शुक्रवार, 24 जून 2022

सूरतगढ़ को गंदा देखते रहेंगे कैसे नेता हैं? भाजपा कांग्रेस आप बसपा सब एक जैसे.

 


*  करणीदानसिंह राजपूत * 


सीवरेज सड़कें,नाले उन पर पक्के अतिक्रमण कचरे के ढेर तालाब में मलबा सब से आम लोग परेशान हैं और नेता देख रहे हैं। जनता के साथ खड़े नजर नहीं आते।

आने वाले चुनाव में इनका कोई हक नहीं बनता कि जनता से वोट मांगे। इनका तो बहिष्कार होना चाहिए। टिकट ले आएं और चुनाव में खड़े हो जाएं तो सवाल होने चाहिए कि किस योग्यता के कारण वोट दिया जाए? 

भाजपा और कांंग्रेस के विधायक भी हैं और पूर्व विधायक भी हैं। सूरतगढ़ शहर के वोट अनुमान है कि इस समय करीब 60 हजार होंगे और 2023 के विधानसभा चुनाव तक 70-75 हजार होंगे। एक लाख जनता को अनदेखा करके भी चुनाव लड़ने की चाहत। 

मेरी बातें समझ रहे हैं। मेरी अपील भी समझ रहे हैं। ये नेता सभी समझ रहे हैं, मगर परेशानियों में जनता के साथ नहीं हैं। बड़े नेताओं का सारा ध्यान केवल पैसा कमाने और संपत्ति विस्तार पर है। सूरतगढ़ शहर की दुर्दशा पर किसी भी नेता का ध्यान नहीं है।

भाजपा और कांंग्रेस दो बड़ी पार्टियां हैं जिनके संगठन भी मौजूद हैं। भाजपा का नगर मंडल और तीन चार जिला स्तर के संगठन पदाधिकारी यहां हैं। नगरपालिका में काग्रेस बहुमत का बोर्ड है जिसकी शहर के प्रति अनदेखी और दुर्दशा पर  भाजपा नगर मंडल मृत सा लगता है। जीवित है तो विपक्ष का दायित्व निभाता नजर आए, लेकिन लोगों ने कभी देखा नहीं। शहर जिन परेशानियों से संघर्ष कर रहा है वहां भाजपा नेता कार्यकर्ता अपने अपने कामकाज में लगे हैं। नगरपालिका के कांंग्रेस बोर्ड को ढाई साल बीत रहे हैं और इन तीस महीनों में भाजपा की ओर से तीन चार कागजी विरोध ही हुए। अगर यह संख्या गलत है तो भाजपा अपनी सही संख्या बतला सकती है। भाजपा ने नगरपालिका के अलावा विभागों पर कोई धरना प्रदर्शन किए हैं तो वे भी गिनती के हुए हैं। उनमें युवा मोर्चे को आगे रखकर जिसमें विधायक रामप्रताप कासनिया, जिला स्तरीय पदाधिकारी, नगर मंडल अध्यक्ष महामंत्री और सभी मोर्चे मिला कर संख्या एक सौ भी नहीं हुई।

यह स्थानीय संगठनात्मक मजबूती दर्शाती है। नगर मंडल कमजोर है या काम लायक नहीं है तो यह सारी जिम्मेदारी विधायक कासनिया की और जिलाध्यक्ष की बनती है। कासनिया की सहमति से नगरमंडल अध्यक्ष सुरेश मिश्रा को बनाया गया। जिला अध्यक्ष आत्मा राम तरड़ की जिम्मेदारी में कमी रही है कि उन्होंने कभी देखने की कोशिश ही नहीं की कि सूरतगढ़ में भाजपा का बेड़ा किस स्तर तक डूब गया है। आखिर क्या कारण है कि नगरपालिका की कार्यप्रणाली का भाजपा नगर मंडल विरोध नहीं करता? जब नेता पदाधिकारी निजी हित को सर्वोपरि माने तब यही हाल होता है।  भाजपा नेता इन कमजोरियों की वजह से पालिकाध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा के विरुद्ध  मुंह नहीं खोल रहा। इसके लिए सही शब्द तो भयभीत नेता बनता है। देश विदेश में हर काम में मोदी जी का डंका बजने का जयघोष करती रहने वाली भाजपा बताई गई खामियों पर मोदी का नाम लेकर ही नगरपालिका भ्रष्टाचारों पर कार्यवाही करे। भाजपा नगर मंडल की अगुवाई नहीं होने से भाजपा के पार्षद भी कुछ कर नहीं रहे। भाजपा पार्षदों को गाईड ही नहीं किया जा रहा। भाजपा नेता तो नगर की समस्याओं और पालिका में होने वाले गलत कार्यों पर उच्च अधिकारियों,सचिवों,मंत्रियों को शिकायत नहीं करते। स्थानीय उपखण्ड अधिकारी और अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ही लिखकर नहीं देते। भाजपा के ये नेता जनता की आवाज नहीं बन रहे हैं। भाजपा के नेताओं के पालिकाध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा से व्यक्ति गत संबंध बहुत अच्छे हो सकते हैं मगर पार्टी की नीति भी होती है। विधायक रामप्रताप कासनिया, पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भादु,पूर्व विधायक अशोक नागपाल जनता की समस्याओं पर चुप्प हैं। भाजपा के कुछ नेता जो विधानसभा चुनाव के लिए इधर उधर चेहरे दिखाते घूम रहे हैं वे भी शहर की समस्याओं पर मुंह छिपा रहे हैं। 


नगरपालिका अध्यक्ष और पालिका के कार्यों को गलत बताते हुए कांंग्रेस के ही पार्षदों ने दस बारह बार आवाज उठाई है जो आश्चर्य जनक लगता है। ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया जो पार्षद भी हैं ने अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा पर आरोप लगाए हैं। बसंत कुमार बोहरा ने भी विरोध में आवाज उठाई। पूर्व पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल ने भी शिकायतें की। लेकिन जो जन समस्याएं सड़कों, नालों,सफाई,  तालाब में मलबा, पार्क को कचरा वान स्टोर बनाने जैसे मामलों पर एक बार भी आवाज नहीं उठाई। परसराम भाटिया तो ब्लॉक की मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर प्रदेश कार्यालय को भेज सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं किया। पूर्व विधायक गंगाजल मील और हनुमान मील ये परेशानियां देखते रहे हैं मगर अध्यक्ष को कुछ नहीं कहते। मील ने परसराम भाटिया आदि पार्षदों को ही रोका। डूंगरराम गेदर कांंग्रेस में आने और ऊपर से राजस्थान माटी कला बोर्ड के उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद से शहर की इन समस्याओं पर चुप हैं और शहर में भी दिखाई नहीं दे रहे।

शहर की समस्याओं पर आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं की ओर से भी कार्यवाही नहीं हुई। इनकी संख्या कम है लेकिन समस्याओं पर लिखकर तो दे सकते हैं। आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के पास ऐसे कार्यकर्ता नहीं है जो सोशल मीडिया पर नगरपालिका की गलत कार्यवाहियों पर पालिकाध्यक्ष और प्रशासन की खिंचाई करते रहें। इन पार्टियों के नेता जो हैं वे भी शहर की समस्याओं को देखते रहे हैं मगर जिला कलेक्टर या मुख्यमंत्री तक शिकायत नहीं करते। 

राजनीतिक नेता कार्यकर्ताओं की अनदेखी और उदासीनता के बावजूद नगरपालिका की गलतियों और भ्रष्टाचार पर चुप तो नहीं रहा जा सकता। 

* भाजपा और कांंग्रेस के नेता कार्यकर्ताओं से समय आने पर सवाल होंगे,इनको छोड़ा नहीं जा सकता। 

** भाजपा और कांंग्रेस दोनों के ये नेता चुनाव के वक्त टिकटों की मांग करेंगे लेकिन टिकटें किसी और की होंगी।**

दि.24 जून 2022.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़.

94143 81356

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