रविवार, 24 जुलाई 2022

हर घर तिरंगा:हमारे पास घर क्यों नहीं है मां! बच्चे के प्रश्न का कौन देगा उत्तर!

 





* करणीदानसिंह राजपूत *


आजादी के अमृत महोत्सव पर ' हर घर तिरंगा' आह्वान पर राजस्थान पत्रिका ने आज दिनांक 24 जुलाई 2022 के रविवार के अंक में नियमित झरोखा स्तंभ में कार्टूनिस्ट अभिषेक का कार्टून छापा है। 

एक बच्चा अपनी मां से पूछ रहा है कि हमारे पास घर क्यों नहीं है अम्मा? इसमें 75 साल का भी हवाला दिया है।

इस कार्टून में जो गंभीरता है उसे अनेक दृष्टिकोण से समझाया गया है। बेघर लोग सरकार मां से पूछ रहे हैं कि हमारे पास घर क्यों नहीं है? देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जाए और इसी देश में बहुत यानि करोड़ों लोगों के पास रहने को एक कमरा भी न हो।

इसे सीधा सरकार पर सवाल कि लोगों को राशन मुफ्त में या बहुत कम दरों पर देते रहे फिर मकान क्यों नहीं दे पाए? 

आजादी का अमृत महोत्सव शुरू किया गया तब ऐसी योजना बनाई जाती और शुरू कर दी जाती तो अब तक लोगों को मकान मिल भी जाते।


* करोड़ों लोगों के पास 75 साल में भी मकान नहीं है? यह सवाल सभी के मस्तिष्क में गूंज रहा था कि आजादी के अमृत महोत्सव पर हर परिवार के पास में घर क्यों नहीं है? 

सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करते हैं तो वे तोड़ दिए जाते हैं। नगरपालिकाओं नगरपरिषदों आदि में गरीबों के मकान तोड़ने के लिए दस्ते बने हुए हैं और जेसीबी मशीनें भी मकानों को तोड़ने के लिए खरीदी हुई हैं। नगरपालिकाएं एवं नगरपरिषदें मकान तोड़ने के समाचार छपवाती है और यह शान समझती है। अखबारों चैनलों के संवाददाता भी ऐसे समाचार भेजकर इतराते हैं वहीं अखबार चैनल भी ऐसे समाचार और उनके विजुअल चला कर दिखाते हैं कि किस तरह से मकान तोड़ा और कैसे गरीब अपने सामान के साथ खुले आकाश के नीचे पड़ा है। निर्दयता भी वीभत्स। बरसात में या भयानक सर्दी में तोड़ते हैं। गर्भावस्था में जब आठवां नवमा महीना चल रहा हो तब भी औरतों को बेघर कर दिये जाने के समाचार भी छपते रहे हैं। आजादी में ऐसी क्रूरता  हो तो शासन प्रशासन को देश के शिखरी नेताओं के लिए क्या कहा जाना चाहिए? देव या दानव ? जिनके पास नौकरी है अपना घर है वे किसी दूसरे का घर तोड़ सकते हैं। अपने मकानों का तोड़ने का विरोध करना स्वाभाविक होता है जिसने पैसा पैसा जोड़कर एक कमरा खड़ा किया हो वह परिवार औरतें विरोध करें तो पुलिस के डंडे धक्के और सरकारी अमले पर हमला करने चोटें पहुंचाने एवं सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप में मुकदमे और गिरफ्तारियां तक कराना। ऐसे में भी देव यानि  देने वाला कैसे माने?

 जो लोग बार बार घर तोड़े जाने पर भी किसी तरह बस जाते हैं उन्हें नगर पालिका नगर परिषद आदि अभियान चलाकर पट्टे भी देती है। हर साल राज्य सरकारें अभियान चला कर पट्टे देती है हालांकि पट्टे के लिए जो नहीं करना होता है वह करना पड़ता है। मकान तुड़वाती रहने वाली सरकारें अपनी बड़ाई करवाती हैं कि इतनी संख्या में पट्टे दिए गए। ऐसे अभियान में नेताओं के और शासकीय अधिकारियों के पट्टे बांटने के फोटो भी छपवाए जाते हैं। मकानों को तोड़ने और पट्टे बांटने के समाचार छापने वाला पत्रकारों का एक वर्ग भी हर जगह  बन गया है। 


 सरकारी जमीन खाली है तो खुद सरकार वहां उचित निर्माण कर कॉलोनिया काट कर के बहुत सस्ते दरों पर उन गरीबों को दे सकती है जो फुटपाथों पर या सरकारी जमीन गंदगी के आसपास प्लास्टिक के त्रिपाल लगाकर कहीं सिरकी घासफूस पत्ते लगा कर के अपना ठिकाना बना पाते हैं। लेकिन ये हो नहीं रहा। जो योजनाएं प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की बनाई जाती है वे ऊंट के मुंह में जीरे जितनी और उनके लिए भी आवेदन प्रपत्र ऐसे नियम वाले कि कोई भर न सके। राजनेता अपने जीहजूरियों को ये लाभ देते रहते हैं। गरीब तो ऐसी योजना का लाभ ले नहीं पाता।


हर घर तिरंगा फहराना आह्वान किया गया है।तो ये तिरंगे भी भारत सरकार को ही घर घर बांटने चाहिए। इसमें लोगों से भी तिरंगे बांटने का आह्वान किया गया है। आह्वान करने और उसे पूरा करने कराने में बहुत अंतर होता है। संपूर्ण राष्ट्र में सभी घरों पर तिरंगा फहराते देखना ऐतिहासिक होगा।


देश में जो लोग आज तक अपने घर पर तिरंगा नहीं फहरा पाए वे भी इस राष्ट्र के सम्मानित नागरिक रहे हैं और हर तरीके से देशभक्त रहे हैं। अभी भी अनेक लाखों लोग जिनके संख्या करोड़ों में पहुंचेगी तिरंगा नहीं फहरा पाएंगे फिर भी वे इस देश के सम्मानित नागरिक और देशभक्त रहेंगे।

लेख के समापन करते हुए यह आशा की जानी चाहिए कि संपूर्ण भारत के गरीब देशभक्तों को मकान देने के लिए भारत सरकार देशव्यापी योजना जरूर बनाए। किसी का मकान न तोड़ा जाए और किसी नारी को गर्भावस्था में धक्के न खाने पड़ें और आकाश के नीचे प्रसव करने की मजबूरी न हो।०0०


दि. 24 जुलाई 2022.




करणीदानसिंह राजपूत 

स्वतंत्र पत्रकार,

( 57 साल से पत्रकारिता एवं लेखन का अनुभव । पत्रकारिता में अनेक पुरस्कार सम्मान)

(राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़ ( राजस्थान)

94143 81356.

---------

सार्वजनिक। जो प्रकाशित करना चाहे,शेयर करना चाहें, कर सकते हैं। लेखक।

************






यह ब्लॉग खोजें