लोकतंत्र में चुनाव जीत लेने की गारंटी के बयान देने वाले विचलित लोग होते हैं.
* करणीदानसिंह राजपूत *
राजनीति में पुराने जमे नेता कभी नहीं चाहते कि कोई नया नेता पैदा हो और वह चुनाव लड़ने का प्रयास करने लगे तथा पार्टी से टिकट मांगले। बड़ा विरोध होता है ऐसे नये प्रवेश करने वाले का। नेतागिरी में विधायकी में किसी एक जाति का बीसियों सालों से दबदबा हो तब अन्य जाति वाला चुनाव की सोच भी ले तो उसको हतोत्साहित करने गिराने की हजारों कोशिशें षड़यंत्र धोखे छलकपट में एक से बढकर एक तरीके। बदनाम करने की कोशिशें। इसने चुनाव की हिम्मत कैसे कर ली? पार्टी ने टिकट दे दी तो हराने की तैयारियां। दूसरी पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन। नीचता की सभी हदें पार।
इस पर भी नया लोगों को जनता को प्रभावित कर ले तब विचलित होकर चर्चाएं करने में भी आगे। ऐसे विचलित होने वालों को नये नेता का नाम ही नहीं सुहाता ऊपर से न्यूज एजेंसियों में फोटो लग जाए। जीत की संभावना नजर आने लगे तो हालत और खराब होने लगे।
* नये नेता में गुण हो और जनता साथ दे तो वह जीत भी जाता है। विचलित होने वाले चुनाव परिणाम के बाद अपने बाल खींच कर खोसें चाहे दीवार से सिर फोड़ें। प्रजातंत्र का नियम है बदलाव। जनता चाहे जिसे चुने और चाहे जिसे ठुकराए। प्रजातंत्र में किसी की गारंटी नहीं है की जिंदगी भर वहीं रहेगा। कोई कहे कि अगले चुनाव में मैं आऊंगा तो जरूरी नहीं कि उसका कहा लोहे कर लकीर हो गया। जो बोला वह लिख गया। ऐसे कथन और शब्द विचलित होने का प्रमाण होता है। प्रजातंत्र में प्रजा करे वही सत्य।
28 नवंबर 2023.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकारिता के 60 वर्ष.
(राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार)
सूरतगढ़ ( राजस्थान)
94143 81356
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