रविवार, 5 मई 2013

विधायक गंगाजल मील ने जांच शुरू होने से पहले ही बनवारीलाल को निर्दोष क्यों बता दिया था?

पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल ओम साबनिया  सिपाही रोहिताश



पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल,सिपाही रोहिताश और ओम साबनिया तीनों करते बलात्कार शोषण

पीडि़ता ने मुंहमांगी रकम का आफर ठुकरा कर केस किया था

विधायक गंगाजल मील ने जांच शुरू होने से पहले ही बनवारीलाल को निर्दोष क्यों बता दिया था?

मंगलसूत्र मंदिर में रात को पहनाया गया

रोहिताश ने विश्वास पैदा करने के लिए जल्दी में जोड़े में फोटो खिंचवाई तब वह वर्दी में था

खास रपट- करणीदानसिंह राजपूत
अनुसूचित जाति बाजीगर महिला से बलात्कार करने, यौन शोषण करने, मारपीट करने,गर्भपात करवाने,शिव मंदिर में सिपाही को कुंवारा बतलाकर ब्याह करवाने के चर्चित मुकद्दमें में पीडि़ता ने कई नए तथ्य उजागर किए हैं।
पीडि़ता ने बताया कि पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल,सिपाही रोहिताश और ओम साबनिया तीनों ही बलात्कार यौन शोषण के दोषी हैं। पहले तो तीनों दुराचार करते रहे और बाद में रोहिताश ने अपने को कुंवारा बताते हुए शादी करने का वादा किया। रोहिताश ने पी.डब्ल्यू.डी. परिसर वाले शिव मंदिर में रात में मंगलसूत्र पहनाया और बनवारीलाल तथा ओम साबनिया गवाह बने। रात को वहां पर कोई आता जाता नहीं है। पीडि़ता ने कहा कि तीनों से कहा कि दुराचार तुम तीनों करते हो,ब्याह करने को यह अकेला कैसे राजी हुआ है? तब इन लोगों ने कहा कि रोहिताश मार्डन आदमी है। बीबी सांझी रहेगी। मार्डन दोस्ती में यह चलता है।
रोहिताश के वर्दी में फोटो खिंचवाने के बारे में पीडि़ता ने बताया कि यह जल्दबाजी में हुआ कि वो कपड़े बदल नहीं पाया। पीडि़ता ने बार बार जब फोटो का कहा तब रोहिताश ने कहा कि तेरे को विश्वास नहीं हो रहा है। चल अभी फोटो खिंचवाते हैं। इस तरह से श्रीगंगानगर के एक फोटो स्टूडियो में यह फोटो जल्दबाजी में खिंचवाई गई। अब यह पक्का सबूत बन गई है। पीडि़ता ने कहा कि स्टूडियो और श्रीगंगानगर के होटल के बारे में कुछ नहीं जानती क्यों कि श्रीगंगानगर जाती तब बस स्टैंड पर से रोहिताश लेकर जाता और बस स्टैंड पर वापस भी छोड़ता। इसलिए स्टूडियो के होटल के नाम और जगह नहीं जानती। रोहिताश तीन चार माह तक श्रीगंगानगर रहा था तब वहीं बुलवा लेता था। वहां पर तीनों ही शोषण करते।
पीडि़ता ने बताया कि जब रोहिताश पर जोर डाला कि ब्याह किया है अब अपने घर लेकर चल। ज्यादा जोर डालने पर कहा कि बेठ कर बात करते हैं। फिर बात करना भी टालने लगे। आखिर ज्यादा जोर डाला तब कहा कि अंटी के सामने बात करते हैं। इसके बाद अंटी रीमती राजेश सिडाना के पास बनवारीलाल मेघवाल,सिपाही रोहिताश और ओम साबनिया पहुंचे तथा पीडि़ता को वहीं बुला लिया। श्रीमती राजेश सिडाना नारी उत्थान केन्द्र की अध्यक्ष हैं और पति पत्नी के मध्य होने वाले विवादों दहेज मामलों आदि को निपटाने का कार्य करती हैं। वहां पर सुबह 10 बजे से लेकर 12 बजे तक दो घंटे बात हुई। आरोपी चाहते थे कि पैसे देकर मामला निपटा दिया जाए जबकि पीडि़ता ने जिद्द कर रखी थी कि ब्याह किया है तो वह पति के घर में ही जाकर रहेगी।
पीडि़ता ने बताया कि अंटी के सामने तीनों ने कहा कि थाने में मत जा केस ना कर। रूपए जितने लेना चाहे मांग ले। मुंहमांगे। तब पीडि़ता ने कहा कि रूपए लेकर कहां जाऊं? क्या करूं? मेरे लड़के को भगा दिया। मेरी जिंदगी बरबाद करदी। जब पीडि़ता नहीं मानी तब उन्होंने आंटी से कहा कि आप पूछ लो।
इस पर पीडि़ता ने कहा कि तुम करोड़ दो तो भी नहीं मानती। मुझे तो न्याय दो। अन्याय क्यों करते हो?
इसके बाद आंटी से भी कहा कि आप मेरे साथ न्याय करवाओ। वहां पर दो घंटे बाद भी वे न्याय को तैयार नहीं हुए। मामला पैसे से सुलटाने को कह रहे थे।
श्रीमती राजेश सिडाना घर बसाने का काम करती है सो इनका प्रकरण ही अलग था। उसने भी कहा कि पुलिस अदालत ही यह फैसला करवा सकती है। इसके बाद ओम साबनिया ने भी कह दिया कि केस करदे।
केस करने के बाद 15 नवम्बर और 16 नवम्बर को मोबाइल पर कॉलें आई। 15 नवम्बर की रात में करीब 11 बजे कॉल आई। राजस्थानी में धमकी दे रहा था। उसने खुद को बनवारी का आदमी बतलाते हुए धमकी दी कि तेरे बेटे को मरवा दिया जाएगा। उसको पीडि़मा ने जवाब दिया कि चाहे मार डालो केस तो वापस नहीं लूंगी। 16 नवम्बर को मोबाइल पर रात को करीब 9 साढ़े नौ बजे कॉल आई। यह कॉल हिन्दी में थी। उसने भी कहा कि बनवारी के आदमी हैं। छोरे की परवाह नहीं है क्या? हम मरवा देंगे। इन तीनों का बनवारी रोहिताश और ओम का कुछ भी नहीं होने देंगे।  इन मोबाइल कालों की शिकायत उनके मोबाइल नम्बरों सहित उपखंड अधिकारी व पुलिस उप अधीक्षक को लिखित में दी।

 प्रेस कान्फरेंस    गंगाजल मील बनवारीलाल ओम साबनिया



 

मगर विधायक गंगाजल मील ने तो इस केस की जांच शुरू होने से पहले ही प्रेस कान्फरेंस करके बनवारीलाल को निर्दोष बता दिया था। प्रेस कान्फरेंस ने ऐसा क्यों किया था। उस राज का परदा खुलना अभी भी बाकी है। पीडि़ता ने अदालत में इस्तगासा किया था जिस पर अदालत ने 7 अक्टूबर 2010 को मुकद्दमा दर्ज कर जांच करने का आदेश पुलिस को दिया था। पुलिस जांच शुरू ही नहीं हुई थी बड़ी जल्दी 12 अक्टूबर को मील ने बनवारीलाल को निर्दाेष बतला दिया था। यौनाचार के इतने गंदे आरोपों वाले मुकद्दमें में आफत तो बनवारीलाल की थी,मील को इतनी जल्दी अपना बयान देने की जरूरत क्या थी?
इसके पीछे कोई राजनीति थी या कोई और कारण था? बड़ी जल्दी ही प्रेस कान्फरेंस करवाना और उसमें विधायक का बयान तक आ जाना।
उस प्रेस कान्फरेंस से कई सवाल पैदा हुए जिनका उत्तर आज तक नहीं आया है।
प्रेस कान्फरेंस का विधायक जी को किसने कहा? बनवारी ने कहा या वे खुद अपनी मर्जी से ही तैयार हुए तो कोई बात है। किसी टीसी पत्रकार ने अपनी अक्ल से यह प्रेस कान्फरेंस करवाई तो उसके शातिर दिमाग को मानना पड़ेगा। इस जल्दबाजी में यह नहीं सोचा गया कि बनवारीलाल को बचाने के बयान में विधायक जी के आफत पैदा की जा रही है। इसका राज भी कभी खुलेगा जरूर की बनवारीलाल का ऐसा कौनसा दोस्त था जिसने बड़ी जल्दी विधायक जी को प्रेस कान्फरेंस के लिए राजी किया और चंद पत्रकारों को बुला कर बयान जारी करवा दिया।
    इस दुराचार के मुकद्दमें में कितने ही राज खुल गए हैं। तीनों आरोपियों ने पीडि़ता को पुलिस केस ना करने के लिए मनाने की बड़ी कोशिश की। मगर वो नहीं मानी। उसका एक ही दर्द था कि उसकी इज्जत चली गई अब वो मुंह मांगे रूपए लेकर कहां जाए?
पीडि़ता की फाइल आज भी बिना तेजी के पड़ी है। चुनाव के 6 माह बाकी रह गए हैं। चुनाव में यह मुद्दा बनेगा तब मील साहेब  के सामने या जो  भी कांग्रेस का प्रत्याशी होगा उसके सामने आफत आएगी और तब कोई निस्तारण तत्काल नहीं होगा।
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