सूरतगढ़ में कांग्रेस भाजपा की टक्कर में कौन जीतेगा?
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 26 नवंबर 2023.
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के 25 नवंबर को हुए मतदान के बाद यह चर्चा हो रही है कि कांग्रेस के डुंगरराम गेदर और भाजपा के रामप्रताप कासनिया के बीच हुई टक्कर में जीतेगा कौन? सूरतगढ़ से 27 किलोमीटर दूर केवल 5 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आमसभा भाषण हुआ। उसी सभा में रामप्रताप कासनिया ने भी भाषण दिया। मोदी जी के भाषण संदेश के बाद कहने को कुछ भी नहीं रहता। मोदी है तो सब मुमकिन है। इसके बाद भाजपा के पदाधिकारियों मंडलों और मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने जीजान लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी होगी! भाजपा के टिकट मांगने वाले भी जी जान से जुटे होंगे! जब सभी जुटे हों। सन् 2018 में जीतने के बाद सन् 2023 में दुबारा जीत होने के पक्के विश्वास से कासनिया जी ने टिकट मांगी और राज्य संसदीय बोर्ड एवं संसदीय बोर्ड के चयन पर मोदीजी की स्वीकृति हुई।
अभी परिणाम का इंतजार करें। हथाई करें। दावा नहीं करें।
* कासनिया जी के चुनाव कार्यालय में ठसाठस उपस्थिति शहर और गांवों में भाजपा के वोट। लेकिन फिर भी चर्चा हो रही है कि रामप्रताप कासनिया और डुंगरराम गेदर में कौन जीतेगा?
👍 मोदीजी के भाषण और आह्वान के बाद भाजपा के कार्यकर्ताओं ने ईमानदारी से काम किया है तो कोई शंका नहीं है कि कासनिया जी की जीत भी हो सकती है। लेकिन जो चर्चाएं सर्दी में गर्म हलचल तूफान मचा रही है, उनका संकेत घुमा फिरा कर दिया जा रहा है। भाजपा के लोग शहर के वार्डों की गांवों चकों की रिपोर्ट देते बतियाते हैं कि कितने स्थानों पर बराबर हैं और कितने स्थानों पर कितने आगे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट शानदार है फिर आम लोगों के मुंह से डुंगर गेदर की जीत होने की चर्चाएं कैसे हो रही है?
डुंगरराम जीतेगा! गेदर जीतेगा!! यह तूफान मचा है। डुंगरराम भारी मतों से जीतेगा। एक लाख से अधिक वोट डुंगर को मिलने और तीस पैंतीस हजार वोटों से जीत जाएगा की बातें हो रही है।
कांग्रेस के लोग और डुंगर समर्थक पुराने और नये उत्पन्न समर्थक जीत और एक लाख से अधिक वोट की चर्चाएं करते हैं। कुछ इससे कम मानते हैं।
यह आश्चर्यजनक है कि डुंगरराम गेदर के साथ केवल एक पूर्व विधायक स.हरचंद सिंह सिद्धु साथ हैं। उनको हराने के लिए कांग्रेस से पूर्व विधायक गंगाजल मील कासनिया के साथ जा मिले। कासनिया खुद विधायक पिछले सत्र में विधायक रह चुके हैं और भाजपा से ही पूर्व विधायक अशोक नागपाल उनके साथ हैं। भाजपा की संगठन शक्ति और संघ की शक्ति भी साथ में दिन रात एक किए हुए रही है।
👍 डुंगरराम गेदर की जीत होती है तो क्या समझा जाए? क्या भाजपा के सभी लोगों ने ईमानदारी से काम नहीं किया? क्या कासनिया को दुबारा टिकट देने के विरुद्ध भीतर ही भीतर आग सुलगती रही और कासनिया को जिताने के बजाय हराने के लिए शक्ति लगाई गई?
👍 कासनिया की जीत मानते है तो भाजपा में सन्नाटा सा क्यों छाया है? भाजपा के लोग जोश और उत्साह में दिखाई नहीं दे रहे। आखिर ऐसा क्यों हैं? लोगों के मुंह से यह क्यों निकल रहा है कि उनकी गली में भाजपा के लिए कोई वोट मांगने नहीं आया? पुराने से पुराने भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को पूछा तक नहीं गया। भाजपा के लिए वोट मांगने वालों ने खानापूर्ति सी की।
👍 सूरतगढ़ सीट पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों में बदलाव और नये चेहरे को टिकट दिए जाने की मांग थी। कांग्रेस ने जनता की मांग को स्वीकार किया और मूल ओबीसी डुंगरराम गेदर (कुम्हार)को टिकट दे दिया। भाजपा ने जनता और कार्यकर्ताओं की नहीं सुनी तथा 72 वर्ष के कासनिया को ही टिकट दुबारा दे दिया। इसका विरोध निश्चित रूप से होना प्रजातंत्र का ही पाठ है।
* बीकानेर संभाग में भाजपा ने मूल ओबीसी को एक भी टिकट नहीं दी। सूरतगढ़ से एक टिकट की मांग प्रबल थी। कांग्रेस ने मूल ओबीसी को संभाग में 3 टिकट दी। सूरतगढ़ में यह भी चर्चा जोरशोर से है कि इसका असर भी हुआ है तथा लोगों ने डुंगरराम गेदर का साथ दिया। सबसे बड़ा तथ्य यह है कि लोग बदलाव चाहते थे और मतदान इसी भावना से होना माना जा रहा है।
सूरतगढ़ में मतदाता 2,56, 202 हैं। इनमें से मतदान 80.66 प्रतिशत लोगों ने किया। मतदान करने वाले लगभग दो लाख छह हजार छह सौ पैंसठ लोग थे।
वोटिंग के बाद लोगों का मानना है कि मुख्य टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रही। प्रदेश की यही दोनों प्रमुख पार्टियां हैं जिन पर सभी की नजरें रहती हैं।
तीन दिसंबर को मतों की गणना होगी तब तक हथाई होती रहेगी। परिणाम से साबित होगा कि कौन जीता। लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का कहना माना या नहीं माना।०0०
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करणीदानसिंह राजपूत
( पत्रकारिता के 60 वर्ष)
राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार,
सूरतगढ़ ( राजस्थान)
94143 81356
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