बुधवार, 25 सितंबर 2024

परसराम भाटिया और कर्मचारियों ने तूड़ी भुगतान में किया बड़ा घोटाला.

  


* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ 25 सितंबर 2034.

नगरपालिका द्वारा संचालित शिव नंदी शाला के नंदियों की तूड़ी खरीदने में तत्कालीन नियुक्त अध्यक्ष परसराम भाटिया और कर्मचारियों ने किसने कितने खाए यह खुलासा तो जांच से अधिक साफ होगा लेकिन यह बड़ा घोटाला लिखित में हुआ और बड़ा भुगतान भी कर दिया गया। यह मामला अधिक गंभीर इसलिए है कि तूड़ी के टेंडर में प्रति कुंतल 810 रूपये थे और भुगतान 840 रूपये की दर से किया गया।  अध्यक्ष परसराम भाटिया का क्या रोल रहा?

* नगरपालिका ने करीब 4500 कुंतल तूड़ी खरीदी।  25 लाख रूपये का भुगतान हो जाने के बाद जब बाकी के लाखों रूफये भुगतान के लिए फाईल अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा के पास आई तब यह घोटाला पकड़ में आया। 

* 25 लाख रूपये भुगतान का हिसाब देखें तो करीब 2975 कुंतल का भुगतान 840 रूपये प्रति कुंतल की दर से किया गया जबकि दर 810 के हिसाब से 89 हजार रूपये अधिक का कर दिया गया था। इस अधिक भुगतान करने में किसने कितने खाए?

* बाकी तूड़ी का भुगतान 840 रूपये प्रति कुंतल कागजों के हिसाब से कर दिया जाता तो 1 लाख 35 हजार के लगभग अधिक भुगतान हो जाता। कागजात के हिसाब से बाकी के करीब 12 लाख रूपये का भुगतान करने के लिए स्वीकृति के लिए फाईल अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा के पास आई तब यह घोटाला पकड़ में आया। 

* कालवा ने अधिशासी अधिकारी को दोषी कर्मचारियों पर सख्त कार्यवाही करने के लिए राजस्थान सरकार सर्विस रूल्स की धारा 16 सीसी के तहत नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। 

* तूड़ी खरीदने के लिए एक समिति बनाई हुई थी जिसमें ईओ, कनिष्ठ या सहायक अभियंता, लेखाकार और स्टोर कीपर थे। स्टोरकीपर कमल सोनी,लेखाकार मनप्रीत कौर, जेईएन सुशील और तत्कालीन ईओ गोदारा बताए जाते हैं। 

* तूड़ी खरीद के टेंडर में दो फर्मों ने टेंडर लगाए। सोनी कं की दर 810 रूपये प्रति कुंतल और अन्य दूसरी फर्म की दर 850 रूपये प्रति कुंतल थी। इसके बाद सोनी कं से नेगोसिएशन की गई। नेगोसिएशन  दर कम करने के लिए की जाती है। यहां 810 रू से दर कम होनी चाहिए थी लेकिन यह बढाकर 840 रू कर दी गई। इस बढी दर पर लगभग 25 लाख रूपये का भुगतान कर दिया गया। 

* अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा ने दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध तुरंत एक्शन लेने का आदेश तीन चार दिन पूर्व  वर्तमान ईओ पूजा शर्मा को दिया था। घोटाला मालुम होने के बाद नोटिस में देरी नहीं की जाती। ये बिना विलंब के नोटिस किस तारीख को जिन कर्मचारियों को जारी होंगे तब खुलासा होगा। सबसे बड़ा सवाल है कि 810 रूपये की दर को किसने 840 बढाया और किनकी सलाह थी और कैसे भुगतान हुआ। भुगतान आंखे बंद करके तो नहीं हुआ।०0०

******







यह ब्लॉग खोजें