मंगलवार, 28 नवंबर 2023

मील सा के पास लोग और वोट होते तो हालात आज से नहीं होते:

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

मील साहेब गंगाजल जी मील के पास वोट होते तो आज के हालात नहीं होते। वोट नहीं जन समर्थन नहीं रहा हारते रहे तब टिकट किसी को भी मिलना ही था जो डुंगरराम गेदर को मिल गया।

गंगाजल जी ने 2003 में बीजेपी टिकट पर पीलीबंगा से चुनाव लड़ा था लेकिन वहां हार गये।

👍 इसके बाद बीजेपी छोड़ी और कांग्रेस की टिकट पर पूरा जोर लगाकर सूरतगढ़ से  2008 में चुनाव लड़ा। जनता के सामने नये थे चुनाव जीत लिया। इसके बाद 2008 से 2013 तक जनता ने इनका शासन इनमें बैठे जन प्रतिनिधि को अच्छे रूप में देख परख लिया। 

👍 2013 में गंगाजल मील साहेब दुबारा कांग्रेस की टिकट तो ले आए लेकिन जनता ने साथ नहीं दिया। मील साहेब को स्वीकार नहीं किया। इनका राज परखा हुआ था इसलिए जनता ने 2013 के चुनाव में थर्ड नंबर पर धकेल दिया। राजकाज अच्छा होता जनता को प्यार किया होता तो जीत मिलती लेकिन थर्ड नंबर मिला।  जन समर्थन और टूटा लेकिन फिर भी 2018 में हनुमान मील को टिकट दिला लाए। जनता खार खाए ही बैठी थी सो हनुमान मील को भी हरा दिया। हनुमान मील तो नये थे और काम तो शासन तो गंगाजल जी ही चलाते थे। हनुमान मील के हारने के बाद भी शासन सूरतगढ़ में गंगाजल जी का ही चलता रहा। यह समय था अपनी व्यवस्था सुधारने का जनता से प्यार करने का जनता को अपना बनाने का लेकिन तरीके नहीं बदले। बागडोर हनुमान मील के हाथ में होनी चाहिए थी। शायद व्यवस्था में बदलाव होता। मील साहेब ने ही सत्ता अपने हाथ में रखी और सुधार के बजाय और अधिक बिगाड़ हुआ। जनता और अधिक नाराज हो गई और अधिक दूर होती चली गई। इसका बड़ा राजनीतिक नुकसान हनुमान मील को हुआ। ये लगातार की हार जनता की दूरी का बुरा असर हुआ। 2023 में हनुमान मील को टिकट नहीं मिला। टिकट डुंगरराम गेदर को मिल गया। यह भी एक प्रकार की मील हनुमान की हार ही थी। यह हार मील गंगाजल जी की भी थी।

👍 यहां टिकट नहीं मिलने पर राजनीतिक धीरज रखना था। अच्छे समय आने की प्रतीक्षा करनी थी और डुंगरराम गेदर को जिताने में दिनरात एक करना चाहिए था।

मील गंगाजल जी साहेब ने सबसे बड़ा गलत कदम  उठाया कि डुंगर गेदर को हराने का निर्णय किया और  भाजपा के उम्मीदवार रामप्रताप कासनिया को जिताने के लिए अपनी राजनीतिक जमा पूंजी को ही लगा दिया। इससे मील राज का ही खात्मा कर बैठे। असल में हनुमान मील के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्न लगा दिए। अब आगे के भविष्य के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। चुनाव 2023 का चुनाव परिणाम कुछ भी रहे मील का कोई भविष्य दिखाई नहीं दे रहा।

 कांग्रेस ने छह साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से गंगाजल मील,हजारीराम मील,हेतराम मील,हनुमान मील को निकाल दिया। चुनाव परिणाम के बाद कुछ भी नहीं बचेगा। भाजपा में सदस्यता लेकर भी कोई लाभ नहीं। भाजपा में तो पहले से ही नेताओं की लम्बी लाईन लगी है। कोई भी अपने से आगे खड़ा नहीं होने देगा। कासनिया ही नजदीक नहीं फटकने देगा क्योंकि 23 नवंबर 2023 की सभा में अपने पुत्र संदीप कासनिया को आगे कर दिया। डुंगरराम गेदर के कारण स्वयं रामप्रताप कासनिया की राजनीति का भविष्य भी अभी मालुम नहीं है कि क्या होगा? डुंगरराम गेदर की राजनीति सिर पर रहेगी।


👍 अब आगे मील राजनीति में जो भी फैसले लें मार्ग चुनें पार्टी चुनें या समर्थन करें तो जल्दबाजी नहीं करें और युवाओं को हनुमान मील जैसे को राजनीति करने दें। राजनीति में बदलाव हो गये हैं नयी नीतियों से चलना होगा। नयी नीतियों नये तरीकों को युवा ही अपना सकते हैं।

28 नवंबर 2023.

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