गुरुवार, 21 अगस्त 2025

सूरतगढ़: पालिका चुनाव टिकटों के लिए अभी शुरुआती मौसम.

 






* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 21 अगस्त 2025.

नगर निकाय चुनाव नवंबर दिसंबर 2025 में कराए जाने की संभावना के तहत अब अनुभवी तो चुपचाप जुट गए हैं और वार्डों का चयन करने में,संपर्क करने में चेहरा दिखाने में और चुनावी रिश्ते बनाने में।

भारतीय जनता पार्टी,इंडियन नेशनल कांग्रेस के बीच ही मुख्य टक्कर होगी और आज की दशा में कांग्रेस भाजपा से कमजोर नहीं है। इन दोनों पार्टियों के अलावा बसपा, आप,माकपा आदि भी जुगाड़ बैठाऐगी मगर सत्ता समीकरण करने में निर्दलीय अहम भूमिका निभाऐंगे जिनके 45 वार्डों में 10 से 15 वार्डों में जीतने की उम्मीदें मजबूत है। माकपा बसपा और आप सभी की जो धरातलीय हालत है वह पांच सात पार्षदों तक रहने की आशा है। इनका फील्ड वर्क नहीं है।

बड़ी पार्टियों में पार्षदों की टिकटें कांग्रेस में बांटने का बड़ा अधिकार विधायक डुंगरराम गेदर के पास ही है अन्य में पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भादू,बलराम वर्मा भी प्रमुख नेताओं में होंगे।

कांग्रेस में पार्षद प्रत्याशियों के चयन में विवाद खींचातानी कम होगी लेकिन भाजपा में सब विवाद, खींचतान अधिक होने की संभावना है।  भाजपा में अभी गुटबाजी के कारण कुछ तो एक दूसरे का नाम सुनने के लिए राजी नहीं और एक दूसरे का चेहरा देखना नहीं चाहते। यह सच्च सभी को मालुम भी है। यह हालात अब एकदम से उपजे हुए नहीं हैं। सन् 2019 में ओमप्रकाश कालवा मेघवाल कांग्रेस की तरफ से वार्ड नं 26 सामान्य सीट से लड़े और जीत गये। ऊपरी दबाव से जैसे सामान्य वार्ड से टिकट मिला वैसे ही अध्यक्ष बन गये। गंगाजल मील ने बनाया मगर भूमि के चक्कर में हुए भीतरी विवाद में कालवा ने भाजपा में प्रवेश कर लिया और कहने को भाजपा का बोर्ड बन गया। अभी निवृत बोर्ड भाजपा का रहा लेकिन यह जीता हुआ बोर्ड नहीं था। भाजपा के जिलाध्यक्ष शरणपालसिंह मान को यह गंभीरता ध्यान में रखनी चाहिए। अभी भाजपा में जो खेल चल रहा है उससे किसी को आनंद मिले या नहीं लेकिन बोर्ड हाथ से निकल जाने के चांस पचास प्रतिशत से अधिक हैं। 

भाजपा की प्रदेश और केंद्र में सरकारें होने के कारण दबदबा तो रहेगा। 

भाजपा से जो चुनाव लड़ने के ईच्छुक हैं कमर कसे हैं या सोच रहे हैं उनको किसी न किसी से संपर्क तो रखना चाहिए। भाजपा में रामप्रताप कासनिया पूर्व राज्य मंत्री और संदीपकुमार कासनिया पिता पुत्र का खेमा है। ओमप्रकाश कालवा इनके साथ है। दूसरी ओर पूर्व विधायक अशोक नागपाल का खेमा है जिसे जिलाध्यक्ष का संरक्षण है। यह भी स्थिति है कि गौरव बलाना (नगरमंडल अध्यक्ष),काजल छाबड़़ापूर्व अध्यक्ष नगरपालिका आरती शर्मा,पूजा छाबड़़ा 

राकेश बिश्नोईआदि कासनिया के साथ कहीं खड़े नजर नहीं आते। यहां केवल भाजपा ही नहीं है, बल्कि नगरपालिका चुनाव में संघ भी अपनी पावर में रहेगा। एक जो बात तेजी से उभर कर सामने आई है कि पिछड़े और अनुसूचित वर्ग के कार्यकर्ता कासनिया और नागपाल से दूर रहते बड़ा खेल रच सकते हैं और पार्षद चुनाव से आगे अध्यक्ष पद तक बड़ा खेल रचा सकते हैं।०0०


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