्यकर्ता तक बेदम हालत में पहुंच गए। यहां पर सिवाय मील परिवार गंगाजल मील और पृथ्वीराज मील के और तो कोई नहीं था। गंगाजल मील के विधायक चुने जाने से पहले से लेकर विधायक काल और उसके बाद में आजतक केवल मील परिवार के ये व्यक्ति ही पार्टी को अपनी जेब में या फिर अपने घर परिसर में रखते रहे। कोई अन्य व्यक्ति पार्टी को इस तरह से रखने वाला होता तो दोष उसके सिर पर मंढ़ा जाना वाजिब होता।
मील परिवार के खुद के पास में वह पावर नहीं रही है कि एक आवाज दे और जनता कुर्बान होने कौ  सिर कटाने को तैयार हो जाए। लेकिन जनता ऐसे हालात के लिए तभी तैयार होती है जब नेता भी जनता व कार्यकर्ताओं के लिए सिर कटाने को तैयार रहता हो या कभी ऐसी घटनाएं पैदा हुई हों। यहां पर संघर्ष करने के लिए हर रोज कोई न कोई मुद्दा बनता रहता है लेकिन संघर्ष से भागने वाली हालत रही है या फिर टालते रहने की हालत। फौजों का एक नियम होता है कि कभी भी उसे विश्राम की हालत में न रखा जाए। वह ठंडी पड़ती चली जाएगी और जब युद्ध आ जाएगा तक आलस में डूबी लड़ नहीं पाएगी। कांग्रेस फौज इस हालत में है जिसे विश्राम कहा जा सकता है। अब ऐसी फौज के भरोसे कैसे लड़ा जा सकता है? हां। नेता नेता से लड़े तब कार्यकर्ता सामने वाली पार्टी के कार्यकर्ता से भिड़ सकता है। यहां पर तो हालत सबके सामने हैं। मील परिवार के दिग्गज गंगाजल मील और पृथ्वीराज मील सामने वाले नेता राजेन्द्रसिंह भादू से लडऩे में कतराते हैं। सामने राजेन्द्र भादू आ जाए तो उस रास्ते को छोड़ कर निकलते हैं। यह कमजोर स्थिति कार्यकर्ता और आमजन देखते हैं समझते हैं।
अब लड़े कौन?
भाजपा राज के यानि कि सूरतगढ़ में राजेन्द्रसिंह भादू के राज के ढाई साल बीतने को है। एक एक दिन कीमती है। आखिर कब रण का निर्णय होगा? अभी तो बैठक की है और उसमें पंचायत स्तर पर बैठकें करने का कहा गया है। इसका भी निर्णय होगा। यह निर्णय कब होगा?
हालात से तो यह लगता है कि मील इस प्रकार का निर्णय नहीं ले सकते। वे पीछे हट रहे हैं। समझें कि उन्होंने केवल पदों की या पूर्व पदों के संबोधन की जगहें रोक रखी हैं। मील परिवार नेताओं की सोच शायद यह है कि टिकट उनको मिल ही जाएगी और भाजपा से असंतोष के कारण वोट भी मिल जाऐंगे।
लेकिन टिकट पक्की हो और वोट भी पक्के हों यह गारंटी तो कभी भी नहीं हो सकती।
हां कोई नेता पद स्तर छोडऩे को तैयार न हों और रण से भाग रहे हों तब जनता स्वयं भी तो नया नेता सोच समझ कर आगे ला सकती है।
कार्यकर्ता सोच समझ कर निर्णय ले सकते हैं कि जो रात में आठ बजे के बाद संतोषजनक बात करने वाली हालत में हो समय दे सके वह नेता उपयुक्त हो सकता है।

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