सोमवार, 30 सितंबर 2024
रविवार, 29 सितंबर 2024
भारतीय न्याय संहिता व भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता पर कार्यशाला आयोजित.
श्रीगंगानगर, 29 सितम्बर 2024.
-माननीय न्यायाधिपति महोदय ने किया न्यायिक अधिकारियों की शंकाओं का निवारण
राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी की ओर से रविवार को जिला कलेक्ट्रेट सभागार में भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें राजस्थान हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधिपति महोदय श्री राजेंद्र प्रसाद सोनी द्वारा भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता पर चर्चा करते हुए न्यायिक अधिकारियों की शंकाओं का निवारण किया गया।
कार्यशाला के आरंभ में श्रीगंगानगर जिले के न्यायिक अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करते हुए कार्यवाहक जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री अशोक चौधरी (श्रम न्यायाधीश) ने माननीय न्यायाधिपति महोदय का स्वागत किया। इस अवसर पर माननीय न्यायाधिपति महोदय द्वारा पुरानी आईपीसी और सीआरपीसी के समाप्त होने के पश्चात भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता कैसे प्रभावी है, उस पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। इस दौरान उन्होंने श्रीगंगानगर और
हनुमानगढ़ जिले के न्यायिक अधिकारियों द्वारा जताई गई शंकाओं का भी निवारण करते हुए उनका मार्गदर्शन किया।
इस अवसर पर जेएम हनुमानगढ़ श्रीमती मीनाक्षी अग्रवाल, एडी.जेएम हनुमानगढ़ श्रीमती सीमा गोयल, जेएम सादुलशहर श्रीमती किरण राज, जेएम संगरिया श्रीमती सोनाक्षी पांडे, जेएम नोहर श्री डिंपल कुमार, जेएम रायसिंहनगर श्री प्रतीक दाधीच, जेएम सूरतगढ़ श्रीमती ध्वनि तंवर, जेएम रावतसर सुश्री नेहा कुमावत और जेएम घड़साना श्रीमती माहेश्वरी बरोड़ द्वारा प्रश्न पूछे गए। अंत में हनुमानगढ़ जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती तनवीर चौधरी द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। ०0०
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हरचंदसिंह और राजेंद्र भादु की बातचीत: डुंगर के कमजोर होते हालात.
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ 29 सितंबर 2024.
कांग्रेस के सदस्य दो पूर्व विधायकों वरिष्ठ नेता स.हरचंद सिंह सिद्धु और राजेंद्र सिंह भादु का अचानक मिलना और एक घंटे से अधिक समय तक बातचीत करने से लगता है कि सूरतगढ शहर और संपूर्ण विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के हालात पर चिंतन हुआ है। डुंगरराम गेदर के विधायक बनने से पूर्व और विधायक बनने के बाद की कांग्रेस की गिरती स्थिति में मजबूती लाने के लिए क्या किया जाए? यह बातचीत पूर्व विधायक सरदार हरचंद सिंह सिद्धु की कोठी पर 27 सितंबर 2024 को हुई। दोनों की बातचीत में अन्य कोई व्यक्ति उपस्थित नहीं था। चाय पीते चली राजनैतिक बातचीत एक घंटा बहुत होता है और उस बातचीत को सिद्धु ने आउट नहीं किया लेकिन घुमाफिरा कर पूछने पर दो चार पंक्तियों में सार हाथ लग ही गया।
सिद्धु ने भादु से कहा कि वर्तमान में कांग्रेस की स्थिति मे कोई नेता नहीं है इसलिए भादु अपनी सक्रियता को सौ प्रतिशत करे।
सिद्धु की बात में दम तो है। अभी विधानसभा चुनाव 2028 में चार साल हैं और हालात साबित कर रहे हैं कि डुंगरराम गेदर से लोग दूर हटते जा रहे हैं। गेदर की पकड़ बहुत कमजोर होती जा रही है। डुंगरराम गेदर और कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया की जोड़ी कांग्रेस को चला रही है लेकिन जोर लगाने पर भी अपीलों पर 100 लोग भी जुट नहीं रहे। भाटिया की अपीलों पर धरना प्रदर्शन पर बहुत मुश्किल से लोग कार्यकर्ता आते हैं जिनकी गिनती 50 से ऊपर पहुंचना भी मुश्किल होता है।* नरेन्द्र मोदी का पुतला फूंकने के कार्यक्रम में 50 लोग भी नहीं थे। प्रमुख कांग्रेसी आए नहीं। मोदी के कद के हिसाब से हजार दो हजार नहीं तो चार पांच सौ तो आदमी होते। इतना भी नहीं तो ब्लाक अध्यक्ष परसराम भाटिया को सौ,सवा सौ तो भीड़ करनी थी। डुंगरराम गेदर के जन्मदिन पर रक्त दान के लिए भी भाटिया और अन्य अपीलें असर नहीं डाल पाई। गेदर जब विधायक नहीं थे तब जन्मदिन 2023 पर 1872 लोगों ने रक्तदान किया और बड़ा उत्साह था। रक्तदाताओं के लिए अग्रसेन भवन में 70 बैड लगाए गये थे। विधायक बनने के बाद 2024 को जन्मदिन पर रक्तदान की अपील पर जोरदार उत्साह नहीं था और केवल 561 लोगों ने ही रक्तदान किया। इनमें भी पिछले रक्तदानी कम थे और नये आए मगर संख्या बहुत ही नीचे रही,ऊंची उठ नहीं पाई। पिछले जन्मदिन की संख्या से 1311 रक्तदानी कम रहे। जनता की समीक्षा तो उसी दिन शाम से पहले ही शुरू हो गई, लोगों के मुंह पर जो था वह सुनने में बहुत खारा लगता है कि गेदर काम का नहीं रहा। यह बात अधिक फैल रही है कि गेदर काम नहीं करवाता और कुछ विभागों में काम बताने पर फोन नहीं करता। वहां भाजपा के संदीप कासनिया के फोन जाते हैं। रामप्रताप कासनिया ने डुंगरराम से हारने के बाद से अपने बेटे संदीप कासनिया को आगे कर दिया। संदीप कासनिया ही अब हर कार्यकर्मों में देखे जाते हैं।
* गेदर से लोगों के दूर हटने की यह शुरुआत है जो गेदर सोचे या कांग्रेस सोचे। राजनेताओं को नजदीकी भाईड़े ले डूबते हैं। गेदर अपने सलाहकारों की नयी टीम चुने जो विवादित न हों तो शायद हालात बदलने लगे।
गेदर ने स्वयं का 2023 का विधानसभा चुनाव 50 हजार से भी अधिक वोटों से जीता लेकिन कुछ महीनों बाद ही लोकसभा चुनाव में कुलदीप इंदौरा को सूरतगढ विधानसभा क्षेत्र से 4 हजार वोट ही अधिक दिला पाए। गेदर और नजदीकी क्या करते रहे?
* कांग्रेस में अभी डुंगरराम गेदर के अलावा पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भादु ही मजबूत और एकमात्र नेता कहे जा सकते हैं जो किसानों में लोगों में अधिक पहुंच रहे हैं। हो सकता है कि इस स्थिति को ध्यान में रखकर ही सिद्धु ने राजेंद्र सिंह भादु को अधिक सक्रिय होकर आगे बढने का कहा हो। ०0०
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भ्रष्टाचारियों दुराचारियों से संस्थाओं में समारोहों में कैसी प्रेरणा ?
* करणीढदानसिंह राजपूत *
भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर लिखना छापना प्रकाशित करना लोगों की दृष्टि में अच्छा नहीं। भ्रष्टाचारियों को रोका टोका नहीं जाता उल्टा भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर लिखने छापने प्रकाशित करने वालों को सीधा कहा जाता है या किसी से कहलवाया जाता है कि ऐसा नहीं करना था। एक नेक काम करने वाले समाज को परेशानी से भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से मुक्त करने की कोशिश करने वाले को इस तरह से प्रचारित किया या करवाया जाता है कि उसने बहुत बुरा किया है। समाचार से संस्था की बदनामी हो रही है लेकिन एक भी संस्था पदाधिकारी सदस्य घपला करने वाले को दोष नहीं देते कि उसने भ्रष्टाचार क्यों किया? संस्था के किसी सदस्य पदाधिकारी और अध्यक्ष ने भ्रष्टाचार नहीं किया तब संस्था की बदनामी कैसे हो सकती है? इतना तो लोग पढे लिखे हैं।
ऐसा कहकर घोटालों के प्रमाणित दस्तावेजों के होते हुए भ्रष्टाचारियों को बचाने का प्रयास होता है। वे एक मामले में बचते हैं तो रूकते नहीं और नये घोटाले करते हैं। एक तो घोटालों के समाचार छिपाने की ही कोशिश होती है बहुत प्रयासों से दबाए हुए समाचार निकाल कर लाए जाते हैं और अनेक प्रलोभनों को ठुकरा कर जनता के सामने रखे जाते हैं तो शाबाशी के बजाय आलोचना मिलती है।
एक बड़ा प्रश्न यह भी है कि संस्थाओं में ऐसे डरपोक पदाधिकारियों और सदस्यों को रहना ही नहीं चाहिए जो सच्च को सच्च कहने से छिपते हों। सेवा का पुण्य लेना चाहते हैं तो फिर ऐसे सेवक घपलों को दबाने के लिए झूठ बोलकर झूठ के साथ खड़े होकर सच्च छुपाने का प्रयास करके पाप क्यों कमाते हैं?
* भ्रष्टाचार भ्रष्टाचारियों और दुराचारियों से देश समाज की बदनामी मानते हैं और फिर भी भ्रष्टाचारियों और दुराचारियों से समारोहों में फीते कटवा कर नारियल फोड़वा कर पुरस्कार भी बंटवा देते हैं तथा उनके साथ फोटो खिंचवाते हैं और अखबारों में छपवाते हैं। चैनलों पर विडिओ भी चलवाते हैं। यह सोचने समझने का तथ्य है कि ऐसे कृत्य से भ्रष्टाचारी दुराचारी संग खड़े होने से समाज को किस तरह की प्रेरणा देने का सत्कार्य किया जाता है?
29 सितंबर 2024.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार.
(राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत)
सूरतगढ ( राजस्थान )
94143 81356
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शुक्रवार, 27 सितंबर 2024
सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति का विज्ञापन निकला.योग्यता उम.
* करणीदानसिंह राजपूत *
दि.27 सितंबर 2024.
राजस्थान की 85 नगर निकायों में 23820 सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति का विज्ञापन आज जारी हुआ है। विज्ञापन में सफाई कर्मचारी भर्ती के लिए योग्यता उम्र आदि का विवरण है। काफी समय से सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति घोषणा की प्रतीक्षा की जा रही थी।
*********इंदिरा सर्कल से राठी स्कूल का प्लान कब तैयार किया गया?
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ 27 सितंबर 2024.
इंदिरा सर्कल से राठी स्कूल तक सड़क किनारे के मकानों के आगे के हिस्सों में तोड़ने के लिए लगाए लाल क्रोस के चिन्हों पर शहर में हड़कंप मचा है। किसी के पास सही सूचना नहीं है और सा.नि.वि. की ओर से कोई विस्तृत सूचना प्रकाशित नहीं कराई गयी कि ये लाल निशान आखिर क्यों लगाए गये हैं?
* वरिष्ठ वकील और दो बार विधायक रहे स. हरचंद सिंह सिद्धु ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के अभियंता से 26 सितंबर 2024 को मिलकर एक पत्र दिया है और इसे विभाग की दादागिरी लिखते हुए जानकारी चाही है कि इस सड़क का प्लान कब किसने बनाया है? जब प्लान तैयार किया गया तो किन किन संस्थाओं और सरकारी एजेंसियों को विश्वास में लिया गया या सा.नि.वि ने अपने स्तर पर ही यह फाईनल कर लिया? सिद्वु ने लिखा है कि वांछित फीस जमा करवाई जाकर उक्त सूचना अविलंब उपलब्ध कराई जावे ताकि उच्च न्यायालय की शरण ली जा सके।
👍 सिद्धु ने एक और पत्र भी अधिशासी अभियंता को दिया है। दूसरे पत्र में लिखा है कि सन् 1727 में सैन जी मंदिर से कुम्हार मौहल्ला आबाद हो चुका था। सरकार के महकमा खास ने इस क्षेत्र के लोगों को पट्टे जारी किये थे। सैन मंदिर के सामने वाला क्षेत्र जाबता का बाड़ा था।
* अब सानिवि इस क्षेत्र में प्लान लागू करना चाहता है जो कि अवैध एवं गैरकानूनी है।
** सिद्धु ने लिखा है कि सन् 1960 में कुम्हार मोहल्ला के दक्षिण मुख्य मार्ग से नगरपालिका ने अपनी एक कालोनी का नक्शा पास करवा कर करीब 200 प्लाट अनुसूचित जाति ( उस समय का शब्द हरिजनों) को आवंटित किए थे। उस कालोनी के बीच में मुख्य मार्ग मौजूद था इसलिए अब बिना कानूनी प्रक्रिया ( यानि भूमि आवाप्ति की कार्यवाही) के मकानों को ध्वस्त करना गैरकानूनी एवं अवैध है। सानिवि दादा गिरी से सड़क प्लान के नाम पर मकानों को गिराएगा तो इसका विरोध होगा।
* सिद्धु ने दोनों पत्रों की प्रतियां स्थानीय विधायक डुंगरराम गेदर को भी भिजवाई है। ०0०
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गुरुवार, 26 सितंबर 2024
सूरतगढ सिटी थाने में 80 दिनों से सीआई पद रिक्त क्यों? तुरंत सीआई लगाया जाए।
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ 26 सितंबर 2024.
सूरतगढ को जिला बनाने की मांग करने वाले राजनैतिक नेता संगठन आदि भूल गये कि भाजपा के सुशासन में सूरतगढ सिटी पुलिस थाना के थानाधिकारी सीआई का पद 80 दिनों से रिक्त पड़ा है।
यहां के विधायक डुंगरराम गेदर ( कांग्रेस) द्वारा एक शिकायत में धरना के दबाव की चेतावनी देने के बाद 6 जुलाई 2024 को जिला पुलिस अधीक्षक श्रीगंगानगर ने सिटी पुलिस थाने के सीआई सुरेश कस्वां को रिजर्व पुलिस लाईन में भेजा और उसके बाद से यह महत्वपूर्ण पद रिक्त पड़ा है।
* प्रदीप शर्मा पर अवैध हथियार केस नं 353 दि 24 जून 2024 झूठा बनाने की शिकायत थी। प्रदीप शर्मा ने एसपी के समक्ष पेश होकर 1 जुलाई को लिखित शिकायत की। एसपी ने निष्पक्ष जांच का कहा और गंगानगर के एक सीओ पुलिस उप अधीक्षक को तुरंत जांच भी सौंप दी। एसपी की कार्यवाही के बाद प्रदर्शन करते हुए एडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को शिकायत की गई। फिर कांंग्रेसियों की शह पर महाराणा प्रताप चौक पर धरना शुरू कर दिया गया। किसी भी हालत में सीआई सुरेश कस्वां को हटवाने के लिए विधायक डुंगरराम गेदर और कांग्रेस के लोग धरने में शामिल हुए। गेदर ने धमकी भरी चेतावनी दी और 6 जुलाई को सीआई सुरेश कस्वां को पुलिस लाईन भेज दिया गया।
* प्रदीप शर्मा को अवैध हथियार में झूठा फंसाया मामले की जांच हो गई। प्रदीप शर्मा के भी बयान हो गये। अनेक लोगों के तथा प्रदीप शर्मा के बयानों के बाद जिला पुलिस अधीक्षक को जांच का रिजल्ट और प्रदीप शर्मा के बयान भी मालुम हो गये।
अब सवाल यह पैदा होता है कि 80 दिनों से सूरतगढ में सीआई का पद रिक्त क्यों पड़ा है? सूरतगढ के लोगों को मालुम पड़ना चाहिए कि शिकायत की जांच में क्या सीआई दोषी पाया गया? प्रदीप शर्मा को गिरफ्तार करने वाले दोषी सिद्ध हुए। प्रदीप शर्मा के बयान जांच में क्या हुए? प्रदीप ने पुलिस को दोषी बताया की उसे झूठा फंसाया या उसने हथियार अपने पास होना स्वीकार किया। यदि प्रदीप ने हथियार अपने पास होना स्वीकार किया है तो यह जांच रिपोर्ट जनता के सामने लाने में देरी क्यों की जा रही है? जांच में यदि सुरेश कस्वां दोषी नहीं है तो सूरतगढ में उन्हें लगाने में कोई रूकावट नहीं है। अगर किन्हीं कारणों से सुरेश कस्वां को नहीं लगाना है तो फिर किसी अन्य सीआई को लगाया जाना चाहिए। सूरतगढ महत्वपूर्ण संवेदनशील क्षेत्र है और यह स्थिति जिला पुलिस अधीक्षक और बीकानेर रेंज के महानिरीक्षक पुलिस के ध्यान में है तो फिर 80 दिनों से सूरतगढ में थानाधिकारी सीआई का पद खाली क्यों छोड़ा हुआ है। सूरतगढ की जनता को यह दंड क्यों दिया जा रहा है? प्रदीप शर्मा की शिकायत पर हुई जांच को बहुत दिन बीत चुके हैं इसलिए जांच का परिणाम जनता के सामने बिना विलंब के होना चाहिए। यह जांच जिला पुलिस ने करवाई इसलिए परिणाम भी उनको ही जनता के सामने रखना चाहिए।०0०
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकारिता 60 वर्ष.
( राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत)
सूरतगढ ( राजस्थान)
94143 81356
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बुधवार, 25 सितंबर 2024
परसराम भाटिया और कर्मचारियों ने तूड़ी भुगतान में किया बड़ा घोटाला.
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ 25 सितंबर 2034.
नगरपालिका द्वारा संचालित शिव नंदी शाला के नंदियों की तूड़ी खरीदने में तत्कालीन नियुक्त अध्यक्ष परसराम भाटिया और कर्मचारियों ने किसने कितने खाए यह खुलासा तो जांच से अधिक साफ होगा लेकिन यह बड़ा घोटाला लिखित में हुआ और बड़ा भुगतान भी कर दिया गया। यह मामला अधिक गंभीर इसलिए है कि तूड़ी के टेंडर में प्रति कुंतल 810 रूपये थे और भुगतान 840 रूपये की दर से किया गया। अध्यक्ष परसराम भाटिया का क्या रोल रहा?
* नगरपालिका ने करीब 4500 कुंतल तूड़ी खरीदी। 25 लाख रूपये का भुगतान हो जाने के बाद जब बाकी के लाखों रूफये भुगतान के लिए फाईल अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा के पास आई तब यह घोटाला पकड़ में आया।
* 25 लाख रूपये भुगतान का हिसाब देखें तो करीब 2975 कुंतल का भुगतान 840 रूपये प्रति कुंतल की दर से किया गया जबकि दर 810 के हिसाब से 89 हजार रूपये अधिक का कर दिया गया था। इस अधिक भुगतान करने में किसने कितने खाए?
* बाकी तूड़ी का भुगतान 840 रूपये प्रति कुंतल कागजों के हिसाब से कर दिया जाता तो 1 लाख 35 हजार के लगभग अधिक भुगतान हो जाता। कागजात के हिसाब से बाकी के करीब 12 लाख रूपये का भुगतान करने के लिए स्वीकृति के लिए फाईल अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा के पास आई तब यह घोटाला पकड़ में आया।
* कालवा ने अधिशासी अधिकारी को दोषी कर्मचारियों पर सख्त कार्यवाही करने के लिए राजस्थान सरकार सर्विस रूल्स की धारा 16 सीसी के तहत नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।
* तूड़ी खरीदने के लिए एक समिति बनाई हुई थी जिसमें ईओ, कनिष्ठ या सहायक अभियंता, लेखाकार और स्टोर कीपर थे। स्टोरकीपर कमल सोनी,लेखाकार मनप्रीत कौर, जेईएन सुशील और तत्कालीन ईओ गोदारा बताए जाते हैं।
* तूड़ी खरीद के टेंडर में दो फर्मों ने टेंडर लगाए। सोनी कं की दर 810 रूपये प्रति कुंतल और अन्य दूसरी फर्म की दर 850 रूपये प्रति कुंतल थी। इसके बाद सोनी कं से नेगोसिएशन की गई। नेगोसिएशन दर कम करने के लिए की जाती है। यहां 810 रू से दर कम होनी चाहिए थी लेकिन यह बढाकर 840 रू कर दी गई। इस बढी दर पर लगभग 25 लाख रूपये का भुगतान कर दिया गया।
* अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा ने दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध तुरंत एक्शन लेने का आदेश तीन चार दिन पूर्व वर्तमान ईओ पूजा शर्मा को दिया था। घोटाला मालुम होने के बाद नोटिस में देरी नहीं की जाती। ये बिना विलंब के नोटिस किस तारीख को जिन कर्मचारियों को जारी होंगे तब खुलासा होगा। सबसे बड़ा सवाल है कि 810 रूपये की दर को किसने 840 बढाया और किनकी सलाह थी और कैसे भुगतान हुआ। भुगतान आंखे बंद करके तो नहीं हुआ।०0०
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