डुंगर ने गढ में घुसकर मार भगाया.कितने लोग डुंगर की ओर से युद्ध में थे.
* करणीदानसिंह राजपूत *
डुंगर अपनी ताकत बढाता हुआ कांग्रेस के गढ में घुसा और गढ के सूरमा युद्ध करने से पहले ही भाग छूटे। सूरमा दुश्मन से जा मिले कि वह डुंगर को हराए। सूरमाओं को गढ ( गृह)से बाहर निकाला हो गया। सूरमाओं का राज गरीबों पर चला। नगरपालिका की जेसीबी घरों को तहस नहस करती तब चाटुकार तालियां बजाते। गरीबों की संख्या तो बहुत थी मगर एकजुट नहीं होने के कारण उनको अपनी ताकत का मालुम नहीं था जिसके कारण सूरमा कहर ढहाते रहे।
सूरमाओं की यह ताकत डुंगर की ताकत के आगे नहीं चली? अपने आप को असहाय कमजोर समझने वाले लोगों ने डुंगर और समर्थकों को समझा और सभी ने युद्ध में भाग लिया।
डुंगर गढ में घुसा तब सूरमाओं को गढ छोड़ना पड़ा और ऊपर से देश निकाला। सूरमा उस दुश्मन से मिले जो अपनी ताकत पर ही पांच साल तक भरोसा नहीं कर पाया था। यह कहानी है डुंगर मील और कासनिया की।
चलते हुए युद्ध में एक एक सिर की गणना करनी बहुत मुश्किल होती है लेकिन यह असाधारण कार्य भी हुआ और अनुमान के आंकड़े भी आए। इस गणित को समझा जा सकता है।
डुंगर की ओर से शहर में 20 से 25 हजार लोग और शहर से बाहर ग्रामीण इलाकों में 65 से 80 हजार लोग युद्ध में एक जुट थे। डुंगर की ओर से एक लाख से अधिक लोग सैनिक बने हुए थे। कासनिया और मील की ओर से संयुक्त रूप से 60 से 65 हजार लोग भाग ले रहे थे। डुंगर की ओर से अधिक लोग रहे। अधिक संख्या 25 हजार से 35 हजार लोग भाग ले रहे थे। डुंगर की ओर से दबाए हुए साधारण लोगों ने भी दमन के विरोध में युद्ध लड़ना उचित समझा और पूरे जोश से भाग लिया। युद्ध में डुंगर की ओर से कितने लोग अधिक रहे यह सही आंकड़ा भी आने वाला है। पढते रहे ंकहानियां.
29 नवंबर 2023.
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