* करणीदानसिंह राजपूत *
संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा और उससे पहले भाजपा में कई बड़े बदलाव हो जाएंगे। ये बातें पहले खुसरफुसर थी लेकिन अब ये खुली होने लगी है कि राजस्थान का सीएम बदला जाएगा।
भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष 15 जुलाई तक अवश्य ही बदल जाएगा। जे.पी.नड्डा का स्थान कोई अन्य नेता ग्रहण करेगा। अब और अधिक इंतजार नहीं होगा।
* फिल्मों में घोड़े दौड़ने रेल चलने आदि के दृश्य फिल्माए जाते हैं तो वे एक ही जगह होते हैं लेकिन दर्शकों को दौड़ते हुए दिखाई देते हैं। लेकिन राजस्थान में सरकार चलती हुई होते हुए भी चलती हुई दिखाई नहीं दे रही। मतलब फिल्मों वाली स्थिति भी नहीं है। आखिर जनता को सरकार चलती हुई दिखाई क्यों नहीं दे रही।
किसी भी शहर गांव और राजस्थान की राजधानी में खड़े व्यक्ति से पूछ लें तो एक ही उत्तर मिलता है कि काम नहीं हो रहे। सारी जगह यह एक ही उत्तर। मानों सभी को एक ही अध्यापक ने रटाया हो। यहां तक कि भाजपा पार्टी में भी यह उत्तर चल रहा है। बड़ा नेता छोटे नेता से काम के मामले में कह रहा है कि अभी ठहरो,किसी का भी काम नहीं हो रहा। जब होने लगेगा तब आपका भी हो जाएगा। इन हालात में
धरातल पर आम लोगों के बीच में वोट मांगने वाले,काम की गारंटी देने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं की हालत ज्यादा खराब है। लोग काम के लिए उन्हें पकड़ रहे हैं और उनको कोई न कोई झूठा उत्तर देना पड़ता है। लेकिन अब वे भी सच्च कहने लगे हैं कि काम नहीं हो रहे। उनके मुंह से निकलने लगा कि सरकार चल नहीं रही और यह उत्तर अब एक उत्तर नहीं जन चर्चा बन गया है। भाजपा इस चर्चा को अब रोकना चाहे तो भी रोक नहीं सकती। विधायकों के भी काम नहीं हो रहे। मंत्री कार्यालयों में आते नहीं। वे भी आकर क्या करें? उनको भी मालुम है कि वे काम करवा नहीं सकते। आखिर में यह परिणाम निकल रहा है कि भजनलाल शर्मा की सरकार चल नहीं रही। या यों कहें कि भजनलाल सरकार चला नहीं पा रहे। विपक्ष तो पहले ही कहने लगा था कि यह मुख्यमंत्री पर्ची से बने हैं और पर्ची सरकार में लोगों के काम नहीं हो रहे। पर्ची सरकार पूरी तरह से फेल सरकार है। अपराध बढे हैं और दफ्तरों में भ्रष्टाचार बढा है। सरकारी दफ्तरों का खुलने का समय यानि ड्युटी समय सुबह 9 बजे शुरू होता है लेकिन अधिकारी कर्मचारी 11-12 बजे तक आते हैं। चार बजे से पांच बजे तक दफ्तरों से अधिकारी कर्मचारी गायब होने लगते हैं। लोगों को काम के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं।आखिर लोग कितने चक्कर लगाएं? जब चक्कर लगाने पर भी काम नहीं हो रहा तब वह पैसा देने को मजबूर होता है। इसमें वह पिट रहा है जिसके पास देने को पैसा नहीं है। गरीब की यह पीड़ा परेशानी राजस्थान में महामारी बन गई है कि काम नहीं हो रहा। सरकार नहीं चल रही। अधिकारी जन प्रतिनिधियों की बात ही नहीं सुन रहे। और हालात इतने बिगड़ गए हैं कि जन प्रतिनिधि तक के मुंह से निकलने लगा है कि उनकी बाबू तक नहीं सुनते। सरकार चलाने के लिए सख्ती और कड़े निर्णय भी चाहिए। भाजपा बड़ी पार्टी है और देखते हैं कि आगे जुलाई अगस्त में क्या होता है?
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