बुधवार, 10 अप्रैल 2024

देश में ज्वालामुखी फूटेगा: कविता- करणीदानसिंह राजपूत




मेरा देश बोलेगा

मेरा देश देखेगा

मेरा देश सुनेगा 

सब कुछ होगा।



 मेरे देश में 

घटनाओं पर घटनाएं

कुछ भी हो जाए 

ऐसा सदा नहीं चलेगा


 मेरे देश के आँखें हैं

 मेरे देश के कान भी हैं

मेरे देश के मुंह भी है।


अरे। घमंडी अत्याचारियों

इसका विशाल रूप

ताकत का स्वरूप

कंकाल नहीं हुआ है।

मेरे देश में बदलाव आएगा


आएगा वह दिन आएगा

जब मेरा देश गौर से देखेगा

जब मेरा देश गौर से सुनेगा

जब मेरा देश उदघोष करेगा।


मेरे देश के दिल में 

मेरे देश के दिमाग में

हलचल मचेगी और

ज्वालामुखी फूटेगा।


भ्रष्टाचार के विरूद्व

तानाशाही के विरूद्ध

हर गली हर मोड़ से

क्रांतिकारियों के चौक से

तूफान उठेगा।


ठहर नहीं पाएंगे

भाग जाएंगे

सफेदपोश भ्रष्टाचारी दुराचारी 

ऐसा दिन आएगा?

हां,ऐसा भी दिन आएगा।


 चप्पे चप्पे से

भारत मां का जयघोष

जोरों से गूंजेगा।


क्रांतिकारियों की प्रतिमाएं

स्मारकों से निकल कर

संसद में बैठेंगी

सीमा पर सैनिक बन

दुश्मन को मार भगाएंगी

आएगा जल्दी वह दिन।


जब हम और तुम 

एक दिल एक जान

एक सोच से 

मशाल उठा कर

शक्तिशाली बन जाएंगे

भारत बन जाएंगे।

*********
रचना 24 जून 2018.
अपडेटेड. 15 फरवरी 2021.
अपडेट. 15 जनवरी 2024.
अपडेट 10 अप्रैल 2024

------------------------------

करणीदानसिंह राजपूत,

स्वतंत्र पत्रकार,

राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत

सूरतगढ़ ( राजस्थान) 

94143 81356

*****





यह ब्लॉग खोजें