सोमवार, 25 अप्रैल 2011

सीबीआई जांच से ही खुलेंगे सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन के सुपर घोटाले-2

सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन जहां हो रहे हैं निर्माण घोटाले
सीबीआई जांच से ही खुलेंगे सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन के सुपर घोटाले-2
पांच इकाईयों के बाद छठी इकाई के निर्माण में क्या क्या बदलाव किया गया
क्या इन बदलावों के कारण छठी इकाई सुचारू रूप से चल नहीं रही और इसको छुपाया जा रहा है
करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 25 अप्रेल। सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन की पांच इकाईयां सफलता से चलाई जा रही है तथा उनका उत्पादन लक्ष्य से अधिक होने के कारण यह थर्मल राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार भी प्राप्त करता रहा है। पांचों इकाईयां प्रत्येक 250 मैगावाट क्षमता की ही है। इनके बाद 250 मैगावाट क्षमता की छठी इकाई के निर्माण में जो बदलाव हुए उनकी जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए तो इसका छुपा हुआ सारा रहस्य और सच्च सामने आ जाएगा। छठी इकाई से प्रतिदिन लाखों रूपए का बिजली उत्पादन होना चाहिए था जो इकाई के बंद पड़े होने के कारण ठप है। यह नुकसान राष्ट्रीय है और इसकी जांच इसी लिए सी बी आई से कराना जरूरी है। यह इसलिए भी जरूरी है कि सभी केवल बिजली उत्पादन नहीं हुआ उसका नुकसान मान रहे हैं जबकि उस बिजली से जो उत्पादन अनेक क्षेत्रों में होना था, जो नहीं हुआ उसका आंकलन किया जाना चाहिए। इस बदलाव के तार तो जयपुर दिल्ली तक जुड़े हुए होंगे क्योंकि यह किसी एक अधिकारी का नहीं समूह का दोष है, और जांच में सब की जिम्मेदारियां भी तय हो जाऐंगी।
    करोड़ों रूपये वेतन में लेने वाले अधिकारी किसी खिलौने का निर्माण करने का वेतन नहीं ले रहे थे बल्कि एक इकाई का निर्माण करने में लगे थे जिससे होने उत्पादन का लक्ष्य हमारी पंच वर्षीय योजना में और संपूर्ण भारत में विद्युत विस्तार क्षेत्र में शामिल किया हुआ था। इस बदले हुए निर्माण में चूंकि कई अधिकारी दोषी सिद्ध होंगे या प्रभावित होंगे तो उनसे तो यह आशा ही नहीं की जा सकती कि वो गड़बड़ी सामने लायेंगे। सब मिल कर हर गड़बड़ी को छिपाने की ही कार्यवाही करेंगे।
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