सोमवार, 19 सितंबर 2016

युद्ध की ओर केवल आक्रोश से नहीं बढ़ा जा सकता? कश्मीर की यह हालत किसने बनाई? मोदी को कोसने से पहले यह भी जान लेना चाहिए:


देश के दो टुकड़े किसने स्वीकार किए? पाक कबालियों ने हमला किया तब इस मसले को संयुक्त राष्ट्र संघ में कौन ले गया? कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 संविधान में किसने दी? उस समय न भाजपा नहीं थी। कांग्रेस हमेशा अपने बयानों में कहती है कि आजादी की लड़ाई उसने अकेले देल ने लड़ी थी। यह लड़ाई है जो कांग्रेस ने लड़ी जिसका फल देश न जाने कब तक भोगता रहेगा?

- करणीदानसिंह राजपूत -
पठानकोट के बाद उरी में सेना के बेस कैंप पर आतंकी हमले से पूरा देश आक्रोश में है तथा सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जबरदस्त खिंचाई हो रही है। उनके चुनाव से पहले के भाषण विडियो प्रसारित कर देश को याद कराया जा रहा है। यह प्रतिक्रिया होना जायज है और आक्रोश इस तरह का व्यक्त किया जा रहा है कि तुरंत ही युद्ध छेड़ दिया जाए। ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार व खुद मोदी गंभीर नहीं है।
मोदी के जन्म दिवस की खुशियां चल ही रही थी कि अगला सूरज निकलने से पहले आतंकवादी घटना अंजाम दे दी गई। पाकिस्तान की ओर से आतंकी आए उसमें पाक का हाथ है लेकिन आरोप लगाने से कुछ होने वाला नहीं है। पठानकोट हमले में पाक जाँच दल को बुला कर देख लिया। उससे पहले मुम्बई हमले के मामले में भी देख ही लिया है।
एक दम से युद्ध करने की घोषणा सोशल मीडिया में तूफान मचाए हुए है तथा अनेक वरिष्ठ पत्रकार तक मोदी को कोस रहे हैं।
मोदी की सरकार के आने से पहले देश में कांग्रेस का ही शासन अधिक रहा है तथा कांग्रेसी भाजपा पर तो सवाल दागते रहे हैं कि उसने कौनसी लड़ाई लड़ी?
कश्मीर की हालत हुई है उसमें भाजपा नहीं कांग्रेस के दिग्गजों का ही हाथ रहा है।
देश की आजादी के लड़ाई हर कौम ने लड़ी लेकिन महात्मा गांधी ने देश को दो टुकड़ों में आजाद होना क्यों स्वीकार कर लिया? उस समय जवाहरलाल नेहरू थे और कांग्रेस के अन्य नेता भी थे। पाकिस्तान की निगाह कश्मीर पर थी और वहां से कबायली हमला करवा दिया गया। कश्मीर के राजा हरिसिंह ने भारत सरकार से अपील की ओर भारत में शामिल होने की राय रखी। भारतीय सेनाएं कश्मीर में पहुंची तब तक कबायलियों ने काफी हिस्से पर कब्जा कर लिया। निश्चित रूप में भारतीय सेना कबायलियों पर भारी पड़ती ओर खदेड़ देती लेकिन उस समय न जाने क्यों नेहरू की सोच चली और यह मामला संयुक्त राष्ट्र संघ में ले गए और फिर आजतक वह लटकता ही रहा। मोदी ने पहली बार पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेने की बात कही है। मोदी से पहले इतने कांग्रेसी प्रधानमंत्री आए किसी ने यह बात नहीं कही। बलोचिस्तान के लोगों को बयान देकर मोदी ने ही संबल प्रदान किया है।
देश की आजादी के करीब 5 साल बाद संविधान लागू किया गया। जिसके लिए दिन रात गीत गाए जाते हैं कि बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने संविधान दिया। कश्मीर की विशेष दर्जे वाली धारा 370 संविधान में किसने जोड़ी? जब भीमराव अम्बेडकर का नाम ही लेते रहे हैं तो उन्हीं के लिए लिखा जाना चाहिए कि उन्होंने यह बहुत बड़ी भूल या गलती क्यों की? जिसकी सजा यह देश आजतक भुगत रहा है।
कश्मीर में भाजपा और पीडीएफ का संयुक्त शासन है। संयुक्त शासन में अनेक लचीलेपन रखने की मजबूरी होती है। यह सभी दल जानते हैं।
क्या इससे पहले कश्मीर की दशा अच्छी रही थी? अगर अच्छी हालत रही होती तो नेहरू युग में शेख अब्दुल्ला को कुल मिला कर 18 साल जेलों में बंद नहीं रखना पड़ता?
यह मामला बहुत ही नाजुक है और यह तान कर चलना चाहिए कि मोदी की सरकार इस पर कोई निर्णय जरूर लेगी। मोदी के बलोचिसतान की स्वतंत्रता वाले लोगों का समर्थन करेन का बयान देने व पाक अधिकृत कश्मीर को वापस भारत में मिलाने के बयान से पाक का खफा होना लाजिमी है और वह अभी और गड़बड़ी भी करेगा यह मान कर चलना चाहिए।
मोदी को कोसने से पहले एक बात जो पावरवाली है उसे और रखना जरूरी है।
पाकिस्तान ने जब 1971 के अंतिम दिनों में युद्ध में काफी इलाके गंवाए और भारत का कब्जा हो गया था। पूर्वी पाकिस्तान की सेना ने भारतीय सेना के आगे समर्पण कर दिया था। तब नामकरण बांग्लादेश रख कर आजाद राष्ट्र बनवा दिया जो आज भारत से पंगे लेता रहा है। इसके अलावा भारतीय सेना के कब्जे में आ चुके इलाके प्रधानमंत्री इंदिरागांधी ने पाकिस्तान को वापस भेंट क्यों कर दिए? उस समय कश्मीर का दबाया हुआ हिस्सा वापस लेकर ही यह दरियादिल्ली दिखाई जाती तो हालत यह नहीं होती। कांग्रेस सरकार ने तो आजाद और भारत के भक्त तिब्बत को चीन को सोंपने में कोई देरी नहीं की और चीन का अधिकार मान लिया। यह लड़ाई दो आदमी लडें़ वैसी नहीं है कि मामूली बात पर खेत में या सड़क पर लड़ ली जाए।
आशा की जानी चाहिए कि केवल मोदी को कोसने से काम नहीं चलने वाला। पूर्व में जो गलतियां रही है वं गंभीर गलतियां रही है और उनके होते हुए ही कोई सोच विचार कर ही कदम उठाए जा सकते हैं। 
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