मंगलवार, 29 सितंबर 2020

साहबजी मास्क लगालो.लोग आने लगे हैं. सेठजी मास्क लगालो* सामयिक लेख- * करणीदानसिंह राजपूत*

 


अब इन तीन शब्दों की ताकत ही कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्ति दिलाएगी।
कार्यालयों में चपरासियों को और व्यवसायिक संस्थानों में नौकरों को ये  शब्द अपनत्व अधिकार से बोलने होंगे। इन शब्दों का चमत्कार भारत में और आगे चल कर भारत से दुनियां में फैलेगा।
सरकारी अर्ध सरकारी कार्यालयों और व्यावसायिक संस्थानों में जहां लोगों का आना जाना अधिक हो रहा है,वहां से कोरोना विषाणु का संक्रमण हो रहा है।
सरकारों के प्रशासनिक कार्यालयों सचिवालय,संभाग जिला और उपखण्ड कार्यालयों, पुलिस, जल, सा.नि.वि,सिंचाई,कृषि बागवानी, चिकित्सा,शिक्षा,स्वशासी संस्थान निगम,जिला परिषद,पंचायत समितियां,नगरपालिकाएं,बैंक,बीमा,
परिवहन,विद्युत,रेलवे आदि जहां लोगों का आवागमन अधिक होता है और रोका नहीं जा सकता। ऐसे अनेक कार्यालय और भी हो सकते हैं जहां आवागमन और संपर्क से कोरोना संक्रमण हो रहा है।
ऐसे कार्यालयों में सबसे अधिक सावधानी की आवश्यकता है। आने वाले किस व्यक्ति से कोरोना आ रहा है? यह केवल देखने से तो मालूम नहीं हो सकता।
यहां आने वाले सभी लोग बड़े साहब से ही मिलते हैं। बस। यहां से सावधानी रखना आवश्यक है। काम के घंटों में व्यस्तता और थकान से अधिकारी का मास्क हट भी जाता है और अधिकारी स्वयं भी हटाता रहता है। हर वक्त मास्क लगाए रखना संभव भी नहीं होता। ऐसे में सबसे नीचे की पोस्ट चपरासी यानि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को महत्वपूर्ण माना है। वह अधिकारी के संपर्क में हर समय अन्य से अधिक रहता है।
वह अधिकारी को कहेगा,' साहबजी मास्क लगालो, लोग आने लगे हैं। मेज पर पड़ा मास्क उठा कर अधिकारी के हाथ में भी पकड़ा देगा। पूरे अपनत्व भाव से वह कहेगा और अधिकारी उसकी बात को टाल नहीं सकेगा। यह बात कार्यालय के अन्य कर्मचारी जिनमें लिपिक वर्ग है,वह भी कह सकता है।
हमें कहना है और कहलाना है। यह बहुत साधारण कार्य लगता है मगर बहुत कीमती यानि अमूल्य कार्य है।
इस पर मनन करें सोचें कि इतने साधारण कार्य से हम कोरोना का संक्रमण अधिक से अधिक रोक पाने में सफल होंगे।
बाहर से आने वाले एक दो के मास्क नहीं हों,हटाए हुए हों या अधिकारी से भेंट करते वक्त हट जाएं तो अधिकारी के तो मास्क लगा होगा। यह बहुत बड़ा बचाव है जिसे अत्यंत साधारण तरीके से किया जा सकता है।
यही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही मिलने वालों को 6-7 फुट दूर भी रखेगा। अधिकारी के कक्ष  में अधिक लोगों को एक साथ प्रवेश से भी रोकेगा।
अधिकारियों को मांग पत्र और ज्ञापन देते समय फोटो खिंचवाने और अखबारों,चैनलों सोशल साईटों पर प्रसारित करने की बीमारी भी प्रचलित है,जिसे सख्ती से रोकना आवश्यक है। सरकारों को यह रोक आदेश से लगानी चाहिए। अधिकारी अपने स्तर पर भी यह लागू कर सकता है। कार्यालय परिसर में फोटोग्राफी पर कोरोना संकट का हवाला देकर सूचना से रोक लगा सकता है।

जनता की पहुंच वाले ऐसे सरकारी और अर्ध सरकारी कार्यालयों में सैनेटराइजेशन की व्यवस्था अभी यदा कदा है जो प्रतिदिन आवश्यक रूप में आदेशित की जानी चाहिए। हर कार्यालय में अपने स्तर पर यह व्यवस्था हो।
सरकार जैसी ही व्यवस्था निजी क्षेत्र में जिसे व्यावसायिक,संस्थागत कहते हैं में भी लागू होनी चाहिए।
यहां भी चपरासी बड़े को संबोधित करते कहेगा। सेठजी मास्क लगालो।

निजी क्षेत्र में भी प्रबंधक आदि होंगे जिनके पास भेंट करने वाले शहर के विभिन्न भागों से और बाहर से आने वाले होते हैं। उन्हें यथा पद नाम से संबोधित करते हुए मास्क लगाने का कहा जा सकता है।
बाजारों में आसपास के दुकानदार एक दूसरे को मास्क लगाए रखने का कह सकते हैं और लापरवाही पर सतर्क भी कर सकते हैं। इसे रोकना टोकना नहीं अपनत्व भाव का आग्रह मानते हुए कहें और अपनत्व मानते हुए ही स्वीकार करें। इससे कोई बुरा नहीं मानेगा और बुरा लगेगा भी नहीं।
यदि संपूर्ण सावधानी रहे तो फिर लोकडाउन की कोई। जरुरत ही नहीं रहेगी। वैसे भी जब तक कोरोना की कोई दवा नहीं आती तब तक बचाव के हर तरीके को सहजता से अपनाने में ही सभी की भलाई है।
सरकारों ने जीवन व्यवस्था के लिए समय समय पर गाईड लाइन ( निर्देश) जारी कर रखे हैं जिनका पालन भी करते चलें। एक बात ध्यान में रखनी है कि हमें कोरोना से बचना है और दूसरे को भी बचाना है।
दि.29 सितंबर 2020.
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करणीदानससिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार,
राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत.
सूरतगढ़ ( राजस्थान) भारत.
91 9414381356.
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( लेखकीय निवेदन*
आप अपने साथियों,परिचितों को। भी भेजें.अखबार भी प्रकाशित करने को आगे बढें।००

सोमवार, 28 सितंबर 2020

जन समस्याओं से दूर भागते बड़े लोग- सामयिक लेख - * करणीदानसिंह राजपूत *

 


बड़े नाम बड़े पद! सुख शांति संपत्ति में बड़े लोग!!  चाहे राजनेता हों चाहे विपक्ष के नेता हों,चाहे समाजसेवी कहलाते हों,अपने आसपास हो रहे भ्रष्टाचार का विरोध करने में  जनता के दुख दर्द में सहयोगी होने संघर्ष करने में साथ देने के बजाय दूर भाग रहे हैं। फिर यह बड़े लोग कैसे हुए?

जब आसपास की बात पर शहर की बात पर घरों में कोठियों में मुंह छुपा कर बैठे रहते हैं। तब इनसे देश के मुद्दों पर राज्यों के मुद्दों पर क्या आशा कर सकते हैं?
कहते हैं कि मिट्टी को पूजने से भी पत्थर को पूजने से भी उसके आगे बोलने से भी पत्थर और मिट्टी भी बोलने लग जाते हैं लेकिन बड़े लोग कहलाने वाले उच्च शिक्षित कहलाने वाले जनता की पीड़ा ऊपर जनहित की बात पर आदमी होते हुए भी पत्थर बने हुए हैं।
मुद्दा कोई एक हो कोई एक पीड़ा हो ऐसा नहीं है बल्कि अनेक मुद्दे अनेक पीड़ा सुबह से लेकर शाम तक कष्ट में लोग जिनको रात को भी पीड़ाओं में रहना पड़ता है,उन लोगों के लिए बड़े लोग जबान नहीं खोलते उनकी कलम नहीं चलती।
तो क्या वे बड़े कहलाने का हक रखते हैं?
जनता को अपना पक्ष रखने के लिए चुनाव आते हैं। उस समय विभिन्न प्रकार से जनता भ्रमित हो जाती है।
चाहै देशभक्ति के नाम पर चाहे पार्टी बाजी के नाम पर चाहे किसी और कारणों से।
चुनाव के बाद फिर दुखों के पहाड़ों के नीचे दबे हुए  समय बिताते हैं। चुने हुए लोगों चुने हुए जनप्रतिनिधियों के आगे जनता को मांग क्यों रखनी पड़े?
  वे जानते हुए भी अनजान क्यों बने रहना चाहते हैं? इसका एक बहुत बड़ा कारण है कि पीड़ित लोग उनके आगे हाथ बांधे खड़े रहते हैं हाथ जोड़े खड़े रहते हैं । उनके कोठी बंगलों पर हाजिरी देते हैं।
इस कमजोरी के कारण बड़े लोग कभी सिर नीचा करके आंखें खोल कर पीड़ितों को देखना नहीं चाहते। जब पीड़ित हाजरी भरेंगे  तो यही हालत रहेगी।
लोकतंत्र में जनता की आवाज उठाने में समाचार पत्रों पत्रकारों का बहुत बड़ा दायित्व माना जाता था लेकिन आज स्थिति बदल गई है।
जो बड़े होने का दावा करते हैं एक नंबर पर होने का दावा करते हैं उन समाचार पत्रों में जनता की आवाज जनता की पीड़ाएं जनता के मुद्दे कहीं नजर नहीं आते। असल में बड़े कहलाने वालों ने पत्रकारिता ही खत्म कर दी। बड़े अखबार वालों ने पहले छोटे अखबारों को खा लिया। छोटे अखबार खत्म हो गए और अब यह बड़े अखबार भी अपने दफ्तरों को समेट कर बड़े बिजनेसमैन बन गए। संवाददाताओं को वेतन पर नहीं अब ठेके पर रखा जाता है। ठेके पर रखे हुए संवाददाताओं के लिए नीति निर्धारित की हुई होती है कि उन्हें अखबार के लिए क्या भेजना है चैनल के लिए क्या भेजना है? उनमें जनता के मुद्दे शामिल नहीं होते। यदा-कदा पांच 10 पंक्तियों में समाचार होता है फोटो जानबूझकर गायब कर दी जाती है और चैनल में 10 सेकंड का समाचार होता है।  बस अखबार वाले और चैनल वाले दोनों अपना कर्तव्य पूर्ण कर लेते हैं। किसे पढने को खरीदें और किस चैनल को देखें? यह निर्णय करें?
सही स्थिति यह है कि जो पीड़ित लोग हैं जो संघर्षशील लोग हैं उनको बड़े लोगों की हाजिरी भरनी बंद करनी चाहिए यही एक मार्ग बचा है।००







रविवार, 27 सितंबर 2020

"अमरचन्द बोरड़ जैन सभा श्रीगंगानगर के सर्वसम्मति से अध्यक्ष निर्वाचित"

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

श्रीगंगानगर, 27 सितम्बर 2020.

जैन सभा बीरबल चौक श्रीगंगानगर के आज हुए निर्वाचन में श्री अमरचन्द बोरड़ को उपस्थित समस्त समाज बंधुओं एवं पदाधिकारियों ने सर्वसम्मति से अध्यक्ष निर्वाचित किया।
जैन सभा की आम सभा की बैठक आज दिनाँक 27-09-2020 को सुबह 10-30 बजे बीरबल चौक स्थित जैन सभा भवन में आयोजित की गई। जिसमे समाज के प्रबुद्ध सदस्यों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर अध्यक्ष का निर्वाचन किया। 
निर्वाचन आगामी 2 वर्षों हेतु किया गया है।
इस अवसर पर समाज के माणकचन्द बोरड़ ( पूर्व अध्यक्ष ),नरेन्द्र जैन ( पूर्व सचिव ),वीरेंद्र बैद, निर्मल जैन, दुलीचन्द बोरड़, राजकुमार जैन पत्रकार, दीपक जैन एडवोकेट, पवन जैन, नरेश जैन, कमलकान्त कोचर,विमल कोटेचा, ज्योतिवर्धन सुराणा,नरेश जैन मुन्ना, चांदरतन गहलोत आदि समाज के अनेक प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।



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अमरचन्द बोरड़ 
जैन सभा श्रीगंगानगर                    मोबाईल-9460620002 


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बुधवार, 23 सितंबर 2020

lPS मृदुल कच्छावा व चौकी प्रभारी कलावती चौधरी पर मुकदमा- कार्यकर्ता सखी मो.को टार्चर करने का मामला*

* करणीदानसिंह राजपूत *


आईपीएस मृदुल कच्छावा,चौकी प्रभारी कलावती चौधरी

सहित 6 पुलिस कर्मियों और एक प्राइवेट जीप चालक के विरुद्ध 2 साल बाद  अदालत के आदेश से सूरतगढ़ सिटी थाने में 22 सितंबर 2020 को मुकदमा नंबर 392 दर्ज हुआ है।


यह मुकदमा भारतीय दंड संहिता की धाराओं 452 365 342 323 330 और 143 में दर्ज हुआ है।

सूरतगढ़ चौकी तत्कालीन इंचार्ज कलावती चौधरी,एक एसआई, कांस्टेबल वेद प्रकाश ज्यानी,तरसेम, विनोद, एएसपी  कच्छावा आईपीएस और प्राइवेट टोयोटा कार चालक रामस्वरूप के विरुद्ध यह मामला दर्ज हुआ है।


इन पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों ने थाना क्षेत्र सूरतगढ़ के बाहर जाकर पीलीबंगा थाना क्षेत्र में अवैधानिक कार्यवाही करते हुए सखी मोहम्मद और उसके भाई रफीक को जबरन उठाया और अवैध हिरासत में रखा। मारपीट की वगैरा-वगैरा।इस मामले को लेकर सूरतगढ़ में बहुत बड़ा आंदोलन भी हुआ। 


यह मामला राजस्थान उच्च न्यायालय तक पहुंचा और वहां से डायरेक्शन जारी हुआ। उस डायरेक्शन पर एसीजेएम की अदालत से आदेश हुआ और  156/3 में आदेश पर सिटी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया।


राजनैतिक सामाजिक कार्यकर्ता सखी मोहम्मद पुत्र पुनेखां निवासी मानकथेड़ी पुलिस थाना पीलीबंगा जिला हनुमानगढ़ को गैर कानूनी तरीके से उठाकर लाना पीटना आदि मामले को लेकर सूरतगढ़ सिटी पुलिस में 2 साल बाद यह एफआईआर हुई है।


एफ आई आर के अनुसार सखी मोहम्मद ने घटनाक्रम इस तरह से दर्ज कराया है।


सखी मोहम्मद पुत्र पुने खां  का कोई अपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।  राजनीतिक सामाजिक कार्यों में आगे रहा है।

17 जुलाई  2018 को सुबह 8:00 बजे के करीब मानकथेड़ी गांव में सखी मोहम्मद के घर के आगे एक प्राइवेट टोयोटा कार रुकी।

 उसमें से कलावती चौधरी,एक एएसआई,वेद प्रकाश,तरसेम,विनोद उतरे और 

घर में प्रवेश किया।

 सखी मोहम्मद और छोटे भाई रफीक को घसीट कर टोयटो कार में डाला। कलावती और तरसेम ने सखी मोहम्मद और रफीक के मोबाइल छीन लिए और स्विच ऑफ करके अपने पास रख लिए। इन दोनों को सूरतगढ़ चौकी में लाया गया।

सूचना मिलने पर एक और भाई सफी मोहम्मद एक वकील को लेकर जानकारी और जमानत आदि के लिए पहुंचा। कलावती ने इनको मिलने नहीं दिया। वहां बताया गया कि आईपीएस मृदुल कच्छावा के कहने पर इनको लाया गया है।

 वहां 4:00 बजे तक बैठाए रखा गया। 4:30 बजे मृदुल कच्छावा आया।  उसने सखी मोहम्मद के जबरन कपड़े उतरवाए और दीवार के सारे बैठा दिया,पैर सीधे करवाए।  विनोद तरसेम कलावती और  मृदुल ने तलवों पर चोटें मारी दबाव बनाने की कोशिश की कि वह अपने पासअवैध हथियार होने की बात स्वीकार कर ले। सखी मोहम्मद ने यह हां नहीं भरी।


 दोनों भाईयों को रात में मानकसर चौक पर ट्रैफिक चौकी पर उसी कार में वेद विनोद तरसेम कलावती लेकर गए।  

सखी मोहम्मद को रात भर वहां गया। अट्ठारह जुलाई 2018 यानी अगले दिन विनोद और दो पुलिसकर्मी लेकर सरकारी जीप से हॉस्पिटल पहुंचे। 


 सखी मोहमद ने डॉक्टर को अपनी चोटों के निशान दिखाए लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया। एक कोई टेबलेट दी गई एक इंजेक्शन लगाया गया। उसे वापस मानकसर चौकी पर ले जाकर बंद कर दिया गया। 

उसे रात को 8:00 बजे सिटी थाने में लाया गया। सीआरपीसी की धारा 151 में गिरफ्तारी दिखाई गई। उसी

रात को ही एसडीएम के सामने पेश किया गया वहां जमानत हुई।

उच्चतम न्यायालय में ललिता बनाम स्टेट का एक मामला है जिसमें रूलिंग है। उसके अनुसार यह मांग की गई कि यह मुकदमा दर्ज हो और उच्च अधिकारियों से जांच करवाई जाए। पुलिस ने उस समय मुकदमा दर्ज नहीं किया। 

पुलिस ने अदालत के आदेश से अब मुकदमा दर्ज किया है और जांच उप निरीक्षक सुभाष चंद्र को सौंपी गई है।


सखी मोहम्मद और सफी मोहम्मद दोनों भाई सूरतगढ़ छात्र राजनीति से लेकर अनेक आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं। सखी मोहम्मद को टार्चर किये जाने पर जबरदस्त आंदोलन हुआ था।

* अब इस मुकदमे की जांच पर सभी का ध्यान टिका रहेगा।*

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सोमवार, 21 सितंबर 2020

सूरतगढ़.बहुचर्चित आवासीय नीलामी प्रकरण अदालत द्वारा स्थगन.

 


* करणीदानसिंह राजपूत *


सूरतगढ़ 21 सितंबर 2020.


बहुचर्चित विवादित घेरे में आये बीकानेर रोड के नगर पालिका आवासीय भूखंड नीलामी प्रकरण में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत 

ने 21 को स्थगन आदेश देते हुए आगामी तारीखपेशी 28 सितंबर तय की है। 


भूखंडों की नीलामी आज 21 सितंबर से ही शुरू होकर 4 दिन चलने वाली थी। अब स्थगन से ये नीलामी तारीखें बीत जाएंगी।


एडवोकेट श्रीमती पूनम शर्मा और नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल की ओर से यह मामला जुडिशल मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश हुआ था और यह नीलामी को रोकने की मांग की गई थी। आवेदकों की तरफ से विभिन्न प्रकार के दस्तावेज शामिल करते हुए इस नीलामी पर रोकने की मांग की थी। आवेदकों की ओर से एडवोकेट सुभाष बिश्रोई पैरवी कर रहे हैं।

००






 

रविवार, 20 सितंबर 2020

बहुचर्चित आवासीय नीलामी प्रकरण अदालत में पेश- दो प्रार्थी-21 को सुनवाई.

 


* करणीदानसिंह राजपूत *


सूरतगढ़ 20 सितंबर 2020.


बहुचर्चित विवादित घेरे में आया बीकानेर रोड का नगर पालिका आवासीय भूखंड नीलामी प्रकरण ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश कर दिया गया है। इसके दो प्रार्थी हैं।


एडवोकेट श्रीमती पूनम शर्मा और नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल की ओर से यह मामला जुडिशल मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश हुआ है और एसकी नीलामी को रोकने की मांग की गई है। आवेदकों की तरफ से विभिन्न प्रकार के दस्तावेज शामिल करते हुए इस नीलामी पर रोकने की मांग की गई है। इस आवेदन पर 21 सितंबर को अदालत में सुनवाई होगी।

 नगर पालिका की ओर से 21 सितंबर को ही इसकी नीलामी शुरू होगी।


 विदित रहे कि नगर पालिका जिन भूखंडों को आवासीय नीलाम करना चाहती है वह संपूर्ण क्षेत वर्तमान में सघन बाजार में घिरा हुआ है और बेशकीमती व्यावसायिक है।

 लोगों की मांग है कि नगर पालिका इस क्षेत्र को व्यावसायिक क्षेत्र घोषित करके नीलाम करे ताकि बड़ी रकम नगर पालिका को मिल सके।

 लोगों का यह भी कहना है कि नगर पालिका आवासीय क्षेत्र में नीलाम कर के दूसरे लोगों को लाभान्वित करेगी। वे लोग खरीदकर तुरंत ही इसे व्यवसायिक क्षेत्र में कन्वर्ट करा लेंगे। नगरपालिका कोष को भारी नुकसान होगा।

 लोगों की मांग है कि इस बाजार से घिरे क्षेत्र को नगरपालिका पहले व्यावसायिक क्षेत्र घोषित करे और बाद में नीलाम  करे। देखते हैं कि अदालत इस पर रोक लगाती है स्टे देती है या कोई और निर्णय करती है००







सरकारी कार्यालयों में अनुपस्थिति रोकने को मूविंग रजिस्टर प्रणाली लागू हो

 


* करणीदानसिंह राजपूत *


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों कर्मचारियों की अनुपस्थिति पर रोक लगाने को मूविंग रजिस्टर व्यवस्था पुन: लागू करनी चाहिए। 

आज से करीब 25 साल पहले सरकारी दफ्तरों में एक मूवींग रजिस्टर संधारण किया जाता था जिसमें छुट्टी पर जाने वाले किसी कार्य से कार्यालय से बाहर जाने वाले अधिकारी और कर्मचारी का स्पष्ट वर्णन होता था कि वह कितने दिन की छुट्टी गया है कब आएगा? अगर सरकारी ड्यूटी पर शहर में ही इधर-उधर गए हैं तब भी उसमें  इंद्राज होता कि किस काम से बाहर गए हैं और कितनी देर रुकेंगे और वापसी कब होगी? सरकारी कार्य से शहर से बाहर जाने पर भी रजिस्टर में लिखना होता था। 

इस मूविंग रजिस्टर की व्यवस्था अब नहीं है।  किसी भी कार्यालय में यह रजिस्टर संधारण नहीं होता। यह व्यवस्था गुपचुप खत्म कर दी गई। 

सरकारी नौकरी पाने के लिए एक तरफ तो युवा तड़पते हैं लेकिन सरकारी नौकरी पाने के बाद ड्यूटी के प्रति कर्तव्यनिष्ठता नजर नहीं आती।००

शनिवार, 19 सितंबर 2020

रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे शुरू.सूरतगढ़ गंगानगर हनुमानगढ सहित 20 स्टेशनों पर।




 * करणीदानसिंह राजपूत *


सूरतगढ़ 18 सितंबर 2020.

उत्तर पश्चिम रेलवे के बीस स्टेशनों पर स्थापित हुई विडियों सर्विलांस 

प्रणाली।

उत्तर पश्चिम रेलवे जीएम आनन्द प्रकाश ने किया उद्धघाटन, यात्रियों की सुरक्षा के दृष्टिगत रेलवे का कदम

श्रीगंगानगर, 18 सितम्बर। रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए वीडियो सर्विलांस प्रणाली उत्तर पश्चिम रेलवे के स्टेशनों पर स्थापित की जा रही है। पूर्व में चार मण्डल मुख्यालय स्टेशनों-जयपुर, जोधपुर, बीकानेर तथा अजमेर स्टेशनों पर यह प्रणाली स्थापित की गई थी। अब सर्विलांस प्रणाली का विस्तार करते हुए उत्तर पश्चिम रेलवे के 20 अन्य स्टेशनों पर यह प्रणाली स्थापित की गई है।

उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री सुनील बेनीवाल के अनुसार उत्तर पश्चिम रेलवे के 20 स्टेशनों पर लगाये गये सीसी टीवी कैमरों से सुरक्षा की निगरानी उत्तर पश्चिम रेलवे प्रधान कार्यालय पर नव स्थापित वीडियो सर्विलांस प्रणाली से की जा सकेगी। इस सर्विलांस प्रणाली का उद्घाटन श्री आनन्द प्रकाश, महाप्रबन्धक उत्तर पश्चिम रेलवे द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्रीमती अरूणा सिंह-अपरमहाप्रबन्धक, श्री मोहन डुडेजा-प्रमुख मुख्य सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर, सुश्री अरोमा सिंह ठाकुर-प्रमुख मुख्य सुरक्षा आयुक्त, श्री के. सी. बैरवा-महाप्रबन्धक, रेलटेल, श्रीआर. के. गुडेशर-मुख्य संचार इंजीनियर, श्री पवन शर्मा-उपमुख्य सिगनल एवं दूर संचार इंजीनियर, तथा उत्तर पश्चिम रेलवे के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।

नव स्थापित वीडियो सर्विलांस प्रणाली के अंतर्गत जयपुर मण्डल के 5 स्टेशनों जिनमें अलवर, बांदीकुई, गांधीनगर जयपुर, फुलेरा, रेवाड़ी, अजमेर मण्डल के 6 स्टेशनों जिनमें भीलवाड़ा, फालना, मारवाड़ जं., आबूरोड, उदयपुरसिटी, रानी, जोधपुर मण्डल के 3 स्टेशनों जिनमें जैसलमेर, नागौर, पाली मारवाड़ तथा बीकानेर मण्डल के 6 स्टेशनों जिनमें हनुमानगढ, लालगढ, श्रीगंगानगर, सूरतगढ, भिवानी, हिसार स्टेशनों पर सीसी टीवी कैमरों के माध्यम से यात्रियों, उनके सामान एवं रेल सम्पत्ति की सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी बेहतर तरीके से रखी जा सकेगी। उत्तर पश्चिम रेलवे के सभी स्टेशनों को चरणबद्ध तरीके से सर्विलांस प्रणाली से जोड़े जाने की योजना है।००

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सोमवार, 14 सितंबर 2020

श्रीगंगानगर जिले में कोरोना इंसीडेन्ट कमाण्डर्स कितने सजग हैं?


* करणीदानसिंह राजपूत*
जिला कलक्टर ने कोरोना वायरस संक्रमण एवं बचाव के लिए जिले में मार्च 2020 के अंतिम सप्ताह 27-28 मार्च को जिला मुख्यालय और उपखण्ड पर एडीएम और एसडीएम  को इन्सीडेन्ट कमाण्डर नियुक्त किया था।
इनकी ड्यूटी और जिम्मेदारी निर्धारित की गई थी की ये सभी अपने अधिकारित क्षेत्र में कोरोना वायरस रोकथाम उपायों की सम्पूर्ण क्रियान्विति के लिए उत्तरदायित्व होंगे।
अन्य सभी लाईन विभागों के अधिकारी इंसीडेन्ट कमाण्डर्स के अधीन कार्य करेंगे। 
ये इंसीडेंट कमांडर घोषित हुए पांच माह से अधिक हो चुके हैं। इनकी अलग अलग स्तर पर सजगता कार्य जिम्मेदारी की समीक्षा तुरंत ही होनी चाहिए।
जिले में चिकित्सालयों बैंकों बीमा आदि सहित कई क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण का विस्तार होने और प्रतिदिन संख्या भी बढने से यह समीक्षा की जानी जरूरी है।
कोरोना सैंपलिंग लेने में चार पांच घंटे तक की चिकित्सालयों में प्रतीक्षा क्यों करनी पड़ती है?
सैम्पल की जांच श्रीगानगर प्रयोगशाला में केवल चार घंटे में मिलने की घोषणा थी,लेकिन जांच रिपोर्ट असल में कितने घंटों में मिल रही है?
कोरोना चिकित्सा के जिला मुख्यालय व उपखंड स्तरीय सेंटरों में क्या व्यवस्था और व्यवहार हैं?
जिला कलेक्टर स्वयं और इंसीडेंट कमांडर व्यक्तिगत रूप में क्या इनको देखने के लिए उपस्थित हुए हैं? यह उपस्थिति कितने दिन की अवधि में आवश्यक रूप में और जरूरी हो तब निर्धारित अवधि से पहले भी होने की ड्यूटी हो।
सेंटरों पर भोजन व्यवस्था कैसी है? भोजन गरिष्ठ अधिक चिकनाई वाला देरी से पचने वाला है या सुपाच्य है?कोरोना में और किसी भी बीमारी में भोजन विशेष होता है कि सुपाच्य हो।
निर्धारित दवाईयां आदि समुचित और समय पर दी जाती है या नहीं? कोई भूल चूक हुई हो तो उसे सुधारने और दुबारा नहीं होने के लिए क्या अनुभव और सीख लागू किए गए?
जिन संक्रमित लोगों को घरों में रखा गया। उनको बाहर नहीं निकलने और घरों के बाहर सूचना चिपकाने में पाबंदियां कितनी प्रभावी रही और ढील हुई तो किसकी गलती से हुई?
कोरोना संक्रमण और बचाव में सभी को सजग सतर्क रहना जरूरी है। चाहे अधिकारी हो,जनता हो,पीड़ित हो।
इस लेख में किसी भी स्तर में गलती कमी पर दंडित करने का नहीं लिखा गया है। असल में इस रोग से मुक्ति और नहीं फैले इसलिए सभी की सजगता को महत्वपूर्ण माना है।००
* करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
(राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ।
94143 81356.
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