रविवार, 10 मई 2015

तुम्हारा अनछुपा प्यार:एक सच्च:


 

मुस्कुराती हुई नवयुवती और उसकी कमर को थामे मुस्कुराता हुआ युवक।
 तस्वीरों से लाखों ने देखा:
बड़े अखबार ने घर घर पहुंचाया:
- करणीदानसिंह राजपूत -
मुस्कुराती हुई नवयुवती और उसकी कमर को थामे मुस्कुराता हुआ युवक। हिन्दी में कितने ही प्रकार से पढ़ा जा सकने वाला आकर्षित करने वाला अंग्रेजी वाक्य...अनहाइड योर लव...।
तुम्हारा अनछुपा प्यार।
तुम्हारा बिना राज का प्यार।
तुम्हारा प्यार जो गुप्त नहीं।
तुम्हारा प्यार जो पर्दे में नहीं।
इसे एकदम साफ शब्दों में तुम्हारा खुला प्यार लिखा जा सकता था, लेकिन फिर वह बात नहीं रहती जो आकर्षण के साथ दिखाई जाने वाली थी। उसके लिए भी अंग्रेजी के ओपन योर लव लिखा जा सकता था।
लेकिन लिखा गया अनहाइड योर लव।
इन शब्दों से तस्वीर का लुक ही बदल गया।
उनके आकर्षक पहनावे पर नजरें टिकी होंगी।
अनहाइड योर लव लिखे होने के कारण तस्वीर के आकर्षण को सभी ने देखा होगा और युवक युवती की मुस्कुराहटों को दिल में महसूस किया होगा।
बस तस्वीर की इसी जिंदादिली को घर घर पहुंचाने का उद्देश्य अधूरा नहीं रहा होगा।
इसी जिंदादिली को जोड़ों ने अपने अपने दिलों के पास में महसूस किया होगा।
देश में अपनी बड़ी पहुंच को बताने वाले अखबार ने युवाओं को प्रभावित किया। या प्रभावित करने के लिए अपने मुख पर हसीन युवा लड़की लड़के की तस्वीर को अनहाइड योर लव के साथ हर जगह पहुंचा दिया।
लाखों परिवारों ने इस तस्वीर को देखा।
बड़े छोटे ने देखा।
बस। अब आगे क्या कहा जा सकता है।
इससे आगे की कहानी जो बनती है।

वो कहानी तस्वीर नहीं बनाती। 
वो कहानी अखबार नहीं बनाता।
मगर जब बनती है तो कोई रोक नहीं पाता।

वह कहानी एक नहीं अनेक अखबारों में छपती है।
लड़की चली गई प्रेमी संग।
इसके बाद न जाने कहानी कितने रूपों में कितनी घटनाओं में चलती है।
अनहाइड योर लव।
एक सच्च जो रूक नहीं रहा है।
एक सच्च जो बड़ी तेजी से समाज में फैलता जा रहा है।

कहानी-
करणीदानसिंह राजपूत
 

गुरुवार, 7 मई 2015

राजस्थानी भाषा मान्यता वास्ते संसद की चौखट पर 6 मई को ऐतिहासिक धरना दिया:


जंतर मंतर पर देश भर से राजस्थानी प्रेमी पहुंचे:
संसद के मानसून सत्र में मान्यता मिलने की संभावना-सांसद अर्जुन राम मेघवाल:
विशेष रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ 7 मइ 2015. राजस्थानी भाषा मान्यता के लिए 6 मई को जंतर मंतर पर ऐतिहासिक धरना लगाया गया व प्रदर्शन किया गया। राजस्थानी भाषा प्रेमियों ने मंच से अपने विचार रखे। सबकी एक ही आवाज थी कि अब चुप नहीं रहेंगे और मान्यता लेकर ही रहेंगे।
सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि राजस्थानी भाषा को मानसून सत्र में मान्यता मिलने की प्रबल संभावना है। मेघवाल ने भाषा प्रेमियों को विश्वास दिलाया कि अब उन्हें और अधिक समय तक भाषा की मान्यता का इन्तजार नहीं करना पड़ेगा।
 इस सभा में सांसद लोकेन्द्र सिंह कालवी, गजसिंह शेखावत, राजस्थान सरकार के मंत्री वासुदेवनानी सहित बड़ी संख्या में राजनेताओं व भाषा मान्यता से जुड़े भाषा प्रेमियों ने भाग लिया व अपना सम्बोधन दिया।
भाषा प्रेमियों  ने कहा कि राजस्थानी भाषा का मुद्दा राजस्थान के लिए सांस्कृतिक, रोजगार परक व अस्मिता से जुड़ा हुआ है। राजस्थानी भाषा विश्व की समृद्धत्तम भाषा में से एक है। इसका गौरवशाली इतिहास है। चार लाख हस्तलिखित ग्रंथों का विपुल भंडार है। ढाई हजार वर्षो से भी पुराना इतिहास है। जिसमें राजस्थानी भाषा लिखी पढी व बोली जाती है। 13 करोड लोग इसके बोलने वाले हैं। राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं देकर मातृ भाषा के अधिकार से राजस्थान को वंचित रखा जा रहा है। इसे अब और अधिक सहन नहीं किया जा सकता। इस धरने में प्रदेश के कोने कोने से भाषा प्रेमी शामिल हुए वही विदेशों से भी प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सूरतगढ से इस धरने में शामिल होने वालो में,
समिति के जिलाध्यक्ष परसराम भाटिया के नेतृत्व में सघर्ष समिति के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष हरिमोहन सारस्वत ,जिला परिषद सदस्य व बसपा नेता डूंगरराम गेदर, टैगोर एजूकेशनल ग्रुप के चेयरमैन रोटेक्ट क्लब के संस्थापक डा.सुशील जेतली, पंजाबी वेल्फेयर सोसायटी अध्यक्ष परमजीत सिंह बेदी, लक्ष्य संस्थान के निदेशक पीके मिश्र,  चिन्तन परिषद के संभाग प्रभारी प्रहलाद राय पारीक, नारी उत्थान  केन्द्र की अध्यक्ष  पार्षद राजेश सिडाना, गर्भस्थ शिशु संरक्षण समिति की महिला प्रभारी पार्षद सावित्री स्वामी, पूर्व पार्षद सुन्दर देवी साबणियां, पूर्व पार्षद हरीश सेखसरिया, किशन लाल स्वामी, क्रांतिकारी महावीर भोजक, सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण समिति के महासचिव हेमन्त चांडक,  पिपुल फोर ऐनिमल के जिलाध्यक्ष महेन्द्र सिंह जाटव, विनय तिवाड़ी, विजय स्वामी, अनिल सैनी, जमींदारा पार्टी नेता बलराम कुकडवाल, राजपूत क्षत्रिय समाज के अध्यक्ष लाल सिंह बीका, कांग्रेसी नेता भीम जोशी, यूथ कांगेस अध्यक्ष गगनदीप सिंह बिडिग, द्वारका पेड़ीवाल, मायड़ भाषा प्रेमी सुरेन्द्र स्वामी, राजकुमार स्वामी, प्रभुदयाल सिंधी, नरेन्द्र शर्मा, रामकिशन स्वामी, ओम सावणियां, रामेश्वर दास स्वामी, गोरीशंकर भार्गव पुजारी, शिक्षक गिरधारी लाल स्वामी, किशन लाल गिरी, दुर्गा राम, महेन्द्र कुमार, आशा राम स्वामी, इन्द्रा देवी स्वामी, शारदा देवी गौड़, गंगा देवी स्वामी, कांग्रेस नगर अध्यक्ष व क्रंातिदल अध्यक्ष जेपी गहलोत, सघर्ष समिति  के प्रदेश मंत्री मनोज कुमार स्वामी, सावित्री, संतोष वर्मा, संकिला बिश्रोई, भागीरथ स्वामी, डीडी पारीक, महेन्द्र कुमार$ अल्का स्वामी, दुर्गा राम, जगदीश स्वामी लक्ष्मीनारायण आदि थे।

नारी उत्थान केन्द्र सूरतगढ़ की अध्यक्ष श्रीमती राजेश सिडाना अपने विचार रखते हुए





बुधवार, 6 मई 2015

नौकरी में अंग्रेजी से बड़ी ताकत बन जाएगी राजस्थानी-पढ़ें:


राजस्थानी को मान्यता मिलने दो:
अंग्रेजी को नौकरी के लिए ही ताकतवर मानते हैं:
विशेष रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत
एक दिन वह आएगा कि राजस्थानी भाषा नौकरी में अग्रेजी से बहुत अधिक ताकतवर बन जाएगी। अभी नौकरी पाने के चक्कर में ही तो अग्रेजी का पठन पाठन अधिक हो रहा है तथा इस तरह से प्रचारित किया जा रहा है कि अंग्रेजी के बिना नौकरी मिलेगी ही नहीं। इस कुप्रचार में अंग्रेजी पढ़ाने वाले कुछ स्कूल कॉलेज हर स्थान पर लगे हुए मिल जाते हैं। इस प्रचार को वे लोग तरजीह देते हैं जिनके पास में अधिक पैसा है जो अग्रेजी स्कूलों की भारी भरकम फीस आसानी से दे देते हैं तथा अपने आपको को समाज में बड़ा और अलग साबित करते हैं।
लेकिन जिस दिन राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता मिल जाएगी उस दिन राजस्थानी भाषा नौकरी में अंग्रेजी से अधिक ताकतवर बन जाएगी।
अभी राजस्थानी की संवैधानिक मान्यता मिलने में देरी होने का कारण यह भी रहा है कि राजस्थान के भी कुछ लोग संस्थाएं आदि क्षेत्र की अलग अलग भाषाओं को आगे ले आते हैं जबकि सभी मिल कर ही राजस्थानी का स्वरूप है।
राजस्थानी को भी एक दिन मान्यता मिल जाएगी और विरोध के बावजूद वह दिन अधिक दूर नहीं होगा।
यह मेरा विश्वास है और लाखों राजस्थानियों का भी विश्वास है जो मान्यता के संघर्ष में किसी न किसी प्रकार से जूझ रहे हैं।
किसी भी मांग को अधिक दिन तक टाला नहीं जा सकता।
अंग्रेजों का राज तो विश्व भर में था। देश स्वतंत्र कैसे होते चले गए?
राजस्थानी मान्यता का आँदोलन अब उस स्तर पर है कि इसे और अधिक दिनों तक दबाए नहीं रखा जा सकता।
इसे ज्यों ज्यों दबाया गया त्यों त्यों अधिक ताकत से शुरू हुआ।
देश की राजधानी दिल्ली में जंतर मंतर पर 6 मई 2015 को धरना प्रदर्शन सभा में राजस्थानियों का जोश व्यर्थ नहीं जाएगा।
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
सूरतगढ़
94143 81356
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मंगलवार, 5 मई 2015

राजस्थानी मान्यता प्रदर्शन धरना:सूरतगढ़ से दिल्ली बस रवाना:


परसराम भाटिया व मनोजकुमार स्वामी का नेतृत्व:
दिलात्मप्रकाश प्रकाश जैन व घनश्याम शर्मा ने झंडी दिखा बस रवाना की:

खबर- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़,5 मई। राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता के लिए 6 मई को दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन वास्ते राजस्थानी भाषा प्रेमी रात को बस से रवाना हुए जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष परसराम भाटिया और समिति के प्रदेश मंत्री साहित्यकार मनोजकुमार स्वामी की अगुवाई में ये लोग रवाना हुए। समाजवादी चिंतक दिलात्मप्रकाश जैन व भारत विकास परिषद के जोनल अध्यक्ष घनश्याम शर्मा ने बस को झंडी दिखा कर पुरानी धानमंडी से रवाना किया।

शुक्रवार, 1 मई 2015

आपातकाल बंदियों का लोकतंत्र रक्षा सेनानी संगठन:


अखिल भारतीय संयोजक पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा:
पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा ने आपातकाल बंदियों का अखिल भारतीय लोकतंत्र रक्षा सेनानी संगठन बनाया

राजस्थान प्रदेश संयोजक प्रभात रांका:


राजस्थान प्रदेश संयोजक प्रभात रांका ने वसुंधरा राजे से शांतिभंग में बंदी रहे लोगों को पेंशन दिए जाने की मांग की
खास खबर- करणीदानसिंह राजपूत
इकतालीस साल पहले आपातकाल सन 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन काल में आपातकाल लगा कर हजारों लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया था। उस समय के शासन के विरोध में अनेक लोग प्रदर्शन सभाओं में आंदोलन को उतरे और वे भी जेलों में डाल दिए गये थे।
कुछ प्रदेशों में मीसा व राष्ट्रीय सुरक्षा कानून में बंदी बनाए गए लोगों को पेंशन देनी शुरू कर दी। जिसमें राजस्थान भी शामिल है।
इसके अलावा हजारों लोग शांतिभंग कानून में गिरफ्तार किए गए थे। ऐसे लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को पेंशन दिए जाने पर विचार भी चल रहा है मगर उसकी गति धीमी है। शांति भंग में गिरफ्तार किए लोगों की उम्र भी आज के समय में साठ से ऊपर तक पहुंच गई है तथा कई लोग तो अनेक परेशानियों में बीमारियों में वृद्धावस्था जीवन जी रहे हैं।
शांतिभंग कानून में बंदी बनाए गए लोगों को पेंशन सुविधा मिले की सोच के साथ कुछ सालों से कार्य तो किया जा रहा है मगर उसकी गति धीमी रही है।
आपातकाल में बंदी रहे पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा ने इसके लिए अखिल भारतीय स्तर पर कई महीनों से कार्य शुरू कर संपर्क किया है और संगठन खड़ा किया है।
अखिल भारतीय स्तर पर इस नए संगठन का नाम अखिल भारतीय आपातकाल लोकतंत्र रक्षा सेनानी संगठन रखा गया है।
राजस्थान में इसके संयोजक प्रभात कुमार रांका भीलवाड़ा को बनाया गया है। रांका भीलवाड़ा व जयपुर में शांतिभंग कानून में बंदी रहे थे।
रांका ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को एक पत्र लिख कर शांति भंग में बंदी रहे लोगों को भी पेंशन दिए जाने की मांग की है।
पत्र में लिखा गया है कि शांति भंग व अन्य किसी धारा में बंदी बनाए गए लोगों के परिवारों पर जो संकट आया व व्यवसाय आदि चौपट हुए थे वे लोग आजतक पनप नहीं सके।
उन लोगों ने देश सेवा के लिए ही कदम उठाए और आपातकाल का विरोध किया था। 

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