सोमवार, 27 नवंबर 2023

बोल उठा सूरतगढ़ डुंगर डुंगर

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 27 नवंबर 2023.

शहर से जो बढत लेगा वह उतने से जीतेगा की चर्चाएं चल रही थी। कौन जीतेगा ? अपने मुंह से कहने से बचने के लिए समझदार लोगों ने सावधानी से गली निकाल ली।

 किसी से भी बिगड़े नहीं सो कहते रहे। मालुम नहीं। अभी शहर से कोई आवाज नहीं आई। शहर बोला नहीं। देखते हैं शहर किस की तरफ बोलेगा? किसका नाम लेगा?

 दीपावली में लगे हैं। दीपावली के बाद लोग फ्री होगा तब मालुम होगा। यह सब चलता रहा। घुमा फिरा कर कहते कि लोगों में चर्चा है लेकिन शहर किधर जाएगा फिर भी नहीं बतलाते। 

एक गली यह भी निकाली कि जो शहर से जितनी बढत लेगा वह उतने से जीत जाएगा। 

अब तक चल रही बातों से आगे बढें। 

अब तो 25 नवंबर भी बीत गया। शहर की गलियों तक को मालुम हो गया कि किस घर से कितने लोग बाहर निकले और किस को सहयोग दिया।

अब लोग बोलने लगे हैं। बतियाने लगे हैं। मतलब सूरतगढ़ बोलने लगा है। अब सूरतगढ़ की आवाज सुन लें। कान लगा कर सुन लें। 

हर वार्ड से डुंगर का नाम है। हर वार्ड से गेदर का नाम है। सूरतगढ़ बोल रहा है। 

आश्चर्य यह है कि जिन वार्डों को भाजपा का माना जाता है वहां गेदर बोल रहा है। राष्ट्रवादी लोगों ने भी भीतर कान में कहा अबकी बार बीसियों सालों की रीत को बदलो। ऐसे तो यह रीत छूटेगी ही नहीं। छोड़ोगे तब छूटेगी। यह बात चली। रीत बदलने के लिए सब काम चुपचाप हुआ। 

3 दिसंबर 2023 को पक्का मालुम हो जाएगा कि रीत कैसे बदल गई। 

कार्तिक पूर्णिमा को दिन भर भयानक सर्दी में घूमने के बाद जाने अनजाने लोगों से बातें की और बातें सुनी।

सूरतगढ़ की आवाज़ सुनी। लोग ही बताते हैं।  डुंगर को सभी शिखर की ओर चढा रहे हैं। 10 पेड़ी से 36 पेड़ी तक चढ गया कहते हैं। शहर में भोले लोग भी हैं। 

भाईजी दस स्यूं। भाईजी तीस स्यूं। भाईजी पैंतीस छत्तीस पेड़ी तो पक्का ही मानलो। 

" ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया।" 

जैसा सूरतगढ़ से सुना वैसा ही बिना जोड़े घटाए पेश कर दिया है। 

* बचपन में सफल होने के लिए एक कहानी पढाई जाती थी। एक चींटी दीवार पर चढती और बीच में गिर जाती। उसने कोशिश नहीं छोड़ी। आखिर वह दीवार पर चढ गई। करत करत अभ्यास के आखिर सूरतगढ़ में डुंगर डुंगर हो गया। ०0०

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