सूरतगढ पालिका:औद्यौगिक प्लॉट नीलामी घोटाला:
पूर्व विधायक हरचंदसिंह ने पुलिस को कहा एसीबी जांच में सबूत दूंगा।
विशेष खबर-करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 10 नवम्बर। नगरपालिका के औद्योगिक प्लॉट निलामी और उसके बाद प्लाटों के उपविभाजन पर भ्रष्टाचार से सरकार को लाखों रूपए के राजस्व की हानि होने की एक शिकायत पूर्व विधायक एडवोकेट हरचंदसिंह सिद्धु ने राजस्थान के मुख्यमंत्री से की थी। इस शिकायत की जांच पर बयान लेने को सूरतगढ़ सिटी थाने के उपनिरीक्षक किशोरसिंह 7 नवम्बर को बयान लेने सिद्धु के पास गए। सिद्धु ने अपने बयान में कहा कि सूरतगढ़ पुलिस को अनुसंधान में कुछ भी तथ्य नहीं बताऊंगा। यह प्रकरण भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से संबंधित है। राज्य सरकार ब्यूरो को अनुसंधान का दायित्व सौंपेगी तब ब्यूरो को संपूर्ण सबूत दूंगा।
सिद्धु ने बताया कि नगरपालिका ने औद्योगिक प्लॉट 174 और 175 की नीलामी में घोटाला किया। मास्टर प्लान में घोषित कार्य के अनुसार प्लाटों की नीलामी हुई। उसके बाद में उनका उपविभाजन करके बेचे नहीं जा सकते। प्लॉटों का उप विभाजन और उनकी रजिस्ट्री व पालिका रिकार्ड में नामांतरण तक कर दिया गया। सिद्धु ने आरोप लगाया है कि 120 गुणा 150 फुट के प्लॉटों को उप विभाजन करके दुकानों के रूप में टुकड़े करके नहीं बेच सकते।
सिद्धु ने यह आरोप भी लगाया कि एक प्लॉट की छह जनों के ग्रुप ने बोली दी। वह प्लॉट 50 लाख 40 हजार में छूटा। उसकी एक चौथाई रकम भी बोली पूरी होते ही जमा करवा दी गई। उसके बाद मिली भगती करके नियम विरूद्ध दो जनों के नाम निकाल कर चार जनों के नाम रजिस्ट्री करवा दी गई। घोटाला इसके बाद और हुआ कि भूखंड के टुकड़े करके गिफ्ट दिखलाए गए। उनमें भी गोलमाल हुआ। इसमें सब रजिस्ट्रार ने बिना स्टाम्प शुल्क के रजिस्ट्री कर दी। सिद्धु ने आरोप लगाया है कि वर्कशॉप का बड़ा भूखंड पालिका खुद ही टुकड़े करके बेचती तो करोड़ों में बिकता मगर पालिका ऐसा कर नहीं सकती थी। पालिका ने वर्कशॉप को वर्कशॉप के रूप में ही बेचा,मगर बाद में उपविभाजन को स्वीकार करके घोटाला किया।
सिद्धु ने कहा कि इस मामले में विधायक पुत्र,नगरपालिका का अधिशाषी अधिकारी राकेश मेंहदीरत्ता, सब रजिस्ट्रार व कई और लोग शामिल हैं।
पूर्व विधायक हरचंदसिंह ने पुलिस को कहा एसीबी जांच में सबूत दूंगा।
विशेष खबर-करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 10 नवम्बर। नगरपालिका के औद्योगिक प्लॉट निलामी और उसके बाद प्लाटों के उपविभाजन पर भ्रष्टाचार से सरकार को लाखों रूपए के राजस्व की हानि होने की एक शिकायत पूर्व विधायक एडवोकेट हरचंदसिंह सिद्धु ने राजस्थान के मुख्यमंत्री से की थी। इस शिकायत की जांच पर बयान लेने को सूरतगढ़ सिटी थाने के उपनिरीक्षक किशोरसिंह 7 नवम्बर को बयान लेने सिद्धु के पास गए। सिद्धु ने अपने बयान में कहा कि सूरतगढ़ पुलिस को अनुसंधान में कुछ भी तथ्य नहीं बताऊंगा। यह प्रकरण भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से संबंधित है। राज्य सरकार ब्यूरो को अनुसंधान का दायित्व सौंपेगी तब ब्यूरो को संपूर्ण सबूत दूंगा।
सिद्धु ने बताया कि नगरपालिका ने औद्योगिक प्लॉट 174 और 175 की नीलामी में घोटाला किया। मास्टर प्लान में घोषित कार्य के अनुसार प्लाटों की नीलामी हुई। उसके बाद में उनका उपविभाजन करके बेचे नहीं जा सकते। प्लॉटों का उप विभाजन और उनकी रजिस्ट्री व पालिका रिकार्ड में नामांतरण तक कर दिया गया। सिद्धु ने आरोप लगाया है कि 120 गुणा 150 फुट के प्लॉटों को उप विभाजन करके दुकानों के रूप में टुकड़े करके नहीं बेच सकते।
सिद्धु ने यह आरोप भी लगाया कि एक प्लॉट की छह जनों के ग्रुप ने बोली दी। वह प्लॉट 50 लाख 40 हजार में छूटा। उसकी एक चौथाई रकम भी बोली पूरी होते ही जमा करवा दी गई। उसके बाद मिली भगती करके नियम विरूद्ध दो जनों के नाम निकाल कर चार जनों के नाम रजिस्ट्री करवा दी गई। घोटाला इसके बाद और हुआ कि भूखंड के टुकड़े करके गिफ्ट दिखलाए गए। उनमें भी गोलमाल हुआ। इसमें सब रजिस्ट्रार ने बिना स्टाम्प शुल्क के रजिस्ट्री कर दी। सिद्धु ने आरोप लगाया है कि वर्कशॉप का बड़ा भूखंड पालिका खुद ही टुकड़े करके बेचती तो करोड़ों में बिकता मगर पालिका ऐसा कर नहीं सकती थी। पालिका ने वर्कशॉप को वर्कशॉप के रूप में ही बेचा,मगर बाद में उपविभाजन को स्वीकार करके घोटाला किया।
सिद्धु ने कहा कि इस मामले में विधायक पुत्र,नगरपालिका का अधिशाषी अधिकारी राकेश मेंहदीरत्ता, सब रजिस्ट्रार व कई और लोग शामिल हैं।