रविवार, 29 सितंबर 2024

हरचंदसिंह और राजेंद्र भादु की बातचीत: डुंगर के कमजोर होते हालात.

 




* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ 29 सितंबर 2024.

कांग्रेस के सदस्य दो पूर्व विधायकों वरिष्ठ नेता स.हरचंद सिंह सिद्धु और राजेंद्र सिंह भादु का अचानक मिलना और एक घंटे से अधिक समय तक बातचीत करने से लगता है कि सूरतगढ शहर और संपूर्ण विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के हालात पर चिंतन हुआ है। डुंगरराम गेदर के विधायक बनने से पूर्व और विधायक बनने के बाद की कांग्रेस की गिरती स्थिति में मजबूती लाने के लिए क्या किया जाए? यह बातचीत पूर्व विधायक सरदार हरचंद सिंह सिद्धु की कोठी पर 27 सितंबर 2024 को हुई। दोनों की बातचीत में अन्य कोई व्यक्ति उपस्थित नहीं था। चाय पीते चली राजनैतिक बातचीत एक घंटा बहुत होता है और उस बातचीत को सिद्धु ने आउट नहीं किया लेकिन घुमाफिरा कर पूछने पर दो चार पंक्तियों में सार हाथ लग ही गया।

सिद्धु ने भादु से कहा कि वर्तमान में कांग्रेस की स्थिति मे कोई नेता नहीं है इसलिए भादु अपनी सक्रियता को सौ प्रतिशत करे। 








सिद्धु की बात में दम तो है। अभी विधानसभा चुनाव 2028 में चार साल हैं और हालात साबित कर रहे हैं कि डुंगरराम गेदर से लोग दूर हटते जा रहे हैं। गेदर की पकड़ बहुत कमजोर होती जा रही है। डुंगरराम गेदर और कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया की जोड़ी कांग्रेस को चला रही है लेकिन जोर लगाने पर भी अपीलों पर 100 लोग भी  जुट नहीं रहे। भाटिया की अपीलों पर धरना प्रदर्शन पर बहुत मुश्किल से लोग कार्यकर्ता आते हैं जिनकी गिनती 50 से ऊपर पहुंचना भी मुश्किल होता है।* नरेन्द्र मोदी का पुतला फूंकने के कार्यक्रम में  50 लोग भी नहीं थे। प्रमुख कांग्रेसी आए नहीं। मोदी के कद के हिसाब से हजार दो हजार नहीं तो चार पांच सौ तो आदमी होते। इतना भी नहीं तो ब्लाक अध्यक्ष परसराम भाटिया को सौ,सवा सौ तो भीड़ करनी थी। डुंगरराम गेदर के जन्मदिन पर रक्त दान के लिए भी भाटिया और अन्य अपीलें असर नहीं डाल पाई। गेदर जब विधायक नहीं थे तब जन्मदिन 2023 पर 1872 लोगों ने रक्तदान किया और बड़ा उत्साह था। रक्तदाताओं के लिए अग्रसेन भवन में 70 बैड लगाए गये थे। विधायक बनने के बाद 2024 को जन्मदिन पर रक्तदान की अपील पर जोरदार उत्साह नहीं था और केवल 561 लोगों ने ही रक्तदान किया। इनमें भी पिछले रक्तदानी कम थे और नये आए मगर संख्या बहुत ही नीचे रही,ऊंची उठ नहीं पाई। पिछले जन्मदिन की संख्या से 1311 रक्तदानी कम रहे। जनता की समीक्षा तो उसी दिन शाम से पहले ही शुरू हो गई, लोगों के मुंह पर जो था वह सुनने में बहुत खारा लगता है कि गेदर काम का नहीं रहा। यह बात अधिक फैल रही है कि गेदर काम नहीं करवाता और कुछ विभागों में काम बताने पर फोन नहीं करता। वहां भाजपा के संदीप कासनिया के फोन जाते हैं। रामप्रताप कासनिया ने डुंगरराम से हारने के बाद से अपने बेटे संदीप कासनिया को आगे कर दिया। संदीप कासनिया ही अब हर कार्यकर्मों में देखे जाते हैं।

* गेदर से लोगों के दूर हटने की यह शुरुआत है जो गेदर सोचे या कांग्रेस सोचे। राजनेताओं को नजदीकी भाईड़े ले डूबते हैं। गेदर अपने सलाहकारों की नयी टीम चुने जो विवादित न हों तो शायद हालात बदलने लगे।

गेदर ने स्वयं का 2023 का  विधानसभा चुनाव 50 हजार से भी अधिक वोटों से जीता लेकिन कुछ महीनों बाद ही लोकसभा चुनाव में कुलदीप इंदौरा को सूरतगढ विधानसभा क्षेत्र से 4 हजार वोट ही अधिक दिला पाए। गेदर और नजदीकी क्या करते रहे?

* कांग्रेस में अभी डुंगरराम गेदर के अलावा पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भादु ही मजबूत और एकमात्र नेता कहे जा सकते हैं जो किसानों में लोगों में अधिक पहुंच रहे हैं। हो सकता है कि इस स्थिति को ध्यान में रखकर ही सिद्धु ने राजेंद्र सिंह भादु को अधिक सक्रिय होकर आगे बढने का कहा हो। ०0०

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